भाई की जुदाई में तड़पती भाभी की चुदाई Bhai ki judai me tadapati Bhabhi ki chudai

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प्रिय पाठको, अपनी कहानी में मैं अपनी सगी भाभी की चुदाई की सच्ची दास्ताँ सुना रहा हूँ ! आप सबको सबसे पहले मैं अपना परिचय देना चाहता हूँ। मेरा नाम विजय अग्रवाल है और मैं हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के एक गाँव में रहता हूँ, मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है। मेरे लंड का साइज़ साढ़े सात इंच है। मुझे इस बात का पक्का यक़ीन है जिसे भी मैंने चोदा है वो पूरी तरह सन्तुष्ट हुई है। जिस भाभी की चुदाई मैंने की है, उनकी उम्र 24 साल की है वो काफ़ी कामुक और आकर्षक माल हैं। उनका नाम सरिता है, इतनी ख़ूबसूरत हैं कि जो भी एक बार उन्हें देख ले.. तो बस उनका दीवाना हो जाए।

उनका 36-26-36 का फ़िगर बहुत ही मस्त है। मेरे भैया की नई-नई शादी हुई थी। भाभी को जब मैंने पहली बार देखा, तब से ही मैं ये सोचने लगा थी कि मैं उन भाभी की चुदाई एक बार ज़रूर तो जरूर करूँगा और उनके नाम से मुठ्ठ मारा करता था। शादी के कुछ दिनों बाद ही भैया को ऑफिस के काम से एक महीने के लिए अमेरिका जाना पड़ा। तब भैया ने भाभी से कहा- तू क्यों परेशान होती है.. तेरी सभी ज़रूरतों को तेरा यह देवर पूरा करेगा। काश उस वक्त वो समझे होते कि सभी ज़रूरतों को मैं पूरा कर दूँगा यानि कि भैया ने सोचा ही नहीं था कि मैं उनकी बीवी को चोदूँगा। बस वो दिन आया और भैया चले गए अमेरिका। अभी 4-5 दिन ही बीते थे कि भाभी को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं तो उन्हें चोदने का बहुत दिनों से प्लान बना रहा था। एक दिन मैं अपने कमरे में सोया हुआ था कि भाभी मुझे उठाने के लिए आईं। मैं सिर्फ़ अपने अंडरवियर में था। जब भाभी मुझे उठाने के लिए आईं तब उनकी नज़र मेरे तने हुए लण्ड पर पड़ी। मैं भी जानबूझ कर वैसा ही पड़ा रहा। ख़ैर भाभी ने देखा और शरमा कर चली गईं। अगले दिन भी यही हुआ। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। इसके अगले दिन जब भाभी मुझे उठाने के लिए आईं तब मैंने उन्हें मेरे पास खींच लिया और उनके होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया। भाभी भी 8-10 दिनों से भूखी थीं। उन्होंने भी सहयोग किया। फिर मैंने धीरे-धीरे उनके चेहरे पर से जाते हुए उनकी गर्दन पर चुम्बन करना शुरू किया। भाभी और गरम होती गईं। मैंने धीरे-धीरे उनके गोलाइयों को दबाया और उनका ब्लाउज उतार दिया। फिर उनकी साड़ी खोल दी। अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में रह गई थीं। मैं उनके होंठों पर चुम्बन किए जा रहा था और उनके मम्मों को दबा रहा था। फिर मैंने उनकी ब्रा भी खोल दी।

अब उनके बड़े-बड़े उभार मेरे सामने सर उठाए खड़े थे। मैं पागल हुए जा रहा था। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी और मेरा लौड़ा सहलाने लगीं। मुझे लगा मैं सपना देख रहा हूँ। उसने मेरे कपड़े उतारे। मैं भी नंगा हो गया फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। इससे पहले किसी औरत ने मेरा लण्ड नहीं चूसा था। मैंने सिसकारी भरते हुए कहा- आआ… हहा भाभी… मजा आ रहा है! फिर वह मुझे चोदने के लिए कहने लगी और मेरे नीचे लेट गई। अब मेरी भाभी की चुदाई का वक्त आ गया था। मैंने भाभी की चूत पर लण्ड रख कर धक्का मारा। उनकी चूत बहुत ज़्यादा चुदी हुई थी, मेरा लण्ड एक बार में पूरा खा गई।

उन्होंने कहा- आ..आह.. मज़ा आ गया.. और ज़ोर से चोदो..

मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और एकदम से पेल देता। वो भी नीचे से धक्के मार रही थी और कह रही थी- हाय…मेरे..विज्जू.. ज़ोर से चोदो.. आआहा.. आाआह मज़ाअ आआ रहा है.. धकापेल धकापेल भाभी की चुदाई होने लगी। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और कहा- मेरे ऊपर ही लेटे रहो। फिर क़रीब 30 मिनट तक हम मस्ती करते रहे, फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसे मज़ा दे रहा था। कुछ ही पलों के बाद मैं फिर से तैयार हो गया था। अब की बार उसने मुझसे कहा- मुझे पीछे से चुदना अच्छा लगता है… तुम मुझे पीछे से चोदो। मैंने उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी उठी हुई चूत में अपना साढ़े सात इन्ची लौड़ा फंसा कर भाभी की चुदाई की, कुतिय की तरह से तरह से उन्हें चोदा।

अबकी बार वो जल्दी झड़ गई, मेरा लण्ड अभी भी मस्त था। मैं उसे धकापेल चोद रहा था। मेरा पानी नहीं निकल रहा था। वो तड़फ कर कह रही थी- बस विज्जू.. अब बस करो मेरी टाँगें दुख रही हैं। मैंने कहा- थोड़ी देर.. और..मेरी जान। मैं धक्के मार रहा था.. वो चिल्ला रही थी। मैं पीछे से कुत्ते जैसा लग कर भाभी की चुदाई किये जा रहा था और उनकी चूचियाँ हवा में झूल रही थीं। मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियों को पकड़ कर खूब मसला। उसके चूचुकों को भी मैं खूब दबा रहा था। भाभी के मुँह से मादक मस्ती की सिसकारियाँ निकल रही थीं। ‘आह्ह.. चोद मेरे सनम… चोद साले.. खूब मजा आ रहा है.. आह्ह्ह.. !’ तभी मेरे लौड़े ने उसकी चूत की गर्मी से उन पर जुल्म कर दिया और मैं तेजी से चोदने लगा.. तभी उनका पानी निकल गया। पानी से लबालब चूत से ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ आ रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं उसे लगातार बेरहमी से भाभी की चुदाई करता रहा… वो कह रही थी- बस बस्स्स… आआ… आहा मैं मर जाऊँगी..ई.. फिर मेरा पानी उसकी चूत में निकल गया। चुदाई से थक कर हम दोनों लेट गए। उन्होंने कहा- तुमने मेरी चूत का भुरता बना दिया, तुम्हारे भाई ने आज तक कभी ऐसा नहीं चोदा। फिर मैं रोज़ भाभी की चुदाई करने लगा। उन्हें भी मुझसे रोज दो बार चुदने का चस्का लग गया था।

बुआ के बेटे की पत्नी को चोदा बड़े प्यार से Buaa ke bete ki patni ko choda bade pyar se

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बात उस समय की है जब मैं ग्रेजुयेशन कर रहा था। इसके लिए मुझे शहर में ही रहने की जरूरत थी। उसी शहर में मेरी बुआ का लड़का और उनकी पत्नी यानि मेरे भाई और भाभी रहते है। मैं भी मेरी बुआ के कहने पर उनके पास रहने लगा। चूंकि. भाभी भी कॉमर्स ग्रेजुयेट थीं, तो वो मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती रहती थीं। इसीलिए मेरा भी ज़्यादातर वक्त घर पर ही व्यतीत होता था। कोई इसको बुरा या ग़लत भी नहीं कहता, क्योंकि वो मेरे भाई और भाई थे। मुझे एक अलग कमरा भी मिल गया था। जिसे सिर्फ़ मैं पढ़ने और सोने के लिए इस्तेमाल करता था। भाभी का नाम सुमन है। वो बहुत ही खूबसूरत और कमनीय काया की महिला हैं। उस वक़्त उनकी उम्र 22 साल और मेरी 19 साल थी। भाभी के चूतड़ थोड़े से भारी थे और उन की चूचियाँ देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था।

क्या मादक जिस्म था उनका। बिल्कुल किसी परी की तरह। एक दिन की बात है, भाभी मुझे पढ़ा रही थीं और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे। रात के दस बजे थे, इतने में भैया की आवाज़ आई- सुम्मी और कितनी देर है जल्दी आओ ना..। भाभी आधे में से उठते हुए बोलीं- राजू बाकी कल करेंगे, तुम्हारे भैया आज कुछ ज्यादा ही उतावले हो रहे हैं। यह कह कर वो जल्दी से अपने कमरे में चली गईं। मुझे भाभी की बात कुछ ठीक से समझ नहीं आई, काफ़ी देर तक सोचता रहा, फिर अचानक ही दिमाग़ की 'ट्यूब-लाइट' जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया किस बात के लिए उतावले हो रहे थे। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। आज तक मेरे दिल में भाभी को ले कर बुरे विचार नहीं आए थे, लेकिन भाभी के मुँह से उतावले होने वाली बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे लगा कि भाभी के मुँह से अनायास ही यह निकल गया होगा। जैसे ही भाभी के कमरे की लाइट बन्द हुई, मेरे दिल की धड़कन और तेज़ हो गई। मैंने जल्दी से अपने कमरे की लाइट भी बन्द कर दी और चुपके से भाभी के कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया। अन्दर से फुसफुसाने की आवाज़ आ रही थी पर कुछ-कुछ ही साफ़ सुनाई दे रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

'क्यों जी.. आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?' 'मेरी जान, कितने दिन से तुमने दी नहीं... इतना ज़ुल्म तो ना किया करो मेरी रानी...!' 'चलिए भी, मैंने कब रोका है, आप ही को फ़ुर्सत नहीं मिलती। राजू का कल इम्तिहान है, उसे पढ़ाना ज़रूरी था।' 'अब श्रीमती जी की इज़ाज़त हो तो आपकी बुर का उद्घाटन करूँ?' 'हाय राम.. कैसी बातें बोलते हो, शरम नहीं आती?' 'शर्म की क्या बात है, अब तो शादी को दो साल हो चुके हैं, फिर अपनी ही बीवी की बुर को चोदने में शर्म कैसी?' 'बड़े खराब हो... आह..अई..आह हाय राम… धीरे करो राजा.. अभी तो सारी रात बाकी है।' मैं दरवाज़े पर और ना खड़ा रह सका। पसीने से मेरे कपड़े भीग चुके थे, मेरा लंड अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को तैयार था। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया, पर सारी रात भाभी के बारे में ही सोचता रहा। मैं एक पल भी ना सो सका, ज़िंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हुआ था। सुबह भैया ऑफिस चले गए। मैं भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था, जबकि भाभी मेरी कल रात की करतूत से बेख़बर थीं। 

भाभी रसोई में काम कर रही थीं, मैं भी रसोई में खड़ा हो गया, ज़िंदगी में पहली बार मैंने भाभी के जिस्म को गौर से देखा। उनका गोरा भरा हुआ गदराया सा बदन, लम्बे घने काले बाल जो भाभी के कमर तक लटकते थे, बड़ी-बड़ी आँखें, गोल-गोल बड़े संतरे के आकार की चूचियाँ जिनका साइज़ 34 से कम ना होगा। पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े, भारी चूतड़, एक बार फिर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। इस बार मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, मेरा आज इम्तिहान है और आपको तो कोई चिंता ही नहीं थी, बिना पढ़ाए ही आप कल रात सोने चल दीं..! 'कैसी बातें करता है राजू, तेरी चिंता नहीं करूँगी तो किसकी करूँगी?'
'झूठ, मेरी चिंता थी तो गई क्यों?' 'तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था।' 'भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था?' मैंने बड़े ही भोले स्वर में पूछा। 

भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गईं और तिरछी नज़र से देखते हुए बोलीं- धत्त बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है। मेरे ख्याल से तेरी अब शादी कर देनी चाहिए। बोल है कोई लड़की पसंद? 'भाभी सच कहूँ मुझे तो आप ही बहुत अच्छी लगती हो।' 'चल नालायक भाग यहाँ से और जा कर अपना इम्तिहान दे।' मैं इम्तिहान तो क्या देता, सारा दिन भाभी के ही बारे में सोचता रहा। पहली बार भाभी से ऐसी बातें की थीं और भाभी बिल्कुल नाराज़ नहीं हुईं, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी। मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था। भाभी रोज़ रात को देर तक पढ़ाती थीं। मुझे महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो तीन बार ही चोदते थे। मैं अक्सर सोचता, अगर भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाए तो दिन में चार दफे चोदूँ।

दीवाली के लिए भाभी को मायके जाना था। भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सौंपा, क्योंकि भैया को छुट्टी नहीं मिल सकी। टिकट खिड़की पर बहुत भीड़ थी, मैं भाभी के पीछे रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़ा था। धक्का-मुक्की के कारण आदमी-आदमी से सटा जा रहा था। मेरा लंड बार-बार भाभी के मोटे-मोटे चूतड़ों से रगड़ रहा था। मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी, हालांकि मुझे कोई धक्का भी नहीं दे रहा था, फिर भी मैं भाभी के पीछे चिपक कर खड़ा था। मेरा लंड फनफना कर अंडरवियर से बाहर निकल कर भाभी के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था। भाभी ने हल्के से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धक्का दिया, जिससे मेरा लंड और ज़ोर से उनके चूतड़ों से रगड़ने लगा। लगता है भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गई थी और उसका हाल पता था लेकिन उन्होंने दूर होने की कोशिश नहीं की।

भीड़ के कारण सिर्फ़ भाभी को ही रिज़र्वेशन मिला, ट्रेन में हम दोनों एक ही सीट पर थे। रात को भाभी के कहने पर मैंने अपनी टाँगें भाभी की तरफ और उन्होंने अपनी टाँगें मेरी तरफ कर लीं और इस प्रकार हम दोनों आसानी से लेट गए। रात को मेरी आँख खुली तो ट्रेन के नाइट-लैंप की हल्की-हल्की रोशनी में मैंने देखा, भाभी गहरी नींद में सो रही थीं और उनकी साड़ी जांघों तक सरक गई थी। भाभी की गोरी-गोरी नंगी टाँगें और मोटी मांसल जांघें देख कर मैं अपना संयम खोने लगा। उनकी साड़ी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्लाउज में से बाहर गिरने को हो रही थीं। मैं मन ही मन सोचने लगा कि साड़ी थोड़ी और ऊपर उठ जाए ताकि भाभी की चूत के दर्शन कर सकूँ। मैंने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साड़ी को ऊपर सरकाना शुरू किया।

साड़ी अब भाभी की चूत से सिर्फ़ 2 इंच ही नीचे थी, पर कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नहीं समझ आ रहा था की 2 इंच ऊपर जो कालिमा नज़र आ रही थी वो काले रंग की पैन्टी थी या भाभी की बुर के बाल। मैंने साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठाने की जैसे ही कोशिश की, भाभी ने करवट बदली और साड़ी को नीचे खींच लिया। मैंने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा। मायके में भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की, दस दिन के बाद हम वापस लौट आए। वापसी में मुझे भाभी के साथ लेटने का मौका नहीं लगा। भैया भाभी को देख कर बहुत खुश हुए और मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है। उस रात को मैं पहले की तरह भाभी के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया। भैया कुछ ज़्यादा ही जोश में थे। अन्दर से आवाजें साफ़ सुनाई दे रही थीं। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

'सुम्मी मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया... देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है.. अब तो इनका मिलन करवा दो..!' 'हाय राम, आज तो यह कुछ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है... ओह हो.. ठहरिए भी.. साड़ी तो उतारने दीजिए।' 'ब्रा क्यों नहीं उतारी मेरी जान, पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने में मज़ा आता है। तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता।' 'झूठ.. ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो-तीन बार ही!' 'दो-तीन बार ही क्या?' 'ओह हो.. मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं..!' 'बोलो ना मेरी जान, दो-तीन बार क्या?' 'अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो-तीन बार ही तो चोदते हो... बस..!'
'सुम्मी, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता... थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो। मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है... मेरी जान।'
 
'मुझे भी आपका बहुत... उई.. मर गई... उई… आ…ऊफ़.. बहुत अच्छा लग रहा है….थोड़ा धीरे… हाँ ठीक है….थोड़ा ज़ोर से…आ..आह..आह...!' अन्दर से भाभी के कराहने की आवाज़ के साथ साथ ‘फच..फच’ जैसी आवाज़ भी आ रही थीं जो मैं समझ नहीं सका। बाहर खड़े हुए मैं अपने आप पर संयम नहीं कर सका और मेरा लंड झड़ गया। मैं जल्दी से वापस आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया। अब तो मैं रात-दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। यह सब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम-वासना दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।

अगले दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था तभी भाभी ने आवाज़ लगाई- राजू, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं, उन्हें अन्दर ले आओ... बारिश आने वाली है।' 'अच्छा भाभी..।' मैं कपड़े लेने बाहर चला गया। घने बदल छाए हुए थे, भाभी भी जल्दी से मेरी मदद करने आ गईं। डोरी पर से कपड़े उतारते समय मैंने देखा की भाभी की ब्रा और पैन्टी भी टंगी हुई थी। मैंने भाभी की ब्रा को उतार कर साइज़ पढ़ लिया; साइज़ था 34बी, उसके बाद मैंने भाभी की पैन्टी को हाथ में लिया। गुलाबी रंग की वो पैन्टी करीब-करीब पारदर्शी थी और इतनी छोटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो। भाभी की पैन्टी का स्पर्श मुझे बहुत आनन्द दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छोटी सी पैन्टी भाभी के इतने बड़े चूतड़ों और चूत को कैसे ढकती होगी। शायद यह कच्छी भाभी भैया को रिझाने के लिए पहनती होंगी। मैंने उस छोटी सी पैन्टी को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुछ खुश्बू पा सकूँ।

भाभी ने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और बोलीं- क्या सूंघ रहे हो राजू ? तुम्हारे हाथ में क्या है? मेरी चोरी पकड़ी गई थी। बहाना बनाते हुए बोला- देखो ना भाभी ये छोटी सी कच्छी पता नहीं किसकी है? यहाँ कैसे आ गई। भाभी मेरे हाथ में अपनी पैन्टी देख कर झेंप गईं और चीखती हुई बोलीं- लाओ इधर दो। 'किसकी है भाभी ?' मैंने अंजान बनते हुए पूछा। 'तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो।' भाभी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोलीं। 'बता दो ना... अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लौटा दूँ।' 'जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे?' 'अरे भाभी, मैं तो इसको पहनने वाली की खुशबू सूंघ रहा था, बड़ी मादक खुश्बू थी। बता दो ना किसकी है?' भाभी का चेहरा यह सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अन्दर भाग गईं। उस रात जब वो मुझे पढ़ाने आईं तो मैंने देखा कि उन्होंने एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी। नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी। भाभी जब कुछ उठाने के लिए नीचे झुकीं तो मुझे साफ़ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वो ही गुलाबी रंग की पैन्टी पहन रखी थी। झुकने की वजह से पैन्टी की रूप-रेखा साफ़ नज़र आ रही थी। मेरा अंदाज़ा सही था। पैन्टी इतनी छोटी थी कि भाभी के भारी चूतड़ों के बीच की दरार में घुसी जा रही थी। मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी, मुझसे ना रहा गया और मैं बोल ही पड़ा- भाभी अपने तो बताया नहीं, लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छोटी सी पैन्टी किसकी थी।

'तुझे कैसे पता चल गया?' भाभी ने शरमाते हुए पूछा। 'क्योंकि वो पैन्टी आपने इस वक़्त नाइटी के नीचे पहन रखी है।' 'हट बदमाश..! तू ये सब देखता रहता है?' 'भाभी एक बात पूछूँ? इतनी छोटी सी पैन्टी में आप फिट कैसे होती हैं?' मैंने हिम्मत जुटा कर पूछ ही लिया। 'क्यों मैं क्या तुझे मोटी लगती हूँ?' 'नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुन्दर हैं, लेकिन आपका बदन इतना सुडौल और गठा हुआ है, आपके चूतड़ इतने भारी और फैले हुए हैं कि इस छोटी सी पैन्टी में समा ही नहीं सकते। आप इसे क्यों पहनती हैं? यह तो आपकी जायदाद को छुपा ही नहीं सकती और फिर यह तो पारदर्शी है, इसमें से तो आपका सब कुछ दिखता होगा।' 'चुप नालायक, तू कुछ ज़्यादा ही समझदार हो गया है, जब तेरी शादी होगी ना तो सब अपने आप पता लग जाएगा। लगता है तेरी शादी जल्दी ही करनी होगी, शैतान होता जा रहा है।'

'जिसकी इतनी सुन्दर भाभी हो वो किसी दूसरी लड़की के बारे में क्यों सोचने लगा?' 'ओह हो..! अब तुझे कैसे समझाऊँ? देख राजू, जिन बातों के बारे में तुझे अपनी बीवी से पता लग सकता है और जो चीज़ तेरी बीवी तुझे दे सकती है, वो भाभी तो नहीं दे सकती ना? इसलिए कह रही हूँ शादी कर ले।' 'भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती?' मैंने बहुत अंजान बनते हुए पूछा। अब तो मेरा लंड फनफनाने लगा था। "चल भाग यहां से" कह कर भाभी ने मुझे वहाँ से जाने को कहा "जब शादी करेगा तब सब पता चल जाएगा" कह कर भाभी हंसने लगी। धीरे धीरे मेरे मन मैं भाभी को छोड़ने की तमन्ना बढ़ने लगी और मैं उनके आगे पीछे ज्यादा घूमने लगा. भाभी भी मेरे साथ खूब खुश रहती थी अब वह मेरे साथ काफी खुल कर बात करती थी और कभी कभी मेरे सामने ही साड़ी बदल लेती थी. एक दिन वह मेरे सामने ही नहाकर बाथरूम से निकली उस समय उन के शरीर पर सिर्फ एक टॉवल लिपटा हुआ था और मैं उन कें बदन को घूरे जा रहा था भाभी ने पूछा "क्या है जो ऐसे आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा है"

भाभी आप पूरे दर्शन करवाती तो हो नहीं " मैंने कहा। ले देख ले " कह कर भीभी ने वह तौलिया भी हटा दिया। वाह रे मेरी किस्मत " जिस बदन के बारे मैं सोच सोच कर मैंने कई बार मुठ मारी थी आज वही दूधिया बदन सच मैं मेरे सामने था। मैंने आगे बढ़ कर भाभी के बूबस थामने की कोशिश की मगर भाभी दो कदम पीछे चली गयी और बोली "ओये बात देखने की हुई थी छूने की नहीं "। भाभी यह तो आप की ज्यादती है" देखो मेरा कितना बुरा हाल हुआ जा रहा है यह सेक्सी बदन देख कर

मैंने फिर कहा - "थोड़ा और नीचे वाला सामान दिखाओ भाभी ? "
भाभी ने कहा - पहले तूं भी दिखा ना ! फिर सोचूंगी क्या करना है उस के साथ।

मैं समझ गया आज भाभी चुदने के पूरे मूड में है इसलिए मैंने अपने शॉर्ट्स नीचे कर दिए। "मेरा आठ इंच का लंड फुंफकार मार कर बाहर आ गया। "हाय राम  इतना बड़ा " भाभी की आँखें फटी की फटी रह गयी। भाभी बड़ा हो या छोटा है तो आप का दीवाना। हाय राम , किसी छोटी चूत मैं मत घुसा देना , फाड़ देगा उस को यह भाभी अगर जाएगा तो आप की फ़ुद्दी में नहीं तो हाथ से काम चल ही रहा है। चल हट  , इतना मस्त माल देख कर कैसे रुक सकती है कोई औरत, आज तो इस के मजे लेने ही हैं। ओह्ह भाभी तुम कितनी अच्छी हो।

फिर हम दोनों एक दुसरे से पूरी तरह चिपट गए और जल्दी ही हमारी साँसे खूब तेज चल रही थी और हम एक दुसरे को चूम चूम कर गीला कर रहे थे। फिर मैं और भाभी बिस्तर पर आ गए, यह वही बिस्तर था जहां भैया ने भाभी की सील खोली होगी और रोज़ रात मेरी प्यारी भाभी की चूत गीली कर के सो जाते होंगे , आज मुझे भाभी को सही तृप्त करना होगा। अब मैंने जितना भी सेक्स के बारे मैं पढ़ा सुना था भाभी के साथ करने लगा। मैंने उन की चूचियाँ दबा दबा कर लाल कर दी और उन के निप्पल चूस चूस कर उन को मस्त कर दिया। फिर मैं उन की जाँघों के बीच जा कर उन की चूत चाटने की कोशिश करने लगा। हट वह गंदी होती है वहाँ नहीं चूमते पागल। नहीं, मेरी प्यारी भाभी का कुछ भी गन्दा नहीं है वह सब जगह प्यार करने लायक है मुझे मत रोको भाभी।

ओह इतना प्यार आ रहा है मुझे तब भाभी मत बोल अपनी सुमन बना ले मुझे। ओह मेरी रानी मेरी सुमन तेरे बिना अब नहीं रहा जाएगा जानेमन। ओह मेरे प्यारे राजा। फिर भाभी ने अपनी शर्म लिहाज दूर की और टाँगे फैला कर मेरे मुंह को अपने प्रेम द्वार के दर्शन करने दिए। बालों के बीच भाभी की चुत का गुलाबी छिद्र रास टपका रहा था। मैंने जीभ बढ़ा कर पहले उस रास को चाटा और फिर चाट चाट कर भाभी को मजे देने लगा। मेरी भाभी मस्त हो गयी और मेरे सिर को दबा दबा कर चटाई के मजे ले रही थी इस तरह औरत को मस्त करने का पहला इम्तेहान मैंने पार कर लिया अब दोनों को आगे बढ़ना था।

मैं अपने घुटनों पर आ लगा और कुत्ते की तरह भाभी के छेद मैं अपना हथियार घुसाने का प्यास करने लगा मगर वह तो घुस ही नहीं रहा था। जब दो तीन बार कोशिश करने के बाद भी मेरा हथियार सही जगह नहीं घुसा तो भाभी बोली - "पूरा बुद्धू है तू तो  तुझे बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा नहीं तो मेरी देवरानी क्या सोचेगी"। फिर भाभी ने मेरा लंड जड़ से कस  के पकड़ा और अपने छेड़ के साथ रख कर दबा दिया। अब मेरी बारी धक्का देने की थी , सही रास्ता और सही धक्का मिलते ही मेरा हथियार भाभी की छेद में समा गया। "आह" भाभी के मुंह से निकल गया। क्या हुआ भाभी ? मैंने कहा। कुछ नहीं रे , इतना बड़ा लिया नहीं है न कभी कुछ दिनों में आदत पड़ जाएगी। अब मेरी मर्दानगी जोश पर आ गयी और मेरे धक्के तेज तेज होने लगे। भाभी भी पूरी मस्ती में आ चुकी थी और चूतड़ उचका उचका कर मेरे धक्के के साथ मिला कर चुदाई करवा रही थी। मस्त चुदाई से भाभी जल्दी ही झड़ने की कगार पर आ गयीं और मुझे कस  कर पकड़ लिया मैं ने झटके रोके नहीं और उन के झड़ने के पांच मिनट बाद तक चोदता रहा जब मेरा माल निकलने वाला था तब मैंने भाभी से पूछा "सुमन अंदर छोड़ दूँ अपना माल ? " हाँ राजा " अगर आ भी गया तेरा प्यार मेरे पेट में तो डर कैसा ? आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

यह सुन कर मैंने अपना सारा माल भाभी की चूत की गहराई में उतार दिया और हम दोनों एक दुसरे से चिपट कर लेट गए। भाभी ने मुझे सेक्स की हर पोजीशन में सेक्स करना सिखाया। उन को आमने सामने बैठ कर चुदाई करना सब से ज्यादा पसंद है, वह कहती हैं यह पोजीशन लम्बे लंड वाले ही ठीक से कर सकते हैं और उन्हें इसलिए खास पसंद है की उन्हें अपनी चूत में मेरा लंड घुसते हुए देखना अच्छा लगता है। मैं भाभी की गांड भी मार लेता हूँ. गांड मारने के लिए मुझे भाभी ने ही उत्साहित किया और पूरा सहयोग देकर अपनी गांड का मेरे लंड से उद्घाटन करवाया। भाभी सेक्स में किसी बात के लिए मना ही नहीं करती जो दिमाग में आ जाए कर के ही मानती हैं।

मेरे मामा के साले के लड़के की पत्नी को चोदा Mere mama ke saale ke ladke ki patni ko choda

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दोस्तों मैं दिलेर सिंह आपका स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको एक ऐसी सेक्स कहानी पढ़ने को दे रहा हूं जो मुझे ना चाहते हुए भी करना पड़ा था. राजू मेरे मामा के साले का लड़का है। हम दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते है और एक ही मकान किराए पर लेकर रहते है। उसकी पत्नी अर्थात मेरी भाभी का नाम रैना है, गजब की खूबसूरत हैं, खूब गोरी रंगत जैसे सफ़ेद मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो। करीब पाँच फुट छः इंच की लम्बाई, सुडौल छरहरा जिस्म, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गोल चेहरा, थोड़े मोटे मगर रसभरे होंठ, सीने पर जब दो बड़े-2 यौवन कलश लेकर चलती तो लगता था उसके कमर के नीचे भी दो अमृत-घट थिरक रहे हैं।

वो अक्सर मुझे ललचाई नजरों से देखती रहती थी, पर चूंकि पारिवारिक संस्कार मुझ पर हावी थे इसलिए मैं इसके पक्ष में नहीं था। भाभी मुझे कई बार इशारों में यह समझा चुकी थी। हालाँकि हमारे बीच हल्का-फुल्का मजाक जरूर चलता था पर कभी शालीनता की सीमा नहीं लाँघता था। अक्सर रात को भैया-भाभी के कमरे से उनके प्यार की फुसफुसाहट और कभी कभी आह...उह... की आवाज भी आती रहती थी। जिसे सुन कर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगता था लेकिन मैं यारी में खारी नहीं करना चाहता था और मैं आत्म-हस्त-बल के द्वारा खुद को शांत कर लेता था। कई महीने यूँ ही गुजर गए।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर एक दिन उसके भाग्य का सितारा भी चमका। राजू को ओवर टाइम के लिए कंपनी में रुकना पड़ा लेकिन मेरा उस दिन ओवरटाइम नहीं था इसलिए 5 बजे ही छुट्टी हो गई और मैं 5:20 pm पर घर पहुँच गया। भाभी ने मुझसे कहा की उसे उसकी सहेली के पास किसी जरुरी काम के लिए जाना है। मैंने भाभी को कहा कि वह फिर कभी चली जाएँ, उसके पति के साथ। वो नहीं मानी और उसने अपने पति को फोन किया, थोड़ी देर बाद की मुझे राजू का फोन आया और उसे ले जाने के लिए कहा। अब मैं भी मना नहीं कर सकता था। मैं उसे बाइक पर बैठाकर उसकी सहेली के घर ले गया और वहां पर ही 7 बज गए.  रास्ते में ही जोरों की बारिश होने लगी।

हम दोनों भी भीग गए थे और वो मेरे से चिपकने लगी, मैंने उसे ढंग से बैठने को कहा तो भाभी ने कहा कि उसे ठण्ड लग रही है और वह अब कांप भी रही थी इसलिए मैंने उसे नहीं रोका। उसने मुझे मेरे आगे से हाथ करके पकड़ लिया और मुझसे चिपक गई और धीरे - धीरे उसका हाथ मेरे लंड पर ले गई और पेंट के ऊपर से ही अपने हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी. जब मैंने उसे मुड़कर देखा तो ठंड के कारण उसका बुरा हाल था और उसके दांत भी बजने लगे थे। इतने में हम घर आ गए, मैंने भाभी को एक चारपाई पर लेटा दिया और मैंने उसके लिए गरमागरम चाय बनाई। चाय पिने से उसे थोड़ी - बहुत राहत मिली। अब हम दोनों एक ही चारपाई पर बिलकुल पास - पास बैठे थे। मैं जैसे ही उठकर जाने लगा भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और जोर से भींच दिया। मैंने उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा तो वो काँप रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- सॉरी, आज मैं खुद को रोक नहीं पाऊँगी।

इतना कहकर उसने मेरे हाथ को चूम लिया। मैंने उसके हाथ से अपना हाथ धक्के से छुड़ा लिया। वह मेरे पैरों में गिर गई और बोली - यदि तुमने मुझे आज भी तड़पती छोड़ दिया तो मैं अपनी जान दे दूंगी। मैंने उसे कंधों से पकड़ कर उठाया और उसे बहुत समझाया कि यह सही नहीं है, राजू क्या सोचेगा मेरे बारे में। उसने कहा कि केवल आज जैसा मैं चाहती हूँ वैसा कर दो फिर कभी मैं तुम्हें ऐसा करने की नहीं कहूँगी। उसकी आँखों में एक अजीब सी तड़प थी, अब मुझे भी लगा कि इसे एक बार इसके मन की करने दूँ। मैंने उससे कहा की मैं पहल नहीं करूँगा और तुम्हें कुछ भी करने से रोकूंगा भी नहीं। 

उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया और अपने प्यासे होंठों को मेरे होठों पर रखकर चूम लिया। फिर कब उसने हम दोनों कपड़े हमारे शरीर से अलग किए, यह पता भी नहीं चला। हम दोनों ही पूर्णतः वस्त्रविहीन हो गए। उसके हाथ मेरे संपूर्ण शरीर को सहला रहे थे। अचानक उसने नीचे बैठकर गप्प से मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और चूसने और चूमने लगी। मेरा पूरा शरीर तरंगित होने लगा। उसने मुझसे कहा कि तुम भी मेरा साथ दो और आज मुझे अपनी पत्नी समझकर मेरे साथ वो सब करो जो एक पति अपनी पत्नी से करता है।

फिर हम लोग बिस्तर पर आ गए। अब मेरे हाथ भी उसके उरोजों को मसलने में लगे थे। वो मेरा सिर पकड़कर अपने सीने के पास ले आई। मैं उसका अभिप्राय समझ गया था। मैं उसके एक उरोज को मुँह में लेकर चुभलाने लगा। उसने मेरा एक हाथ पकड़कर अपने दूसरे उरोज पर रख दिया। मैं हाथ से दूसरे उरोज के निप्पल को मसलने लगा।
फिर उसने मेरे सिर को नीचे की ओर दबाया। मैं भी अब उसके योनि के पास आ गया। क्या खूबसूरत योनि थी उसकी, एकदम गुलाबी, बाल-रहित, चिकनी, मुलायम, गद्देदार, लगभग एक अंगुल का चीरा।

अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी योनि को चूम लिया। फिर उसकी दोनों फांकों को अलग करके देखा, अंदर एकदम लाल-लाल। मैंने अपनी जीभ घुसेड़ दी, वो चिहुँक गई। मैं लपालप जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में उसने मेरे सिर को अपने योनि पर दबाने लगी और उसके योनि से लिसलिसा सा पानी निकल आया। अब वो मुझे ऊपर की ओर खींचने लगी। ऊपर आकर मैंने फिर उसके होंठों को चूम लिया। उसके योनि पर मेरा लिंग टकरा रहा था। उसने अपने हाथों से मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि द्वार पर सेट किया और मुझे इशारा लिया। मैंने हल्का सा दवाब दिया। चूंकि उसकी योनि पूरी गीली हो चुकी थी अतः मेरे लिंग का अग्र भाग फक्क से उसकी योनि में घुस गया। उसके चेहरे पर हलकी सी पीड़ा उभर आई। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं उसके होठों को चूमने लगा। मैंने फिर अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा पूरा लिंग एक बार में ही घुप्प से उसके योनि में धँसा। उसने अपने होंठ भींच लिए और सिर इधर-उधर करने लगी और साथ ही पैर भी पटकने लगी। उसे इतना मजा आ रहा था कि उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। मेरे लिंग में भी काफी तेज दर्द का अनुभव हुआ। मैं अपना लिंग निकालने लगा पर उसने अपने दोनों पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया और बोली- अरे निकालो मत, इसी के लिए तो मैं तड़प रही थी।
और फिर उसने मेरे होंठों को चूम लिया। फिर वो मुस्कुराते हुए बोली- तुम तो पूरे मर्द निकले, एक बार में ही किला फतह कर लिया। कुछ देर के बाद उसने नीचे से अपनी कमर उचकाई तो मुझे लगा कि अब वो धक्के के लिए तैयार है। मैं धक्का लगाने लगा। उसकी कसी हुई योनि में मेरे लिंग का घर्षण अपूर्व आनन्द उत्पन्न कर रहा था। किसी ने सही कहा है कि दुनिया का सारा सुख एक तरफ और सम्भोग सुख एक तरफ।

मैं करीब दस-बारह मिनट तक मैं धक्के मारता रहा। अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे कसकर जकड़ लिया। और इसके साथ ही लगा जैसे मेरे लिंग पर रस की बरसात हो गई। फिर उसका शरीर ढीला पड़ गया। पर मेरे धक्के लगातार चलते रहे। कुछ देर बाद वो फिर स्खलित हो गई। अब लगता है वो कुछ थक सी गई थी। क्यूंकि उसने नीचे से कमर उचकाना बंद कर दिया। मैं भी रुक गया और पूछा- क्या हुआ, थक गई क्या? उसने भी मुस्कुरा कर कहा- हाँ, एक शेर से जो पाला पड़ा है। मैंने उसे चूम लिया और उसी अवस्था में उसके उरोजों को चूसने लगा। कुछ देर चूसने के बाद जैसे फिर से उसमें उन्माद आ गया। वो फिर से कमर उचकाने लगी। मैंने भी धक्के लगाना शुरू किया। उसके दो-दो बार रसवर्षा के कारण योनि में इतना रस भर गया था कि हर धक्के से फच्च...फच्च.... का मादक संगीत कमरे में गूंजने लगा। करीब बीस धक्कों के बाद मेरे लिंग में भी सुरसुराहट होने लगी, मैंने पूछा- भाभी मैं भी छूटने वाला हूँ, बताओ कहाँ निकालूँ? उसने जवाब दिया- मैं भी छूट रही हूँ मेरी जान, मेरे अंदर ही निकालो और मेरी प्यास बुझा दो।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उसके ऐसा कहते ही मेरे लिंग ने भी पिचकारी चलानी शुरू कर दी। पिचकारी चलते ही उसने अपनी योनि को इस तरह सिकोड़ लिया कि लगा जैसे मेरे लिंग को तोड़कर अपने अंदर सदा के लिए रख लेना चाहती हो। पूर्ण स्खलन के बाद कुछ देर तक मैं भी उसके ऊपर ही लेटा रहा। फिर मेरा लिंग समर्पण की मुद्रा में उसकी योनि से बाहर आ गया। तो मैं भी उसके ऊपर से हट गया। उसने फिर मुझे चूम लिया और कहा- तुमने मुझे आज असीम सुख दिया है। मैं जानती थी कि सम्भोग का असली सुख मुझे तुमसे ही मिल सकता है। क्या एक बार और करें? मैंने उससे कहा कि आज मैं तुम्हें मना नहीं करूँगा। उस दिन उसने मुझसे चार बार अपनी चूत चुदवाई, अब उसकी शर्दी पूरी तरह से बाहर निकल चुकी थी. इसके बाद उसने कभी मुझे दोबारा ऐसा करने को नहीं कहा.....

खिड़की वाली भाभी होंठों को चूमने लगी - Bhabhi ki chudai story

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यह बात चार साल पहले की है जब मैं मास्टर डिग्री के फाइनल इयर में पढ़ रहा था। मैं पेयिंग गेस्ट रहता था। जहाँ पर रहता था, वहाँ सबसे मेरे अच्छे ताल्लुकात बन गए थे। मेरे कमरे के सामने एक युवा नवविवाहित जोड़ा रहता था। भाभी का क्या कहना, देखने से ही तन बदन में आग सी लग जाती थी ! क्या मस्त मस्त चूचियाँ थी, मस्त मस्त चूतड़ थे !

मैं अक्सर अपनी खिड़की से उनको देख कर मुठ मारा करता था और सोचा करता था कि काश एक बार मौका मिल जाए तो जिंदगी बन जाए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं अकसर उनके घर शाम को चला जाता था, भैया के साथ बातचीत होती थी, तब भाभी पानी का गिलास लेकर आती थी तो उनके हाथ को छूने का मौका मिल जाता था।

हुआ यों कि होली का त्योहार था, भैया को तीन दिन पहले ऑफ़िस के काम से कोलकाता जाना पड़ गया और मेरा भी घर जाने का प्रोग्राम बन गया था तो मैं उस दिन शाम को भैया-भाभी से मिलने के लिए चला गया।
तब भाभी बोली- तेरे भैया तो कोलकाता चले गये हैं मुझे यहाँ अकेली को छोड़ कर ! तो मैंने उसी समय पॉइंट मार दिया- मैं भी बहुत अकेला महसूस करता हूँ, हर रात काटने को आती है, ना ही नींद आती है।
तो भाभी फट से बोली- जब सुबह सुबह मैं काम कर रही होती हूँ तो तुम्हारी खिड़की हल्की सी खुली होती है, तुम मुझे देखते हो?

मैं घबरा गया और खड़ा हो गया, मेरे छोटे उस्ताद भी अपनी पोज़िशन में खड़े थे, भाभी ना जाने कब से नोट कर रही थी मेरी हरकतों को !

मैं हकलाते हुए बोला- नहीं तो भाभी !
भाभी बोली- बनो मत, मैं पागल नहीं हूँ।
तो मैंने बोल दिया भाभी को- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, आपको गले लगाने का मन करता है।
तो भाभी बोली- चलो ठीक है, इस होली पर मिल लेना गले जी भर कर !

मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मैंने मौका ताड़ते हुए भाभी को बोला- एक ग्लास पानी मिलेगा?
तो भाभी रसोई की तरफ चल पड़ी, मैं दरवाजे के पीछे छिप कर खड़ा हो गया। जब भाभी पानी लेकर आई तो मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और हड़बड़ाहट में भाभी घूम गई.

उनके हाथ से पानी मेरे ऊपर गिर गया तो भाभी बोली- आज ही होली मन गई ये तो !
मैंने बोला- हाँ जी, तो मेरी हग?

और इतना कहते ही मैं भाभी को अपने बाहों में क़ैद कर लिया, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थी तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ पड़ी और मैंने उनकी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया। शुरू में तो उन्होंने बहुत रोका पर मैं रुकने वाला कहाँ था।

धीरे धीरे वो भी गर्म होने लगी और उनकी आँखें बंद होने लगी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मेरे हाथ उनके कूल्हों को सहलाने लगे, मेरा हथियार उसकी जाँघों में घुस रहा था, भाभी उसको महसूस कर रही थी और वो मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी। मैं उनको अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर ले गया और उनके ब्लाऊज के ऊपर से उनके उभारों को मसलने लगा। धीरे धीरे मैंने उसके ब्लाऊज़ के हुक खोले, ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी एक चूची को बार निकाला और चूसने लगा।

मैं छोटे बच्चे की तरह उनके निप्पल को चूसे जा रहा था और एक हाथ से उनकी साड़ी पर से उनकी जांघें सहलाने लगा। भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही। थोड़ी देर बाद मैंने भाभी का ब्लाउज़ और ब्रा बिल्कुल उतार दी तो भाभी ने मेरी पैन्ट का हुक खोल कर जिप भी खोल दी और मेरे कच्छे में से मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया।

भाभी बोली- साला पूरा खड़ा हो गया है !

मैंने अपनी पैंट और कच्छा एकदम से उतारा और बिना कुछ कहे अपना सात इन्च का लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी। मैंने भाभी के बाकी के सारे कपड़े उतार दिए।

कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड दो इन्च अंदर चला गया। पर मैं एकदम कराह उठा क्योंकि यह मेरी पहली चुदाई थी।

उनके होंटों को मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। कुछ देर में मेरा दर्द खत्म हो चुका था।
मौका सम्भालते हुए मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था। और अब भाभी भी कराह रही थी।

वो बोली- तुम्हारे भैया कभी कभी ही सेक्स करते हैं, आज तक मुझे प्रेगनेन्ट नहीं कर सके ! उनका घुसते ही छूट जाता है और मैं ऐसे ही रह जाती हूँ ! प्लीज़ आज मेरी जी भरकर मारो, मेरी प्यास बुझा दो !
हम दोनों सिसकारियाँ भर रहे थे !

मैं तो चुदाई में जुटा हुआ था गरम खून है तो जिसके किए कब से तड़फ़ रहा था, उसको कैसे छोड़ता। मैं भाभी को जी भरकर प्यार कर रहा था, उनकी आँखों में आंसू थे पता नहीं दर्द के, या आनन्द के या अपने पति से बेवफ़ाई के गम के !

कुछ देर तक मैं ऐसे ही उन्हें पेलता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता रहा। कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी, जोरदार चुदाई में भाभी एक बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूँ?
भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही कर दो !

और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी। उस रात मैं भाभी के पास ही रुक गया क्योंकि दोनों ही थक कर चूर हो चुके थे। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर रात को भाभी को कई बार ठोका।उनकी बुर सूज कर मोटी हो गई थी। इस तरह हमारा से सिलसिला चार दिन तक चलता रहा। मुझे तो जन्नत मिल गई थी।

इसके बाद मैं मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बन चुकी है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं। अब भाभी मुंबई जा चुकी है भैया के साथ, और यह लंड आज भी उनको याद करके सलामी देता है, अब मेरी उमर 26 साल हो चुकी है उसके बाद मुझे कभी मौका नहीं मिला कि किसी के साथ सेक्स कर पाऊँ।

भैया की मदद से मैंने की भाभी की चुदाई Bhaiya ki madad se maine ki bhabhi ki chudai

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यह कहानी मेरी और मेरे सगे भाई अनिल और उसकी पत्नी टीना की है.अनिल मुझसे 2 साल बड़ा हैं. हम दोनों आपस में खुले बोलते है और ब्ल्यू फ्लिमस भी साथ में देखते थे और एक ही रंडी की चूत भी मारते थे. वो पढने में मुझ से थोडा विक था इसलिए उसने बी.कोम किया और मैं यहाँ दिल्ली में चार्टर्ड अकाउंटेंट हूँ. मेरी शादी तब तक नहीं हुई थी जब यह चुदाई हुई लेकिन अनिल का रिश्ता हो चूका था और वह कहता था कि तुझे बड़े मजे आयेंगे मेरी शादी के बाद. वो लोग पार्क भी मेरे साथ ही जाते थे. वो लोग मुझे साइड में बिठा के कोने में चुम्माचाटी और बूब्स दबाने का काम करते थे. और वो सब मेरी शैतानी नजरों से छिपा नहीं रहता था. मेरा मन टीना भाभी की शादी के पहले से ही उसकी चुदाई करने को बना हुआ था. लेकिन मैं डरता था की कहीं अनिल को पता चला तो वो बुरा मान जायेंगा. मैंने अक्सर टीना भाभी के बारें में सोच के अपने लंड के पानी को बाथरूम में निकाला था.

देखते ही देखते अनिल की शादी हो गई और मेरी चुदाई के सपने चुद गएँ. शादी वाली रात मैंने ही अनिल को दरवाजे तक छोड़ा था और मैं मनोमन उस से जल रहा था की साला इसे बढ़िया पिस मिल गया हैं. सुहागरात मना के जब अनिल निचे आया तो मैं भी निचे ही था. मुझे देख के उसने आँख मारी और हंस पड़ा. अनिल मेरे पास बैठा और उसने मेरी और देखा. मैंने उसे धीरे से कहा, “मुफ्त की पहली चुदाई कैसी रही?” “साले मुफ्त की थोड़ी हैं डेड ने शादी में 10 लाख खर्चा किया हैं तो ऐसा बोल के जिन्दगी की सब से महंगी चुदाई कैसी रही.” उसने धीरे से कहा. वो आगे बोला, “बड़ा सही पिस हैं यार. उसके साथ तो पूरी रात खींचातानी रही. उसने अपने कोलेज के अफेर के बारे में भी बताया. बड़ी वाइल्ड हैं तेरी भाभी तो…!” आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मेरे मन में यह सब सुन के और भी जलन होने लगी. उसकी चुदाई की बातें तब तक चली जब तक टीना भाभी को दीदी निचे ले के नहीं आई. लेकिन लास्ट में जो बात अनिल ने कही उस से मेरा दिमाग चकरा गया, “काश तू अपनी भाभी की चूत देख सकता तो तुझे पता चलता की वो कितना बड़ा माल हैं.” मैं कुछ नहीं बोला; लेकिन मुझे इस लाइन से यह पता चल गया की अनिल के मन में सॉफ्ट कोर्नर हैं और अगर मैं थोडा प्रयास करूँ तो भाभी की चुदाई का जुगाड़ हो सकता था. मैंने मनोमन अनिल की मदद से टीना भाभी की चुदाई का प्लान उसी वक्त वही बैठे बैठे बनाया. अनिल एक नंबर का शराब का शौकीन हैं और उसकी यही आदत का मैंने फायदा उठाने का नक्की कर लिया.

अनिल की शादी को अभी 2 हफ्ते ही हुए थे. शाम का वक्त था और किंगफिशर की दो बोतलें खुली और साथ में मैंने बोइल्ड सिंग और तले हुए काजू का चखना रखा हुआ था. अनिल को थोड़ी पिलाई और मैंने टीना भाभी की बात निकाली. अनिल को चढ़ी नहीं थी अभी लेकिन मैं जानता था की वो टीना से शादी कर के बड़ा खुश हैं और वो उसकी बातें मुझे जरुर बतायेंगा.

अनिल: अरे मत पूछ यार उसके बारे में. बड़ी क़यामत चीज हैं तेरी भाभी. रोज अपना पल्लू उठा के पहले अपने चुंचो का रसपान कराती हैं और फिर अपनी चूत की चुदाई में मुझे मग्न करती हैं. सच में यार हमने आज तक जितनी चूतें मारी हैं उसमे से ऐसी गरमी किसी के भी अंदर नहीं थी. बड़ा कस के दबाती हैं लौड़े को अपने छेद के अंदर जब झड़नेवाली होती हैं. अनिल की बात सुन के मेरा लंड खड़ा होने लगा था और मैंने सोचा की मूठ नहीं मारी तो मजा नहीं आयेंगा. मैंने अनिल को कहा की मैं मूत के आता हूँ और बाथरूम में मैंने टीना भाभी के नाम की मूठ मार ली. वापिस आके मैंने बियर को वापिस अपने होंठो पे लगाया. अनिल मेरे सामने देख रहा था और उसके हाथ के काजू को वो मुहं में डाल रहा था.

मेरे मन में टीना भाभी की चुदाई के सपने आने लगे थे. तभी वह बोला - देख भाई तू मुझसे चाहे कितना भी छिपा ले लेकिन मैं तेरी हर हरकत जानता हूँ तू अब भी मुठ मार के आया है. हम दोनों ने अब तक जो कुछ भी किया है साथ - साथ ही किया है इसलिए अब तेरी भाभी को भी साथ में ही चोदेंगे. यदि वह नहीं मानी तो मैं भी जब तक तेरी शादी नहीं हो जाएगी तब तक मुठ मारकर ही काम चलाऊंगा. मैंने सोचा अब इसे चढ़ गई है इसलिए ऐसे बोल रहा है. तभी वो ऊपर कमरे में टीना भाभी के पास गया और पूरी दस मिनिट में बाहर आया. सीडी के ऊपर से ही उसने मुझे इशारा किया उपर आने के लिए. सीडी के ऊपर हम दोनों इकठ्ठे हुए तो वो हंस के बोला, “तेरी भाभी मान गई हैं दो लंड से चुदने के लिए. लेकिन उसने कहा की मैं तुझ से यह प्रोमिस लू पहले की यह किसी को बतायेंगा नहीं.” आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैंने अनिल को कहा, “अरे आजतक हमारी बात बाहर आई हैं कभी.”

हम दोनों अंदर कमरे में गए. टीना भाभी आईने के सामने खड़ी हुई अपने होंठो पे लिपस्टिक लगा रही थी. मुझे देख के वो बोली, “आओ देवर जी; हमारे गरीबखाने में.”
मैंने कहा, “भाभी आप जैसे लोग गरीब होने लगे तो बेचारे असली गरीब को क्या कहेंगे.”
टीना भाभी ने ठठ्ठा लगाया और उसकी बड़ी गांड हंसी के साथ हिलने लगी. भाभी पलंग के ऊपर आ बैठी और अनिल की तरफ देखा. अनिल ने मुझे इशारा किया की मैं भी पलंग के ऊपर बैठ जाऊं. भाभी ने मेरी तरफ देखा और बोली, “बड़े शैतान हो दोनों भाई. लेकिन मुझे अच्छा लगा आप का प्यार देख के.”

मैं भाभी के करीब बैठ गया और वो मेरे छाती वाले भाग पे अपना हाथ चलाने लगी. अनिल ने दरवाजा खिंचा और स्टोपर लगा दी. टीना भाभी मेरे बगल में ही थी और मेरी साँसों की बढ़ने की आवाज शायद उसे आ ही गई होंगी. अनिल वापस आया और हम दोनों की और देखा. टीना भाभी ने पहले अनिल और फिर मेरी और देखा और बोली, “चलो पहल कौन करेंगा यह तो बताओ…?”

अनिल ने  मुझे इशारा किया. मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था भाभी की तरफ हाथ बढाते हुए. अनिल वही बैठ गया और वो मुझे और टीना भाभी को देखने लगा. मैंने अपने हाथ को टीना भाभी की बड़ी चुंची पे रख दिया और हलके से दबा दी. टीना भाभी की चुंची मस्त सॉफ्ट थी और उसे दबाते ही उसके मुहं से एक सिसकी निकल पड़ी. मेरा हाथ फिर रुकने वाला नहीं था. मैंने अपने दुसरे हाथ को भी चुंची के ऊपर लगा दिया और अब दोनों चुंचियां मैं अपने हाथ से दबाने लगा. टीना भाभी ने पतला गाउन पहना था और उसकी ब्रा का अहसास मुझे अच्छे से हो रहा था. मैंने चुंचियां 1 मिनिट दबाई और फिर भाभी ने मेरे हाथ हटा के अपने गाउन को उपर उठाया. सच में वो चुंचियां मस्त और गोल थी; जो अभी सफ़ेद ब्रा के पीछे छिपी बैठी थी.

भाभी ने जैसे ही अपने हाथ पीछे कर के अपना ब्रा खोला मेरे मुहं में उनकी निपल्स देख के पानी आने लगा. मैंने भाभी की चुंचियां अपने मुहं के पास रखी और उन्हें चूसने लगा, इतने में अनिल भी खड़ा हो गया और उसका लंड भी. अनिल ने अपनी पेंट से लौड़े को बाहर निकाला और भाभी के मुहं के सामने रख दिया. मैंने भाभी की चुंचियां चूसना बंध किया और भाभी ने अनिल का लंड मुहं में ले लिया. अनिल की आँखे बंध थी और वो अपनी गांड को आगे पीछे कर के लंड को मुहं में चलाने लगा. यह हॉट सिन देख के मेरा लौड़ा भी चुदाई के लिए जैसे की पागल हो रहा था. अनिल का काला मोटा लंड भाभी के गोरे मुहं में मस्त चल रहा था. मैंने उठ के अपनी पेंट निकाली और अंडरवियर भी उतार फेंकी. टीना भाभी ने लंड चूसते चूसते मेरे सामने देखा और अपनी टाँगे फैला दी. 

मैं समझ गया की भाभी अपनी चूत चूसवाना चाहती थी. मैं उसकी टांगो के पास आ बैठा और मुझे देख के अनिल थोडा साइड में हो गया. मैंने अपने होंठ भाभी के चूत के सामने रखे और पहले हलके से एक किस किया, मेरी नाक में भाभी के पेशाब की खारी सुगंध भर सी गई. लेकिन मुझे तो जैसे उस से और भी उत्तेजना हो रही थी. मैंने अपनी जीभ भाभी की चूत के अंदर डाली और उसके होंठो को अपनी जीभ से लपलपाने लगा. टीना भाभी के मुहं में अनिल का लंड था इसलिए शायद वो आह भी नहीं कर पाई.

अनिल भाभी के मुहं में लंड देता गया और मैंने चूत का पानी निकाल दिया था उसे चूस चूस के. अब मुझ से जरा भी रहा नही गया. मैंने चूत की चुसाई को छोड़ा और सोचा की अब चुदाई में ध्यान देते हैं. मैंने अपने लौड़े के सुपाड़े के ऊपर थूंक मला और भाभी की टाँगे फैला दी. भाभी ने अपनी उँगलियों से चूत के होंठो को खोला जिस से उसके चूत के अंदर की लाली साफ़ नजर आ रही थी. मैंने अपने लंड के सुपाड़े को सेट कर के एक जोर का झटका दिया और भाभी की बूर में अपना लंड पेल दिया. सच में जैसे अनिल ने कहा था वैसे ही भाभी की चूत मस्त टाईट और गरम थी. उसकी चूत के होंठो ने जैसे मेरे लौड़े को अंदर दबोच लिया था. टीना भाभी अभी भी अनिल के लौड़े को अपने मुहं से मजा दे रही थी और इधर वो मेरे लंड को अपनी चूत में फसाये हुए थी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

अनिल भी अपनी मस्ती में मस्त था और वो टीना भाभी के बालों को पकड के उनके मुहं को जोर जोर से पेल रहा था. अनिल के जैसे ही मैंने भी अपनी कमर को हिलाना चालू कर दिया और अपने लंड को भाभी की चूत के अंदर जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा. टीना भाभी भी बड़ी मस्ती में आ गई थी और वो अपनी गांड को आगे पीछे कर के मुझे और भी मजे दे रही थी. मुझे लग रहा था जैसे की मैं आठवें आसमान में हूँ जहाँ यह भाभी कोई अप्सरा हैं. मेरी सांस उखड़ रही थी और पसीना भी आ रहा था. लेकिन टीना भाभी ने मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत की पकड वैसे ही मजबूत बनाई हुई थी. दो मिनट की और चुदाई में तो जैसे मेरे लंड की साँस निकल गई. भाभी की चूत के अंदर वीर्य निकल गया और भाभी ने चूत को और भी टाईट कर लिया. इस टाईट चूत के अंदर मेरा वीर्य एक एक बूंद कर के निकल गया. मैंने लंड निकाला और मैं वही बैठ गया. इसके बाद अनिल ने अपना लंड भाभी की चूत में दिया और उसने भी भाभी की चुदाई मेरे सामने ही कर दी....

सर्दी में देवर के गरमा गरम लंड से चुदाई Shardi me devar ke garma garam land se chudai

सर्दी में देवर के गरमा गरम लंड से चुदाई Shardi me devar ke garma garam land se chudai, मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी , Hindi Sex Story , Porn Stories , Chudai ki kahani.

हैल्लो दोस्तों.. मैं रूचा, उम्र 22 साल और मैं शादीशुदा गर्ल हूँ. मेरी शादीशुदा लाईफ बहुत अच्छी चल रही है. मेरे पति मुंबई में आर्किटेक है और वो 27 साल के है. मेरी शादी को 3 महीने हो चुके है. यह जो घटना मैं आपको बताने जा रही हूँ वो मेरी शादीशुदा सेक्स लाइफ का एक्सपीरियन्स है. मैं मेरे पति के साथ मुंबई में ही रहती हूँ और फेमिली में हम दो ही लोग है और शादी से पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड था.. लेकिन हमारे बीच में बस ओरल सेक्स हुआ था. जब मेरे पति ने मेरे साथ पहली बार सेक्स किया तब तक मैं वर्जिन थी. मैं बहुत सेक्सी और सुन्दर गर्ल हूँ और अब मैं आपको बोर ना करते हुए सीधे स्टोरी पर आती हूँ. मेरी हमेशा से एक इच्छा थी कि मेरे पति मुझे खूब जमकर चोदे और मैं खूब चुदाई करवाऊँ और गांड मरवाऊँ.. लेकिन मेरी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई.

एक दिन जब रात को मेरे पति घर आये तो उनके साथ मेरे देवर जी भी आये. मेरे पति और उनके भाई दोनों ही बहुत सुन्दर है और अच्छे दिखते है. मैंने जब दोनों को साथ में देखा तो मेरी पुरानी इच्छा जाग उठी और मैंने सोचा कि ये मौका अच्छा है अपनी इच्छा पूरा करने का. फिर मैंने प्लान बनाया कि मैं देवर से चुदवाऊंगी.. लेकिन कैसे? रात में डिनर के समय मैंने ब्रा और पेंटी उतार दी और सिर्फ़ अपने नाईट गाउन में थी जो कि काफ़ी ढीला और बड़े गले का है. अगर मैं घर में ऐसे ही रहूँ तो मेरे पति को कोई प्रोब्लम नहीं थी. लेकिन मेरे देवर जी का ध्यान बार बार मेरे बूब्स की तरफ आ जाता था. मेरे 34-B साइज़ के आम उन्हें मेरी तरफ बड़ी भूख की आँखो से देखने पर मजबूर कर रहे थे. मैंने उन्हे ये करते हुये बहुत बार पकड़ लिया और सोचा कि आज रात में ही कुछ प्लान बनाया जाये. रात होने पर मेरे पति जाकर सो गये और मैंने अपने देवर जी के साथ बातें शुरू की और बातों बातों मे उनका हाथ मेरे बूब्स पर लगाया.. ब्रा नहीं होने से मेरे बूब्स झट से उछल गये और देवर जी थोड़े शरमा गये. मैंने मुस्कुरा कर कहा कि कुछ नहीं होता.. मैंने ब्रा नहीं पहनी है इसीलिये ऐसा हुआ.. यह सुनकर देवर जी मुझे घूरने लगे और उनके पजामे में उनका लंड खड़ा होने लगा. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैंने फिर कहा कि क्या हुआ देवर जी? क्या सोच रहे है आप.. तो वो बोले कुछ नहीं भाभी. मैंने कहा कि आप मुझे रूचा ही कहिये और आप क्या सोच रहे है वो तो सब दिख रहा है. यह सुनकर उसने मुझसे पूछा कि क्या आप घर में बिना ब्रा के रहती है अब मैं समझ गई कि आज देवर जी तो फंस ही गये. मैंने आराम से सोफे पर लेटकर कहा हाँ और अब घर में कैसे भी रहो क्या फ़र्क पड़ता है मैं तो पेंटी भी नहीं पहनती. यह बोलते ही उनका लंड तन गया और वो मेरे करीब आ गये. मैंने कहा क्या हुआ? उसने कहा कि मैं आपके बूब्स बहुत देर से देख रहा हूँ और करीब से देखना चाहता हूँ. मैं कुछ जवाब देती उससे पहले उन्होंने अपना हाथ मेरे गाउन मे डाल दिया. गाउन में हाथ डालते ही उन्होने मेरे बूब्स दबाने शुरू किये और निप्पल पर चिकोटी लेने लगे. मैंने कहा ये क्या कर रहे है.. तो उनसे कहा अब रहने दीजिये मुझे भी पता है आप क्या सोच रही है और उसने अपना पजामा उतार दिया और मेरे हाथ मे अपना लंड दे दिया और कहा कि मैंने भी अंदर कुछ नहीं पहना है. उनका लंड काफ़ी मोटा था और 8 इंच लंबा था.

उनके तने हुये लंड को देखकर मुझसे नहीं रहा गया. मैंने अपने देवर जी के लंड को सहलाना शुरू किया और कहा कि आपको करीब से देखना है तो देख लीजिये पर मुझे बदले में कुछ चाहिये. मैं उठकर खड़ी हो गई और देवर जी के बेडरूम में आ गई.. वो मेरे पीछे आ गये और रूम मे आकर मैंने अपना गाउन उतार दिया. मेरे देवर ने दोनों हाथ से मेरे बूब्स को दबाया और पागलों जैसे चूसने लगे.. फिर एक हाथ मेरी चूत पर ले जाकर उसमे दो उंगली डाल दी और बोला ओह भाभी आप तो बहुत गर्म हो गई है. मैंने कहा आपका लंड देखकर रहा ही नहीं गया.. लेकिन कहीं भैया आ गये तो? मैंने कहा कि वो अब सीधा सुबह उठेंगे. ये सुनते ही उसने मुझे बेड पर धकेल दिया और अपने कपड़े उतार दिये और मुझे अपने उपर आने का इशारा किया.. हम दोनों 69 पोज़िशन में थे. उसने मेरी चूत चाटना शुरू किया और एक उंगली को मेरी गांड मे डाल दिया.. लगता है देवर जी को गांड काफ़ी अच्छी लगती है. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैंने उसका 8 इंच लंबा लंड चूसते हुये ह्ह्हम्म्म हम कर रही थी. इतने में उसने मुझे उठाया और कहा कि ऐसे ही रहो.. हम डॉगी स्टाइल में थे. उसने एक ही झटके में मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और दोनों हाथ से मेरे बूब्स पकड़ लिये और झटके देने शुरू कर दिये. 2-3 धीरे धीरे झटको के बाद उसने ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया. फिर उसने मुझे 25 मिनट तक वैसे ही चोदा. मैं तो अब झड़ने वाली थी. उसने फ़िर अपना लंड निकाला और कहा कि झुक जाओ.. तो मैं समझ गई कि वो क्या करना चाहता है उसने मेरी कमर कसकर पकड़ी और अपना मोटा लंड मेरी गांड पर रख कर धक्का मारा. उस एक धक्के में उसका 8 इंच लंबा लंड मेरी गांड में था और मेरी चीख निकल गई. उसने एक हाथ में मेरा मुँह पकड़ लिया और दूसरे से मेरे बूब्स और कहा कि आज आपको ऐसी जन्नत मिलेगी जो भैया ने आपको कभी नहीं दी होगी. मैंने कहा हाँ चोदो मुझे जम कर चोदो ह्ह्ह्हम्म और उसने अगले 15 मिनट तक मेरी गांड मारी फिर लंड निकालकर मुझे पलट दिया. फिर मेरा सिर पकड़कर अपने लंड के पास लाया.. तो मैंने उसका लंड अपने हाथ में लेकर मुँह में डाल लिया. उसका लंड बहुत गर्म हो गया था. 2 मिनिट मे उसने अपना वीर्य मेरे मुँह पर छोड़ दिया. फिर मैं उठकर बाथरूम गई और फिर मैं अपने रूम में चली गई.

भाभी से सोने का नाटक करके लंड चुसवाया Bhabhi se sone ka naatak karke land chusvaya

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मेरा नाम नखील है, उम्र 28 साल की है और मैं अपने भाई - भाभी के पास दिल्ली में रहता हूँ। मेरी भाभी की उम्र 34 साल की है और बदनाकार 36-30-38 है, मैं उसके मस्त सेक्सी बदन को देख देख कर उसके बारे सोच सोच कर रोज अपने लंड से घंटों खेला करता था। वो जब मेरे कमरे में झाड़ू लगाने आती, तो मैं बातों-बातों में उसके जिस्म को निहारता रहता था और मेरा लंड फूल कर 7" का हो जाता था और पैंट से बाहर आने को बेक़रार रहता था, जिसे देख कर वो मुस्कुराती थी और जिस दिन मैं सो रहा होता तो वो मेरे लंड पर पेंट के ऊपर से ही हाथ लगा देती थी, लेकिन ना जाने क्यों आगे नहीं बढ़ती थी. एक दिन मैंने ठान लिया कि जैसे भी करके मैं उसकी बूर चोदूँगा और फिर गांड भी मारूँगा।

उस दिन से मैंने योजना बनानी शुरु की। एक दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया, बदन से सारे कपड़े उतार दिए, अपने कमरे के दरवाजे की कुण्डी खोल कर वापस अपने बिस्तर पर जाकर उसके आने का इन्तजार करने लगा और अपने लंड पर थूक लगा कर उसके साथ प्यार से उसके जिस्म के बारे सोच कर खेलने लग गया। खेलते खेलते मेरा लंड का सुपारा फूल कर लाल हो गया और मेरा लंड पूरा 7" से भी ज्यादा हो गया। इतने में उसकी आने की आवाज सुनाई दी तो मैं चुपचाप लेट गया। वो दरवाजे पर दस्तक देने लगी तो उसे लगा कि दरवाजा तो खुला है, तो वो अन्दर आकर दरवाजा बंद कर रसोई की तरफ चल पड़ी। कमरे में अंधेरा होने के कारण वो मुझे देख नहीं पा रही थी और ख्याल भी नहीं किया। उसने झाड़ू उठा कर मेरे कमरे की बत्ती जलाई तो देखा कि मैं पूरी तरह से नंगा हूँ और लंड पूरी तरह से खड़ा था। उसे देख कर उसके मुँह से हाएएएएएएए की आवाज निकल गई। पर मैंने सोने का नाटक जारी रखा। वो मुझे नींद में देख कर मेरे पास आकर बैठ गई और गौर से मेरे लण्ड को निहारती रही, कुछ देर देखने का बाद उसे मस्ती सूझी और वो खुद में बड़बड़ाने लगी- हाय, कितना बड़ा है ! मेरे 7" के खड़े लण्ड को देख कर उसकी बूर में खुजली शुरु हो चुकी थी, उसने अपना मुँह मेरे लण्ड के लाल सुपारे के ऊपर ले जाकर अपनी थूक छोड़ी तो लण्ड पूरी तरह से उसके थूक से भीग गया और पहले से भी ज्यादा चिकना और तन कर खड़ा हो गया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

मैं चुपचाप सोने का नाटक करते हुए मजा ले रहा था। पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरे लंड के सुपारे को जो लाल हो चुका था और हल्का सा रस भी टपका रहा था, उस पर आहिस्ता से अपनी जीभ फेरना शुरु किया। मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था पर फिर भी मैंने चुपचाप अपनी आँखें बंद रखी। वो शायद समझ चुकी थी कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ, इसलिए उसने बिना कुछ सोचे मेरे लण्ड को अपना मुँह में लिया और प्यार से चूसना चालू कर दिया। उसकी सांसें जोर से चल रही थी और वो पूरे होश खोकर मेरे लण्ड को अपनी मुँह में ले चूसे जा रही थी। और कुछ एक मिनट बाद उसने मुझे पुकारा- सुनील, अब उठ भी जाओ, मैं जान चुकी हूँ कि तुम सोने का नाटक कर रहे हो ! यह सुन कर मैं उठ गया और उसे अपने बाँहों में भर चूमने लगा।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

फिर मैंने कहा- मेरी रानी, अपने कपड़े तो उतारो !
उसने कहा- तुम ही उतार दो !

मैंने झट से उसके कपरे उतारने शुरु किए और उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका नंगा बदन देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि उसकी चूचियाँ और चुचूक पूरे तने हुए थे और बुर पर काली झांटें भी थी।
मैं कुछ सोचे बिना उसके चुचूक अपने मुँह में लेकर एक बच्चे की तरह चूसने लगा और वह कहती रही- राजा पी ले स्स्स्सस्स्स्स .... म्मम्मम .. और पी ! और पी .. ख़त्म कर दे सारा दूध .. बहुत दिन से भरी पड़ी हैं ये ! हअइ रअजअ ससससस..मइनइ अअकहइ हओओओ ! मैं उसकी बुर में ऊँगली करने लगा, 2-3 मिनट बाद मैंने उठ कर उसे 69 की अवस्था में ले कर अपने ऊपर चढ़ा लिया और प्यार से उसकी बुर चाटने लगा। उसने कहा- हय राजा चाटते रहो, म्मम्म ... अअअहहहहह ... रुकना मत चाटते रहो ! कह कर मेरे लण्ड अपने मुँह में ले चूसने लगी। पूरा घर चप -चुप -उप्प्प की आवाज़ से भर गया। एक ही मिनट बाद मेरे लण्ड ने पूरा रस उसके मुँह में छोड़ दिया और वो उसे चाट चाट कर गटकने लगी, साथ ही वो भी मेरे मुँह पर झड गई और मैं भी उसकी बुर का पानी बड़े मजे के साथ चाटने लगा और पूरी बुर अपनी जीभ से साफ़ कर डाली।  आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

उसने मेरे लंड को चुसना जारी रखा जिससे मेरा लंड फिर से टाईट हो गया. अब उसने मुझे लेटने को कहा और मेरे सीधा लेटते ही मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रख दिया और लंड को अंदर घुसा कर अपनी चूत ऊपर - निचे करने लगी. मैंने मजे में मेरी आँखे बंद कर ली. लगभग 20 मिनट तक वो मेरे लंड पर उछलती रही और उसकी चूत बार - बार गीली होती रही और उसकी चूत से निकला पानी मेरे लंड के सहारे नीचे आकर मेरी झांठो को भिगोने लगा. अब मैं भी झड़ने वाला था मैंने उससे कहा की जल्दी करो तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी तभी मेरा पानी उसकी चूत में निकलने लगा वो सिस्कारियां लेती हुई मेरे ऊपर लेट गई. फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए..... पूरी रात न सोने के कारण मैं चुपचाप लेटे-लेटे सो गया और पता नहीं कब वो मेरे पास से उठकर बाहर निकली।
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