अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ - Main tumhara lund chusna chahti hun

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सुबह दोनों को नाश्ते पर देखकर ऐसा नहीं लगा कि दोनों इस तरह की हैं.
दोनों ने नाश्ता किया और स्कूल चली गई. मैं भी कॉलेज गया और सारा दिन दोनों के बारे में सोचता रहा.

शाम को घर पहुंच कर ऋतु का इंतज़ार करने लगा.
वो स्कूल से आते ही सीधे मेरे रूम में घुसी और मुझसे लिपट गई और मुझसे पूछा- तुमने देखा… कैसा लगा… मजा आया या नहीं… बोलो?
मैंने कहा- अरे हाँ, मैंने देखा और बहुत मजा आया.

ऋतु बोली- हाय… मैं तुम्हें क्या बताऊँ पूजा की चूत का रस इतना मीठा था कि बस मजा आ गया.
और फिर मेरे लंड पर हाथ रखकर बोली- पर इसका कोई मुकाबला नहीं है.

फिर ऋतु ने पूछा- क्या तुम्हें देखने में अच्छा लगा?
मैंने कहा- हाँ, मेरा मन तो कर रहा था कि काश मैं तुम्हारे रूम में होता तुम्हारे साथ!
ऋतु ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा- शायद एक दिन तुम भी वहाँ पर होगे… हम दोनों के साथ!

मैंने पूछा- तो क्या मैं सन्नी और विकास को बुला लूं… तुम दोनों का शो देखने के लिए, तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है न?
ऋतु- तुम कितना चार्ज करोगे उनसे?
मैं- एक हजार एक बन्दे से यानी टोटल दो हजार रूपए पर शो!
ऋतु- पर अब हम दो लड़कियाँ हैं क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें ज्यादा चार्ज करना चाहिए?
मैं- हाँ, बात तो सही है कितने बोलू उनको… पंद्रह सौ ठीक है क्या?
ऋतु- हाँ ठीक है.
मैं- तो ठीक है, अगला शो कब का रखें, पूजा कब आ सकती है दुबारा तुम्हारे साथ रात को रुकने के लिए?
ऋतु- उसको जो मजे कल रात मिले है.. मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ वो रोज रात मेरे साथ बिताने के लिए तैयार होगी.
और वो हंसने लगी.

ऋतु- मुझे भी एक आईडिया आया है जिससे हम और ज्यादा पैसे कम सकते हैं.
मैं- कैसे?
ऋतु- अगर मैं भी अपनी सहेलियों को अपने रूम में बुलाकर तुम्हें मुठ मारते हुए दिखाऊं तो?
मैं- मुझे मुठ मारते हुए… इसमें कौन रूचि लेगी?
ऋतु- जैसे तुम लड़के लड़कियों को नंगा देखने के लिए मचलते रहते हो वैसे ही हम लड़कियां भी लड़कों के लंड के बारे में सोचती हैं और उत्तेजित होती हैं, अगर कोई लड़की तुम्हें मुठ मारते हुए देखे तो इसमें तुम्हें क्या आपत्ति है.
मैं- लेकिन ये तुम करोगी कैसे?

ऋतु- मैं कल पूजा को अपने साथ लेकर चार बजे घर ले आऊँगी और तुम उससे पहले ही आ जाते हो. तुम ठीक चार बजे मुठ मारनी चालू कर देना. मैं उसको बोलूंगी कि मेरा भाई रोज इसी समय बजे अपने रूम में मुठ मारता है और मैं इस छेद से रोज उसको देखती हूँ. मुझे विश्वास है कि वो भी तुम्हें देखने की जिद करेगी, तब मैं उससे पैसों के बारे में बात करके तुम्हें मुठ मारते हुए दिखा दूँगी.

मैं- वाह, मैं तो तुम्हारी अक्ल का कायल हो गया… तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो.
ऋतु- आखिर बहन किसकी हूँ.
मैं- और तुम उससे कितना चार्ज करोगी?
ऋतु- वो ही… एक हजार रूपए… ठीक है ना?
मैं- ठीक है.

ऋतु- और फिर रात को सन्नी और विकास भी आ सकते हैं और वो दोनों हम दोनों को देखने के तीन हजार रूपए अलग से तुम्हें देंगे… तो हम एक दिन में चार हजार रूपए कमा सकते हैं.
ऋतु- वैसे एक बात बताऊँ… मुझे काफी उत्तेजना हो रही थी कि कल तुम मुझे छेद से वो सब करते हुए देख रहे हो… काफी मजा आ रहा था.
मैं- मुझे भी काफी मजा आ रहा था. मेरा लंड तो अभी भी कल की बातें सोचकर खड़ा हुआ है.
ऋतु- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ.
मैं- अभी… मम्मी पापा आने वाले हैं, तुम मरवाओगी.
ऋतु- अरे इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा… अपना लंड निकालो… जल्दी!

मैंने जल्दी से अपनी पैंट नीचे उतारी और ऋतु झट से मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई. ऋतु ने मेरी चड्डी एक झटके में नीचे करके मेरे फड़कते हुए लंड को अपने नर्म हाथों में लेकर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया और फिर उसे चूसने लग गई.

ऋतु के होंठ लगते ही उत्तेजित होकर एक मिनट में ही मैंने एक के बाद एक कई पिचकारी उसके मुंह में उतार डाली. वो उठी और अपना मुंह साफ़ करते हुए बोली- मुझे तो तुम्हारे वीर्य ने अपना दीवाना ही बना दिया है… और फिर मेरे लंड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी गरम साँसें छोड़ती हुई बोली- आगे से तुम इसे कभी व्यर्थ नहीं करोगे… समझे ना!
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई.

मैंने धीरे से कहा- अगर तुम चाहो तो बाद में मैं भी तुम्हारी चूत चूस सकता हूँ.
ऋतु- तुमने तो मेरे दिल की बात छीन ली… मैं रात होने का इन्तजार करुँगी.
मैं- मैं भी रात होने का इन्तजार करूँगा.

फिर वो अपने रूम में चली गई और रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गए.

मैं अपने बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था कि पिछले कुछ दिनों से मैं और ऋतु एक दूसरे से कितना खुल गए हैं… लंड-चूत की बातें करते हैं… मुठ मारना… एक दूसरे को नंगा देखना और छूना.. कितना आसान हो गया है… मैं अपनी इस लाइफ से बड़ा खुश था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मसलना शुरू कर दिया. मुझे ऋतु का इन्तजार था.

मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा, करीब पंद्रह मिनट में ही वो धीरे से मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देखकर चहक कर बोली- वाह.. तुम तो पहले से ही तैयार हो, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूँ.

मैं- पर मैं तुम्हारी चूत चुसना चाहता हूँ!
ऋतु- कोई बात नहीं तुम मेरी चूत चूसो और मैं तुम्हारा लंड… हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.

ऋतु ने जल्दी से अपना गाउन खोला, हमेशा की तरह आज भी वो अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी, उसके भरे हुए मम्मे और तने हुए निप्पल देखकर मेरे लंड ने एक-दो झटके मारे और मैंने नोट किया कि आज उसकी चूत एकदम साफ़ और चिकनी थी. शायद उसने आज अपनी चूत के बाल साफ़ किये थे… मेरे तो मुंह में पानी आ गया.

ऋतु झुकी और अपने गीले मुंह में मेरा लंड ले लिया और अपनी टाँगें उठा कर घुमाते हुए बेड पर फैलाई और उसकी चूत सीधे मेरे खुले हुए मुंह पर फिक्स हो गई.
उसके मुंह में मेरा लंड था पर फिर भी उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गई. उसकी चूत जल रही थी… एकदम गर्म, लाल, गीली, रस छोड़ती हुई…

मैं तो अपने काम में लग गया. उसकी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से पकड़ के मैंने अन्दर की बनावट देखी तो मुझे उबड़ खाबड़ पहाड़ियां नजर आई और उन पहाड़ियों से बहता हुआ उसका जल…
मैंने अपनी लम्बी जीभ निकाली और पहाड़ियाँ साफ़ करने में लग गया, पर जैसे ही साफ़ करता और पानी आ जाता… मैं लगा रहा… लगा रहा… साथ ही साथ मैं अपनी एक उंगली से उसकी क्लिट भी रगड़ रहा था.

मेरे लंड का भी बुरा हाल था. ऋतु उसको आज ऐसे चूस रही थी जैसे कुल्फी हो… अन्दर तक ले जाती, जीभ से चारों तरफ चाटती और फिर बाहर निकालते हुए हल्के से दांतों का भी इस्तेमाल करती… वो लंड चूसने में परफेक्ट हो चुकी थी.

मैंने अब उसकी चूत के मुंह पर अपने दोनों होंठ लगा दिए और बिना जीभ का इस्तेमाल किये बिना चूसना शुरू कर दिया. वो तो बिफर ही गई मेरे इस हमले से… और उसकी चूत में से ढेर सारा रस निकलने लगा और वो झड़ने लगी.

मैं भी अब कगार पर था, मेरे लंड ने भी विराट रूप ले लिया और ऋतु ने जैसे ही मेरे टट्टों को अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया… मैं झड़ गया और वो मेरा पूरा माल पी गई.

फिर हम दोनों उठे और एक दूसरे की तरफ देखा. हम दोनो के चेहरे गीले थे और हम ये देखकर हंसने लगे.

ऋतु- तुमने तो मुझे अपने वीर्य की लत लगा दी है… कितना मजा आता है तुम्हारा लंड चूसने में और तुम्हारा वीर्य पीने में!
मैं- मैं भी तुम्हारे मीठे रस का शौकीन हो चुका हूँ… जी करता है सारा दिन तुम्हारी चूत चूसता रहूँ.

मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था वो मेरे साथ लेट गई. उसके मोटे चूचे मेरे सीने से लग कर दब गए. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगा. उसकी गर्म साँसें मेरे कानों पर पड़ रही थी. ऋतु की एक टांग मेरे ऊपर थी और वो उसको रगड़ रही थी जिससे ऋतु की गीली चूत मेरी जांघ से रगड़ खा रही थी.

ऋतु- तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है… मेरी चूत के अन्दर भी कुछ कुछ हो रहा है…
और फिर उसने जो किया, मैं स्तब्ध रह गया.

ऋतु उठी और अपनी दोनों टाँगें फैला कर मेरे ऊपर आ गई. उसकी दोनों बाहें मेरे सर के दोनों तरफ थी और ऋतु के दोनों मोटे मोटे मम्मे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे और मेरी बहन की रसीली चूत मेरे खड़े हुए लंड को छू रही थी.

फिर ऋतु थोड़ा झुकी और मेरे होंठों को चूसने लगी. उसके मुंह में से मेरे वीर्य की गंध आ रही थी.
मैंने भी उसके नर्म होंठों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया. फिर जब उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली तो मैं उसकी मचलती जीभ को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते हुए जोर जोर से उसे चूसने लगा.

मेरे हाथ अपने आप उसकी छाती पर जा चिपके और मेरी उंगलियाँ उसके निप्पल को सहलाने लगी. लटकने की वजह से उसके मम्मे काफी बड़े लग रहे थे और मेरी हथेली में भी नहीं आ रहे थे.
ऋतु धीरे धीरे अपनी चूत की बाहरी दीवारों पर मेरे खड़े हुए लंड को रगड़ रही थी और उसकी चूत की गर्म हवाओं से मेरा लंड झुलस रहा था.
मैंने भी अपनी जीभ अब उसके मुंह में डाल दी. वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे मेरा लंड हो… पूरी तरह से वो मुझे पीना चाहती थी.

दूसरी तरफ मेरा लंड अब उसकी चूत की दरार में फंस गया था. ऋतु ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ नशीली आँखों से देखा और मुझसे कहा- आई लव यू… रोहण!

मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने अपनी गांड का दबाव मेरे ऊपर डाल दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाता चला गया.
ऋतु के मुंह से एक कराह निकल गई ‘आआआईईई… .म्म्मम्म्म्म… माआआअर.. ग्ईईईईई.. आआआअहहह!’

मैं तो भौचक्का रह गया. मुझे इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर जब मैंने ऋतु का तृप्ति भरा चेहरा देखा तब उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा तो मुझे एक सुखद अहसास हुआ और मैं भी पूरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
ऋतु ने अपनी बाहों से मेरी गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे.

मैंने अपने हाथ उसकी चौड़ी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा. उसके होंठ मेरे कान के बिल्कुल पास थे और वो मीठे दर्द से हल्के हल्के चिल्ला रही थी ‘आआआ आआअहहह… रोहण… आई लव यू… फ़क मी… आई लव यौर बिग… कॉक… तुम्हारा मोटा लंड… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआ… मेरी चूत में अन्दर तक डाआआअलो… और जोर से… और जोर से… आआआअह्ह्ह… मेरी चूत तुम्हारी है… मारो मेरी चूत… चोदो मुझे..’

ऋतु अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी ‘बहनचोद… चोद न… आआआअह… चोद अपनी कुँवारी… कमसिन… बहन को… अपने लम्बे लंड से… पूरा ले लूंगी… आआअईईई… हरामखोर… चोद मुझे… फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊत… आआआह…..माआआ आआआऐन तो गईई ईईई… आआअह…’

थोड़ी देर की चुदाई के बाद वो झड़ने लगी. मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया. वो गहरी गहरी साँसें लेकर ढीली पड़ गई… फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड डाल दिया.

ऋतु की फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी. मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ा और अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी. उसके मुंह से ‘ओह्ह्हह्ह… ओफ्फ फ्फ्फ… आआहह…’ की आवाजें दोबारा आने लगी. मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया.

मैंने ऋतु से कहा- ऋतु मैं आया…
और अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर अपने हाथों में ले लिया.
वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया… मेरे लिए ये काफी था. मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया और वो सारी रसमलाई खा गई.

फिर ऋतु उठी और ‘आई लव यू’ कहकर मेरे सीने से लग गई. मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए ‘आई लव यू टू… आई लव यू टू…’ कहने लगा.

हाँफते हुए ऋतु ने अपनी नजर मुझसे मिलाई और मुस्कुराकर बोली- मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया… ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है. डिल्डो को अन्दर ले लेकर मैं थक गई थी. ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है.
मैंने कहा- तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है. कितना आनन्द आ रहा था तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में. मैंने कभी इस आनन्द की तो कल्पना भी नहीं की थी.

ऋतु ने बेड पर से उठते हुए कहा- अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में!
मैं- उठाने के लिए… पर किसलिए?
ऋतु- क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए… कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खूबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे… और अब तो हम बिज़नस पार्टनर हैं… हैं ना!
मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ हाँ… बिल्कुल हैं.

ऋतु- ठीक है फिर… गुड नाईट…

और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया और बाहर निकल गई.

अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गई और मैंने जब छेद से ऋतु के रूम में देखा तो वहाँ अँधेरा था. मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें जमाने के बाद मैंने देखा कि ऋतु अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही थी.
मेरी बहन एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से मेरी बहन की चूत अलग ही चमक रही थी.
मेरा लंड यह नजारा देख कर फुफकारने लगा. मैंने फुर्ती में अपने कपड़े उतारे और उसकी खुली हुई टांगों के बीच कूद गया.

मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया, उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गई.
जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी. ऋतु सिसकारती हुई बोली- म्म्म्म म्म्म… आआ आआआह आआ… गुड मोर्निंग.. रोहन!

मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला- गुड मोर्निंग!

हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं चटखारे लेकर उसे पीने लगा. ऋतु ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगी. मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे चूचों पर किस करता चला गया और अंत में उसके होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा कि मेरे मुंह से भी आह निकल गई.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया. उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुहाने पर रख दिया. बाकी काम मैं जानता था और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गर्म चूत में डाल दिया. उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर कुछ झटकों के बाद वही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह तरह की आवाजें आने लगी- आअअ अअहह… चोदो… मुझए… मुझे तुम्हारा लंड रोज चाहिए…. आअहहह… जोर से और जोऊर से!

मैंने अपना मुंह ऋतु के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ चूसने लगा. कुछ देर बाद मैं झड़ने के करीब था. मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतु समझ गई और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया.
मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा और अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.

वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था. मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतु के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गई.

फिर ऋतु ने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई. उसकी चूत ने मेरे होंठों को ढक लिया. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चूसना शुरू कर दिया और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हल्के से चिल्ला कर झड़ने लगी.

झड़ने के बाद ऋतु उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे की किस ली. फिर उसने किस तोड़ी और बोली- अब तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ. इससे पहले कि मम्मी पापा उठ जाएँ… और कॉलेज भी तो जाना है ना तुम्हें, मुझे भी स्कूल के लिए तैयार होना है.
मैं- ओह्ह मैं तो भूल ही गया था… मुझे तो बस आज रात का इन्तजार है.
ऋतु- मुझे भी!

फिर मैंने अपने कपड़े पहने और रूम में जाकर तैयार हुआ.

नाश्ता करते हुए ऋतु ने सबको बता दिया कि आज रात उसकी फ्रेंड पूजा रात को यहीं रुकेगी.

कॉलेज जाकर मेरा मन सारा दिन कहीं नहीं लगा, मुझे तो बस शाम का इन्तजार था.
मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया. घड़ी देखी तो तीन बजने वाले थे और ऋतु साढ़े तीन बजे तक स्कूल से आती थी. मैं अपने रूम में जाकर उसका इन्तजार करने लगा.

कुछ देर बाद ऋतु और पूजा घर आ गई. मैंने छेद से देखा तो दोनों अपने रूम में बैठकर बातें कर रही थी. वो पूजा को बता रही थी कि कैसे वो रोज मुझे छेद के जरिये मुठ मारते हुए देखती है और अगर वो भी देखना चाहती है तो उसे एक हजार रूपए देने होंगे.

पैसों का नाम सुनकर पूजा ऋतु को हैरानी से देखने लगी.
पर जब ऋतु बोली- अगर तुम्हें लगे कि यह ‘शो’ अच्छा नहीं हैं तो तुम पैसे मत देना.
कुछ सोचने के बाद वो मान गई क्योंकि उसने भी आज तक कोई असली लंड नहीं देखा था.

मैंने घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे. मैं अपने बेड पर आकर बैठ गया और संकुचाते हुए अपनी जींस और चड्डी को उतार दिया और मुठ मारना शुरू किया.

दूसरे रूम में से जब ऋतु ने देखा कि मैंने अपनी जींस उतार दी है और मुठ मारना चालू कर दिया है तो उसने पूजा को बुलाया और उसे छेद में से देखने को कहा.
छेद से झाँकने के बाद पूजा ने धीरे से कहा- वाव… ऋतु, तुम्हारे भाई का लंड तो काफी बड़ा है और सुन्दर भी!
ऋतु- हाँ शायद… क्योंकि मैंने कभी और किसी का लंड तो देखा नहीं है… ले दे के सिर्फ अपना डिल्डो ही है जिससे हम भाई के लंड को तौल सकते हैं.
और दोनों हंसने लगी.

मुझे इस बात का आभास हो गया था कि छेद से मेरी बहन और और उसकी सहेली बारी-बारी से मुझे देख रही हैं.

पूजा ने गहरी सांस लेते हुए कहा- ये सच में डिल्डो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है और इसे देखने में भी कितना मजा आ रहा है. लंड के ऊपर की नसें कैसे चमक रही हैं. सच में यह बहुत सुंदर है.

मैं भी अपने रूम में बैठा उत्तेजित होता जा रहा था यह सोच कर कि पूजा और ऋतु मुझे दूसरे रूम से देख रही हैं. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जब मैं झड़ने वाला था तो थोड़ा सा घूम कर अलमारी की तरफ हो गया और खड़े होकर अपनी धारें मारनी शुरू कर दी.

यह देखकर दूसरे रूम में पूजा आश्चर्यचकित रह गई और वो बोली- हाय… वो तो खड़ा हो गया है और अब उसका लंड मेरे बिल्कुल सामने है… वाव… अब उसके लंड में से रस निकल रहा है… कितना सुन्दर दृश्य है… मजा आ गया.

मैंने गहरी साँसें लेते हुए झड़ना बंद किया और बेड पर लेट गया और सोचने लगा ‘काश पूजा मेरे सामने होती तो मैं उसके चेहरे के भाव देख सकता!’

दूसरे रूम में पूजा ने उछलते हुए ऋतु को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया और बोली- मैंने इससे ज्यादा सुन्दर चीज आज तक नहीं देखी, मेरी तो चूत से पानी निकलने लगा है, निप्पल खड़े हो गए हैं… ये देख!
और उसने ऋतु का एक हाथ अपनी चूची पर और दूसरा सीधे अपनी चूत पर टिका दिया।

ऋतु दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और पूजा से पूछा- मतलब तुम मानती हो न कि यह शो एक हजार रूपए का था.
पूजा कुछ नहीं बोली और सीधे अपने पर्स में से एक हजार रूपए निकाल कर ऋतु को दे दिए और बोली- बिल्कुल था… ये लो!
और आगे बोली- काश! ये सब मुझे बिल्कुल मेरे सामने देखने को मिल जाए तो मजा ही आ जाए.

मैं अपनी बहन के साथ सेक्स दो बार कर चुका था. वो अपनी सहेली को लाई थी घर मुझे नंगा मुठ मारते दिखाने के लिए.
ऋतु- तो चलो चल कर रोहन से ही पूछ लेती हैं… देखें वो क्या कहता है?
और फिर हँसने लगी.

पूजा- पागल हो गई है क्या… मैं तो सिर्फ बात कर रही हूँ. इसका मतलब यह नहीं कि मैं उससे जाकर बोलूँ कि वो मेरे सामने मुठ मार सकता है या नहीं.
ऋतु- तुम मत जाओ, मैं जाकर उसको बोलती हूँ तुम्हारी तरफ से.. अगर तुम चाहो तो?
पूजा- वो कभी भी नहीं तैयार होगा इस पागलपन के लिए… ये सिर्फ मेरे मन के विचार हैं और कुछ नहीं इन्हें ज्यादा गंभीरता से मत लो.

ऋतु- अरे कोशिश तो करते हैं ना… वो या तो हाँ करेगा या ना… और वो ये बात मोम डैड को भी नहीं बता पायेगा क्योंकि उसे ये बातें उन्हें बताने में बड़ी शर्म आएगी… मैं तो यह सोच रही हूँ कि उसको क्या देना पड़ेगा ये सब करवाने के लिए?
पूजा- क्या मतलब?
ऋतु- मतलब कि वो शायद कर सकता है अगर बदले में हम उसे कुछ ऐसा दें जिसकी उसे जरूरत है.
पूजा- जैसे कि?
ऋतु- मुझे नहीं पता…कुछ भी हो सकता है. ये तो सिर्फ मेरा आईडिया है. चलो एक काम करते हैं, मैं जाकर उससे पूछती हूँ कि क्या वो हमारे सामने मुठ मारने को तैयार है और उसके बदले में क्या चाहिए.
पूजा- तुझ में इतनी हिम्मत ही नहीं है कि अपने सगे भाई से इस तरह की बात पूछ सके और अगर पूछती भी है तो वो तैयार नहीं होगा.

ऋतु- अगर ऐसी बात है तो मैं अभी जाकर पूछती हूँ!
और यह बोल कर वो दरवाजे की तरफ चल पड़ी.
जाते जाते उसने पूजा से कहा- अगर तुम भी आना चाहो तो आ सकती हो, या फिर छेद में से देख सकती हो.
पूजा- ना बाबा ना..मुझे तो बड़ी शर्म आएगी इस सबमें… तुम ही जाओ.

ऋतु ने आकर मेरे रूम का दरवाजा खड़काया और अन्दर आ गई. मैंने बड़ी हैरानी से उसे देखा.
वो जल्दी से मेरे पास आई और मेरे मुंह पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने के लिए कहा और फुसफुसा कर बात करने लगी.

दूसरे रूम से पूजा बड़ी बेसब्री से ये सब देख रही थी. उसने देखा कि ऋतु ने मुझ से कुछ कहा और कुछ मिनट बात करने के बाद ऋतु का भाई झटके से अलग हुआ और अपने हाथ हवा में उठाकर मना करने के स्टाइल में कुछ बोलने लगा.

पूजा सांस रोके ये सब देख रही थी फिर ऋतु दुबारा अपने भाई के पास गई और उसे कुछ और बोला. फिर भाई ने भी आगे से कुछ कहा और ऋतु सोचने के अंदाज में सर खुजाने लगी और फिर कुछ और बातें करने के बाद दोनों एक दूसरे के गले लग गए और ऋतु बाहर निकल गई.

अन्दर आते ही पूजा ने ऋतु से बड़ी अधीरता से पूछा- तुमने उससे क्या कहा? कैसे पूछा?
ऋतु- वही जो हमने तय किया था.
मैंने पूछा- क्या वो हमारे सामने हस्तमैथुन कर सकता है क्योंकि हमने कभी भी असली में ऐसा नहीं देखा.
पूजा- और उसने क्या कहा?

ऋतु- वो तो यह सुनकर काफी भड़क गया था.
पूजा- देखा… मैंने कहा था ना!
ऋतु- पर जब मैंने उससे कहा कि हम इसके लिए उसे कुछ पैसे देंगे या फिर कुछ और भी जो वो चाहे तो बात आगे बढ़ी.

पूजा ने उत्तेजित होकर पूछा- तो उसने क्या कहा?
ऋतु- वो तैयार है और वो इसके लिए दो हज़ार रूपए मांग रहा है.
पूजा ने आश्चर्य के भाव दिए और बोली- क्या सच में… वो सब हमारे सामने करने को तैयार है और उसे सिर्फ रूपए चाहियें?
ऋतु ने धीरे से कहा- हाँ… और साथ ही साथ वो चाहता है कि हमें भी उसके सामने नंगी होना पड़ेगा.

पूजा ने कटाक्ष भरे स्वर में कहा- वाह बहुत बढ़िया… वो हमें नंगी देखना चाहता है, तभी हस्तमैथुन करेगा.
ऋतु ने उसे उकसाते हुए कहा- पर जरा सोचो… उसका लम्बा और खूबसूरत लंड तुम्हारी नाक से सिर्फ कुछ ही दूरी पर होगा.
पूजा कुछ सोचते हुए बोली- चलो वो तो ठीक है, पर क्या तुम अपने भाई के सामने नंगी हो सकती हो?
ऋतु- उसे अपने सामने मुठ मारता हुए देखने के लिए तो मैं ये सब कर ही सकती हूँ… ये कोई बड़ी बात नहीं है और जब हम दोनों करेंगे तो मुझे इसमें ज्यादा शर्म भी नहीं आएगी.

पूजा- हम दोनों से तुम्हारा क्या मतलब है… मैं तो अभी तक इसके लिए तैयार ही नहीं हुई.
ऋतु ने अपनी आवाज में थोड़ी कठोरता लाते हुए कहा- तुम मुझे ये बताओ तुम तैयार हो या नहीं… ये तुम्हारा लास्ट चांस है?
पूजा- ठीक है… जब तुम्हें अपने भाई के सामने नंगी होने में कोई परेशानी नहीं है तो मुझे क्या… वो ये सब कब करेगा?
ऋतु- शायद आज रात को सबके सोने के बाद!

पूजा- मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है… क्या सच में तुम ये सब करना चाहती हो?
ऋतु- अरे हाँ… ये एक नया एडवेंचर होगा… मजा आएगा… और फिर हम बाद में… समझ गई ना?
पूजा- ठीक है… पर सच में तुम बड़ी पागल हो.
ऋतु- पागलपन करने में भी कभी-कभी बड़ा मजा आता है… चलो अब अपना होमवर्क कर लेती हैं, फिर रात को तो कुछ और नहीं कर पायेंगी.

रात को जब सभी डिनर कर रहे थे तो ऋतु ने सारी बातें मेरे कान में बता दी. बीच-बीच में जब मैं पूजा की तरफ देखता था तो वो शरमा कर अपना चेहरा नीचे कर लेती थी.
जब खाना ख़त्म हुआ तो ऋतु और पूजा अपने रूम में चली गई और आखिरकार सारे घर में शांति छा गई. ऋतु और पूजा अपने रूम में गाउन पहनकर मेरा इंतजार कर रही थी.

पूजा ने सोचा कि शायद मैं नहीं आऊँगा और कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला ही था कि उसे दरवाजे पर हल्की सी खटखट सुनाई दी. आवाज सुनते ही ऋतु उछल कर दरवाजे के पास गई और मुझे अन्दर खींच लिया.
मुझे खींचकर वो बेड के पास तक ले गई और वहाँ बैठी पूजा के पास बैठ गई.
मैं उन दोनों के सामने नर्वस सा खड़ा हुआ था.

ऋतु ने पूछा- अरे भाई, किस बात का वेट कर रहे हो… तुम ये करना भी चाहते हो या नहीं?
मैं- मुझे लगा तुम मुझे पहले पैसे दोगी.

ऋतु पूजा की तरफ देखकर- बिल्कुल देंगी, हमने बोला है तो जरूर देंगी.
मैं- तुमने बोला था कि तुम मुझे 2000 रूपए दोगी और नंगी भी होओगी दोनों?
ऋतु- क्या तब तुम हस्तमैथुन करना शुरू करोगे?
मैं संकुचाते हुए- ह्म्म्म हाँ!
ऋतु- ठीक है…

और पूजा की तरफ देखकर उसे कुछ इशारा किया, पूजा ने झट से अपने पर्स में से 2000 रूपए निकाल कर मुझे दिए पर मुझे कुछ न करते देखकर वो समझ गई कि आगे क्या करना है.
ऋतु- पूजा… चलो एक साथ नंगी होती हैं.

फिर पूजा उठी और दूसरी तरफ मुंह करके अपना गाउन खोल कर नीचे गिरा दिया, ऋतु ने भी उसके साथ-साथ वही किया, दोनों की गांड मेरी तरफ थी. मैं तो वो दृश्य देखकर पागल ही हो गया. एक गोरी और दूसरी सांवली… एकदम ताजा माल… भरी हुई जांघें और सुडौल पिंडलियाँ…

फिर दोनों घूम कर मेरी तरफ मुंह करके बेड के किनारे पर बैठ गई. पूजा के चुचे देखकर मेरे मुंह से ‘आह’ निकल गई और मैं अपने लंड को अपने पायजामे के ऊपर से ही मसलने लगा.

यह देखकर ऋतु ने मुझे घूर कर गुस्से के लहजे में देखा और अगले ही पल हंसकर मुझे आँख मार दी.
पर पूजा ये सब नहीं देख पाई… वो तो अपनी नजरें भी नहीं उठा रही थी.

मैंने देखा कि उसके चुचे ऋतु से काफी बड़े हैं. थोड़े लटके हुए… शायद ज्यादा भार की वजह से… और उसके लाल निप्पल इतने बड़े थे कि शायद मेरे पैर की उंगली के बराबर… पेट बिल्कुल गोल मटोल और सुडौल था.

मैं खड़ा हो गया और अब मैं उसकी चूत भी देख पा रहा था. वो बिल्कुल काली थी, बालों से ढकी हुई और बीच में जो चीरा था, उसमें से गुलाबी पंखुड़ियाँ अपनी बाहें फैला कर जैसे मुझे ही बुला रही थी.

मेरी गरम जवानी पर भाई का कब्ज़ा - Meri Garam Jawani Par Bhai Ka Kabja

मेरी गरम जवानी पर भाई का कब्ज़ा - Meri Garam Jawani Par Bhai Ka Kabja , बहन भाई की चुदाई , भैया ने दीदी की चूत गांड को चोदा , भाई से चुद गई , सगा भाई बना चूत का दीवाना , भाई के लंड की दीवानी बहना.

हेल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम नेहा (बदला हुआ) है. मैं बहुत खूबसूरत हूँ और उतनी ही घुल-मिल कर रहने वाली हूँ. मेरी गांड बहुत बड़ी और सेक्सी है. मैं दिखने में भी बहुत सेक्सी हूँ. मैं अपने आपको बहुत अच्छे से बन संवार कर रखती हूँ और फैशन में रहती हूँ. मैं हमेशा सलवार सूट पहनती हूँ और जब ऑफिस जाती हूँ तो मॉडर्न कपड़े पहन कर जाती हूँ.

मैं आपको मेरे पड़ोसी भाई और मेरी चुदाई की कहानी बता रही हूँ. यह कहानी कुछ दिन पहले की है.

मेरे पड़ोस में एक भैया है उनके घर मैं जाती हूँ. वो भी बहुत मुझसे बहुत अच्छे से बात करते हैं. मैं जब भी उनके घर जाती हूँ तो वो पीछे से मेरी गांड को देखते हैं क्योंकि मैं जब भी चलती हूँ तो मेरी गांड का उभार वो देखते हैं.मैं जब भी भैया के घर जाती हूँ तो उनकी पत्नी से बात करती हूँ और उनकी पत्नी भी बहुत अच्छी है और वो भी मेरे घर आती है.
हम दोनों पड़ोसियों में बहुत प्यार है. मैं और भैया, हम लोग कभी-कभी साथ में टीवी भी देखते हैं. मैं कभी-कभी रात को भी भैया के घर जाती हूँ घूमने के लिए, तो उनकी पत्नी मुझे खाना खिलाये बगैर मुझे घर से आने नहीं देती है. हम दोनों लोग पड़ोसी हैं लेकिन हम दोनों के बीच में एक परिवार की तरह प्यार है.

जब मैं उनके घर जाती थी तो भैया मुझे हवस भरी नजरों से देखते थे. मैं भी सलवार सूट पहन कर एकदम सेक्स बम बन कर जाती थी. मुझे इस तरह से अच्छा लगता था जब लोग मेरी तरफ ध्यान देते थे. ऐसा लगता था कि सब मेरे जिस्म के भूखे हैं. मुझे उनको तड़पाने में बहुत मजा आता था इसलिए मैं जान-बूझ कर इस तरह से अपने आप तैयार करती थी कि सबकी नजर मुझ पर जाये बिना रह ही न पाये.

वैसे तो मेरा मकसद पड़ोसी भैया के घर ही जाना होता था क्योंकि मैं स्पेशल उनके लिये तैयार होकर जाती थी. मगर इसी के साथ मेरे मन की इच्छा भी पूरी हो जाती थी कि मुझे पड़ोस के और लोग भी देखें. घर से निकलती थी तो मुझे बाकी के पड़ोसी लोग भी देखते थे.
भैया मुझसे हमेशा अकेले में बात करते थे और जब उनकी पत्नी मेरे साथ होती थी तो वो बहुत कम मुझसे बात करते थे. मैं कभी-कभी मॉडर्न सलवार सूट पहन कर भैया के घर जाती थी जिसमें से मेरी ब्रा और पेंटी का रंग बिलकुल साफ़ दिखाई देता था.

एक दिन मैं भैया के घर गयी थी तो उनकी पत्नी किसी पड़ोस की औरत के साथ बाजार चली गयी थी और भैया घर में अकेले थे.

मुझे नहीं पता था कि उनकी पत्नी पड़ोस की किसी औरत के साथ बाजार गयी है. भैया घर में अकेले थे तो मैं वापस अपने घर आने लगी तो भैया मुझसे बोले कि तुम अकेले में मुझसे बात नहीं करोगी क्या?
उनकी यह बात सुनकर मैं भैया के घर रुक गयी और हम दोनों बात करने लगे. मुझे नहीं पता था कि उनकी पत्नी कब आएँगी और इधर भैया मुझसे बात कर रहे थे और मैं भी हंस-हंस कर उनसे बात कर रही थी. हम दोनों लोग पहले भी अकेले में एक दूसरे से बात करते थे तो हमें अकेले में एक दूसरे से बात करने में कोई परेशानी नहीं थी.

भैया बात करते-करते मुझे हवस भरी नजरों से देख रहे थे. हम दोनों लोग एक दूसरे से बात करते-करते घुल मिल गए थे. अचानक से भैया ने मुझे पकड़ लिया और मैं भैया से बोली- आप ये क्या कर रहे हैं?
वो बोले- मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ!
और जब तक मैं कुछ और कह पाती वो मुझे किस करने लगे. हम दोनों लोग घर में अकेले थे तो किसी के आने का भी डर नहीं था.

किस करने के बाद मैंने खुद को पीछे हटाया और कहने लगी- ये सब मत करिए.
वो बोले- मैं तुमको बहुत चाहता हूँ.
और वो मुझे पकड़ कर फिर से किस करने लगे.

मैं भी गर्म होने लगी और वो मुझे किस करते-करते मेरी सलवार के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगे. भैया मुझे अपनी बाँहों में उठा कर बेडरूम में ले गए. वो मुझे बेड पर गिरा कर किस करने लगे. मेरी चूचियों को दबाने लगे और मैं भी ज्यादा गर्म होने लगी. उन्होंने मुझे किस करते करते मेरी सलवार और सूट को निकाल दिया और मैं ब्रा और पेंटी में रह गयी. वो मुझे ब्रा और पेंटी में देख रहे थे.

उनकी नजरों से हवस टपक रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई भूखा भेड़िया अपने शिकार को देख रहा है.

उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया. मेरे जिस्म को चाटने लगे और उसके बाद वो मेरी ब्रा निकाल कर मेरी चूचियों को अपने हाथों से दबाने लगे और मेरी एक चूची को पकड़े हुए दूसरी चूची को मुंह में लेकर चूसने लगे.
मेरी चूची को चूसने के बाद वो मेरे निप्पल को मसलने लगे और फिर मेरे निप्पल को चूसने लगे. मेरी चूचियों को पीने के बाद वो मेरी चूची को बहुत जोर से दबा रहे थे. मेरी चूची बहुत बड़ी हैं तो उनको मेरी चूची को दबाने में मजा आ रहा था. वो मेरी चूची को दबाने के बाद वह उठ गये.

फिर भैया किचन से चॉकलेट लेकर आये और मेरी चूची पर चॉकलेट लगा कर मेरी चूची को चूसने लगे.
मेरी चूची पर से चॉकलेट को चूसने के बाद वो मेरी पेंटी को निकालने लगे. उन्होंने मेरी पेंटी को खींच कर मेरी टांगों से अलग कर दिया और फिर चूत को गौर से देखने लगे. कुछ देर तक देखने के बाद उन्होंने मेरी चूत पर चॉकलेट लगा दी.

मेरी चूत पर चॉकलेट लगाने के बाद वो मेरी चूत को चाटने लगे. मैं भी उनका साथ दे रही थी और वो मेरी चिकनी चूत पर चॉकलेट लगा कर मेरी चूत को चाट रहे थे.

मुझे लगा कि भाभी आ सकती हैं, मैं उनको मना करने लगी- अब रहने दीजिए, कोई आ जायेगा.
वो बोले कि उनकी पत्नी अभी नहीं आएगी. वो मेरी चूत को जोर से चाटते रहे.

मेरी चूत को खूब चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे. भैया अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ रहे थे तो मैं बहुत ही गर्म हो गई और वो अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. मेरी चूत में वो अपना लंड डाल कर मुझको चोदने लगे. मेरी चूत में उनका लंड अन्दर बाहर हो रहा था. वो मेरी टांगों को फैला कर मेरी चूत को चोद रहे थे. हम दोनों लोग सेक्स कर रहे थे और वो मुझे अपने बेडरूम में नंगी करके मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.

उनका लंड मेरी चिकनी चूत को चोद रहा था. हम दोनों लोग सेक्स करते करते गर्म हो गए थे. वो मेरी चूत में झटका मार रहे थे और मैं सिसकारियाँ ले रही थी. मेरी चूत गीली हो गयी थी और हम दोनों लोग सेक्स करते-करते एक दूसरे को किस भी कर रहे थे.

हम दोनों सेक्स करते हुए पूरा मजा ले रहे थे. बहुत दिनों के बाद मेरी चूत की चुदाई हुई थी. मैं तो पहले से ही चाहती थी कि भैया मेरी चूत को चोद दें मगर अभी तक मौका नहीं मिल पा रहा था.
हमें चुदाई करते हुए बीस मिनट हो गये थे. फिर एकदम से दोनों का माल निकलने को हो गया. भैया ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और वो अपना माल मेरे चूची पर छोड़ने लगे. मेरी चूची पर उनका सफेद माल आकर गिरने लगा और यहाँ-वहाँ बहने लगा. मुझे बहुत मजा आया उनका माल अपनी मोटी चूचियों पर लगवा कर. मैंने उनके माल को अपनी चूचियों पर पूरी तरह से मल दिया. मेरी चूची पूरी तरह से भैया के माल से सन गई थी.

मेरी चूची पर अपना माल छोड़ने के बाद वो मेरी चूत को चाटने लगे और मैं उनके माल को साफ़ करने लगी. मैंने एक कपड़े से अपनी चूचियों को साफ़ किया और उसके बाद वो मेरी चूत को बहुत अच्छे से चाटने लगे. बीच-बीच में वो दो उंगली डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.

कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वो मेरी चूत में अपनी जीभ डालने लगे. मुझे फिर से मजा आने लगा. मैं अपनी चूत को उनके मुंह में फेंकने लगी. गांड उठाकर अपनी चूत को उनकी जीभ की तरफ धकेल रही थी.
भैया जीभ पूरी अंदर डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे. मैं भी उनका साथ दे रही थी. फिर भैया ने अपना लंड मेरे मुंह की तरफ कर दिया. वो मेरी चूत चाट रहे थे और मैंने उनका लंड मुंह में ले लिया. मुंह में लेकर उनके खड़े हुए लंड को चूसने लगी. मैं बहुत ही मजे से उनके लंड को चूस रही थी.

हम दोनों फिर से पूरी तरह गर्म हो चुके थे. भैया अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदने लगे. अबकी बार मेरी चूत को और भी ज्यादा मजा आ रहा था भैया के लंड से चुदने में. यह दूसरी बार की चुदाई थी. वो जोर-जोर से मेरी चूत को चोदने लगे. हम दोनों सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे.

मेरी चूत को चोदते हुए भैया के मुंह से आह्ह् … ओह्ह जैसी आवाजें निकल रही थीं. मैं भी अपनी चूत को उनके लंड की तरफ धकेल रही थी. मेरे मुंह से भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं. हम दोनों बहुत आनंद ले रहे थे.

जब कुछ देर भैया को मेरे ऊपर लेट कर चुदाई करते हुए हो गई तो उसके बाद उन्होंने मुझे उठने के लिए कहा. उन्होंने मेरी चूचियों को जोर से मसला और मेरी गर्दन को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. घुटने के बल बेड पर खड़े हुए भैया मेरे मुंह को अपने लंड पर धकेलने लगे. उनका लंड मेरे मुंह जाकर अंदर तक पहुंचने लगा. कभी कभी तो भैया इतनी जोर से मुंह को धकेल देते थे कि उनका लंड मेरे गले में जाकर फंस जाता था. मेरी हालत खराब होने लगी थी. मुझसे अच्छी तरह सांस भी नहीं ली जा रही थी.

उसके बाद जब भैया ने अपना लंड बाहर निकाला तो उनका लंड मेरे थूक से पूरा गीला हो गया था. मैं हाँफने लगी. उसके बाद भैया ने मुझे पलटा दिया और बेड पर धकेल दिया. उन्होंने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे घोड़ी की पोजीशन में ले आये. उन्होंने ने पीछे से मेरी चूत पर अपना लंड लगा दिया और मुझे घोड़ी बनाकर चोदने लगे.

वो पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे. हम दोनों लोग जिस बिस्तर पर सेक्स कर रहे थे वो बिस्तर भी हम दोनों की चुदाई से गर्म हो गया था. भैया मेरी कमर से चिपके हुए थे. उनका लंड मेरी चूत में जाकर उसको मजा दे रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे से चिपक कर सेक्स कर रहे थे.

भैया मुझसे पूछने लगे- चुदवाने में मजा आ रहा है?
मैं पीछे पलट कर उनको देख कर स्माइल कर रही थी और वो अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.

मेरे पड़ोसी भैया बहुत ही चोदू किस्म के इंसान निकले. उनको देख कर यह नहीं लगता था कि उनको सेक्स के बारे में इतना कुछ पता है. उनको सेक्स की सारी पोजीशन के बारे में पता था. वो शक्ल से देखने में बहुत भोले लगते थे. मगर जब उन्होंने मेरी चूत की चुदाई शुरू की तो मैं आनंद में गोते लगा रही थी.
हम दोनों का ये पहली बार ही था इसलिए भैया मुझे धीरे-धीरे चोद रहे थे जबकि मेरा बॉयफ्रेंड मुझे तेज-तेज चोदता है.

भैया की नजर मुझ पर बहुत दिनों से थी और मैं भी चाहती थी कि कभी भैया के लंड को अपनी चूत में लेने का मौका मिले. मेरे बॉयफ्रेंड के लंड से चुद कर मैं बोर हो गयी थी. वैसे मेरे बॉयफ्रेंड ने मेरे साथ बहुत बार सेक्स किया है. उसने मुझे जवान बनाया था. मगर वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे मुझे उसके साथ बोर होने वाली फीलिंग आने लगी थी. जब से मैंने भैया को देखा कि वह मेरे बदन पर नजर रखते हैं तो उसके बाद से ही मैंने भी भैया की हरकतों पर नजर रखना शुरू कर दिया.

मैं बहुत समय से इस दिन का इंतजार कर रही थी जब भैया का लंड अपनी प्यासी चूत में लेने का मौका मिलेगा. मगर भैया तो मुझसे भी ज्यादा प्यासे थे. उन्होंने उस दिन मेरी चूत को जम कर चोदा. हम लोगों ने तीन बार चुदाई की. भैया ने अलग-अलग पोजीशन में मेरी चूत की चुदाई की.

कभी वो बेड के किनारे पर लाकर चोदने लगते थे, तो कभी सोफे पर ले जाकर घोड़ी बना देते थे. कभी कुर्सी पर बैठ जाते थे और मुझे अपने लंड पर बैठा लेते थे. जब मैंने कुर्सी पर बैठ कर उनके लंड की सवारी की तो मुझे बहुत मजा आया. इस पोजीशन में भैया का लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया था. भैया मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे. मैंने भैया के कंधों को पकड़ा हुआ था. वो मेरी एक चूची को अपने मुंह में लेकर पी रहे थे और दूसरी को अपने हाथ से दबा रहे थे. इस पोजीशन में तो मैं पांच-सात मिनट की चुदाई के बाद ही झड़ गई.

उसके बाद आखिरी चुदाई बेड पर हुई जब भैया ने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा कर मुझे चोदा. इस चुदाई में मुझे दर्द होने लगा था. मगर मजा बहुत आया.

हम दोनों सेक्स करने के बाद मदहोश हो गए थे. हम सेक्स करने के बाद बिस्तर पर सो गए. कुछ देर हम सोये रहे और उसके बाद मैंने उठ कर अपने कपड़े पहन लिये. भैया भी मेरे साथ ही उठ गये थे. उन्होंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे.

मैं उनके लंड से इतनी चुद गई कि मुझसे चला भी नहीं जा रहा था. मैं बड़ी मुश्किल से अपने दर्द को छिपाते हुए उनके घर से बाहर निकली.
घर जाने के बाद मैंने अपनी चूत को साफ़ किया और उसके बाद नहा कर मैं सो गयी. मैं भैया से चुदवाकर बहुत थक गयी थी इसलिए मुझे नहाने के बाद तुरंत नींद लग गयी.

जब मैं उठी तो शाम हो चुकी थी. मैं अब फ्रेश फील कर रही थी. मैंने सोचा कि कुछ देर बाहर कॉलोनी के पार्क में घूम कर आती हूँ. मैं आज मन ही मन बहुत खुश हो रही थी. भैया ने मुझे जम कर चोदा था. मुझे एक नया लंड मिल गया था. इसलिए मेरे मन में खुशी और संतोष का भाव था.

जब मैं पार्क में पहुंची तो पड़ोसी भैया भी वहीं पर घूम रहे थे. हम दोनों ने एक-दूसरे को देख कर स्माइल किया. भैया मुझसे बात करने का मौका देख रहे थे.

जब थोड़ा सा अंधेरा हो गया तो हम लोग पार्क में एक तरफ पेड़ों के पीछे चले गये. भैया ने पूछा- सेक्स करने में मजा आया या नहीं तुमको?
मैंने कहा- हाँ, बहुत मजा आया. मगर मेरी चूत अभी भी दुख रही है.
भैया बोले- ठीक है, आज की चुदाई बहुत जोरदार थी. अब तुम कुछ दिन आराम कर लेना. हम उसके बाद फिर से चुदाई करेंगे.

जेब से फोन निकाल कर भैया ने मुझसे मेरा नम्बर पूछा. मगर मैं अपना फोन घर पर ही छोड़ आयी थी. भैया ने मुझसे मेरा नम्बर मांगा तो मैंने उनको नम्बर दे दिया. उन्होंने मेरे फोन पर मिस कॉल करके अपना नम्बर छोड़ दिया.

उसके बाद मैं घर आई तो मैंने सबसे पहले फोन को ही चेक किया. मैंने देखा तो मेरे फोन पर मिस कॉल आई हुई थी. मैंने भैया का नम्बर सेव कर लिया.

तीन-चार दिन बाद भैया का मैसेज आया कि मैं आकर उनसे मिलूं. मैं उनके घर गई तो भैया ने जाते ही मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे चूसने लगे. उन्होंने मेरे कपड़े निकाले और खुद भी नंगे हो गये. अगले कुछ ही मिनटों के बाद हम बेड पर एक दूसरे के जिस्मों को चुदाई का मजा दे रहे थे. भैया ने मेरी चूत को फिर से जम कर चोदा.

अब जब भी उनकी पत्नी घर से बाहर होती है भैया मुझे चोदने के लिए बुला लेते हैं.
मगर कई बार जब मेरा मन करता है हमारे पास जगह नहीं होती.
एक दिन ऐसे ही मेरा मन भैया के पास जाने के लिए करने लगा. मैंने भैया को फोन किया तो उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया. मैंने सोचा कि शायद उनकी पत्नी घर पर ही होगी इसलिए वो फोन नहीं उठा रहे हैं.

मुझसे रुका नहीं जा रहा था इसलिए मैं खुद ही भैया के घर पर चली गई. घर जाकर देखा तो उनकी पत्नी वहीं पर थी. अब मुझे उनकी पत्नी के सामने बहाना बनाना पड़ा कि मैं उनके घर पर चीनी लेने आई थी. जब भाभी किचन में चीनी लेने गई तो मैंने भैया के लंड पर हाथ फेर दिया. भैया ने आंखों ही आंखों में अपनी पत्नी की तरफ इशारा किया.
मैं उदास हो गयी. उसके बाद मैं अपने घर वापस आ गई.

कुछ देर के बाद भैया का फोन आया.
मैंने पूछा- आपकी पत्नी चली गई क्या?
वह बोले- नहीं, मैं बाथरूम से बात कर रहा हूँ. तुम तैयार हो जाओ. हम दोनों बाहर कॉलोनी के गेट पर मिलेंगे.

मैं जल्दी से तैयार हो गई और अपने दोस्त के घर जाने का बहाना बनाकर घर से निकल गई. भैया बाहर मेरा इंतजार कर रहे थे. मैंने मुंह पर कपड़ा बांधा और भैया के साथ कुछ दूर तक पैदल जाकर आगे हम लोग एक बात करने लगे. भैया ने बताया कि हम होटल में जा रहे हैं. मैं खुश हो गई.

हम लोग एक होटल में गये और वहाँ पर जाकर हमने मस्त चुदाई की.
कई बार ऐसा होता है कि जब हमें जगह नहीं मिलती तो हम बाहर जाकर चुदाई करके आ जाते हैं. ऐसे में भैया मुझे बाहर होटल में लेकर जाते हैं. हम वहाँ पर जाकर अपनी प्यास बुझाते हैं.

पंजाबन बहन की सेक्सी चूत की चुदाई - Panjaban Bahen Ki Sexy Choot Ki Chudai

पंजाबन बहन की सेक्सी चूत की चुदाई - Panjaban Bahen Ki Sexy Choot Ki Chudai , बहन की चूत की जोरदार चुदाई , दीदी को चोदा , सेक्सी दीदी के साथ कामवासना का खेल , पजाबी लड़की की बुर चोदी.

मेरा नाम जसप्रीत है, और मैं पटियाला का रहने वाला हूँ।
यह बात बताते हुए मुझे थोड़ी शरम आ रही है क्योंकि यह कहानी है मेरी बड़ी बहन लवलीन की बुर चुदाई की है।

लवलीन कॉलेज के फ़ाइनल इयर में है, 20 साल की है मैं लवलीन से दो साल छोटा हूँ।
उस दिन से पहले तक मैंने लवलीन के लिये कभी ऐसा नहीं सोचा था लेकिन उस दिन जो भी हुआ वो कुछ ज्यादा ही मज़ेदार और उत्तेजक था।
हमारे पापा जी और झाईजी किसी शादी में चण्डीगढ़ गये हुए थे, वे रात को देर से लौटने वाले थे। घर में मैं, लवलीन और हमारी मेड सविता थे, सविता ने रात का खाना बनाया और वो अपने कमरे में चली गई जो रसोई के पीछे था। लवलीन सोफे पर बैठ कर टी वी देख रही थी, मैं बोर हो रहा था, मैंने सोचा कि एक-दो सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर दिल बहला लेता हूँ। अपने कमरे में जा कर मैंने लैपटॉप में सेक्सी कहानियाँ पढ़नी शुरू करीं। सेक्स कहानियाँ पढ़ते पढ़ते मेरा तो लंड खड़ा हो गया था मैंने सोचा कि चलो एक बार मुठ भी मार ही लूँ खाने से पहले ताकि यह लौड़ा मुझे तंग का करे !

मैं बाथरूम में गया और बाथटब को पानी भर लिया, गर्मियों के दिन थे, मैंने ठंडा पानी भरा था।

मेरे खड़े लौड़े की मुठ मारने की जल्दी में मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक करना भूल गया। मैंने शॉवर से पहले अपने आप को भिगोया और फिर टब में घुस गया।
थोड़ी देर बाद मैं टब की एक साइड पर बैठ गया और अपने लौड़े को पकड़ कर हिलाना शुरु कर दिया, मन में समीम बानो की चुदाई वाली बातें और गालियाँ गूंज रही थी।

मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब बाथरूम का दरवाजा खुला और लवलीन अन्दर आ गई, मैं तो नंगा बैठा अपने लौड़े की मुठ मार रहा था कि दीदी की आवाज सुनाई दी- जसप्रीत… ये क्या कर रहा है?

‘माय गॉड…’ मेरे तो ट्टटे ऊपर चढ़ गये लवलीन की आवाज सुन कर… मैंने चेहरा ऊपर उठाया तो लवलीन दरवाजे पर खड़ी थी।
मैंने झट से बार पर टंगे तौलिये को खींच कर अपने लौड़े को ढका और बोला- अरे कुछ नहीं लवली, मुझे यहाँ खारिश लग रही थी तो खुजा रहा था।

‘चुप कर ओये खोत्या… मुझे इतना पता नहीं चलता कि खुजाना किसे कहते हैं? आज आने दे झाई जी को, तेरी शिकायत करनी पड़ेगी।
लवलीन एक ही सांस में बोल गई।

मैं तो एकदम डर गया क्योंकि झाई जी को पता चलने का मतलब कि वो मेरे फ़ट्टे चक देंगी।

मैं लवलीन को मनाने लगा, मैंने कहा- लवली, नहीं प्लीज़ झाई को कुछ मत बताना. वो बेकार में गुस्सा करेंगी। तू जो कहोगी, वो मैं करूँगा… प्लीज प्लीज !

लवलीन थोड़ी नर्म पड़ती दिखी, बोली- एक शर्त पर मैं तुझे बक्श सकती हूँ, तू मुझे अपनी लुल्ली दिखा दे एक बार!

मुझे गुस्सा आ गया लुल्ली सुन कर… 7 इंच के लण्ड को कैसे लवली लुल्ली बोल रही है?

लेकिन मेरा पलड़ा हल्का था, उसका भारी, इसलिए मैं कुछ नहीं बोल सका।
मैंने सोचा कि लवलीन को भला मेरा लण्ड देखने की क्या जरूरत है?
तभी मुझे लगा कि भाई बहन की चुदाई कहानियों की तरह ही कहीं लवली मुझसे चुदना ना चाहती हो?

मेरे मन में पहली बार यह बात आई… अपनी बड़ी बहन की चुदाई की…
इससे पहले कि मैं अपना तौलिया हटाऊँ, लवलीन ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरा तौलिया खींच लिया।

मेरा लण्ड लवलीन के आ जाने के डर से सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था, लवलीन ने हाथ आगे कर के मेरी लुल्ली, हां यह अब तो सिकुड़ कर लुल्ली सा हो गया था, को पकड़ा और ऊपर की ओर उठाया।

उसके नर्म मुलालय हाथ के छूने से मेरे लौड़े में धीरे धीरे जान आ रही थी और लवलीन की आँखों में एक अजीब सी चमक…
उत्तेजना, हवस, चुदास की चमक…

तो क्या मेरी बहन की मुझसे चुदने की मर्जी थी या यह मेरी कल्पना मात्र थी।

लवलीन ने लण्ड को मुट्ठी में पकड़ कर उसे हिलाया। उसके बाद लवलीन जो बोली उसे सुन कर ही मेरा लण्ड एक झटके से खड़ा हो गया।
लवलीन ने पूछा- ओये… सिर्फ लंड हिलाता है या कभी किसी की चूत भी मारी है?

मैं जवाब देने की हालत में नहीं था, लवलीन की आँखों में चुदास की हवस साफ़ दिख रही थी, शायद मेरे लण्ड का बड़ा होना इसका कार्ण था?

लवलीन आगे बोली- बोल ना… किसी कुड़ी नूँ चोदया के नई? मैंन्नू चोदेंगा अज्ज तूँ? अपणी भैन दी फ़ुद्दी मारेंगा?
लवलीन पंजाबी बोलने लगी थी।

मैं तो लवली का बातें सुन कर स्तब्ध सा रह गया, तब भी कुछ नहीं बोला तो लवलीन ने अपनी टी-शर्ट को ऊपर उठा दी, बोली- देख ओये अपणी वड्डी भैन दे चूच्चे ! फ़ड़ लै ऐन्ना नूँ…

अपनी सगी बड़ी बहन को पहली बार ब्रा में देखना क्या होता है… काश मैं आपको बता पाता…
लवलीन की पर्पल ब्रा और उसके अन्दर उसके मस्त गोल चूचे देख कर मेरा सिर भन्ना गया, लौड़े में खून का दबाव बढ़ गया और मेरे मुँह में अपनी बहन के चूचों को चूस लेने के लिए पानी आ गया लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि हो सकता था कि ये लवलीन की चाल हो मुझे फ़ंसाने के लिये…
लेकिन जब लवलीन अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड के ऊपर अपने गुलाबी होंठों से चुम्मियाँ लेने लगी तो मेरे मन का वहम गायब हो गया।

लवलीन का ये रूप मेरे लिये बिल्कुल अलग था, घर में तो वो सीधी-सादी भोली-भाली लड़की बन कर रहती थी और इस वक्त वह बाथरूम में वो अपने नंगे भाई का लौड़ा पकड़ कर चुम्मियाँ ले रही थी, मैंने भी सोच लिया- बहन है तो क्या… इसका यह रूप देख कर तो लगता है कि अब तक ना जाने कितने लौड़े गड़प चुकी होगी यह… अब तक नहीं भी चुदी होगी तो आह नहीं तो कल इसे चुदना ही है… चोद दे जसप्रीत… चूत ही तो है ना… चोद दे अपनी बहन को !

लवलीन मेरे लंड के चुम्मे लेने के साथ साथ अपने चूचे भी मसल रही थी, मैंने सोचा कि चलो, इसे कर लेने दो अपने मन की, गर्म हो जाने दो इसे थोड़ा… फिर मैं इसे लेता हूँ अपने लौड़े के नीचे…

लवलीन कोशिश कर रही थी मेरे लौड़े को पूरा अपने मुँह में लेने के लिए लेकिन वो उससे नहीं हो रहा था। मैंने अपने लण्ड को उसके होंठों से निकाला और लौड़े को उसके गालों के ऊपर थपथपाने लगा।
लौड़े से मेरा पानी और उसका थूक उसके गाल पर लग रहा था।
लवलीन ने फिर से अपने भाई के लौड़े को अपने मुख में भर लिया, मैंने उसका सिर अपने हाथों में पकड़ा और उसके मुँह में धक्के देने लगा।
लवलीन अपने चूचे पकड़ कर मसल रही थी, उसका मुँह मेरे लौड़े को खूब मज़ा दे रहा था। मैंने उसके मुँह को और भी जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया और वो भी अपने होंठों से मेरे लौड़े को दबा कर मस्त मज़ा दे रही थी।
तभी मेरे लौड़े ने अपनी औकात दिखा दी, इसकी गर्मी निकल गई, एक एक कर के मेरे लंड ने 5-6 पिचकारियाँ मारी, मेरा वीर्य लवलीन के मुँह में ही निकल गया।

आधा वीर्य तो लवली के गले में उतर गया और बाकी का उसने सिंक में थूक दिया।

वो खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट, कैपरी उतारने लगी, वो अंदर पर्पल पेंटी में थी, उसने ब्रा का हुक खोला, पहली बार मैंने उसकी गुलाबी चूचियाँ पूरी नंगी देखी। मैंने उससे पहले अपनी मेड सविता की चुदाई की थी लेकिन ऐसी गोरी गुलाबी खड़ी चूचियाँ मैंने सिर्फ़ इन्टरनेट पर ही देखी थी।

लवलीन ने बाथटब का सारा पानी बहा दिया और वो उसके अन्दर लेट गई, उसने अपनी टाँगें बाथटब की साइड के ऊपर रख कर फैला दी, वो बोली- आ जा ओये जसप्रीतया अपनी भैन दी कच्छी लाह के फ़ुद्दी चट्ट !

मैं तो लवली की गुलाबी चूत को देखने की कल्पना मात्र से पागल हुआ जा रहा था, उसको चाटने के विचार से तो सच में पागल हो जाऊँगा।

मैं लवलीन के पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा।

तभी लवली बोली- भैन दे लोड़या… अपणी भैण दी फ़ुद्दी नूँ नंगी तां कर लै !

मैंने घबरा कर फ़ट से उसकी पैन्टी उतार दी।
तब वो बोली- हुण्ण वेख लै अपनी भैण दी फ़ुद्दी !

लवली की चूत एकदम साफ़ थी, फ़ूली हुई थी, मैं चूत के ऊपर अपनी चार उंगलियाँ फेरने लगा, लवली की चूत गर्म थी और मस्त गीली हुई पड़ी थी।

लवलीन अपनी आँखे बन्द करके अपने होंठों को दांतों तले दबाने लगी और बोली- जल्दी कर जसप्रीत, चाट ना मेरी चूत… मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है।

मैंने अपने होंठों से लवलीन की चूत पर एक मस्त चुम्मी ली और फिर अपनी जीभ निकाल कर चूत के ऊपर घिसने लगा।
लवलीन अपने चूचे दबाने लगी और उसने अपनी टाँगें और फैला दी।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी जीभ घुसाई और ऊपर नीचे हिलने लगा। लवलीन की ‘आह आहह…’ निकलने लगी और वो मेरे सिर को पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं तो जैसे स्वर्ग में था और लवलीन अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला कर अपनी चूत मेरे मुख पर घिसने लगी। लवलीन काफ़ी चुदासी हुई पड़ी थी, उसकी चूत पानी पर पानी बहाये जा रही थी।

मेरा लंड एक बार फिर से टाईट हो गया था।

लवलीन ने तभी मेरे हाथ को पकड़ा और बोली- चल जसप्रीत मेरे भाई, कमरे में चल कर मुझे चोद दे, अब मुझ से जरा भी नहीं जा रहा है।

मैंने उस हाथ से सहारा दिया, लवलीन खड़ी हो गई और मैं उसे खींच कर कमरे में ले गया।
वो एकदम से जाकर बिस्तर पर अपने घुटने मोड़ कर जांघें फ़ैला कर लेट गई, मैंने उसके दोनों घुटने पकड़ कर और फ़ैला दिये, ऐसा करने से उसकी चूत के जो होंठ चिपके हुये थे, वो खुल गये और अन्दर से गुलाबी लाल कच्चा मांस सा दिखाई देने लगा।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी फ़ुद्दी के छेद में घुसाई, तो लवली बोली- लया वीरे, मैंन्नूँ वी मेरी फ़ुद्दी दा स्वाद वखा दे!

लवली की चूत से निकली अपनी वो अपनी मैंने अपनी बड़ी बहन के होंठों पर लगा दी, लवली ने बड़े जोश से उसे चाटा।

फ़िर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद के ऊपर सेट कर दिया, लवलीन को शायद चरमसुख मिला मेरे लौड़े के उसकी चूत को छूने से… उसने अपनी आँखें बंद की और थोड़ सा आगे होकर ऊपर को धक्का लगा दिया।
साथ ही मैंने एक हल्का झटका दिया और अब मेरा आधे से कुछ कम लंड उसकी चूत में था। लवलीन के मुख से आह निकली और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धे पकड़ कर अपने ऊपर दबा लिया। ऐसा करने से मेरा लौड़ा उसकी गीली गर्म चूत में पूरा घुस गया।

फ़िर उसने अपने चूतड़ों को ऊपर को उछाला और बोली- चोद जोर जोर से मुझे जसप्रीत… निकाल दे मेरी चूत का पानी !

मैंने लवलीन की कमर को पकड़ा और उसकी चूत के अन्दर कभी धीरे कभी तेज झटके देने लगा।
लवलीन ने अपने हाथों से सिर के नीचे का तकिया पकड़ लिया और वो अपने कूल्हों को आगे पीछे करने लगी।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था लवलीन की ऐसी चुदाई करने में…

लवलीन भी पूरी मस्ती में आ गई थी अपने भाई का लंड अपनी चूत में लेकर, वो अपनी गांड हिला हिला कर चुदती रही और मैं भी अपनी सेक्सी बहन को अपने लंड का मज़ा देता रहा।

लवलीन की 8-10 मिनट ऐसी चुदाई के बाद और मेरा काम अब तमाम होने की कगार पर था, मैंने लवलीन के कान में कहा- मेरा निकलने वाला है, क्या करूँ?

‘जल्दी निकाल मादरचोद… अपने बच्चे का ही मामा बनेगा क्या! मेरे मुँह में निकाल दे अपना माल…’ लवलीन हंस कर बोली।

मैंने फच से अपना लौड़ा लवलीन की फ़ुद्दी से निकाला और उसके मुँह से एक बड़ी आह निकली। लवलीन ने अपना हाथ अपनी फ़ुद्दी में घुसा लिया और उसे मसल्ने लगी, मैं उसके चेहरे के पास अपना लण्ड ले गया, लवलीन ने अपना मुँह खोला और वो बेताबी से मेरे लौड़े को चूसने लगी, मेरे वीर्य के निकलने का इन्तजार करने लगी।

तभी एक पिचकारी छूटी और मेरे वीर्य से उसका मुँह भर गया। लवलीन ने मेरे वीर्य को अपने मुँह में थोड़ी देर झकोला, चलाया और फिर वो एक घूंट में उसे पी गई।
वो अब भी अपनी फ़ुद्दी को अपने हाथ से सहला रही थी, शायद उसका पानी अभी तक नहीं निकला था, उसे पूरा मज़ा देने के लिये मैं उसकी जांघों के बीच में आकर उसकी फ़ुद्दी को चाटने लगा और 2-3 मिनट बाद लवली का बदन अकड़ गया और वो अपने चरमसुख को पा गई।

मैं उसकी बगल में ही लेट गया और हमें नीन्द आ गई। कुछ देर बाद लवली के फ़ोन की घन्टी बजने पर हमारी नीन्द खुली।
हमारी मेड सविता का फ़ोन था।
लवली ने बात की तो वो पूछ रही थी कि कोई काम ना हो तो वो सो जाये। लवली ने उसे सो जाने को कहा और अपने कपड़े पहनने लगी और बोली- भाई, आगे भी मुझे अपने लंड का स्वाद देते रहना…
मैं हंस पड़ा और हम लोग कपड़े पहन कर खाना खाने बाहर आ गये।

माँ को चुदते देख बेटी भी चुदने आयी - Maa Ko Chudte Dekh Beti Bhi Chudne Aayi

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मैं छवि की माँ चंदा की चुदाई पहले ही कर चुका हूँ और चंदा भी मुझसे हर दूसरे या तीसरे दिन चुदवाती रहती है, साथ में मेरी जेब भी गरम करती है तो मुझे और क्या चाहिए! एक नियमित ग्राहक का ध्यान रखते हुए मुझे भी उसके फोन का इंतजार रहता है कि कब चंदा डार्लिंग का फोन आये और मैं उसका चूत-मर्दन कर सकूँ।

एक रोज मुझे कोई काम नहीं था था और घर पर बैठ कर चाय पी रहा था कि चंदा का फोन आया- आज चुदवाने का दिल कर रहा है! लेकिन आज बेटी छवि हॉस्टल से आने वाली है!
मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज चंदा के साथ छवि की चूत के भी दर्शन होंगे।
लेकिन चंदा ने बताया कि वो मुझसे चुदवाती है, यह बात छवि को पता नहीं चलना चाहिए।

मैं अपना दिमाग चलाने लगा कि किस तरह टांका फिट करूँ कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे!
मैं चंदा को नाराज कर अपना एक पार्टी भी नहीं तोड़ना चाहता था और छवि को भी चोदना था।

एकदम से मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि क्यों न चंदा को रात में दस बजे के बाद चुदाई करूँ जिससे छवि को भी चोदने का मौका मिल जायेगा। मैंने चंदा को कहा कि मैं रात को आ सकता हूँ तो वो थोड़ा सकपका गई लेकिन तुंरत मान गई। अब मैं मन ही मन खुश था कि छवि की चुदाई भी करूँगा।

रात साढ़े नौ बजे मैं उसके घर पर गया तो पता चला कि छवि आ गई है और अपने कमरे में आराम कर रही है। छवि का कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था और हम चुदाई का कार्य क्रम नीचे ही करते थे। चंदा अब आराम से चुदवाने के मूड में थी जबकि मैं छवि को चोदने के बारे में ही सोच रहा था कि चंदा ने व्हिस्की का पैग बना कर मेरे आगे रख दिया। उसे पता था कि मेरा चुदाई का प्रोग्राम कैसे होता है।

हम दारू की चुस्की लेते हुए एक दूसरे के होंठ पी रहे थे और मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था और वो मेरे लंड को पी रही थी। एक एक कर हमारे कपड़े हमसे अलग हो चुके थे और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में चूमा-चाटी कर रहे थे। काफी देर तक हमारा यही प्रोग्राम चलता रहा। अब चुदाई करने का समय था और मैं इसे जल्दी जल्दी पूरा करना चाहता था लेकिन चंदा अपनी ही चाल से चल रही थी, उसे कोई जल्दी नहीं थी। उसे क्या पता कि मैं आज उसकी बेटी को भी चोदने का मूड बना चुका हूँ।

खैर काफी देर तक चंदा मेरे साथ 69 पोज में मेरे लंड को चूसती रही। कभी मेरे लंड का सुपारा होठों से दबा कर तो कभी जीभ से सहला कर मजे ले रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैं भी उसकी चूत की भगनासा को तो कभी चूत के दोनों होंठ चाट रहा था जिससे उसे भी मजा आ रहा था और उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी- ओह… ओह… अह… अह…
यही हाल मेरा भी था- ओह… ओह… अह… अह…

एक घंटे के बाद मैंने उसकी जांघों को चौड़ा कर अपना 7 इंच का लंड उसमें डाल दिया जिसे उसने बड़े मजे से पेलवा लिया। अब हम ताबड़-तोड़ चुदाई का मजा ले रहे थे। जोश में हमें पता ही नहीं चला कि हमारे मुँह से निकलने वाली आवाज़ पूरे घर में गूंज रही है। सारा काम मेरी मन के मुताबिक ही हो रहा था, मैं यही तो चाहता था कि हमारी चुदाई की सेक्सी आवाजें किसी तरह छवि के कानों में पहुंचे और ऐसा ही हुआ।

मैं और चंदा दोनों एक साथ ही अपनी मंजिल पर पहुँच गए, मेरे वीर्य से उसकी चूत भर गई। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके हुए रहे। फिर अलग हुए तो मन में एक डर सा आ गया कि लग रहा है कि अब छवि मैं नहीं चोद पाउँगा।

भारी मन से वापिस घर के लिए निकला मेरे साथ चंदा भी मुझे गाड़ी तक छोड़ने आई। गाड़ी की हालत देखी तो मैं चौंक गया- मेरे गाड़ी के दो चक्के की हवा निकल गई थी। और रात के एक बजे कंहीं पर भी ठीक नहीं हो सकती थी। अब चंदा न चाहते हुए बोली- तुम यहीं पर रुक जाओ! कल सुबह गाड़ी ठीक करवा कर जाना।

हम सोने चल दिए, चंदा अपने कमरे में चली गई। वो भी ऊपरी मंजिल पर ही था।

मै नीचे ही सो गया, यह सोच कर कि छवि तो अपने कमरे को बंद कर सो रही होगी और मैं उसके घर में जबरदस्ती उसे चोद भी नहीं सकता।

अभी आँख लगने ही वाली थी कि मुझे लगा कि कोई मेरा लंड चूस रहा है। फिर दिमाग में आया कि यह सपना हो सकता है क्योंकि इस वक्त कौन मेरा लंड चूसेगा।

लेकिन थोड़ी देर में ही पता चल गया कि छवि मेरा लंड पी रही थी। मैं एकदम घबराकर उठ बैठा। तभी छवि ने मुझे चुप रहने का इशारा किया और उठ कर अपने कमरे में चल दी, मैं भी उसके पीछे पीछे…

वहाँ जाकर छवि ने बताया कि उसने मेरी और चंदा की चुदाई का लाइव मैच देखा है, तब से उसे भी चुदवाने का मन कर रहा है।

मैं भी यही चाहता था। मैंने चंदा के बारे में पूछा तो वो बोली- मम्मी तो दारू पीने के बाद गहरी नींद में सो रही है और उसे सुबह से पहले होश नहीं आयेगा।

मैं अब निश्चिंत हुआ कि अब आराम से छवि की चुदाई करूँगा।

बातों-बातों में छवि ने बताया कि वो कालेज में कई बार ब्लू फिल्म देख चुकी है लेकिन किसी चुदाई नहीं कराई है। फिल्म देखने के बाद जब गरम होती है तो लड़कियाँ आपस में ही चूमा-चाटी कर लेती हैं लेकिन लंड का स्वाद आज तक उसे नहीं मिला है। हाँ वो जब गरम होती है तो ऊँगली से चूत को जरुर ठंडा कर लेती है।

फिर मैं बोला- तब तो और मजा आयेगा! काफी दिनों के बाद कुवांरी चूत की सील तोड़ने का मौका मिलेगा। मैं बिना किसी तरह समय बिताये सीधे अपने मुद्दे पर आ गया, उसे पकड़ कर अपनी जान्घों पर बैठा लिया। वो निकर और ढीला सा टॉप पहने थी। अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगा तो छवि बोली- आराम से करो! मैं कहाँ भागी जा रही हूँ!

जिसे सुन कर मेरा जोश दुगुना हो गया। अब मैंने धीरे धीरे उसके टॉप को निकाल बाहर किया। उसकी चूचियों को तो मैं देखता ही रह गया क्योंकि आज तक इतनी गोरी और कसी हुई चूचियाँ मैंने नहीं देखी थी। मैं समझ गया कि माल एक दम ताज़ा है। अब मेरे होंठ उसके स्तनाग्र चूस रहे थे, वो मजे से अपनी आँख बंद कर अपना दूध पिला रही थी। एक के बाद एक दोनों चूचियों को काफी देर तक पीता रहा। उसकी निकर को निकाल कर अलग कर दिया, अब वो केवल चड्डी में थी। मेरा लंड तो कब से खड़ा था। मैंने ऊँगली फंसा कर उसकी चड्डी को भी अलग कर दिया। उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था। एकदम संगमरमर सा उसका बदन देख मेरा मन में तो आग लग गई।

अब उसे झुका कर अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में पेल दिया जिसे वो लॉलीपाप की तरह चूसने लगी। लेकिन मैं 15 मिनट में ही उसके मुँह में झड़ गया और उसका मुँह मेरे वीर्य से भर गया। जिसे वो चटकारे लेकर पी गई। लेकिन उसके हुस्न को सामने पाकर मैं 5 मिनट में ही दोबारा तैयार हो गया। अब हम 69 पोज में आकर वो मेरे लंड को और मैं उसकी चूत को चूसने-पीने लगे। बीच-बीच में मैं अपनी उंगली से चूत के छेद का जायजा लेता रहा।

अब उसे लिटा कर मैं उसकी जांघों के बीच में आ गया।

चूंकि छवि पहली बार चुदा रही थी तो थोड़ा आराम से ही चोदना था, वरना वो चुदवाने से तौबा कर लेती।

अब उसकी बुर के छेद पर ढेर सारा थूक लगा कर धीरे धीरे पेलना चालू किया। जैसे ही लंड का मुंड अंदर गया, छवि को दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी, साथ कुछ गाली भी दे रही थी। मैंने तुरंत अपने लंड को बाहर निकाल लिया। उसे ग्लास में पानी पिलाया तो थोड़ा रिलेक्स हुई। अब वो फिर हिम्मत करके तैयार थी चुदवाने के लिए!

इस बार और ज्यादा थूक लगा पर मैंने पेलना शुरु किया। एक झटके में आधा लण्ड उसकी बुर में था और वो दर्द से अपने पांव पटक रही थी। मैं आधे लंड को ही आगे पीछे करने लगा और छवि सामान्य हो गई। अब आगे की बारी थी, अगले एक झटके में पूरा लंड उसकी चूत में था। वो चिल्लाना चाह रही थी लेकिन मैंने उसका मुँह अपने होठों से बंद कर दिया था। थोड़ी देर रुकने के बाद मैं धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा जिसे वो भी मजे लेने लगी और मेरा साथ देने लगी।

अब छवि के मुख से सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी …वोह…आह…और जोर से… मेरी चूत को फाड़ डालो… आह… आऽऽऽ.. जोर से पेलो…वोह… आह… मेरे राजा और जोर से पेलो…
बहुत देर तक चुदाई चली… हम दोनों अपनी मंजिल पर एक साथ पहुँच गए.

छवि का शरीर अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि ये साली अब झड़ने वाली है, मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी। दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में जोर से जकड़ लिया। इसके साथ ही छवि की चूत मेरे वीर्य से लबालब हो गई। हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे। जब अलग हुए तो मैंने घड़ी पर नजर डाली, उस समय सुबह के पाँच बज रहे थे। इसका मतलब मैं आज पूरी रात माँ बेटी को चोदने में निकाल गया था, लेकिन दिल में शांति थी कि आज छवि की चुदाई की थी।जल्दी-जल्दी मैं निकल कर अपने जगह पर आ कर सो गया लेकिन छवि का मोबाइल नम्बर लेकर!
कब आँख लगी पता नहीं चला!

जब उठा तो देखा कि चंदा मुझे जगा रही थी और सामने चाय का कप रखा था। उसी समय छवि ऊपर से उतर कर चंदा से पूछ रही थी- मम्मा! ये कौन हैं?
मैं भी मुस्कुराये बिने न रह सका।

सेक्सी आंटी की चुदने की प्यास - Sexy Aunty Ki Chudne Ki Pyaas

सेक्सी आंटी की चुदने की प्यास - Sexy Aunty Ki Chudne Ki Pyaas, पड़ोस की एक सेक्सी आंटी की चुदाई करके मैंने उनके जिस्म की प्यास कैसे बुझाई, Sexy Aunty Ki Chudai Karke Pyas Bujhane Ki Story.

मेरी सहेली अक्षिता शर्मा, उम्र 24 वर्ष की, भरपूर जवान, शादी शुदा है, सुन्दर और लुभावनी फ़िगर वाली युवती है। उसने अपनी कहानी मुझे लिख कर भेजी है, उसे उसी के शब्दों में प्रस्तुत कर रही हूँ।

मेरी शादी मेरे व्यस्क होते ही 18 वर्ष की उम्र में कर दी थी। उस समय मैं सेक्स के बारे में अधिक नहीं जानती थी। पर शादी के बाद जब से मेरी चुदाई आरम्भ हुई है, मैं तो चुदाई की मतवाली हो गई हूँ। जैसा कि अधिकतर होता है कि समय के साथ साथ सेक्स से भी दिल ऊब जाता है, जिसका मुख्य कारण एक जैसी चुदाई, वही रात में पति को जोश चढ़ा और ऊपर चढ़ कर चोद दिया और सो गये। धत्त्… ये भी कोई जिंदगी है।

आज पांच-छः साल हो गये, अब तो पति देव का यह हाल है कि काम से लौटे, खाना खाया और बिस्तर पर लेट गये। बहुत हो गया तो महीने में एक बार चोद दिया। पर मैं… ना… ना… पतिव्रता तो हूँ, पर चुदाई के मामले में नहीं…
उसके कुछ दोस्तों से मैं चुद चुकी हूँ, पर वो सभी अब यहाँ नहीं है। मेरी चूंचियाँ भी अब बड़ी हो चुकी हैं, इतनी सी उम्र में 38 की ब्रा पहनती हूँ, मेरे चूतड़ बड़े और लचकदार हो गये हैं। मैं टाईट जीन्स और कसी हुई बनियान नुमा टॉप पहनती हूँ। मेरे बड़े बड़े चूंचे उसने उभर कर हिमालय पर्वत को भी मात देते है। कोई एक बार देखता है वो देखता ही रह जाता है।

घर की मुर्गी दाल बराबर…! घर के पास तो किसी का ध्यान जाता ही नहीं है। बेचारा पड़ोसी रोज़ ही प्यासी नजरों से मुझे निहारता रहता था। मुझे देख कर उसका लण्ड भी कड़कता होगा। जी हां, साथ वाले घर में एक लड़का रहता है, पर उस पर कभी ध्यान ही नहीं गया। बीस साल का भरपूर जवान लड़का, नाम आदित्य, हम लोग उसे आदी कहते है। उसकी नजर मुझ पर बहुत पहले से थी, पर मेरा ध्यान उस पर कभी नहीं गया।

एक दिन मैं बाल्कनी पर बैठी किताब पढ़ कर रही थी कि मेरी नजर अचानक साथ वाले घर पर आदी पर पड़ी… वो एक छोटी सी चड्डी पहने नहा रहा था। वो अपनी चड्डी के अन्दर हाथ घुसा कर लण्ड पर साबुन मल रहा था, फिर हाथ पीछे घुसा कर गाण्ड पर साबुन भी लगाता था। आह… मेरी नजरें जैसे उस पर चिपक कर रह गई। कसा हुआ बदन, उभरी हुई मसल्स, ताकत और उर्जा से भरा हुआ शरीर… जिस पर उसका उभरा हुआ लण्ड चड्डी में से साफ़ नजर आ रहा था।

अब वो अपने बदन पर पानी डाल रहा था। कुछ देर बाद उसने अपने शरीर को तौलिये से पोंछना चालू कर दिया। एक बार तो उसने सावधानी से यहाँ वहाँ देखा, फिर जल्दी से अपना लण्ड निकाला और तौलिये से साफ़ कर दिया। मेरे दिल ने जैसे धड़कना बन्द कर दिया। उसका सोलिड लण्ड मोटा और लम्बा, मेरे दिल को भा गया। मेरी चूत फ़ड़क उठी, बोबे कसक गये…
उसने तौलिया लपेटा और चड्डी खोल कर दूसरी पहनने लगा। उसकी चूतड़ों की दरार का दर्शन भी हो गया। मेरी नजर मेरे बोबे पर पड़ी, मुझे लगा कि मेरा ब्लाऊज तंग होने लगा है। मुझसे रहा नहीं गया मैं उठ कर नीचे चली आई और उसकी दीवार के पास खड़ी हो गई, जैसे कि फूल तोड़ने आई हूँ। चड्डी में से उसका उठा हुआ लण्ड मुझे बहुत ही प्यारा लग रहा था। मुझे इस तरह से देखने पर वो बेचारा झेंप गया। मैं मुस्करा उठी।

पर उसने तौलिया नहीं लपेटा, अब वो भी मुस्करा रहा था। उसे लगा कि शरमाना आण्टी को चाहिये,’ नमस्ते आण्टी… ‘

‘नमस्ते आदी… आजकल कहा रहते हो तुम… दिखते ही नहीं हो…?’

‘कहीं नहीं आण्टी… यहीं हूँ… कोई काम हो तो बता दीजिये…!’

‘हां काम तो है… समय मिले तो घर आओ, चाय भी पियेंगे… और काम भी बताऊंगी !’

‘ठीक है आण्टी… अभी आता हूँ… ‘ उसने चुपके से अपना लण्ड देखा जो खड़ा हुआ था, और शायद मुझे बुला रहा था। अचानक उसकी नजर मुझसे फिर मिल गई। दोनों ही मतलब से मुस्करा दिये। मैं खुश हो गई, मुझे लगा कि ये तो पट जायेगा। शायद वो भी यही सोच रहा था। अनजाने में मेरी एक आंख चल गई, आंख मारते ही वो शरमा गया। पर वो सब कुछ समझ चुका था।

कुछ ही देर में वो मेरे घर पर आ गया। इतनी देर में मैंने ढीला सा कुर्ता और पेटीकोट पहन लिया था, पेण्टी और ब्रा उतार कर एक तरफ़ रख दी थी। मुझे ये सब करते हुये बड़ी झुरझुरी सी हो रही थी और मन में लग रहा था कि मुर्गा तो फ़ंसा।

मैं अपनी टांगें बड़ी बेशर्मी से मेज़ पर रख कर बैठ गई ताकि उसके अन्दर आते ही उसे चूत के दर्शन हो जायें। जैसे ही वो अन्दर आया, मैंने उसे सामने बैठा दिया। जैसा कि होना ही था, उसकी नजरें सीधे मेरे उठे हुये पेटीकोट पर पड़ी और मेरी चिकनी शेव की हुई चूत पर पड़ी। एक बार जो नजरें टिकी तो वहीं पर चिपक गई। यह देख कर मैंने अपना थोड़ा सा पांव और खोल दिया। चूत अब स्पष्ट दिखने लगी थी।

‘क्या देख रहे हो आदी… !’

‘अह्ह्… कुछ नहीं… ‘ उसका लण्ड कठोर होता जा रहा था। मैं आगे को झुक गई, मेरे लो कट ब्लाऊज में से मेरे बड़े बड़े उरोज छलक उठे। उस पर प्रहार पर प्रहार हो रहे थे, वो बेचारा कब तक सहता। मेरे उरोज भी कड़क हो उठे थे, चूचुक फूल कर मचल रहे थे कि कोई उन्हें मसल दे।

‘आण्टी… बहुत बड़े हैं… ‘ उसके मुँह से अचानक निकल पड़ा।

‘क्या…? अच्छा तो जनाब ये देख रहे थे…! ‘ मैंने उसे उलाहना दिया।

वो असमंजस में था कि कैसे अपने आप को कंट्रोल में रखू, कहने लगा,’आण्टी… काम हो तो बताओ मुझसे और नहीं बैठा जा रहा है… ‘ वो कसमसाते हुए बोला।

‘बैठे रहो… खड़े हो जाओगे तो… तुम्हारा यह भी खड़ा हो कर जोर लगायेगा… ‘ मैंने हंसते हुए कहा और धीरे से उसके लण्ड पर हाथ मार दिया।

‘इसीलिये तो कह रहा हूं ना… बस मैं जाऊँ…? ‘ आह भरता हुआ वो बैचेन सा उठा।

‘ तुम मत बैठो पर इसे बैठाना नहीं है क्या… आओ पास में यहां बैठ जाओ… ‘ उसे मैंने सोफ़े में पास बैठा लिया…

अपने बोबे दिखा कर बोली,’तुमने ये देखे हैं ना… इन्हें दबाओ !… और देखो मैं भी यही चाहती हूं !’

कह कर मैंने उसका हाथ अपने सीने पर रख दिया। उसने मुझे बड़ी आसक्ति से मुझे देखा, और मेरी चूचियां दबाने लगा लगा जैसे उसने मुझे धन्यवाद दिया। मेरा हाथ उसके लण्ड पर आ गया। मैंने उसकी पेन्ट की ज़िप खोल दी और चड्डी में से उसका लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया।

आह कितना सुन्दर सुपाड़ा था… लाल और चिकना। उसने अपनी पेन्ट को खोल कर नीचे कर लिया। उसका पूरा लण्ड बाहर निकल आया। उसने मेरे बोबे को मसलते हुए एक हाथ चूत पर रख दिया। मेरा हाथ उसके लण्ड पर चल पड़ा… उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

मैंने जोर से उसका लण्ड मरोड़ते हुये मुठ मारनी शुरु कर दी। वो तड़प उठा। उसने भी हिम्मत की और अब उसकी अंगुली भी मेरी चूत में घुस गई थी। मेरी चूत के पानी से उसका हाथ तर हो गया था। उसने मुझे लिपटा लिया और मेरे मुख में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा।
जोश में मैं भी मुठ और जोर से मारने लगी। उसके मुख से जोर से हाय निकली और उसका वीर्य छूट गया। उसका लण्ड जोर से पिचकारी छोड़ने लगा।
मैंने तुरन्त ही झुक कर उसका लण्ड मुँह में ले लिया और उसका कुछ वीर्य तो पी गई और कुछ बाहर गिर गया। उसने मेरे बोबे छोड़ दिये और और अपना पेण्ट ठीक करने लगा।

‘अभी रुको ना… चले जाना… जल्दी क्या है?’

‘आण्टी अभी कॉलेज जाना है… फिर कल आऊंगा’ मैंने भी उसे नहीं रोका। सोचा कि इसे चस्का तो लग ही गया है, साला जायेगा कहाँ, यहीं तो आयेगा लण्ड शान्त करने।

मुझे सच में बहुत मजा आया था… मैं रसोई से बैंगन उठा लाई और अपनी चूत पर घिसने लगी। कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया। इतना कुछ होने के बाद मुझे लगा कि बैचेन आदी नहीं… मैं हो रही हूँ।

तड़पते हुए मैं उसकी राह देखने लग गई।

शाम को वह कॉलेज से वापस आया तो मुझे देख कर उसने हाथ हिलाया। मेरे दिल को सुकून मिला। मैंने हाथ हिला कर उसका जवाब दिया। उसने यहाँ वहाँ देखा और हाथ से लण्ड बना कर चूत में घुसाने का इशारा किया। मैं शरमा गई। मैंने भी हाथ की अंगुलियों से चूत का छेद बना कर उसने एक अंगुली लण्ड बना कर डाल कर चुदाई का इशारा किया। वो खूब हंसा और आंख मार दी। मैंने शरमा कर मुँह को हाथ से छुपा लिया।

सवेरे नौ बजे मेरे पति ओफ़िस चले गये। अब मैं बैचेनी से आदी की राह देखने लगी थी। मैंने हल्के फ़ुल्के कपड़े पहन लिये और चुदने के लिये बेकरार थी। चूत लप लप कर रही थी, पानी से तर हो रही थी। बार बार मेरी नजरें बाहर झांक रही थी। साला आया क्यों नहीं… ये मर्द बड़े निर्दयी होते हैं, साले ने कल भी मेरी चूत नहीं मारी थी। ठण्डी आह भरते हुए मैंने सोचा कि जब तक वो आये मैं नहा कर फ़्रेश हो लूँ…

मैं नँगी हो कर नहाने लगी। मुझे लगा कि जैसे मेरा शरीर आग में जल रहा हो। मैं अपनी आंखे बंद कर के अपने बड़े बड़े चूचे निचोड़ने लगी… स्तनाग्रों को मसलने लगी… मुझे तभी खटका हुआ… मैंने झांक कर देखा तो आदी ही था। उसे देखते ही मेरे मन की कली खिल उठी। लगता था वो भी चोदने की तैयारी से आया था। हल्का पजामा और बनियान बस… यही था उसका पूरा पहनावा।

मैंने गीले बदन ही तौलिया लपेटा और बाहर आ गई।

‘बड़े सेक्सी लग रहे हो… ‘

‘आण्टी… जरा अपने को तो देखो… पूरी बम्ब लग रही हो… यानी पटाखा…’

‘आ एक किस कर ले… ‘ मेरी चूत में आग लगी हुई थी।

‘काहे का किस आण्टी… आज तो लौड़े का नम्बर है किस करने का !’ कह कर उसने मुझे अपने से लिपटा लिया। मेरा तौलिया खींच कर एक और बिस्तर पर उछाल दिया। उसने बिना किसी देरी किये अपना पजामा खोल दिया और नीचे से नंगा हो गया।

‘आजा अक्षिता… आज अपन दोनों मस्ती करें… उसने होंठ मेरे होंठ पर रगड़ दिये और उन्हें चूसना शूरू कर दिया। मैं मस्ती में झूम उठी। उसका लण्ड मेरी चूत के छेद को ढूंढने लगा और चूत के आस पास घुसने लगा।

‘आदी, चूत तो सेन्टर में है… वहाँ घुसाओ… अच्छा चलो बिस्तर पर… वहां तो खुद ब खुद घुस जायेगा… और मुझे चोद देगा !’

उसने प्यार से मेरे चूंचे दबाये… और किस करता हुआ बिस्तर की ओर चल पड़ा। मुझे उसने प्यार से लेटा कर खुद पास में लेट गया। मुझे प्यार से सहला कर अपने ऊपर खींच लिया। मैं अब उसके ऊपर आ गई थी। उसका लण्ड सीधा खड़ा था। ऐसा लग रहा था कि कोई सड़क पर खम्भा खड़ा हो। मैंने उसके लण्ड को हाथ में लिया और धीरे से मुठ मारी…

उसे बड़ा मजा आया… बोला,’आण्टी… और मुठ मारो… बहुत मजा आ रहा है… !’

मैंने सोचा कि कही पहले की तरह झड़ गया तो चुदाई रह जायेगी। मैंने उसका सुपाड़ा खोला तो देखते ही खुश हो गई… कुंवारा लण्ड था… उसने किसी को चोदा नहीं था। मैंने बड़े प्यार से उसे अपने चूत के खड्डे में रखा और धीरे से चूत का भार उस पर डाला। फ़क से लण्ड खड्डे में घुस पड़ा। मुझे असीम मजा आया। उसके मुख से भी आह निकल पड़ी।

‘मेरे आदी… तुम कितने प्यारे हो… हाय !’

फिर मैंने और जोर लगाया… उसमें जोश भरा था… नई उमन्गें थी, उसने भी नीचे से उछाल भरी। मेरी चूत ने उसका पूरा लण्ड निगल लिया। उसके मुँह से एक दर्द भरी आह निकल गई।

‘आण्टी… मुझे लण्ड पर लग गई है… !’

‘बस… सह लो… पहली बार ही ऐसा होता है… बाद में नहीं होगा… ‘

मैं उसके ऊपर लेटी रही, फिर बहुत ही धीरे धीरे से चूत हिलानी शुरू कर दी। उसकी आह निकलती गई। मैंने उसे होंठों पर होंठ रख कर कस कर दबा लिया और धक्के बढ़ा दिये। थोड़ी देर तक तो वो कसमसाता रहा फिर शान्त हो चला… मैंने अब उसे किस करना चालू कर दिया और चूतड़ो को दबा कर उसके लण्ड पर मारना शुरू कर दिया।

उसे भी अब मस्ती आने लगी। वासना की रंगीनियाँ रंग दिखाने लगी। वो कुछ ही देर में वासना के नशे में झूम उठा और उसने मुझे दबा कर नीचे पटक दिया। मेरा शरीर उसके बोझ तले दब गया, ये सुहाना दबाव मुझे और मस्त कर गया जब उसके लण्ड ने मुझे दबा कर चोदना शुरू कर दिया।

‘वाह मेरे शेर… लगा जोर… चोद दे अपनी अक्सू को… ‘ मैं भावना में बह चली।

‘हाय रे अक्सू आन्टी… आप कितनी अच्छी हैं… पहले क्यो नहीं चुदाया… !’

‘उईईई… क्या मेरी फ़ाड़ डालेगा राम… आह्ह्ह मेरा आदीऽऽऽ… चोद दे रे।’

वो भचाभच चोद रहा था… मुझे स्वर्ग की सैर करा रहा था। कभी वो मेरे बोबे मचकाता और कभी मेरे होंठो को चूमता और साथ में मेरे गालों को चाटता भी जा रहा था। मैंने चूतड़ों कि लय उसके लण्ड के साथ मिला ली और फ़च फ़च की आवाज के साथ मुझे चोदता जा रहा था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, मेरे शरीर में लग रहा था कि खिंचाव होने लगा था। सारे जिस्म में जैसे मीठा मीठा जहर भरने लगा। मेरी वासना की तड़प बढ़ने लगी। मैं उसके जिस्म को जोर से जकड़ने लगी… उसने भी लण्ड का भार मेरी चूत पर डाल दिया और उसका बदन जैसे कस गया।

‘मेरे आदी… हाय रे… फ़ाड़ दे मेरी चूत को… ।’ मेरी आंखों में गुलाबी डोरे तैर रहे थे, अधखुली आंखे नशे से चूर थी… लग रहा था कि मुझे जिन्दगी भर चोदता ही रहे।

‘ आण्टी… मेरा लण्ड… हाय रे… गया…’ वो शायद झड़ने वाला था। मुझे भी झड़ने जैसी उत्तेजना लगने लगी थी। आखिर चूत को मस्त लण्ड मिला था और हम दोनों दिल से चुदाई कर रहे थे। मैं आह भर कर उसे जकड़ कर चूत का रस निकालना चाह रही थी।

‘ आदीऽऽऽ… आह्ह्ह… तेरी तो… हाय चुद गई रे… गई मैं तो… ऊईईई…’

मेरी चूत से जवानी का रस चू पड़ा और मैं झड़ने लगी…

तभी आदी भी चीख सा उठा,’अक्सू आण्टी… गया मेरा लौड़ा… निकला माल… हाय रे… निकला…’

और वीर्य निकलते ही उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया,’आजा ऊपर ले आ…’

वो लण्ड मेरे मुँह तक लाता, उससे पहले ही उसकी पिचकारी निकल पड़ी और सीधे मेरे चेहरे पर आ कर वीर्य गिरा और अब उसका लौड़ा मेरे मुँह में था… थोड़ा ही सही पर वीर्य पीने को मिल गया… उसका लण्ड पूरा चाट कर साफ़ कर लिया फिर अपने चेहरे का वीर्य भी जीभ से मुँह में चाट लिया। आदी ने भी मेरे मुख से मुख को सटाते हुए मेरे चेहरे का वीर्य चाट किया। अब आदी ने पास पड़े कपड़े से मेरा मुख साफ़ किया और मुझसे लिपट कर लेट गया।

मुझे उसने आज भरपूर मजा दिया था। उससे मैंने दिन को रोज चोद जाने का आग्रह किया जिसके लिये वो सहर्ष तैयार हो गया।

‘अक्सू आण्टी… आप बहुत ही प्यारी चुदाती है… आप मुझसे गाण्ड भी मरा लेंगी क्या?’

‘मुझे तरसाओगे क्या… अभी गाण्ड मार लो आदी…’

‘सच आण्टी…’ मेरे कुछ कहने के पहले ही वो मेरी पीठ से चिपक गया और मेरी चूतड़ो की फ़ांके खुल गई। उसका लण्ड कठोरता से भर उठा। उसने मेरे चूतड़ों को सहलाया और दोनों गोल गोल चूतड़ों को फ़ाड़ कर गाण्ड का छेद खोल दिया। एक थूक का लौंदा मेरी गाण्ड के छेद पर महसूस हुआ और उसका सुपाड़ा जो कि कुछ दर्द से सूज भी गया था उसका स्पर्श हुआ। जोर लगाते ही उसका लण्ड मेरी गाण्ड में था…

मुझे मीठा सा एक अह्सास हुआ। गाण्ड की दीवारों को सहलाता हुआ लण्ड अन्दर उतरने लगा। मुझे बड़ा सुहाना सा लग रहा था। अब उसने धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करना चलू किया और मेरी गाण्ड चुदने लगी थी… मैं निहाल हो उठी थी… फिर मेरी उसने जी भर कर गाण्ड मारी…

गाण्ड मराने की इच्छा पूरी हो गई, गाण्ड मराने का मजा काफ़ी दिनों बाद आया था। उसका गाण्ड मारना मुझे बहुत ही भाया और जब वो झड़ गया तब मैंने उसे एक बार फिर से मेरी चूत की प्यास मिटाने को कहा…

इतनी देर में मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी। वो बेचारा बुरी तरह फ़ंस चुका था… कुछ ही देर में उसे तैयार करके मैंने अपनी टांगे उठा कर चूत को खोल दिया। आदी को मुझे चोदना ही पड़ा…

उसे भूखी शेरनी जो मिल गई थी… जो उसकी जवानी के रस को पूरा पी जाना चाहती थी। अचानक मुझे लगा मेरा काम तो हो गया है अब इसे रवाना कर देना चाहिये, कही भण्डा फ़ोड़ ना हो जाये… पर इस चूत का क्या करुं साली प्यासी की प्यासी रहती है।

जी भर कर जब मैं चुद चुकी तो उसे मैंने लिपटा कर प्यार किया। वो भावना में बह चला और प्यार की कसमें खाने लगा। उसे शान्त करके मैंने उसे कहा कि यदि तुम मुझे प्यार करते हो तो कल फिर दिन में मुझे चोद जाना। उसने मेरे बोबे दबा कर अलविदा कहा।

मेरे जाल में शिकार फ़ंस चुका था…

अन्तर्वासना ने भाई से चुदवा दिया - Antarvasna Ne Bhai Se Chudva Diya

अन्तर्वासना ने भाई से चुदवा दिया - Antarvasna Ne Bhai Se Chudva Diya, भाई ने मौका पाकर चोद दिया, Bhai Ne Mauka Pa Kar Chod Diya, बहन ने छोटे भाई से चूत चुदवा कर मजा दिया. Behan Ne Chhote Bhai Se Choot Chudwa Kar Maja Diya.

मेरा कोई सगा भाई नहीं है। इसलिए जब भी राखी या दूज का त्यौहार आता है मैं पड़ोस के एक लडके को राखी बांधती हूँ। उस लडके का नाम विशाल है। वह मेरा दूर के रिश्ते की बुआ का लड़का है। उसकी आयु 24 आयु 17 साल है। विशाल मेरे घर से 7 किलोमीटर दूर सिटी में कम्पूटर की मरम्मत की दुकान है।

साथ ही विशाल वहीं पर विडियो लाइब्रेरी भी चलाता था। अपने साथ उसने एक लड़े को भी काम पर रहा था। जिसका नाम सुनील था। सुनील 27 साल का युवक था। उसका काम ग्राहकों को उनकी पसंद की सीडियां देना था। विशाल का घर दूकान और मेरे घर से बहु दूर था ,इसलिए उसने अपनी दूकान के ऊपर एक कमरा किराये पर ले लिया था। कमरे में लैट बाथ साथ ही थे। जब भी विशाल को समय मिलाता था वह एक दो दिन में मेरे घर जरुर अत था। कई बार मम्मी उस से बाजार से जरूरी सामान मंगवा लेती थी।

छोटी होने के कारण विशाल मुझे बहुत चाहता था ,और जब भी आता था मेरे लिए कोई न कोई चीज जरुर लाता मम्मी भी उसे पसंद कराती थीं ,और उस से हरेक बात में सलाह लेती थीं... विशाल के पिता गुजर गए थे ,और वसीयत में एक मकान छोड़ गए थे ,जो दुकान से दूर था ,उसी में विशाल की माँ रहती था ,विशाल दिन भर दुकान पर रहता था ,सुनील उसके लिए घर से खाना ले आता था। रत को विशाल घर में खाना खाता था।

यह घटना राखी के दिन की है ,हर साल की तरह मैं विशाल को राखी बांधती थी। और उसी के आने का इन्तेजार हो रहा था। विशाल ने मुझे राखी पर एक मोबाइल गिफ्ट देने का वादा किया था। उस दिन रह रह कर बरसात हो रही थी। और रास्तों में पानी भर गया था ,करीब शाम के पांच के करीब विशाल आया और देर के लिए माफ़ी मांगी। फिर मैंने जब उसे राखी बांधी तो ,उसे मोबाइल देने का वादा दिलाया।

खाने के बाद विशाल में कहा मेरे साथ मार्केट चलो ,तुम्हें जैसा मोबाईल चाहिए वैसा दिलवा दूंगा। उस समय शाम के सात बज चुके थे ,तभी जोर की बरसात होने लगी। मेरी मम्मी ने विशाल से कहा तुम अगले दिन मोबाइल खरीद देना। लेकिन मैं उसी दिन की जिद करने लगी। विशाल ने कहा अगर पानी के कारण देर हो गयी तो ? मगर मैंने कहा चाहे कितनी भी देर हो जाये नुझे तो मोबाईल चाहिए। मेरी मम्मी भी बोली बेटा यह बड़ी जिद्दी है।

अगर तू आज मोबाईल नहीं देगा तो यह मेरी जान खाती रहेगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ,भले कुछ देर अधिक भी हो जाये।

विशाल बोला आंटी चिंता मत करो ,अगर बरसात जोर से आने लगेगी तो हम अपनी दुकान के ऊपरी कमरे में रुक जायेंगे। क्योंकि वह में सिटी में है। वहीँ नए नए तरह के मोबाइल मिलते है।

यह सुनते ही मैं विशाल की बाइक पर बैठ गयी और जाते जाते विशाल ने ममी से कहा आंटी आप चिंता नहीं करो। मैं आपको फोन कर दिया करूँगा।

उस समय थोड़ी बून्दाबून्दी हो ताहि थी ,हमने काफी घुमानेके बाद एक मोबाईल पसंद कर लिया। लेकिन जैसे ही हम दुकान से बहार निकले तो मुसलाधार बरसात होने लगी। साथ में ठंडी हवाएं भी चलने लगी विशाल ने मेरी मम्मी को बता दिया कि हम बाजार में हैं ,हमें देर हो सकती है ,विशाल का कमरा थोड़ी दूर ही था ,उसने कहा कि बरसात रुकने तक मैं उसके कमरे में रुक सकती हूँ ,क्यों वहां कोई नहीं होगा ,कमरे की एक चाभी विशाल के पास थी। दूसरी उसने अपने नौकर को दे रखी थी।

कमरे के आने तक हम पूरी तरह भीग चुके थे। मिझे सर्दी लग रही थी। मैं काँप रही थी। लेकिन उस कमरे में मेरे लिए दूसरा कपड़ा नहीं था ,विशाल ने मुझे अपना कुरता दे दिया ,मैं निचे से नंगी थी।

विशाल के कमरे में सिर्फ एक तौलिया और लुंगी थी। जब वह गिले कपडे बदने लगा तो उसकी तौलिया निचे गिर गयी और उसका लम्बा मोटा ,गोरा ,प्यारा लंड मैंने देख लिया। शायद उसने जानबूझ कर ऐसा किया होगा।
मैं दो तीन बार मोहल्ले के लड़कों से चुदवा चुकी थी। तब से मुझे लंड लेने की इच्छा होती रहती थी। मैं चाहती थी कि कोई लम्बा लंड वाला मेरी चूत की जमकर चुदाई करे और मेरी चूत की प्यास बुझादे…

विशाल का लंड मुझे अच्छा लगा ,10 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। मेरी चूत भर जाने पर भी लंड बचा रहता
जब से मैंने विशाल का मस्ताना लंड देखा देखा सर्दी होने बावजूद मेरी चूत में वासना की आग भड़क रही थी ,मैं सोच रही थी की ,किसी न किसी तरकीब से विशाल का लंड लिया जाये ,मैंने विशाल से कहा मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे सर्दी होने वाली है। तुम्हारे कमरे में गैस भी नहीं है ,वर्ना चाय बन सकती थी।

विशाल ने कहा मैं तो नीचे से किसी दुकान से चाय मंगवा लेता हूँ। अगर कोई दुकान खुली हो ,मरे पास तो सिर्फ एक बोतल ब्रांडी है। मुझे जब भी सर्दी हो जाती है ,मैं एक दो पैग ले लेता हूँ। मैं नौकर सुनील को फोन करता हूँ वह चाय का इंतजाम कर देगा ,अगत तुम चाहो तबतक तुम भी एक पैग ले सकती हो। मैं खुश होकर बोली अगर तुम खुद अपने हाथों से पिलाओगे ,तो मैं पी लूंगी।

मेरा काम हो गया, मेरी चूत लुप लुपहोने लगी। मैंने फ़ौरन एक कि जगह तिन पैग ले लिए और कहा मेरी सर्दी जल्दी जाने वाली नहीं है ,मुझे और गर्मी चाहिए। विशाल में मुझे अपने पास बिठाया और कहा लो तुम मुझ से सट कर बैठ जाओ ,शायद मेरे शारीर से तुम्हे कुछ गर्मी मिल जाए। बातें करते वक्त विशाल मेरे शारीर पर हाथ फेरने लगा। उसका लंड लुंगी में उछलने लगा था और मेरी चूत से रस रिसने लगा था। विशाल ने मुहे अपने बिलकुल पास लिटा लिया। और अपनी टाँगें मेरी टांगों में फसा लीं। मेरी चूचियां एकदम कड़क हो गयीं। विशाल कि सांसें मेरी सांसों से मिल रही थीं।

तभी विशाल का नौकर सुनील अचानक कमरे में अगया ,हम दरवाजा बंद करना भूल हाय थे ,हमें ऐसी हालत में देखकर सुनील पहले तो चौंका और बोला यार मॉल तो मस्त लाये हो ,क्या अकेले ही मजा लेने का प्लान था। विशाल ने कहा यह मेरी मुंहबोली बहिन है। सुनील बोला इस से कोई फर्क नहीं होता। यह तेरी सगी बहिन तो नहीं है ,तुझ्र यह कहावत पता नहीं ?

“लंड न देखे दिन या रात,छूत ने देखे रिश्ता नात”यार जब लंड टायर हो ,छुट गर्म हो। तो सरे रश्ते नाते भूलकर चुदाई का मजा लेना चाहिए ,ऐसे में अगर मेरी सगी बहिन भी होती तो ,मैं उसे चोदे बिना नहीं छोड़ता। यार चूत का अपमान नहीं करना चाहिए।

सुनील में मुझ से कहा ,आप ही बताइए क्या मैंने कोई गलत बात कही है .? ब्रांडी के नशे में ,या चुदवाने की इच्छा में मैंने हाहा तुम सच कह रहे हो। कुदरत ने सर्फ मर्द और स्त्री ही बनाये हैं ,रिश्ते तो लोगों ने बनादिये हैं।
विशाल ने कहा इसला मतलब ,तुम चुवाने को राजी हो। सुनील भी बोल पड़ा मैंने यह ज्ञान दिया है ,मेरा भी कुछ हक़ बनता है। इस लड़की को एक साथ दो दो लंड का मजा मिलेगा। यह भी याद करेगी कि चुदाई क्या होती है। विशाल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम तय्यार हो ?मैंने अपना सर हिला कर हाँ का इशारा कर दिया।

सुनील फ़ौरन नंगा हो गया ,उसका लंड भी दस इंच से कम नहींथा ,और कड़क होकर ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे लंड का गुलाबी गुलाबी सुपरा बहुत प्यारे लग रहे थे ,और उनको चूसने कि इच्छा नहीं रोक पा रही थी
तभी सुनील ने विशाल हे कहा आओ अज पिंकी को दो दो लंड का मजा इ दें ,यह भी याद करेगी।

अगर यह ऐसा मजा ले लेगी तो हमें खुद चोदने के लिए रोज बुलाया करेगी। विशाल ने कहा पिंकी आओ ,तुम मेरे खड़े लंड पर इस तरह चढ़ जाओ ,जिस से लंड फक से चूत में समां जाए। तुम चुद चुकी हो ,तुम्हे दर्द नहीं होगा। जिस समय में विशाल का लंड लेने के लिए लंड पर सवार होने लगी तो मेरी गंद सुनील के सामने आगई। उसने फ़ौरन अपना लंड मेरी गंद में घुसा दिया। लंड गांड में रास्ता बनाते हुए अन्दर समां गया। मेरी चीख निकने ही वाली थी लेकिन मने उसे रोक लिया। मजा लेने के लिए दर्द सहना ही पड़ता है ,वर्ना मजा कैसे आयेगा।

फिर दौनों के लंड अपना कम करने लगे ,मई स्वर्ग के मजे ले रही थी मेरी चूत से चिकना रस रिस रहा था ,लेकिन गांड लाल हो रही थी।

उस दिन दो घंटे तक मैं दोनो छेदों में दो दो लंड के मजे ले रही थी। थोडा सी ब्रांडी पीकर यही कम दुहराया गया ,दोनो झड गए ,मैंने उनके लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। और वादा किया कि जब भी मैं रिंग करूँ तो सब कम छोड़कर मेरी चूत कि सा सर्दी निकल दिया करो।

आज भी मैं चुप कर दोनो से लंड ले रही हूँ ,मेरी गांड इतनी पोली हो गयी है कि गांड मरवाने में कोई तकलीफ नहीं होती ,बल्कि मजा आता है। 

अगर आप चाहे तो आप भी मेरे साथ मजा ले सकते हैं आखिर छूट और गांड किस लिए होते है ?
जो लड़कियाँ दो दो लंड लेती हैं ,वह जवान बनी रहती हैं गांड मरवा कर देखो!

टीचर की चूत की आग बुझाई - Teacher Ki Choot Ki Aag Bujhai

टीचर की चूत की आग बुझाई - Teacher Ki Choot Ki Aag Bujhai , अध्यापिका की बुर को चोदा , पढ़ाने वाली लड़की की गांड मारी, मास्टरनी की चूत चोदी, पढ़ने के साथ गांड मारने का मजा लिया.

यह मेरी पहली कहानी है. वैसे मैंने इस पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी है और वो मुझे बहुत अच्छी लगी और में उन्ही से प्रेरणा लेकर आज आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी.

यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था. जिसमे मैंने एक इंग्लीश टीचर की वासना मिटाई. अब में आप सभी का ज्यादा समय खराब ना करते हुए थोड़ा विस्तार से अपनी कहानी सुनाता हूँ. जिसको सुनने में आपको भी मज़ा आएगा और मुझे भी सुनाने में. दोस्तों यह बात उस समय की है, जब में अपनी कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था और में अपनी पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद में भी एक बहुत अच्छा स्टूडेंट था और में अपने कॉलेज के वॉलीबॉल टीम का कप्तान था और साइन्स सब्जेक्ट्स के साथ साथ इंग्लीश भी हमारा एक सब्जेक्ट था जो सिर्फ़ पहले साल के लिए ही होता है.

तो उस समय मेरी एक बहुत अच्छी इंग्लीश टीचर थी और वो शादीशुदा थी. उनकी उम्र 29 साल थी और वो पंजाब की रहने वाली थी. लेकिन दिखने में बहुत सुंदर, गोरा रंग, पतली कमर, हिरनी जैसी आँखे इतना सब कुछ होने के बाद भी वो बड़े बड़े बूब्स के साथ बड़ी सी मस्त गांड की मालकिन थी, जिसको एक बार देखने के बाद हर कोई उनका दीवाना हो जाए. वो शादीशुदा होने के बाद भी अपने गदराए हुए बदन, पतली कमर, बड़ी बड़ी आंखे और बहुत सुंदर चेहरे की बनावट की वजह से कुंवारी लगती थी.

वो हमेशा बिल्कुल टाईट कुर्ता, लेगिंग, कुर्ता, पजामा, सलवार सूट पहनती थी और उनको पहनने के बाद तो वो क्या मस्त लगती थी. क्लास में वो अक्सर हर एक बच्चे के पास खड़ी होकर पढ़वाती थी और फिर उस शब्द का अनुवाद वो खुद करती थी और बच्चों को भी वो खुद पढ़ने की कहा करती थी. जिसका एक सेक्सी कारण था कि वो अपने पास खड़ा करके पढ़ाती थी.

बच्चे भी बहुत खुश थे क्योंकि ज्यादा पास से उसके मोटे मोटे बूब्स साफ साफ चमकते थे, जिनकी सुन्दरता को देखकर हर एक बच्चा उनसे बहुत खुश रहता था. लेकिन उसने कभी उन्हे ढकने की कोशिश भी नहीं की थी और वो तो कभी कभी अपना दुपट्टा भी नहीं लेकर आती थी. में अपनी पढ़ाई में बहुत अच्छा था तो इसलिए वो अक्सर मेरे ही पास में खड़ी होकर मुझसे पढ़ाती और कभी कभी वो मुझे उसके पास में बुलाकर खड़ा होकर पाठ पढ़ने को कहती और में पढ़ने के साथ साथ उसके बड़े ही सुंदर बूब्स देखा करता था.

दोस्तों मुझे कई बार ऐसा एहसास हुआ कि जैसे वो जानती है कि में उसके बूब्स को किस नजर से देखता हूँ और मेरे मन में क्या चल रहा था. लेकिन फिर भी उसने मुझसे कभी भी कुछ नहीं कहा और में उस बात का हमेशा फायदा उठाकर उनके मस्त बूब्स के दर्शन किया करता और वो भी बहुत खुश होकर मेरा साथ दिया करती थी.

फिर एक दिन हमारे कॉलेज की तरफ से बाहर पिकनिक पर जाने का प्रोग्राम बना और सभी कामों की जिम्मेदारी मिली हमारी इंग्लीश टीचर को और हम करीब 125 बच्चे मनाली जाने के लिए तैयार हुए और उनमे से एक में भी था और सब कुछ काम एकदम ठीक-ठाक था. हमने मनाली जाने के लिए बस पकड़ी. इंग्लीश टीचर मेरी आगे वाली सीट पर बैठी हुई थी और में बहुत खुश था कि मुझे उनसे थोड़ा घुलने मिलने का अब और भी अच्छा मौका मिलेगा.

उनके साथ मेरी दो दोस्त बैठी हुई थी, जो कि अच्छी तरह से जानती थी कि में मेडम को बहुत पसंद करता हूँ. फिर हम चारों एक दूसरे से बहुत देर तक हंसी-मजाक और बातें करते रहे. वो रात का सफ़र था तो कुछ ही घंटो की दूरी के बाद एक एक करके सब लोग सोने लगे और फिर ड्राइवर ने भी एक एक करके सभी लाईटो को बंद कर दिया और फिर मेडम भी हमसे शुभरात्रि कहकर सो गई.

लेकिन आज मुझे नींद नहीं आने वाली थी, क्योंकि में आज किसी भी तरह से उसको छूना चाहता था और फिर में अपना सर आगे की तरफ करके सोने का नाटक करने लगा और धीरे धीरे हाथ आगे की तरफ सरकाने लगा, इतना आराम से और धीरे से कि किसी को शक ना हो कि में जानबूझ कर यह सब रहा हूँ और फिर थोड़ी ही देर के बाद मुझे मेडम का हॉट जिस्म महसूस हुआ.

मेरा हाथ मेडम की गर्दन पर छू रहा था, जिसकी वजह से मेरे जिस्म में एक तरंग सी दौड़ गई और अब मेरे लंड ने अपने बड़े आकार में आकर फूंकार मारनी शुरू कर दी और एकदम तनकर खड़ा हो गया. तो मैंने थोड़ी देर अपना हाथ वहीं पर रखा ताकि किसी भी देखने वाले को लगे कि मेरा हाथ सोते सोते वहां पर पहुंचा है. तभी अचानक मेडम की आँख खुली और में एकदम घबरा गया. लेकिन मैंने फिर भी अपना हाथ बिल्कुल भी नहीं हिलाया और उसी तरह लेटा रहा. तो मैंने देखा कि मेडम ने उठकर पानी पिया, इधर उधर देखा लेकिन अँधेरा होने की वजह से उन्हे कुछ भी दिखाई नहीं दिया और फिर से लेट गयी.

तो कुछ देर के बाद मुझे अब एहसास हुआ कि मेरा हाथ गर्दन पर नहीं मेडम के नरम, गुलाबी, होंठ पर था और मेडम दुबारा वैसे ही लेट गई जिससे कि मेरा हाथ उसके होंठ पर लगा रहे. तो मेरा हाथ तो मानो पत्थर हो गया था, वो हिल ही नहीं रहा था और कुछ ही देर के बाद मुझे अपनी एक उंगली पर एक गीली रगड़ का एहसास हुआ जो मेडम की जीभ थी. वो पूरी मस्ती से मेरी एक एक उंगलियाँ चूस रही थी.

लेकिन में कुछ कर नहीं पा रहा था. में बहुत घबरा गया था क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था और वो मुझसे बड़ी थी. तो अब उसने थोड़ा खुद को स्ट्रेच करना शुरू किया और मैंने भी अपना हाथ एकदम सीधा कर दिया, जो सीधा मेडम के बूब्स पर जा गिरा और अब तो में बिल्कुल ही मदहोश हो चुका था और मेडम धीरे धीरे ऊपर खिसक खिसककर, मेरे हाथ को अपने कुर्ते के अंदर डालने की कोशिश करने लगी और बस उसी दौरान मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता भी नहीं चला और जब में सुबह उठा तो मेरा हाथ मेरी सीट पर ही था और मेरी पेंट की जेब में एक खत था.

जिस पर लिखा हुआ था कि तुम्हारा हाथ बहुत गरम है और में इसे बहुत पसंद करती हूँ, इसने मुझे पूरी रात बहुत अच्छी तरह सहलाया, लेकिन अब इसके आगे भी इसको बहुत कुछ करना है. तो तुम अब एकदम तैयार हो जाओ. लेकिन उसमे किसी का नाम नहीं लिखा था.

तो हम अब तक मनाली पहुंच चुके थे और हम अपने हॉटल में चले गये. मेडम का रूम मेरे रूम के पास था. हम सब फ्रेश हुए और थोड़ा आराम किया और फिर शाम को सब लोग बाहर घूमने गये. लेकिन मैंने आराम करना ही ठीक समझा. तो हम एक रूम में 4 लोग थे और टीचर एक रूम में एक अकेली.

मेरे रूम में मुझे छोड़कर सभी लोग बाहर घूमने गए हुए थे. तभी उनके जाने के कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे पर खटखटाने की आवाज हुई. मैंने दरवाजा ख़ोला और फिर मैंने देखा कि बाहर की तरफ मेरी इंग्लीश टीचर खड़ी हुई थी. तो मैंने उन्हे अंदर बुलाया. वो मुझे चेहरे से बहुत थकी हुई सी लग रही थी. तभी उन्होंने मुझसे सर दर्द की गोली माँगी.

मैंने मना कर दिया और कहा कि मेरे पास सर दर्द की गोली नहीं बाम है, क्योंकि में कभी भी दवाई नहीं ख़ाता और मैंने उनसे कहा कि अगर आप चाहे तो में आपके सर पर बाम लगा देता हूँ. तो झट से उन्होंने हाँ कर दी और मैंने उन्हे अपने बेड पर बैठाया और बाम लेकर आ गया और मैंने उनके माथे पर थोड़ा सा बाम लगाया और मालिश करने लगा.

वॉलीबॉल खेलने के कारण मेरे हाथ बहुत सख़्त हो गये थे, तो उन्हे मेरे टाईट हाथ से बहुत आराम मिल रहा था और अब मेरे सर दबाने की वजह से धीरे धीरे उनका दर्द जाने लगा और अब हम बातें करने लगे. तो वो मुझसे बहुत खुलकर बात कर रही थी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या कॉलेज में तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तुम्हारे सभी दोस्त तो अक्सर गर्लफ्रेंड के साथ ही रहते है.

मैंने कहा कि मुझे अपनी उम्र की लड़कियां पसंद नहीं. तो उन्होंने पूछा कि फिर कौन सी पसंद है? फिर मैंने कहा कि मुझे शादीशुदा औरत बहुत ज़्यादा आकर्षित करती है. तभी उन्होंने झट से पूछा कि क्यों? तुम्हे में कैसी लगती हूँ? दोस्तों में यह बात सुनकर एकदम सुन्न हो गया. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और उसे ज़ोर से दबाते हुए मुझसे दोबारा से पूछा कि में क्या तुम्हे अच्छी नहीं लगी? तो मैंने कहा कि आप तो मुझे बहुत पसंद हो और आप हो भी बहुत हॉट सुंदर.

तो वो एकदम शरमा गयी. लेकिन कुछ देर नजरे नीची करने के बाद वो अब मेरी आखों में आखें डालकर मुझे घूरकर देखने लगी. मुझे उनकी नजरों में अब वासना की भूख दिखने लगी, वो अब मुझसे बहुत कुछ चाहती थी. फिर वो बोली कि तभी तुमने रात में हाथ मेरे बूब्स के ऊपर रखा हुआ था.

तो मैंने कहा कि नहीं वो तो अपने आप चला गया था. लेकिन आपने तो कमाल ही कर दिया था, क्योंकि आपने तो पूरी रात भर मेरे हाथ से बहुत मज़े लिए. तो मेडम फिर से शरमाई और उन्होंने कहा कि तुम्हे मालूम है कि मैंने क्या कहा है?

वो बोली कि तो कमाल तो कुछ हुआ ही नहीं और अब तुम चाहो तो हम दोनों कमाल कर सकते है? तो मैंने कहा कि मतलब? तब वो बोली कि मेरे पति एक बहुत बड़े बिजनस मेन है और इस कारण वो अधिकतर समय बाहर ही रहते है और जब होते भी है तो वो अपने बहुत सारे कामों के कारण मेरे साथ कुछ नहीं कर पाते और मेरी प्यास अधूरी ही रह जाती है और जब मैंने पहली बार तुम्हे अपनी छाती को घूरते हुए देखा तो में तब से ही तुमसे सेक्स संबंध बनाना चाहती थी.

तो उनकी यह सभी बातें सुनकर मेरा लंड अब तनकर खड़ा हो चुका था और जब उनकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पहुंची तो उन्होंने बड़े प्यार से मेरी पेंट की जिप खोली और उसे बाहर निकाल दिया और थोड़ा नीचे की झुककर बड़े ही मादक तरीके से, लंड को चूमा. दोस्तों में तो अब सब कुछ भूल बैठा था. वो मेरे लंड को चूस रही थी और में बेसुध होकर उनके बूब्स को देख रहा था.

वो तो बहुत लंबे समय से एकदम प्यासी थी इसलिए वो एकदम पागलों की तरह मेरे लंड को चूस रही थी. वो मेरे लंड को बहुत जोरदार झटके देकर अंदर बाहर करके किसी लोलीपोप की तरह चूस रही थी और फिर कब में उसके मुहं में ही झड़ गया मुझे पता ही नहीं चला.

उसने मेरे लंड से निकला हुआ गरम गरम लावा पी लिया और कुछ अपनी छाती पर लगाकर चली गयी. लेकिन में अब भी समझ ही नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है. फिर मुझे थोड़ी देर बाद होश आया और में बाथरूम में चला गया. फिर अपना लंड साफ किया और मेडम के रूम में गया. मेडम ने दरवाज़ा खोला. मैंने दरवाज़ा खुलते ही उन्हे अपनी बाहों में कस लिया और दरवाज़े को लात मारकर बंद करते हुए, उन्हे बेड पर लेटा दिया.

मुझे अब हवस चढ़ चुकी थी और मेडम तो पहले से ही चाहती थी और फिर हम यह सब पागलों की तरह एक दूसरे को किस करने लगे. में उनके दोनों बड़े बड़े बूब्स को भींच रहा था और उनके गुलाबी होंठ चूस रहा था. तभी मैंने आव देखा ना ताव और उनकी लेगी को उतारकर उनकी गरम जोश से भरी हुई चूत के मुहं पर लंड को रखा और एक ही झटके में लंड को उनकी गीली चूत में डाल दिया.

दोस्तों सब कुछ बहुत तेज़ी से हो रहा था और अब हम दोनों ही एकदम पागल हो चुके थे. में उनके बूब्स को दबाने के साथ साथ अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से धक्के भी दिए जा रहा था. जिसकी वजह से वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी और बार बार मुझसे अपनी चूत में लंड को अंदर तक डालने को कह रही थी.

तो मैं उनके मुहं से अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह्ह्ह और ज़ोर से डालो, हाँ पूरा अंदर तक जाने दो अह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे अह्ह्ह्हह आईईईईई एसी आवाजे सुनकर में और भी जोश में धक्के देने लगा और करीब बीस मिनट तक लगातार झटके मारने के बाद में चूत में झड़ गया और तब हमें होश आया कि हम क्या कर रहे थे और क्या कर चुके थे? मेडम की आखों में आँसू थे और वो बेसुध होकर पड़ी हुई थी और में एकदम भूल गया था कि मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है और वो मेडम की चूत को लहू लुहान कर चुका था और मेडम दर्द से करहा रही थी. लेकिन वो मन ही मन मेरी इस चुदाई से बहुत खुश थी, वो मुझे उनके चेहरे को देखकर लगा.

फिर मैंने मेडम से कहा कि शायद में गलती से जोश में आकर आपकी चूत के अंदर ही झड़ गया हूँ, में आपके लिए गर्भनिरोधक गोली लाता हूँ. तो उन्होंने कहा कि नहीं, मुझे उसकी कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि में यह बच्चा चाहती हूँ. मेरा पति तो मुझे बच्चा नहीं दे पाएगा और में इस मौके को नहीं गवांना चाहती और मुझे तुमने जो सुख दिया है, उसके लिए में तुम्हारी बहुत आभारी रहूंगी और तुम्हे जब भी मन करे मुझे चोद लेना. अब मेरे इस जिस्म पर तुम्हारा भी अधिकार है.

फिर हम उठे फ्रेश हुए और में अपने रूम में चला गया. तो उसी रात को मेडम का मैसेज आया कि मेरे रूम में आ जाओ. तो में चुपचाप उनके रूम में चला गया और फिर हमने होश में रहकर पूरी रात चुदाई की. वो चुदाई हमारी सबसे ज़्यादा मजेदार थी क्योंकि उसमे हम दोनों ही पूरे होश में थे. तो हम कुछ दिन वहां पर रुककर मनाली से वापस आ गये और फिर हमें जब भी मौका मिला, अपनी चुदाई लगातार जारी रखी.

तो कुछ दिन बाद मेडम का मेसेज आया कि में अब गर्भवती हूँ. तो दोस्तों मुझे एक अजीब सी खुशी मिली और फिर मैंने मेडम को एक प्यारा सा गिफ्ट दिया और उसके बाद हमने सेक्स नहीं किया. फिर में दूसरे साल में चला गया था और तभी मेडम ने एक लड़के को जन्म दिया और उसके बाद हम अक्सर सेक्स करते रहे.
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