पड़ोसन आंटी की चूत चुदाई का मीठा अनुभव-1

Padosan Aunty Ki Chut Chudai Ka Mitha Anubhav-1

एक मीठा अनुभव पड़ोसन आंटी की चूत चुदाई का आप लोगों से साझा कर रहा हूँ।
हाय, मेरा नाम अंश है.. मेरी उम्र 25 वर्ष है.. कद 5’5″ इंच.. रंग गोरा और स्लिम फिट जिस्म है, मैं पूना में रहता हूँ।
मेरी मम्मी सरकारी नौकरी में हैं और शाम को 4 बजे के बाद घर आती हैं।
मेरे घर के बगल में एक आंटी रहती हैं उनका नाम आकांक्षा है.. वो लगभग 32 साल की हैं और बहुत ही सुंदर और गोरी हैं। उनकी हाईट करीब 5’4″ होगी और फिगर 38-30-38 का रहा होगा। वो टीचर हैं और मेरी मम्मी की अच्छी दोस्त हैं। उनका कोई बच्चा नहीं है.. उनके पति शहर से बाहर किसी प्राइवेट जॉब में थे और घर कम आया करते थे।
वो मेरे घर अक्सर आया करती हैं.. मुझे वो बचपन से ही बहुत प्यार करती हैं, मैं भी उनके घर अक्सर जाया करता था.. आंटी मुझसे अपने छोटे-मोटे काम कराया करती थीं और मम्मी भी उनकी मदद कर देती थीं। वो मुझसे मज़ाक करती थीं और मुझे छेड़ती रहती थीं। पर मैं उनसे हँसी-मज़ाक के अलावा.. उनको कभी भी बुरी नज़र से नहीं देखा।
मम्मी ने बताया था कि उनके पति बहुत ड्रिंक करते हैं और अक्सर लड़ाई-झगड़ा होने के कारण उनका पति से तलाक होने वाला है.. इसलिए वो घर कम ही आते हैं। मैं समझ गया कि आकांक्षा की चूत चुदाई कम ही होती होगी।
यह बात तब की है.. जब मैं कॉलेज में नया-नया गया था और घर पर 2 बजे के बाद आता था। मम्मी घर की चाभी आंटी को सुबह दे जाया करती थीं और मैं आंटी से दोपहर में ले लेता था।
एक दिन यूँ ही मैं कॉलेज से आकर आंटी के घर गया तो आंटी स्कूल से आ गई थीं और उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी.. वो साड़ी ही पहन कर स्कूल जाया करती थीं।
आंटी ने मुझसे पूछा- तुमने खाना खाया?
तो मैंने कहा- नहीं.. मैं सीधे घर ही खाना ख़ाकर सो जाऊँगा..
यह सुनते ही उन्होंने कहा- ठीक है पर तुम खाना मेरे यहाँ ही खा लो.. तेरी मम्मी का फोन आया था.. वो सीधे ऑफिस से हॉस्पिटल चली जाएँगी.. क्योंकि उनकी किसी ऑफिस की दोस्त का एक्सिडेंट हो गया है.. और वो रात में भी देर से ही आ पाएँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने खाना खाया फिर आंटी मुझसे बातें करने लगीं और फिर मुझे नींद आने लगी।
वो बोलीं- तू सो जा.. मैं भी सो जाती हूँ।
यह कह कर वे दूसरे कमरे में चली गईं।
मैं अभी सोने के लिए लेटा ही था.. कि मुझे चादर और तकिया की जरूरत हुई और मैं लेने के लिए उनके कमरे में जाने लगा.. मैं उनके कमरे के पास पहुँचा.. उसमें परदा पड़ा था.. मैं जैसे ही अन्दर घुसने लगा.. तो मैंने देखा आंटी अपनी साड़ी उतार रही थीं और उनकी नाईटी बिस्तर पर पड़ी थी।

आकांक्षा को नंगी देखा

मैं तुरंत बाहर आ गया.. आंटी मुझे देख नहीं पाई थीं.. मैं बाहर ही खड़ा हो गया और पर्दे के एक कोने से उन्हें देख रहा था। उन्होंने अपनी साड़ी उतारी और बिस्तर पर डाल दी.. अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थीं। उनकी पिछाड़ी मेरी तरफ थी.. उनके चूतड़ काफ़ी बड़े थे और ऊपर उठे हुए थे, पेटीकोट चुस्त होने के कारण उनके चूतड़ों का आकार साफ़ दिख रहा था।
यह देखते ही मैं एकदम हक्का-बक्का रह गया। अब वो ब्लाउज उतारने लगीं.. ब्लाउज उतरा तो नीचे नीले रंग की ब्रा दिखने लगी थी.. वो इस डिजायनर ब्रा में बहुत ही मस्त माल लग रही थीं।
वो घूमी तो मैंने उनके मम्मों को ब्रा में फड़फड़ाते हुए देखा.. उनके मम्मे बड़े और सुंदर लग रहे थे.. उनका सीना काफ़ी गोरा और खूबसूरत था।
मेरा लण्ड अपने आप खड़ा होने लगा। वो सुंदर तो थी हीं.. पर अब तो वो ग़ज़ब की लग रही थीं। अब उन्होंने अपना पेटीकोट उतारा और वो एक काम की मूर्ति की तरह सिर्फ ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थीं। उनके चूतड़ काफ़ी बड़े थे.. उन्हें बस चूमने का, चूत चुदाई मन कर रहा था।
उनके चूतड़ों के बड़े होने के कारण पैन्टी चूतड़ों के बीच में घुस गई थी और थोड़ी पसीने से गीली भी थी। यह सब देख कर मेरा लण्ड एकदम कड़ा हो गया था और मैं उसे पैन्ट से निकाल कर सहलाने लगा।
उनका पेट बहुत ही चिकना था और नाभि सुंदर और खूबसूरत थी.. बस मेरा तो उन्हें चूमने का मन कर रहा था। फिर उन्होंने अपनी पैन्टी उतारी और फिर ब्रा भी उतार दी.. आह्ह.. अब वो पूरी नंगी थीं और अपने आपको शीशे में घूम-घूम कर देख रही थीं.. जैसे उनको अपनी मादक काया पर गुमान हो रहा हो..
उनके चूतड़ बिल्कुल चिकने.. सुडौल और बड़े थे, उनके मम्मे हवा में गर्व से तने हुए दिख रहे थे और उनकी चिकनी बड़ी जांघें.. मुझे पागल कर रही थीं..
फिर उन्होंने अपनी नाईटी पहन ली.. जो नीले रंग की बिना बाँहों वाली थी। यह नाईटी शायद गाउन के अन्दर पहनने वाली होगी.. क्यों वो बहुत ही सेक्सी किस्म की थी।
उसके बाद वो बिस्तर पर लेट गईं.. मैं थोड़ी देर के बाद तकिया अन्दर लेने गया.. क्योंकि उस वक्त मेरे लण्ड का बुरा हाल था वो चूत चुदाई चाह रहा था।
मैं उनकी पारदर्शी नाईटी में से उनके चूचुक और बड़ी-बड़ी गोरी जांघें.. साफ़ देख पा रहा था।
मैंने आंटी से तकिया माँगा.. तो उन्होंने कहा- तू यहीं सो जा.. यहाँ कमरे में ए.सी. चल ही रहा है.. कहाँ तू दूसरे कमरे में गर्मी में सोएगा।
मैंने शर्माते हुए उन्हें कई बार मना किया.. पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ अपने बगल में बिस्तर पर खींच लिया।
वो मुझसे अभी भी पहले जैसे.. किसी बच्चे की तरह ही पेश आती थीं.. ऐसा मुझे लगता था।
मैं बिस्तर पर लेट गया.. वो भी लेट गईं। वो मेरी तरफ पीठ करके सो रही थीं.. तो मैं उनके चूतड़ों को देखते हुए कब सो गया.. मुझे पता ही नहीं चला।
जब मेरी नींद टूटी.. तो मैंने देखा कि मेरा हाथ उनके पेट पर रखा हुआ था, उनकी नाइटी उनके घुटने से ऊपर आ गई थी और उनकी बड़ी-बड़ी.. गोरी जांघें दिख रही थीं।
मैंने अपना चेहरा उनकी चूचियों के एक साइड में घुसा दिया और कुछ देर बाद उन्होंने भी अपना हाथ.. मेरे सर पर रख दिया.. जिस मेरा चेहरा उनकी चूचियों में दबने लगा था। अब मुझे उनके मुलायम मम्मे महसूस हो रहे थे.. ये देख कर मैंने नींद में होने का नाटक करते अपना पैर उनके पैरों के बीच में घुसेड़ दिया और मेरा लण्ड उनकी जाँघों में स्पर्श होने लगा.. और जैसे ही उनकी जाँघों के स्पर्श में मेरा लौड़ा आया.. वो एकदम से सख्त हो गया।
फिर में इस घर्षण का चूत चुदाई जैसा मज़ा लेते-लेते फिर से सो गया। मैंने डर के कारण ज़्यादा कुछ नहीं किया..
जब शाम को मैं उठा.. तो मैं वैसी ही अवस्था में सो रहा था.. बस आंटी नहीं थीं। मैं समझ गया कि आंटी ने मुझे सोते हुए देख लिया होगा और नींद में होने के कारण कुछ नहीं समझा होगा।
मैंने उठ कर देखा कि आंटी चाय बना रही थीं, मुझे देख कर वो बोलीं- उठ गए तुम.. बड़ी गहरी नींद में सोते हो..
वो हँसने लगीं.. मेरी समझ में आ गया, मैंने पूछा- आप हँस क्यों रही हैं?
वो मेरे गाल को खींचते हुए बोलीं- कितना सीधा है.. चल हाथ-मुँह धोकर चाय-नाश्ता कर ले.. फिर बाजार चलते हैं.. कुछ सामान खरीदना है।
फिर आंटी अपने कपड़े बदलने चली गईं। थोड़ी देर बाद वो साड़ी पहन कर आ गईं।
मैंने कहा- आप इस साड़ी में काफ़ी सुंदर लग रही हो।
वो बोलीं- तू बड़ा मुझे नोटिस करने लग गया..
इतना कह कर उन्होंने मेरे गाल पर हाथ फेरा और मेरा गाल खींचते हुए कमरे में अपना पर्स लेने जाने लगीं।
वो बोलीं- मैं पर्स लेकर के आती हूँ..
और वे मुड़ कर जाने लगीं.. वो मेरे आगे चल रही थीं.. तब ही मैंने देखा कि उनकी ब्रा की लेस उनके ब्लाउज से बाहर दिख रही थी।
मैंने सोचा इन्हें ये बात कैसे बताऊँ.. तभी वो रूम में से आते हुए बोलीं- तेरी कॉलेज में कोई गर्लफ्रेंड बनी?
मैंने कहा- लड़कियाँ तो हैं.. पर जैसी लड़की मुझे पसंद है.. वैसी तो कोई भी नहीं दिखी..
उन्होंने पूछा- तुझे कैसी लड़की पसंद है?
मैंने कहा- जिसका नेचर अच्छा हो.. क्या बताऊँ.. यूँ समझिए बस.. जैसे आपका..
वो सामने आकर बोलीं- तुझे मेरा नेचर पसंद है?
मैंने कहा- मुझे आप बहुत पसंद हो.. आप कितनी केयरिंग हो.. अगर आप मेरी उम्र की होतीं.. तो मैं आपसे ही शादी कर लेता।
वो बोलीं- चल पागल.. बातें बनाना तो कोई तुझसे सीखे..
मैंने कहा- सच में.. एक बात पूछू.. आप अकेले बोर नहीं होतीं?
उन्होंने कहा- तुम आ जाते हो.. कितनी बातें तुमसे ही कर लेती हूँ।
मैंने जरा मुस्कुराया तो वे अपने दोनों हाथ मेरे गालों पर रख कर बोलीं- यह भी तो तेरा ही घर है.. आ जाया कर.. मेरा मन तेरे साथ लग जाता है।
मैंने कहा- आप सच में बहुत सुंदर हो आंटी..
वो मेरे गले में दोनों हाथ डाल करके बोलीं- कितनी फिकर है तुझे मेरी.. मुझे बहुत पसंद करते हो तुम..
कुछ देर हम दोनों चुप रहे और वो मेरी आँखों में यूँ ही कामुकता से देखती रहीं।
मुझे उनकी और अपनी साँस तेज़ चलने की आवाज़ आ रही थी.. वो मुझे अब वो आंटी नहीं लग रही थीं.. जिनसे मैं रोज़ मिलता था.. वो मुझे हवस की प्यासी लग रही थीं।
अचानक ही वो मुझसे लिपट गईं और मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ लिया और अपना सिर मेरे सीने में रख दिया और मुझसे कहने लगीं- मुझे कभी भी छोड़ कर मत जाना.. मैं बहुत अकेली हूँ।
मैं तो हक्का-बक्का रह गया था.. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.. ये कैसा लाड़ है। लेकिन अब मुझे यकीन हो गया था कि आकांक्षा आंटी मुझसे चूत चुदाई करवाना चाहती हैं..
इसके बाद क्या हुआ क्या चाची ने मुझे चूत चुदाई के लिए उकसाया या आंटी सिर्फ प्यार की भूखी निकलीं। अगले भाग में आपको इसका आनन्द मिलेगा।
दोस्तो,.. यह मेरी एकदम सच्ची कहानी है.. इस कहानी पर आप मुझे अपने विचारों से अवगत अवश्य कराना..

तन की जरूरत रिश्तों से बड़ी होती है-3

Part Of Series:

Tan Ki Tarurat Rishton Se Badi Hoti Hai-3

सुबह के 6 बज चुके थे, मुझे लगा कि भाभी जागने वाली हैं, मैं डर गया और अपना हाथ भी नहीं हटाया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी भाभी उठी और उन्होंने मेरा हाथ अपने ब्लाउज से निकाला और दूसरे हाथ को जांघों से हटाया और मैं ठण्ड से काम्पने का नाटक करने लगा ताकि भाभी को लगे कि मैंने सोते हुये गलती से अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ में डाल दिया था।
और ऐसा ही हुआ, वो उठी और अपना साड़ी और ब्लाउज ठीक की, मुझे भी जगाया और कहा- 7 बजने वाले हैं।
हम रायपुर पहुँच गये!
बाहर जाने लगे, तभी भैया का काल आया, उन्होंने कहा कि हम अपने एक दूर के रिश्तेदार जो रायपुर में रहते हैं, उनके यहाँ चले जाये और उन्होंने कहा कि अभी 3 दिन तक उनका मोबाइल बन्द रहेगा क्योंकि रोमिन्ग नेटवर्क के कारण चार्ज ज्यादा लगता है।
मैंने कहा- ठीक है।
और हम अपने रिश्तेदार के यहाँ पहुँचे लेकिन वहाँ ताला लगा हुआ था। तो मैंने भाभी से कहा कि हम पहले किसी होटल जाते हैं, अपना सामान वहीं रखकर आपके काम के लिये चलेंगे।
भाभी ने कहा- ठीक है।
और अब हम एक होटल में गये लेकिन उसने मुझसे हमारा रिश्ता पूछा तो मैंने कहा- भाभी देवर…
तो उसने रूम नहीं दिया, मैं समझ गया कि लोग सेक्स रैकेट चलाते हैं, इसी लिये उसने हमें रूम नहीं दिया।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, हमें रूम लेने के लिये एक झूठ बोलना पड़ेगा।
तो उन्होंने कहा- कैसा झूठ?
मैंने कहा- हमें पति पत्नी बन कर ही कमरा मिलेगा।
तो भाभी हंसने लगी तो मैंने पूरी बात समझाई, उन्होंने कहा- ठीक है।
अब हम एक दूसरे होटल गये और मैंने वहां दिन भर के लिये एक रूम ले लिया, मैंने अपना नाम सूरज बताया, भाभी के पहचान-पत्र में पति का नाम सूरज लिखा था जिससे हमें रूम मिल गया।
रूम सिन्गल बेड था, हनीमून कपल के लिये था क्योंकि वहाँ काफ़ी कामुक तस्वीरें लगी हुई थी।
फ़िर हम जल्दी से नहा धोकर भाभी के काम के लिये तहसीलदार के दफ्तर पहुंचे तो मैंने भाभी से कहा- मैं अन्दर जाकर पूछता हूँ कि हमारा काम कहाँ होगा।
भाभी ने कहा- ठीक है।
अब मैंने अपना दिमाग लगाया और वापस आकर भाभी से बोला- हमारा काम जिस अदमी से है, वो 3 दिन की छुट्टी पर है, हमारा काम अब 3 दिन बाद ही होगा।
मैंने भाभी के साथ 3 दिन की चुदाई का जबरदस्त प्लान बनाया था।
फ़िर भाभी ने कहा- रूम तो मिल ही गया है, 3 दिन यहीं रहते हैं। इसी बहाने रायपुर भी घूम लेंगे।
मैं भी तो यही चाहता था, अब हम होटल वापस आ गये और मैंने मैंनेजर से कह कर रूम 3 दिन के लिये बुक कर लिया।
क्या बताऊँ दोस्तो, मैं कितना खुश था।
अब शाम हो चुकी थी, भाभी ने कहा- कहीं घूमने चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है।
और हम तैयार होकर घूमने के लिये निकल गये। मैंने देखा कि भाभी ने काले रंग की साड़ी और ब्लाउज पहना है जिसमें वो किसी अप्सरा की तरह लग रही थी, उन्हें देखकर तो मेरे मुँह में पानी आ गया और लण्ड अपने आप खड़ा होने लगा, मैंने आप पर काबू रखा और हम घूमने के लिये निकल गये, हम पति पत्नी की तरह लग रहे थे।
फिर हम लोग एक फिल्म देखने गये ‘हेट स्टोरी’ जिसने आग में पेट्रोल का काम किया।
अब हम बाहर से ही खाना खाकर वापस होटल आ गये।
रात के 10 बज चुके थे और हम थक भी गये थे तो भाभी ने कहा कि फ्रेश होकर अब हमें सोना चाहिये और वो बाथरूम में चली गई।
लेकिन मुझे तो बस चुदाई ही चुदाई दिख रही थी। फिर भाभी बाथरूम से बाहर आई और बोली- आप भी हाथ मुँह धो लीजिये।
मैं बाथरूम में चला गया और मैंने रात के लिये सिर्फ़ एक बनियन और लोअर पहन लिया। मैं जब बाहर आया तो मैंने देखा कि भाभी ने अपनी सारी उतार कर रख दी थी और खुद ब्लाउज और पेटिकोट में कम्बल के अन्दर सो रही थी क्योंकि वो अपनी नाईटी नहीं लाई थी।
क्या बताऊँ दोस्तो, वो काले रंग की ब्लाउज और काले पेटिकोट में बिल्कुल कयामत लग रही थी।
तभी मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं ए सी चालू कर देता हूँ।
क्योंकि मैं ठण्डक में भाभी की चूत और बूब्स का मजा लेना चाहता था।
तो भाभी ने कहा- ठीक है।
और मैंने ए सी चालू कर दिया, कुछ देर बाद पूरा रूम ठण्डा हो गया।
मैं आपको बता दूं, हमें सिन्गल बेड वाला रूम मिला था और औढ़ने के लिये भी एक ही कम्बल था।
तभी भाभी ने कहा- आप भी सो जाओ !
मैं तो इसी का इन्तजार कर रहा था, मैं फ़ौरन बिस्तर में चला गया और मैंने भी वही कम्बल औढ़ लिया और भाभी बिल्कुल मेरे बगल में लेटी हुई थी।
जैसे ही भाभी का गरम बदन मेरे जिस्म से छुआ, मेरे शरीर में करेन्ट लगने लगा और मैं उत्तेजित होने लगा।
तभी मैंने पूछा- भाभी, आपको फ़िल्म कैसी लगी?
तो भाभी ने कहा- बहुत अच्छी लगी… लेकिन ऐसा रीयल लाइफ में कैसे सम्भव है कि एक औरत कई सारे मर्दों के साथ……
और चुप हो गई।
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपको पता है, आप बहुत सुन्दर हैं।
तो भाभी हंसने लगी।
मेरा लौड़ा भाभी के जिस्म का स्पर्श पाकर पूरा तन चुका था और लोहा बन चुका था, मैं जल्दी से जल्दी भाभी को चोदना चाहता था, मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं आपको एक रेकोर्डिन्ग सुनाता हूँ जिससे आपको फ़िल्म वाली बात सच लगने लगेगी।
तो भाभी ने कहा- तो ठीक है, जल्दी सुनाइये!
और मैंने झट से दीदी की फोन सेक्स वाली रिकार्दिन्ग चालू कर दी, भाभी दीदी कि अवाज पहचान गई और झट से बोली- यह तो आपकी दीदी है?
तो मैंने सारी बात बताई, अब भाभी को भी यह सुनकर मजा आ रहा था और वो गर्म भी हो रही थी।
तभी मैंने अपना एक हाथ भाभी के पेट पर रख दिया और पेट को सहलाने लगा लेकिन भाभी ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो रिकार्डिन्ग सुनने में व्यस्त थी और अब मैं भाभी के जिस्म से चिपक कर लेटा था।
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैंने अपना हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया और ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाने लगा। भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आप यह क्या कर रहे हैं। मैं आपकी भाभी हूँ और किसी को पता चल गया तो?
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने भाभी की पेटिकोट का नाड़ा भी खोल दिया और भाभी को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मैंने भाभी से कहा- किसी को पता नहीं चलेगा, बस एक बार मुझे चोद लेने दीजिये।
यह कहकर मैं भाभी को बेतहाशा किस करने लगा, भाभी भी गरम हो चुकी थी, अब वो भी मेरा साथ देने लगी, मैंने भाभी का ब्लाउज, पेटिकोट उतार दिया और ब्रा पेन्टी भी और खुद भी नन्गा हो गया।
क्या बताऊँ दोस्तो, भाभी के मखमली जिस्म को पाकर ऐसा लग रहा था कि धरती पर कहीं ज़न्नत है तो यहीं है।
मैं शब्दों से यह बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था।
अब मैंने भाभी से लण्ड चूसने के लिये कहा तो मेरे लण्ड को देखते ही उनके तो होश उड़ गए और बोली- इतना बड़ा है आपका? मैं इसे कैसे लूंगी? आपके भैया का तो बहुत छोटा है।
मैंने कहा- भाभी, आप घबराओ मत, जब आपको भैया का छोटा लण्ड इतना मजा दे सकता है तो बताओ इस लण्ड से कितना मजा मिलेगा?
यह कहते ही मैंने अपने लण्ड भाभी के मुंह में डाल दिया और वो उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था, करीब दस मिनट लण्ड चूसने के बाद वो बोली- रवि जल्दी से मेरी चूत की खुजली मिटाओ।
और जैसे ही मैंने भाभी की मक्खन जैसी चूत को देखा जो ट्रिम की हुई थी, मैं पागल होने लगा और उनकी चूत को कुत्ते की तरह चूमने लगा, चाटने लगा।
भाभी ‘आ… ह्ह्ह ह्ह्हआआ… आआ…हा आआ…ह्ह्ह… चो…द्द्द्द्द दो……ज…ल्दी…’ की आवाज निकालने लगी और मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मैं भाभी की चूत को चूसे जा रहा था करीब बीस मिनट मैंने अपनी भाभी की चूत को चूसा।
अब भाभी कह रही थी- जल्दी अपना लण्ड मेरी चूत में डालो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने भाभी से पैर फैलाने को कहा और कहा- तकिये को अपनी गाण्ड के नीचे रख लो।
भाभी पैर फैला कर लेट गई, मैंने अपने लण्ड को भाभी की चूत पर रखा जो 8 इन्च का था और लोहे जैसा लग रहा था, मैंने धीरे से धक्का लगाया जिससे भाभी की चीख निकल गई, उन्होंने कहा- आराम से डालिये देवर जी…
अभी मेरे लण्ड का सिर्फ ऊपरी हिस्सा भाभी की चूत में गया था, अब मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को अन्दर धकेलने लगा और भाभी से कहा- भाभी, आप तो सेक्स की देवी हो।
और भाभी के होंठों को किस करने लगा, अब मैंने अपना लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का लगाया जिससे भाभी चिल्ला उठी- म……र्रर्रर्र गय्य्…ईईईई… बा…ह्ह…र निका……आल्ल्लओ…
मैंने अपना मुंह भाभी के मुंह पर रख दिया और चुम्बन करने लगा ताकि आवाज ना निकले।
मैंने महसूस किया कि दर्द के कारण भाभी का जिस्म काम्प गया था, अब मेरा पूरा लण्ड भाभी की चूत में समा चुका था और अब मैंने भाभी को धीरे धीरे चोदना शुरु किया।
अब भाभी का भी दर्द कम हो गया था और वो भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे लण्ड को अपनी फ़ुद्दी के अन्दर ले रही थी।
करीब दस मिनट अपनी भाभी को हब्शियों की तरह चोदने के बाद मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं अब झड़ने वाला हूँ।
तो भाभी ने कहा- अन्दर ही झड़ जाओ!
इस दौरान भाभी दो बार झड़ चुकी थी, मैंने अपना पूरा रस भाभी की चूत में डाल दिया जिसके गर्म एहसास से भाभी मस्त हो गई और उनकी चूत मेरे वीर्य से लबालब भर गई।
अब भाभी ने मेरे लण्ड को चाट कर साफ किया और हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहे।
भाभी ने कहा- आज चुदवाने में बहुत मजा आया। और उन्होंने मेरी दीदी को थैक्स बोला कि ये सब उनके वजह से ही हो पाया।
मैंने भाभी से पूछा- आपने मेरा वीर्य अपने अन्दर क्यों ले लिया?
भाभी बोली- तो क्या हुआ? खून तो एक ही है आपका और आपके भाई का… अगर बच्चा ठहर भी गया तो भी अच्छा है, बेटा हुआ तो उसका लिंग तुम्हारी तरह लम्बा होने की उम्मीद हो जायेगी।
मैं सिर्फ़ हंस दिया।
उस रात मैंने भाभी को दो बार और चोदा और थक कर सो गये।
और हाँ दोस्तो, उन 3 दिनों में मैंने अपनी भाभी की बहुत जबर्दस्त चुदाई की, वहाँ लोगों को लगा कि हम अपने हनीमून पर हैं।
तब से लेकर आज तक जब भी मौका मिलता है मैं अपनी भाभी को चोदता हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है जो एक सच्ची घटना है, यह आपको कैसी लगी, मुझे जरूर लिखियेगा।

लौड़े की बदकिस्मती

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साले की शादी में साली की चुदाई-2

दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्कार और सभी मोटे-मोटे मस्त मम्मों वाली भाभियों आंटियों और मेरे लंड की दीवानी लड़कियों को मेरे लंड की सलामी देता हूँ।
कहानी का दूसरा भाग पेश है..
इसके बाद जब हम दोनों फिर से गरम हो गए तो मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपना सुपारा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया.. उसकी चूत गीली थी और वो भी चुदासी थी.. सो उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत में ले लिया।
उसकी एक हल्की सी ‘आह’ निकली और फिर एक-दो धक्कों में ही लवड़ा चूत की गहराइयों में गोता लगाने लगा।
बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद उसने अपना रज छोड़ दिया और मुझसे लिपट गई उसके माल की गर्मी से मेरा माल भी उसकी चूत में ही टपक गया।
हम दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भींचे हुए जीजा-साली की चुदाई की कथा बांच रहे थे।
ये अभी तक आपने मेरे पिछले भाग में पढ़ा था।
तो मित्रों.. किस तरह मैंने अपनी साली के साथ चुदाई का पहला शॉट मारा.. उसके बाद तो अभी पूरी रात ही बाकी थी।
चुदाई के बाद बात करते-करते उसने मेरे लंड को फिर से सहलाना शुरू कर दिया, फिर मेरे लंड को मुँह में भर कर चूसने लगी। मैंने भी उसको मस्त मम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से गरम होने लगे।
मेरा लंड एकदम लोहे की रॉड जैसा सख़्त हो गया था.. तो मैंने भी उसको पकड़ा ओर जबरदस्त तरीके से उसके मुँह में अपना मोटा ओर लंबा लंड पेलना शुरू कर दिया। वो भी किसी मंजी हुई राण्ड की तरह बड़े मज़े से मेरे लंड को अपने हलक तक लेकर चूस रही थी।
कुछ देर बाद लंड चुसवाने के बाद मैंने उसे सीधा पलंग पर लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों को खोल कर.. उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर.. उसकी चूत को चूसने ओर चाटने लगा।
मुझे उसकी गुदगुदी चूत चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था। उसकी चूत से निकलता हुआ रस.. जो उसकी चूत से होकर मेरे मुँह में जा रहा था.. जो बहुत ही मजेदार था। कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने उसे ऊपर की ओर उठा कर उसे उल्टा लिटा दिया और उसकी कमर को चूमने लगा।
मैंने उसे चुम्बन करते-करते.. उसकी गाण्ड को अपने दोनों हाथों से उठाकर उसे कुतिया बना दिया।
अब मैं उसकी चूत पर अपने लंड के टोपे को उसकी गाण्ड के छेद पर रगड़ने लगा। मन तो हुआ कि इस बार इसकी गाण्ड मारी जाए.. पर फिर चूत की चुदास ने मेरा मन पलट दिया तो मैंने सोचा अभी तो पूरी रात पड़ी है साली साहिबा की गाण्ड भी बजा ही लूँगा।
वो बहुत ही गर्म हो रही थी.. वो बोलने लगी- साले हरामी जीजा.. अब मत तड़पा.. घुसा दे लौड़ा और फाड़ दे मेरी चिकनी चूत को.. डाल दे भोसड़ी के.. अपना लौड़ा.. ओह्ह..
उसने अपने हाथों में मेरा लंड लेकर ज़बरदस्ती अपने भोसड़े में घुसेड़ना शुरू कर दिया।
मैंने अपने एक हाथ से उसके मम्मे को कसकर पकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा.. मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ.. उसकी बच्चेदानी में जाकर लगा.. और उसे बहुत ज़ोर से दर्द हुआ।
वो एकदम से कलप गई.. पर उसकी चीख को मैंने अपने हाथों से उसका मुँह बन्द करके रोक लिया।
अब मैं कुछ देर के लिए रुक गया और उसके झूलते मम्मों को दोनों हाथों से पकड़कर धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। कुछ पलों बाद.. जब वो सैट सी हो गई.. तब मैंने फिर से धीरे-धीरे से उसकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया।
कुछ ही देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। वो भी अपनी मस्त गाण्ड को खुद ही आगे-पीछे करके मेरे लंड का पूरा मज़ा लेने लगी।
अब मैं भी अपना पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत को चोद रहा था। कुछ देर की चुदाई के बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया.. जिससे मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था।
अब लौड़े की ठापों से पूरे कमरे में ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाजें गूँज रही थीं।
करीब 20 से 25 मिनट की चुदाई के बाद वो दोबारा अकड़ गई और इस बार उसके झड़ने के साथ ही मैंने भी अपना गरम-गरम पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
झड़ने के बाद मैं वैसे ही उसको उल्टा लिटाकर उसके ऊपर ही लेट गया। फिर हम दोनों सीधे हुए और अगल-बगल में लेट गए।
हम दोनों की साँसें बहुत ही तेज़ी से चल रही थीं और वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर उन्हें चूसे जा रही थी।
अब दोनों थक चुके थे.. तो हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे और एक-दूसरे के अंगों को छेड़ने लगे।
फिर मैंने उससे पानी लाने के लिए कहा.. तो वो वैसे ही अपनी मैक्सी पहन कर चुपके से बाहर गई और मेरे लिए पानी के साथ-साथ गरम दूध भी लेकर आई।
सबसे पहले मैंने पानी पिया और फिर मैं बाथरूम में जाकर मूत कर आया..
उसने मुझे बड़ा गिलास भर कर दूध दिया। मैंने दूध पीना शुरू किया और उसने फिर से मेरे लण्ड के साथ खेलना शुरू कर दिया।
वो मेरे लंड को मुँह मे लेकर कुतिया की तरह चूसने लगी। मुझे फिर से मज़ा आने लगा और मेरा लंड फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया और मैंने उसको फिर से कुतिया बनाकर उसकी गाण्ड के छेद पर थूक लगाकर अपना लंड उसकी गाण्ड के छेद पर रखकर एक धक्का मारा और मेरा टोपा गाण्ड में अन्दर जाते ही उसकी ज़ोर से चीख निकल गई।
मैंने अपने हाथ से उसके मुँह को बंद कर दिया… वो दर्द के मारे रोने लगी पर मैंने रहम ना खाते हुए एक और जोरदार धक्का मारा.. जिससे मेरा पूरा लंड उसकी गाण्ड में अन्दर तक चला गया।
वो मुझे अलग हटाने की कोशिश करने लगी.. पर मैंने अपना पूरा ज़ोर उसकी शरीर पर डाला हुआ था तो वो हिलने में नाकाम रही।
फिर मैंने धक्के लगाने शुरू किए.. कुछ देर लण्ड जब अन्दर-बाहर होता रहा.. तो लंड ने उसकी गाण्ड में अपनी जगह बना ली और फिर उसे भी मज़ा आने लगा।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं अपने एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था और धबाधब उसकी गाण्ड को पेल रहा था।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद अब मैं अपने पूरे जोश में आ चुका था.. तो मैंने रफ़्तार काफ़ी तेज कर दी और वो भी अपनी गाण्ड को हिला हिला कर मुझे चुदवा रही थी.. मगर मैं झड़ने का नाम ही नही ले रहा था।
कुछ देर उसकी चुदाई के बाद मैं पलंग पर सीधा लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई। उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी गाण्ड के छेद पर सैट किया और मेरा लंड एक धक्के में ही सीधा अन्दर चला गया।
वो मेरे खड़े लण्ड पर बैठ कर ज़ोर-ज़ोर से उछल-उछल कर कूदने लगी।
मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों चूतड़ों को हाथों में लेकर ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था।
कुछ देर बाद अब मैं अपनी चरम सीमा पर आ चुका था.. तो मैंने उसकी गाण्ड को अपने दोनों हाथों से ऊपर किया ओर ज़ोर से पेलना शुरू कर दिया।
फिर 3-4 धक्के के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी गाण्ड में छोड़ दिया।
कुछ देर वो मेरे लंड पर ऐसे ही बैठी रही और फिर मेरा लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया।
अब हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेट गए और एक-दूसरे को चूमते और चाटते रहे।
फिर मैंने अपने आप को साफ़ किया और उसे एक लंबा चुम्बन करके अपने कमरे में चला गया।
उस रात मैंने उसको 3 से 4 बार पेला था। वो भी पूरी चुदक्कड़ थी उसने भी मुझे खूब चूस लिया था।
तो दोस्तो, आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी.. कृपया मुझे ईमेल करके ज़रूर बताएं।
फिर शादी वाले दिन क्या हुआ.. आपको मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।

साधना की चूत साधना

Sadhna ki Chut Sadhana

दोस्तो, यह कहानी साधना की चुदाई है। वो पतली.. गोरी.. पर साधारण नैन-नक्श वाली एक कामुक औरत थी। हालांकि मैं कुल मिलाकर 10 में से उसको 6.5 नंबर देना चाहूँगा। वो आज तीन बच्चों की माँ है।
उसकी बड़ी लड़की 25 साल की है.. आप उसकी उम्र अंदाज लगा सकते हैं.. वो लगभग 45 वर्ष की होगी.. जबकि मैं 27 साल का हूँ।
आज मैं अपने लंड का भूगोल लिख रहा हूँ। मेरे लौड़े की वास्तविक लंबाई 17CM.. लंड का व्यास 3.70CM.. लंड की त्रिज्या 1.85CM.. लंड की परिधि 11.63 CM की है।
अब मुख्य कहानी पर आता हूँ।
जब वो गेहूँ.. चावल.. बीनने बैठती तो अपने पेटीकोट को जाँघों तक समेट कर बैठती.. मैं ये देखकर पागल हो जाता।
मैं अपनी छत से खिड़की के छेद से उसे स्नान करते देखता।
एक बार वो बाथरूम का दरवाजा खोलकर दोपहर में नहा रही थी.. उस समय कोई रहता नहीं था.. तो वो अपना पूरा पेटीकोट कमर तक समेट कर बैठ गई। उसकी बुर साफ़ दिखाई देने लगी.. मेरा हाथ कब मेरे लंड पर चला गया.. मुझे अहसास ही नहीं हुआ।
उसने मग से पानी अपनी बुर पर मारा.. फिर हाथ से रगड़ने लगी। उसके बाद साबुन लगाकर चूत को रगड़ते हुए अपनी ऊँगली बुर में अन्दर-बाहर करने लगी।
इसी के साथ मेरा हाथ भी लंड पर तेजी से चलने लगा और कुछ ही पलों में मेरा वीर्य दीवार पर गिरा।
अक्सर वो इसी तरह नहाती और मैं आँखें सेंकता.. और मुठ मारता रहता।
जब भी मैं साधना से मिलता.. तो उसे आंखों से चोद देता.. पर कभी ना तो उसने पहल की.. और ना मेरी हिम्मत हुई। जबकि मुझे यह लगता था कि ये सब जानबूझ कर मुझे चूत दिखाती है।
एक बार मैं गर्मी में दोपहर में उसके पास गया.. मैंने देखा कि वो कूलर की तरफ टाँगें करके सो रही थी और उसका पेटीकोट हवा से उड़ गया था, उसकी बुर साफ-साफ दिख रही थी। उसकी झाँटों को देखकर लग रहा था कि एक हफ्ते पहले ही बनाई थी।
चूत को देखा तो मेरा गला तेजी से सूखने लगा। मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया.. मुझे लगा मेरा वीर्य पैंट में ही निकल जाएगा।
मैंने भागकर बाथरूम में पैंट खोलकर लंड को पकड़ा ही था कि तुरंत वीर्य छूट गया।
मैं वापस आया देखा तो उसकी टाँगें मुड़ी हुई थीं और उसकी बुर और भी उभर कर दिखाई दे रही थी।
मैं कुछ करता.. तभी गली में मोटरसाइकिल की आवाज सुनाई पड़ी.. तो मैं जल्दी से वहाँ से निकल गया और अपने घर में घुस गया।
मैं उसकी बुर अक्सर देखता रहता था। एक दिन रात दो बजे पेशाब करने उठा तो देखा वो बुर फैलाकर मूत रही थी.. मेरे ऊपर काम-वासना चढ़ कर चरम पर पहुँच गई।
तभी उसने मेरी ओर देखा और कातिल नजरों से मुस्कुराई.. मैंने तेजी से उसके पास जाकर अपना हाथ उसकी बुर के छेद पर रख दिया.. उसने एकदम से उठना चाहा.. पर मैंने धक्का देकर उसे गिरा दिया।
उसकी गर्म पेशाब से मेरा हाथ भीग गया।
वो फुसफुसाई- क्या कर रहे हो.. कोई देख लेगा।
मैंने कहा- अगर कोई ना देखे तो..
उसके अधरों पर शरारत भरी मुस्कान तैर उठी।
वो बोली- छत पर पानी की टंकी के पीछे चलो।
मैंने उससे पूछा- तुम इतनी बार बुर दिखाकर मेरा ईमान खराब करवाती रही।
साधना बोली- मैं तो यह सोचती थी कि पता नहीं तुम जैसा नौजवान.. मुझ जैसी उम्रदराज को चोदेगा भी या नहीं..
मैंने कहा- सूख से भल.. पतोहू जूठ.. मैं यहाँ सड़का मार-मार कर परेशान हूँ और तुम उमर की बात कर रही हो।
वो मेरे सीने से झूल गई।
मैंने उसको लंड को चूसने को कहा तो उसने कहा- नहीं.. मुझे घिन आती है।
फिर मैंने उसको जोर नहीं दिया, मुझे भी उसकी बुर चाटने का मन नहीं हुआ।
मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा.. पर मुझे ज्यादा मजा नहीं आया। मैंने उसके पूरे कपड़े ना उतार कर.. सिर्फ पेटीकोट और साड़ी को ऊपर कर दिया, उसकी गीली बुर पर लंड को हाथ से इतना घुसेड़ा कि शिश्नमुंड अन्दर हो गया।
फिर थोड़ा सा कमर पीछे करके धक्का मारा.. तो पूरा लंड ‘घप्प’ की धीमी आवाज के साथ अन्दर हो गया।
अब मैं हुमक-हुमक कर चोदने लगा, उसकी बुर से ‘पुच.. पुच..’ की आवाज निकलने लगी।
वो झड़ गई और दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया।
मैंने पूछा- तुम्हारे पति का लंड ठीक नहीं है क्या.?
साधना बोली- नहीं.. उनके लंड की मोटाई-लंबाई तो ठीक है.. पर उनके मोटापे के कारण और बड़ी तोंद के कारण.. वो मुझे अच्छे से चोद नहीं पाते हैं।
उस समय तक मेरी शादी नहीं हुई थी, मैं साधना आंटी की चूत की साधना करता रहा।
शादी के बाद उन्होंने चोदने को बोला.. तो मैंने कहा- आंटी.. अब ये ठीक नहीं है।
फिर मैंने उनको औरत के ऊपर वाले आसन की चुदाई की वीडियो दिखाई और उन्हें अंकल से चुदवाने का तरीका समझाया। फिर वो अपने पति के साथ वैसे ही मजा लेने लगी।
आपके विचार आमंत्रित हैं।

स्कूल के आखरी दिन सील तुड़वाई

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तन की जरूरत रिश्तों से बड़ी होती है-2

Part Of Series:

Tan Ki Tarurat Rishton Se Badi Hoti Hai-2

अब मैं आपको बताता हूँ कि किस तरह मैंने अपनी प्यारी सगी भाभी निशा को चोदा और अपनी हवस मिटाई।
मैं आपको बता दूँ कि मैं और भाभी आपस में बहुत हंसी मजाक करते हैं और वो मेरा बहुत ख्याल रखती हैं।
मेरी भाभी 28 साल की एक खूबसूरत औरत हैं, रंग गोरा है और फ़िगर का क्या कहना… बस इतना जान लीजिये कि उनके चूतड़ और बूब्स को देखकर कोई भी अपना लण्ड सहलाये बिना नहीं रह सकता। मेरी भाभी ग्रेजुएट हैं और भैया उनके जॉब के लिये कोशिश कर रहे थे क्योंकि भाभी घर पर अकेली बोर होती थी क्योंकि भैया सुबह ऑफ़िस चले जाते थे और मैं भी कॉलेज चला जाता था, माँ-पिताजी भी घर पर नहीं होते थे, वो अपना ज्यादातर समय अपने रिश्तेदारों के यहाँ घूमने फ़िरने में ही बिताते थे।
बात आज से 3 महीने पहले की है, एक रात को मुझे नीन्द नहीं आ रही थी तो मैं अपने कमरे से बाहर निकल कर हाल में पानी पीने आया तो मुझे भैया के कमरे से कुछ आवाज सुनाई दी, मैंने देखने के लिये की होल से झान्का तो मैंने देखा कि भैया पूरे नंगे हैं और भाभी को चोद रहे हैं, भाभी भी पूरी नंगी हैं और मजे से चुदवा रही हैं, कह रही थी- और अन्दर डालो…
और मुख से आ… ह्ह्ह ह्ह्ह… आआआ… ह्ह्ह्ह… कर रही थी।
खकर तो मैं पागल हुए जा रहा था और अब मैं किसी भी कीमत पर भाभी को चोदना चहता था।
तभी मैंने देखा कि भाभी और भैया दोनों झड़ चुके हैं और नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
मैंने भी भाभी के नाम की मुठ मारी और सो गया।
तभी अगले दिन मुझे पता चला कि भाभी की जॉब की बात हो गई है और उन्हें अपने कुछ सर्टिफ़िकेट वेरिफिकेशन के लिये रायपुर जाना पड़ेगा लेकिन भैया को ऑफ़िस के एक जरूरी काम से मुम्बई जाना था जिस कारण वो भाभी के साथ रायपुर नहीं जा सकते थे तो भैया ने मुझसे कहा कि मैं भाभी के साथ रायपुर चला जाऊँ।
यह सुनकर मेरी तो तकदीर ही पलट गई मुझे ऐसा लगा कि इससे अच्छा मौका तो कभी नहीं मिलेगा और मैंने फ़ौरन हाँ कर दी, भाभी भी मान गई और तय यह हुआ कि हम रात को ट्रेन से जायेंगे और अगले दिन अपना काम करवा कर उसी दिन रात की गाड़ी से वापस आ जायेंगे।
लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मन्जूर था, मैं आपको बताता हूँ कि क्या हुआ।
भैया उसी दिन मुम्बई के लिये निकल गये और अगले दिन हमें निकलना था। जगदलपुर से रायपुर करीब 500 किमी दूर है और एक ही ट्रेन है जो रात को 8 बजे यहाँ से निकलती है और अगले दिन सुबह 7 बजे रायपुर पहुँचती है।
जब मैं टिकट के लिये गया मुझे ए सी 2 टीयर में एक ही सीट मिल पाई, शायद किस्मत मेरे ऊपर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी।
अगले दिन हम रायपुर के लिये निकल गये। जब हम स्टेशन पहुँचे, ट्रेन लग चुकी थी हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गये, हमारी सीट के सामने वाली सीड़ पर एक बुजुर्ग और उसकी पत्नी बैठे थे, बातों से पता चला कि वो लोग तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं।
हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। मैं तो सिर्फ़ भाभी को ही देख रहा था, उन्होंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और बहुत सेक्सी लग रही थी।
तभी उन्होंने कहा- रवि, पहले आप अन्दर की तरफ सो जाईये और फिर मैं इधर बगल में सो जाऊँगी।
मैंने कहा- जी भाभी!
क्योंकि मैं भी तो यही चहता था।
मैं अन्दर की तरफ सो गया और भाभी मेरे बगल में लेट गई, हमारे सामने के बुजुर्ग और उनकी पत्नी सो चुके थे और टीटी भी टिकेट चेक करके जा चुका था।
अब रात के करीब 12 बज रहे थे, ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में चल रही थी और मैं और भाभी एक थी सीट पर थे, भाभी और मैं ऐसी पोजिशन में सोये थे कि भाभी की गाण्ड मेरे लण्ड से सटी हुई थी।
तभी अचानक ट्रेन धीरे हुई जिससे भाभी आगे की तरफ गिरने लगी तो मैंने अपना हाथ भाभी के ऊपर से लेजा कर उनके पेट को पकड़ लिया और उन्हें अपनी तरफ खींचा जिससे वो मुझसे और भी ज्यादा चिपक गई, नीन्द से जाग भी गई, बोली- थैन्क्स, आपने पकड़ लिया नहीं तो मैं तो गिर ही जाती।
फिर मैंने भाभी से कहा- भाभी आप सो जाईये, मैं अपना हाथ यहीं पर रखता हूँ जिससे आपके गिरने का खतरा नहीं रहेगा।
भाभी को मेरी बात ठीक लगी और उन्होंने कहा- ठीक है।
और वो सो गई।
अब मैं गरम हो रहा था क्योंकि भाभी बिल्कुल मेरे से सटी हुई थी और अब मैं अपने हाथ से उनके पेट को छूते हुए उनके बूब्स को छूने लगा।
ऐसा करते वक्त मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी बहुत आ रहा था, भाभी गहरी नीन्द में सो रही थी।
अब मैं धीरे से भाभी के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और मैंने धीरे धीरे ब्लाउज के 3 बटन खोल दिये और अपने हाथ को भाभी के ब्रा के अन्दर डाल कर बूब्स को सहलाने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तो, मुझे कितना मजा आ रहा था, यह तो वही जान सकता है जिसने अपनी सगी भाभी को चोदा है।
हाँ तो मैं बता रहा था कि मेरा हाथ भाभी के बूब्स सहला रहा था और मैंने अपने एक हाथ से भाभी की साड़ी को उनकी जांघों तक सरका दिया और जांघों को सहलाने लगा। भाभी का शरीर इतना गर्म था कि उनके शरीर में जैसे आग जल रही हो, अब मुझे अहसास हुआ कि भैया भाभी के साथ रोज जन्नत की सैर करते हैं।
ऐसा करते करते सुबह के 5 बज चुके थे और मेर लण्ड पूरा लोहा बन चुका था और भाभी की गाण्ड में घुसने के लिये बेकरार हो रहा था, मैं लौड़े को भाभी की गाण्ड से रगड़ रहा था कि लण्ड ने पिचकारी मार दी और मेरा पूरा अन्डर्वीयर गीला हो गया, मेरे लण्ड से इतना पानी निकला जितना पहले कभी नहीं निकला था और मुझे इतना मजा भी पहले कभी नहीं आया था।
सुबह के 6 बज चुके थे, मुझे लगा कि भाभी जागने वाली हैं, मैं डर गया और अपना हाथ भी नहीं हटाया और सोने का नाटक करने लगा।
तभी भाभी उठी और उन्होंने मेरा हाथ अपने ब्लाउज से निकाला और दूसरे हाथ को जांघों से हटाया और मैं ठण्ड से काम्पने का नाटक करने लगा ताकि भाभी को लगे कि मैंने सोते हुये गलती से अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ में डाल दिया था।
और ऐसा ही हुआ, वो उठी और अपना साड़ी और ब्लाउज ठीक की, मुझे भी जगाया और कहा- 7 बजने वाले हैं।
हम रायपुर पहुँच गये!
बाहर जाने लगे, तभी भैया का काल आया, उन्होंने कहा कि हम अपने एक दूर के रिश्तेदार जो रायपुर में रहते हैं, उनके यहाँ चले जाये और उन्होंने कहा कि अभी 3 दिन तक उनका मोबाइल बन्द रहेगा क्योंकि रोमिन्ग नेटवर्क के कारण चार्ज ज्यादा लगता है।
मैंने कहा- ठीक है।
कहानी जारी रहेगी।
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