तुम्हारा लंड अपनी चूत में अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ - Mujhe jor se chodo, लंड के कारनामे, Apni Chut Ke Liye Mota Lund Pa Liya, चूत ने लंड निचोड़ दिया, मेरे लंड को चुत की कमी नहीं, Hindi Sex Stories, Hindi Porn Stories, मोटा लंड अपनी चूत और गांड की गहराइयो तक.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतु जो पापा के लंड से उतर चुकी थी, आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी। अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी।
मम्मी ने ऋतु के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगें खींच कर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी। ऋतु की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी। थोड़ी ही देर में उन दोनों की चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक दूसरी के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी।
चाची ने हम तीनों बच्चों की तरफ हाथ करके कहा- ये कितने अच्छे बच्चे हैं…
वो हमारी परफ़ोरमेन्स से काफी खुश थी।
मम्मी ने बेड से उठते हुए कहा- ये कुछ ज्यादा ही हो गया।
ऋतु ने उनसे पूछा- क्या आपको ये सब अच्छा नहीं लगा मम्मी?
मम्मी ने धीरे से कहा- हम्म्म्म हाँ अच्छा तो लगा… पर ये सब एकदम से हुआ… मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है.
ऋतु ने उनसे सवाल किया- पर हमें तो बड़ा मजा आया, क्या आपको मेरी चूत को चूसना अच्छा नहीं लगा… मेरी तो इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गयी पापा के लंड से अपनी चूत मरवा कर… कितना मजा आया उनका मोटा लंड लेने में… क्या आपको नहीं आया भैया का लंड अपनी चूत में लेने में… बोलो??
सब की नजरें मम्मी की तरफ उठ गयी।
ऋतु ने पापा से पूछा- और पापा क्या आपको मेरी चूत पसंद नहीं आई??
उन दोनों को चुप देख कर चाची ने कहा- अरे… अब आप दोनों ऐसे क्यों शर्मा रहे हैं… आप दोनों को अपने बच्चों के साथ सेक्स करने में मजा आया है तो इस बात को कबूल करने में इतना झिझक क्यों रहे हो?? हमने भी तो अपनी बेटी नेहा को इस खेल में शामिल किया है और उसकी चूत चूसने में मुझे तो बड़ा मजा आता है, उसके पापा भी कल से अपनी बेटी की कसी हुई चूत की बार बार तारीफ़ कर रहे हैं.
मम्मी ने कहा- चलो ठीक है… अब हमें अपने कमरे में चलना चाहिए।
चाची ने कहा- अरे भाभी… मूड मत खराब करो… अभी तो मजा आना शुरू हुआ है… अभी तो पूरी रात पड़ी है।
मैंने मन ही मन सोचा- साली, इस चाची के बदन में आग लगी है, पूरी रात चुदवाने की तैयारी से आई थी हरामजादी।
मम्मी ने कहा- नहीं… अब और नहीं… चलो तुम दोनों अब चुपचाप सो जाओ… और आरती अजय… प्लीज… आप भी चलो यहाँ से!
हम सबने उनकी बात को मानना उचित समझा और अपने बेड पर जाकर रजाई के अन्दर घुस गए।
चाची- चलो ठीक है… तुम कहती हो तो चलते हैं। चलो अजय… अपने रूम में जाकर हम दोनों ही आपस में चुदाई करते हैं.
और चाची हमारे पास आकर हमें गुड नाईट बोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मसल दिया और बोली- काफी मजा आया… कल मिलते हैं।
सब के जाने के बाद हम तीनों अपने बेड पर नंगे रजाई में बैठे हंस रहे थे।
ऋतु- मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमने अपने मम्मी पापा के साथ भी चुदाई की. और इतना सब होने के बाद भी उन लोगों ने हमें फिर से इस कमरे में छोड़ दिया… हा हा हा!
नेहा ने अपनी चूत को मेरी टांगों पर दबाते हुए कहा- और मैं सच कहूं तो तुम्हारे मम्मी पापा को भी काफी मजा आया होगा। वो अभी खुल कर नहीं बता रहे हैं पर तुम दोनों से सेक्स करके वो भी कम खुश नहीं थे।
ऋतु ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर कहा- तो तुम्हारा ये लंड अभी भी कुछ कर दिखाने के मूड में है क्या?
मैंने उन्हें उकसाया- मेरे लंड के कारनामे देखना चाहते हो तो उसे तैयार करो और फिर मैं तुम दोनों को दिखाता हूँ की चुदाई क्या होती है।
ऋतु ने अपनी आँखें मटकाते हुए नेहा की तरफ देखा- ओह… माय माय… लगता है किसी को अपने लंड पर कुछ ज्यादा ही गुरुर हो गया है…
और फिर वो दोनों एक साथ बोली- लगता है गुरुर तोड़ना पड़ेगा… हा हा हा…
उसके बाद जो चुदाई का खेल शुरू हुआ तो उनकी चूत के परखचे ही उड़ गए। उस रात मैंने ऋतु और नेहा की कितनी बार चुदाई की… मुझे खुद ही नहीं मालूम और वो दोनों बेचारी अपनी सूजी हुई चूत लेकर नंगी ही मुझ से लिपट कर सो गयी।
उधर अपने कमरे में पहुंचकर चाची ने शीशे वाली जगह पर ही खड़े होकर दूसरे कमरे में अपनी बेटी और अपनी भतीजी को मुझसे चुदते हुए देखकर चाचू से लगभग तीन या चार बार अपनी चूत मरवाई।
अगली सुबह मैंने अपने लंड के चारो तरफ गीलेपन का एहसास पाया, कोई मेरा लंड चूस रहा था। मैंने अपने दोनों तरफ देखा ऋतु और नेहा दोनों अपने मोटे मोटे चुचे मुझ में घुसेड़े आराम से सो रही थी।
मैंने नीचे देखा तो पाया कि आरती चाची मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही है। मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वो मुस्कुरा दी और मुझे गुड मोर्निंग बोलकर फिर से मेरा लंड चाटने लगी।
मेरे शरीर की हलचल पाकर ऋतु भी जाग गयी और जब उसने देखा कि चाची मेरे लंड से ब्रुश कर रही है तो उसकी चूत भी सुबह की खुमारी में रस से सराबोर हो गयी। उसने थोड़ी जगह बना कर चाची को बेड पर आने को कहा।
चाची ऊपर आई और अपनी टांगें ऋतु के चेहरे के ऊपर करके वापिस मेरा लंड चाटने लगी।
नेहा भी अब जाग चुकी थी, अपनी माँ को सुबह सुबह नंगी लंड चूसते देख कर उसके बदन में भी आग लग गयी और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैंने अपने हाथ नेहा के उभारों पर रख दिए और उन्हें दबा दबाकर उन्हें और बड़ा करने लगा।
नेहा के चुचों के बारे में एक बात कहना चाहता हूँ, वो बड़े ही मुलायम है पर उसके एरोला और निप्पल उतने ही कठोर, वो किसी कील की तरह मेरे हाथों में चुभ रहे थे। मैंने उन्हें और जोर से दबाना शुरू कर दिया और उतनी ही बेदर्दी से उसके नाजुक होंठों को भी चूसना जारी रखा।
तभी दरवाजा खुला और हमारे पापा अन्दर आ गए। उन्होंने जब देखा कि अन्दर सुबह की चुदाई की तैयारी चल रही है तो वो चुपचाप अन्दर आये और अपने कपड़े उतार कर वो भी ऊपर चढ़ गए। चाची की चूत तो वो कई बार मार चुके थे और कल रात उन्होंने ऋतु की भी जम कर चुदाई करी थी।
इसलिए आज उनकी नजर नेहा के कमसिन जिस्म पर थी। नेहा जो मेरे मुंह में घुसी हुई कुछ ढूँढ रही थी, उसकी टांगें चौड़ी करके पापा ने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगे।
नेहा ने जब अपनी चूत पर अपने ताऊ जी की गर्म जीभ को पाया तो उसकी रस बरसाती चूत से एक कंपकपी सी छूट गयी- आआ आआआ आअह्ह्ह्ह… म्म्मम्म म्म… हाआआ अन्न्न… ऐसे ही… जोर से…
और वो पापा को और जोर से अपनी चूत को चूसने के लिए प्रोत्साहित करने लगी।
जवान लड़की की चूत पाकर पापा भी दुगने जोश से अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए नेहा की चूत की तलाशी लेने लगे।
वहां अजय चाचू की जब नींद खुली तो चाची को बगल में ना पाकर उन्होंने भाग कर शीशे वाली जगह देखा और वहां का नजारा देखकर वो नंगे ही हमारे कमरे में दौड़ कर चले आये। उनकी पत्नी मेरा लंड चूस रही थी और उनके बड़े भाई उनकी बेटी की चूत चाट रहे थे और उनकी पत्नी की चूत को उनकी भतीजी साफ़ कर रही थी।
कमरे में अब सिर्फ ऋतु की चूत ही बची थी जो खाली थी। चाचू झट से उसकी तरफ चल पड़े और वहां पहुंच कर अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके ऋतु की चूत और गांड बारी बारी से चाटने लगे, पूरे कमरे में सिसकारियां गूंज रही थी।
पापा का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, वो नेहा को बेड पर लिटा कर खुद जमीन पर उठ खड़े हुए और नेहा की एक टांग को हवा में उठा कर अपना लंड उसकी छोटी सी चूत पर टिका दिया। उनका टोपा काफी बड़ा था, नेहा की छोटी सी चूत के सिरे पर वो फंस सा रहा था।
पापा ने थोड़ा जोर लगाया तो नेहा दर्द से बिलबिला उठी- आआ आआआ आआआह्ह्ह्ह… धीरे डालो… बड़े पापा… धीरे…
लंड का टोपा अन्दर जाते ही बाकी का काम उसकी चूत की चिकनाई ने कर दिया। पापा का लौड़ा उस पतली सुरंग में फिसलता चला गया.
“अयीईईई ईईईई ईईई… मर… गयी.. अह..अह.. अह..अह.. अह.. अह…”
और पापा ने तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए।
नेहा की छाती मेरे सीने पर रखी हुई थी, नेहा के मोटे चूचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और उसके खुले मुंह से निकलती लार मेरी छाती पर टपक रही थी।
चाची भी उठ खड़ी हुई और मेरे दोनों तरफ टांगें करके अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और मेरी टाँगों पर बैठ गयी। अब उनके मोटे तरबूज भी मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे। मैंने हाथ बढ़ा कर उन्हें भी सहलाना शुरू कर दिया। चाची थोड़ा और आगे हुई और मेरे सीने पर लेटी हुई अपनी बेटी नेहा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी।
ऋतु जो अब तक अपनी चूत चटवा कर काफी गर्म हो चुकी थी।, उसने चाचू के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपनी चूत छुड़वाई और उनके लम्बे लंड को एक किस करके उनके ऊपर चढ़ बैठी। बाकी काम चाचू ने कर दिया अपना खड़ा हुआ लंड उसकी रस टपकाती चूत में डाल कर।
अब हमारे कमरे में तीन चुदाई चल रही थी और सभी बड़े जोरो से आवाजें निकाल निकाल कर चुदाई कर रहे थे।
ऋतु चिल्लाई- आआआ आआआह्ह्ह… चाअचूऊऊऊऊऊ… चोदो मुझे… और जोर से… अह…
नेहा भी बोली- बड़े पापा… डालो अन्दर तक अपना मोटा लंड… आआआआह्ह… और तेज… चोदो… अपनी नेहा को बड़े पापा।
चाची भी कहाँ पीछे रहने वाली थी- आआआआअह्ह… रोहण… डाल बेटा… अपनी चाची की चूत कैसी लगी… बता ना?
मैंने चाची की आँखों में देखा और कहा- भेनचोद… कुतिया… कितने लोगों से मरवा चुकी है… तेरी माँ की चूत… साली… कमीनी.. बता मुझे?
चाची ने उखड़ती साँसों से कहा- बड़े लंड लिए है अपनी चूत में… पर अपनों का लेने में जो मजा है वो कहीं नहीं है… चोदो मुझे… दुनिया की हर चाची को तेरे जैसा भतीजा मिले जिसका इतना मोटा लंड हो तो मजा ही आ जाए… बिना पूछे डाल दिया कर अपना लंड मेरी चूत में कभी भी… कहीं भी… आआआ आआआह्ह्ह्ह…
लगता है चाची मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस हो गयी थी।
मैंने उनके होर्न अपने हाथों में पकड़े और अपने इंजिन की स्पीड बढ़ा दी।
तभी दरवाजा दुबारा खुला और मम्मी वहां खड़ी थी, मम्मी ने अन्दर आकर पूछा- तुम लोगों को कोई शर्म है या नहीं?
मैंने उनसे कहा- हाय मॉम… गुड मोर्निंग!
मम्मी ने पापा की तरफ देखा और कहा- आप तो कम से कम इन्हें रोकते, पर आप तो खुद ही यहाँ लगे हैं अपनी भतीजी की चूत मारने में!
पापा ने जवाब दिया- पूर्णिमा, अब ये लोग हमारे कहने से रुकने वाले तो हैं नहीं और कल जब सब कुछ हो ही चुका है तो आज इन्कार करने से क्या फायदा… आओ तुम भी आ जाओ ऊपर और खा जाओ घर के लौड़े!
मैंने अपनी जीभ अपने होंठों पर फिराते हुए कहा- हाँ मम्मी, आप यहाँ आओ, मेरे मुंह के ऊपर मैं आपकी चूत चूसना चाहता हूँ… बड़ी प्यास लगी है मुझे…
चाचू ने भी जोर दिया- हाँ भाभी… आ जाओ ऊपर!
मम्मी ने सभी की बात सुनी और अपना सर हिलाते हुए उन्होंने अपनी हार मान ली और उन्होंने अपना गाउन वहीं जमीन पर गिरा दिया और नंगी ऊपर बेड पर चढ़ गयी और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई।
मेरी लम्बी जीभ उनकी चूत का इन्तजार कर रही थी।
जैसे जैसे मम्मी नीचे हुई, मेरी पैनी जीभ उनकी चूत में उतरती चली गयी.
“आआ आआआ आअह्ह्ह्ह…” मम्मी ने एक लम्बी सिसकारी मारी और मैंने अपनी जीभ से उनकी क्लिट को दबाना और चुबलाना शुरू कर दिया।
मम्मी का मुंह मेरे लंड की तरफ था जहाँ चाची मेरे लंड की सवारी करने में लगी हुई थी। चाची ने आगे बढ़ कर मम्मी के मोटे चूचों को पकड़ा और उन्हें फ्रेंच किस करने लगी। मम्मी अपनी चूत मेरे मुंह पर बड़ी तेजी से रगड़ रही थी।
मैं जिस तरह से मम्मी की चूत चाट और चबा रहा था, उन्हें काफी मजा आ रहा था। आज अपने बीच तीनों बच्चो को शामिल करके सेक्स करने का मजा लेने में लगे थे सभी बड़े लोग।
मम्मी ने अपनी दायीं तरफ देखा जहाँ उनके पति अपनी भतीजी की चूत का तिया पांचा करने में लगे थे और बायीं तरफ उनकी लाड़ली बेटी अपने चाचू के लंड को आँखें बंद किये मजे से उछल उछल कर ले रही थी और उनके नीचे लेटा उनका बेटा उनकी चूत चाटने के साथ साथ अपनी चाची को भी चोद रहा था.
इतनी कामुकता फैली है इस छोटे से कमरे में।
तभी चाची ने एक तेज आवाज करते हुए झड़ना शुरू कर दिया और वो निढाल होकर नीचे लुढ़क गयी। मेरा लंड उनकी गीली चूत से निकल कर तन कर खड़ा हुआ था। मम्मी ने जब अपने सामने अपने बेटे का चमकता हुआ लंड देखा तो उनके मुंह में पानी आ गया।
मम्मी ने नीचे झुक कर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूस चूस कर साफ़ करने लगी। मैंने पलट कर मम्मी को नीचे किया और घूम कर उनकी चूत की तरफ आया और अपना साफ़ सुथरा लंड उनकी फूली हुई चूत पर टिका दिया। मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा- आई लव यू मॉम!
और अपना लंड उनकी लार टपकाती चूत में उतार दिया।
मम्मी ने लम्बी सिसकारी भरी- आआ आआआ आह्ह्ह्ह… म्म्म्म म्म…
मम्मी ने मेरा लंड पूरा निगल लिया और मेरी कमर पर अपनी टांगों का कसाव बना कर मुझे बाँध लिया और बोली- बस थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहो… मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ।
मैं मम्मी की छाती पर लेटा रहा और उनके अधखुले होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। धीरे धीरे उन्होंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए। मैंने उनकी टांगों का जाल खोला और उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उनकी टांगों को और भी चौड़ा कर दिया और लगा धक्के पे धक्के मारने अपनी माँ की चूत में।
मम्मी के मुंह से बरबस ही बोल फूट पड़े- आआआ आअह्ह्ह… चोद मुझे बेटा… चोद डाल… और अन्दर डाल अपना लंड… मादरचोद… चोद मुझे… बहन चोद… चोद मुझे… आआआ आआह्ह्ह… डाल अपना मोटा लंड अपनी माँ की चूत में… आआह… ह्ह्ह्हहाहा… आहा… ह्ह्ह.. हा.. अह्ह्ह्ह ह्ह…
मैंने भी मम्मी की चूत मारते हुए कहा- ले साली रंडी… बड़ी सती सावित्री बनती है… अपने देवर से चुदवाती है और मुझसे शर्मा रही थी… और अब लंड डाला है तो दुगने मजे ले रही है… कुतिया कहीं की… साली रंडी…
मम्मी ने अपनी गांड उठा कर चुदते हुए कहा- हाँ मैं रंडी हूँ… तेरी रंडी हूँ मैं आज से… चोद मुझे… घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे… अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी माँ को… शाबाश बेटा चोद मुझे!
मम्मी पहले जितना शरमा रही थी उतनी ही खुल गयी थी अब।
पापा ने अपनी भतीजी की कसी चूत जैसी चूत आज तक नहीं मारी थी। नेहा के कसाव के आगे उनके लंड के पसीने छुट गए और उन्होंने अपनी बाल्टी नेहा की चूत में खाली कर दी पर नेहा अभी भी नहीं झड़ी थी।
चाचू के लंड को ऋतु अजीब तरीके से दबा रही थी अपनी चूत से। उन्होंने भी अपनी जवान भतीजी के आगे घुटने टेक दिए और झड़ने लगे उसकी चूत के अन्दर।
ऋतु भी बिना झड़े रह गयी, उसने नेहा को इशारा किया और उसे अपने पास बुला कर उसकी टांगों के बीच अपनी टांगें फंसा कर अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ने लगी।
दोनों की चूत जल रही थी और जल्दी ही उन्होंने एक दूसरे की चूत को अपने रस से नहलाना शुरू कर दिया- आआआ आआह्ह्ह… येस्स स्सस्स… बेबी… ओह… फक्क… आआआह्ह्ह!
इधर मम्मी भी मेरे लंड की सवारी को ज्यादा नहीं कर पायी और उन्होंने एक दो झटके मारे और झड़ने लगी- आआस्स आआअह्ह्ह्ह… मैं तो गयी… आआअह्ह्ह… मजा आआअ… गयाआआ… आआआ आआ आआअह्ह्ह्ह!
मैंने मम्मी की चूत की गर्मी महसूस करी और मैंने भी अपना रस अपनी जननी की चूत में उतार दिया।
चारों तरफ वीर्य और चूत के रस की गंध फैली हुई थी. सबने एक दूसरे को चूमना और सहलाना शुरु किया और बारी बारी से सब की चूत और लंड साफ़ किये और फिर सभी उठ खड़े हुए और फिर सब लोग तैयार होकर नाश्ता करने चले गए।
सुबह नाश्ता करने के बाद हम सब लोग घूमने निकल गए। आज हम पूरे परिवार के साथ घूमने निकले थे तो बड़े लोगो के साथ खुले में चुदाई नहीं कर सकते थे। कुछ देर बाद हम वापस अपने केबिन में आ गए। चाचा चाची, नेहा के साथ अपने रूम में चले गए और मैं, ऋतु और मम्मी पापा के साथ उनके रूम में चले गए।
आते ही ऋतु हरकत में आई और उसने पापा का लंड पकड़ा और उन्हें लंड से घसीटते हुए बेड पर जाकर लेट गयी और उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया। पापा का खड़ा हुआ लंड सीधा ऋतु की फड़कती हुई चूत में घुस गया और ऋतु ने अपनी टांगें पापा की कमर में लपेट कर उसे पूरा अन्दर ले लिया और सिसकारने लगी- आआ आआह आअह्ह… पाआअपाआअ… म्मम्मम्मम!
मम्मी ने भी मुझे बेड पर धक्का दिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका कर नीचे बैठ गयी और मेरा पूरा लंड हड़प कर गयी अपनी चूत में!
“उयीईईई ईईईईई… अह्ह्ह- उनके मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकली।
पापा ने भी चोदते हुए अपने होंठों को ऋतु के होंठों पर रख दिया। पापा के गीले होंठों के स्पर्श से ऋतु का शरीर सिहर रहा था। उसके लरजते हुए होंठों से अजीब अजीब सी आवाजें आ रही थी। अपनी पतली उंगलियाँ वो पापा के घने बालों में घुमा कर उन्हें और उत्तेजित कर रही थी। पापा के होंठ जब उसके खड़े हुए उरोजों तक पहुंचे तो उसकी सिहरन और भी बढ़ गयी, उसके मुंह से अपने आप एक मादक चीख निकल गयी- अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह… पाआआ..पाआ… म्म्म्मम्म…
ऋतु ने अपनी आँखें खोलकर देखा तो पापा अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसके निप्पल के चारों तरफ घुमा रहे थे, उसके कठोर निप्पल और एरोला पर उभरे हुए छोटे छोटे दाने पापा की कठोर जीभ से टकरा कर उसे और भी उत्तेजित कर रहे थे।
ऋतु चाहती थी कि पापा उन्हें और जोर से काटें, बुरी तरह से दबायें। वो अपने साथ उनसे वहशी जैसा बर्ताव करवाना चाहती थी पर पापा तो उसे बड़े प्यार से सहला और चूस रहे थे।
तभी पापा ने उसे जोर से चोदने लगे।
ऋतु चीखी- आआआआह… पपाआआअ… जोर से… चूसो… नाआआआअ.. अपनी बेटी को… हां.. ऐसे… हीईईई… आआआआआह्ह… काटो मेरे निप्पल को दांतों से… आआ आआअह्ह्ह्ह… दबाओ इन्हें अपने हाथों सेईईईईई… आआआआह्ह्ह्ह… चबा डालो… इन्हें ईईए… मत तड़पाओ… ना पपाआआआ… प्लीज…
ऋतु की बातें सुन कर पापा समझ गये कि वो जंगली प्यार चाहती है इसलिए उन्होंने अपनी फूल सी बेटी के जिस्म को जोर से मसलना और दबाना, चूसना और काटना शुरू कर दिया।
मेरा लंड भी अपनी मम्मी की चूत के अन्दर काफी तेजी से आ जा रहा था। आज वो काफी खुल कर चुदाई करवा रही थी, उनके मोटे मोटे चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे। मैं उनके मोटे कूल्हों को पकड़ा हुआ था और अपनी एड़ियों के बल उठ कर, नीचे लेटा उनकी चुदाई कर रहा था।
मम्मी के मुंह में सिसकारियों की झड़ी लगी हुई थी- उफ्फ्फ… ओफ्फ्फ.. ओफ्फ्फ्फ़.. अआः अह अह अह अह अह अहोफ्फ्फ़… ओफ्फ्फ्फ़… ओफ्फ्फ्फ़… फक्क.. मीई… अह्ह्ह्ह्ह… हाआआआन…
और अंत में उन्होंने अपनी गर्म चूत में से मलाईदार रस छोड़ना शुरू कर दिया- आआ आआअह्ह्ह्ह… मैं… गयीईइ… ओह्ह्ह्… गॉड…
मैंने मम्मी को नीचे लिटाया और अपना लंड निकाल कर उनकी दोनों टांगें उठा कर अपने लंड को उनकी गांड में लगा दिया। उनकी आँखें विस्मय से फ़ैल गयी। मैंने जब से अपनी माँ को चुदते हुए देखा था, मैं तभी से उनकी मोटी और फूली हुई गांड मारना चाहता था। आज मौका लगते ही मैंने अपना लंड टिकाया उनकी गांड पर और एक तेज धक्का मारा।
वो चिल्ला पड़ी- आआआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ आआआह्ह्ह्ह…
मॉम की गांड का कसाव सही में लाजवाब था।
मैंने तेजी से झटके देने शुरू किये। गांड के कसाव के कारण और उनके गद्देदार चूतड़ों के थपेड़ों के कारण मुझे काफी मजा आ रहा था। मेरे नीचे लेटी माँ की चूचियां हर झटके से हिल रही थी। मम्मी ने अपनी चूचों को पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और मेरी आँखों में देखकर सिसकारियां सी भरने लगी- आआ आआआ आअह्ह्ह… म्मम्मम्म… ओफ्फ्फ… ओफ्फ्फ… अह्ह्ह्ह… शाबाश बेटा… और तेज करो… हाँ ऐसे ही… आआ आह्ह्ह्ह…
मम्मी अब दोबारा उत्तेजित हो रही थी, मेरे हर झटके से वो अपनी गांड हवा में उठा कर अपनी तरफ से भी ठोकर मारती थी.
और जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने एक तेज आवाज निकालते हुए उनकी कसी हुई मोटी गांड में झड़ना शुरू कर दिया- आआआआह्ह… मॉम्म्म… मैं… आआया… आआआआ … आअह्ह्ह…
मम्मी ने मेरे सर के ऊपर हाथ रखा और बोली- आजा… आआआ… मेरे…लाल्ल… आआआअह्ह्ह
और वो भी झड़ने लगी।
अपने जवान बेटे की चुदाई देखकर उनकी आँखों से ख़ुशी के मारे आंसू आने लगे और वो मुझे गले लगाये मेरे लंड को अपनी गांड में लिए लेटी रही।
पापा भी आज काफी खूंखार दिख रहे थे, उन्होंने ऋतु की चूत का भोसड़ा बना दिया अपने लम्बे लंड के तेज धक्कों से।
ऋतु तो जैसे भूल ही गयी थी कि वो कहाँ है। अपने पापा के मोटे लंड को अन्दर लिए वो तेजी से चिल्ला रही थी- आआआआआह्ह्ह… पपाआआआ और तेज मार साले… बेटी चोद… मार अपनी बेटी की चूत… आआआह… माआअर… कुत्ते… ओफ्फफ्फ्फ़… अयीईईईई…
वो बड़बड़ा भी रही थी और सिसकारियां भी मार रही थी। जल्दी ही दोनों अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गए और ऋतु ने अपनी टांगें पापा की कमर के चारों तरफ लपेट ली और अपने दोनों कबूतर उनकी घने बालों वाली छातियों में दबा कर और उनके होंठों को अपने होंठों में फंसा कर वो झड़ने लगी।
अपने लंड पर बेटी के गर्म रसाव को महसूस करते ही पापाके लंड ने भी अपने बीज अपनी बेटी के खेत में बो दिए और वो भी झड़ते हुए ऋतु के नर्म और मुलायम होंठों को काटने लगे… और उसके ऊपर ही ढेर हो गए।
थोड़ी देर बाद हम सभी चाचू कमरे में पहुंचे और दरवाजा खोलते ही हम हैरान रह गए। अन्दर अजय चाचू और आरती चाची, नेहा के साथ थ्रीसम कर रहे थे।
अजय चाचू किसी पागल कुत्ते की तरह नंगी लेटी आरती चाची की चूत में अपना मूसल जैसा लंड पेल रहे थे और वो चुदक्कड़ आरती चाची तो लंड को देख कर बिफर सी गयी और चाचू के मोटे लंड पर चढ़ कर अपनी बुर को बुरी तरह से रगड़ रही थी।
नेहा भी अपनी माँ की कमर पर गांड रखकर लेटी हुई थी और अपनी माँ के होंठों और उनके चूचों को चूस रही थी। चाचू भी पीछे से नेहा की चूत और गांड चाट रहे थे।
हम सभी को देखते ही अजय चाचू और आरती चाची मुस्कुरा दिए। मैंने देखा कि चाची ने हम सभी की आवाजें सुनते ही अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखकर एक आँख मार दी। उसे चाचू के लंड को अपनी चूत में डलवाने में बड़ा ही मजा आ रहा था। उसके मोटे चुचे हर झटके के साथ आगे पीछे हो रहे थे और उसकी टांगें हवा में थी।
आरती चाची हमारी तरफ मुढ़ी और मम्मी को देखकर बोली- आओ भाभी… यहाँ आ जाओ… बड़ा ही मजा आ रहा है… आआ आ आआ आआअह्ह्ह्ह…
हम सभी अभी अभी चुदाई करके आये थे इसलिए थोड़ा थक गए थे। हमने ये बात चाचू को बताई और कहा- आप लोग मजे लो, हम थोड़ी देर बैठ कर आप लोगो की चुदाई देखेंगे और फिर शामिल भी हो जायेंगे।
और वो तीनों फिर से अपनी चुदाई में लग गए।
मम्मी, ऋतु और मैं बड़े ही गौर से चाचा को आरती चाची की चुदाई करते हुए देख रहे थे और पापा भी उन्हें देख कर फिर से ताव में आने लगे थे। चाची के दिलकश चुचे उनकी आँखों में एक अलग ही चमक पैदा कर रहे थे।
चाची तो पहले से ही पापा के लंड की दीवानी थी पर आज उसकी चूत में पापा का लंड भी नहीं गया था। इसलिए वो आगे गए और चाची के पास जा कर खड़े हो गए।
आरती चाची ने जब देखा कि उनके जेठ बड़े चाव से उसे चुदते हुए देख रहे है तो उसने पापा पुचकार कर अपने पास बुला लिया और नेहा को उठा कर, पापा को अपने झूलते हुए चुचे पर झुका कर उसके मुंह में अपना निप्पल डाल दिया।
पापा ने अपने दांतों से चाची के दाने को चूसना शुरू कर दिया… नीचे से चाचा का लंड और ऊपर से अपने दाने पर जेठ के होंठों का दबाव पाकर आरती चाची लंड पर नाचने सी लगी। पापा तो जैसे चाची के हुस्न को देखकर सब कुछ भूल से गए थे। वो अपने छोटे भाई को उसकी पत्नी की चूत मारते देखकर फिर से उत्तेजित हो गए और अपना लटकता हुआ लंड मसलते हुए उनके पास जाकर खड़े हो गए।
चाची ने जब देखा कि मेरे पापा उसके पास खड़े हैं तो उसने मेरी तरफ देखा, मैंने सर हिला कर उसे इशारा किया और वो समझ गयी। उसने मुस्कुराते हुए हाथ बड़ा कर पापा का लंड पकड़ लिया। फिर चाची ने लंड को दबाना और मसलना शुरू कर दिया। जल्दी ही उनका विशाल नाग अपने पूरे शवाब पर आ गया।
चाचू ने जब देखा कि पापा पूरी तरह तैयार हैं तो उन्होंने चाची की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया और पापा से बोले- भैय्या आप आ जाओ… आप मारो इस गर्म कुतिया की चूत!
पापा ने कहा- अरे नहीं अजय… ऐसे कैसे… तुम एक काम करो… तुम नीचे लेट कर इसकी चूत मारो और मैं पीछे से इसकी गांड मारूँगा।
चाची भी खुशी खुशी यह मान गयी। पापा का लण्ड बिल्कुल सूखा था तो उन्होंने चाची से कहा- तुम अजय पर उलटी होकर लेट जाओ, वो नीचे से अपना लंड तुम्हारी चूत में डालेगा और फिर थोड़ी देर बाद वो निकाल लेगा और मैं पीछे से तुम्हारी चूत में डाल दूंगा जिससे मेरा लौड़ा चिकना हो जाए।
चाची ने उनकी बात समझते हुए हाँ बोल दिया।
उनकी बातें सुनकर और चुदाई देखकर मेरे लंड ने भी हरकत करनी शुरू कर दी थी। नेहा भी उठकर हमारे पास आ गयी थी। ऋतु भी अपने होंठों पर जीभ फिरा कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रगड़ रही थी।
अजय चाचू नीचे लेट गए और उन्होंने चाची को अपने ऊपर खींच लिया और अपना लंड वापिस उसकी चूत में डाल दिया। नीचे से लंड डालने के एंगल से लंड पूरी तरह उसकी चूत में जा रहा था।
आठ दस धक्के मारने के बाद चाचू ने अपना लंड निकाल लिया और पीछे खड़े पापा ने अपना मोटा लंड टिका दिया उसकी फुद्दी पर और एक करार झटका मारा।
चाची- अयीईईई ईईई… मररर… गयीईईई… अह्ह्ह्हह्ह!
करते हुए लुढ़क कर चाचू के ऊपर गिर गयी।
पापा का मोटा लंड चाची की चूत के अन्दर घुस गया था। उसके गुदाज चुचे चाचू के मुंह के ऊपर थे, उनके तो मजे हो गए, उन्होंने उन चुचों को चुसना शुरू कर दिया। पीछे से रेलगाड़ी फिर चल पड़ी और पापा चाची के मोटे चूतड़ों को थामे जोर जोर से धक्के मारने लगे।
चाची की सिसकारियां गूंजने लगी मजे के मारे ‘हम्म्म्म… अ हा हा अ अह अह.. आ… ऊओफ उफ ओफ्फोफ़… ऑफ़… ऑफ़ ऑफ़.. उफ.. ऑफ… ऑफ.. फ़… आह… आह्ह… म्मम्मम जोर से करो ना… भाई साब… प्लीज… और तेज मारो…
तभी पापा ने अपना लंड निकाल दिया चाची की चूत से क्योंकि अब चाचू की बारी जो थी। वो परेशान सी हो गई लेकिन अगले ही पल चाचू ने नीचे से फिर से अपना लंड डाल दिया और वो फिर से खो गयी चुदाई की खाई में।
पापा ने भी अपना गीला लंड चाची की गांड के छेद पर रख दिया। वो समझ गयी और अपने दोनों हाथों से अपनी गांड के छेद को फैलाने लगी।
पापा के एक झटके ने उन्हें चाचू के ऊपर फिर से गिरा दिया और इस बार पापा का लंड उसकी गांड को चीरता हुआ अन्दर जा धंसा.
वो चीखी- आआआआअह्ह्ह्ह… मररर… गयीईईई… अह्ह्हह्ह्ह…
पापा ने अगले दो चार और तेज झटकों ने अपना पूरा आठ इंच लंड चाची की गांड में घुसा दिया था। नीचे से चाचू ने फिर से चाची के दूध पीना शुरू कर दिया। वो हिल भी नहीं पा रही थी। अब दोनों भाई चाची की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे… बड़ा ही कामुक दृश्य था।
ऋतु भी अपने पापा और चाचू की कलाकारी देखकर मंत्र मुग्ध सी उन्हें देख रही थी। उसने अपने पूरे कपड़े उतार फैंके और मेरे से लिपट गयी। मेरे कपड़े भी कुछ ही देर में नीचे जमीन पर पड़े हुए थे।
दो लंड से चुद रही आरती चाची अचानक जोर जोर से चिल्लाने लगी- आआआ आआआह्ह… अह.. अह.. अह.. अ हा.. आह.. आह. आह.. आह… उफ.. उफ..उफ.. आआ आआ आअह्ह और तेज मारो… आआआ आअह्ह मजा आ गया!
और चाची ने अपना रस छोड़ दिया चाचा के लंड के ऊपर।
पर अभी भी उनके दोनों छेदों की बराबरी से चुदाई चल रही थी।
तभी ऋतु ने मुझे धक्का देकर नीचे गिराया और मेरे लंड को अपनी गीली चूत पर टिका कर उसके ऊपर बैठ गयी और धक्के मारने लगी। मैंने अपने हाथ अपने सर के नीचे रख लिए और लंड को अपनी बहन की चूत में डाले मजे लेने लगा।
मम्मी भी आगे आई और गहरी सांस लेती अपनी भतीजी नेहा की चूत को किसी पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी। नेहा ने भी सर घुमा कर मम्मी की चूत पर अपने होंठ टिका दिए और दोनों 69 की अवस्था में एक दूसरी को चूसने लगी।
मैंने अपनी बहन की चूत को ऐसे चोदा कि उसकी चीखें निकल गयी और वो भी झड़ने लगी- आआआ आअह्ह्ह्ह… रोहाआआन्न.. मैं तो गयीईई…
और वो भी गहरी साँसें लेने लगी।
मैंने भी चारों तरफ देखा, चाची को पापा और चाचू एक साथ चूत और गांड में चोद रहे थे। मम्मी और नेहा भी एक दूसरे की चूत चाट रही थी।
मैंने भी ऋतु को पीछे घुमाया और अपना लंड ऋतु की गांड के छेद में फंसा दिया। ऋतु को जैसे ही मेरे मोटे लंड का अहसास अपनी गांड के छेद में हुआ, वो सिहर उठी, उसने भी अपनी गांड के छेद को फैलाया और मैंने भी एक तेज शोट मारकर अपना लंड उसकी गांड में धकेल दिया।
वो चिल्ला उठी- आआ आआ आआ आआह्ह्ह…
मैं ऋतु की गांड मैं अपना लण्ड पेल रहा था और मम्मी और नेहा एक दूसरी की चूत को चाटकर झड़ने लगी औऱ फिर उन दोनों ने एक दूसरी के रस को चाट कर साफ कर दिया। नेहा अब मम्मी के ऊपर निढाल होकर गिर पड़ी।
तभी पापा ने अपना लण्ड चाची की गांड से बाहर निकाल दिया। चाची ने हैरानी से पीछे मुड़ कर देखा और फिर पापा ने अपना लंड उनकी चूत पर टिका दिया। चाचू का लंड पहले से ही वहां पर था।
पापा के मोटे लंड का अहसास पाकर चाचू ने अपना लंड बाहर निकलना चाहा पर पापा ने दबाव डाल कर चाचू के लंड को बाहर नहीं आने दिया और अपना लंड चाची की चूत में फंसा कर एक तेज झटका मारा।
चाची की चूत के धागे खुल गए, उनका मुंह खुला का खुला रह गया- अयीईईई ईईईईईई… मर… गयीईई…साले कुत्ते… भेन के लंड… निकाल अपना लौड़ा मेरी चूत से… फट गयी… आआआ आआआह्ह्ह्ह!
चाची की आँखों से आंसू आने लगे, उनकी चूत में दो विशालकाय लंड जा चुके थे। चाची की चूत में तेज दर्द हो रहा था। शायद वो थोड़ी फट भी गयी थी और खून आ रहा था। पर पापा नहीं रुके और उन्होंने एक और शोट मार कर अपना लंड पूरा उनकी चूत में डाल दिया।
चाचू के लंड के साथ अब उनका लंड भी चाची की चूत में था। उन दोनों का लंड एक दूसरे की घिसाई कर रहा था और दोनों की गोलियां एक दूसरे के गले मिल रही थी। चाची के लिए ये एक नया अहसास था, उनकी चूत की खुजली अब शायद मिट जाए, ये सोच कर पापा ने फिर से नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए। चाचू ने भी पापा के साथ ताल मिलायी और वो दोनों चाची की चूत में अपने अपने लंड पेल रहे थे।
दो लंड जल्दी ही अपना रंग दिखाने लगे और चाची की दर्द भरी चीखें मीठी सिसकारियों में बदल गयी- आआआ आआह आआह्ह्ह्ह… म्मम्मम्म… साले कुत्तो… तुमने तो मेरी चूत ही फाड़ डाली… आआआ आअह्ह्ह पर जो भी है… म्मम्मम्म… मजा आ रहा है… मारो अब दोनों… मेरी चूत को… आआआआह्ह्ह्ह…
और फिर तो पापा और चाचू ने चाची जो रेल बनायी… जो रेल बनायी… वो देखते ही बनती थी।
आरती चाची की हिम्मत भी अब जवाब दे रही थी।
सबसे पहले पापा ने अपना वीर्य छोड़ा, वो चिल्लाए- आआआ आअह्ह्ह्ह… वाह… मजा आ… गयाआआ!
चाची भी अपनी चूत में गर्म लावा पाकर पिघलने लगी और चाचू के लंड को और अन्दर तक घुसा कर कूदने लगी। जल्दी ही चाचू और चाची भी एक साथ झड़ने लगे. आआआ आअयीईई ईईई… म्मम्मम्म… मैं तो गयी…आआह आआअह्ह्ह्ह… ऊऊओफ़ गॉड!
मैं भी अपनी मंजिल के काफी करीब था, ऋतु तो ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी, वो फिर से झड़ने लगी तो मैंने भी उसी पानी में अपना पानी मिला कर उसकी चूत को भिगोना शुरू कर दिया। हम दोनों का पानी उसकी नन्ही सी चूत में नहीं आ पा रहा था और वो नीचे की तरफ रिसता हुआ मेरे ही पेट पर गिरने लगा।
ऋतु उठी और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और फिर उसने पेट पर गिरे वीर्य को भी साफ़ किया। सारा रस पीने के बाद उसने जोर से डकार मारा और हम सभी की हंसी निकल गयी।
अगले तीन दिनों तक हम सभी ने हर तरीके से एक दूसरे को कितनी बार चोदा, बता नहीं सकता और अंत में वो दिन भी आ गया जब हमें वापिस जाना था।
मुझे इतना मजा आज तक नहीं आया था। मैंने इस टूर पर ना जाने कितनी चूतें चोदी थी और कितनी बार चोदी, मैं गिनती भी नहीं कर पा रहा था।
चाचा चाची, नेहा के साथ अपनी कार में सवार हो कर घर के लिए निकल गए और हम लोग भी अपने घर चल दिये थे।
वापिस जाते हुए मैं कार में बैठा सोच रहा था कि कैसे विकास और सन्नी को ऋतु की चूत दिलाई जाए और इसके लिए कितना चार्ज किया जाए। मैं तो ये भी सोच रहा था कि मम्मी को भी इसमें शामिल कर लेना चाहिए.
देखते हैं।
तभी मम्मी के फोन की घंटी बज उठी और उन्होंने कहा- अरे… दीपा का फोन है.
और ये कहते हुए उन्होंने फोन उठा लिया और बातें करने लगी।
दीपा मम्मी की छोटी बहन है यानी हमारी मौसी! वो मम्मी की तरह ही गोरी चिट्टी हैं, बाल कटे हुए, दुबली पतली। पर उनके चुचे देख कर मेरे मुंह में हमेशा से पानी आ जाता था। वो गुजरात में रहती हैं और उनके पति सरकारी जॉब करते हैं। उनके दो बच्चे हैं अयान और सुरभि, दोनों लगभग हमारी ही उम्र के हैं।
मैं गोर से उनकी बातें सुनने लगा। बात ख़त्म होने के बाद मम्मी ने खुश होते हुए कहा- अरे सुनो… दीपा आ रही है अपने परिवार के साथ। वो लोग भी छुट्टियों में घुमने के लिए शिमला गए थे और वापसी में वो लोग कुछ दिन हमारे पास रुकना चाहते हैं।
मम्मी की बात सुनकर पापा बड़े खुश हुए, उनकी नजर हमेशा अपनी साली पर रहती थी, ये मैंने कई बार नोट किया था पर दीपा मौसी बड़े नकचढ़े स्वभाव की थी। वो पापा की हरकतों पर उन्हें डांट भी देती थी इसलिए पापा की ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी पर अब बात कुछ और थी। मम्मी पापा हमारे साथ खुल चुके थे इसलिए वो खुल कर बात कर रहे थे हमारे सामने।
पापा बोले- इस बार तो मैं इस दीपा की बच्ची की चूत मार कर रहूँगा। बड़े सालों से ट्राई कर रहा हूँ, भाव ही नहीं देती साली।
मम्मी ने कहा- अजी सुनो… तुम ऐसा कुछ मत करना। वो पहले भी कई बार मुझसे तुम्हारे बारे में बोल चुकी है और इस बार तो उसके साथ सभी होंगे। उसके बच्चे और उसका पति हरीश भी। तुम ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उसे कोई परेशानी हो… समझे?
“देखेंगे…” पापा ने कहा और ड्राइव करने लगे।
जल्दी ही हम सभी घर पहुँच गए और सीधे अपने कमरे में जाकर बेसुध होकर सो गए। ऋतु मेरे साथ मेरे कमरे में ही सो रही थी वो भी नंगी पर हमारे में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि चुदाई कर सकें, सफ़र में काफी थक चुके थे।
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतु जो पापा के लंड से उतर चुकी थी, आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी। अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी।
मम्मी ने ऋतु के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगें खींच कर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी। ऋतु की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी। थोड़ी ही देर में उन दोनों की चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक दूसरी के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी।
चाची ने हम तीनों बच्चों की तरफ हाथ करके कहा- ये कितने अच्छे बच्चे हैं…
वो हमारी परफ़ोरमेन्स से काफी खुश थी।
मम्मी ने बेड से उठते हुए कहा- ये कुछ ज्यादा ही हो गया।
ऋतु ने उनसे पूछा- क्या आपको ये सब अच्छा नहीं लगा मम्मी?
मम्मी ने धीरे से कहा- हम्म्म्म हाँ अच्छा तो लगा… पर ये सब एकदम से हुआ… मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है.
ऋतु ने उनसे सवाल किया- पर हमें तो बड़ा मजा आया, क्या आपको मेरी चूत को चूसना अच्छा नहीं लगा… मेरी तो इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गयी पापा के लंड से अपनी चूत मरवा कर… कितना मजा आया उनका मोटा लंड लेने में… क्या आपको नहीं आया भैया का लंड अपनी चूत में लेने में… बोलो??
सब की नजरें मम्मी की तरफ उठ गयी।
ऋतु ने पापा से पूछा- और पापा क्या आपको मेरी चूत पसंद नहीं आई??
उन दोनों को चुप देख कर चाची ने कहा- अरे… अब आप दोनों ऐसे क्यों शर्मा रहे हैं… आप दोनों को अपने बच्चों के साथ सेक्स करने में मजा आया है तो इस बात को कबूल करने में इतना झिझक क्यों रहे हो?? हमने भी तो अपनी बेटी नेहा को इस खेल में शामिल किया है और उसकी चूत चूसने में मुझे तो बड़ा मजा आता है, उसके पापा भी कल से अपनी बेटी की कसी हुई चूत की बार बार तारीफ़ कर रहे हैं.
मम्मी ने कहा- चलो ठीक है… अब हमें अपने कमरे में चलना चाहिए।
चाची ने कहा- अरे भाभी… मूड मत खराब करो… अभी तो मजा आना शुरू हुआ है… अभी तो पूरी रात पड़ी है।
मैंने मन ही मन सोचा- साली, इस चाची के बदन में आग लगी है, पूरी रात चुदवाने की तैयारी से आई थी हरामजादी।
मम्मी ने कहा- नहीं… अब और नहीं… चलो तुम दोनों अब चुपचाप सो जाओ… और आरती अजय… प्लीज… आप भी चलो यहाँ से!
हम सबने उनकी बात को मानना उचित समझा और अपने बेड पर जाकर रजाई के अन्दर घुस गए।
चाची- चलो ठीक है… तुम कहती हो तो चलते हैं। चलो अजय… अपने रूम में जाकर हम दोनों ही आपस में चुदाई करते हैं.
और चाची हमारे पास आकर हमें गुड नाईट बोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मसल दिया और बोली- काफी मजा आया… कल मिलते हैं।
सब के जाने के बाद हम तीनों अपने बेड पर नंगे रजाई में बैठे हंस रहे थे।
ऋतु- मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमने अपने मम्मी पापा के साथ भी चुदाई की. और इतना सब होने के बाद भी उन लोगों ने हमें फिर से इस कमरे में छोड़ दिया… हा हा हा!
नेहा ने अपनी चूत को मेरी टांगों पर दबाते हुए कहा- और मैं सच कहूं तो तुम्हारे मम्मी पापा को भी काफी मजा आया होगा। वो अभी खुल कर नहीं बता रहे हैं पर तुम दोनों से सेक्स करके वो भी कम खुश नहीं थे।
ऋतु ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर कहा- तो तुम्हारा ये लंड अभी भी कुछ कर दिखाने के मूड में है क्या?
मैंने उन्हें उकसाया- मेरे लंड के कारनामे देखना चाहते हो तो उसे तैयार करो और फिर मैं तुम दोनों को दिखाता हूँ की चुदाई क्या होती है।
ऋतु ने अपनी आँखें मटकाते हुए नेहा की तरफ देखा- ओह… माय माय… लगता है किसी को अपने लंड पर कुछ ज्यादा ही गुरुर हो गया है…
और फिर वो दोनों एक साथ बोली- लगता है गुरुर तोड़ना पड़ेगा… हा हा हा…
उसके बाद जो चुदाई का खेल शुरू हुआ तो उनकी चूत के परखचे ही उड़ गए। उस रात मैंने ऋतु और नेहा की कितनी बार चुदाई की… मुझे खुद ही नहीं मालूम और वो दोनों बेचारी अपनी सूजी हुई चूत लेकर नंगी ही मुझ से लिपट कर सो गयी।
उधर अपने कमरे में पहुंचकर चाची ने शीशे वाली जगह पर ही खड़े होकर दूसरे कमरे में अपनी बेटी और अपनी भतीजी को मुझसे चुदते हुए देखकर चाचू से लगभग तीन या चार बार अपनी चूत मरवाई।
अगली सुबह मैंने अपने लंड के चारो तरफ गीलेपन का एहसास पाया, कोई मेरा लंड चूस रहा था। मैंने अपने दोनों तरफ देखा ऋतु और नेहा दोनों अपने मोटे मोटे चुचे मुझ में घुसेड़े आराम से सो रही थी।
मैंने नीचे देखा तो पाया कि आरती चाची मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही है। मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वो मुस्कुरा दी और मुझे गुड मोर्निंग बोलकर फिर से मेरा लंड चाटने लगी।
मेरे शरीर की हलचल पाकर ऋतु भी जाग गयी और जब उसने देखा कि चाची मेरे लंड से ब्रुश कर रही है तो उसकी चूत भी सुबह की खुमारी में रस से सराबोर हो गयी। उसने थोड़ी जगह बना कर चाची को बेड पर आने को कहा।
चाची ऊपर आई और अपनी टांगें ऋतु के चेहरे के ऊपर करके वापिस मेरा लंड चाटने लगी।
नेहा भी अब जाग चुकी थी, अपनी माँ को सुबह सुबह नंगी लंड चूसते देख कर उसके बदन में भी आग लग गयी और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैंने अपने हाथ नेहा के उभारों पर रख दिए और उन्हें दबा दबाकर उन्हें और बड़ा करने लगा।
नेहा के चुचों के बारे में एक बात कहना चाहता हूँ, वो बड़े ही मुलायम है पर उसके एरोला और निप्पल उतने ही कठोर, वो किसी कील की तरह मेरे हाथों में चुभ रहे थे। मैंने उन्हें और जोर से दबाना शुरू कर दिया और उतनी ही बेदर्दी से उसके नाजुक होंठों को भी चूसना जारी रखा।
तभी दरवाजा खुला और हमारे पापा अन्दर आ गए। उन्होंने जब देखा कि अन्दर सुबह की चुदाई की तैयारी चल रही है तो वो चुपचाप अन्दर आये और अपने कपड़े उतार कर वो भी ऊपर चढ़ गए। चाची की चूत तो वो कई बार मार चुके थे और कल रात उन्होंने ऋतु की भी जम कर चुदाई करी थी।
इसलिए आज उनकी नजर नेहा के कमसिन जिस्म पर थी। नेहा जो मेरे मुंह में घुसी हुई कुछ ढूँढ रही थी, उसकी टांगें चौड़ी करके पापा ने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगे।
नेहा ने जब अपनी चूत पर अपने ताऊ जी की गर्म जीभ को पाया तो उसकी रस बरसाती चूत से एक कंपकपी सी छूट गयी- आआ आआआ आअह्ह्ह्ह… म्म्मम्म म्म… हाआआ अन्न्न… ऐसे ही… जोर से…
और वो पापा को और जोर से अपनी चूत को चूसने के लिए प्रोत्साहित करने लगी।
जवान लड़की की चूत पाकर पापा भी दुगने जोश से अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए नेहा की चूत की तलाशी लेने लगे।
वहां अजय चाचू की जब नींद खुली तो चाची को बगल में ना पाकर उन्होंने भाग कर शीशे वाली जगह देखा और वहां का नजारा देखकर वो नंगे ही हमारे कमरे में दौड़ कर चले आये। उनकी पत्नी मेरा लंड चूस रही थी और उनके बड़े भाई उनकी बेटी की चूत चाट रहे थे और उनकी पत्नी की चूत को उनकी भतीजी साफ़ कर रही थी।
कमरे में अब सिर्फ ऋतु की चूत ही बची थी जो खाली थी। चाचू झट से उसकी तरफ चल पड़े और वहां पहुंच कर अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके ऋतु की चूत और गांड बारी बारी से चाटने लगे, पूरे कमरे में सिसकारियां गूंज रही थी।
पापा का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, वो नेहा को बेड पर लिटा कर खुद जमीन पर उठ खड़े हुए और नेहा की एक टांग को हवा में उठा कर अपना लंड उसकी छोटी सी चूत पर टिका दिया। उनका टोपा काफी बड़ा था, नेहा की छोटी सी चूत के सिरे पर वो फंस सा रहा था।
पापा ने थोड़ा जोर लगाया तो नेहा दर्द से बिलबिला उठी- आआ आआआ आआआह्ह्ह्ह… धीरे डालो… बड़े पापा… धीरे…
लंड का टोपा अन्दर जाते ही बाकी का काम उसकी चूत की चिकनाई ने कर दिया। पापा का लौड़ा उस पतली सुरंग में फिसलता चला गया.
“अयीईईई ईईईई ईईई… मर… गयी.. अह..अह.. अह..अह.. अह.. अह…”
और पापा ने तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए।
नेहा की छाती मेरे सीने पर रखी हुई थी, नेहा के मोटे चूचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और उसके खुले मुंह से निकलती लार मेरी छाती पर टपक रही थी।
चाची भी उठ खड़ी हुई और मेरे दोनों तरफ टांगें करके अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और मेरी टाँगों पर बैठ गयी। अब उनके मोटे तरबूज भी मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे। मैंने हाथ बढ़ा कर उन्हें भी सहलाना शुरू कर दिया। चाची थोड़ा और आगे हुई और मेरे सीने पर लेटी हुई अपनी बेटी नेहा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी।
ऋतु जो अब तक अपनी चूत चटवा कर काफी गर्म हो चुकी थी।, उसने चाचू के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपनी चूत छुड़वाई और उनके लम्बे लंड को एक किस करके उनके ऊपर चढ़ बैठी। बाकी काम चाचू ने कर दिया अपना खड़ा हुआ लंड उसकी रस टपकाती चूत में डाल कर।
अब हमारे कमरे में तीन चुदाई चल रही थी और सभी बड़े जोरो से आवाजें निकाल निकाल कर चुदाई कर रहे थे।
ऋतु चिल्लाई- आआआ आआआह्ह्ह… चाअचूऊऊऊऊऊ… चोदो मुझे… और जोर से… अह…
नेहा भी बोली- बड़े पापा… डालो अन्दर तक अपना मोटा लंड… आआआआह्ह… और तेज… चोदो… अपनी नेहा को बड़े पापा।
चाची भी कहाँ पीछे रहने वाली थी- आआआआअह्ह… रोहण… डाल बेटा… अपनी चाची की चूत कैसी लगी… बता ना?
मैंने चाची की आँखों में देखा और कहा- भेनचोद… कुतिया… कितने लोगों से मरवा चुकी है… तेरी माँ की चूत… साली… कमीनी.. बता मुझे?
चाची ने उखड़ती साँसों से कहा- बड़े लंड लिए है अपनी चूत में… पर अपनों का लेने में जो मजा है वो कहीं नहीं है… चोदो मुझे… दुनिया की हर चाची को तेरे जैसा भतीजा मिले जिसका इतना मोटा लंड हो तो मजा ही आ जाए… बिना पूछे डाल दिया कर अपना लंड मेरी चूत में कभी भी… कहीं भी… आआआ आआआह्ह्ह्ह…
लगता है चाची मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस हो गयी थी।
मैंने उनके होर्न अपने हाथों में पकड़े और अपने इंजिन की स्पीड बढ़ा दी।
तभी दरवाजा दुबारा खुला और मम्मी वहां खड़ी थी, मम्मी ने अन्दर आकर पूछा- तुम लोगों को कोई शर्म है या नहीं?
मैंने उनसे कहा- हाय मॉम… गुड मोर्निंग!
मम्मी ने पापा की तरफ देखा और कहा- आप तो कम से कम इन्हें रोकते, पर आप तो खुद ही यहाँ लगे हैं अपनी भतीजी की चूत मारने में!
पापा ने जवाब दिया- पूर्णिमा, अब ये लोग हमारे कहने से रुकने वाले तो हैं नहीं और कल जब सब कुछ हो ही चुका है तो आज इन्कार करने से क्या फायदा… आओ तुम भी आ जाओ ऊपर और खा जाओ घर के लौड़े!
मैंने अपनी जीभ अपने होंठों पर फिराते हुए कहा- हाँ मम्मी, आप यहाँ आओ, मेरे मुंह के ऊपर मैं आपकी चूत चूसना चाहता हूँ… बड़ी प्यास लगी है मुझे…
चाचू ने भी जोर दिया- हाँ भाभी… आ जाओ ऊपर!
मम्मी ने सभी की बात सुनी और अपना सर हिलाते हुए उन्होंने अपनी हार मान ली और उन्होंने अपना गाउन वहीं जमीन पर गिरा दिया और नंगी ऊपर बेड पर चढ़ गयी और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई।
मेरी लम्बी जीभ उनकी चूत का इन्तजार कर रही थी।
जैसे जैसे मम्मी नीचे हुई, मेरी पैनी जीभ उनकी चूत में उतरती चली गयी.
“आआ आआआ आअह्ह्ह्ह…” मम्मी ने एक लम्बी सिसकारी मारी और मैंने अपनी जीभ से उनकी क्लिट को दबाना और चुबलाना शुरू कर दिया।
मम्मी का मुंह मेरे लंड की तरफ था जहाँ चाची मेरे लंड की सवारी करने में लगी हुई थी। चाची ने आगे बढ़ कर मम्मी के मोटे चूचों को पकड़ा और उन्हें फ्रेंच किस करने लगी। मम्मी अपनी चूत मेरे मुंह पर बड़ी तेजी से रगड़ रही थी।
मैं जिस तरह से मम्मी की चूत चाट और चबा रहा था, उन्हें काफी मजा आ रहा था। आज अपने बीच तीनों बच्चो को शामिल करके सेक्स करने का मजा लेने में लगे थे सभी बड़े लोग।
मम्मी ने अपनी दायीं तरफ देखा जहाँ उनके पति अपनी भतीजी की चूत का तिया पांचा करने में लगे थे और बायीं तरफ उनकी लाड़ली बेटी अपने चाचू के लंड को आँखें बंद किये मजे से उछल उछल कर ले रही थी और उनके नीचे लेटा उनका बेटा उनकी चूत चाटने के साथ साथ अपनी चाची को भी चोद रहा था.
इतनी कामुकता फैली है इस छोटे से कमरे में।
तभी चाची ने एक तेज आवाज करते हुए झड़ना शुरू कर दिया और वो निढाल होकर नीचे लुढ़क गयी। मेरा लंड उनकी गीली चूत से निकल कर तन कर खड़ा हुआ था। मम्मी ने जब अपने सामने अपने बेटे का चमकता हुआ लंड देखा तो उनके मुंह में पानी आ गया।
मम्मी ने नीचे झुक कर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूस चूस कर साफ़ करने लगी। मैंने पलट कर मम्मी को नीचे किया और घूम कर उनकी चूत की तरफ आया और अपना साफ़ सुथरा लंड उनकी फूली हुई चूत पर टिका दिया। मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा- आई लव यू मॉम!
और अपना लंड उनकी लार टपकाती चूत में उतार दिया।
मम्मी ने लम्बी सिसकारी भरी- आआ आआआ आह्ह्ह्ह… म्म्म्म म्म…
मम्मी ने मेरा लंड पूरा निगल लिया और मेरी कमर पर अपनी टांगों का कसाव बना कर मुझे बाँध लिया और बोली- बस थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहो… मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ।
मैं मम्मी की छाती पर लेटा रहा और उनके अधखुले होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। धीरे धीरे उन्होंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए। मैंने उनकी टांगों का जाल खोला और उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उनकी टांगों को और भी चौड़ा कर दिया और लगा धक्के पे धक्के मारने अपनी माँ की चूत में।
मम्मी के मुंह से बरबस ही बोल फूट पड़े- आआआ आअह्ह्ह… चोद मुझे बेटा… चोद डाल… और अन्दर डाल अपना लंड… मादरचोद… चोद मुझे… बहन चोद… चोद मुझे… आआआ आआह्ह्ह… डाल अपना मोटा लंड अपनी माँ की चूत में… आआह… ह्ह्ह्हहाहा… आहा… ह्ह्ह.. हा.. अह्ह्ह्ह ह्ह…
मैंने भी मम्मी की चूत मारते हुए कहा- ले साली रंडी… बड़ी सती सावित्री बनती है… अपने देवर से चुदवाती है और मुझसे शर्मा रही थी… और अब लंड डाला है तो दुगने मजे ले रही है… कुतिया कहीं की… साली रंडी…
मम्मी ने अपनी गांड उठा कर चुदते हुए कहा- हाँ मैं रंडी हूँ… तेरी रंडी हूँ मैं आज से… चोद मुझे… घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे… अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी माँ को… शाबाश बेटा चोद मुझे!
मम्मी पहले जितना शरमा रही थी उतनी ही खुल गयी थी अब।
पापा ने अपनी भतीजी की कसी चूत जैसी चूत आज तक नहीं मारी थी। नेहा के कसाव के आगे उनके लंड के पसीने छुट गए और उन्होंने अपनी बाल्टी नेहा की चूत में खाली कर दी पर नेहा अभी भी नहीं झड़ी थी।
चाचू के लंड को ऋतु अजीब तरीके से दबा रही थी अपनी चूत से। उन्होंने भी अपनी जवान भतीजी के आगे घुटने टेक दिए और झड़ने लगे उसकी चूत के अन्दर।
ऋतु भी बिना झड़े रह गयी, उसने नेहा को इशारा किया और उसे अपने पास बुला कर उसकी टांगों के बीच अपनी टांगें फंसा कर अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ने लगी।
दोनों की चूत जल रही थी और जल्दी ही उन्होंने एक दूसरे की चूत को अपने रस से नहलाना शुरू कर दिया- आआआ आआह्ह्ह… येस्स स्सस्स… बेबी… ओह… फक्क… आआआह्ह्ह!
इधर मम्मी भी मेरे लंड की सवारी को ज्यादा नहीं कर पायी और उन्होंने एक दो झटके मारे और झड़ने लगी- आआस्स आआअह्ह्ह्ह… मैं तो गयी… आआअह्ह्ह… मजा आआअ… गयाआआ… आआआ आआ आआअह्ह्ह्ह!
मैंने मम्मी की चूत की गर्मी महसूस करी और मैंने भी अपना रस अपनी जननी की चूत में उतार दिया।
चारों तरफ वीर्य और चूत के रस की गंध फैली हुई थी. सबने एक दूसरे को चूमना और सहलाना शुरु किया और बारी बारी से सब की चूत और लंड साफ़ किये और फिर सभी उठ खड़े हुए और फिर सब लोग तैयार होकर नाश्ता करने चले गए।
सुबह नाश्ता करने के बाद हम सब लोग घूमने निकल गए। आज हम पूरे परिवार के साथ घूमने निकले थे तो बड़े लोगो के साथ खुले में चुदाई नहीं कर सकते थे। कुछ देर बाद हम वापस अपने केबिन में आ गए। चाचा चाची, नेहा के साथ अपने रूम में चले गए और मैं, ऋतु और मम्मी पापा के साथ उनके रूम में चले गए।
आते ही ऋतु हरकत में आई और उसने पापा का लंड पकड़ा और उन्हें लंड से घसीटते हुए बेड पर जाकर लेट गयी और उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया। पापा का खड़ा हुआ लंड सीधा ऋतु की फड़कती हुई चूत में घुस गया और ऋतु ने अपनी टांगें पापा की कमर में लपेट कर उसे पूरा अन्दर ले लिया और सिसकारने लगी- आआ आआह आअह्ह… पाआअपाआअ… म्मम्मम्मम!
मम्मी ने भी मुझे बेड पर धक्का दिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका कर नीचे बैठ गयी और मेरा पूरा लंड हड़प कर गयी अपनी चूत में!
“उयीईईई ईईईईई… अह्ह्ह- उनके मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकली।
पापा ने भी चोदते हुए अपने होंठों को ऋतु के होंठों पर रख दिया। पापा के गीले होंठों के स्पर्श से ऋतु का शरीर सिहर रहा था। उसके लरजते हुए होंठों से अजीब अजीब सी आवाजें आ रही थी। अपनी पतली उंगलियाँ वो पापा के घने बालों में घुमा कर उन्हें और उत्तेजित कर रही थी। पापा के होंठ जब उसके खड़े हुए उरोजों तक पहुंचे तो उसकी सिहरन और भी बढ़ गयी, उसके मुंह से अपने आप एक मादक चीख निकल गयी- अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह… पाआआ..पाआ… म्म्म्मम्म…
ऋतु ने अपनी आँखें खोलकर देखा तो पापा अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसके निप्पल के चारों तरफ घुमा रहे थे, उसके कठोर निप्पल और एरोला पर उभरे हुए छोटे छोटे दाने पापा की कठोर जीभ से टकरा कर उसे और भी उत्तेजित कर रहे थे।
ऋतु चाहती थी कि पापा उन्हें और जोर से काटें, बुरी तरह से दबायें। वो अपने साथ उनसे वहशी जैसा बर्ताव करवाना चाहती थी पर पापा तो उसे बड़े प्यार से सहला और चूस रहे थे।
तभी पापा ने उसे जोर से चोदने लगे।
ऋतु चीखी- आआआआह… पपाआआअ… जोर से… चूसो… नाआआआअ.. अपनी बेटी को… हां.. ऐसे… हीईईई… आआआआआह्ह… काटो मेरे निप्पल को दांतों से… आआ आआअह्ह्ह्ह… दबाओ इन्हें अपने हाथों सेईईईईई… आआआआह्ह्ह्ह… चबा डालो… इन्हें ईईए… मत तड़पाओ… ना पपाआआआ… प्लीज…
ऋतु की बातें सुन कर पापा समझ गये कि वो जंगली प्यार चाहती है इसलिए उन्होंने अपनी फूल सी बेटी के जिस्म को जोर से मसलना और दबाना, चूसना और काटना शुरू कर दिया।
मेरा लंड भी अपनी मम्मी की चूत के अन्दर काफी तेजी से आ जा रहा था। आज वो काफी खुल कर चुदाई करवा रही थी, उनके मोटे मोटे चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे। मैं उनके मोटे कूल्हों को पकड़ा हुआ था और अपनी एड़ियों के बल उठ कर, नीचे लेटा उनकी चुदाई कर रहा था।
मम्मी के मुंह में सिसकारियों की झड़ी लगी हुई थी- उफ्फ्फ… ओफ्फ्फ.. ओफ्फ्फ्फ़.. अआः अह अह अह अह अह अहोफ्फ्फ़… ओफ्फ्फ्फ़… ओफ्फ्फ्फ़… फक्क.. मीई… अह्ह्ह्ह्ह… हाआआआन…
और अंत में उन्होंने अपनी गर्म चूत में से मलाईदार रस छोड़ना शुरू कर दिया- आआ आआअह्ह्ह्ह… मैं… गयीईइ… ओह्ह्ह्… गॉड…
मैंने मम्मी को नीचे लिटाया और अपना लंड निकाल कर उनकी दोनों टांगें उठा कर अपने लंड को उनकी गांड में लगा दिया। उनकी आँखें विस्मय से फ़ैल गयी। मैंने जब से अपनी माँ को चुदते हुए देखा था, मैं तभी से उनकी मोटी और फूली हुई गांड मारना चाहता था। आज मौका लगते ही मैंने अपना लंड टिकाया उनकी गांड पर और एक तेज धक्का मारा।
वो चिल्ला पड़ी- आआआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ आआआह्ह्ह्ह…
मॉम की गांड का कसाव सही में लाजवाब था।
मैंने तेजी से झटके देने शुरू किये। गांड के कसाव के कारण और उनके गद्देदार चूतड़ों के थपेड़ों के कारण मुझे काफी मजा आ रहा था। मेरे नीचे लेटी माँ की चूचियां हर झटके से हिल रही थी। मम्मी ने अपनी चूचों को पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और मेरी आँखों में देखकर सिसकारियां सी भरने लगी- आआ आआआ आअह्ह्ह… म्मम्मम्म… ओफ्फ्फ… ओफ्फ्फ… अह्ह्ह्ह… शाबाश बेटा… और तेज करो… हाँ ऐसे ही… आआ आह्ह्ह्ह…
मम्मी अब दोबारा उत्तेजित हो रही थी, मेरे हर झटके से वो अपनी गांड हवा में उठा कर अपनी तरफ से भी ठोकर मारती थी.
और जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने एक तेज आवाज निकालते हुए उनकी कसी हुई मोटी गांड में झड़ना शुरू कर दिया- आआआआह्ह… मॉम्म्म… मैं… आआया… आआआआ … आअह्ह्ह…
मम्मी ने मेरे सर के ऊपर हाथ रखा और बोली- आजा… आआआ… मेरे…लाल्ल… आआआअह्ह्ह
और वो भी झड़ने लगी।
अपने जवान बेटे की चुदाई देखकर उनकी आँखों से ख़ुशी के मारे आंसू आने लगे और वो मुझे गले लगाये मेरे लंड को अपनी गांड में लिए लेटी रही।
पापा भी आज काफी खूंखार दिख रहे थे, उन्होंने ऋतु की चूत का भोसड़ा बना दिया अपने लम्बे लंड के तेज धक्कों से।
ऋतु तो जैसे भूल ही गयी थी कि वो कहाँ है। अपने पापा के मोटे लंड को अन्दर लिए वो तेजी से चिल्ला रही थी- आआआआआह्ह्ह… पपाआआआ और तेज मार साले… बेटी चोद… मार अपनी बेटी की चूत… आआआह… माआअर… कुत्ते… ओफ्फफ्फ्फ़… अयीईईईई…
वो बड़बड़ा भी रही थी और सिसकारियां भी मार रही थी। जल्दी ही दोनों अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गए और ऋतु ने अपनी टांगें पापा की कमर के चारों तरफ लपेट ली और अपने दोनों कबूतर उनकी घने बालों वाली छातियों में दबा कर और उनके होंठों को अपने होंठों में फंसा कर वो झड़ने लगी।
अपने लंड पर बेटी के गर्म रसाव को महसूस करते ही पापाके लंड ने भी अपने बीज अपनी बेटी के खेत में बो दिए और वो भी झड़ते हुए ऋतु के नर्म और मुलायम होंठों को काटने लगे… और उसके ऊपर ही ढेर हो गए।
थोड़ी देर बाद हम सभी चाचू कमरे में पहुंचे और दरवाजा खोलते ही हम हैरान रह गए। अन्दर अजय चाचू और आरती चाची, नेहा के साथ थ्रीसम कर रहे थे।
अजय चाचू किसी पागल कुत्ते की तरह नंगी लेटी आरती चाची की चूत में अपना मूसल जैसा लंड पेल रहे थे और वो चुदक्कड़ आरती चाची तो लंड को देख कर बिफर सी गयी और चाचू के मोटे लंड पर चढ़ कर अपनी बुर को बुरी तरह से रगड़ रही थी।
नेहा भी अपनी माँ की कमर पर गांड रखकर लेटी हुई थी और अपनी माँ के होंठों और उनके चूचों को चूस रही थी। चाचू भी पीछे से नेहा की चूत और गांड चाट रहे थे।
हम सभी को देखते ही अजय चाचू और आरती चाची मुस्कुरा दिए। मैंने देखा कि चाची ने हम सभी की आवाजें सुनते ही अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखकर एक आँख मार दी। उसे चाचू के लंड को अपनी चूत में डलवाने में बड़ा ही मजा आ रहा था। उसके मोटे चुचे हर झटके के साथ आगे पीछे हो रहे थे और उसकी टांगें हवा में थी।
आरती चाची हमारी तरफ मुढ़ी और मम्मी को देखकर बोली- आओ भाभी… यहाँ आ जाओ… बड़ा ही मजा आ रहा है… आआ आ आआ आआअह्ह्ह्ह…
हम सभी अभी अभी चुदाई करके आये थे इसलिए थोड़ा थक गए थे। हमने ये बात चाचू को बताई और कहा- आप लोग मजे लो, हम थोड़ी देर बैठ कर आप लोगो की चुदाई देखेंगे और फिर शामिल भी हो जायेंगे।
और वो तीनों फिर से अपनी चुदाई में लग गए।
मम्मी, ऋतु और मैं बड़े ही गौर से चाचा को आरती चाची की चुदाई करते हुए देख रहे थे और पापा भी उन्हें देख कर फिर से ताव में आने लगे थे। चाची के दिलकश चुचे उनकी आँखों में एक अलग ही चमक पैदा कर रहे थे।
चाची तो पहले से ही पापा के लंड की दीवानी थी पर आज उसकी चूत में पापा का लंड भी नहीं गया था। इसलिए वो आगे गए और चाची के पास जा कर खड़े हो गए।
आरती चाची ने जब देखा कि उनके जेठ बड़े चाव से उसे चुदते हुए देख रहे है तो उसने पापा पुचकार कर अपने पास बुला लिया और नेहा को उठा कर, पापा को अपने झूलते हुए चुचे पर झुका कर उसके मुंह में अपना निप्पल डाल दिया।
पापा ने अपने दांतों से चाची के दाने को चूसना शुरू कर दिया… नीचे से चाचा का लंड और ऊपर से अपने दाने पर जेठ के होंठों का दबाव पाकर आरती चाची लंड पर नाचने सी लगी। पापा तो जैसे चाची के हुस्न को देखकर सब कुछ भूल से गए थे। वो अपने छोटे भाई को उसकी पत्नी की चूत मारते देखकर फिर से उत्तेजित हो गए और अपना लटकता हुआ लंड मसलते हुए उनके पास जाकर खड़े हो गए।
चाची ने जब देखा कि मेरे पापा उसके पास खड़े हैं तो उसने मेरी तरफ देखा, मैंने सर हिला कर उसे इशारा किया और वो समझ गयी। उसने मुस्कुराते हुए हाथ बड़ा कर पापा का लंड पकड़ लिया। फिर चाची ने लंड को दबाना और मसलना शुरू कर दिया। जल्दी ही उनका विशाल नाग अपने पूरे शवाब पर आ गया।
चाचू ने जब देखा कि पापा पूरी तरह तैयार हैं तो उन्होंने चाची की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया और पापा से बोले- भैय्या आप आ जाओ… आप मारो इस गर्म कुतिया की चूत!
पापा ने कहा- अरे नहीं अजय… ऐसे कैसे… तुम एक काम करो… तुम नीचे लेट कर इसकी चूत मारो और मैं पीछे से इसकी गांड मारूँगा।
चाची भी खुशी खुशी यह मान गयी। पापा का लण्ड बिल्कुल सूखा था तो उन्होंने चाची से कहा- तुम अजय पर उलटी होकर लेट जाओ, वो नीचे से अपना लंड तुम्हारी चूत में डालेगा और फिर थोड़ी देर बाद वो निकाल लेगा और मैं पीछे से तुम्हारी चूत में डाल दूंगा जिससे मेरा लौड़ा चिकना हो जाए।
चाची ने उनकी बात समझते हुए हाँ बोल दिया।
उनकी बातें सुनकर और चुदाई देखकर मेरे लंड ने भी हरकत करनी शुरू कर दी थी। नेहा भी उठकर हमारे पास आ गयी थी। ऋतु भी अपने होंठों पर जीभ फिरा कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रगड़ रही थी।
अजय चाचू नीचे लेट गए और उन्होंने चाची को अपने ऊपर खींच लिया और अपना लंड वापिस उसकी चूत में डाल दिया। नीचे से लंड डालने के एंगल से लंड पूरी तरह उसकी चूत में जा रहा था।
आठ दस धक्के मारने के बाद चाचू ने अपना लंड निकाल लिया और पीछे खड़े पापा ने अपना मोटा लंड टिका दिया उसकी फुद्दी पर और एक करार झटका मारा।
चाची- अयीईईई ईईई… मररर… गयीईईई… अह्ह्ह्हह्ह!
करते हुए लुढ़क कर चाचू के ऊपर गिर गयी।
पापा का मोटा लंड चाची की चूत के अन्दर घुस गया था। उसके गुदाज चुचे चाचू के मुंह के ऊपर थे, उनके तो मजे हो गए, उन्होंने उन चुचों को चुसना शुरू कर दिया। पीछे से रेलगाड़ी फिर चल पड़ी और पापा चाची के मोटे चूतड़ों को थामे जोर जोर से धक्के मारने लगे।
चाची की सिसकारियां गूंजने लगी मजे के मारे ‘हम्म्म्म… अ हा हा अ अह अह.. आ… ऊओफ उफ ओफ्फोफ़… ऑफ़… ऑफ़ ऑफ़.. उफ.. ऑफ… ऑफ.. फ़… आह… आह्ह… म्मम्मम जोर से करो ना… भाई साब… प्लीज… और तेज मारो…
तभी पापा ने अपना लंड निकाल दिया चाची की चूत से क्योंकि अब चाचू की बारी जो थी। वो परेशान सी हो गई लेकिन अगले ही पल चाचू ने नीचे से फिर से अपना लंड डाल दिया और वो फिर से खो गयी चुदाई की खाई में।
पापा ने भी अपना गीला लंड चाची की गांड के छेद पर रख दिया। वो समझ गयी और अपने दोनों हाथों से अपनी गांड के छेद को फैलाने लगी।
पापा के एक झटके ने उन्हें चाचू के ऊपर फिर से गिरा दिया और इस बार पापा का लंड उसकी गांड को चीरता हुआ अन्दर जा धंसा.
वो चीखी- आआआआअह्ह्ह्ह… मररर… गयीईईई… अह्ह्हह्ह्ह…
पापा ने अगले दो चार और तेज झटकों ने अपना पूरा आठ इंच लंड चाची की गांड में घुसा दिया था। नीचे से चाचू ने फिर से चाची के दूध पीना शुरू कर दिया। वो हिल भी नहीं पा रही थी। अब दोनों भाई चाची की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे… बड़ा ही कामुक दृश्य था।
ऋतु भी अपने पापा और चाचू की कलाकारी देखकर मंत्र मुग्ध सी उन्हें देख रही थी। उसने अपने पूरे कपड़े उतार फैंके और मेरे से लिपट गयी। मेरे कपड़े भी कुछ ही देर में नीचे जमीन पर पड़े हुए थे।
दो लंड से चुद रही आरती चाची अचानक जोर जोर से चिल्लाने लगी- आआआ आआआह्ह… अह.. अह.. अह.. अ हा.. आह.. आह. आह.. आह… उफ.. उफ..उफ.. आआ आआ आअह्ह और तेज मारो… आआआ आअह्ह मजा आ गया!
और चाची ने अपना रस छोड़ दिया चाचा के लंड के ऊपर।
पर अभी भी उनके दोनों छेदों की बराबरी से चुदाई चल रही थी।
तभी ऋतु ने मुझे धक्का देकर नीचे गिराया और मेरे लंड को अपनी गीली चूत पर टिका कर उसके ऊपर बैठ गयी और धक्के मारने लगी। मैंने अपने हाथ अपने सर के नीचे रख लिए और लंड को अपनी बहन की चूत में डाले मजे लेने लगा।
मम्मी भी आगे आई और गहरी सांस लेती अपनी भतीजी नेहा की चूत को किसी पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी। नेहा ने भी सर घुमा कर मम्मी की चूत पर अपने होंठ टिका दिए और दोनों 69 की अवस्था में एक दूसरी को चूसने लगी।
मैंने अपनी बहन की चूत को ऐसे चोदा कि उसकी चीखें निकल गयी और वो भी झड़ने लगी- आआआ आअह्ह्ह्ह… रोहाआआन्न.. मैं तो गयीईई…
और वो भी गहरी साँसें लेने लगी।
मैंने भी चारों तरफ देखा, चाची को पापा और चाचू एक साथ चूत और गांड में चोद रहे थे। मम्मी और नेहा भी एक दूसरे की चूत चाट रही थी।
मैंने भी ऋतु को पीछे घुमाया और अपना लंड ऋतु की गांड के छेद में फंसा दिया। ऋतु को जैसे ही मेरे मोटे लंड का अहसास अपनी गांड के छेद में हुआ, वो सिहर उठी, उसने भी अपनी गांड के छेद को फैलाया और मैंने भी एक तेज शोट मारकर अपना लंड उसकी गांड में धकेल दिया।
वो चिल्ला उठी- आआ आआ आआ आआह्ह्ह…
मैं ऋतु की गांड मैं अपना लण्ड पेल रहा था और मम्मी और नेहा एक दूसरी की चूत को चाटकर झड़ने लगी औऱ फिर उन दोनों ने एक दूसरी के रस को चाट कर साफ कर दिया। नेहा अब मम्मी के ऊपर निढाल होकर गिर पड़ी।
तभी पापा ने अपना लण्ड चाची की गांड से बाहर निकाल दिया। चाची ने हैरानी से पीछे मुड़ कर देखा और फिर पापा ने अपना लंड उनकी चूत पर टिका दिया। चाचू का लंड पहले से ही वहां पर था।
पापा के मोटे लंड का अहसास पाकर चाचू ने अपना लंड बाहर निकलना चाहा पर पापा ने दबाव डाल कर चाचू के लंड को बाहर नहीं आने दिया और अपना लंड चाची की चूत में फंसा कर एक तेज झटका मारा।
चाची की चूत के धागे खुल गए, उनका मुंह खुला का खुला रह गया- अयीईईई ईईईईईई… मर… गयीईई…साले कुत्ते… भेन के लंड… निकाल अपना लौड़ा मेरी चूत से… फट गयी… आआआ आआआह्ह्ह्ह!
चाची की आँखों से आंसू आने लगे, उनकी चूत में दो विशालकाय लंड जा चुके थे। चाची की चूत में तेज दर्द हो रहा था। शायद वो थोड़ी फट भी गयी थी और खून आ रहा था। पर पापा नहीं रुके और उन्होंने एक और शोट मार कर अपना लंड पूरा उनकी चूत में डाल दिया।
चाचू के लंड के साथ अब उनका लंड भी चाची की चूत में था। उन दोनों का लंड एक दूसरे की घिसाई कर रहा था और दोनों की गोलियां एक दूसरे के गले मिल रही थी। चाची के लिए ये एक नया अहसास था, उनकी चूत की खुजली अब शायद मिट जाए, ये सोच कर पापा ने फिर से नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए। चाचू ने भी पापा के साथ ताल मिलायी और वो दोनों चाची की चूत में अपने अपने लंड पेल रहे थे।
दो लंड जल्दी ही अपना रंग दिखाने लगे और चाची की दर्द भरी चीखें मीठी सिसकारियों में बदल गयी- आआआ आआह आआह्ह्ह्ह… म्मम्मम्म… साले कुत्तो… तुमने तो मेरी चूत ही फाड़ डाली… आआआ आअह्ह्ह पर जो भी है… म्मम्मम्म… मजा आ रहा है… मारो अब दोनों… मेरी चूत को… आआआआह्ह्ह्ह…
और फिर तो पापा और चाचू ने चाची जो रेल बनायी… जो रेल बनायी… वो देखते ही बनती थी।
आरती चाची की हिम्मत भी अब जवाब दे रही थी।
सबसे पहले पापा ने अपना वीर्य छोड़ा, वो चिल्लाए- आआआ आअह्ह्ह्ह… वाह… मजा आ… गयाआआ!
चाची भी अपनी चूत में गर्म लावा पाकर पिघलने लगी और चाचू के लंड को और अन्दर तक घुसा कर कूदने लगी। जल्दी ही चाचू और चाची भी एक साथ झड़ने लगे. आआआ आअयीईई ईईई… म्मम्मम्म… मैं तो गयी…आआह आआअह्ह्ह्ह… ऊऊओफ़ गॉड!
मैं भी अपनी मंजिल के काफी करीब था, ऋतु तो ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी, वो फिर से झड़ने लगी तो मैंने भी उसी पानी में अपना पानी मिला कर उसकी चूत को भिगोना शुरू कर दिया। हम दोनों का पानी उसकी नन्ही सी चूत में नहीं आ पा रहा था और वो नीचे की तरफ रिसता हुआ मेरे ही पेट पर गिरने लगा।
ऋतु उठी और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और फिर उसने पेट पर गिरे वीर्य को भी साफ़ किया। सारा रस पीने के बाद उसने जोर से डकार मारा और हम सभी की हंसी निकल गयी।
अगले तीन दिनों तक हम सभी ने हर तरीके से एक दूसरे को कितनी बार चोदा, बता नहीं सकता और अंत में वो दिन भी आ गया जब हमें वापिस जाना था।
मुझे इतना मजा आज तक नहीं आया था। मैंने इस टूर पर ना जाने कितनी चूतें चोदी थी और कितनी बार चोदी, मैं गिनती भी नहीं कर पा रहा था।
चाचा चाची, नेहा के साथ अपनी कार में सवार हो कर घर के लिए निकल गए और हम लोग भी अपने घर चल दिये थे।
वापिस जाते हुए मैं कार में बैठा सोच रहा था कि कैसे विकास और सन्नी को ऋतु की चूत दिलाई जाए और इसके लिए कितना चार्ज किया जाए। मैं तो ये भी सोच रहा था कि मम्मी को भी इसमें शामिल कर लेना चाहिए.
देखते हैं।
तभी मम्मी के फोन की घंटी बज उठी और उन्होंने कहा- अरे… दीपा का फोन है.
और ये कहते हुए उन्होंने फोन उठा लिया और बातें करने लगी।
दीपा मम्मी की छोटी बहन है यानी हमारी मौसी! वो मम्मी की तरह ही गोरी चिट्टी हैं, बाल कटे हुए, दुबली पतली। पर उनके चुचे देख कर मेरे मुंह में हमेशा से पानी आ जाता था। वो गुजरात में रहती हैं और उनके पति सरकारी जॉब करते हैं। उनके दो बच्चे हैं अयान और सुरभि, दोनों लगभग हमारी ही उम्र के हैं।
मैं गोर से उनकी बातें सुनने लगा। बात ख़त्म होने के बाद मम्मी ने खुश होते हुए कहा- अरे सुनो… दीपा आ रही है अपने परिवार के साथ। वो लोग भी छुट्टियों में घुमने के लिए शिमला गए थे और वापसी में वो लोग कुछ दिन हमारे पास रुकना चाहते हैं।
मम्मी की बात सुनकर पापा बड़े खुश हुए, उनकी नजर हमेशा अपनी साली पर रहती थी, ये मैंने कई बार नोट किया था पर दीपा मौसी बड़े नकचढ़े स्वभाव की थी। वो पापा की हरकतों पर उन्हें डांट भी देती थी इसलिए पापा की ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी पर अब बात कुछ और थी। मम्मी पापा हमारे साथ खुल चुके थे इसलिए वो खुल कर बात कर रहे थे हमारे सामने।
पापा बोले- इस बार तो मैं इस दीपा की बच्ची की चूत मार कर रहूँगा। बड़े सालों से ट्राई कर रहा हूँ, भाव ही नहीं देती साली।
मम्मी ने कहा- अजी सुनो… तुम ऐसा कुछ मत करना। वो पहले भी कई बार मुझसे तुम्हारे बारे में बोल चुकी है और इस बार तो उसके साथ सभी होंगे। उसके बच्चे और उसका पति हरीश भी। तुम ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे उसे कोई परेशानी हो… समझे?
“देखेंगे…” पापा ने कहा और ड्राइव करने लगे।
जल्दी ही हम सभी घर पहुँच गए और सीधे अपने कमरे में जाकर बेसुध होकर सो गए। ऋतु मेरे साथ मेरे कमरे में ही सो रही थी वो भी नंगी पर हमारे में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि चुदाई कर सकें, सफ़र में काफी थक चुके थे।