मेरी गरम जवानी पर भाई का कब्ज़ा - Meri Garam Jawani Par Bhai Ka Kabja

मेरी गरम जवानी पर भाई का कब्ज़ा - Meri Garam Jawani Par Bhai Ka Kabja , बहन भाई की चुदाई , भैया ने दीदी की चूत गांड को चोदा , भाई से चुद गई , सगा भाई बना चूत का दीवाना , भाई के लंड की दीवानी बहना.

हेल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम नेहा (बदला हुआ) है. मैं बहुत खूबसूरत हूँ और उतनी ही घुल-मिल कर रहने वाली हूँ. मेरी गांड बहुत बड़ी और सेक्सी है. मैं दिखने में भी बहुत सेक्सी हूँ. मैं अपने आपको बहुत अच्छे से बन संवार कर रखती हूँ और फैशन में रहती हूँ. मैं हमेशा सलवार सूट पहनती हूँ और जब ऑफिस जाती हूँ तो मॉडर्न कपड़े पहन कर जाती हूँ.

मैं आपको मेरे पड़ोसी भाई और मेरी चुदाई की कहानी बता रही हूँ. यह कहानी कुछ दिन पहले की है.

मेरे पड़ोस में एक भैया है उनके घर मैं जाती हूँ. वो भी बहुत मुझसे बहुत अच्छे से बात करते हैं. मैं जब भी उनके घर जाती हूँ तो वो पीछे से मेरी गांड को देखते हैं क्योंकि मैं जब भी चलती हूँ तो मेरी गांड का उभार वो देखते हैं.मैं जब भी भैया के घर जाती हूँ तो उनकी पत्नी से बात करती हूँ और उनकी पत्नी भी बहुत अच्छी है और वो भी मेरे घर आती है.
हम दोनों पड़ोसियों में बहुत प्यार है. मैं और भैया, हम लोग कभी-कभी साथ में टीवी भी देखते हैं. मैं कभी-कभी रात को भी भैया के घर जाती हूँ घूमने के लिए, तो उनकी पत्नी मुझे खाना खिलाये बगैर मुझे घर से आने नहीं देती है. हम दोनों लोग पड़ोसी हैं लेकिन हम दोनों के बीच में एक परिवार की तरह प्यार है.

जब मैं उनके घर जाती थी तो भैया मुझे हवस भरी नजरों से देखते थे. मैं भी सलवार सूट पहन कर एकदम सेक्स बम बन कर जाती थी. मुझे इस तरह से अच्छा लगता था जब लोग मेरी तरफ ध्यान देते थे. ऐसा लगता था कि सब मेरे जिस्म के भूखे हैं. मुझे उनको तड़पाने में बहुत मजा आता था इसलिए मैं जान-बूझ कर इस तरह से अपने आप तैयार करती थी कि सबकी नजर मुझ पर जाये बिना रह ही न पाये.

वैसे तो मेरा मकसद पड़ोसी भैया के घर ही जाना होता था क्योंकि मैं स्पेशल उनके लिये तैयार होकर जाती थी. मगर इसी के साथ मेरे मन की इच्छा भी पूरी हो जाती थी कि मुझे पड़ोस के और लोग भी देखें. घर से निकलती थी तो मुझे बाकी के पड़ोसी लोग भी देखते थे.
भैया मुझसे हमेशा अकेले में बात करते थे और जब उनकी पत्नी मेरे साथ होती थी तो वो बहुत कम मुझसे बात करते थे. मैं कभी-कभी मॉडर्न सलवार सूट पहन कर भैया के घर जाती थी जिसमें से मेरी ब्रा और पेंटी का रंग बिलकुल साफ़ दिखाई देता था.

एक दिन मैं भैया के घर गयी थी तो उनकी पत्नी किसी पड़ोस की औरत के साथ बाजार चली गयी थी और भैया घर में अकेले थे.

मुझे नहीं पता था कि उनकी पत्नी पड़ोस की किसी औरत के साथ बाजार गयी है. भैया घर में अकेले थे तो मैं वापस अपने घर आने लगी तो भैया मुझसे बोले कि तुम अकेले में मुझसे बात नहीं करोगी क्या?
उनकी यह बात सुनकर मैं भैया के घर रुक गयी और हम दोनों बात करने लगे. मुझे नहीं पता था कि उनकी पत्नी कब आएँगी और इधर भैया मुझसे बात कर रहे थे और मैं भी हंस-हंस कर उनसे बात कर रही थी. हम दोनों लोग पहले भी अकेले में एक दूसरे से बात करते थे तो हमें अकेले में एक दूसरे से बात करने में कोई परेशानी नहीं थी.

भैया बात करते-करते मुझे हवस भरी नजरों से देख रहे थे. हम दोनों लोग एक दूसरे से बात करते-करते घुल मिल गए थे. अचानक से भैया ने मुझे पकड़ लिया और मैं भैया से बोली- आप ये क्या कर रहे हैं?
वो बोले- मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ!
और जब तक मैं कुछ और कह पाती वो मुझे किस करने लगे. हम दोनों लोग घर में अकेले थे तो किसी के आने का भी डर नहीं था.

किस करने के बाद मैंने खुद को पीछे हटाया और कहने लगी- ये सब मत करिए.
वो बोले- मैं तुमको बहुत चाहता हूँ.
और वो मुझे पकड़ कर फिर से किस करने लगे.

मैं भी गर्म होने लगी और वो मुझे किस करते-करते मेरी सलवार के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगे. भैया मुझे अपनी बाँहों में उठा कर बेडरूम में ले गए. वो मुझे बेड पर गिरा कर किस करने लगे. मेरी चूचियों को दबाने लगे और मैं भी ज्यादा गर्म होने लगी. उन्होंने मुझे किस करते करते मेरी सलवार और सूट को निकाल दिया और मैं ब्रा और पेंटी में रह गयी. वो मुझे ब्रा और पेंटी में देख रहे थे.

उनकी नजरों से हवस टपक रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई भूखा भेड़िया अपने शिकार को देख रहा है.

उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया. मेरे जिस्म को चाटने लगे और उसके बाद वो मेरी ब्रा निकाल कर मेरी चूचियों को अपने हाथों से दबाने लगे और मेरी एक चूची को पकड़े हुए दूसरी चूची को मुंह में लेकर चूसने लगे.
मेरी चूची को चूसने के बाद वो मेरे निप्पल को मसलने लगे और फिर मेरे निप्पल को चूसने लगे. मेरी चूचियों को पीने के बाद वो मेरी चूची को बहुत जोर से दबा रहे थे. मेरी चूची बहुत बड़ी हैं तो उनको मेरी चूची को दबाने में मजा आ रहा था. वो मेरी चूची को दबाने के बाद वह उठ गये.

फिर भैया किचन से चॉकलेट लेकर आये और मेरी चूची पर चॉकलेट लगा कर मेरी चूची को चूसने लगे.
मेरी चूची पर से चॉकलेट को चूसने के बाद वो मेरी पेंटी को निकालने लगे. उन्होंने मेरी पेंटी को खींच कर मेरी टांगों से अलग कर दिया और फिर चूत को गौर से देखने लगे. कुछ देर तक देखने के बाद उन्होंने मेरी चूत पर चॉकलेट लगा दी.

मेरी चूत पर चॉकलेट लगाने के बाद वो मेरी चूत को चाटने लगे. मैं भी उनका साथ दे रही थी और वो मेरी चिकनी चूत पर चॉकलेट लगा कर मेरी चूत को चाट रहे थे.

मुझे लगा कि भाभी आ सकती हैं, मैं उनको मना करने लगी- अब रहने दीजिए, कोई आ जायेगा.
वो बोले कि उनकी पत्नी अभी नहीं आएगी. वो मेरी चूत को जोर से चाटते रहे.

मेरी चूत को खूब चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे. भैया अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ रहे थे तो मैं बहुत ही गर्म हो गई और वो अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. मेरी चूत में वो अपना लंड डाल कर मुझको चोदने लगे. मेरी चूत में उनका लंड अन्दर बाहर हो रहा था. वो मेरी टांगों को फैला कर मेरी चूत को चोद रहे थे. हम दोनों लोग सेक्स कर रहे थे और वो मुझे अपने बेडरूम में नंगी करके मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.

उनका लंड मेरी चिकनी चूत को चोद रहा था. हम दोनों लोग सेक्स करते करते गर्म हो गए थे. वो मेरी चूत में झटका मार रहे थे और मैं सिसकारियाँ ले रही थी. मेरी चूत गीली हो गयी थी और हम दोनों लोग सेक्स करते-करते एक दूसरे को किस भी कर रहे थे.

हम दोनों सेक्स करते हुए पूरा मजा ले रहे थे. बहुत दिनों के बाद मेरी चूत की चुदाई हुई थी. मैं तो पहले से ही चाहती थी कि भैया मेरी चूत को चोद दें मगर अभी तक मौका नहीं मिल पा रहा था.
हमें चुदाई करते हुए बीस मिनट हो गये थे. फिर एकदम से दोनों का माल निकलने को हो गया. भैया ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और वो अपना माल मेरे चूची पर छोड़ने लगे. मेरी चूची पर उनका सफेद माल आकर गिरने लगा और यहाँ-वहाँ बहने लगा. मुझे बहुत मजा आया उनका माल अपनी मोटी चूचियों पर लगवा कर. मैंने उनके माल को अपनी चूचियों पर पूरी तरह से मल दिया. मेरी चूची पूरी तरह से भैया के माल से सन गई थी.

मेरी चूची पर अपना माल छोड़ने के बाद वो मेरी चूत को चाटने लगे और मैं उनके माल को साफ़ करने लगी. मैंने एक कपड़े से अपनी चूचियों को साफ़ किया और उसके बाद वो मेरी चूत को बहुत अच्छे से चाटने लगे. बीच-बीच में वो दो उंगली डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.

कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वो मेरी चूत में अपनी जीभ डालने लगे. मुझे फिर से मजा आने लगा. मैं अपनी चूत को उनके मुंह में फेंकने लगी. गांड उठाकर अपनी चूत को उनकी जीभ की तरफ धकेल रही थी.
भैया जीभ पूरी अंदर डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे. मैं भी उनका साथ दे रही थी. फिर भैया ने अपना लंड मेरे मुंह की तरफ कर दिया. वो मेरी चूत चाट रहे थे और मैंने उनका लंड मुंह में ले लिया. मुंह में लेकर उनके खड़े हुए लंड को चूसने लगी. मैं बहुत ही मजे से उनके लंड को चूस रही थी.

हम दोनों फिर से पूरी तरह गर्म हो चुके थे. भैया अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदने लगे. अबकी बार मेरी चूत को और भी ज्यादा मजा आ रहा था भैया के लंड से चुदने में. यह दूसरी बार की चुदाई थी. वो जोर-जोर से मेरी चूत को चोदने लगे. हम दोनों सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे.

मेरी चूत को चोदते हुए भैया के मुंह से आह्ह् … ओह्ह जैसी आवाजें निकल रही थीं. मैं भी अपनी चूत को उनके लंड की तरफ धकेल रही थी. मेरे मुंह से भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं. हम दोनों बहुत आनंद ले रहे थे.

जब कुछ देर भैया को मेरे ऊपर लेट कर चुदाई करते हुए हो गई तो उसके बाद उन्होंने मुझे उठने के लिए कहा. उन्होंने मेरी चूचियों को जोर से मसला और मेरी गर्दन को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. घुटने के बल बेड पर खड़े हुए भैया मेरे मुंह को अपने लंड पर धकेलने लगे. उनका लंड मेरे मुंह जाकर अंदर तक पहुंचने लगा. कभी कभी तो भैया इतनी जोर से मुंह को धकेल देते थे कि उनका लंड मेरे गले में जाकर फंस जाता था. मेरी हालत खराब होने लगी थी. मुझसे अच्छी तरह सांस भी नहीं ली जा रही थी.

उसके बाद जब भैया ने अपना लंड बाहर निकाला तो उनका लंड मेरे थूक से पूरा गीला हो गया था. मैं हाँफने लगी. उसके बाद भैया ने मुझे पलटा दिया और बेड पर धकेल दिया. उन्होंने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे घोड़ी की पोजीशन में ले आये. उन्होंने ने पीछे से मेरी चूत पर अपना लंड लगा दिया और मुझे घोड़ी बनाकर चोदने लगे.

वो पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे. हम दोनों लोग जिस बिस्तर पर सेक्स कर रहे थे वो बिस्तर भी हम दोनों की चुदाई से गर्म हो गया था. भैया मेरी कमर से चिपके हुए थे. उनका लंड मेरी चूत में जाकर उसको मजा दे रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे से चिपक कर सेक्स कर रहे थे.

भैया मुझसे पूछने लगे- चुदवाने में मजा आ रहा है?
मैं पीछे पलट कर उनको देख कर स्माइल कर रही थी और वो अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.

मेरे पड़ोसी भैया बहुत ही चोदू किस्म के इंसान निकले. उनको देख कर यह नहीं लगता था कि उनको सेक्स के बारे में इतना कुछ पता है. उनको सेक्स की सारी पोजीशन के बारे में पता था. वो शक्ल से देखने में बहुत भोले लगते थे. मगर जब उन्होंने मेरी चूत की चुदाई शुरू की तो मैं आनंद में गोते लगा रही थी.
हम दोनों का ये पहली बार ही था इसलिए भैया मुझे धीरे-धीरे चोद रहे थे जबकि मेरा बॉयफ्रेंड मुझे तेज-तेज चोदता है.

भैया की नजर मुझ पर बहुत दिनों से थी और मैं भी चाहती थी कि कभी भैया के लंड को अपनी चूत में लेने का मौका मिले. मेरे बॉयफ्रेंड के लंड से चुद कर मैं बोर हो गयी थी. वैसे मेरे बॉयफ्रेंड ने मेरे साथ बहुत बार सेक्स किया है. उसने मुझे जवान बनाया था. मगर वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे मुझे उसके साथ बोर होने वाली फीलिंग आने लगी थी. जब से मैंने भैया को देखा कि वह मेरे बदन पर नजर रखते हैं तो उसके बाद से ही मैंने भी भैया की हरकतों पर नजर रखना शुरू कर दिया.

मैं बहुत समय से इस दिन का इंतजार कर रही थी जब भैया का लंड अपनी प्यासी चूत में लेने का मौका मिलेगा. मगर भैया तो मुझसे भी ज्यादा प्यासे थे. उन्होंने उस दिन मेरी चूत को जम कर चोदा. हम लोगों ने तीन बार चुदाई की. भैया ने अलग-अलग पोजीशन में मेरी चूत की चुदाई की.

कभी वो बेड के किनारे पर लाकर चोदने लगते थे, तो कभी सोफे पर ले जाकर घोड़ी बना देते थे. कभी कुर्सी पर बैठ जाते थे और मुझे अपने लंड पर बैठा लेते थे. जब मैंने कुर्सी पर बैठ कर उनके लंड की सवारी की तो मुझे बहुत मजा आया. इस पोजीशन में भैया का लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया था. भैया मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे. मैंने भैया के कंधों को पकड़ा हुआ था. वो मेरी एक चूची को अपने मुंह में लेकर पी रहे थे और दूसरी को अपने हाथ से दबा रहे थे. इस पोजीशन में तो मैं पांच-सात मिनट की चुदाई के बाद ही झड़ गई.

उसके बाद आखिरी चुदाई बेड पर हुई जब भैया ने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा कर मुझे चोदा. इस चुदाई में मुझे दर्द होने लगा था. मगर मजा बहुत आया.

हम दोनों सेक्स करने के बाद मदहोश हो गए थे. हम सेक्स करने के बाद बिस्तर पर सो गए. कुछ देर हम सोये रहे और उसके बाद मैंने उठ कर अपने कपड़े पहन लिये. भैया भी मेरे साथ ही उठ गये थे. उन्होंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे.

मैं उनके लंड से इतनी चुद गई कि मुझसे चला भी नहीं जा रहा था. मैं बड़ी मुश्किल से अपने दर्द को छिपाते हुए उनके घर से बाहर निकली.
घर जाने के बाद मैंने अपनी चूत को साफ़ किया और उसके बाद नहा कर मैं सो गयी. मैं भैया से चुदवाकर बहुत थक गयी थी इसलिए मुझे नहाने के बाद तुरंत नींद लग गयी.

जब मैं उठी तो शाम हो चुकी थी. मैं अब फ्रेश फील कर रही थी. मैंने सोचा कि कुछ देर बाहर कॉलोनी के पार्क में घूम कर आती हूँ. मैं आज मन ही मन बहुत खुश हो रही थी. भैया ने मुझे जम कर चोदा था. मुझे एक नया लंड मिल गया था. इसलिए मेरे मन में खुशी और संतोष का भाव था.

जब मैं पार्क में पहुंची तो पड़ोसी भैया भी वहीं पर घूम रहे थे. हम दोनों ने एक-दूसरे को देख कर स्माइल किया. भैया मुझसे बात करने का मौका देख रहे थे.

जब थोड़ा सा अंधेरा हो गया तो हम लोग पार्क में एक तरफ पेड़ों के पीछे चले गये. भैया ने पूछा- सेक्स करने में मजा आया या नहीं तुमको?
मैंने कहा- हाँ, बहुत मजा आया. मगर मेरी चूत अभी भी दुख रही है.
भैया बोले- ठीक है, आज की चुदाई बहुत जोरदार थी. अब तुम कुछ दिन आराम कर लेना. हम उसके बाद फिर से चुदाई करेंगे.

जेब से फोन निकाल कर भैया ने मुझसे मेरा नम्बर पूछा. मगर मैं अपना फोन घर पर ही छोड़ आयी थी. भैया ने मुझसे मेरा नम्बर मांगा तो मैंने उनको नम्बर दे दिया. उन्होंने मेरे फोन पर मिस कॉल करके अपना नम्बर छोड़ दिया.

उसके बाद मैं घर आई तो मैंने सबसे पहले फोन को ही चेक किया. मैंने देखा तो मेरे फोन पर मिस कॉल आई हुई थी. मैंने भैया का नम्बर सेव कर लिया.

तीन-चार दिन बाद भैया का मैसेज आया कि मैं आकर उनसे मिलूं. मैं उनके घर गई तो भैया ने जाते ही मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे चूसने लगे. उन्होंने मेरे कपड़े निकाले और खुद भी नंगे हो गये. अगले कुछ ही मिनटों के बाद हम बेड पर एक दूसरे के जिस्मों को चुदाई का मजा दे रहे थे. भैया ने मेरी चूत को फिर से जम कर चोदा.

अब जब भी उनकी पत्नी घर से बाहर होती है भैया मुझे चोदने के लिए बुला लेते हैं.
मगर कई बार जब मेरा मन करता है हमारे पास जगह नहीं होती.
एक दिन ऐसे ही मेरा मन भैया के पास जाने के लिए करने लगा. मैंने भैया को फोन किया तो उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया. मैंने सोचा कि शायद उनकी पत्नी घर पर ही होगी इसलिए वो फोन नहीं उठा रहे हैं.

मुझसे रुका नहीं जा रहा था इसलिए मैं खुद ही भैया के घर पर चली गई. घर जाकर देखा तो उनकी पत्नी वहीं पर थी. अब मुझे उनकी पत्नी के सामने बहाना बनाना पड़ा कि मैं उनके घर पर चीनी लेने आई थी. जब भाभी किचन में चीनी लेने गई तो मैंने भैया के लंड पर हाथ फेर दिया. भैया ने आंखों ही आंखों में अपनी पत्नी की तरफ इशारा किया.
मैं उदास हो गयी. उसके बाद मैं अपने घर वापस आ गई.

कुछ देर के बाद भैया का फोन आया.
मैंने पूछा- आपकी पत्नी चली गई क्या?
वह बोले- नहीं, मैं बाथरूम से बात कर रहा हूँ. तुम तैयार हो जाओ. हम दोनों बाहर कॉलोनी के गेट पर मिलेंगे.

मैं जल्दी से तैयार हो गई और अपने दोस्त के घर जाने का बहाना बनाकर घर से निकल गई. भैया बाहर मेरा इंतजार कर रहे थे. मैंने मुंह पर कपड़ा बांधा और भैया के साथ कुछ दूर तक पैदल जाकर आगे हम लोग एक बात करने लगे. भैया ने बताया कि हम होटल में जा रहे हैं. मैं खुश हो गई.

हम लोग एक होटल में गये और वहाँ पर जाकर हमने मस्त चुदाई की.
कई बार ऐसा होता है कि जब हमें जगह नहीं मिलती तो हम बाहर जाकर चुदाई करके आ जाते हैं. ऐसे में भैया मुझे बाहर होटल में लेकर जाते हैं. हम वहाँ पर जाकर अपनी प्यास बुझाते हैं.

पंजाबन बहन की सेक्सी चूत की चुदाई - Panjaban Bahen Ki Sexy Choot Ki Chudai

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मेरा नाम जसप्रीत है, और मैं पटियाला का रहने वाला हूँ।
यह बात बताते हुए मुझे थोड़ी शरम आ रही है क्योंकि यह कहानी है मेरी बड़ी बहन लवलीन की बुर चुदाई की है।

लवलीन कॉलेज के फ़ाइनल इयर में है, 20 साल की है मैं लवलीन से दो साल छोटा हूँ।
उस दिन से पहले तक मैंने लवलीन के लिये कभी ऐसा नहीं सोचा था लेकिन उस दिन जो भी हुआ वो कुछ ज्यादा ही मज़ेदार और उत्तेजक था।
हमारे पापा जी और झाईजी किसी शादी में चण्डीगढ़ गये हुए थे, वे रात को देर से लौटने वाले थे। घर में मैं, लवलीन और हमारी मेड सविता थे, सविता ने रात का खाना बनाया और वो अपने कमरे में चली गई जो रसोई के पीछे था। लवलीन सोफे पर बैठ कर टी वी देख रही थी, मैं बोर हो रहा था, मैंने सोचा कि एक-दो सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर दिल बहला लेता हूँ। अपने कमरे में जा कर मैंने लैपटॉप में सेक्सी कहानियाँ पढ़नी शुरू करीं। सेक्स कहानियाँ पढ़ते पढ़ते मेरा तो लंड खड़ा हो गया था मैंने सोचा कि चलो एक बार मुठ भी मार ही लूँ खाने से पहले ताकि यह लौड़ा मुझे तंग का करे !

मैं बाथरूम में गया और बाथटब को पानी भर लिया, गर्मियों के दिन थे, मैंने ठंडा पानी भरा था।

मेरे खड़े लौड़े की मुठ मारने की जल्दी में मैं बाथरूम का दरवाजा लॉक करना भूल गया। मैंने शॉवर से पहले अपने आप को भिगोया और फिर टब में घुस गया।
थोड़ी देर बाद मैं टब की एक साइड पर बैठ गया और अपने लौड़े को पकड़ कर हिलाना शुरु कर दिया, मन में समीम बानो की चुदाई वाली बातें और गालियाँ गूंज रही थी।

मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब बाथरूम का दरवाजा खुला और लवलीन अन्दर आ गई, मैं तो नंगा बैठा अपने लौड़े की मुठ मार रहा था कि दीदी की आवाज सुनाई दी- जसप्रीत… ये क्या कर रहा है?

‘माय गॉड…’ मेरे तो ट्टटे ऊपर चढ़ गये लवलीन की आवाज सुन कर… मैंने चेहरा ऊपर उठाया तो लवलीन दरवाजे पर खड़ी थी।
मैंने झट से बार पर टंगे तौलिये को खींच कर अपने लौड़े को ढका और बोला- अरे कुछ नहीं लवली, मुझे यहाँ खारिश लग रही थी तो खुजा रहा था।

‘चुप कर ओये खोत्या… मुझे इतना पता नहीं चलता कि खुजाना किसे कहते हैं? आज आने दे झाई जी को, तेरी शिकायत करनी पड़ेगी।
लवलीन एक ही सांस में बोल गई।

मैं तो एकदम डर गया क्योंकि झाई जी को पता चलने का मतलब कि वो मेरे फ़ट्टे चक देंगी।

मैं लवलीन को मनाने लगा, मैंने कहा- लवली, नहीं प्लीज़ झाई को कुछ मत बताना. वो बेकार में गुस्सा करेंगी। तू जो कहोगी, वो मैं करूँगा… प्लीज प्लीज !

लवलीन थोड़ी नर्म पड़ती दिखी, बोली- एक शर्त पर मैं तुझे बक्श सकती हूँ, तू मुझे अपनी लुल्ली दिखा दे एक बार!

मुझे गुस्सा आ गया लुल्ली सुन कर… 7 इंच के लण्ड को कैसे लवली लुल्ली बोल रही है?

लेकिन मेरा पलड़ा हल्का था, उसका भारी, इसलिए मैं कुछ नहीं बोल सका।
मैंने सोचा कि लवलीन को भला मेरा लण्ड देखने की क्या जरूरत है?
तभी मुझे लगा कि भाई बहन की चुदाई कहानियों की तरह ही कहीं लवली मुझसे चुदना ना चाहती हो?

मेरे मन में पहली बार यह बात आई… अपनी बड़ी बहन की चुदाई की…
इससे पहले कि मैं अपना तौलिया हटाऊँ, लवलीन ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरा तौलिया खींच लिया।

मेरा लण्ड लवलीन के आ जाने के डर से सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था, लवलीन ने हाथ आगे कर के मेरी लुल्ली, हां यह अब तो सिकुड़ कर लुल्ली सा हो गया था, को पकड़ा और ऊपर की ओर उठाया।

उसके नर्म मुलालय हाथ के छूने से मेरे लौड़े में धीरे धीरे जान आ रही थी और लवलीन की आँखों में एक अजीब सी चमक…
उत्तेजना, हवस, चुदास की चमक…

तो क्या मेरी बहन की मुझसे चुदने की मर्जी थी या यह मेरी कल्पना मात्र थी।

लवलीन ने लण्ड को मुट्ठी में पकड़ कर उसे हिलाया। उसके बाद लवलीन जो बोली उसे सुन कर ही मेरा लण्ड एक झटके से खड़ा हो गया।
लवलीन ने पूछा- ओये… सिर्फ लंड हिलाता है या कभी किसी की चूत भी मारी है?

मैं जवाब देने की हालत में नहीं था, लवलीन की आँखों में चुदास की हवस साफ़ दिख रही थी, शायद मेरे लण्ड का बड़ा होना इसका कार्ण था?

लवलीन आगे बोली- बोल ना… किसी कुड़ी नूँ चोदया के नई? मैंन्नू चोदेंगा अज्ज तूँ? अपणी भैन दी फ़ुद्दी मारेंगा?
लवलीन पंजाबी बोलने लगी थी।

मैं तो लवली का बातें सुन कर स्तब्ध सा रह गया, तब भी कुछ नहीं बोला तो लवलीन ने अपनी टी-शर्ट को ऊपर उठा दी, बोली- देख ओये अपणी वड्डी भैन दे चूच्चे ! फ़ड़ लै ऐन्ना नूँ…

अपनी सगी बड़ी बहन को पहली बार ब्रा में देखना क्या होता है… काश मैं आपको बता पाता…
लवलीन की पर्पल ब्रा और उसके अन्दर उसके मस्त गोल चूचे देख कर मेरा सिर भन्ना गया, लौड़े में खून का दबाव बढ़ गया और मेरे मुँह में अपनी बहन के चूचों को चूस लेने के लिए पानी आ गया लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था क्योंकि हो सकता था कि ये लवलीन की चाल हो मुझे फ़ंसाने के लिये…
लेकिन जब लवलीन अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड के ऊपर अपने गुलाबी होंठों से चुम्मियाँ लेने लगी तो मेरे मन का वहम गायब हो गया।

लवलीन का ये रूप मेरे लिये बिल्कुल अलग था, घर में तो वो सीधी-सादी भोली-भाली लड़की बन कर रहती थी और इस वक्त वह बाथरूम में वो अपने नंगे भाई का लौड़ा पकड़ कर चुम्मियाँ ले रही थी, मैंने भी सोच लिया- बहन है तो क्या… इसका यह रूप देख कर तो लगता है कि अब तक ना जाने कितने लौड़े गड़प चुकी होगी यह… अब तक नहीं भी चुदी होगी तो आह नहीं तो कल इसे चुदना ही है… चोद दे जसप्रीत… चूत ही तो है ना… चोद दे अपनी बहन को !

लवलीन मेरे लंड के चुम्मे लेने के साथ साथ अपने चूचे भी मसल रही थी, मैंने सोचा कि चलो, इसे कर लेने दो अपने मन की, गर्म हो जाने दो इसे थोड़ा… फिर मैं इसे लेता हूँ अपने लौड़े के नीचे…

लवलीन कोशिश कर रही थी मेरे लौड़े को पूरा अपने मुँह में लेने के लिए लेकिन वो उससे नहीं हो रहा था। मैंने अपने लण्ड को उसके होंठों से निकाला और लौड़े को उसके गालों के ऊपर थपथपाने लगा।
लौड़े से मेरा पानी और उसका थूक उसके गाल पर लग रहा था।
लवलीन ने फिर से अपने भाई के लौड़े को अपने मुख में भर लिया, मैंने उसका सिर अपने हाथों में पकड़ा और उसके मुँह में धक्के देने लगा।
लवलीन अपने चूचे पकड़ कर मसल रही थी, उसका मुँह मेरे लौड़े को खूब मज़ा दे रहा था। मैंने उसके मुँह को और भी जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया और वो भी अपने होंठों से मेरे लौड़े को दबा कर मस्त मज़ा दे रही थी।
तभी मेरे लौड़े ने अपनी औकात दिखा दी, इसकी गर्मी निकल गई, एक एक कर के मेरे लंड ने 5-6 पिचकारियाँ मारी, मेरा वीर्य लवलीन के मुँह में ही निकल गया।

आधा वीर्य तो लवली के गले में उतर गया और बाकी का उसने सिंक में थूक दिया।

वो खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट, कैपरी उतारने लगी, वो अंदर पर्पल पेंटी में थी, उसने ब्रा का हुक खोला, पहली बार मैंने उसकी गुलाबी चूचियाँ पूरी नंगी देखी। मैंने उससे पहले अपनी मेड सविता की चुदाई की थी लेकिन ऐसी गोरी गुलाबी खड़ी चूचियाँ मैंने सिर्फ़ इन्टरनेट पर ही देखी थी।

लवलीन ने बाथटब का सारा पानी बहा दिया और वो उसके अन्दर लेट गई, उसने अपनी टाँगें बाथटब की साइड के ऊपर रख कर फैला दी, वो बोली- आ जा ओये जसप्रीतया अपनी भैन दी कच्छी लाह के फ़ुद्दी चट्ट !

मैं तो लवली की गुलाबी चूत को देखने की कल्पना मात्र से पागल हुआ जा रहा था, उसको चाटने के विचार से तो सच में पागल हो जाऊँगा।

मैं लवलीन के पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा।

तभी लवली बोली- भैन दे लोड़या… अपणी भैण दी फ़ुद्दी नूँ नंगी तां कर लै !

मैंने घबरा कर फ़ट से उसकी पैन्टी उतार दी।
तब वो बोली- हुण्ण वेख लै अपनी भैण दी फ़ुद्दी !

लवली की चूत एकदम साफ़ थी, फ़ूली हुई थी, मैं चूत के ऊपर अपनी चार उंगलियाँ फेरने लगा, लवली की चूत गर्म थी और मस्त गीली हुई पड़ी थी।

लवलीन अपनी आँखे बन्द करके अपने होंठों को दांतों तले दबाने लगी और बोली- जल्दी कर जसप्रीत, चाट ना मेरी चूत… मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है।

मैंने अपने होंठों से लवलीन की चूत पर एक मस्त चुम्मी ली और फिर अपनी जीभ निकाल कर चूत के ऊपर घिसने लगा।
लवलीन अपने चूचे दबाने लगी और उसने अपनी टाँगें और फैला दी।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी जीभ घुसाई और ऊपर नीचे हिलने लगा। लवलीन की ‘आह आहह…’ निकलने लगी और वो मेरे सिर को पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं तो जैसे स्वर्ग में था और लवलीन अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला कर अपनी चूत मेरे मुख पर घिसने लगी। लवलीन काफ़ी चुदासी हुई पड़ी थी, उसकी चूत पानी पर पानी बहाये जा रही थी।

मेरा लंड एक बार फिर से टाईट हो गया था।

लवलीन ने तभी मेरे हाथ को पकड़ा और बोली- चल जसप्रीत मेरे भाई, कमरे में चल कर मुझे चोद दे, अब मुझ से जरा भी नहीं जा रहा है।

मैंने उस हाथ से सहारा दिया, लवलीन खड़ी हो गई और मैं उसे खींच कर कमरे में ले गया।
वो एकदम से जाकर बिस्तर पर अपने घुटने मोड़ कर जांघें फ़ैला कर लेट गई, मैंने उसके दोनों घुटने पकड़ कर और फ़ैला दिये, ऐसा करने से उसकी चूत के जो होंठ चिपके हुये थे, वो खुल गये और अन्दर से गुलाबी लाल कच्चा मांस सा दिखाई देने लगा।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी फ़ुद्दी के छेद में घुसाई, तो लवली बोली- लया वीरे, मैंन्नूँ वी मेरी फ़ुद्दी दा स्वाद वखा दे!

लवली की चूत से निकली अपनी वो अपनी मैंने अपनी बड़ी बहन के होंठों पर लगा दी, लवली ने बड़े जोश से उसे चाटा।

फ़िर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद के ऊपर सेट कर दिया, लवलीन को शायद चरमसुख मिला मेरे लौड़े के उसकी चूत को छूने से… उसने अपनी आँखें बंद की और थोड़ सा आगे होकर ऊपर को धक्का लगा दिया।
साथ ही मैंने एक हल्का झटका दिया और अब मेरा आधे से कुछ कम लंड उसकी चूत में था। लवलीन के मुख से आह निकली और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धे पकड़ कर अपने ऊपर दबा लिया। ऐसा करने से मेरा लौड़ा उसकी गीली गर्म चूत में पूरा घुस गया।

फ़िर उसने अपने चूतड़ों को ऊपर को उछाला और बोली- चोद जोर जोर से मुझे जसप्रीत… निकाल दे मेरी चूत का पानी !

मैंने लवलीन की कमर को पकड़ा और उसकी चूत के अन्दर कभी धीरे कभी तेज झटके देने लगा।
लवलीन ने अपने हाथों से सिर के नीचे का तकिया पकड़ लिया और वो अपने कूल्हों को आगे पीछे करने लगी।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था लवलीन की ऐसी चुदाई करने में…

लवलीन भी पूरी मस्ती में आ गई थी अपने भाई का लंड अपनी चूत में लेकर, वो अपनी गांड हिला हिला कर चुदती रही और मैं भी अपनी सेक्सी बहन को अपने लंड का मज़ा देता रहा।

लवलीन की 8-10 मिनट ऐसी चुदाई के बाद और मेरा काम अब तमाम होने की कगार पर था, मैंने लवलीन के कान में कहा- मेरा निकलने वाला है, क्या करूँ?

‘जल्दी निकाल मादरचोद… अपने बच्चे का ही मामा बनेगा क्या! मेरे मुँह में निकाल दे अपना माल…’ लवलीन हंस कर बोली।

मैंने फच से अपना लौड़ा लवलीन की फ़ुद्दी से निकाला और उसके मुँह से एक बड़ी आह निकली। लवलीन ने अपना हाथ अपनी फ़ुद्दी में घुसा लिया और उसे मसल्ने लगी, मैं उसके चेहरे के पास अपना लण्ड ले गया, लवलीन ने अपना मुँह खोला और वो बेताबी से मेरे लौड़े को चूसने लगी, मेरे वीर्य के निकलने का इन्तजार करने लगी।

तभी एक पिचकारी छूटी और मेरे वीर्य से उसका मुँह भर गया। लवलीन ने मेरे वीर्य को अपने मुँह में थोड़ी देर झकोला, चलाया और फिर वो एक घूंट में उसे पी गई।
वो अब भी अपनी फ़ुद्दी को अपने हाथ से सहला रही थी, शायद उसका पानी अभी तक नहीं निकला था, उसे पूरा मज़ा देने के लिये मैं उसकी जांघों के बीच में आकर उसकी फ़ुद्दी को चाटने लगा और 2-3 मिनट बाद लवली का बदन अकड़ गया और वो अपने चरमसुख को पा गई।

मैं उसकी बगल में ही लेट गया और हमें नीन्द आ गई। कुछ देर बाद लवली के फ़ोन की घन्टी बजने पर हमारी नीन्द खुली।
हमारी मेड सविता का फ़ोन था।
लवली ने बात की तो वो पूछ रही थी कि कोई काम ना हो तो वो सो जाये। लवली ने उसे सो जाने को कहा और अपने कपड़े पहनने लगी और बोली- भाई, आगे भी मुझे अपने लंड का स्वाद देते रहना…
मैं हंस पड़ा और हम लोग कपड़े पहन कर खाना खाने बाहर आ गये।

अन्तर्वासना ने भाई से चुदवा दिया - Antarvasna Ne Bhai Se Chudva Diya

अन्तर्वासना ने भाई से चुदवा दिया - Antarvasna Ne Bhai Se Chudva Diya, भाई ने मौका पाकर चोद दिया, Bhai Ne Mauka Pa Kar Chod Diya, बहन ने छोटे भाई से चूत चुदवा कर मजा दिया. Behan Ne Chhote Bhai Se Choot Chudwa Kar Maja Diya.

मेरा कोई सगा भाई नहीं है। इसलिए जब भी राखी या दूज का त्यौहार आता है मैं पड़ोस के एक लडके को राखी बांधती हूँ। उस लडके का नाम विशाल है। वह मेरा दूर के रिश्ते की बुआ का लड़का है। उसकी आयु 24 आयु 17 साल है। विशाल मेरे घर से 7 किलोमीटर दूर सिटी में कम्पूटर की मरम्मत की दुकान है।

साथ ही विशाल वहीं पर विडियो लाइब्रेरी भी चलाता था। अपने साथ उसने एक लड़े को भी काम पर रहा था। जिसका नाम सुनील था। सुनील 27 साल का युवक था। उसका काम ग्राहकों को उनकी पसंद की सीडियां देना था। विशाल का घर दूकान और मेरे घर से बहु दूर था ,इसलिए उसने अपनी दूकान के ऊपर एक कमरा किराये पर ले लिया था। कमरे में लैट बाथ साथ ही थे। जब भी विशाल को समय मिलाता था वह एक दो दिन में मेरे घर जरुर अत था। कई बार मम्मी उस से बाजार से जरूरी सामान मंगवा लेती थी।

छोटी होने के कारण विशाल मुझे बहुत चाहता था ,और जब भी आता था मेरे लिए कोई न कोई चीज जरुर लाता मम्मी भी उसे पसंद कराती थीं ,और उस से हरेक बात में सलाह लेती थीं... विशाल के पिता गुजर गए थे ,और वसीयत में एक मकान छोड़ गए थे ,जो दुकान से दूर था ,उसी में विशाल की माँ रहती था ,विशाल दिन भर दुकान पर रहता था ,सुनील उसके लिए घर से खाना ले आता था। रत को विशाल घर में खाना खाता था।

यह घटना राखी के दिन की है ,हर साल की तरह मैं विशाल को राखी बांधती थी। और उसी के आने का इन्तेजार हो रहा था। विशाल ने मुझे राखी पर एक मोबाइल गिफ्ट देने का वादा किया था। उस दिन रह रह कर बरसात हो रही थी। और रास्तों में पानी भर गया था ,करीब शाम के पांच के करीब विशाल आया और देर के लिए माफ़ी मांगी। फिर मैंने जब उसे राखी बांधी तो ,उसे मोबाइल देने का वादा दिलाया।

खाने के बाद विशाल में कहा मेरे साथ मार्केट चलो ,तुम्हें जैसा मोबाईल चाहिए वैसा दिलवा दूंगा। उस समय शाम के सात बज चुके थे ,तभी जोर की बरसात होने लगी। मेरी मम्मी ने विशाल से कहा तुम अगले दिन मोबाइल खरीद देना। लेकिन मैं उसी दिन की जिद करने लगी। विशाल ने कहा अगर पानी के कारण देर हो गयी तो ? मगर मैंने कहा चाहे कितनी भी देर हो जाये नुझे तो मोबाईल चाहिए। मेरी मम्मी भी बोली बेटा यह बड़ी जिद्दी है।

अगर तू आज मोबाईल नहीं देगा तो यह मेरी जान खाती रहेगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ,भले कुछ देर अधिक भी हो जाये।

विशाल बोला आंटी चिंता मत करो ,अगर बरसात जोर से आने लगेगी तो हम अपनी दुकान के ऊपरी कमरे में रुक जायेंगे। क्योंकि वह में सिटी में है। वहीँ नए नए तरह के मोबाइल मिलते है।

यह सुनते ही मैं विशाल की बाइक पर बैठ गयी और जाते जाते विशाल ने ममी से कहा आंटी आप चिंता नहीं करो। मैं आपको फोन कर दिया करूँगा।

उस समय थोड़ी बून्दाबून्दी हो ताहि थी ,हमने काफी घुमानेके बाद एक मोबाईल पसंद कर लिया। लेकिन जैसे ही हम दुकान से बहार निकले तो मुसलाधार बरसात होने लगी। साथ में ठंडी हवाएं भी चलने लगी विशाल ने मेरी मम्मी को बता दिया कि हम बाजार में हैं ,हमें देर हो सकती है ,विशाल का कमरा थोड़ी दूर ही था ,उसने कहा कि बरसात रुकने तक मैं उसके कमरे में रुक सकती हूँ ,क्यों वहां कोई नहीं होगा ,कमरे की एक चाभी विशाल के पास थी। दूसरी उसने अपने नौकर को दे रखी थी।

कमरे के आने तक हम पूरी तरह भीग चुके थे। मिझे सर्दी लग रही थी। मैं काँप रही थी। लेकिन उस कमरे में मेरे लिए दूसरा कपड़ा नहीं था ,विशाल ने मुझे अपना कुरता दे दिया ,मैं निचे से नंगी थी।

विशाल के कमरे में सिर्फ एक तौलिया और लुंगी थी। जब वह गिले कपडे बदने लगा तो उसकी तौलिया निचे गिर गयी और उसका लम्बा मोटा ,गोरा ,प्यारा लंड मैंने देख लिया। शायद उसने जानबूझ कर ऐसा किया होगा।
मैं दो तीन बार मोहल्ले के लड़कों से चुदवा चुकी थी। तब से मुझे लंड लेने की इच्छा होती रहती थी। मैं चाहती थी कि कोई लम्बा लंड वाला मेरी चूत की जमकर चुदाई करे और मेरी चूत की प्यास बुझादे…

विशाल का लंड मुझे अच्छा लगा ,10 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। मेरी चूत भर जाने पर भी लंड बचा रहता
जब से मैंने विशाल का मस्ताना लंड देखा देखा सर्दी होने बावजूद मेरी चूत में वासना की आग भड़क रही थी ,मैं सोच रही थी की ,किसी न किसी तरकीब से विशाल का लंड लिया जाये ,मैंने विशाल से कहा मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे सर्दी होने वाली है। तुम्हारे कमरे में गैस भी नहीं है ,वर्ना चाय बन सकती थी।

विशाल ने कहा मैं तो नीचे से किसी दुकान से चाय मंगवा लेता हूँ। अगर कोई दुकान खुली हो ,मरे पास तो सिर्फ एक बोतल ब्रांडी है। मुझे जब भी सर्दी हो जाती है ,मैं एक दो पैग ले लेता हूँ। मैं नौकर सुनील को फोन करता हूँ वह चाय का इंतजाम कर देगा ,अगत तुम चाहो तबतक तुम भी एक पैग ले सकती हो। मैं खुश होकर बोली अगर तुम खुद अपने हाथों से पिलाओगे ,तो मैं पी लूंगी।

मेरा काम हो गया, मेरी चूत लुप लुपहोने लगी। मैंने फ़ौरन एक कि जगह तिन पैग ले लिए और कहा मेरी सर्दी जल्दी जाने वाली नहीं है ,मुझे और गर्मी चाहिए। विशाल में मुझे अपने पास बिठाया और कहा लो तुम मुझ से सट कर बैठ जाओ ,शायद मेरे शारीर से तुम्हे कुछ गर्मी मिल जाए। बातें करते वक्त विशाल मेरे शारीर पर हाथ फेरने लगा। उसका लंड लुंगी में उछलने लगा था और मेरी चूत से रस रिसने लगा था। विशाल ने मुहे अपने बिलकुल पास लिटा लिया। और अपनी टाँगें मेरी टांगों में फसा लीं। मेरी चूचियां एकदम कड़क हो गयीं। विशाल कि सांसें मेरी सांसों से मिल रही थीं।

तभी विशाल का नौकर सुनील अचानक कमरे में अगया ,हम दरवाजा बंद करना भूल हाय थे ,हमें ऐसी हालत में देखकर सुनील पहले तो चौंका और बोला यार मॉल तो मस्त लाये हो ,क्या अकेले ही मजा लेने का प्लान था। विशाल ने कहा यह मेरी मुंहबोली बहिन है। सुनील बोला इस से कोई फर्क नहीं होता। यह तेरी सगी बहिन तो नहीं है ,तुझ्र यह कहावत पता नहीं ?

“लंड न देखे दिन या रात,छूत ने देखे रिश्ता नात”यार जब लंड टायर हो ,छुट गर्म हो। तो सरे रश्ते नाते भूलकर चुदाई का मजा लेना चाहिए ,ऐसे में अगर मेरी सगी बहिन भी होती तो ,मैं उसे चोदे बिना नहीं छोड़ता। यार चूत का अपमान नहीं करना चाहिए।

सुनील में मुझ से कहा ,आप ही बताइए क्या मैंने कोई गलत बात कही है .? ब्रांडी के नशे में ,या चुदवाने की इच्छा में मैंने हाहा तुम सच कह रहे हो। कुदरत ने सर्फ मर्द और स्त्री ही बनाये हैं ,रिश्ते तो लोगों ने बनादिये हैं।
विशाल ने कहा इसला मतलब ,तुम चुवाने को राजी हो। सुनील भी बोल पड़ा मैंने यह ज्ञान दिया है ,मेरा भी कुछ हक़ बनता है। इस लड़की को एक साथ दो दो लंड का मजा मिलेगा। यह भी याद करेगी कि चुदाई क्या होती है। विशाल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम तय्यार हो ?मैंने अपना सर हिला कर हाँ का इशारा कर दिया।

सुनील फ़ौरन नंगा हो गया ,उसका लंड भी दस इंच से कम नहींथा ,और कड़क होकर ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे लंड का गुलाबी गुलाबी सुपरा बहुत प्यारे लग रहे थे ,और उनको चूसने कि इच्छा नहीं रोक पा रही थी
तभी सुनील ने विशाल हे कहा आओ अज पिंकी को दो दो लंड का मजा इ दें ,यह भी याद करेगी।

अगर यह ऐसा मजा ले लेगी तो हमें खुद चोदने के लिए रोज बुलाया करेगी। विशाल ने कहा पिंकी आओ ,तुम मेरे खड़े लंड पर इस तरह चढ़ जाओ ,जिस से लंड फक से चूत में समां जाए। तुम चुद चुकी हो ,तुम्हे दर्द नहीं होगा। जिस समय में विशाल का लंड लेने के लिए लंड पर सवार होने लगी तो मेरी गंद सुनील के सामने आगई। उसने फ़ौरन अपना लंड मेरी गंद में घुसा दिया। लंड गांड में रास्ता बनाते हुए अन्दर समां गया। मेरी चीख निकने ही वाली थी लेकिन मने उसे रोक लिया। मजा लेने के लिए दर्द सहना ही पड़ता है ,वर्ना मजा कैसे आयेगा।

फिर दौनों के लंड अपना कम करने लगे ,मई स्वर्ग के मजे ले रही थी मेरी चूत से चिकना रस रिस रहा था ,लेकिन गांड लाल हो रही थी।

उस दिन दो घंटे तक मैं दोनो छेदों में दो दो लंड के मजे ले रही थी। थोडा सी ब्रांडी पीकर यही कम दुहराया गया ,दोनो झड गए ,मैंने उनके लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। और वादा किया कि जब भी मैं रिंग करूँ तो सब कम छोड़कर मेरी चूत कि सा सर्दी निकल दिया करो।

आज भी मैं चुप कर दोनो से लंड ले रही हूँ ,मेरी गांड इतनी पोली हो गयी है कि गांड मरवाने में कोई तकलीफ नहीं होती ,बल्कि मजा आता है। 

अगर आप चाहे तो आप भी मेरे साथ मजा ले सकते हैं आखिर छूट और गांड किस लिए होते है ?
जो लड़कियाँ दो दो लंड लेती हैं ,वह जवान बनी रहती हैं गांड मरवा कर देखो!

दीदी को चूत चुदाई करते पकड़ लिया - Didi Ko Chudai Karte Huye Pakad Liya

दीदी को चूत चुदाई करते पकड़ लिया - Didi Ko Chudai Karte Huye Pakad Liya, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.

मेरी बहन मुझसे लगभग तीन साल बड़ी है। वो एम ए में पढ़ती थी और मैंने कॉलेज में दाखिला लिया ही था। मैं भी जवान हो चला था। मुझे भी जवान लड़कियाँ अच्छी लगती थी। सुन्दर लड़कियाँ देख कर मेरा भी लण्ड खड़ा होता था।


मेरी दीदी भी चालू किस्म की थी। लड़कों का साथ उसे बहुत अच्छा लगता था। वो अधिकतर टाईट जीन्स और टीशर्ट पहनती थी। उसके उरोज 23 साल की उम्र में ही भारी से थे, कूल्हे और चूतड़ पूरे शेप में थे।
रात को तो वो ऐसे सोती थी कि जैसे वो कमरे में अकेली सोती हो। एक छोटी सी सफ़ेद शमीज और एक वी शेप की चड्डी पहने हुये होती थी। फिर एक करवट पर वो पांव यूँ पसार कर सोती थी कि उसके प्यारे-प्यारे से गोल चूतड़ उभर कर मेरा लण्ड खड़ा कर देते थे। उसके भारी भारी स्तन शमीज में से चमकते हुये मन को मोह लेते थे। उसकी बला से भैया का लण्ड खड़ा होवे तो होवे, उसे क्या मतलब ?


कितनी ही बार जब मैं रात को पेशाब करने उठता था तो दीदी की जवानी की बहार को जरूर जी भर कर देखता था। कूल्हे से ऊपर उठी हुई शमीज उसकी चड्डी को साफ़ दर्शाती थी जो चूत के मध्य में से हो कर उसे छिपा देती थी। उसकी काली झांटे चड्डी की बगल से झांकती रहती थी। उसे देख कर मेरा लण्ड तन्ना जाता था। बड़ी मुश्किल से अपने लण्ड को सम्भाल पाता था।


एक बार तो मैंने दीदी को रंगे हाथों पकड़ ही लिया था। क्रिकेट के मैदान से मैं बीच में ही पानी पीने राजीव के यहाँ चला गया। घर बन्द था, पर मैं कूद कर अन्दर चला आया। तभी मुझे कमरे में से दीदी की आवाज सुनाई दी। मैं धीरे से दबे पांव यहाँ-वहाँ से झांकने लगा। अन्त में मुझे सफ़लता मिल ही गई। दीदी राजीव का लण्ड दबा रही थी। राजीव भी बड़ी तन्मयता के साथ दीदी की कभी चूचियाँ दबाता तो कभी चूतड़ दबाता। कुछ ही देर में दीदी नीचे बैठ गई और राजीव का लण्ड निकाल कर चूसने लगी। मेरे शरीर में सनसनाहट सी दौड़ पड़ी। मेरा मन उनकी यह रास-लीला देखने को मचल उठा। उनकी पूरी चुदाई देख कर ही मुझे चैन आया।


तो यह बात है … दीदी तो एक नम्बर की चालू निकली। एक नम्बर की चुदक्कड़ निकली दीदी तो।


मैं भारी मन से बाहर निकल आया। आंखों के आगे मुझे अब सिर्फ़ दीदी की भोंसड़ी और राजीव का लण्ड दिख रहा था। मेरा मन ना तो क्रिकेट खेलने में लगा और ना ही किसी हंसी मजाक में। शाम हो चली थी … सभी रात का भोजन कर के सोने की तैयारी करने लगे थे। दीदी भी अपनी परम्परागत ड्रेस में आ गई थी।


मैं भी अपने कपड़े उतार कर चड्डी में बिस्तर पर लेट गया था। पर नींद तो कोसों दूर थी … रह रह कर अभी भी दीदी के मुख में राजीव का लण्ड दिख रहा था। मेरा लण्ड भी फ़ूल कर खड़ा हो गया था।


अह्ह्ह… मुझे दीदी को चोदना है … बस चोदना ही है।


मेरी चड्डी की ऊपर की बेल्ट में से बाहर निकला हुआ अध खुला सुपारा नजर आ रहा था। इसी हालत में मेरी आंख जाने कब लग गई।


यकायक एक खटका सा हुआ। मेरी नींद खुल गई। कमरे की लाईट जली हुई थी। मुझे लगा कि मेरे पास कोई खड़ा हुआ है। समझते देर नहीं लगी कि दीदी ही है। वो बड़े ध्यान से मेरे लण्ड का उठान देख रही थी। दीदी को शायद अहसास भी नहीं हुआ होगा कि मेरी नींद खुल चुकी है और मैं उसका यह तमाशा देख रहा हूँ।


उसने झुक कर अपनी एक अंगुली से मेरे अध खुले सुपारे को छू लिया। फिर मेरी वीआईपी डिज़ाइनर चड्डी की बेल्ट को अंगुली से धीरे नीचे सरका दिया। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड और भी फ़ूल कर कड़क हो गया। मुझे लगने लगा था- काश ! दीदी मेरा लण्ड पकड़ कर मसल दे। अपनी भोंसड़ी में उसे घुसा ले।


उसकी नजरें मेरे लण्ड को बहुत ही गौर से देख रही थी, जाहिर है कि मेरी काली झांटे भी लण्ड के आसपास उसने देखी होगी। उसने अपने स्तनों को जोर से मल दिया और उसके मुँह से एक वासना भरी सिसकी निकल पड़ी। फिर उसका हाथ उसकी चूत पर आ गया। शायद वो मेरा लण्ड अपनी चूत में महसूस कर रही थी। उसका चूत को बार बार मसलना मेरे दिल पर घाव पैदा कर रहे थे। फिर वो अपने बिस्तर पर चली गई।


दीदी अपने अपने बिस्तर पर बेचैनी से करवटें बदल रही थी। अपने उभारों को मसल रही थी। फिर वो उठी और नीचे जमीन पर बैठ गई। अब शायद वो हस्त मैथुन करने लगी थी। तभी मेरे लण्ड से भी वीर्य निकल पड़ा। मेरी चड्डी पूरी गीली हो गई थी। अभी भी मेरी आगे होकर कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।


दूसरे दिन मेरा मन बहुत विचलित हो रहा था। ना तो भूख रही थी… ना ही कुछ काम करने को मन कर रहा था। बस दीदी की रात की हरकतें दिल में अंगड़ाईयाँ ले रही थी। दिमाग में दीदी का हस्त मैथुन बार बार आ रहा था। मैं अपने दिल को मजबूत करने में लगा था कि दीदी को एक बार तो पकड़ ही लूँ, उसके मस्त बोबे दबा दूँ। बार बार यही सोच रहा था कि ज्यादा से ज्यादा होगा तो वो एक तमाचा मार देगी, बस !


फिर मैं ट्राई नहीं करूंगा।


जैसे तैसे दिन कट गया तो रात आने का नाम नहीं ले रही थी।


रात के ग्यारह बज गये थे। दीदी अपनी रोज की ड्रेस में कमरे में आई। कुछ ही देर में वो बिस्तर पर जा पड़ी। उसने करवट ले कर अपना एक पांव समेट लिया। उसके सुडौल चूतड़ के गोले बाहर उभर आये। उसकी चड्डी उसकी गाण्ड की दरार में घुस गई और उसके गोल गोल चमकदार चूतड़ उभर कर मेरा मन मोहने लगे।


मैंने हिम्मत की और उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेर कर सहला दिया। दीदी ने कुछ नहीं कहा, वो बस वैसे ही लेटी रही।


मैंने और हिम्मत की, अपना हाथ उसके चूतड़ों की दरार में सरकाते हुये चूत तक पहुँचा दिया। मैंने ज्योंही चूत पर अपनी अंगुली का दबाव बनाया, दीदी ने सिसक कर कहा,”अरे क्या कर रहा है ?”


“दीदी, एक बात कहनी थी !”
उसने मुझे देखा और मेरी हालत का जायजा लिया। मेरी चड्डी में से लण्ड का उभार उसकी नजर से छुप नहीं सका था। उसके चेहरे पर जैसे शैतानियत की मुस्कान थिरक उठी।
“हूम्म … कहो तो … ”


मैं दीदी के बिस्तर पर पीछे आ गया और बैठ कर उसकी कमर को मैंने पकड़ लिया।
“दीदी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं !”
“ऊ हूं … तो… ”
“मैं आपको देख कर पागल हो जाता हूँ … ” मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुये उसकी छातियों की ओर बढ़ने लगे।
“वो तो लग रहा है … !” दीदी ने घूम कर मुझे देखा और एक कंटीली हंसी हंस दी।


मैंने दीदी की छातियों पर अपने हाथ रख दिये,”दीदी, प्लीज बुरा मत मानना, मैं आपको चोदना चाहता हूँ !”
मेरी बात सुन कर दीदी ने अपनी आंखें मटकाई,”पहले मेरे बोबे तो छोड़ दे… ” वो मेरे हाथ को हटाते हुये बोली।
“नहीं दीदी, आपके चूतड़ बहुत मस्त हैं … उसमें मुझे लण्ड घुसेड़ने दो !” मैं लगभग पागल सा होकर बोल उठा।
“तो घुसेड़ ले ना … पर तू ऐसे तो मत मचल !” दीदी की शैतानियत भरी हरकतें शुरू हो गई थी।


मैं बगल में लेट कर अनजाने में ही कुत्ते की तरह उसकी गाण्ड में लण्ड चलाने लगा। मुझे बहुत ताज्जुब हुआ कि मेरी किसी भी बात का दीदी ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मुझे उसके गाण्ड मारने की स्वीकृति भी दे दी। मुझे लगा दीदी को तो पटाने की आवश्यकता ही नहीं थी। बस पकड़ कर चोद ही देना था।

“बस बस … बहुत हो गया … दिल बहुत मैला हो रहा है ना ?” दीदी की आवाज में कसक थी।
मैं उसकी कमर छोड़ कर एक तरफ़ हट गया।
“दीदी, इस लण्ड को देखो ना … इसने मुझे कैसा बावला बना दिया है।” मैंने दीदी को अपना लण्ड दिखाया।
“नहीं बावला नहीं बनाया … तुझ पर जवानी चढ़ी है तो ऐसा हो ही जाता है… आ यहाँ मेरे पास बैठ जा, सब कुछ करेंगे, पर आराम से … मैं कहीं कोई भागी तो नहीं जा रही हूँ ना … इस उम्र में तो लड़कियों को चोदना ही चहिये… वर्ना इस कड़क लण्ड का क्या फ़ायदा ?” दीदी ने मुझे कमर से पकड़ कर कहा।


मेरे दिल की धड़कन सामान्य होने लगी थी। पसीना चूना बंद हो गया था। दीदी की स्वीकारोक्ति मुझे बढ़ावा दे रही थी। वो अब बिस्तर पर बैठ गई और मुझे गोदी में बैठा लिया। दीदी ने मेरी चड्डी नीचे खींच कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया।
“ये … ये हुई ना बात … साला खूब मोटा है … मस्त है… मजा आयेगा !” मेरे लण्ड के आकार की तारीफ़ करते हुये वो बोल उठी। उसने मेरा लण्ड पकड़ कर सहलाया। फिर धीरे से चमड़ी खींच कर मेरा लाल सुपारा बाहर निकाल लिया।


अचानक उसकी नजरें चमक उठी,”भैया, तू तो प्योर माल है रे… ” वो मेरे लौड़े को घूरते हुये बोली।


“प्योर क्या … क्या मतलब?” मुझे कुछ समझ में नहीं आया।
“कुछ नहीं, तेरे लण्ड पर लिखा है कि तू प्योर माल है।” मेरे लण्ड की स्किन खींच कर उसने देखा।
“दीदी, आप तो जाने कैसी बातें करती हैं… ” मुझे उसकी भाषा समझने में कठिनाई हो रही थी।
“चल अपनी आंखें बन्द कर … मुझे तेरा लण्ड घिसना है !” दीदी की शैतान आंखें चमक उठी थी।
मुझे पता चल गया था कि अब वो मुठ मारेगी, सो मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।


दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर आगे पीछे करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में मैं मस्त हो गया। मुख से सुख भरी सिसकियाँ निकलने लगी। जब मैं पूरा मदहोश हो गया था, चरम सीमा पर पहुंचने लगा था, दीदी ने जाने मेरे लण्ड के साथ क्या किया कि मेरे मुख से एक चीख सी निकल गई। सारा नशा काफ़ूर हो गया। दीदी ने जाने कैसे मेरे लण्ड की स्किन सुपारे के पास से


अंगुली के जोर से फ़ाड़ दी थी। मेरी स्किन फ़ट गई थी और अब लण्ड की चमड़ी पूरी उलट कर ऊपर आ गई थी। खून से सन कर गुलाबी सुपाड़ा पूरा खिल चुका था।
“दीदी, ये कैसी जलन हो रही है … ये खून कैसा है?” मुझे वासना के नशे में लगा कि जैसे किसी चींटी ने मुझे जोर से काट लिया है।
“अरे कुछ नहीं रे … ये लण्ड हिलाने से स्किन थोड़ी सी अलग हो गई है, पर अब देख … क्या मस्त खुलता है लण्ड !” मेरे लण्ड की चमड़ी दीदी ने पूरी खींच कर पीछे कर दी। सच में लण्ड का अब भरपूर उठाव नजर आ रहा था।


उसने हौले हौले से मेरा लण्ड हिलाना जारी रखा और सुपाड़े के ऊपर कोमल अंगुलियों से हल्के हल्के घिसती रही। मेरा लण्ड एक बार फिर मीठी मीठी सी गुदगुदी के कारण तन्ना उठा। कुछ ही देर में मुठ मारते मारते मेरा वीर्य निकल पड़ा। उसने मेरे ही वीर्य से मेरा लण्ड मल दिया। मेरा दिल शान्त होने लगा।


मैंने दीदी को पटा लिया था बल्कि यू कहें कि दीदी ने मुझे फ़ंसा लिया था। मेरा लण्ड मुरझा गया था। दीदी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। मेरे होंठों पर अपने होंठ उसने दबा दिये और अधरों का रसपान करने लगी।


“भैया, विनय से मेरी दोस्ती करा दे ना, वो मुझे लिफ़्ट ही नहीं देता है !”
“पर तू तो राजीव से चुदवाती है ना … ?”
उसे झटका सा लगा।
“तुझे कैसे पता?” उसने तीखी नजरों से मुझे देखा।
“मैंने देखा है आपको और राजीव को चुदाई करते हुये … क्या मस्त चुदवाती हो दीदी!”
“मैं तो विनय की बात कर रही हूँ … समझता ही नहीं है ?” उसने मुझे आंखें दिखाई।
“लिफ़्ट की बात ही नहीं है … सच तो यह है कि उसे पता ही नहीं है कि आप उस पर मरती हैं।”
“फिर भी … उसे घर पर लाना तो सही… और हाँ मरी मेरी जूती … !”


“अरे छोड़ ना दीदी, मेरे अच्छे दोस्तों से तुझे चुदवा दूँगा … बस, सालों के ये मोटे मोटे लण्ड हैं !”
“सच भैया?” उसकी आंखें एक बार फिर से चमक उठी।


दीदी के बिस्तर में हम दोनों लेट गये। कुछ ही देर मेरा मन फिर से मचल उठा।
“दीदी, एक बार अपनी चूत का रस मुझे लेने दे।”
“चल फिर उठ और नीचे आ जा !”


दीदी ने अपनी टांगें फ़ैला दी। उसकी भोंसड़ी खुली हुई सामने थी पाव रोटी के समान फ़ूली हुई। उसकी आकर्षक पलकें, काली झांटों से भरा हुआ जंगल … उसके बीचों बीच एक गुलाबी गुफ़ा … मस्तानी सी … रस की खान थी वो …


उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा ली… नजरें जरा और नीचे गई। भूरा सा अन्दर बाहर होता हुआ गाण्ड का कोमल फ़ूल …


एक बार फिर लण्ड की हालत खराब होने लगी। मैंने झुक कर उसकी चूत का अभिवादन किया और धीरे से अपनी जीभ निकाल कर उसमें भरे रस का स्वाद लिया। जीभ लगते ही चूत जैसे सिकुड़ गई। उसका दाना फ़ड़क उठा … जीभ से रगड़ खा कर वो भी मचल उठा। दीदी की हालत वासना से बुरी हो रही थी। चूत देख कर ही लग रहा था कि बस इसे एक मोटे लण्ड की आवश्यकता है। दीदी ने


मेरी बांह पकड़ कर मुझे खींच कर नीचे लेटा लिया और धीरे से मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत खोल कर मेरे मुख से लगा दी। उसकी प्यारी सी झांटों भरी गुलाबी सी चूत देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने उसकी चूत को चाटते हुये उसे खूब प्यार किया। दीदी ने अपनी आंखें मस्ती में बन्द कर ली। तभी वो और मेरे ऊपर आ गई। उसकी गाण्ड का कोमल नरम सा छेद मेरे होंठों के सामने था। मैंने अपनी लपलपाती हुई जीभ से उसकी गाण्ड चाट ली और जीभ को तिकोनी बना कर उसकी गाण्ड में घुसेड़ने लगा।


“तूने तो मुझे मस्त कर दिया भैया … देख तेरा लण्ड कैसा तन्ना रहा है… !”
उसने अपनी गाण्ड हटाते हुये कहा,” भैया मेरी गाण्ड मारेगा ?”


वो धीरे से नीचे मेरी टांगों पर आ गई और पास पड़ी तेल की शीशी में से तेल अपनी गाण्ड में लगा लिया।
“आह … देख कैसा कड़क हो रहा है … जरा ठीक से लण्ड घुसेड़ना… ”


वो अपनी गाण्ड का निशाना बना कर मेरे लण्ड पर धीरे से बैठ गई। सच में वो गजब की चुदाई की एक्सपर्ट थी। उसके शरीर के भार से ही लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया। लण्ड घुसता ही चला गया, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।


लगता था उसकी गाण्ड लड़कों ने खूब बजाई थी … उसकी मुख से मस्ती भरी आवाजें निकलने लगी।
“कितना मजा आ रहा है … ” वो ऊपर से लण्ड पर उछलने लगी …


लण्ड पूरी गहराई तक जा रहा था। उसकी टाईट गाण्ड का लुत्फ़ मुझे बहुत जोर से आ रहा था। मेरे मुख से सिसकियाँ निकल रही थी। वो अभी भी सीधी बैठी हुई गाण्ड मरवा रही थी। अपने चूचों को अपने ही हाथ से दबा दबा कर मस्त हो रही थी। उसने अपनी गाण्ड उठाई और मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और थोड़ा सा पीछे हटते हुये अपनी चूत में लण्ड घुसा लिया। वो अब मेरे पर झुकी हुई थी … उसके बोबे मेरी आंखों के सामने झूलने लगे थे।


मैंने उसके दोनों उरोज अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। वो अब चुदते हुये मेरे ऊपर लेट सी गई और मेरी बाहों को पकड़ते हुये ऊपर उठ गई। अब वो अपनी चूत को मेरे लण्ड पर पटक रही थी। मेरी हालत बहुत ही नाजुक हो रही थी। मैं कभी भी झड़ सकता था। वो बेतहाशा तेजी के साथ मेरे लण्ड को पीट रही थी, बेचारा लण्ड अन्त में चूं बोल ही गया। तभी दीदी भी निस्तेज सी हो गई। उसका रस भी निकल रहा था। दोनों के गुप्तांग जोर लगा लगा कर रस निकालने में लगे थे। दीदी ने मेरे ऊपर ही अपने शरीर को पसार दिया था। उसकी जुल्फ़ें मेरे चेहरे को छुपा चुकी थी। हम दोनों गहरी-गहरी सांसें ले रहे थे।


“मजा आया भैया… ?”
“हां रे ! बहुत मजा आया !”
“तेरा लण्ड वास्तव में मोटा है रे … रात को और मजे करेंगे !”
“दीदी तेरी भोंसड़ी है भी चिकनी और रसदार !” मैं वास्तव में दीदी की सुन्दर चूत का दीवाना हो गया था, शायद इसलिये भी कि चूत मैंने जिन्दगी में पहली बार देखी थी।


पर मेरे दिल में अभी भी कुछ ग्लानि सी थी, शायद अनैतिक कार्य की ग्लानि थी।
“दीदी, देखो ना हमसे कितनी बड़ी भूल हो गई, अपनी ही सगी दीदी को चोद दिया मैंने!”


“अहह्ह्ह्ह … तू तो सच में बावला ही है … भाई बहन का रिश्ता अपनी जगह है और जवानी का रिश्ता अपनी जगह है … जब लण्ड और चूत एक ही कमरे में मौजूद हैं तो संगम होगा कि नहीं, तू ही बता!” उसका शैतानियत से भरा दिमाग जाने मुझे क्या-क्या समझाने में लगा था। मुझे अधिक तो कुछ समझ में आया … आता भी कैसे भला। क्यूंकि अगले ही पल वो मेरा लौड़ा हाथ में लेकर मलने लगी थी … और मैं बेसुध होता जा रहा था।
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