गर्लफ्रेंड और उसकी कामुक भाभी की चुदाई Girlfriend aur uski kamuk bhabhi ki chudai

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दोस्तों ये बात तब की है जब मैं 12वीं में था और मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम निंजा था वो 11वीं में थी। वो दिखने में एकदम मस्त सेक्सी थी। फिर वो मेरी गर्लफ्रेंड बनी पहले साल तो हमने कुछ नहीं किया लेकिन उसके बाद तो ऐसा किया कि अब ना वो रुकती है और ना ही मैं। हम रोज मिल नहीं पाते लेकिन सेक्स चेट ज़रूर करते है मेरी गर्लफ्रेंड की भाभी का नाम रुंकी है वो दिल्ली से है और वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी है.. लंबे लंबे बाल गोरा गोरा चेहरा बड़े बड़े रसीले बूब्स जिनको देखकर तो हर किसी के मुहं में पानी आ जाएगा। हाईट सामान्य 5.8 इंच लेकिन भाभी को सब कुछ पहले से ही पता था मेरे और निंजा के रिश्ते के बारे में। कई बार रुंकी भाभी ही हम लोगो को मिलवाने में हेल्प करती थी। कभी रेस्टोरेंट में या कभी लोंग ड्राईव पर। 

फिर ये सिलसिला कुछ महीनों तक चलता रहा भाभी से तो मेरी भी चेटिंग होती रहती थी। एक दिन भाभी से मैं चेटिंग कर रहा था। तभी मैंने उन्हे ऐसे ही मस्ती में एक नोनवेज मैसेज भेज दिया.. इस पर उनके जवाब में स्माईली बनकर आई। फिर क्या फिर तो मेरी लाटरी निकल गई। मैंने भाभी को कई नोनवेज मैसेज भेजना शुरू कर दिया फिर भाभी का भी वहाँ से बराबर जवाब आने लगा। फिर एक दिन रात को मेरी गर्लफ्रेंड जल्दी सो गई तभी भाभी से चेट चल रही थी तो उस समय उनके पति भी घर पर नहीं थे.. वो बिजनेस के लिए यूरोप गये हुए थे।  फिर उस रात भाभी ने मुझसे पूछा कि तुम जो मैसेज भेजते हो उन सबका मतलब पता है? तभी मैंने कहा कि पता ही नहीं बल्कि अनुभव भी है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर इसमे उन्होंने पूछा कि क्या कभी किसी के साथ सेक्स किया है? तभी मैंने भी कह दिया कि हाँ आपकी ही ननंद के साथ किया है और वो भी नए नए तरीके से और फिर ऐसे करते करते हमारी सेक्स चेट शुरू हो गई। तभी मैंने उनसे कहा कि क्या फिर भैया तो रोज सेक्स करते होंगे आपके साथ? फिर वो हाँ रोज नहीं लेकिन सप्ताह में दो तीन बार जरुर करते है। फिर मैंने उनसे पूछा कि आपको सबसे ज़्यादा मज़ा कब आता है सेक्स के दौरान? तभी उनका कुछ जवाब नहीं आया और फिर मैं भी सोचने लगा कि क्या हो गया इनको अचानक? फिर 15 मिनट के बाद भाभी का कॉल आया पहले तो 5 मिनट नॉर्मल बात हुई फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि निंजा के साथ तुमने क्या क्या किया है? तभी मैंने कहा कि सब कुछ। फिर उन्होंने पूछा कि कैसे? फिर मैंने बताया कि पहले सेक्स चेट से शुरू हुई फिर फोन में ओरल सेक्स फिर रियल में सब कुछ किया।

तभी उन्होंने कहा कि ओरल सेक्स कैसे किया? फिर मैंने कहा कि पहले मैंने चेट सेक्स किया.. फिर उसके बाद हम दोनों बाथरूम चले गए फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए फिर मैंने भी उतार दिए फिर उसके बाद उसने अपने बूब्स को कस कसकर दबाया। फिर उसकी सांसो की आवाज मैं फोन पर सुन रहा था। फिर उसने अपनी चूत के अंदर एक साथ 2 ब्रश डाले और फिर कस कसकर अंदर बाहर करने लगी। फिर मैं भी अपने लंड को ऊपर नीचे कर रहा था और फिर हम दोनों एक दूसरे को अपनी सांसो की आवाज़ सुन रहे थे। तभी भाभी ने कहा कि अच्छा है। फिर मैंने उनसे अपने सवाल का जवाब पूछा तो उन्होंने कहा कि जब मिलोगे तब बता दूँगी। फिर मैं भी समझ गया फिर मैंने पूछा कि आप कब और कहाँ पर मिलेंगी? फिर उन्होंने कहा कि जब सही समय आएगा तब वो खुद ही बता देंगी।

भाभी के घर में मिलना तो बहुत मुश्किल था उनकी जॉइंट फेमिली थी। फिर अगले दिन मेरी मम्मी, पापा दोनों को ही एक शादी में बाहर जाना था। फिर मैंने भाभी को बताया कि कल मेरे घर पर कोई भी नहीं है तभी भाभी तैयार हो गई मिलने के लिए फिर अगले दिन 11 बजे का टाईम फिक्स हुआ था हमारे मिलन का। फिर दोस्तों रात भर तो मुझे भी नींद नहीं आई बस भाभी के सपने देख रहा था। फिर अगले दिन भाभी को मैं अपनी कार में जाकर ले आया और फिर कार को घर के अंदर पार्क कर के भाभी को कार से उतारा और फिर अपने रूम में उनको ले गया। तभी मैंने कुछ ठंडे के लिए पूछा तभी वो बोली ये तो बच्चो के पीने की चीज़ है हमारी प्यास तो किसी और चीज़ से मिटेगी।

फिर मैंने टाईम खराब ना करते हुए भाभी को अपनी बाँहों में ले लिया और फिर बेड पर ले जाकर लेटा दिया और फिर उनके होंठो को चूसने लगा फिर साथ में उनके बूब्स को कस कसकर दबा रहा था। फिर मैंने भाभी के बाल खोल दिए और फिर उन्होंने उनकी साड़ी उतारने को कहा। फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार लिए अब भाभी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा पेंटी में थी। तभी मैंने उनसे कहा कि ये दोनों भी क्यो नहीं उतारे? फिर वो बोली कि अरे ये सभी काम मैं ही करूँगी क्या? बस फिर तो मैं और भी गरम हो गया और फिर भाभी को कसकर बाँहों में पकड़ कर चूमने लगा। 

उनके कान के पीछे, गले में, पूरे चहरे पर अपने हाथों को घुमा रहा था और साथ में दोनों बूब्स को कस कसकर दबा रहा था। तभी धीरे से मैंने भाभी की ब्रा उतार दी और फिर बूब्स चाटने सूंघने लगा दोस्तों क्या बताऊँ क्या खुश्बू थी वो जिसे मैं सूँघ रहा था। तभी मेरा जोश और बड़ गया और फिर मैंने उनके एक बूब्स को अपने मुहं में लिया और कस कसकर चूसने लगा और साथ में अपना एक हाथ उनकी पेंटी के अंदर डालकर उनकी चूत के बालों को सहलाने लगा। तभी भाभी और गरम हो ही चुकी थी और वो मेरे सर को कसकर पकड़ कर अपने बूब्स की तरफ धक्का देने लगी। फिर मैंने उनके गुलाबी गुलाबी निप्पल को जोर जोर से चूसा और काटा भी उनके मुहं से सिसकियां निकल रही थी और वो कह रही थी और ज़ोर से और ज़ोर से पूरे जोश से चूसो दबाओ और जोर से। फिर मैं उनके निप्पल के पास वाले एरिया में अपनी जीभ को घुमाने लगा।

ऐसा करने से वो और भी ज़्यादा गरम हो गई और फिर अपने वो दूसरे बूब्स को खुद ही कस कसकर दबाने लगी और फिर मैंने उनके दूसरे बूब्स को भी ऐसे ही प्यार किया। फिर दोनों बूब्स को जोर से दबाने लगा बड़े बड़े गुलाबी निप्पल को एक साथ काट रहा था। फिर मैंने जल्दी से उनकी पेंटी को अपने मुहं से उतार दिया और फिर उनकी चूत के बालों को सहलाने लगा और फिर चूत के आस पास अपने हाथ को फैर रहा था। फिर उनकी चूत के पास से मदहोश करने वाली खुश्बू आ रही थी। तभी मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और फिर मैंने उनकी चूत को किस करना शुरू कर दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं अपनी जीभ को चूत के अंदर बाहर कर रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। फिर उन्होंने मेरे सर को अपने दोनों हाथो से कसकर पकड़ रखा था.. फिर उनके मुहं से सिसकियां निकल रही थी आअहह। फिर करीब 10 मिनट तक मैंने उनकी चूत को बहुत अच्छी तरह से चाटा और फिर सारा रस पी गया। तभी भाभी एकदम जन्नत की सैर कर रही थी। वो बोली कि आज तक उनके पति ने भी कभी चूत पर जीभ भी नहीं लगाई।

अब उनकी बारी थी बिना मेरे कुछ कहे उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा जो कि पहले से ही बहुत बड़ा टाईट था उसे पकड़ कर बोली कि आज तो वो इसे खा जाएँगी। तभी मैंने कहा कि हाँ जान खा जाओ इंतज़ार किस चीज़ का कर रही हो? फिर दोस्तों करीब उन्होंने 10 मिनट तक ऐसे लंड को चूसा कि मुझे तो मज़ा ही आ गया। फिर मैं बस खाली उनको बालों से पकड़े हुए था और लंड को उनके मुहं में जोर जोर से धक्के दिये जा रहा था और वो पूरा पूरा लंड अपने मुहं में आखरी तक ले रही थी। फिर मेरे ज्यादा जोर से लंड को धक्का देने पर उसकी आँखों से आंसू तक बहने लगे लेकिन उन सब की परवाह किये बिना वो लंड को मुहं में लेकर चुदाई का पूरा पूरा मजा ले रही थी।

फिर करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद में भाभी के मुहं में ही झड़ गया और वो इस चुदाई से खुश होकर बिलकुल निढाल होकर पड़ी थी और फिर उन्होंने मेरा सारा वीर्य पी लिया और वो लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से चाट रही थी और फिर उन्होंने पूरा का पूरा लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। तभी फिर से मेरे लंड में एक करंट सा दौड़ने लगा और वो फिर से चोदने के लिये तैयार होने लगा। फिर क्या था हम दोनों से ही कंट्रोल नहीं हो रहा था फिर मैं उनके ऊपर लेट गया और फिर मैंने उनके दोनों पैरो को फैलाकर उनकी चूत को चौड़ा किया और फिर लंड को चूत के मुहं पर रखकर सेट किया और फिर उनकी चूत में अपना लंड एक ही जोर के धक्के के साथ डाल दिया। तभी वो चिल्ला उठी और सिसकियाँ भरने लगी अह्ह्ह मैं मरी प्लीज थोड़ा धीरे कहने लगी कि आराम आराम से डालो चिल्लाने लगी लेकिन उसकी चूत के पहले से ही गीली होने की वजह से लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था।

फिर मैं अब रुकने वाला नहीं था मैंने उसे कमर से पकड़ कर जोर जोर से झटके मारे और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। फिर पहले एक मिनट तक तो मैंने धीरे धीरे स्ट्रोक लिए और फिर कस कसकर जोर से धक्के देने लगा और फिर भाभी भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी वो मेरे हर एक धक्के पर अपनी गांड उठाकर मेरे लंड का स्वागत करने लगी और फिर मैंने थोड़ी देर बाद उनके बूब्स दबाने शुरू किये वो बड़ी मस्त होकर चुदाई का मजा ले रही थी और कह रही थी कि चोदो और जोर से जाने दो पूरा पूरा चूत की गहराइयों में। फिर मैंने उनके बूब्स पर भी अपनी पकड़ जोर से बना ली और जोर जोर से बूब्स भी दबाने लगी उनकी इस ताबड़तोड़ चुदाई ने उनकी आँखों से पानी ला दिया और उनके चहरे का रगं लाल कर दिया उन्हें मजे के साथ साथ दर्द भी बहुत था लेकिन वो मजे के सामने दर्द को भुला कर चुदाई में अपने आप को व्यस्त करने लगी।

फिर कुछ देर बाद मैं झड़ने लगा और मैंने उनकी चूत में ही अपना पूरा वीर्य डाल दिया लेकिन तभी भाभी ने एक झटके से लंड को चूत से बाहर निकाल दिया और लंड दोनों हाथों से पकड़ कर मुहं में डाल लिया और जोर जोर से चूसने लगी उसको चूसता देख मुझे लगा कि जैसे वो जन्मो से लंड की भूखी हो। फिर मैंने भी मौका देखकर उनकी गांड में ऊँगली डाल दी और ऊँगली को उनकी गांड में आगे पीछे करने लगा। तभी भाभी फिर से गरम होने लगी और उनकी चूत और गांड का बदला मेरे लंड से लेने लगी। तभी भाभी ने चूसने की स्पीड बड़ा दी और चूस चूसकर पूरा लंड साफ कर दिया और फिर करीब दस मिनट चूसने के बाद उन्होंने लंड को फिर से चोदने के लिये तैयार कर दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मैंने उन्हें फिर से चोदने के लिये घोड़ी बना दिया और उनकी गांड पर थोड़ा थूक लगाया और थोड़ा लंड पर और गांड पर लंड सेट करके चोदने लगा। फिर करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने उनकी गांड में पूरा वीर्य डाल दिया। फिर उस दिन मैंने तीन बार उनके साथ सेक्स किया। मेरा अनुभव बहुत अच्छा होने की वजह से बहुत देर तक हम लोग सेक्स करते रहे.. हर बार मैंने उनके साथ एक नये तरीके चुदाई की। फिर जब आखरी टाईम मैंने उनकी चूत मारी तो वो चुदाई ना भूलने वाली थी। मैंने भाभी की दोनों पैरो को अपने कंधे पर रखकर उनकी चूत को करीब बीस मिनट तक चोदा और फिर उनके बूब्स पर पूरा वीर्य गिरा दिया। फिर इसके बाद मुझे जब भी मौका मिलता है तो मैं और भाभी बहुत मस्ती करते है फोन पर भी और बेड पर भी। मैंने एक बार तो उनको उनकी ननद के साथ में भी चोदा लेकिन आज कल तो भाभी प्रेग्नेंट चल रही है तो भाभी से तो खाली सेक्स चेट ही होती है लेकिन ननद की तो हर कभी चुदाई होती है ।

दूर के रिश्ते में भाभी की चुदाई उसके घर Dur ke rishte me bhabhi ki chudai uske ghar

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मेरी एक दूर के रिश्ते में भाभी है उनकी उम्र करीब 28 साल के करीब होगी और उनके फिगर का साईंज मुझे पूरा पता नहीं है बूब्स बड़े और भरे हैं, कमर हेल्थी है और पेट पर सल पड़ते हैं, रंग एकदम गोरा है। ये कहानी उस समय की है जब में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ता था। मेरे गाँव के एक ताऊ जी अपनी फेमिली के साथ मेरे कॉलेज के पास वाली एक कोलोनी में रहते हैं। मैं स्कूल टाईम से ही उनकी फेमिली से बहुत करीब हूँ और मेरी उनसे बहुत अच्छी तरह बातचीत होती हैं। हमारे ताऊ जी की फेमिली में उनके दो बेटे और एक बड़े बेटे की बहू यहाँ पर रहती है और बाकी लोग गावं में रहते हैं।
 
मेरे ताऊ जी के दोनों बेटे यानी मेरे भाई नौकरी करते हैं और ताऊ जी की भी गावं में एक अच्छी नौकरी है। बड़े भैया की शादी को 6 साल हो गये हैं और उनके दो बच्चे है वो एक स्कूल में प्री-नर्सरी और नर्सरी क्लास में पढ़ते है और भाभी सारे दिन घर में ही रहती हैं और घर के सभी काम ख़त्म करके टीवी पर मजे करती हैं। मैं शुरू से ही ज़रा सेक्स के प्रति ज्यादा रूचि लेता रहा हूँ.. तो मैं भाभी की शादी के टाईम से ही उनका एक अच्छा दोस्त बनने की कोशिश करता रहता था और इसी तरह एक दिन हमारी दोस्ती भी हो गयी थी। वो मेरे साथ बहुत मजाक भी किया करती थी.. लेकिन उन्होंने शायद मेरे साथ सेक्स करने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

अभी तो मैं कॉलेज में हूँ लेकिन जब मैं स्कूल में था तब एक बार मैं भैया के साथ उनके घर चला गया। मेरी स्कूल में दो दिन की छुट्टियाँ थी तो सोचा थोड़ा मूड चेंज हो जाएगा। भैया और बाकी सभी लोग ऑफीस चले गये और मैं भाभी के साथ घर में वही नॉर्मल काम काज में लगा था। मुझे भाभी के साथ बातें करना, उन्हें हंसते हुए देखना और उन्हें छूना करना बहुत पसंद है। वो भी मुझे अपने हाथों से खाना खिलाती, मेरे गले में बाहें डालती और हँसी मज़ाक करती और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत मजे करते थे। फिर दोपहर में लंच करने के बाद भाभी सोने चली गयीं और मुझसे कहा कि जब सोना हो तो मेरे पास आ जाना। मैं उस वक्त एक स्कूल बॉय ही था और थोड़ी देर टाईम पास करने के बाद मैं भाभी के साथ ही लेट गया, सर्दी का मौसम था और भाभी कंबल में थी.. तो मैं भी उसी में घुस गया।

भाभी गहरी नींद में थी लेकिन मुझे तो नींद नहीं आनी थी तो में यूँ ही लेटा रहा। तभी थोड़ी देर बाद जब शरीर गरम होने लगा तो मेरी नियत खराब होने लगी.. लेकिन मैं सेक्स के बारे में ज़्यादा नहीं जानता था। मुझे सिर्फ किस्सिंग और टचिंग का पता था और असली काम नहीं पता था.. लेकिन लंड का खड़ा होना और सेक्सी विचारों का आना मेरे साथ उस उम्र में बहुत स्वभाविक था जैसा हर किसी के साथ होता है। तभी मेरे दिमाग़ में भाभी को छूने का ख्याल आया तो मैंने धीरे से अपना हाथ पहले उनके लाल होठों पर लगाया वो सीधी होकर लेटी हुई थी और हमारा बेड भी एक ही था तो बीच में ज्यादा जगह होने का सवाल ही नहीं उठता। फिर भाभी ने नींद में ही मुझे अपनी बाहों के घेरे में भर लिया और अब मैं उनसे बिल्कुल चिपका हुआ था। 

दोस्तों सही में तो कहूँ तो वो बहुत सेक्सी थी उनको देखकर अच्छे अच्छे के लंड खड़े हो जाए। मेरा लंड खड़ा था और मैं उसे उनके शरीर पर रगड़ रहा था। फिर धीरे से मैं अपना हाथ उनके पेट पर घुमाता रहा उन्हें कुछ पता नहीं था कि क्या हो रहा है और फिर मैंने हाथ और ज्यादा अंदर घुसाया और उनके पेटीकोट के नाडे के नीचे से होते हुए हाथ उनकी झांटो के एरिया में घूमता रहा और उनकी सांसो की महक भी ले रहा था और सावधानी भी बरत रहा था.. जिससे कि वो एकदम से जाग ना जायें। फिर मैंने बहुत देर तक इसी मुद्रा को कायम रखा.. लेकिन इसके आगे कुछ नहीं हुआ और फिर मैं भी सो गया और शाम को भाभी के साथ ही जागा।

तभी शाम को हम सभी ने साथ में चाय पी और भैया भी आ गये और फिर कभी कभी मैं छुपकर उनकी आपसी छेड़छाड़ भी देखता था और फिर ऐसे ही टाईम खत्म होता गया। फिर पढ़ाई की वजह से मैं उनके साथ ज़्यादा वक़्त नहीं बिता सका.. लेकिन अब स्कूल ख़त्म करने के बाद मैं कॉलेज में हूँ और किस्मत से मेरा कॉलेज उनके घर के पास ही है। अब मैं अक्सर उनके घर जाता हूँ कभी कभी तो कॉलेज न जाकर में केवल भाभी से मिलने के लिए उनके घर जाता हूँ और ऐसा करते वक़्त मैं इस बात का ज्यादा ख़याल भी रखता हूँ कि में उनके घर तब जाऊँ कि जब सब लोग ऑफिस जा चुके हो। इसलिए मैं अक्सर 10 बजे के बाद ही उनके घर जाता था और दिन भर वहाँ रहकर शाम को अपने घर लौट जाता वैसे भी कॉलेज पास होने की वजह से भैया कहते थे कि घर आ जाया करो लंच वगेरह और कभी आकर आराम कर लिया करो। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर एक दिन मैं भाभी के घर गया और भाभी ने बड़े खुश होकर मेरा वेलकम किया और कहने लगी कि क्या बात है आज बहुत दिनों के बाद भाभी की याद आई? आओ आओ अंदर आओ बैठो कैसे हो। तभी मैंने भी अच्छे से उनका जवाब दिया और फिर वो चाय बनाने के लिए उठी तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर उनसे मना किया लेकिन वो नहीं मानी फिर हमने चाय पी उन्होंने शिफान की साड़ी पहनी थी और उसी के रंग का ब्लाउज बूब्स बड़े होने के कारण ब्लाउज नीचे की तरफ झुक रहा था और बाल खुले हुए थे। शायद मेरे आने से पहले वो बालों में कंघी कर रही थी। फिर उन्हें देखते देखते चाय कब ख़त्म हो गयी पता ही नहीं चला। चाय पीते हुए एक बूँद उनके निचले होंठ पर लग गयी जिसे देखकर मन कर रहा था कि मैं उसे अपने होठों और जीभ से साफ कर दूँ लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था। इतने में भाभी ने स्वयं ही होठों पर जीभ फेरते हुए उसे साफ कर दिया उनके गुलाबी होंठ बहुत सुंदर हैं।

फिर हम दोनों टीवी देखने लगे कोई एक पुरानी फिल्म आ रही थी मैं बेड पर लेटा हुआ था और भाभी नीचे जमीन पर लेटी हुई थी और मैं फिल्म कम और भाभी को ज़्यादा देख रहा था। उनका गोरा और मोटा पेट देखकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया था। तभी इतने में फिल्म में सुहागरात का सीन आ गया.. पुरुष ने महिला की गर्दन पर किस किया फिर उसके होंठो पर अपने होंठ रगड़ने लगा। ये देखते हुए हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और में थोड़ा शरमाने का नाटक करने लगा.. भाभी फिर टीवी देखने लगी। मेरा दिल कर रहा था कि अभी बेड से नीचे उतरकर भाभी के पास लेट जाऊं और उन पर चढ़ जाऊं.. लेकिन ख़ैर जैसे तैसे शाम हुई और सभी लोग ऑफिस से घर आ गये। फिर मैंने अपने घर फोन कर दिया कि मुझे आज भैया के घर पर ही रुकना है और मैंने भैया से बात भी करवा दी। फिर रात को मैंने भैया की लूँगी पहनी और शर्ट पहनकर सारे घर में घूमता रहा और उनके साथ वक़्त बिताया। 

रात को बहुत देर तक हम सब बातें करते रहे और टीवी पर कार्यक्रम देखते रहे.. भाभी मुझसे भैया के सामने ही मजाक़ करती लेकिन मैं कोई जवाब नहीं देता और एक अच्छे बच्चे की तरह बरताव करता। सुबह फिर सब लोग अपने अपने काम में लग गये। फिर सबके जाने के बाद मैंने देखा कि भाभी अपनी छत के पंखे को साफ कर रही हैं तो मैंने पास जाकर उनकी मदद करने को कहा.. पहले तो वो मना करने लगी फिर मैंने ही उनको कमर से पकड़ कर साईड में किया और पंखा साफ कर दिया। उस वक्त मैं लूँगी में ही था। तभी उन्होंने कहा कि उन्हें मेरा लूँगी पहनने का तरीका बहुत अच्छा लगा। तभी मेरी आँख में कुछ गिर गया तो मैं वहीं बेड पर बैठ गया और भाभी ने जल्दी से अपनी साड़ी के पल्लू से मेरी आँख साफ की।

भाभी कहने लगी कि मैं मना कर रही थी.. तुम माने ही नहीं। तभी मैंने कहा कि चिंता मत करो.. मैं बिल्कुल ठीक हूँ। फिर मैं नहाने चला गया और जब नहाकर बाहर आया तो मैंने भाभी से कहा कि मेरे अंडर गारमेंट्स मैंने धो दिए हैं भैया की कोई रखी हो तो दे दो। फिर वो थोड़ी देर बाद आई और जानबूझ कर मुझे अपनी एक सफेद कलर की ब्रा देकर मुझे चिढ़ाती हुई चली गयी, मैंने भी हंसते हुए वो ब्रा रख ली और फिर मैं अपने कपड़े पहनकर तैयार हो गया लेकिन वो ब्रा मैंने अपने पास रख ली और भाभी को वापस नहीं दी। उस दिन शाम को जब मैं घर जाने लगा तो उन्होंने मुझे बहुत रोका.. लेकिन मैं नहीं रुक सकता था। तभी वो थोड़ी नाराज़ हुई.. लेकिन मेरा वहाँ पर रुकने का कोई रास्ता नहीं था और मैं निकल ही रहा था कि उन्होंने मुझे अपने रूम के गेट पर रोका और बोली कि मैं तुम्हे तब जाने दूँगी जब तुम मुझे एक किस करोगे? तभी में सन्न रह गया और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये भाभी क्या कह गयीं? 

तभी भाभी कहने लगी कि शरमाओ मत मुझे चुम्मा दे दो और फिर चले जाना। अब अंधे को जैसे आँखें मिल गयी हो मैं बड़ा खुश हुआ और समझ गया कि जैसे मैं भाभी को पाना चाहता हूँ वैसे ही भाभी भी मुझे चाहती है। उनकी दोनों बेटियाँ उसी रूम में थी.. इसलिए मैंने भाभी के गले में बाहें डालकर कहा कि भाभी यहाँ पर नहीं.. चलो दूसरे रूम में चलते हैं। फिर मैंने वहाँ पर जाकर पहले उनके गालों पर बहुत चूमा, चाटा और पप्पियाँ ली। फिर मैंने होठों को बहुत रगड़ा जमकर जीभ से चटाई की उनकी गर्दन और कानों को चूमा.. फिर उनकी कमर में हाथ डालकर उन्हें सीने से चिपका लिया और आखिर में उनकी छाती को किस किया।

अब हम दोनों का चेहरा लाल हो रहा था हम इसके आगे नहीं बढ़ सके क्योंकि मुझे जाना भी था और फिर सबके घर पर आने का टाईम भी होने वाला था। तभी वो मेरे साथ गेट तक आईं और मैं उनसे गले मिला फिर उनके कूल्हों को सहलाकर वहाँ से बाहर चला गया। फिर घर पहुँचते पहुँचते मेरी हालत खराब हो गयी थी। मैं रास्ते भर भाभी के बारे में ही सोचता रहा और जब घर पहुँचा तो मेरा लंड तना हुआ था और इस तरह अकड़ गया था कि पेशाब करना भी मुश्किल हो गया था और मैंने भाभी को अपने सामने महसूस करते हुए मुट्ठी मारी तब कहीं जाकर लंड कुछ शांत हुआ लेकिन लंड के नीचे आंड में बहुत दर्द अभी भी था.. ऐसा लग रहा था कि जैसे सारा वीर्य यहीं पर जमा हो गया है। 

अब तो मेरा सारा ध्यान उन्हीं में लगा रहता था। मैं घर से कॉलेज निकलता और फिर कुछ समय कॉलेज में रहने के बाद भाभी के घर पहुँच जाता। एक दिन मैं भाभी के घर पहुँचा दरवाजे पर लगी घंटी बजाई तो कोई जवाब नहीं मिला.. थोड़ी देर बाद भाभी की आवाज़ आई (उन्होंने मुझे दरवाजे के होल से देखा) और कहा कि मैं नहा रही हूँ लेकिन मैं कुण्डी खोल रही हूँ तुम दो मिनट बाद अंदर आ जाना तब तक मैं बाथरूम में वापस चली जाऊंगी। तभी मैंने कहा कि ठीक है और मैंने वैसा ही किया फिर अंदर घुसते ही दरवाज़ा बंद करके कुण्डी लगा दी और कमरे में बैठ गया। तभी थोड़ी देर बाद भाभी नहाकर बाहर आई.. उन्होंने ब्लाउज और पेटिकोट पहना हुआ था और उनके बालों से पानी टपक रहा था जो ब्लाउज को गीला कर रहा था और उनकी ब्रा के दर्शन भी करवा रहा था।

मैं तो घर से ही लंड खड़ा करके आया था और ये सब देखकर मेरे लंड महाराज और भी कड़क हो गये। फिर मैंने झट से उनको बाहों में भर लिया और गालों को थोड़ी देर चूमने के बाद मैं उनका पेट को चाटने और चूमने लगा वो मेरे बालों में उंगलियाँ घूमाती हुई बोली कि इसमे क्या रखा है ऊपर आओ ना और तेज़ी से मुझे अपने होठों से लगा लिया उम्म्म ऊऊ ऐसी आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था। मैं तो इतना गरम हो गया कि समझ में ही नहीं आ रहा था कि कहाँ से शुरू करूँ और कैसे करूँ? तभी भाभी मेरा उतावलापन समझ रही थी। फिर उन्होंने मुझे रोका और कहा कि अभी तो सारा दिन है हमारे पास आराम से करेंगे.. अब मैं तुम्हारी ही हूँ। फिर मुझे अलग करके उन्होंने अपनी साड़ी जो टेबल पर रखी थी वो पहनने लगी थोड़ी ही पहनी होगी की मैंने उन्हें रोका।

और कहा : भाभी तुम्हारे गीले बालों से तुम्हारा ब्लाउज और ब्रा गीले हो गये हैं इन्हें चेंज कर लो।
भाभी : मेरी एक ब्रा धुल गयी और दूसरी ये भीग गयी अब तीसरी कहाँ से लाऊँ।
मैं : मैं ला सकता हूँ तीसरी ब्रा।
भाभी : वो कैसे?

तभी मैंने अपनी जेब में रखी हुई उनकी वही ब्रा निकाली जो उन्होंने मुझे मजाक़ में दी थी.. भाभी हंस पड़ी और मुझे सीने से लगा लिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं : अब मैं आपकी ये भीगी हुई ब्रा उतारूंगा और ये पहनाऊँगा जो मैं लाया हूँ।
भाभी : नहीं मैं खुद चेंज कर लूँगी.. तुम क्यों परेशान होते हो?
मैं : भाभी इस परेशानी के लिए ही तो मैं कब से तैयार हूँ.. इतना कहकर मैंने भाभी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और भाभी की बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाने और चूसने लगा। फिर मैंने उन्हें खुद से चिपका लिया और उनकी पीठ पर हाथ ले जाते हुए भाभी की ब्रा को खोल दिया और भाभी की दोनों बूब्स अब बाहर आ गये थे। वो मेरे सामने तनकर खड़े थे। फिर मैंने उन्हें बारी बारी से मुँह में भरकर बहुत चूसा.. मेरी उंगलियों और हाथों के निशान उन पर बन गये थे। भाभी के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी और कह रही थी वाह तुम मेरे कितने अच्छे देवर हो उई माँ रे। अब मैंने उनके पेट को चूमते हुए पेटिकोट को ऊपर उठाया और भाभी को वहीं बेड पर लेटा दिया.. उनकी जांघें मोटी और भरी हुई थी.. रंग गोरा था और हाथ फैरने पर उन्हें करंट सा लग जाता था।

फिर जब मैं उनकी जांघों को सहलाते हुए इनकी चूत में उंगली डालता तो ऐसा लगता कि उनकी चूत के अंदर पानी उबल रहा हो। मैं उत्तेजित हुआ जा रहा था और अपने कपड़े उतारकर फेंक चुका था। फिर मैं भाभी की चूत में ऊँगली कर रहा था और भाभी मेरे लंड को हाथ में लेकर चमड़ी को आगे पीछे कर रही थी। फिर थोड़ी देर बाद भाभी सीधी होकर मेरे लंड को चूसने लगी।

मैं : ओह भाभी उफ़फ्फ़ ओह क्या नशा है भाभी उम्म्म और मैं भाभी के बालों में उंगलियाँ डालकर सहला रहा था और उनके शरीर को भी छेड़ रहा था।
भाभी : अब तुम तैयार हो जाओ और मुझे आसमान की सैर करवाओ.. मैं भी तो देखूं इस लंड में कितनी जान है ओह अह्ह्ह। तभी मैंने भाभी से कहा कि मैं पहले नीचे लेटता हूँ तुम ऊपर से सवारी करो। तभी भाभी ने वैसा ही किया उनकी चूत पहले से ही खुली हुई थी.. मैंने लंड को सीधा किया और भाभी को उस पर बैठा लिया उनकी चूत बिना किसी परेशानी के एक बार में ही मेरा पूरा लंड निगल गयी और मुझे पता भी नहीं चला कि कब मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में डूब चूका था।

भाभी : ओहं अह्ह्ह्ह मर गयी मजा आ गया है देवर जी बड़ी गुदगुदी हो रही है देवर जी और तेज़ करो और तेज़। 

तभी मैं नीचे से और तेज़ी के साथ धक्के मारने लगा और वो ऊपर से अपना संतुलन बनाकर पूरा पूरा लंड चूत के आखरी छोर तक ले जा रही थी और मैं उनकी कमर पकड़ कर उन्हें सहारा दे रहा था.. जिससे वो बड़ी आसानी से लंड को चूत से बिना बाहर निकाले अंदर बाहर कर रही थी और पूरे कमरे में आवाज़ें गूँज रही थी.. फूच स्लूप उम्म्म। तभी थोड़ी देर बाद हमने पोज़िशन बदली। अब भाभी नीचे और मैं उनके ऊपर था। मैंने अपना तना हुआ लंड उनकी चूत से निकाला और एक हाथ से गीला लंड पकड़ा और सीधे उनकी चूत के मुँह पर निशाना लगा दिया और एक ही झटके में पूरा लंड चूत के अंदर चला गया।

अब भाभी सातवें आसमान पर थी और मुझे भी इतना मज़ा आ रहा था कि समझ ही नहीं आ रहा था कि कहाँ कहाँ पर गुदगुदी हो रही है बहुत देर तक हम उसी पोज़िशन में अंदर बाहर करते रहे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

भाभी : ऐ मेरे छोटे से देवर तुम कितने बड़े हो गये हो.. मुझे पता नहीं चला ओह्ह्हहू तुम मेरे राजा हो ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह कहते कहते भाभी का शरीर अकड़ गया और कमान बनकर छूट गया और वो झड़ गई। तभी मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और थोड़ी देर में ही सारा वीर्य भाभी की चूत में ही छोड़ दिया। हम दोनों इस चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थे और भाभी मुझे बहुत देर तक चूम रही थी और फिर मैं भाभी की बूब्स का चूस चूसकर मजा ले रहा था। फिर हमारा ये प्यार बहुत दिनों तक चलता रहा और मैं भाभी की चुदाई करता रहा।

शादीशुदा औरत की चुदाई - चोदने का मज़ा Shadishuda aurat ki chudai - chodne ka majaa

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आज से एक महीने पहले की बात है। क्योंकि मैं एक सेल्समन हूँ तो मुझे अक्सर लोगो के घर जाना पड़ता है.. तो मैं हर रोज कई लोगो के घर पर जाया करता हूँ। जमशेदपुर क्योंकि बहुत छोटा शहर है इसलिए मैं कुछ ग्राहकों के घर ज़्यादा जाता हूँ.. उन्ही में एक मेरे ग्राहक है मिस्टर दिपासू जी.. उनकी उम्र 40 साल है और जिनके घर मैं अक्सर जाता हूँ.. उनकी वाईफ निकषा.. उनकी उम्र 36 साल है। जो कि बहुत मस्त सेक्सी हैं और उनके 3 बच्चे है। उनका बड़ा बेटा 16 साल का है और छोटा बेटा 14 का है और सबसे छोटा बेटा 10 साल का है लेकिन उनको गौर देखने पर वो 25 साल की दिखती है.. लेकिन उनकी गांड तो बहुत ही मस्त है और जब वो चलती है तो देखते ही अच्छो अच्छो का लंड खड़ा हो जाता है।

एक दिन दिपासू जी की विदेश में नौकरी लग गई तो उन्होंने दुबई जाने का फ़ैसला किया और वो दो चार दिन बाद दुबई चले गये। फिर एक दिन मैं उनके घर पर गया तो मैंने पूछा कि भाभी जी दिपासू जी कहाँ पर गये है? तो निकषा भाभी ने मुहं बनाकर कहा कि दिपासू जी दुबई चले गये है। तभी मैंने पूछा कि क्यों आप नहीं गये? तो निकषा भाभी ने कहा कि नहीं यह मुमकिन नहीं था। फिर निकषा भाभी ने कहा कि रूको मैं चाय बनाकर लाती हूँ और वो चाय बनाने चली गई और मैं तो उनको देखकर दंग ही रह गया वो काले कलर की नाईटी पहने हुई थी और उनकी गांड के बीच का छेद बिल्कुल साफ साफ दिख रहा था और मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था.. लेकिन मैंने खुद को काबू में किया और थोड़ी देर बाद निकषा भाभी ने चाय लाकर मुझे पकड़ा दी और मेरे काम के बारे में पूछने लगी। फिर मैंने कहा कि काम ठीक ठाक चल रहा है। फिर निकषा भाभी ने कहा कि मुझे तुम से एक जरूरी काम था। तभी मैंने कहा कि बताइए भाभी। तो भाभी ने कहा कि उनके बड़े बेटे का 12वीं में दाखिला करवाना है। तो मैंने कहा कि ठीक है.. आप कहो तो मैं चला जाऊंगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी दूसरे दिन उन्होंने मुझे फोन किया और बुलाया। उस दिन निकषा भाभी मस्त लग रहा थी.. वो लाल कलर की साड़ी पहने हुई थी और फिर उनको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने सोचा कि निकषा भाभी को मैं ज़रूर चोदूंगा। मैं अपनी बाईक पर था और वो और उनका बेटा नीतू ऑटो से आए थे.. मैं बाईक पर अपना बेग लेकर आया था। फिर मैंने कहा कि आप लोग मेरी बाईक पर बैठकर चलो तो वो लोग बैठ गए और मैंने कहा कि जो पीछे बैठेगा वो मेरे बेग को पकड़ेगा। फिर निकषा भाभी मेरे पीछे बैठ गई और नीतू लास्ट में बैठ गया। तभी निकषा भाभी का टच जैसे ही मेरे जिस्म में हुआ तो मुझे करंट सा लगने लगा और प्यासा लंड जल्दी से खड़ा हो गया और उनकी चूचियाँ बार बार मेरे शरीर पर लग रही थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैं जानबूझ कर ब्रेक लगा रहा था। भाभी भी मुस्कुरा रही थी और मैं मज़ा ले रहा था। फिर हम लोगो ने वहाँ पर पहुंच कर नीतू का दाखिला करवाया और मैं वहीं से अपने ऑफिस चला गया।

फिर दूसरे दिन सुबह निकषा भाभी ने मुझे कॉल किया और कहा कि कुछ काम है और मैं बहुत खुश था कि मुझे फिर से भाभी को देखने का मौका मिलेगा और फिर मैंने उनके घर पर जाते ही डोर बेल बजाई तो दरवाजा निकषा भाभी ने खोला.. लेकिन अक्सर उनके नौकर दरवाजा खोलते थे। तभी मैंने कहा कि क्या नौकर नहीं है? तो वो बोली कि आज दोनों नौकर छुट्टी पर है और यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और मैंने पूछा कि भाभी बच्चे कहाँ पर है? तो उन्होंने कहा कि वो स्कूल गये है। तो मैंने दिल में सोचा कि आज बहुत अच्छा मौका है। फिर भाभी ने कहा कि रानू आप बैठो मैं आप के लिए चाय बनाकर लाती हूँ और वो किचन की और चली गई। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

तभी मैंने हिम्मत की और मैं अपनी कुर्सी से उठकर किचन की और बढ़ा और मैंने देखा कि निकषा भाभी चाय बना रही है और उनकी गांड उनके शरीर के साथ साथ मटक रही थी.. लेकिन अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। फिर मैंने नतीजे की परवाह ना करते हुए अचानक से निकषा भाभी को पीछे से पकड़ लिया और भाभी चोंक गई और भाभी कहने लगी कि रानू यह क्या कर रहे हो? और छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने उनको पकड़कर उनके मुहं पर जोर जोर से किस करने लगा और होंठो को चूसने लगा और वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. लेकिन थोड़ी देर बाद निकषा भाभी लिप किसिंग में मेरा साथ देने लगी और वो भी किस करने लगी। ऐसा लग रहा था कि वो भी प्यासी थी और फिर मैं उनकी गर्दन पर और उनकी चूचियों को जोर जोर से दबाने लगा वो आह अह्ह्ह उफ्फ्फ करने लगी और वो सिसकियाँ लेने लगी। तभी मैंने निकषा भाभी की नाईटी उतार दी.. अब निकषा मेरे सामने काले कलर की ब्रा और पेंटी में थी। 

फिर मैं निकषा भाभी की ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को दबाने लगा.. उनकी चूची का साईंज 34 होगा.. वो क्या मस्त लग रही थी। मैंने झट से उनकी ब्रा को खोलकर चूची का निप्पल मुहं में ले लिया और चूसने लगा। वह मज़ा ले रही थी अयाहह उफ्फ्फ अहह करने लगी और मैंने मौका देखकर झट से उनकी पेंटी को भी उतार दिया। उनकी चूत बहुत गुलाबी थी और बिल्कुल साफ थी यह देखकर मेरे मुहं में पानी आ गया और मैं चूत की तरफ मुहं ले जाकर उसे चाटने लगा निकषा की चूत बहुत स्वादिष्ट और नमकीन थी और अब निकषा भी गरम हो चुकी थी और हम 69 पोज़िशन में आ गये थे और वो मेरा लंड अपने मुहं में और मैं उसकी चूत अपने मुहं में लेकर चाटने लगा। वो भूखी कुतिया की तरह मेरा लंड चूस रही थी। तभी थोड़ी देर बाद मैंने अपने लंड का पानी उसके मुहं में डाल दिया और उसने सारा पानी पी लिया और वो इस बीच दो बार झड़ चुकी थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर वो बार बार बोल रही थी कि रानू मुझे चोद डाल मेरी चूत बहुत प्यासी है आज तू मेरी चूत को चोद डाल.. अपने मोटे और बड़े लंड से मेरी चूत का भोसड़ा बना दे। तभी थोड़ी देर बाद मेरा 8 इंच लंबा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने उनके दोनों पैरो को फैलाकर उसकी चूत में अपने लंड को रखा और एक जोर का धक्का दिया तो निकषा चीख पड़ी.. मर गई रे और बोली कि रानू थोड़ा धीरे से करो अह्ह्ह। फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का और दिया तो मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। निकषा अपनी गांड हिला हिलाकर मेरे लंड का आनंद ले रही थी और मैं जोर जोर से अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किए जा रहा था। फिर मैंने लगभग 15 मिनट तक लगातार उनकी चुदाई की और उसके बाद अपना पूरा वीर्य उनकी चूत के अंदर डाल दिया और फिर धीरे धीरे धक्के देने लगा और जब मेरा पूरा जोश खत्म हो गया तो मैं निकषा के ऊपर ही थक कर पड़ा रहा। फिर थोड़ी देर बाद मैं उठा और हम दोनों नंगे ही बाथरूम में गए और साथ में ही नहाए। मैं अपने आप को साफ करके वहाँ से बाहर आ गया और कपड़े पहनकर अपने घर पर चला गया और अब मैं अक्सर उनकी चुदाई करता रहता हूँ।

देवर जी और मैं उस दिन से तडप रहे है Devar aur main us din se tadap rahe hai

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मेरा नाम अंजलि है और मेरी उम्र 30 साल की है। मैं एक सामान्य फिगर की औरत हूँ.. मेरे 2 बच्चे हैं मेरी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं लेकिन.. इतनी मस्त तो ज़रूर है कि मेरे देवर उन्हें मसल कर खुश हो जाते हैं और हमेशा उन्हें मसलने, चूसने, दबाने की कोशिश में रहते है। मेरे देवर की उम्र 31 साल है और वो गावं में रहता है.. वो जब भी आता है तो बस मेरे साथ मजे मस्ती करता रहता है। पिछले दिनों मेरे देवर जी दिन के करीब 2 बजे आए तो मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुई। उस वक़्त घर पर मैं और मेरी बेटी थी और बेटी की तबीयत खराब होने के कारण वो स्कूल नहीं जा रही थी और मेरा बेटा स्कूल गया था। मैं अपने देवर को देखने के बाद जल्दी से उसके लिए खाना तैयार करने लगी। उसने फ्रेश होकर नहाने के बाद खाना खाया तो मैंने उनके लिए बिस्तर लगा दिया..

क्योंकि वो आराम करना चाहते थे। मेरे घर में एक कमरा और एक किचन है। मैंने अपने देवर का बिस्तर नीचे ज़मीन पर ही लगा दिया था और मेरी बेटी ऊपर पलंग पर कंबल ओढ़कर सो रही थी और टीवी चल रहा था तो मैं भी वहीं पर देवर जी के साथ नीचे जमीन पर बैठकर टीवी देख रही थी। मेरा देवर थका हुए होने के बावजूद भी मुझे पकड़ कर अपनी हरकतों को रोक ना सका और मेरे जिस्म के साथ छेड़खानी करने लगा। फिर कभी वो मेरी कमर से होते हुए मेरे पेट को और मेरी पीठ को सहलाता तो कभी मेरी चूचियों को दबा देता.. मैं कसमसा कर रह जाती और कहती कि अभी बेटी सोई नहीं है.. लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज आए तो ना.. उनकी हरकत जारी रहती और वो मेरी जांघों को भी हल्का हल्का दबाने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं भी मस्त हुए जा रही थी। तभी धीरे धीरे शाम गहराती गई और मैं वहाँ से उठ गयी और किचन का काम करने लगी। तभी देवर जी भी सोना छोड़कर मेरे साथ आकर बैठ गये और अपने पैरों से हरकत जारी रखी.. वो अपने पैरो से मेरे चूतड़ो को सहला रहा था। तभी मेरे पति आ गये और उन्होंने मुझे पैसे दिए और बाजार से चिकन लाने को कहा और खुद बाहर चले गये। फिर मैंने अपने देवर से कहा कि वो भी साथ चले.. तो वो तैयार हो गये और हम बाजार गये और वहाँ से वापस आने के बाद जब मैं चिकन तैयार कर रही थी.. तब भी वो मेरे पास बैठकर कभी अपने पैरो से तो कभी अपने हाथों से मेरे जिस्म के साथ मस्ती करता रहा। मैंने चिकन बनाया रोटी बनाई और फिर उनसे कहा कि आप खाकर सो जाओ। मैंने उन्हें खिलाया और उनसे कहा कि आप जाकर सो जाओ तो उसने नीचे सोने की ज़िद कर ली.. तो मैंने नीचे ही उसका बिस्तर लगा दिया। तभी थोड़ी देर में मेरे पति आए वो नशे में थे और खाना खाए बगैर मेरे देवर के पास में सो गये मैंने अपने दोनों बच्चो को खाना खिलाया और खाना खाने के बाद मैं भी अपने दोनों बच्चों को साथ में लेकर पलंग पर सो गयी और मैंने लाईट बुझा दी थी.. क्योंकि देवर जी का कहना था कि उन्हें लाइट जलने पर नींद नहीं आती।

तभी थोड़ी देर बाद मुझे मेरे पेट पर एक हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ.. मैं समझ गयी कि देवर जी का हाथ है.. लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और फिर धीरे धीरे देवर जी का हाथ मेरी चूचियों तक पहुँच गया। वो ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को मसलने लगा और तभी मेरी सिसकियाँ निकलने लगी थी। तो वह अपने होंठ मेरे होंठो पर रखकर मेरे होंठो को चूसने लगा। अब धीरे धीरे उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगा। फिर वह मेरे होंठों पर से अपना होंठ हटा कर मेरी चूचियों को चूसने लगा और धीरे धीरे मेरी साड़ी को ऊपर उठाने लगा और मेरी साड़ी को पूरा मेरे पेट तक ला दिया और मेरी चूत को सहलाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. लेकिन मैं डर भी रही थी और तभी उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा। मैं तो सातवें आसमान पर थी वो पूरी तरह से मुझ पर हावी हुआ जा रहा था। तभी मेरे पति की करवट बदलने की आवाज़ आई तो मैंने उसका हाथ रोक दिया और उसे हटा दिया और खुद के कपड़े ठीक किए और दोनों बच्चों को सामने की तरफ सुलाकर, मैं खुद दीवार की तरफ जाकर सो गयी.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

लेकिन फिर कुछ देर के बाद देवर जी ने अपनी हरकत फिर से शुरू कर दी। वो मेरे पैरो को सहलाता तो कभी मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाता.. लेकिन अब मैं उसे दूर हटा रही थी.. क्योंकि एक तो मुझे नींद भी आ रही थी और डर भी लग रहा था.. क्योंकि मेरे पति और बच्चे साथ ही थे। जब मैं उसे लगातार दूर हटाती गयी तो देवर जी भी नाराज़ होकर सो गये। फिर सुबह मैं उठी और मेरे पति भी उठे और नाश्ता करने के बाद वो अपने ड्यूटी पर चले गये और मेरा बेटा ट्यूशन पढ़ने चला गया.. बेटी सो रही थी। मैंने अपने देवर को जगाया तो उसने उठने से इंकार कर दिया यहाँ तक कि वो मुझसे बात भी नहीं करना चाह रहा था। तभी मैं समझ गयी कि वो नाराज़ हैं.. मैंने अपनी बेटी को उठाया और उसे मुहं धोने के लिए कहा तो वो बाहर गयी और तभी मैंने बड़े प्यार से देवर जी की पीठ को सहलाया और उसके गाल पर एक चुम्मी दे दी और उसे मनाने की कोशिश करने लगी तो उसने कहा कि अब वो यहाँ पर कभी नहीं आएगा.. क्योंकि बेकार में उसकी और मेरी रातों की नींद खराब होती है।

तभी मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया कि नाराज़ मत हो.. मैं आपको दोपहर में सब कुछ करने दूँगी.. तो इतना सुनते ही देवर जी ने उठकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी चूचियों को ज़ोर से मसला और एक किस दिया और फिर मैंने उसे उठने के लिए कहा तो वो उठकर फ्रेश हो गये और उसकी हरकतें भी चलती रही। उस दिन मेरा बेटा स्कूल नहीं गया.. वो दोपहर में बाहर खेलने चला गया और मेरी बेटी पास वाले घर में टीवी देखने चली गयी। तभी देवर जी पलंग पर लेटे थे तो मैं भी वहीं पर आकर बैठ गयी। तभी देवर जी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगा और अचानक से मुझे पलंग पर लेटा दिया। मैं भी उसका विरोध नहीं कर रही थी.. क्योंकि चाहती तो मैं भी थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर उसने मुझे अपने पास में लेटाकर मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरी नंगी चूचियों को मसलने लगा और मेरी साड़ी को पेट तक उठाकर मेरे चूतड़ो और मेरी चूत को सहलने लगा। देवर जी सिर्फ़ लुंगी पहने हुए थे और उसने अंडरवियर नहीं पहना था और उसका लंड खड़ा हो चुका था जो कि मुझे अपनी गांड पर महसूस हो रहा था.. लेकिन जब तक कि वो अपना लंड बाहर निकालता और मेरी चुदाई करता.. मुझे मेरी बेटी के आने की आहट हुई और मैं उठ कर बैठ गयी और अपने कपड़े ठीक किए और देवर जी के साथ नॉर्मल बातें करने लगी।तभी मेरी बेटी ने आकर नीचे बिस्तर लगाया और मैं और मेरी बेटी दोनों नीचे सो गये थोड़ी देर बाद देवर जी भी नीचे आ गये और मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर मेरे पैरों को सहलाने लगे.. मैंने आँखें खोलकर देखा तो पाया कि मेरी बेटी सो गयी है तो मैं भी शांत रही और देवर जी को अपने जिस्म के साथ खेलने की आज़ादी दे दी। वो मेरी साड़ी को मेरे पेट तक उठाकर मेरी चूत को सहलाने लगा और फिर मेरी चूचियों को भी दबाने लगा। फिर उसने मेरी चूत में ऊँगली डालना शुरू कर दी। मैं अपनी चूत में उसका लंड लेने के लिए तड़प रही थी.. लेकिन ले नहीं पा रही थी.. क्योंकि वहीं पर मेरी बेटी भी सोई थी।

फिर जब मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं उठ गयी तो देवर जी ने पूछा क्या हुआ? तो मैंने कहा कि मैं पानी पीने किचन में जा रही हूँ तो वो भी मेरे पीछे किचन में आ गया और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और अब वो भी बिल्कुल पागल सा हो गया था और अब उसने मेरी चूचियों को भी ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया। मेरी साड़ी को उठाकर मेरी चूत में ऊँगली करने लगा। मैं भी अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और मैंने उसकी लुंगी उतार दी.. उसका लंड एकदम साँप की तरह फनफना रहा था। देवर ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और अपना लंड मेरी चूत के मुहं में रखकर जैसे ही उसने धक्का लगाया.. मेरी तो मानो जान ही निकल गयी। वो मुझे ज़ोर से बाहों में दबोचते हुए धक्के लगाने लगा.. लेकिन तभी मेरा बेटा मम्मी–मम्मी चिल्लाता हुआ आया तो मैं घबरा गयी और देवर जी ने भी घबरा कर अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और अपनी लुंगी पहन ली। तभी मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए और हम दोनों की साँसे बहुत तेज चल रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उस समय दिन के करीब 3 बज रहे थे। मैं बाहर आ गयी तो मेरे देवर जी भी बाहर आए और बाथरूम में जाकर नहाकर फ्रेश हो गये और वापस जाने की तैयारी करने लगे.. मैं आई और मैंने पूछा तो उसने कहा कि आज जा रहा हूँ.. आपने तो मेरे खड़े लंड पर चोट कर दी और मैं वापस जा रहा हूँ। तभी मैंने कहा कि फिर कब आओगे.. तो उसने कहा कि जल्दी ही आऊंगा.. लेकिन अब चोट मत करना। फिर मैंने भी कहा कि नहीं करूँगी.. यह वादा रहा कि जितने भी दिन आप यहाँ रूकोगे मैं आपकी रहूंगी। फिर उसने मुझे अपनी बाहों में लेकर एक जोरदार किस किया। फिर मैं उसे बस स्टॉप तक छोड़ने गयी और वो बस में बैठकर मुझे देखता रहा और मैं उन्हें तब तक देखती रही। जब तक बस आँखों से ओझल ना हुई और अब मुझे फिर से इंतजार है अपने देवर जी का कि फिर वो कब आएँगे.. क्योंकि उसने जो मेरी चूत में आग लगाई वो आज भी जल रही है।

मेरी चुद्दकड़ विधवा भाभी की चूत चुदाई Meri chuddakad vidhva bhabhi ki chut chudai

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मेरी एक विधवा भाभी है जो दो बच्चों की माँ होने के बावजूद अपने पति के मरने के तीन साल बाद मुझे सेक्सी निगाहों से देखती थी और हुआ ऐसा कि उसका टैस्ट लेने के ख्याल से एक रात मैं उसके कमरे में गया जब सारे लोग सो गए थे। वो जाग रही थी। बातों ही बातों में मैंने उसे अपना लण्ड चुसवा दिया। वह छिणाल भी मेरा लण्ड चूस कर गरम हो गई। फ़िर क्या था, अगले दिन से तो वो मुझे ऐसे देखने लगी जैसे मेरे लण्ड से अपना मुंह, गाण्ड और बुर चुदवा कर मेरे लण्ड को भी खा जाएगी। 

वो मुझसे रात में मिलने की योजना बनाने लगी। एक रात उस छिणाल ने अपना दरवाजा खुला रखा और पेट में दर्द के बहने मुझे बुलाया। मैं उसके कमरे में गया तो देखा कि नीचे बिछावन तैयार है। मैंने पूछा कि कहाँ है दर्द तो बोली कि लेट कर दिखाती हूँ पर पहले दरवाजा तो बंद कर दूँ कोई आ जायेगा। उसने दरवाजा बंद किया और लेट कर मुझे अपने पास बुलाया। जब मैं नजदीक गया तो उसने मुझे पकड़ लिया और कहा कि देवरजी आप मेरे भरतार (पति ) हो गए हैं। जो आपके भईया बाकी छोड़ गए हैं उसे आप पूरा करो। अभी मेरी उमर तो 32 साल ही है। भला ये भी कोई बिना चुदवाए रहने की उमर है। आपने कल अपना लंड चुसवा कर मुझे गर्म कर दिया है। अब तो मुझे अपना बुर चुदवाना ही होगा। तुम नहीं तो कोई और सही। पर इससे तुझे गुस्सा होगा सो तुम ही मुझे चोदते रहो अब सारी उमर। जब जी चाहे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उसकी ये सारी बातें सुन कर मेरे लंड में भी ताव आ गया था। वह तन कर रोड जैसा हो गया था। मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने मेरे सारे कपड़े खोल दिए। मैंने कहा कि भाभी जान आज मैं तेरे भोंसडे जैसी बुर को चोद कर और भोंसडा बनाऊंगा पर पहले तेरे मुंह में पेलूँगा फ़िर गांड भी मारूँगा। उसने कहा कि मालिक जो करना है कर लेना पर पहले एक बार मेरी चूत को चोद दो, यह बहुत प्यासी हो गई है और बहुत समय से तड़प रही है, अब इसे सिर्फ ऊँगली से शांत नहीं किया जा सकता है, यह अब लंड लेना चाहती है, बिना लंड अब यह शांत नहीं होगी। देखो ना साली तेरे लंड को देख कर कैसे पानी छोड़ रही है। अब आ जाओ ना। यह कह कर मुझे अपने ऊपर ले लिया। और मेरे लंड को अपनी बुर में घुसाने लगी और धीरे से धक्का देने लगी।

साली के बुर में मेरे लंड को घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि 3 बच्चों की माँ जो थी। भोंसड़ी की एक्सपर्ट भी थी। लंड के भीतर घुसते ही पैर पर पैर चढा लिया। अब उसकी बुर के सिकुड़ने के कारण उसे और मुझे मज़ा आने लगा। वो पागलों की तरह बकने लगी- आ …. ओह। मेरे राजा। मेरे प्यारे देवर राजा। आज तुम मेरे भरतार बने हो। जोर जोर से चोदो। साली मेरी बुर बहुत दिनों से प्यासी है। आहह्ह्हह्ह्ह्ह। ओहह्ह्हह्ह्ह्ह। ओहह्ह्हह्ह्ह्ह एयेय्य्येयेय्येयेय्य, मेरे मालिक घुसा दो अपना सारा लंड इसमें। इसका कचूमर निकाल दो। आहह्ह्ह जरा टॉर्च से देखो इस बुर को। कैसे टपटप तेरे लंड को निगल रही है। मैंने भी देखा मेरा लंड तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। मैंने कहा कि साली आज से तुम मेरी भाभी तो रही नहीं, तुझे कुतिया बनाकर चोदुंगा।

उसने कहा – हाँ, मुझे कुतिया बना दो। जैसे जैसे चाहो तुम इस हरामजादी बुर को चोदो। तेरे भाई ने ऐसे कभी नहीं चोदा। वो तो साला फुच फुच कर चोदता था मुझे। सिर्फ़ बच्चा पैदा करना जानता था। ओहह्ह्ह्ह। आहह्ह्ह्हह्ह। आहह्ह्ह्हह्ह। मज़ाआआअ। मज़ा आआआआआ रहा है। राजा मैं तो गई …एईईईईई। मैंने कहा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। तो उसने मुझसे 6 - 7 तेज़ झटके लगवाए और झट से मेरा लंड निकाल कर मुंह में ले लिया और कहा कि देवर जी आप अब मेरे मुंह की चुदाई करें, और टपटप मेरा लंड खाने लगी क्योकि वह जानती थी कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। वह मेरे लंड से निकले धात (वीर्य) को पीकर उसका भी स्वाद लेना चाहती थी। मैंने कहा ओह। मेरी प्यारी चुदक्कड़ भाभी मैं झड़ने वाला हूँ तो उसने कहा कि राजा अपना धात बर्बाद मत करना। इसे मेरे मुंह में ही रहने दो। मैं अपने यार का रसपान करना चाहती हूँ। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

इतने में मेरे लंड ने उजला गाढा द्रव छोड़ दिया। इसे मेरी छिनाल भाभी ने अन्तिम बूंद तक पी लिया। और कहा कि देवरजी अब तो तुम मेरे भरतार (पति) हो गए हो। जब मैं बुलाऊँ आ जाना। मैं खांस कर तुझे इशारा करुँगी। आज तो तुमने मुझे धन्य कर दिया। मैं भी तुम्हें कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होने दूंगी। अब मेरे होंठ, गाल, बूब्स, चूत और गांड सहित पूरा शरीर तुम्हारे हवाले है, तुम जब भी चाहों इसे किसी भी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हो। मैंने भी कहा भाभी आज से मेरा लंड तुम्हारा गुलाम है इसे जब चाहो जहाँ चाहो घुसा लेना। यह कहकर हम एक दुसरे से चिपक गए.......

भाभी काश आप मुझे पहले मिली होती Bhabhi kash aap mujhe pahle mili hoti

भाभी काश आप मुझे पहले मिली होती Bhabhi kash aap mujhe pahle mili hoti, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.

हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राजू कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार कर देती थी। राजू सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राजू मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। अस्तव्यस्त कपड़ों में राजू का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।

जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था। जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

दिन में खाना खा कर राजू अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राजू दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राजू डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था … “ए राजू … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।” “नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !” “ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राजू की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये। “आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।

“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा। “हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।” मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राजू मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राजू की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राजू मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये। ” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।

“राजू मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे। “भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था। “तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राजू उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

“राजू पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी। “भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते ही बनती थी, लगता था कि राजू की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे। “सच राजू … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था। “हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राजू नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी। मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।
“राजू, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राजू से वासनामय स्वर में कहा। राजू ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।
“अपनी टांगे उठाओ राजू … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी। “लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।
मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक उंगली धीरे से अन्दर सरका दी। राजू चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राजू झूम उठा। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी। “मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से उंगली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।
अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राजू से कहा,” राजू … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी। “भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राजू ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
“राजू … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राजू मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।

अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राजू की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राजू की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।
“हाय राजू … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राजू ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया। “हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !” ” हां राजू, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !” ” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया। “भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा। “देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “
” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”
मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राजू ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया। मुझे मस्ती आ गई … और राजू के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था। “बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

“राजू एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला कहाँ था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।
“राजू, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “ “मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “ “हाय रे … मैं मर गई राजू … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “ उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी। “जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ” “हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राजू का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। 

अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राजू ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था। “राजू, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राजू मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी।

भाभी की चूत ने मेरा पूरा लंड निगल लिया Bhabhi ki chut ne mera pura lund nigal liya

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यह बात पिछले साल की है.. मैं रजत BPO में जॉब के लिए अपने कजिन भाई के घर दिल्ली आया था। मेरे भाई अच्छी कंपनी में मैनेजर हैं… लेकिन उन्होंने कभी मेरे जॉब के लिए किसी से बात नहीं की। मेरी भाभी बहुत ही अच्छी हैं.. मैंने कभी उनको गन्दी नज़र से नहीं देखा है। भाई-भाभी दो कमरे के फ्लैट में रहते हैं। मैं अपने भाई से बहुत डरता हूँ.. कभी उनसे ज्यादा बात भी नहीं करता। बस काम की बात या फिर जब कोई क्रिकेट मैच आता है तब.. इसलिए अपनी भाभी से भी ज्यादा बात नहीं करता था।

भाई रोज सुबह 9:30 पर कंपनी के लिए निकल जाते और रात को 8 बजे वापस आते थे।
मैं भी सुबह इंटरव्यू के लिए निकल जाता था। मैं अपने टाइम पास के लिए शाम को पार्क में चला जाता था या फिर ऐसे ही बाजार घूमने चला जाता था। भाभी घर के काम में व्यस्त रहती थीं.. पर हम दोनों लोग दोपहर में खाना साथ में खाते थे.. तभी उनसे बात होती थी कि मेरी जॉब का क्या चल रहा है… इंटरव्यू कैसे हो रहे हैं.. और भी इधर-उधर की बातें होती थीं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उन्होंने बोला- पास वाले घर में जो फैमिली है। उनकी बेटी भी BPO में जॉब करती है तुम कहो.. तो मैं उसको बात कर लूँ।
मैंने मना कर दिया- नहीं भाभी.. भैया को बुरा लगेगा।
उन्होंने कहा- ठीक है..

अब मेरी भी उम्र 23 साल थी.. तो इच्छाएं तो मेरे अन्दर भी उठती थीं… तो मैं ‘अपना हाथ जिंदाबाद’ वाला हिसाब से काम चला लेता था। एक दिन मैं भाई-भाभी के साथ पार्टी में गया.. वहाँ से वापस आते वक्त भाई बोले- मैं कार पार्क करके आता हूँ.. तुम दोनों घर चलो.. हम दोनों कार से उतर कर चलने लगे.. जब रोड क्रॉस करनी थी तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.. पता नहीं क्यों पूरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई। सड़क पार करने के बाद उन्होंने मेरा हाथ छोड़ा और फिर हम साथ चलने लगे। हम घर पहुँचे तो भाभी ने कहा- बालकनी से कपड़े उतार लाओ.. यह कह कर वो अपने कमरे में चली गईं।

मैंने अपने कपड़े बदले और बाहर से कपड़े उतारने चला गया। उनमें भाभी की ब्रा और पैन्टी भी थी। मैंने चुपके से दोनों को सूँघा.. उनमें एक अजीब सी महक थी। मैंने कपड़े लाकर रख दिए और अपने कमरे में चला गया। भैया भी आकर अपने कमरे में चले गए। मैंने लाइट बंद की और भाभी को सोच कर मुठ मारने लगा।
यह पहली बार था.. जब मैंने भाभी के बारे में सोचा था। अगले दिन फिर सब कुछ वैसा ही रहा इस तरह 3-4 दिन निकल गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

एक दिन भाई ने बताया- मेरी कंपनी एक हफ्ते की ट्रेनिंग के लिए मुझको पुणे भेज रही है..

उनके साथ भाभी भी जाना चाहती थीं.. पर भाई ने मना कर दिया। पता नहीं क्यों.. तब उस दिन मुझे लगा कि दोनों के बीच में सब कुछ सही नहीं है। फिर एक दिन भाई चले गए। मैं बैठ कर टीवी देख रहा था।

भाभी आईं और पूछा- खाने में क्या खाओगे?
मैंने कहा- जो आपको अच्छा लगे.. बना लो.. मैं सब कुछ खा लेता हूँ।
उन्होंने कहा- मैंने कभी अपनी इच्छा का कुछ नहीं बनाया.. तुम बता दो.. क्या खाना है?
मैंने कहा- नहीं.. आज तो फिर आपकी पसंद का खाना खायेंगे।

वो भी खुश हो गईं। मुझे आए हुए 23 दिन हो गए थे। मैंने आज पहली बार उनको खुश देखा था.. फिर भाभी ने चिली-पनीर.. अरहर की दाल और चावल बनाए। हम दोनों ने खाना खाया.. थोड़ी देर बातें की.. फिर अपने - अपने कमरे में सोने चले गए। पता नहीं क्यों.. उस दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं कुछ देर बाद उठा तो देखा भाभी का कमरा बंद है.. स्टोर में कपड़े पड़े हुए थे। मैंने वहाँ से भाभी की ब्रा और पैन्टी उठा कर बाथरूम में गया और लौड़े से उनके ब्रा-पैन्टी को लगा कर मुठ मारने लगा। माल उनकी ब्रा-पैन्टी में छोड़ दिया और फिर आकर सो गया। मैं उनकी ब्रा और पैन्टी को वहीं बाथरूम में भूल गया था।

अगले दिन मेरा कोई इंटरव्यू नहीं था.. तो मैं देर तक सोता रहा। सुबह भाभी ने मुझे उठाया और पूछा- मैंने बाहर से कपड़े उतार कर कहाँ रखे हैं.. मिल नहीं रहे हैं। मैं समझ गया कि ब्रा और पैन्टी ही नहीं मिल रही होगी.. जो मैं बाथरूम में भूल आया था। अब मेरी तो हालत ख़राब हो गई। मैं जल्दी से बाथरूम में गया.. वहाँ से ब्रा और पैन्टी उठा कर उनके कपड़ों में रख दी और बता दिया- कपड़े वहाँ रखे तो हैं। वो पहले ही वहाँ देख चुकी थीं.. उन्होंने बोला- सारे कपड़े नहीं हैं.. तुमने सारे कपड़े उतारे थे? फिर मैं सारे कपड़े एक-एक करके उठाने लगा.. तो उनको अपने ब्रा-पैन्टी दिख गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज पढ़ रहे है।

तो उन्होंने बोला- चलो.. मैं देखती हूँ… तुम रहने दो।
मैंने चुपके से देखा.. उन्होंने अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई और नहाने चली गईं। उनके नहाने के बाद मैं नहाने गया और फिर एक बार मुठ मारी। फिर हम दोनों ने नाश्ता किया और बातें करने लगे। मुझे लगा भाभी बहुत अकेली हैं.. उनके साथ बात करने वाला कोई नहीं है। हम दोनों खूब हँसी-मजाक करते.. कब समय निकल जाता.. पता ही नहीं चलता। अब मैं भाभी के काम में हाथ बंटाने लगा था। उनका काम भी जल्दी हो जाता और मेरा भी टाइम पास हो जाता था। फिर लंच में भाभी की पसंद का खाना खाया। अब तक वो भी मुझसे बात करने में थोड़ा खुल गई थीं।

उन्होंने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने मना कर दिया।
उन्होंने पूछा- क्यों?
मैंने बोला- ऐसे ही.. कभी सोचा ही नहीं इस बारे में..

शाम को मैं भाभी के साथ बाजार गया तो उन्होंने बाजार में एक लड़की की तरफ इशारा किया- वो लड़की कैसी लगी?

मैंने बोला- ठीक है.. क्यों?
बोलीं- तुमको ऐसी लड़की चाहिए?
मैं शर्मा गया और बोला- छोड़ो.. आप भी क्या बात लेकर बैठी हो..

घर वापस आते वक्त रोड क्रॉस करने पर उन्होंने मेरा हाथ फिर पकड़ा और रोड क्रॉस की। फिर मुझे एक अजीब सी ख़ुशी मिली.. घर आकर उनसे फिर खूब बातें की। वो बहुत खुश थीं.. इतना जैसे अपने किसी फ्रेंड के साथ हों.. मुझे भी उनका साथ अच्छा लगने लगा था। फिर खाना खाकर हम अपने-अपने कमरों में सोने चले गए.. मैंने आज भी चुपके से भाभी की ब्रा-पैन्टी उठा ली.. और अपने कमरे में आकर मुठ मार कर सो गया।

रात को एक बजे फ़ोन की घन्टी बजी.. मेरी आँख खुल गई। जब तक मैं बाहर आता.. भाभी ने फ़ोन उठा लिया.. वो भाई का कॉल था। आज भाभी का जन्मदिन था भैया ने उनको विश किया और कॉल कट कर दिया। भाभी सोने चली गईं। मैं सुबह उठा तो मैंने रात वाले फ़ोन के बाबत पूछा.. तो उन्होंने बताया- तुम्हारे भाई का कॉल था.. आज मेरा बर्थडे है.. तो वो मुझे विश करने के लिए फोन कर रहे थे। मैंने भी उनको हाथ मिला कर विश किया, मैंने पार्टी के लिए बोला.. तो उन्होंने कहा- ठीक है.. बताओ.. कहाँ चलना है?

मैंने कहा- यहीं घर पर ही करते हैं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

वो भी मान गईं। मैं केक लेने बाजार गया और खाना आर्डर किया.. थोड़ी देर में सारा सामान आ गया.. भाभी केक काटा और मुझे खिलाया.. फिर मैंने थोड़ा केक लेकर उनके पूरे मुँह पर लगा दिया। फिर हम दोनों डांस करने लगे.. डांस करते-करते बहुत बार मैं उनके मम्मों से लग जाता था.. कभी उनके चूतड़ों पर हाथ रख देता था.. पर उनको बुरा नहीं लग रहा था। शायद उन्होंने ये सब नोटिस नहीं किया फिर थक कर हम दोनों बैठ गए। वो इतना थक गई थीं कि वो मेरे कंधे पर सर रख कर बातें करने लगीं.. मुझे भी अच्छा लग रहा था। फिर उन्होंने मेरे गाल पर चुम्बन किया और बोलीं- ये मेरा सबसे अच्छा जन्मदिन रहा है। मैंने भी अपने दोनों हाथों से उनके गालों को पकड़ कर चुम्बन किया और बोला- Happy Birthday! उन्होंने भी अचानक से मेरे गालों पर 3-4 चुम्बन कर दिया और एक चुम्बन मेरे होंठों पर किया।

फिर एकदम से पीछे हटीं और बोलीं- चलो अब खाना खा लें.. बहुत भूख लगी है.. मेरी तो भूख क्या.. दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया था। अब मैं जानबूझ कर भाभी से चिपक जाता था.. वो भी कुछ नहीं कहती थीं। खाने के बाद हम लोग अपने-अपने कमरे में जाकर लेट गए। मैंने बाहर से जाकर उनकी ब्रा उठाई और ल़ाकर मुठ मारने लगा और मार कर सो गया। शाम को उन्होंने मुझे ब्रा को कपड़ों में रखते हुए देख लिया, वो बोलीं- क्या कर रहे हो?

मैं डर गया.. बोला- कुछ नहीं.. अपने कपड़े लेने आया था।

वो पीछे से आई और अपनी ब्रा उठा कर देखने लगीं.. मेरा कुछ माल उसमें लगा हुआ था… उन्होंने एक जोर का चांटा मेरे मुँह पर लगाया। मैंने उनके पैर पकड़े और सॉरी बोला और कहा- भईया को मत बताना.. दोबारा ऐसा नहीं करूँगा। मैं उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था। मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था। मैंने आज उनके जन्मदिन पर उनका मूड ख़राब कर दिया था। रात को भाभी ने खाने के लिए बुलाया मैंने मना कर दिया- आप खा लो.. मुझे भूख नहीं लगी। वो मेरे कमरे में आईं और बोलीं- क्या हुआ? आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैंने कहा- कुछ नहीं।
वो बोलीं- सॉरी.. मुझे तुम्हें मारना नहीं चाहिए था.. अब तुम बड़े हो गए हो.. चलो अब खाना खा लो।

मैंने फिर मना कर दिया।

वो बोलीं- अगर नहीं खाओगे तो मैं उनसे जरूर बता दूंगी।

तब मैंने उनकी तरफ देखा.. तो वो मुस्कुरा रही थीं। मैं उठा और खाना खाने चल दिया। फिर उन्होंने मूड चेंज करके बोला- मेरा बर्थडे गिफ्ट कहाँ है?

मैंने बोला- बताओ आपको क्या चाहिए?
वो बोलीं- सोच लो.. दे पाओगे?
मैं - आप माँगो तो..
बोलीं- ठीक है.. अभी खाने के बाद बताती हूँ।

खाना खाने के बाद मैंने फिर पूछा आपको क्या गिफ्ट चाहिए। उन्होंने कहा- आज तुम मेरे कमरे में ही सोओगे।

मेरी तो हालत ख़राब हो गई.. वो बोलीं- क्या हुआ.. डरो नहीं.. मैं तुमको खा नहीं जाऊँगी।

वो मेरे पीछे से आईं और मुझे चुम्बन करने लगीं। मैं हड़बड़ा कर खड़ा हो गया.. बोलीं- क्या हुआ.. सपने में सब कर सकते हो.. रियल में कुछ नहीं… वो मेरे पास आईं और मेरे होंठों पर चुम्बन करने लगीं। अब मैंने भी उनके चुम्बन का जबाव चुम्बन से किया और उनको जोरों से चुम्बन करने लगा। एक मिनट की चूमा-चाटी के बाद हम अलग हो गए। अब वो टेबल का सारा सामान रसोई में रखने चली गईं। मैं अपने कमरे में आ गया।

वो पीछे से आईं और बोलीं- अभी मुझे मेरा गिफ्ट ‘पूरा’ नहीं मिला है।

अब तो मैं समझ गया कि वो क्या चाहती हैं। फिर भी मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। वो मेरे पास आईं.. तो मैं खड़ा हो गया। वो फिर मुझे चुम्बन करने लगीं और बोलीं- मुझे गोद में उठा कर मेरे कमरे में ले चलो। मैंने वैसे ही किया.. वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थीं। मैं भी बस उनको चुम्बन कर रहा था। कमरे में आते ही वो गोद से नीचे उतर गईं और कमरे की लाइट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया। मैं उनके बगल में खड़ा हुआ था.. वो बोलीं- अब खड़े ही रहोगे? मैं चुप था।

बोलीं- पहले कभी किया है?
मैंने कहा- नहीं..
वो हँसी और बोलीं- कोई पिक्चर भी नहीं देखी क्या?
मैंने बोला- देखी है..
बोलीं- जैसे उसमें करते हैं.. वैसे ही करना है।

मेरी फिर भी हिम्मत नहीं हो रही थी.. वो पास आईं और चुम्बन करते हुए मेरा टी-शर्ट उतार दिया.. फिर पाजामा में पीछे से हाथ डाल कर मेरी गाण्ड दबा दी। मैंने भी अब उनके होंठों को चुम्बन किया और उनके मम्मों दबाने लगा। मैंने उनका कुरता उतार दिया और उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी उतार कर पेट कर चुम्बन किया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। वो नीले रंग की पैन्टी और सफ़ेद ब्रा में थीं। मैं करीब 5 मिनट तक उनके होंठों और गालों पर चुम्बन करता रहा। अब उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरा अंडरवियर उतार कर मेरे पेट पर बैठ गईं। अब उन्होंने अपनी ब्रा खोल दी.. मैंने ऊपर उठ कर उनके मम्मों को चूसने लगा.. जो मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था.. वो आज सब मेरे साथ हो रहा था। भाभी को भी मजा आ रहा था। अब मैंने उनको नीचे लिटा दिया और मम्मों को चूमते हुए नीचे आने लगा।

मैंने उनकी पैन्टी उतार दी, उफ्फ्फ.. क्या चूत थी… एकदम चिकनी.. एक भी बाल नहीं.. मैंने चूत पर चुम्बन किया। तो वो बोलीं- ओह्ह.. और करो.. फिर मैंने उनकी टाँगें फैला कर चूत चाटनी शुरू कर दी। वो ‘सी.. सी.. सी.. आह्ह… अहह..’ की आवाजें कर रही थीं। मैंने दोनों हाथों से उनके मम्मे दबाए हुए थे और चूत चाट रहा था। अब मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे से अन्दर करने लगा। उनको मजा आ रहा था। फिर मैंने थोड़ा और धक्का लगा कर अन्दर किया तो वो बोलीं- आराम से करो.. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं थोड़ा रुक गया और उनको चुम्बन करने लगा और एक तेज झटके से मैंने अपना पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया। वो चिल्ला पड़ी- आअह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… ओह्ह… मैंने बोला था आराम से.. फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। दस-पंद्रह धक्कों के बाद मैंने रफ़्तार पकड़ ली.. कुछ ही मिनटों के बाद वो कहने लगीं- बस छोड़ो अब.. बहुत दर्द हो रहा है। वो झड़ चुकी थीं मेरा भी होने वाला था। मैं तेजी से चुदाई करता रहा और एक झटके में झड़ गया… और उनके ऊपर ही लेट गया। वो मुझे चुम्बन करने लगीं और मैं भी उनको चूमता रहा था। फिर पता नहीं कब.. हम दोनों सो गए।
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