हस्तमैथुन के प्रति गलत भ्रांतियाँ - ye galat fahamiyan hoti hai

हस्तमैथुन के प्रति गलत भ्रांतियाँ, ye galat fahamiyan hoti hai, हस्तमैथुन के फायदे और नुकसान हिंदी में, लड़कियों को रोजाना सुबह हस्तमैथुन, हस्तमैथुन की बुरी आदत छुड़ाने के रामबाण उपाय, हस्तमैथुन (hastmaithun) की बुरी लत से बचने के उपाय.

हालांकि हस्तमैथुन के प्रति कई भ्रांतियाँ हैं पर लगभग सभी भ्रांतियाँ पुरुषों पर लागू होती हैं। क्योंकि ये भ्रांतियाँ अनपढ़ और स्वार्थ-निहित लोग फैलाते हैं उन्हें शायद यह नहीं पता कि हस्त-मैथुन स्त्रियों में भी उतना ही प्रचलित है जितना मर्दों में; बल्कि स्त्रियाँ पुरुषों के मुक़ाबले ज्यादा हस्त-मैथुन का सहारा लेती हैं क्योंकि एक तो पुरुषों के बनिस्पत उन्हें सम्भोग की तत्परता दर्शाने की समाज इजाज़त नहीं देता और दूसरे सम्भोग के बाद भी जहाँ लगभग सभी पुरुष अपनी यौन पिपासा शांत कर लेते हैं वहीं लगभग 80% स्त्रियाँ पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पातीं और ना ही अपनी असंतुष्टि ज़ाहिर कर पाती हैं। ऐसी हालत में वे हस्त-मैथुन के द्वारा ही चरमोत्कर्ष प्राप्त करती हैं।

इस पृष्ठभूमि के चलते हस्त-मैथुन के बुरे परिणामों का असर केवल पुरुषों पर होना अपने आप में एक भ्रान्ति है। अगर हस्त-मैथुन से शरीर पर बुरा असर पड़ता है तो स्त्रियों के शरीर पर क्यों नहीं ? असल में ये भ्रांतियाँ पुरुषों के लिए इसलिए पनपी हैं क्योंकि पुरुष, स्त्रियों के मुकाबले, यौन सम्बन्धी विषयों पर बातचीत करने के लिए ज्यादा मुखातिब होते हैं। सामाजिक बंधनों के चलते लड़कियाँ व औरतों अपनी यौन-सम्बंधित समस्याओं और प्रश्नों का ना तो खुल कर समाधान ढूंढ सकती हैं और ना ही किसी से विचार-विमर्श कर सकती हैं। यह छूट केवल लड़कों और पुरुषों को है। अतः यौन सम्बन्धी भ्रांतियाँ एवं दुर्प्रचार आदमियों (खास तौर से लड़कों) के लिए ही संभव थे। 

आइये, कुछ भ्रांतियों पर एक नज़र डालें :

1. हस्तमैथुन केवल युवा मर्द करते हैं- यह सच नहीं है। हस्तमैथुन पर अनुसंधान व शोध से अब यह प्रमाणित हो गया है कि हस्तमैथुन हर वर्ग और उम्र के स्त्री-पुरुष करते हैं। अमुमन यह क्रिया काफी छोटी उम्र में शुरू हो जाती है जब कि बच्चों को यौन-ज्ञान भी नहीं होता है पर अपने लिंग से खिलवाड़ करना उन्हें मज़े देता है। देखा गया है कि हस्त-मैथुन कच्ची उम्र से शुरू होकर वृद्धावस्था तक चलता है और इसे हर तबके के लोग – अमीर-गरीब, पढ़े-लिखे या अनपढ़, स्त्री एवं पुरुष, बूढ़े और जवान- सभी करते हैं।

2. हस्तमैथुन विवाहित लोगों की तुलना में अविवाहित लोगों में ज्यादा होता है – यह भी सच नहीं है। विवाहित स्त्री-पुरुष सम्भोग से परिचित और उसके आदि हो गए होते हैं…. अतः सम्भोग के अभाव में उन्हें यौन क्रिया की कमी अविवाहित लोगों के मुकाबले ज्यादा खलती है और वे हस्तमैथुन का सहारा ज्यादा लेते हैं। विवाहित होने का अर्थ यह भी नहीं कि स्त्री-पुरुष को सम्भोग सुविधा और अवसर सदैव मिलते रहे। कई कारणों से वे सम्भोग से वंचित रह सकते हैं और ऐसी हालत में उन्हें अविवाहित जोड़ों के मुकाबले ज्यादा तड़प होती है।

3. हस्तमैथुन करने से शरीर कमज़ोर हो जाता है और कई विकार पैदा हो जाते हैं- यह सरासर झूठ है। ढोंगी और पैसा-परस्त लोग मासूम लोगों के अज्ञान का फायदा उठाते हुए अफवाह फैलाते हैं कि स्वप्न-दोष, बाल झड़ना, चेहरे पर मुहांसे निकलना, याददाश्त कमज़ोर होना इत्यादि हस्त-मैथुन के कारण होती हैं। असल में ये एकदम सामान्य विकार हैं जो लगभग सभी लड़के-लड़कियों को किशोरावस्था में होते हैं …. यह वही उम्र होती है जब युवाओं को अपने यौनांगों के प्रति जागरूकता पनपती है और वे हस्त-मैथुन करना शुरू करते हैं। ऐसे में ढोंगी लोगों को मासूम युवाओं को यह समझाने में मुश्किल नहीं होती कि उनके विकार हस्त-मैथुन के कारण हो रहे हैं। उनके दिमाग में हस्त-मैथुन को एक गलत क्रिया और पाप की संज्ञा देकर उनको बहकाया जाता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इन भ्रमों को नष्ट कर दिया है। असल में जवानी में कदम रखते युवाओं में जो सामान्य शारीरिक बदलाव आते हैं या जो मानसिक रूप से उनके लिए चिंता का विषय होते हैं, ऐसी बातों का ही स्वार्थ-निहित लोग नाजायज़ फायदा उठाते हैं। अक्सर यौन सम्बन्धी समस्याएँ बच्चे, शर्म के कारण, अपने माँ-बाप से छुपाकर अपने दोस्तों या अनजान लोगों से पूछना बहतर समझते हैं …. इस विषय पर स्कूल या कॉलेज में भी कोई विधिवत चर्चा नहीं होती…. यही कारण है कि युवा लड़के-लड़कियों को सही ज्ञान नहीं मिला पाता। सच तो यह है कि हस्त-मैथुन एक सुरक्षित और सेहतमंद क्रिया है जिसे करना प्राकृतिक भी है और अनिवार्य भी। इसको करने से कोई दुष्परिणाम नहीं होते बल्कि इसके परहेज़ से कई शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

4. हस्त-मैथुन करने से पुरुष का लिंग कमज़ोर हो जाता है – यह बिलकुल गलत है। हस्त-मैथुन से आनंद और वीर्योत्पात के अलावा और कोई प्रभाव नहीं होता। वयस्क पुरुषों के लिए समय समय पर वीर्योत्पात उतना ही ज़रूरी है जितना मूत्र और मल त्यागना। हम वीर्य को शरीर में अनिश्चित काल के लिए नहीं संजो सकते… हमारे शरीर में विशेष ग्रंथियाँ हैं जिनका मूल काम वीर्य उत्पादन है… वयस्क मर्दों में ये ग्रंथियाँ वीर्य उत्पादन करके उसे एकत्रित करती रहती हैं। पर एक निश्चित मात्रा का वीर्य ही संजोया जा सकता है… अगर वीर्य का सामयिक स्खलन नहीं होगा तो वह स्वतः रात को स्वप्नदोष के रूप में निकल जायेगा। स्वप्नदोष जैसे अनियंत्रित स्खलन से तो हस्त-मैथुन द्वारा आनंद लेकर वीर्योत्पात करना समझदारी का काम है। इससे कोई कमजोरी नहीं आती और ना ही कोई विकार पैदा होते हैं।

5. हस्त-मैथुन से पुरुष गंजे और अंधे हो जाते हैं – यह भी पूरी तरह गलत धारणा है। हस्त-मैथुन और शरीर की किसी भी बीमारी का कोई वैज्ञानिक सम्बन्ध नहीं है। अगर यह सच होता तो दुनिया में सभी गंजे और अंधे होते !! हाँ, यह सच है कि हस्त-मैथुन के कुछ प्रभाव ज़रूर होते हैं, जैसे कि
1. यौन तड़प से मुक्ति
2. यौन-अपराधों में कमी
3. सम्भोग के अभाव में सम्भोग सा सुख
4. पर-पुरुष या पर-स्त्री के सम्मोहन से मुक्ति

हस्तमैथुन पर शोध और उनके परिणाम Hastmaithun shodh aur parinaam

हस्तमैथुन पर शोध और उनके परिणाम Hastmaithun shodh aur parinaam , क्या हस्तमैथुन से शरीर में नुकसान होता है? क्या हस्तमैथुन से वीर्य पतला होता है? जानने के लिए यह पोस्ट पूरा पढ़ें और अपना विचार भी कमेंट में डालें.

एक बार हस्त-मैथुन के वीर्योत्पात के बाद किया गया सम्भोग पुरुष को देर तक सम्भोग-रत रहने में तथा स्खलन टालने में बहुत उपयोगी होता है। इससे स्त्री को सम्भोग द्वारा चरमोत्कर्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है जिससे वह स्त्री उस पुरुष से ज्यादा प्रेम करने लगती है।

पर ये सब तो अच्छे प्रभाव हैं… इसलिए बेझिझक और दिल भर कर हस्त-मैथुन करना चाहिए। यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। हाँ, जैसे कोई भी अच्छी क्रिया अत्याधिक मात्रा में की जाये तो हानिकारक हो सकती है… तो हस्त-मैथुन भी उपयुक्त समय और उपयुक्त मात्रा में करना ही उचित है। इसके प्रति आसक्त होना या इसको सम्भोग के एवज में करना ठीक नहीं है।

हस्त-मैथुन कैसे करते हैं?

हस्त-मैथुन सम्भोग क्रिया का ही अनुकरण है। तो भले ही वह पुरुष हो या स्त्री, हस्त-मैथुन करते समय अपने यौनांगों को इस तरह इस्तेमाल करते हैं जिससे उन्हें सम्भोग-क्रिया जैसा सुखी अनुभव हो। पुरुष का लिंग योनि में प्रवेश करके जिस घर्षण का अनुभव करता है वही घर्षण पुरुष अपने लिंग को अपने हाथ से देने का प्रयास करता है। इसी प्रकार से सम्भोग के दौरान जिस तरह स्त्री की योनि तथा भगनासा को मर्दाना लिंग रगड़ता है और योनि में प्रवेश होकर अंदर-बाहर होता है, वही रगड़ हस्त-मैथुन के द्वारा स्त्री अपनी योनि और भगनासा को देने की चेष्टा करती है।

हस्तमैथुन पर शोध

हस्तमैथुन के कारण स्त्री-पुरुषों के लिए अनेकों व्यक्तिगत लाभ तो हैं ही, पर इस विषय पर शोध से यह निष्कर्ष निकला है कि इस अत्यंत निजी क्रिया के कई सामाजिक फायदे भी हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के सामाजिक-शास्त्री अब यह मानने लगे हैं कि हस्तमैथुन करने वाले 15 साल के युवक-युवतियों से लेकर वृद्धावस्था तक के लोगों में अपराध करने की प्रवृत्ति कम पायी जाती है। इस कारण बाल-शोषण और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को रोकने में मदद मिलती है। हस्तमैथुन करने वाले लोग कम विचलित और ज्यादा संतुलित रहते हैं जिनसे समाज में स्थिरता एवं अनुशासन पनपता है। वे ना केवल अपराध कम करते हैं, वे अपराध करने वालों को रोकने में भी योगदान देते हैं।

हस्तमैथुन से समाज को जो अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं उनमें किशोरियों में अवांछित गर्भावस्था को रोकना, यौन रोगों (एस०टी०डी०) को कम करना और नारी को सम्मान देना प्रमुख माना गया है। कई विकसित देश, जैसे ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क आदि किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों को दैनिक हस्तमैथुन करने के लिए प्रोत्साहित करने लगे हैं। “प्रतिदिन एक वीर्योत्पात” उनकी स्वास्थ्य-निर्देश पुस्तिका में एक अधिकार के रूप में सम्मिलित किया गया है। यूरोपीय संघ के अन्य सदस्य देश भी इस तरह के प्रोत्साहन की योजना बना रहे हैं।

हमारे देश में भी इस अत्यंत निजी परन्तु साथ ही साथ अत्यंत सामाजिक विषय पर अधिकाधिक विचार-विमर्श करने की जरूरत है तथा इसे गोपनीयता के दायरे से बाहर निकाल कर प्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करने के आवश्यकता है। ऐसा नहीं करने से हमारे देश में यौन-अपराधों की घिनौनी घटनाएँ निरंतर बढ़ती ही जाएँगी और निर्भया जैसी अनेकों लड़कियाँ यौन-त्रस्त युवकों की बलि चढ़ती जाएँगी।

पुरुष और स्त्रियाँ हस्तमैथुन कैसे करते हैं Hastmaithun kaise karte hai

पुरुष और स्त्रियाँ हस्तमैथुन कैसे करते हैं Hastmaithun kaise karte hai, Hastmaithun kaise karte hai, औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं जबकि महिलाएँ तरुणाई (13 से 19 वर्ष) के अन्तिम दौर में हस्तमैथुन का आनन्द लेना शुरू करती हैं.

पुरुष कैसे करते हैं? - सभी पुरुष मूल रूप से समान हस्त-मैथुन करते हैं, जिसमें अपने लिंग को हाथ में पकड़कर दबाना या लिंग के ऊपर हथेली चलाना सबसे सामान्य और प्रचलित तरीका है।

कभी-कभी वे हथेली पर चिकनाई लगाकर हथेली को गीली योनि का प्रारूप देने की कोशिश करते हैं जिससे उन्हें अपार आनन्द की अनुभूति होती हैं। हस्त-मैथुन वे तब तक जारी रखते हैं जब तक उनका वीर्यपात नहीं हो जाता। इसके अतिरिक्त, पुरुष दो तकियों के बीच अपना उत्तेजित लिंग घुसा कर धीरे-धीरे आगे-पीछे धक्का देते हैं, मानो स्त्री की योनि में अपना पुरुषांग प्रविष्ट कर रहे हों।

अब तो कई प्रकार के खिलौने बन गए हैं जो कि योनि और गुदा की तरह बने होते हैं और जिनका इस्तेमाल पुरुष आसानी से कर सकते हैं। ये खिलौने ऐसे पदार्थ से बने होते हैं कि लगभग महिला जननांग जैसा ही अनुभव देते हैं। आधुनिक तकनीक के चलते अब ऐसी गुड़ियाँ बन गई हैं जो छूने से त्वचा छूने जैसा अनुभव देती हैं और जिनके अंग एक लड़की के अंगों की तरह हिलाए तथा मोड़े जा सकते हैं। इन गुड़ियाओं की योनि और गुदा के आलावा इनके मुँह को भी इस तरह बनाया जाता है कि उसे मौखिक मैथुन के लिए पुरुष प्रयोग कर सकते हैं। कुछ पुरुष ऐसी गुड़ियाओं को लड़कियों से भी ज्यादा अच्छा समझते हैं क्योंकि इनके साथ जब चाहे सम्भोग किया जा सकता है और इनमें लड़कियों वाली कोई समस्या नहीं होती। ये गुड़ियाँ महँगी होती हैं और हमारे देश में इनका प्रचलन इतना व्याप्त नहीं है। प्रोस्टेट एक ऐसी ग्रंथि है जो पुरुषों में वीर्य के लिये तरल पदार्थ पैदा करती है। यह गुदा के अन्दर स्थित होती है और इसे गुदा में उँगली डालकर महसूस किया जा सकता है। ऐसा करने से आनन्द मिलता है; अत: यह भी हस्तमैथुन का एक तरीका है। कुछ ऐसे मसाज पार्लर होते हैं जहाँ लड़कियाँ पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि की मसाज करके उन्हें उन्मादित करती हैं।

स्त्रियाँ कैसे करती हैं? - स्त्रियों के लिए सबसे सामान्य हस्त-मैथुन का तरीका अपनी भगनासा को ऊँगली के सिरे से सहलाना और मलना पाया गया है। अधिकांश लोग सोचते हैं कि लड़कियाँ हस्त-मैथुन के लिए अपनी योनि में कोई लिंग के आकार की वस्तु डालकर उसे अंदर-बाहर करती होंगी। हालांकि, स्त्रियाँ यह भी करती हैं पर यह इतनी प्रिय क्रिया नहीं है …. शायद इसलिए कि एक तो इसे करने के लिए उचित लिंगाकार वस्तु ज़रूरी होती है जो हर समय उपलब्ध नहीं होती और दूसरे, ऐसा करने के लिए उन्हें जो आसन ग्रहण करने होते हैं वे हमेशा संभव नहीं होते।

स्त्रियों को हस्त-मैथुन बड़ी गोपनीयता और कम समय में करना होता है और इस कारण वे अपनी ऊँगली से अपनी भगनासा, जो कि मानव शरीर का सबसे मार्मिक और उत्तेजनशील अंग है, को सहला कर और अपनी योनि के होठों को मसल कर तृप्ति प्राप्त कर लेती हैं। इसके अलावा वे अपने भगोष्ठ के साथ अपनी तर्जनी या मध्यमा अँगुली से खेलती हैं तो कभी योनि के अन्दर एक या दो अँगुलियाँ डालकर मैथुन का अनुकरण करती हैं। अगर समय का अभाव ना हो और उपयुक्त एकांत भी हो तो हस्‍तमैथुन के लिये सब्जियॉं, जैसे लम्बे बैंगन, खीरा, गाजर, मूली, ककडी आदि अपने जननांग में प्रविष्ट कराकर सन्तुष्टि प्राप्‍त कर लेती हैं। सब्जियों के आलावा कुछ घरेलु लिंगाकार चीज़ें जैसे मोटा कलम, मोमबत्ती, बेलन का हत्ता इत्यादि का प्रयोग भी होता है। यह भी देखा गया है कि कुछ महिलायें पलंग के किनारे अथवा किसी मेज के किनारे से अपने यौनांग रगड़ कर भी यौन-सुख प्राप्‍त कर लेती हैं।

कुछ महिलाएँ केवल विचार और सोच मात्र से तो कुछ अपनी टाँगें कसकर बन्द करके योनि पर इतना दबाव डालती हैं कि उन्हें यौन-सुख अनुभव हो जाता है। ये काम वे सार्वजनिक स्थानों पर भी बिना किसी की नजर में आये कर लेती हैं। इस क्रिया को महिलाएँ बिस्तर पर सीधी या उल्टी लेटकर, कुर्सी पर बैठकर या उकडूँ बैठकर भी कर सकती हैं। लेकिन ऐसी कोई भी क्रिया जिसे बिना हाथ के सम्पर्क के पूरा किया जाता है हस्तमैथुन की श्रेणी में नही आती।

जिस तरह मर्दों के यौन-सुख के लिए खिलोने बने हुए हैं, स्त्रियों के सुख के लिए भी तरह तरह के खिलोने (डिल्डो) बन गए हैं। ये मूल रूप से बड़े लिंग के आकार के होते हैं जिनपर हाथ में पकड़ने की जगह होती है और जिनको औरतें अपनी योनि या गुदा में घुसा कर मैथुन सुख प्राप्त कर सकती हैं। तकनीकी उन्नति के चलते इन कृत्रिम लिंगों में काफी विकास हुआ है और अब ये तरह तरह के आकार, पदार्थ और सुविधाओं से लैस होते हैं। इनमें बैटरी से थरथराहट (वाईब्रेटर) पैदा की जा सकती है। कुछ कृत्रिम लिंगों की बनावट दुमुही होती है जिनसे एक स्त्री एक साथ अपनी योनि और गुदा दोनों को भेद सकती है और साथ ही भगनासा को कुरेदने के लिए उचित उभार बने होते हैं। ऐसे दुमुही लिंग को योनि और गुदा में घुसाने के बाद जब उसमें बिजली से थरथराहट शुरू की जाती है तो स्त्रियों को असीम भौतिक आनंद मिलता है जो अक्सर असली लैंगिक सम्भोग से भी नहीं मिलता।

हालांकि, मर्दों के लिए गुड़ियाँ बन चुकी हैं, महिलाओं के लिए इस तरह के गुड्डे मुनासिब नहीं समझे गए हैं क्योंकि निर्जीव गुड्डा हिल-डुल नहीं सकता और ऐसी हालत में वह स्त्रियों को सम्भोग सुख नहीं दे सकता। स्त्रियों को कृत्रिम सम्भोग-सुख दिलाने के लिए कुछ ऐसी मशीनें बनायीं गयी हैं जिनमें कृत्रिम लिंग को एक पिस्टन पर लगाया होता है जो कि बिजली से आगे-पीछे होता है। ये मशीनें तरह तरह के आकारों और सुविधाओं के साथ मिलती हैं जिनका उपयोग महिलाएं अपनी इच्छानुसार लेट कर या बैठकर कर सकती हैं। इनमें पिस्टन की गति, स्ट्रोक की लम्बाई और लिंग का आकार स्वेच्छा से नियंत्रित या बदला जा सकता है। ऐसी मशीनें उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई हैं जिनके पति या प्रेमी शीघ्रपतन के कारण उन्हें सम्भोग से उत्कर्ष तक नहीं पहुंचा पाते …. या फिर कुछ स्त्रियाँ देर से ही उत्कर्ष को प्राप्त होती हैं। ये मशीनें भी, सेक्स-गुड़ियाओं की तरह, हमारे देश में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।

परस्पर-हस्तमैथुन - इसमें स्त्री-पुरुष एक दूसरे का हस्तमैथुन करते हैं। आमतौर पर इसे सम्भोग-पूर्व अपने साथी को उत्तेजित करने के लिए या फिर जब सम्भोग की इच्छा ना हो या किसी कारण सम्भोग मुनासिब ना हो, तब प्रेमी जोड़े परस्पर हस्त-मैथुन करके एक दूसरे को चरमोत्कर्ष तक पहुंचाते हैं। इसको करने के लिए स्त्री अपने साथी पुरुष का लिंग अपने हाथ में लेकर उसको उसी तरह हिलाती या रगडती है जैसे हस्त-मैथुन के समय पुरुष करता है और साथ ही उसके शरीर के मार्मिक स्थलों को छू कर, सहला कर तथा खरोंच कर उसे उत्तेजित करती है। साथ ही पुरुष उस स्त्री की योनि और भगनासा पर अपनी उँगलियों से मर्दन करके और उसके स्तनों, स्तानाग्रों और बदन के अन्य संवेदनशील अंगों, जैसे गुदा, चूतड़, पेट, गाल, गर्दन इत्यादि को छू कर, सहला कर अथवा मसल कर उसे उत्तेजित करता है। यह क्रिया भी एक दूसरे के चरमोत्कर्ष तक की जाती है।

प्रायः देखा गया है कि इस क्रिया में पुरुष आनंद-शिखर पर महिलाओं से पहले पहुँच जाते हैं और उन्हें वीर्य-स्खलन के बाद भी अपनी प्रेमिका का हस्त-मैथुन जारी रखना होता है जिससे वह भी पूर्णतया तृप्त हो सके। परस्पर-हस्त-मैथुन एक बहुत ही प्रेम-भरी क्रिया है जिसे सभी जोड़े निःसंकोच कर सकते हैं क्योंकि इससे सम्भोग जैसा ही सुख दोनों को मिलता है और साथ ही सम्भोग से सम्बंधित किसी परेशानी या भय, जैसे गर्भ-धारण, कौमार्य-खनन, यौन-विकार इत्यादि की चिंता नहीं होती।

हस्तमैथुन Masturbation एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है

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हमारे देश में यौन, खास तौर से हस्त-मैथुन के प्रति बहुत सी भ्रांतियाँ हैं जो कि या तो अनपढ़ लोगों ने या फिर निहित-स्वार्थ से प्रभावित लोगों ने समाज में फैलाई हुई हैं। पर जैसे जैसे समाज में शिक्षा फैली है और इस विषय पर शोध हुआ है इनमें से कई भ्रांतियों का पर्दा-फाश हुआ है।

दुर्भाग्यवश, इसके बारे में जानकारी केवल पढ़े-लिखे और समृद्ध लोगों तक ही सीमित है और इसका प्रचार अंग्रेजी तथा यूरोपीय भाषाओं में ही हुआ है। हमारे देश में अभी भी ढोंगी लोग (जो कि डॉक्टर, तांत्रिक, हकीम, वैद या स्वामी के रूप में फैले हुए हैं) इस अज्ञान का फ़ायदा उठा कर मासूम और अबोध लड़के-लड़कियों को गुमराह कर रहे हैं और उन्हें उपचार देने के बहाने उनसे पैसे लूट रहे हैं। अन्तर्वासना की कोशिश है कि यौन-सम्बन्धी विषयों पर हिंदी-प्रार्थी समुदाय को सही व उचित ज्ञान प्राप्त हो जिससे वे इस अत्यंत आवश्यक, अत्यंत निजी और अत्यंत आनन्ददायक प्राकृतिक उपलब्धि का पूरा लाभ उठा सकें। यह लेख इसी अभियान की एक कड़ी है।

हस्तमैथुन Masturbation एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है जिसे यौन सन्तुष्टि के लिए पुरुष और स्त्री दोनों ही करते हैं। इसे केवल युवा ही नहीं बल्कि हर आयु के लोग स्वेच्छा से करते हैं। हस्तमैथुन, यानि हस्त+मैथुन, मतलब हाथ से किया जाने वाला मैथुन (सम्भोग) अर्थात अपने यौनांगों को इस तरह से छूना, रगड़ना, सहलाना या उनमें कोई कृत्रिम चीज़ डालना जिससे करने वाले को चरम आनन्द प्राप्त हो। यहाँ अपने हाथ (हस्त) को पुरुष स्त्री की योनि के एवज में और स्त्रियाँ अपनी ऊँगली पुरुष के लिंग के एवज में प्रयोग करती हैं। इसे तब तक करते हैं जब तक पूरी तरह उत्तेजित ना हो जाएँ और परम आनन्द महसूस ना कर लें।

हालांकि हस्तमैथुन को हमारे समाज में अभी भी हेय दृष्टि से देखा जाता है, किन्तु सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग सभी स्त्री-पुरुष अपने जीवन में कभी न कभी हस्तमैथुन करते ही हैं। कब करते हैं और कितना करते हैं – यह तो बहुत से कारकों और हालातों पर निर्भर करता है इसलिए हस्त-मैथुन की कोई ‘सामान्य-दर’ नहीं है। कुछ लोगों की यौन इच्छा औरों के मुक़ाबले प्रबल होती है, जैसे जवान लड़के-लड़की, तो किन्हीं के हालात ऐसे होते हैं कि वे अपनी यौन-इच्छा की तृप्ति नहीं कर पाते हैं जैसे मोर्चे पर तैनात सैनिक, जेल में बंद कैदी, किसी बीमारी से त्रस्त मरीज़ या फिर किसी भी कारण से बिछड़े हुए दाम्पत्य जोड़े। ऐसे लोग ज्यादा हस्त-मैथुन करते हैं। कुछ लोग में यौन-इच्छा कुदरतन कम होती है या उनको सामान्य सम्भोग के अवसर मिलते रहते हैं… इस तरह के लोग हस्त-मैथुन कम बार करते हैं। मतलब, हस्तमैथुन करने की दर दिन में दो-तीन बार से लेकर महीने में दो-तीन बार हो सकती है।

यह भी देखा गया है कि यौन-इच्छा एक बहुत ही शक्तिशाली और प्रबल ताक़त है जिस पर सामान्य लोगों का जोर नहीं चलता। जब किसी स्त्री-पुरुष में यौन-इच्छा उत्पन्न हो जाती है तो उसकी तृप्ति के लिए वह हर संभव प्रयत्न करने के लिए विवश हो जाते हैं। यह एक प्राकृतिक ज़रूरत है जिसके अभाव में इस सृष्टि की रचना ही डाँवाडोल हो सकती है… अतः यौन-इच्छा का प्रबल होना और इसकी तृप्ति के लिए त्रस्त होना ना केवल मानव-जाति के लिए अपितु अधिकाँश जानवरों के लिए भी अनिवार्य है।

ऐसे में जब भी किसी स्त्री-पुरुष में इस इच्छा की प्रवृत्ति होती है उसका सम्भोग के लिए विवश होना स्वाभाविक है। अगर ऐसे कामोन्मुक्त व्यक्ति को सम्भोग के लिए कोई साथी ना मिले तो उसके पास हस्त-मैथुन ही एक ऐसा सहारा रह जाता है जिससे वह सुरक्षित, कानूनी एवं परिपूर्ण तृप्ति प्राप्त कर सकता है। कोई और सहारा या तो सुरक्षित नहीं होगा, या कानूनी नहीं होगा या फिर परिपूर्ण सुख नहीं देगा।

इस लिहाज़ से जो लोग हस्तमैथुन को बुरा मानते हैं या इसके झूठे दुष्परिणामों की अफवाहें फैलाते हैं, वे एक तरह से वेश्यावृति, बलात्कार और शोषण जैसे यौन-अपराधों को पैदा करने में मदद करते हैं। अगर सभी यौन-उत्तेजित पुरुष अपनी तृप्ति हस्त-मैथुन से कर लें और ऐसा करने में उन्हें कोई व्यक्तिगत हानि का गलत डर ना हो तो समाज में लड़कियों और बहु-बेटियों की सुरक्षा अपने आप सुधर जाए। इसी तरह अगर स्त्रियाँ भी अपनी कामवासना की प्यास हस्त-मैथुन से बुझा लें तो कई सामाजिक और वैवाहिक तनाव से मुक्ति मिल सकती है। अर्थात हस्तमैथुन के फायदे ही फायदे हैं… फिर भी ना जाने क्यों इसके प्रति इतनी गलतफ़हमियाँ और दुष्प्रचार फैला हुआ है।

सेक्स जिन्दगी का एक अलग ही आनंद है - Sex jindagi ka ek alag hi aanand hai

सेक्स जिन्दगी का एक अलग ही आनंद है - Sex jindagi ka ek alag hi aanand hai - गांड कैसे मरवाएं? Gand kaise marwaye? क्या गांड मरवाने में स्वाद आता है? kya gand marwane me swad aata hai?

कई लोग सेक्स को एक काम समझ कर करते है बीवी का पेटिकोट या लड़की की सलवार या जींस को खोला और लंड को चूत मे डाला थोडा अंदर - बाहर किया, पानी निकाला ओर सो गये. जब की मेरी नज़र मे सेक्स भी एक तरह की पूजा है बड़े आराम से करो, सबसे पहले तो लेडी को उसके लिए तैयार करो, उसके होंटो को, गालो को किस करो, पीछे से चिपक के उसे कमर से पकडो, अपने होंठ उसके कंधे पे घूमाओ अपने हाथ उसके चिकने पेट पे नाभि के आस पास घूमाओ.

जब वो गरम होने लगे तो उसके एक एक कपड़े को किस करते हुए खोलो ब्ररा पेंटी को छोड़ के सारे कपड़े उतार दो अब उसका एक एक अंग चुमो चाटो उसे पूरी गरम करो, फिर ब्ररा को खोल कर बूब्स को चूसो उसकी निप्पल को मूह मे लेकर होंटो से दबाओ एक हाथ से बूब्स को प्रेस करो. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर नीचे आ के उसकी नाभि के आस पास उंगली घूमाओ ओर अपने होंटो को नाभि पे रख कर किस करो, अपनी जीभ को नाभि के अंदर डालो ओर चाटो, फिर एक दम नीचे आ जाओ उसके परो पे किस करो उसके परो की एक एक उंगली को चूसो मुह मे लो..

पेरो को चूमते हुए उपर जाओ ओर उसकी पेंटी के आस पास होठ रग़डो जाँघो को चूमो , फिर उसकी पेंटी को उतार के फेक दो अब उसके दोनो पेरो को पूरा फेलाओ ताकि उसकी चूत पूरी सामने आ जाए अब अपने होंटो को उसकी चूत पे धीरे धीरे घुमाओ, अपनी जीब से चाटो ओर अपनी उगली से चूत को फैलाओ और उसमे अपनी जीभ डालकर अंदर बाहर करो, उसे तक चाटते रहो, जब तक लेडी आपको लंड डालने की ना कहे.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर आप अपने लंड को उसकी चूत की दरार पे रग़डो उपर नीचे करो ओर फिर लंड के आगे का मूह चूत मे घुसा दो ओर लेडी के होंटो को अपने होंटो मे दबा के चूस्ते हुए लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करो ओर फिर आधा जाने दो, थोड़ी देर आधे लंड को अंदर - बाहर करो, फिर पूरा लंड अंदर डालते हुए झटके मारो ओर अपनी स्पीड को धीरे धीरे बढाओ..

 25 से 30 मिनट तक जम के चुदाई करते हुए अपना पानी लेडी की चूत मे छोड़ दो और कुछ समय उसके पास ही लेते रहो और उसके अंगो को छेड़ते रहो और उसे भी अपना लंड सहलाने के लिए कहो. कुछ ही समय में आपका लंड फिर से तन जाएगा अब फिर उसकी चुदाई पहले की तरह शुरू कर दो. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

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जानिये - कैसे मनानी चाहिए आपको अपनी पहली सुहागरात kaise manaye aap apni pehali suhagrat

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अकसर लोग ऐसे सोचते है की वो पलंग पर बहुत मजे कर सकते है लेकिन जब बात आती है उनकी खुद की सुहाग रात मनाने  की  उनके पसीने छुट जाते है ....तो दोस्तों आज मै आपको बताऊंगा की मैंने अपनी पहली सुहाग रात कैसे मनाई थी ...यह कहानी भी हमारे बाकी कहानी की तरह ही सौ प्रतिशत सच्ची है। सम्भोग के लिए कई आसन हैं पर पहली बार के लिए एक ऐसा आसन होना चाहिए जो दोनों के लिए सरल हो, जिसमें मर्द का नियंत्रण रहे और जिसमें गहराई तक लिंग प्रवेश मुमकिन हो। इसके लिए लड़की पीठ के बल नीचे लेटी हो और मर्द उसके ऊपर हो (missionary position) उचित है। इसीलिए मैंने अपने पात्रों को इस अवस्था में छोड़ा है।

अब बहुत ही अहम समय आ गया है जब लड़का अपना लिंग लड़की की योनि में डालने की कोशिश करेगा। लड़के को उठ कर लड़की की टांगों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ जाना चाहिए और लड़की के नीचे रखे तकिये के सहारे उसके नितंबों को पर्याप्त ऊँचाई देनी चाहिए। अगर तकिया पतला है तो दो तकिये ले सकते हैं। अब लड़की की टाँगें पूरी तरह खोल कर चौड़ी कर देनी चाहिए और लड़के को घुटनों के बल आगे-पीछे खिसक कर अपने आप को सही जगह ले आना चाहिए जिससे उसका लिंग योनि में आसानी से प्रवेश कर सके। ज़रूरत हो तो लड़की की टाँगें उठा कर मर्द के कन्धों पर भी रखी जा सकती हैं। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। इससे लिंग काफी गहराई तक अंदर जा सकता है। अब अपनी उंगली से मर्द को योनि का मुआयना करते हुए उसके छेद का पता लगा लेना चाहिए। फिर आगे झुक कर अपना सुपाड़ा उंगली की जगह रख कर टिका देना चाहिए। यह सुनिश्चित कर लें कि योनि भीगी हुई है वरना अपने थूक से या तेल से लिंग को गीला कर लें। अब सब तैयार है।

इस समय लड़की का संकुचित होना स्वाभाविक है। वह आकांक्षा और आशंका से जूझ रही होती है। पुरुष को चाहिए कि वह उसे दिलासा दे, उसका साहस बढ़ाये तथा उसे आश्वस्त करे कि वह उससे प्यार करता है और उसे तकलीफ नहीं पहुँचाएगा। इसके लिए कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है .... सिर्फ प्यार से उसके सिर और बदन पर हाथ फेरना काफी होगा।  अब पुरुष के प्रहार करने की घड़ी आ गई है। उसे आगे झुक कर लड़की के कन्धों को विश्वासपूर्वक पकड़ लेना चाहिए जिससे वह ज्यादा हिल-डुल ना सके। फिर अपने सुपारे पर शरीर द्वारा इस तरह दबाव बनाना शुरू जिससे सुपारा योनि में घुसने लगे।

अब लड़की की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। उसके लिए यह एक नया अनुभव है और उसके मन का डर उसे रुकने के लिए उकसाएगा। थोड़ी बहुत आपत्ति को तो नज़रंदाज़ कर सकते हैं पर अगर लड़की को ज्यादा तकलीफ हो रही हो तो पुरुष को रुक जाना चाहिए। कुछ देर अंदर की ओर दबाव बनाये रखने के बाद ढील देनी चाहिए और फिर से उतना ही दबाव बनाना चाहिए। लड़की को धीरे-धीरे सुपारे को योनि-द्वार में महसूस करने और उसके आकार को भांपने का मौक़ा देना चाहिए जिससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को ढाल सके। आखिर वह भी सम्भोग के लिए उतनी ही लालायित है अपितु आशंकित भी है।

दो-तीन बार इस तरह दबाव डालने से योनि-द्वार थोड़ा खुल सा जाएगा और सुपाड़ा उसमें फंसने लगेगा। अब और अधिक प्रवेश तब ही हो पाएगा जब लिंग योनि की कौमार्य-झिल्ली को भेदे। इसके लिए पुरुष को अपना लिंग इतना बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे कि सुपाड़ा योनि-द्वार का रास्ता ना खो जाये। फिर स्त्री के शरीर को कसकर पकड़ कर और उसे बिना किसी चेतावनी दिए एक ज़ोरदार धक्का अंदर की ओर लगाना चाहिए।

इससे लड़की को दर्द तो ज़रूर होगा पर और उसकी झिल्ली का पतन आसानी से हो जायेगा। लिंग को एक झटके में अंदर डालने से दर्द भी क्षणिक ही होगा। झिल्ली-भेदन से कुछ खून भी निकल सकता है जो कि किन्हीं कारणों से मर्दों को बहुत अच्छा लगता है। पर इस रक्त-प्रवाह से घबराने की बात नहीं है। यह झिल्ली के फटने से हुआ प्रवाह है जो थोड़ी देर में अपने आप रुक जायेगा। अगर यह खून ना निकले तो ज़रूरी नहीं कि लड़की कुंवारी नहीं है। लड़कियों की झिल्ली सिर्फ सम्भोग से ही नहीं कई और कारणों से भी फट सकती है जैसे घुड़-सवारी, साइकिल चलाना, योगाभ्यास, जिमनास्टिक्स या कोई दुर्घटना। इसलिए मर्द को लड़की के चरित्र पर सोच-समझ कर शक करना चाहिए।

कौमार्य-झिल्ली योनि-द्वार से करीब एक इंच की गहराई में होती है अतः इसे भेदने के लिए पूरा लिंग अंदर डालने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी एक कुंवारी योनि में एक विकसित लिंग को एक ही झटके में पूरा अंदर डालना नामुमकिन सा है। यह तो तभी संभव है जब कोई खूंखार मर्द किसी अबला लड़की का बेरहमी से बलात्कार करे।
इस अचानक किये प्रहार के बाद पुरुष को लड़की को प्यार से आलिंगन-बद्ध कर लेना चाहिए और उसे देर तक पुचकारना चाहिए। इस पूरे समय उसे अपना लिंग बाहर नहीं निकालना चाहिए जिससे योनि को उसे ग्रहण करने का और अपने आकार को समायोजित करने का समय मिले। जब लगे कि लड़की अब संभल गई है तो लड़के को धीरे-धीरे दो-तीन बार लिंग को अंदर-बाहर करना चाहिए। इस समय लिंग को उतना ही अंदर ले जाएँ जितना पहले झटके में गया था।

जब योनि इस घर्षण को स्वीकार करने लगे तो धीरे-धीरे लिंग को निरंतर बढ़ती हुई गहराई से अंदर डालना शुरू करना चाहिए। यह पुरुष के लिए एक बहुत ही आनन्ददायक अहसास होता है जब उसका सुपारा योनि की अंदर से चिपकी हुई दीवारों को हर प्रहार के साथ थोड़ा-थोड़ा खोलता जाता है, मानो एक नया रास्ता बना रहा हो। मेरा आशय है कि लड़की को भी उसकी इस निरंतर अंदर से खुलती हुई योनि का आभास सुखदायक होता होगा और उसको अब पहली बार चिंता-मुक्त आनन्द की अनुभूति होती होगी। जब ऐसा होगा तो लड़की के माथे से शिकन मिट जायेगी, उसका कसा हुआ शरीर थोड़ा शिथिल हो जायेगा और वह मैथुन से मानसिक विरोध बंद कर देगी।

फिर हौले-हौले उसका साहस बढ़ेगा और हो सकता है वह सम्भोग में सहयोग भी करने लगे। वह कितनी जल्दी सहयोग करने लगती है यह पुरुष के यौन-सामर्थ्य, उसके आचरण और अपने साथी के प्रति उसकी चिंता पर निर्भर है। पुरुष जितना लड़की का ध्यान रखेगा, लड़की उससे भी ज्यादा उसका सहयोग करेगी और उसे खुश रखने का भरपूर प्रयास करेगी। यह बात यौन में ही नहीं, जीवन के हर पहलू में लागू हैं।

अब वह स्थिति आ गई है जब पुरुष चाहे तो अपना पूरा लिंग अंदर-बाहर करना शुरू कर सकता है। और उसे यह करना भी चाहिए क्योंकि तब ही उसे मैथुन का पूरा मज़ा आएगा। अगर लिंग को जड़ तक अंदर बार-बार नहीं पेला तो क्या सम्भोग किया !! जहाँ तक लड़कियों का सवाल है, उनकी योनि कि तंत्रिकाएँ योनि-द्वार से करीब दो इंच अंदर तक ही होती हैं। उसके बाद योनि में कोई अहसास का माध्यम नहीं होता। इसीलिए लड़की को यौन सुख देने के लिए ढाई इंच का लिंग भी काफी है। बड़ा लिंग होना तो मर्दों की सनक है जिसे वे मर्दानगी का द्योतक मान बैठे हैं वरना औरतों को तो मर्दानगी उनके आचरण और व्यवहार में दिखती है .... उनकी शिष्टता, शौर्य और खुद्दारी में दिखती है, ना कि उनके लिंग की लम्बाई में।

अकसर मर्द किसी कुंवारी लड़की को भेदने के बाद ज्यादा देर तक मैथुन नहीं कर पाता क्योंकि उसकी उत्तेजना एक नई योनि के आभास से शीघ्र ही चरम सीमा तक पहुँच जाती है और वह जल्द ही वीर्य-पतन कर देता है। ऐसी हालत में पुरुष को चाहिए कि जितनी देर तक हो सके मैथुन का आनन्द उठाता रहे। जब-जब उसे वीर्योत्पात होने का अहसास हो उसे लिंग अंदर ही रख कर रुक जाना चाहिए और अपने दिमाग को यौन से हट कर किसी और विषय पर ले जाने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ देर में जब उफान बैठने लगे तो धीरे-धीरे फिर से धक्कम-पेल शुरू करनी चाहिए। पर ज्वार-भाटे को देर तक नहीं टाल सकते। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। जब पुरुष को यह स्पष्ट हो जाये कि अब और नहीं रुका जा सकता तो उसे वेग से तीन-चार छोटे धक्के लगा कर लिंग को पूरा बाहर निकाल कर एक आखिरी ज़ोरदार प्रहार लगाना चाहिए जिससे लिंग जड़ तक अंदर ठुंस जाये और उसके वीर्य के फ़व्वारे लड़की के गर्भ की गहराई में जाकर छूटें।

लड़कियों को मर्दों के वीर्य-पतन का अहसास अच्छा लगता है मानो मर्द की सारी शक्ति उनमें आ गई हो। मर्द के शिथिल लिंग से भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।
चरमावस्था में पुरुष को लड़की के साथ लिपट जाना चाहिए और लड़की को भी अपने मर्द को जकड़ लेना चाहिए। जब लिंग के फ़व्वारे बंद हो जाएँ तो लिंग को अंदर ही रखते हुए लड़की के प्रति, उसका सर्वोत्तम उपहार पाने के लिए, आभार प्रकट करना चाहिए। उसे जगह-जगह प्यार करके और कुछ देर अपनी बांहों में जकड़ कर यह किया जा सकता है। अब लिंग बाहर निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि कुछ देर में वह शिथिल होकर खुद ही बाहर आ जायेगा और योनि भी सिकुड़ते वक्त उसे बाहर निकाल देगी।

लड़की का चरमोत्कर्ष सामान्य मैथुन से पुरुष की तृप्ति तो हो जाती है पर अधिकांश महिलाऐं चरमोत्कर्ष को प्राप्त नहीं कर पातीं क्योंकि पुरुष जल्दी ही परमोत्कर्ष तक पहुँच जाता है और शिथिल लिंग से वह स्त्री को उत्कर्ष तक नहीं ले जा पाता। बहुत कम ऐसे पुरुष होते हैं जो मैथुन के द्वारा स्त्री को अपने से पहले पराकाष्ठा तक ले जा पाते हैं। सम्भोग (सम + भोग) का मतलब है समान भोग, यानि स्त्री और पुरुष को बराबर का आनन्द मिलना चाहिए। ऐसे में स्त्री को चरम आनन्द से वंचित रखना सम्भोग नहीं कहा जा सकता। असल पुरुष वही है जो अपनी तृप्ति के साथ-साथ लड़की की कामुक तृप्ति के बारे में भी सोचे। अगर वह उसे लिंग-योनि घर्षण से तृप्त नहीं कर पाया तो और तरीक़ों से कर सकता है।

सबसे आसान तरीका है लिंग की जगह अपनी उंगली से उसकी योनि की चुदाई करे और उसके योनि-मुकुट (भग-शिश्न, clitoris) के इर्द-गिर्द ऊँगली चलाए। ध्यान रहे कि मुकुट पर सीधा दबाव ना डाला जाये क्योंकि वह एक अत्यंत ही मार्मिक अंग होता है। अगर एक उंगली कम पड़े तो दो उंगलियाँ या फिर तीन उंगलियाँ भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।योनि के करीब दो-ढाई इंच अंदर और पेट की तरफ का हिस्सा अत्यधिक संवेदनशील होता है। इसे G-Spot कहते हैं। यह छूने में थोड़ा खुरदुरा होता है। उंगलियों से चोदते वक्त इस इलाके को टटोलने का प्रयास करना चाहिए जिससे लड़की को ना केवल जल्दी उत्कर्ष प्राप्त हो बल्कि उसका उत्कर्ष परम आनन्ददायक और विस्फोटक हो।

जब लड़की यौन पराकाष्ठा को प्राप्त हो जाये तो समझो सम्भोग पूरा हुआ। वह ज़रूर पुरुष की आभारी होगी।
सम्भोग उपरान्त सम्भोग के बाद पुरुष का आचरण बहुत ज़रूरी है। कुछ लोग उठ कर चले जाते हैं या पलट कर सो जाते हैं। यह गलत बात है। सम्भोग हमारे जीवन की सबसे सुखदाई क्रिया होती है। इस क्रिया में साथ देने वाली लड़की को सम्भोग के तुरंत बाद छोड़ देना ठीक नहीं है। पुरुषार्थ इसमें है कि सहवास के बाद कुछ समय लड़की के साथ बिताया जाये। ऐसे मौकों पर ज्यादा बातचीत नहीं हो पाती। इसलिए एक दूसरे को प्यार से सहलाना या लड़की पर एक हाथ और एक टांग रख कर एक-करवट कुछ देर लेटना अच्छा होगा।

जवानी में एक समय में एक सम्भोग से भूख नहीं मिटती। अधिकतर मर्द कम से कम दो बार चुदाई करना चाहते हैं और कुछ तो तीसरी बार का भी मौक़ा ढूंढते हैं। हालाँकि लड़कियों में सहवास की क्षमता मर्दों के बनिस्पत कई गुना होती है, ज़्यादातर लड़कियाँ एक बार के मैथुन से तृप्त हो जाती हैं बशर्ते कि उन्हें भी चरमोत्कर्ष की प्राप्ति हुई हो।

अगर दोनों राज़ी हों और पुरुष में सामर्थ्य हो तो करीब आधे घंटे के बाद दोबारा मैथुन का प्रयास करना चाहिए। इसमें एक ही बाधा आ सकती है। वह है लिंग का खड़ा ना होना। उसे दोबारा खड़ा करने में लड़की बहुत अहम भूमिका निभा सकती है। वह चाहे तो एक औसत पुरुष का लिंग अवश्य खड़ा होगा। यह वह कैसे कर सकती है उसके लिए मेरी “लिंग चूसने की विधि” पढ़िए। दूसरी बार किया हुआ सम्भोग पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा समय के लिए होगा क्योंकि अब पुरुष को उत्कर्ष तक पहुँचने में देर लगेगी। यह पुरुष के लिए अच्छी बात है क्योंकि वह ज्यादा देर तक मज़े लूट सकेगा और उसे अपनी मर्दानगी पर भी गर्व होगा।

लड़कियों के लिए भी कुछ हद तक यह मजेदार बात रहती है क्योंकि उन्हें भी लिंग के घर्षण से उत्कर्ष तक पहुँचने का मौक़ा मिलता है। पर अगर मैथुन बहुत देर तक चले और वीर्योत्पात ना हो यह तकलीफ दायक हो जाता है। मर्द को तो चुदाई में आनन्द आता रहता है पर स्त्री की योनि में तकलीफ हो सकती है। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। पुरुष को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और बीच-बीच में कुछ देर के लिए घर्षण रोक देना चाहिए या फिर आसन बदलते रहना चाहिए।

स्त्री को चाहिए कि अगर वह थक गई है और उसके मर्द की तृप्ति नहीं हुई है तो वह उसे अपने मुँह से तृप्त करने का विकल्प दे। बिरला ही कोई पुरुष इसके लिए मना करेगा। इसी प्रकार अगर पुरुष की तृप्ति हो गई है और स्त्री की नहीं, तो पुरुष भी उसकी योनि को मुँह से तृप्त कर सकता है। स्त्री और पुरुष, दोनों ही मौखिक-मैथुन से जल्दी उत्कर्ष को पा लेते हैं अतः हर स्त्री-पुरुष को ना केवल यह कला आनी चाहिए, उन्हें इसका भरपूर प्रयोग करके एक दूसरे को तृप्त रखना चाहिए।

इस लेख में मैंने एक कुंवारी लड़की के साथ पहले-पहले मैथुन की विधि बताई है। मैथुन एक बहुत ही विषम और निजी विषय है। इसमें बताई हर बात हर किसी के लिए उपयुक्त ना हो क्योंकि हम में काफी समानताओं के साथ-साथ कई भेद भी हैं। फिर भी, एक औसत पुरुष और स्त्री को यह क्रिया कैसे करनी चाहिए और वे क्या-क्या अपेक्षा रख सकते हैं, यह बताने का मेरा प्रयास रहा है। आशा है यह उपयोगी साबित होगा।

क्यों अच्छी है पार्टनर से की जानी वाली गंदी बात Kyo achchhi hai partner se ki gandi baat

क्यों अच्छी है पार्टनर से की जानी वाली गंदी बात Kyo achchhi hai partner se ki gandi baat. पार्टनर से लंड चूत गांड बुर भोशी आदि के बारे में बात करने से होते है ये फायदे, अपने पति या फ्रेंड से adult बात जरुर करें, किसी से गंदी बात कैसे करें.

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपको सेक्स कितना पसंद है और आप और आपके पार्टनर बिस्तर पर कितने हॉट रहते हैं। दरअसल, शुरुआती गर्माहट धीरे-धीरे ठंडी पड़ने लगती है। दिन में दो बार का स्कोर केवल चुंबन आलिंगन तक ही सीमित होने लगता है। यह आमतौर पर हर जोड़े के साथ होता है। समस्या यह होती है कि समय के साथ-साथ सेक्स आरामदेह, सुरक्षित और नीरस हो जाता है। क्या आप जानती हैं कि इसे मसालेदार बनाने में किस बात की सबसे बड़ी भूमिका हो सकती है? बस महज कुछ चुनिंदा शब्दों की। इन चुनिंदा शब्दों का इस्तेमाल करके आप एक बार फिर अपने सेक्स जीवन को बेहतर बना सकती हैं।

गंदी बात करने में कुछ भी खराब नहीं है-

सेक्सोलॉजिस्ट व रिलेशनशिप काउंसलर मानते हैं कि पार्टनर के साथ गंदी बात करने में कुछ भी खराब नहीं है। यह भाषा और कल्पना का आपसी सेक्स संबंधी इच्छाओं को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल करने का तरीका है। बिना किसी बनावट के सहजता से कहें। आपको बता दें कि वर्जित शब्दों का प्रयोग करना केवल अपने पार्टनर के साथ अंतरंगता बढ़ाने का जरिया है। हां, आसान सी बात भी नहीं है। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

बहुत से जोड़े अश्लील वार्तालाप करने की कला में महारत हासिल करने में सप्ताहों या महीनों का भी समय लेते हैं, जब तक उन्हें यह पता नहीं चल जाता कि कौन से शब्द हैं, तो उनके पार्टनर को सेक्शुअल रिश्तों के लिए उत्साहित कर देते हैं। अपने साथी के साथ गंदी बात करना बिल्कुल ऐसा होता है जैसे कि आप उसके साथ बैठकर अच्छा पॉर्न देख रही हों। यह कह रही हैं निशा बोस जो चार बर्षों तक एक लंबे रिश्ते में थी। मैंने कई अध्ययनों को पढ़ा है, जिनमें कहा गया है कि अपने साथी के साथ पॉर्न देखना आप दोनों को करीब लाता है और यह हेल्दी है। यही बात गंदी बात के लिए भी सही हो सकती है।

इन्हें आजमाएं

गंदी बात शुरू करने का सबसे आसान तरीका है सामान्य शुरुआत। मसलन, ओह गॉड, यू फील सो गुड या डू दै अगैन। इससे आपको इस बात की समझ मिलेगी कि आप और आपका साथी किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल सहजता से कर सकते हैं। कौन से शब्द आपको उत्तेजित कर देते हैं और आप कितना आगे जाना चाहते हैं। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

निजी पलों में की गई ऐसी बातें आपके सेक्शुअल अनुभव को और गर्माहट भरा बना सकती हैं, ऐसा कहना है अल्फा त्रिपाठी का, जो दो सालों से विवाहित हैं। पर वह अगाह करती हैं कि आप दोनों को सावधान रहना होगा, ताकि आप कोई ऐसी बात न कह दें, जो आपके साथी को दुखी कर जाए।

शुरुआत के लिए कुछ सुझाव

– आप अपने प्रेमी प्रेमिका के शरीर के बारे में हर जानकारी रखते हैं, तो इसे प्रदर्शित करें। आप जिस चीज को प्यार करते हैं, उसे स्पष्ट कहें और यह भी बताएं कि आप उसका किस तरह आनंद उठाना चाहते हैं।

– पॉर्नस्टार केवल चरम पर जाने की उत्कंठा में नहीं रहते। वे अपनी साथी को बताते हैं कि उन्हें क्या पसंद आ रहा है और कैसा महसूस हो रहा है। आप यह पोस्ट हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

– शब्दों का महत्व नहीं होता, महत्वपूर्ण यह होता है कि आप इन शब्दों का प्रयोग कैसे करते हैं। धीमी आवाज में स्पष्ट कहें और अपने कहे हुए को व्यवहार में अमल में लाएं।

– अगर यह विचार आपको अटपटा लगता है, तो इसे फोन पर व्यक्त करें। टोन सही रखें और अपने शब्दों के प्रभाव को सुनने के लिए कानों को चौकन्ना रखें।
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