पप्पू का स्कूल-2


शिक्षक इरफान- हमें मच्छरों को पैदा होने से रोकना है…

विद्यार्थी पप्पू- वो तो मुश्किल है सर..

इरफान- क्यों?

पप्पू- इतना छोटा कन्डोम बनायेगा कौन, अगर बना भी लिया तो सर मच्छर की लुल्ली ढूढेंगा कौन..!!

***

मास्टरनी सलमा- ओये… यहाँ आ…

चपड़ासी- मैडम जी मेरा नाम ओये नहीं है… आप मुझे मेरे नाम से बुलाया कीजिए..

सलमा- चल ठीक है … क्या नाम है तेरा?

चपड़ासी- प्राणनाथ…

मैडम सलमा हिचकिचा कर- नहीं.. मैं तुझे तेरे इस नाम से नहीं बुला सकती, तेरा सरनेम क्या है?

चपड़ासी- स्वामी

पड़ोसन आंटी की चूत चुदाई का मीठा अनुभव-2


Padosan Aunty Ki Chut Chudai Ka Mitha Anubhav-2


वो मेरे गले में दोनों हाथ डाल करके बोलीं- कितनी फिकर है तुझे मेरी.. मुझे बहुत पसंद करते हो तुम..
कुछ देर हम दोनों चुप रहे और वो मेरी आँखों में यूँ ही कामुकता से देखती रहीं। उनकी निगाहें मुझे चूत चुदाई के लिए बुला रही थी..

मुझे उनकी और अपनी साँस तेज़ चलने की आवाज़ आ रही थी.. वो मुझे अब वो आंटी नहीं लग रही थीं.. जिनसे मैं रोज़ मिलता था.. वो मुझे हवस की प्यासी लग रही थीं।
अचानक ही वो मुझसे लिपट गईं और मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ लिया और अपना सिर मेरे सीने में रख दिया और मुझसे कहने लगीं- मुझे कभी भी छोड़ कर मत जाना.. मैं बहुत अकेली हूँ।

मैं तो हक्का-बक्का रह गया था.. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.. यह कैसा लाड़ है, मैंने कहा- नहीं जाऊँगा..
उनके जिस्म की मादक खुश्बू मुझे आ रही थी.. मैंने भी उन्हें पकड़ लिया।

वो मेरे होंठों के पास अपने होंठ ले आईं और मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर ही दिया था, वो मुझे बेतहाशा चूमने लगीं और मैं भी होश खो बैठा, अब हम दोनों को एक-दूसरे को चूमे जा रहे थे।
मैंने उनको गर्दन.. गालों.. होंठों.. हर जगह चूमा।

वो मेरी शर्ट उतारने लगीं और फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, वो बहुत ही कामुक लग रही थीं। हम एक-दूसरे को चूमते रहे.. मैंने उनको उनके भरे हुए सीने पर खूब चूमा और उनके चिकने मुलायम पेट पर भी खूब चूमा..

उनकी नाभि में मैंने अपनी जीभ से खूब खेला और खूब चूमा और उनके चूतड़ों को अपने हाथों से दबाता रहा। उनके चूतड़ मेरे हाथ में नहीं आ रहे थे.. बहुत ही बड़े और मुलायम थे।

उन्होंने अपना पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया, अब वो ब्रा और पैन्टी में ग़ज़ब की खूबसूरत लग रही थीं.. मैं भी चड्डी में आ गया था और मेरा लण्ड एकदम खड़ा था।

मैंने उनको बिस्तर पर लिटा कर उनके ऊपर जा कर खूब चूमा और फिर उनकी जाँघों को चूमने लगा, वो मस्त हो चुकी थीं और मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं, काफ़ी देर तक मैं उन्हें जाँघों के इर्द-गिर्द उनके नंगे जिस्म को चूमता रहा। वो सिसकियाँ भर रही थीं।

अब मैंने उनकी ब्रा को उतार दिया और उनके बड़े मुलायम मम्मों को चूमने-चूसने लगा, वो मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मों में दबा रही थीं। मैं उनके चूचुकों को खूब चूस रहा था और उनके चूचुक एकदम खड़े हो गए थे।

मैंने अपनी उंगलियों से उनकी चूत को पैन्टी के ऊपर से धीमे-धीमे रगड़ना चालू कर दिया था तो अब वो एकदम गरम हो कर कामातुर चुकी थीं और मैं भी चुदास की आग में भड़क उठा था, वो अपने मुँह से धीमी-धीमी मादक आवाजें निकाल रही थीं ‘आह.. ऊई..सीसी..’

फिर मैं अपना मुँह नीचे ले गया और पैन्टी को एक तरफ पकड़ कर ऊपर की ओर खींचा.. जिससे उनकी पैन्टी चूत पर एकदम कस गई और पैन्टी के ऊपर से ही बुर का उभार दिखने लगा। इसके साथ ही उनकी चूत का पानी भी पैन्टी के ऊपर से नज़र आ रहा था।
मैंने टाइट की हुई पैन्टी के ऊपर से चूत को ऊँगलियों से सहलाना और चाटना शुरू कर दिया दस मिनट तक मैंने उसे खूब चाटा, उनकी पैन्टी चूत के पानी से भीग गई..

इस बीच वो मेरे लण्ड को चूसती रही .. वो मेरे सुपारे को खूब चूस रही थी और अपने हाथ से मेरी गोटियों को दबा और मसल रही थीं, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. करीब 10 मिनट तक मैं उनकी चूत को और वो मेरे लण्ड को चूसती रहीं। उसके बाद मैंने उनके मुँह मे अपना पानी डाल दिया और सारा पानी पी गईं।

उनकी चूत से भी काफ़ी पानी आने लगा था.. मैंने भी सारा पानी पी लिया, उनकी चूत की खुश्बू ने मेरी चुदाई की भूख और बढ़ा दी।

अब मैंने उनको घुमाया और उनके ऊपर लेट कर उनके मम्मों और चूचुकों को चूमने लगा.. मैंने उनका एक चूचुक अपने होंठों के दबा लिया और किसी बच्चे के जैसे उसमें से दूध निचोड़ने की कोशिश करने लगा.. साथ ही जब दूध नहीं निकलता तो मैं उनके चूचे को होंठों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचता तो उनकी एक मादक सिसकारी निकल जाती।

इस क्रिया में हमारे जिस्म एक-दूसरे से रगड़ रहे थे और हम एकदम मस्त हो चुके थे। मैं उनके ऊपर लेटा था और मेरा लण्ड उनकी चूत पर रखा था।

फिर उन्होंने मुझे 69 की अवस्था में किया और मेरे लण्ड को चूस कर एकदम खड़ा कर दिया..

अब मैंने सीधा होते हुए.. उनकी चूत की लाइन पर लण्ड के सुपारे को खूब रगड़ा.. चूंकि मेरा लण्ड एकदम टाईट था.. लौड़े की रगड़ से.. वो एकदम मस्ती में आ गईं, वो सीत्कार करते हुए बोलीं- आआआ.. अ…हह…. अब नहीं सहा जाता.. अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो..

मैंने एक झटके में ही अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया.. उनकी तो चीख ही निकल पड़ी और आखों में हल्के आंसू आ गए। वो मेरे लण्ड की ठोकर से एकदम से उछल पड़ी थीं, फिर एक-दो पलों बाद वो बोलीं- धीरे-धीरे छूट चूत चुदाई की रफ़्तार बढ़ाना..

‘ठीक है..’ शुरू में मैंने आराम से चोदना शुरू किया.. फिर ज्यों ही उनके चूतड़ों ने लौड़े को ढंग से लेने का इशारा दिया.. मैंने अपने लण्ड को खूब तेजी से चूत में आगे-पीछे किया।
अब वो मस्ती में हिल रही थीं.. उनके बड़े-बड़े मम्मे उछल रहे थे और वो भी आगे-पीछे होकर चुद रही थीं और अपनी गाण्ड और कमर उठा-उठा कर मज़ा लेने लगीं।

फिर 10 मिनट के बाद मैंने चूत में लण्ड हिलाते हुए उन्हें उठाया और अपनी बाँहों में भर कर अपने सीने से उनके मम्मों चिपका लिया। वो भी मुझे अपनी बाँहों से कस कर पकड़ी हुए थीं और अपनी जाँघों से मेरी कमर को जकड़ रखा था।

अब मुझे ग़ज़ब का अहसास हो रहा था.. वो मेरे लण्ड पर ऊपर-नीचे कर रही थीं और उनको मैंने पीठ से दोनों हाथों से पकड़ रखा था, उनके कोमल चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़ रही थीं और में उन्हें चूम भी रहा था।
वो तेज़-तेज़ ‘आआआह्ह..’ की आवाजें निकालने लगी थीं.. और कुछ ही देर बाद वो ढीली पड़ने लगीं.. उनकी पकड़ भी कमजोर पड़ गई.. उनकी चूत रो पड़ी थी।

अब कभी वो मुझे चूमतीं.. कभी मैं उनके सीने पर चूमता.. कभी चूचियों को चूसता..

कुछ देर बाद वो आआह्ह.. करते हुए झड़ गईं और उनकी चूत में पानी भर गया.. वो ढीली पड़ चुकी थीं। मेरा लौड़ा अभी तना हुआ था.. सो मैंने उन्हें लिटा दिया और ऊपर चढ़ कर उनकी चुदाई करने लगा।
चूत में रस का सैलाब होने के कारण.. अब बार-बार ‘फच्च-फच्च’ की आवाज़ आ रही थी और वो अपनी आँखें बंद करे हुए.. अपने होंठ दबा कर.. मेरे लवड़े की चोटों का मज़ा ले रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने अपना पानी उनकी चूत में छोड़ दिया और मैं ‘आअहह’ की आवाज के साथ उनके ऊपर ही ढेर हो गया। मेरा लण्ड उनकी चूत में ही पड़ा रहा.. हम दोनों एक-दूसरे चिपके हुए पड़े रहे और चुम्बन करते रहे।
हम दोनों की चुदाई की आग बुझ चुकी थी.. और अब आंटी मुझसे खुल चुकी थीं.. उस पूरी रात मैंने और आंटी ने चुदाई के बहुत से आसन लगाए। इसके बाद तो आंटी की चूत को मेरे लौड़े का सहारा मिल गया था और मुझे उनकी चूत चुदाई में मजा आने लगा था।

दोस्तो.. यह मेरी एकदम सच्ची कहानी है.. इस कहानी पर आप मुझे अपने विचारों से अवगत अवश्य कराना!

मैंने पूरे परिवार को चोद दिया

(Maine Pure Parivar Ko Chod Diya)


मैं सुदर्शन इस बार अपने जीवन के काले और शर्मनाक राज ले आया हूँ। उम्मीद है इससे आपको शिक्षा मिलेगी। मेरे घर में एक किराएदार रहते थे.. जिनका नाम संजय था। वो 35 साल के थे। उनकी दो बार शादी हो चुकी थी पहली बीवी से एक बेटा और दूसरी से दो बेटियाँ थीं। पहली बीवी मर चुकी थी और दूसरी बीवी गाँव में रहती थी।

एक दिन मैं उनके साथ सो रहा था। रात में मेरी नींद खुली.. तो उनका पाँव मेरे ऊपर था और उनका लण्ड जो उत्तेजित अवस्था में था.. और मेरी टाँग से सटा हुआ था।
मैंने उनके लंगोट पर हाथ रखा.. मुझे उनका खड़ा लण्ड छू कर बड़ा मजा आया। मैंने लंगोट को थोड़ा सा खिसका कर लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगा।
उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.. थोड़ी देर बाद उनका वीर्य स्खलन हो गया।

अब रोज उनके सो जाने के बाद उनके लण्ड से खेलना मेरा शगल हो गया। एक दिन मेरी नींद खुली तो मैंने अपने आपको संजय के बाहुपाश में जकड़े हुए पाया। मेरी चड्डी मेरे घुटनों तक सरकी हुई थी और उनका मोटा.. पर छोटा सा लण्ड मेरे गुदा-द्वार में घुसने का प्रयास कर रहा था।

मैंने छूटने का प्रयत्न किया.. परंतु मैं उसकी पकड़ से छूट ना सका और मेरे गाण्ड में वो तब तक अपने लण्ड से धक्का मारता रहा.. जब तक उसका लौड़ा झड़ नहीं गया।
हालांकि उसका मोटा लण्ड मेरी छोटी सी गाण्ड के छिद्र में प्रवेश नहीं कर सका था फिर भी 4 दिन शौच करने में बहुत तकलीफ हुई।
अब मैं उसके पास नहीं सोता था। फिर कुछ दिनों बाद उन्हें कंपनी की तरफ से कॉलोनी में घर मिल गया.. जहाँ उनकी बीवी भी साथ रहने लगी।

एक दिन संजय के जीजाजी आए.. बातों-बातों में उन्होंने बताया- मैं संजय की बीवी को चोदता हूँ.. क्योंकि संजय गाँव में कम रहता है.. इसलिए उसकी बीवी की चुदास मैं ही मिटाता था।
मैंने कहा- मेरा भी जुगाड़ लगवा दो।
संजय के जीजाजी बोले- अरे वो तो पूरी छिनाल है.. तुमसे तो हँस कर चुदवा लेगी।
वे मुझे अपने साथ संजय की बीवी के पास ले गए।

वो कुछ ही पलों में चुदवाने को राजी हो गई। वास्तव में वो बहुत ही चुदासी औरत निकली.. उसने अपनी साड़ी उठाकर चूत के दर्शन कराए और इशारे में चूत चाटने को कहा।
मैं आगे बढ़ा और उसकी चूत चाटने लगा। उसने पेटीकोट से मुझे ढक लिया.. मैं अन्दर अंधेरे में उसकी बुर चूसता रहा।
फिर मुझे बाहर निकाल कर बोली- अपना हथियार तो दिखाओ।
मैंने अपना लण्ड खोला.. वो बोली- लंबा तो संजय से अधिक है.. पर जरा मोटा कम है.. चलो एक-दो महीने में मेरी चूत का पानी पी-पी कर मोटा हो जाएगा..

फिर उन्होंने अपनी झांट युक्त बुर को फैलाया… जो लसलसाहट से भर गई थी। मैंने लवड़ा चूत पर सैट करके धक्का मारा तो दो धक्के में ही पूरा लण्ड अन्दर घुस गया।
आखिर उसने दो पुत्रियों को इसी भोसड़े से तो पैदा किया था.. चूत ढीली होना स्वाभाविक था। अब मेरा लण्ड संजय की बीवी की बुर में बहुत आसानी से अन्दर आ-जा रहा था।

मुझे बहुत संतोष मिला की मेरी गाण्ड मारने की असफल कोशिश करने वाले की बीवी की चूत को मैंने कूट-कूट कर चोदा।
जब तक लण्ड ने मेरा साथ नहीं छोड़ा.. तब तक मैं उसकी चूत को चोदता रहा.. वो भी झड़ चुकी थी.. फिर मैं भी झड़ गया।

वैसे दोस्तों बुर कितनी भी ढीली हो हस्तमैथुन से कई गुना ज्यादा मजा देती है।

संजय की बीवी को मेरी चुदाई पसंद आई.. वो बोली- नंदोई जी.. आप तो कभी-कभी आते हैं गाँव में तो आप रोज ही चोदते थे..
संजय के जीजाजी बोले- इसी लिए तो तुम्हारी चुदास को शान्त करने के लिए ये लौड़ा ढूँढा है.. अब खूब मजे से चुदवाना।
संजय की बीवी मुझसे बोली- जब संजय डयूटी चले जाएं.. तो तुम मुझे रोज चोदना..
मैं उस छिनाल को 5 साल तक चोदता रहा।

चूंकि उस जमाने में गाँव में चुदाई के नाम पर औरतें टाँगें फैलाकर लेट जाती थीं और चुदाई शुरू हो जाती थी।
मैंने भाभी को चुदाई के नए आसन भी सिखा दिए।

कुछ दिनों बाद उनकी दो खुद की लड़कियाँ चमेली और सुमन और एक सौतेला लड़का अतुल शहर पढ़ने आ गए। अतुल बड़ा था उसकी मम्मी के मरने के बाद संजय ने दूसरी शादी की थी। तो इन बच्चों के आ जाने से अब उन्हें मुझसे चुदवाने का मौका कम मिलता था।

एक दिन संजय के पुत्र अतुल ने हम दोनों को चुदाई करते देख लिया। फिर बाद में अतुल मेरा राजदार बन गया था।
आगे की कहानी आप अतुल की जुबानी ही सुनिए।

एक दिन कॉलेज में जल्दी छुट्टी हो गई। मैं घर आया और दूसरी चाभी से दरवाजा खोला और अन्दर पहुँचने पर मम्मी के कमरे से मुझे किसी मर्द जैसी आवाज सुनाई दी.. मैंने सोचा पापा तो रात में आते हैं अभी कौन है।

मैंने स्टूल लगाकर रोशनदान से झाँका तो मम्मी सुदर्शन चाचा के नीचे नंगी लेटी थीं और वो धकापेल धक्के मार रहे थे, मम्मी नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर सुदर्शन को खींच रही थीं।
यह देख कर मेरे लण्ड में तनाव आने लगा। मुझे मम्मी की चिकनी बुर साफ दिखाई दे रही थी। मैं अपना लण्ड पकड़ कर हिलाने लगा।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। मैं नीचे उतर कर अपने कमरे में चला गया।

माँ के प्रति आदर-सम्मान सब उनकी चुदाई देखकर खत्म हो गया था। मैं सोचने लगा.. मम्मी जब सुदर्शन से चूत रौंदवा रही हैं.. तो मुझे मौका क्यों नहीं देतीं।

मैं अपने कमरे में जा कर लेट गया.. मेरा मन अपनी बहन चमेली को पेलने को होने लगा।
तभी मम्मी मेरे कमरे में आईं.. उन्होंने मुझे हिलाया.. मैं जानबूझ कर नहीं उठा।

फिर कुछ सोच कर मम्मी ने मेरी लुंगी हटाकर मेरे लण्ड पर हाथ रखा.. मेरा पूरा शरीर गनगना गया। वे मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर मसलने लगीं। मैं पहली बार किसी औरत के स्पर्श को बर्दाश्त नहीं कर पाया और हिल गया।
मम्मी ने मेरा हिलना देखा तो वे कमरे से बाहर निकल गईं।
मैं पछताने लगा कि काश मैं हिला ना होता।

दूसरे दिन रात में मम्मी फिर आईं। मम्मी ने अपने पूरे वस्त्र निकाल फेंके। उसके बाद मम्मी ने मेरी खटिया पर बैठकर मेरी लुंगी को खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाने लगीं, मैं चुपचाप आंख बंद किए मजे ले रहा था।

जब उन्हें यकीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ.. तब मेरे लण्ड को मुँह में भरकर अन्दर-बाहर करने लगीं।
जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं उठ कर मम्मी को पकड़ कर चूमने लगा, उन्होंने ने मेरा एक हाथ चूत पर दूसरा चूची पर रख दिया। मेरी ऊँगलियाँ उनकी बुर की दरार में चलने लगीं, मैं तेजी से ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा।
मम्मी मुझसे बुरी तरह चिपकने लगीं और बोलीं- बेटा.. अब अपना लण्ड मेरी बुर में डाल दो..

मैं मम्मी की टाँगों के बीच बैठ कर लण्ड को बुर के अन्दर धकेलने लगा।
दो-तीन धक्के में ही उनकी गीली बुर में मेरा पूरा लण्ड समा गया।
पूरा कमरा ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाजों से गूंज रहा था। मैंने उन्हें बाँहों में भींचते हुए अपना पूरा पानी उनकी बुर में छोड़ दिया।

अब मैं सुदर्शन अंकल के साथ मिलकर भी अपनी सौतेली मम्मी को खूब चोदता था.. पर अब मुझे अपनी छोटी बहन सुमन की फूटती जवानी भोगने का मन करता था।

एक दिन मम्मी नानी की बीमारी के कारण उनकी सेवा करने नानी के घर चली गईं।
मैं रात में सुमन के कमरे में गया.. वो सो रही थी। उसकी नाईटी ऊपर को उठी हुई थी और उसकी कच्छी बाहर से दिखाई पड़ रही थी।
मैं उसकी जाँघों को सहलाने लगा.. जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो.. मैंने अपना हाथ उसकी अनचुदी बुर पर रख दिया। मेरी सांसें तेज हो गईं। मैंने बुर को सहलाते हुए उसकी बुर में ऊँगली को अन्दर डाल दिया।

सुमन थोड़ी हिली.. पर मैं रूका नहीं.. मैं समझ गया कि यह साली सोने का नाटक कर रही है।
सुमन की सांसें भी तेज हो गई थीं, उसकी चूची ऊपर-नीचे होने लगी थीं, मैं उसकी चूचियों को मींजने लगा। उसने एकदम से उठ कर मेरे होंठ चूसना चालू कर दिए।

फिर क्या था.. सब कुछ खुलम्म-खुल्ला हो गया था.. कुछ ही पलों में हम दोनों नंगे हो चुके थे, मैं अपने मुँह से उसकी बुर को चूसने लगा.. सुमन नीचे से चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने अपनी जीभ उसके बुर के छेद में सरका दिया। फिर उसकी चुदास बढ़ गई उसने अपनी टाँगें फैला दीं और बोली- अब पेल दो..
मैं उसकी बुर पर लण्ड सैट करके धक्का मारा.. लण्ड के आगे का भाग चूत के अन्दर घुस गया और धीरे-धीरे और अन्दर ठेलने लगा। सुमन अब दर्द से ऐंठने लगी और एक हाथ से मुझे पीछे धक्का देने लगी।
लेकिन मैंने उसको जकड़ कर पूरा मार्ग तय किया। फिर धीरे-धीरे लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।

जब सुमन का दर्द कम हुआ तो वो भी सहयोग करने लगी। मैं भी गति बढ़ाकर चोदने लगा।
सुमन जब झड़ने लगी तो बुरी तरह मुझसे चिपक गई, फिर मैं भी जोर से चोदते हुए ढेर हो गया।

सुमन बोली- मैं और दीदी दोनों ने तुम्हारी और मम्मी की चुदाई देखी है।
मैं मुस्कुराया तो सुमन बोली- अब चमेली दीदी को भी चोद दो।
मैं चमेली दीदी के कमरे में गया। वो स्कर्ट पहने लेटी थी, जब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे तो उसका पूरा बदन काँप रहा था।
मैं सारे रिश्ते तो दो महीने पहले ही भूल चुका था, अब चमेली दीदी मुझे चोदने लायक ‘माल’ लग रही थीं।

मैंने उसकी स्कर्ट को उतार कर फेंक दिया… और एक ही झटके में उसकी कच्छी नीचे उतार दी, फिर उसके बुर में अपना लौड़ा पेल कर उसका कौमार्य भी भंग कर दिया।

मम्मी के आने पर जब उनको हम भाई-बहनों के खेल का पता चला तो.. मम्मी बोलीं- ठीक है.. पर इस खेल में सुदर्शन को भी शामिल करना पड़ेगा।
फिर सुमन, चमेली, मम्मी, मैं.. और सुदर्शन सब एक साथ चुदाई करते।

अब सुदर्शन की शादी हो गई। फिर मेरी दोनों बहनों की भी शादी हो गई। अब मेरी भी शादी हो गई। लेकिन मम्मी फूफा जी से अब भी संबंध बनाती हैं।
मैं पत्नी आने के बाद मम्मी को नहीं चोदना चाहता हूँ.. पर जब भी उनको एकांत मिलता है.. तो वे मुझसे संबध बना लेती हैं।

सुदर्शन- तो देखा मित्रों.. किस तरह मैंने अपनी गाण्ड मारने की असफल कोशिश करने वाले के पूरे परिवार को ‘चूतजाल’ में फंसाकर चोदू बना दिया।
आप कभी बिना सहमति के किसी की गाण्ड मत मारना।
अपने विचार मेरी ईमेल आईडी पर जरूर भेजिएगा।

भाभी से चुदाई का सीक्रेट अफेयर

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खरबूजे से चूचे तरबूज से चूतड़

Kharbuje Se Chuche Tarbuj Se Chutad


मेरा नाम समीर है और मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ। अकेली और कामपिपासु महिलाओं और लड़कियों की चुदाई करना मेरा काम है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ मेरा लण्ड 8 इंच का है। मैं एक अच्छे सुडौल और कसरती जिस्म का मालिक हूँ।

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह एक सच्ची घटना है.. जो अभी 2 महीने पहले की ही है, मुझे कॉल आया.. उधर से एक महिला बोल रही थी.. उसने अपना नाम रूपाली (बदला हुआ नाम) बताया और उसने मेरी सर्विस लेने की बात कही।
मैंने पूछा- आपको मेरे बारे में कैसे पता चला?
तो उसने बताया- मुझे आपके बारे में आपकी कस्टमर नैना ने बताया है.. वो मेरी फ्रेंड है..
यहाँ मैं आपको बता दूँ कि नैना मेरी एक साल पुरानी ग्राहक है जो कि लगभग 30 वर्षीया महिला है.. उसकी मैंने अभी तक 20 बार चुदाई की है।
मैंने रूपाली से बातचीत फाइनल की और 2 दिन बाद मिलने की हमारी डील पक्की हुई। मुझे उससे मिलने के लिए उसके घर पर जाना था.. क्योंकि उस समय घर पर कोई नहीं था।

मैं उस दिन बताए पते पर पहुँचा.. मैंने दरवाजे पर जाकर घन्टी बजाई।
कुछ ही देर में दरवाजा खुला.. मैंने देखा तो वो एक 28 साल की महिला थी जिसका फिगर 34-28-34 का था.. उसने काले रंग की साड़ी और गहरे गले का ब्लाउज पहना हुआ था।
मैं उसे देखता ही रह गया.. उसने मुस्कुराते हुए मुझे अन्दर आने को कहा.. मैं अन्दर जाकर सोफ़े पर बैठ गया।

उसने मुझसे ठंडा गरम के लिए पूछा और मैंने चाय के लिए कहा.. वो मेरे लिए चाय बनाने अन्दर चली गई।
मैं उसके बड़े चूतड़ों को मटकते हुए देख रहा था.. जो मुझे चोदने के लिए निमंत्रित कर रहे थे।
मैं जब अन्दर आया था.. उस समय मैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ देख रहा था.. क्योंकि मुझे बड़े चूचे ज्यादा पसंद हैं।
मैं बड़े चूचों वाली महिलाओं की चोदने से पहले खूब थन-चुसाई करता हूँ।

आप यह कहानी अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो अन्दर से चाय लेकर आई और मैंने चाय लेकर पीना शुरू की.. वो इस दौरान मेरे पास आकर बैठ गई और उसने पूछा- आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
मैंने बताया- नहीं.. कोई दिक्कत नहीं हुई।

मैं उसे देखे ही जा रहा था.. तभी मेरा एक हाथ उसकी जाँघों पर गया.. वो चौंक पड़ी।
उसने कहा- जल्दी क्या है.. चाय पी लीजिए.. फिर बेडरूम में चलते हैं।
मैंने जल्दी से चाय खत्म की और वो मुझे बेडरूम में ले जाने के लिए उठी। मैं उसके पीछे-पीछे चल दिया.. जैसे ही मैं बेडरूम में पहुँचा.. उसने मुझसे कहा- शुरू हो जाओ…

मैंने तुरंत उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठों को चूसने लगा। उसने मेरा साथ देना शुरू किया.. मैंने उसके होंठों को चूमते-चूमते उसके सारे कपड़े खोल दिए। अब वो सिर्फ़ एक काली ब्रा और पैन्टी में थी।

मैंने उसके ब्रा को एक झटके में निकाल फेंका और उसके भूरे निप्पलों को अपने होंठों से निचोड़कर उनका रस पीने लगा।
वो गरम होने लगी.. उसने मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लण्ड मसलना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी ब्रा-पैन्टी और अपना अंडरवियर निकाल दिया। वो मेरे लण्ड को मुँह में भरकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। कुछ मिनट लण्ड चुसवाने से मेरा माल निकल गया, वो एक झटके में सारा पानी पी गई।

अब बारी मेरी थी.. मैंने अपना मुँह ले जाकर उसकी गुलाबी चूत पर रखा और चाटने लगा। मैं अपनी जीभ को चूत की फाकों में अन्दर-बाहर करने लगा।

‘आहह.. एसस्स.. उहह.. फाड़ डालो इस चूत को मेरे राजा.. अब मैं तुम्हीं से ही चुदवाऊँगी..’
वो ये सब सिसिया कर कहने लगी। फिर अंत उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.. जो नमकीन न होकर खट्टा टाइप का था।

कुछ देर तक हम दोनों ने लेट कर एक-दूसरे के कामांगों को छेड़ा तो हम दोनों चुदाई के लिए तैयार हो उठे। उसने मुझसे जल्दी से लण्ड को चूत के अन्दर डालने को कहा। मैंने लण्ड को चूत के मुहाने पर रखा और हल्का सा एक झटका दिया।

क्योंकि मैं पेशेवर होने के कारण चोदने के तरीके जानता हूँ.. उसकी चूत में लौड़ा घुसते ही उसके मुँह से हल्की ‘आह..’ निकल गई। दूसरे झटके में पूरा लण्ड अन्दर डालकर धकापेल चुदाई करने लगा।
वो भी चूतड़ों को हिलाकर मेरा साथ दे रही थी- और तेज.. और तेज.. आहा.. आअहह.. आह.. मजा आ गया.. चोद मेरे चोदू..

वो मादक आवाजें निकाल रही थी। कुछ ही देर में वो झड़ चुकी थी।
इस देर तक चली चुदाई में मैं झड़ने वाला हुआ और वो इस बीच 2 बार झड़ चुकी थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर उसके मुँह में झड़ गया।

उस रात मैंने उसकी 3 बार चुदाई की और वो भी मेरे साथ चुदाई में कई बार झड़ कर खूब संतुष्ट हो चुकी थी। मैं सुबह अपने पैसे लेकर चला गया। चूंकि मेरा व्यवसाय ही चुदाई का है इसलिए मैं अपने धंधे में पूरी गोपनीयता रखता हूँ।

आपको मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी.. ज़रूर बताना.. मेरे पास मेरे अनुभवों की अभी और भी कहानियाँ हैं।
अगली बार मैं आपको किसी और मस्त लुगाई की चुदाई की कहानी बताऊँगा, आप अपने ईमेल मुझे जरूर भेजिएगा

ऐसी मौसी सब को मिले-1

Aisi Mausi Sabko Mile-1


मेरा नाम विजय है, 24 बरस का हूँ। शहर में मेरी मौसी रहती थी, मौसाजी की किरयाने की दुकान थी, थोड़ा बहुत होलसेल का काम भी था।
बाकी सब तो ठीक था पर मौसी के कोई औलाद नहीं थी, हम 4 भाई बहन थे, और मौसी हम सबसे बहुत प्यार करती थी। मैंने भी उन्हें हमेशा अपनी माँ जैसा ही समझा था।

बात थोड़ी पुरानी है, जब मैं 12वीं क्लास पास कर चुका था, माँ बाप चाहते थे कि मैं और पढ़ूँ तो उन्होंने मुझे शहर मौसी के पास भेजने का विचार किया। असली खुशी तो मुझे इस बात की थी कि शहर में रहूँगा, कॉलेज में पढ़ूँगा और शहर में तो सुना है के लड़कियाँ भी बहुत जल्दी पट जाती हैं।

मैं शहर आ गया और कॉलेज में एड्मिशन भी ले ली, पर 3-4 महीने बीत जाने पर भी कोई भी लड़की नहीं पटी, दोस्त तो बन गई पर साली गर्लफ्रेंड कोई नहीं बनी।
रोज़ सुबह जब सो कर उठता तो लण्ड फुल टाइट तना होता, मगर उसको लेने वाली कोई नहीं मिल रही थी, मूठ मारने का ना मुझे शौक था और ना ही आदत, तो लण्ड भी एकदम मूसल की तरह सीधा और दमदार था, बस इशारा करते ही तन जाता था।

ऐसे ही दिन बीतते गए पर कोई बात ना बनी।
एक दिन ऐसे ही दोपहर के वक़्त मुझे लेटे लेटे प्यास सी लगी तो मैं उठ कर दूसरे कमरे में गया जहाँ मौसी लेटी थी, क्योंकि फ्रिज उनके कमरे में रखा था।
मैंने पानी पीते पीते ध्यान दिया, मौसी शायद टीवी देखते देखते सो गई थी, सोते में उनकी साड़ी उनके सीने से हट गई थी जिस कारण उनके भारी स्तन काफी सारे उनके ब्लाउज़ से बाहर दिख रहे थे।
बड़े बड़े दो गोल स्तन और भरा भरा सा उनका पेट, मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई। फिर मैंने सोचा, बदतमीज़ यह क्या देख रहा है, जिस औरत की तू इतनी इज्ज़त करता है उसका नंगापन देख रहा है?
मैं दूसरे कमरे में चला गया और बेड पे लेट गया। थोड़ी देर बाद मुझे भी नींद आ गई।

थोड़ी देर बाद मुझे मौसी ने जगाया- उठो विजय चाय पी लो, आज बहुत सो रहे हो?

मैं आँखें मलता हुआ उठा तो देखा- ओ तेरे दी…

लण्ड ने तो तन कर पायजामे का तम्बू बना दिया था… क्या मौसी ने भी देखा होगा? मुझे बड़ी शर्म आई, पर चलो। मौसी की आदत थी को वो अक्सर दोपहर को सो जाया करती थी।
धीरे धीरे मुझे इस बात की आदत सी पड़ने लगी के जब भी मौसी सो रही होती, मैं किसी ना किसी बहाने से जा कर उसके अंग प्रत्यंग को निहार आता। कभी मन में विचार आता नहीं ये तो मेरी माँ जैसी है तो कभी मन में बैठा शैतान कहता, माँ जैसी है पर माँ तो नहीं, उसके स्तन कितने बड़े हैं, कितने गोल और कितने गोरे, अगर उनसे खेलने का मौका मिल जाए तो, या चूसने का, वाह क्या मज़ा आए, पर मैं हमेशा अपने मन पे क़ाबू पा लेता।
मगर ये भी हो रहा था के मैं इसी फिराक में रहता के कब और कैसे मौसी के स्तनो के दर्शन कर सकूँ। कभी कभी रात को जब मौसाजी मौसी के साथ सेक्स करते तो मौसी की सिसकारियाँ और कराहटें मैं भी सुनता, मेरा लण्ड तन जाता पर क्या करता।

कुछ दिनों बाद ऐसे ही एक दिन मैं अपने बिस्तर पे लेटा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब मौसी सो जाए और मैं उसके उरोजों के दर्शन कर सकूँ।

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जब मैंने थोड़ी देर बाद देखा तो मौसी के हल्के हल्के खर्राटों की आवाज़ मैंने सुनी, मतलब मौसी सो गई थी, मैं उठ कर जाने लगा तो मन में से आवाज़ आई ‘रुक जा विजय, ऐसा मत कर!’
पर दूसरे ही क्षण ये आवाज़ आई ‘ऐसे गोल गोल स्तन देखने का मौका रोज़ रोज़ नहीं मिलता, चल चलके देखते हैं।’
मैं उठा और सीधा जा के मौसी के बेड पे उनकी बगल में बैठ गया।
मौसी के सांस लेने से उनके बड़े बड़े स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे, मैंने देखा के आसमानी रंग के ब्लाउज़ ने नीचे आज मौसी ने ब्रा नहीं पहनी थी तो ब्लाउज़ में से उनके चूचुक भी थोड़ा बाहर उभरे हुए दिख रहे थे।
जितना मैं मौसी के स्तन देख रहा था मेरी हालत उतनी ही खराब होती जा रही थी। फिर न जाने क्या सोच कर मैंने, अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाए और बड़े ही धीरे से मौसी के ब्लाउज़ का एक हुक खोल दिया। मैंने देखा मौसी उसी तरह बेफिक्र सो रही थी। मैंने फिर हिम्मत की और दूसरा हुक भी खोल दिया। अब मौसी की छाती थोड़ी और खुल कर दिखने लगी।

ऐसे ही करते करते मैंने उनकी ब्लाउज़ के 4 हुक खोल दिये। अब सिर्फ नीचे के 2 हुक बचे थे, अगर मैं ये भी खोल दूँ मौसी ऊपर से पूरी नंगी हो जाएगी मेरे सामने। मगर मन ने मना कर दिया और मैं उठ कर फिर अपने कमरे में आ गया।

मगर जितनी छातियाँ मैं मौसी की देख आया था, वो दृश्य बार बार मेरी आखों के सामने घूम रहा था। मेरा मन फिर से बेईमान हो गया और मैं फिर जा कर मौसी के पास बैठ गया। मैंने फिर से हिम्मत की और मौसी के ब्लाउज़ का पांचवा हुक भी खोल दिया और फिर उसके बाद छठा हुक भी खोल दिया।

अब मौसी मेरे सामने नंगी थी, सिर्फ उनके ब्लाउज़ के दोनों पल्ले हटाने थे। मैंने बड़े आराम से दोनों पल्ले उठा कर साइड पे कर दिये।
‘वाह, सृष्टि की सबसे सुंदर चीज़ मेरे सामने थी।’ आज मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी स्त्री के स्तनों को बिल्कुल नंगा देखा था और वो भी इतनी करीब से।

मैं उन स्तनों को चूसना और सहलाना चाहता था, पर डर लग रहा था के मौसी न जग जाए।
खैर मैंने हिम्मत करके मौसी बाएँ स्तन पर अपना काँपता हुआ हाथ रखा। मौसी वैसे ही सो रही थी, थोड़ा आश्वस्त होने पर मैं स्तन पर अपने हाथ से पकड़ बनाई। मौसी का निप्पल मेरी हथेली के बीच में लग रहा था। जब मैंने एक दो बार हल्के से दबा के देखा और मौसी नहीं जगी तो मैंने अपने दोनों हाथों में मौसी के दोनों स्तन पकड़ लिये और दबाये।

इस बार मौसी थोड़ी कसमसाई, शायद मैंने थोड़ा ज़्यादा दबा दिया। मगर अब दबाने से बात नहीं बन रही थी, मैं तो चूसना चाहता था। जब मैंने मौसी का निप्पल अपने मुँह में लिया तो मौसी हिल पड़ी और मैं भाग कर अपने कमरे में जा के बेड पे लेट गया।
डर के मारे मेरी गाँड फटी पड़ी थी, अगर मौसी को पता चल गया, अगर वो गुस्सा कर गई, अगर उन्होंने मौसाजी को और मेरे घर पे बता दिया तो?

मैं बहुत घबरा गया और आँखें बंद करके ऐसे लेट गया जैसे सो रहा हूँ। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई। फिर जब जागा तो मौसी मेरे लिए चाय बना कर मुझे जगा रही थी, मैं बहुत शर्मिंदा था और मौसी से नज़र नहीं मिला पा रहा था। मैंने उनके चेहरे की तरफ भी नहीं देखा।

अगले दिन दोपहर को देखा कि मौसी तो पंजाबी सूट पहने हुये थी। मतलब अब मैं उनका ब्लाउज़ नहीं खोल सकता था, तो क्या मौसी को सब पता चल गया, मुझे बहुत ग्लानि हुई।

अगले 3-4 रोज़ मैंने देखा कि मौसी हमेशा पंजाबी सूट ही पहनती थी और इसी वजह से मैं कुछ नहीं देख पाता था। हाँ कभी कभी उनके झुकने से उनकी वक्ष रेखा ज़रूर दिख जाती थी पर मैं उनके साथ उस दिन की वारदात भूल नहीं पा रहा था।

रात को मौसा जी ने मौसी के साथ सेक्स किया। दोनों की खुसुर पुसुर और कराहटें मैं सुन रहा था। मेरा भी लण्ड पूरा तना हुआ था, पर मैं क्या कर सकता था।

अगले दिन सुबह उठा और तैयार हो कर कॉलेज चला गया।
कहानी जारी रहेगी।

ननद से लेस्बीयन जिस्माना ताल्लुकात

Nanad Se Lesbian Jismana Tallukaat

मेरा नाम रूखसाना है, अभी कुछ माह पूर्व ही मेरा निकाह हुआ है। मेरे शौहर सलीम काफी खूबसूरत बांके जवान हैं और मुझे बहुत लव करते हैं। मैं भी उन्हें बहुत मुहब्बत करती हूँ परन्तु पिछले काफी दिन से मैं एक अजीब सी उलझन में फंस गई हूँ।

मेरे शौहर दफ्तर के काम से बीस दिनों के लिए शहर से बाहर गए थे, घर में मैं, मेरी ननद फिरदौस और उनकी अम्मी यानी मेरी सासू अम्मी ही थीं।

शौहर की गैरमौजूदगी में मैंने अपनी ननद फिरदौस को अपने साथ सोने के लिए अपने कमरे में बुला लिया क्योंकि मुझे अकेली सोने में खौफ़ सा लगता है। लेकिन इस दौरान फिरदौस की पहल से हम दोनों में लेस्बीयन जिस्माना ताल्लुकात बन गये।
मुझे पहले तो अजब सा लगा लेकिन बाद में गजब लगने लगा। उसके बाद से हम दोनों ने पूरी पूरी रात नंगी होकर इस गैरकुदरती चुदाई की मौजें ली ! चूमा चाटी से लेकर चूचियों को चूसना और चूत चाटने से लगाकर गांड में उंगली करने तक सब कुछ किया..

अब दिक्क़त ये है कि मेरे शौहर सलीम से मैं बहुत लव करती हूँ पर अपनी ननद फिरदौस की नई ‘लेस्बीयन मुहब्बत’ को गंवाना नहीं चाह रही।

क्या मैं अपने खाविंद को सब कुछ बता दूँ? क्या सलीम साहब मेरी मुहब्बत की कद्र करेंगे?
क्या मैं अपने शौहर और ननद दोनों को एक साथ खुश रख सकूँगी? अगर मैं खुद से ना बताऊँ तो क्या मेरे शौहर को मुझ पे शुबहा हो जाएगा?

मैं क्या करूँ, काफी पशोपश में हूँ, कृपया मुझे सही रास्ता बताएं !
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