सौतेले बाप के बड़े लंड से चुदवा लिया - Sautele baap ka badaa lund

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मेरा नाम डौली है, मैं पंजाब से अमृतसर की एक बेहद कमसिन हसीना हूँ, मैं भरे हुए यौवन की पिटारी हूँ जिसको हर मर्द अपने नीचे लिटाना चाहता है, पांच फ़ुट पांच इंच लंबी, जलेबी जैसा बदन, किसी को भी अपनी ओर खींचने वाला वक्ष, पतली सी कमर, मस्त गद्देदार गांड, गुलाबी होंठ, गोरा रंग !

अपने से बड़ी लड़कियों के साथ मेरा याराना है। मैंने इसी साल बारहवीं क्लास की है और नर्सिंग के तीन साल के कोर्स में मैंने दाखला लिया है। मेरी माँ की शादी सोलहवें साल में हो गई थी और बीस साल तक पहुंचते दो लड़कियो की माँ बन गई, सुन्दर औरत है, पांच बच्चे जन चुकी है लेकिन अभी भी कसा हुआ जिस्म है।

मेरी माँ के कई गैर मर्दों के साथ रिश्ते थे जिससे मेरा बाप माँ के साथ झगड़ा करता। पापा ने काफी जायदाद माँ के नाम से खरीदी थी। आखिर दोनों में तलाक हो गया, तीन बच्चे पापा ने रखे और हम दो माँ के साथ रहने लगीं।

माँ को जवान लड़कों का चस्का था, लड़कों हमारे पीछे बुलवा कर चुदवाती जिसका असर हम पर होने लगा। माँ के नक्शे कदम पर बड़ी बहन ने पैर रख दिए, मेरा भी एक लड़के के साथ चक्कर चल पड़ा और एक दिन मैं घर में अकेली थी। माँ दिल्ली किसी काम से गई हुईं थी। इसलिए दीदी ने उस रात अपने किसी बॉय-फ्रेंड के साथ चली गई क्यूंकि उनकी फ़ोन पर बात हो रही थी मैंने दूसरी तरफ से फ़ोन उठाया हुआ था। मैं और मेरा प्रेमी पम्मा भी चोरी छिपे सिनेमा और पार्कों में मिलते और बात चूमा चाटी तक ही रह जाती थी। ज्यादा से ज्यादा सिनेमा में में उसके लौड़े को सहलाती उसकी मुठ मारती, चूसती थी।

उस रात मैंने पम्मा को बुलवा लिया, करीब रात के दस बजे पम्मा आया ,मेरे कमरे में जाते ही हम एक दूसरे से लिपट गए। उससे ज्यादा मैं लिपट रही थी। उसने मेरा एक एक कपड़ा उतार दिया, मैंने उसका !आखिर में मैंने नीचे झुकते हुए उसके लौड़े को मुँह में ले लिया। उसने खूब मेरी चुचियाँ दबाई और चुचूक चूसे, ६९ में आकर चूत चाटी। उसने अपना लौड़ा जब मेरी टांगों के बीच में बैठ चूत पर रखा- हाय डालो न राजा !

उसने कहा- ज़रा मुँह में लेकर गीला कर दे !

उसने फिर से रखा !
मैंने कहा - अब डालो भी !

उसने झटका दिया और मेरी चीख निकल गई- छोड़ो ऽऽ ! निकालोऽऽ ! उसने मुझ पर पहले से शिकंजा कसा था, उसने बिना कुछ कहे पूरा लौड़ा डाल दिया। हाय मर गई ईईईईइ माँ ! फट गई ! कुछ पल बाद मैं खुद चुदवाने के लिए गांड उठा कर करवाने लगी। उसने अब पकड़ ढीली की। हाय राजा मारते रहो ! करीब पन्दरह मिनट के बाद दोनों झड़ गए। उस रात मेरी सील टूटी, पूरी रात चुदवाती रही, मैं कली से फूल बन चुकी थी।
जब तक माँ नहीं आई हर रात वो मुझे चोद देता। एक रात उसने अपने एक दोस्त को साथ बुलाया और मिलकर मेरी चूत मारी।

जिस दिन माँ वापस आई, उसके साथ एक हट्टा कट्टा जवान लड़का था। माँ की मांग में सिंदूर था और नया मंगल सूत्र ! माँ ने हम दोनों बहनों को बुलाया और बताया कि माँ ने दूसरी शादी कर ली है। उसकी उम्र पैन्तीस-छत्तीस साल के करीब होगी, माँ चवालीस साल ! दोनों रात होते कमरे में घुस जाते, फिर चुदाई समारोह चलता!

एक दिन मैंने दिन में ही माँ के कमरे का पर्दा सरका दिया। रात हुई, मैंने अन्दर देखा- माँ बिलकुल नंगी थी अकेली बिस्तर पर लेटी चूत मसल रही थी, अपने हाथ से अपना मम्मा दबा रही थी। माँ ने ऊँगली के इशारे से मेरे सौतेले बाप को पास बुलाया, नीचे की ओर चूत पर दबाव दिया और चूत चटवाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी। मैं अपनी चूत में ऊँगली करते हुए सब देख रही थी।

माँ उसका मोटा लौड़ा मुँह में डाल कुतिया की तरह चाट रहीं थी- हाय मेरे राजा ! तेरे लौड़े को देखकर मैंने तुझे खसम बना लिया है। वो सीधा लेट गया, माँ ने थूक लगाया और उस पर बैठ गई। मैं वहां से आई और कमरे में जाकर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। कुछ दिनों में मेरा सौतेला बाप मेरे जवानी पे ध्यान देने लगा लेकिन मैं उससे ज्यादा बात नहीं करती थी। जब वो सामने आता, मेरे आँखों में उसके लौड़े की तस्वीर घूमने लगती। रात को माँ को सिर्फ अपनी चुदाई से वास्ता था। यह नहीं सोचा कि दो जवान बेटियों पर क्या असर होगा। दीदी तो इस आजादी से खुश थी।

माँ का बहुत बड़े स्केल की बूटीक है, मेरे सौतेले बाप को पैसे देकर वर्कशॉप खोली और नई कार खरीद कर दी। हमें पैसे देते वक्त चिल्लाती- इतने पैसे का क्या करती हो ? मैंने माँ को सबक सिखाने की सोची। सौतेला बाप खाना खाने दोपहर घर आ जाता। मैं उसके साथ घुलमिल सी गई, पहले से ज्यादा बात करती ! वो भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूसने के लिए बेताब था।

एक दोपहर अपने कमरे के ए.सी की तार निकाल दी और उनके आने से पहले उनके कमरे का ए.सी चालू कर वहां लेट गई। मैंने एक जालीदार और पारदर्शी गाऊन, गुलाबी और काली कच्छी-ब्रा डाल उलटी तकिये से लिपट सोने का नाटक करने लगी।

आज तक मैं उसके सामने ऐसे नहीं आई थी। जब वो आये, मुझे मेरे कमरे में ना पाकर मायूस से होकर अपने ही कमरे में आये। मैंने थोड़ी से आंख खोल रखी थी, मुझे देख वो खुश हो गया, बाहर गया, सारे लॉक लगा वापस आया। दूसरे बेड पर बैठे हुए उसने अपना हाथ मेरी रेशम जैसे पोली-पोली गांड पर फेरा। मैं गर्म होने लगी, वहां से हाथ पेट तक गया, उसका मरदाना हाथ अपना पूरा रंग दिखा रहा था।

उसने मेरा गाऊन खिसका दिया। मैंने पलट कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया। वो पहले से ही सिर्फ कच्छे में था, आगे से फटने हो आया हुआ था। उसने मुझे नंगी कर दिया, बोला- रानी ! क्या जवानी है तेरी ! तुम दोनों बहनें साली रंडियाँ हो ! तेरी माँ ने जब परिवार की तस्वीर दिखाई थी, उसे देख मैंने उससे शादी कर ली। मैंने जिस दिन से आपका लौड़ा देखा है, चुदवाने को तैयार थी ! हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे चूमने लगे, तूफ़ान आ चुका था। ओह मेरी जान !

मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और कुतिया की तर जुबान निकल निकाल चाटने लगी। वो भी मेरा साथ देने लगा, वो भी अपनी जुबान जब मेरे दाने पर फेरता तो मैं उछल उठती- अह अह करने लगती ! बहुत ज़बरदस्त मर्द खिलाड़ी था ! एक एक ढंग था उसके तरकश में लड़की चोदने के लिए ! साली कितनों से चुदी है? काफी चुदी हूँ ! लेकिन मुझे अब तड़पाओ मत और मेरी चूत मारो ! आह मसल दे मुझे ! कमीने रगड़ दे ! मेरे जिस्म को पेल डाल अब बहन के लौड़े ! छिनाल, कुतिया, गली की रंडी ! तेरी माँ चोद दूंगा ! आज तेरी हूँ मैं तेरी ! जो आये करो ! आह !

उसने मेरे बालों को पकड़ मेरे मुँह में लौड़ा घुसा कर उसे निकलने नहीं दे रहा था। मैं खांसने लगी, मैंने टांगें खोल ली और वो बीच में आया, मैंने हाथ से पकड़ चूत पे टिकाया, उसने जोर से झटका मारा और उसका आधा लौड़ा घुस गया। थोड़ी सी दर्द हुई लेकिन मैंने चिल्लाने का काफी नाटक किया। सांस खींच चूत कसी, उसके दूसरे झटके में पूरा लौड़ा उतर चुका था।

और आह फक मी ! चोद और चोद साले, दिखा दे दम !
ले कुत्ती कहीं की !
दस मिनट ऐसे चोदने के बाद बोला- कुतिया की तरह झुक जा !

वो मेरे पीछे आया, उसने लौड़े पर थूक लगाया और पेल दिया। हाय मेरे राजा ! मेरे सांई ! उसने रफ्तार पकड़ ली। हाय, उसने मेरा बदन खड़का दिया। नीचे से मेरे कसे हुए बड़े बड़े मम्मों को इस तरह मसल रहा था जैसे कोई गाय का दूध निकाल रहा हो। मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मस्ती से चूत मार रहा था। मैंने कहा- मेरा काम तमाम हो गया !

तो उसने बिना कुछ कहे लौड़े खींचा, मेरी गांड पर रख झटका मारा। मैं तैयार नहीं थी उसके इस वार के लिए !
दर्द से कराह उठी मैं ! वो नहीं माना और पूरा लौड़ा घुसा के ही दम लिया और तेजी से मारने लगा। जैसे मुझे कुछ राहत मिली, मैं अपनी चूत के दाने को चुटकी से मसलने लगी। पांच मिनट बाद उसने अपना पूरा माल मेरी गांड के अन्दर छोड़ दिया और बाहर निकाल मेरे होंठों से रगड़ दिया। मैंने जुबान निकाल सब कुछ साफ़ कर दिया। शाम तक उसने मुझे दो बार चोदा। रोज़ दोपहर में मुझे चोदता। 

पड़ोस वाली आंटी को गर्भवती बनाया Aunty ko bachcha paida kiya

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मेरा नाम सुनील है, मेरी उम्र २२ साल है। मैं ६ फ़ुट २ इंच लम्बा सांवला लड़का हूँ। मेरे लण्ड का साइज़ ७ इंच है। मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ. मैंने अपना पहला सेक्स अपनी पड़ोसन सोना आंटी के साथ किया था।

यह उन दिनों की बात है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था। सोना आंटी बहुत सेक्सी थी। उनकी उस समय नई नई शादी हुई थी। उनका पति चालीस साल का था और वो केवल पच्चीस साल की ही थी। उनका गोल-मटोल बदन, उनके उभरे हुए वक्ष देख कर कोई भी अपना काबू खो दे ! मैंने मन ही मन उन्हें चोदने का सोचता था लेकिन शुरुआत कैसे की जाए यह मुझे समझ नहीं आ रहा था। उनका पति शाम की पारी में काम करके आधी रात को घर आता था और रात को सोना आंटी की चुदाई करता था।

एक बार उनका पति रात को एक बजे आया, मैं उस वक्त जगा हुआ था, अचानक आह आह की आवाज सुनाई दी। मैंने बाहर जाकर देखा तो उनके घर से आवाज आ रही थी। उस समय बहुत अँधेरा था और रात में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था तो मैंने हिम्मत करके उनकी खिड़की में झांकने की कोशिश की।

खिड़की में छेद थे और पर्दा लगा हुआ था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तो मैंने डंडी से खिड़की का पर्दा हटाया, अंदर जीरो-बल्ब की रोशनी थी। अन्दर का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। मैंने अन्दर देखा कि अंकल सोना आंटी के स्तन दबा रहे थे और वो आहऽ आहऽऽ की आवाज निकाल रही थी। कुछ देर के बाद अंकल सोना आंटी के ऊपर चढ़ गए और एक जोरदार धक्के के साथ अपना काला लिंग उनकी योनि में डाल दिया। अंकल दो-तीन धक्कों के बाद झड़ गये और आंटी के ऊपर सो गए। आंटी अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई थी, उनकी कामना उनकी चेहरे से मुझे साफ़ नजर आ रही थी। अंकल की ज्यादा उम्र होने के कारण आंटी संतुष्ट नहीं हो पाती थी।

तब उनकी शादी को एक साल बीत चुका था लेकिन आंटी को बच्चा नहीं हो रहा था। शायद अंकल की ज्यादा उम्र के कारण ऐसा हो रहा था। इस बात से आंटी हमेशा परेशान रहती थी। और उनकी परेशानी उनके चेहरे से साफ नजर आती थी। एक दिन आंटी को बाजार जाना था, आंटी और मेरी खूब जमती थी। हम दोनों एक दूसरे से मजाक-मस्ती किया करते थे और नॉन-वेज़ चुटकले मारा करते थे। वो मुझसे केवल ३ साल ही बड़ी थी लेकिन अंकल की उम्र ज्यादा होने के कारण मुझे भी उन्हें आंटी कहना पड़ता था।

उस दिन मैं उनको मार्केट में शॉपिंग कराने ले गया। मार्केट में काफी भीड़ थी तो कई बार धक्के की वजह से मेरे हाथ उनके वक्ष से छू जाते थे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। मेरे साहस और बढ़ गया, मैंने जानबूझ कर उनकी गांड पर हाथ फ़िराया- वोह आह.... करके रह गई। लेकिन मुझे कुछ नहीं कहा। मैं आंटी के मन की इच्छा समझ चुका था। मार्केट से शॉपिंग करने के बाद वो घर पर आई, उन्होंने मुझे उनके साथ आने के लिए धन्यवाद कहा। अब उस पल के बाद तो मैं एक दम बेकाबू सा हो गया था।

मैंने एक दिन साहस करके उन्हें अपने दिल की बात बता दी। पहले तो उन्होंने इंकार किया लेकिन बाद में मान गई। उनके घर में टीवी नहीं था, वो अक्सर सीरियल देखने के लिए मेरे घर आया करती थी। मेरे बीच वाले कमरे में टीवी था और वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। दोपहर का समय था, मेरी बहन अन्दर वाले कमरे में टीवी देख रही थी जहां टीवी रखा हुआ था और वो हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी उस समय घर में कोई नहीं था। मैंने दरवाजा बंद कर दिया जिससे घर में थोड़ा अँधेरा हो गया।

फिर मैं आंटी के पास गया और उन्हें चुम्बन देने के लिए कहा। पहले तो वो हिचकिचाई लेकिन मेरी जबरदस्ती के आगे उन्होंने हार मान ली और धीरे से एक चुम्बन दिया। हाय क्या जादू था उस चुम्मे में ! मैं तो एकदम बेकाबू हो गया। दूसरे दिन मैं उनके घर पर गया, वो सोई हुई थी। जैसा कि मैंने आपको बताया कि उनका पति दिन भर कम करता था और रात को लेट ही आता था जिससे घर में दोपहर को वो अकेली ही होती थी। उनको सोता देख मैं उनके पास गया, मेरी आहट सुनकर वो जग गई। मैं झट से उनके ऊपर आ गया और उनके होटों पे अपने होंठ लगा दिए। उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरु किया। मैंने अब उनके स्तन दबाने शुरु किया- हाय, क्या गोल-गोल चूचे थे !

वो अब आह.. आह.......... की सिसकारियाँ भर रही थी। उन्होंने कहा- मैं दरवाजा बंद कर देती हूँ, फिर जो करना हैं वो करना ! उन्होंने दरवाजा बंद किया और मुझसे आकर लिपट गई। मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया। उन्होंने भी मुझे जोर से जकड़ लिया। मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और उन्हें चूमने लगा. मैं उनके पूरे बदन पर पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उनके बदन से एक एक करके कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब मैंने उनकी ब्रा को उनसे अलग किया तो उनके स्तन बाहर आ गए, उन्हें देखकर मैं और बेकाबू हो गया और उनके गोरे-गोरे चूचों को जोर जोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी को उतारा। 

उन्होंने काले रंग की पैंटी पहन रखी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से हाथ फेरा तो वो आह................. करके आवाज निकालने लगी। फिर मैंने उनकी पैंटी को उनसे जुदा किया। उसके बाद का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग हो गया। उनकी चूत एकदम गुलाबी थी और हल्के-हल्के बाल थे।

मैंने उनसे पूछा- आपके तो बाल ही नहीं आये हैं?
तो उन्होंने जवाब दिया- मैं हमेशा इन्हें साफ़ करती रहती हूँ।

फिर मैंने उनके पेट पर चूमना शुरु किया तो वो एकदम मदहोश हो कर सिसकारियाँ लेने लगी। वो एकदम से गर्म होती जा रही थी। फिर मैंने उनकी चूत पे हाथ फ़िराया तो वो और रोमांटिक मूड में आ गई और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। पूरा कमरा आह............ आह की आवाजों से गूँज रहा था। अब वो एकदम सुलग चुकी थी, उन्होंने मुझे कहा- सुनील अब नहीं बर्दाश्त होता, अब मेरी प्यास बुझा दो !

लेकिन मैं धीरे धीरे सब करना चाहता था इसलिए मैं उन्हें और गर्म कर रहा था। वो अब जोर जोर से सिसकारियाँ मार रही थी। अब मैं समझ चुका था कि वो अब चरम सीमा पर पहुँच चुकी है। तो मैंने अपनी पैंट उतार दी। अब मैं उनके सामने अंडरवीअर में था। उन्होंने मेरा अंडरवीयर सरकाया, जिससे मेरा ७ इंच लम्बा लण्ड बाहर आ गया। मेरा लण्ड ७ इंच लम्बा और चार इंच चौड़ा हो गया था।

मेरा लण्ड देख कर वो थोड़ी सहम गई। मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी ?
तो उन्होंने कहा- तुम्हारा लण्ड कितना मोटा और लम्बा है ! तुम्हारे अंकल का तो छोटा और पतला है।

फिर मैंने उनको सीधा बेड पर लिटा दिया और किस करने के लिए कहा। उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लिया और हिलाने लगी। मुझ बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी तो वो चिल्ला उठी- हाई......मर गई रे. !

मैं अब अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
उन्होंने कहा- अब बस सुनील ! अब बर्दाश्त नहीं होता ! अब मेरी प्यास बुझा दे !

तो मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया, लेकिन मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। फिर मैंने एक जोरदार झटका लगाया और पूर लण्ड अन्दर चला गया और वो चिल्ला उठी- हाई मर गई रे ! निकाल इसे जल्दी ! मेरी चूत फट गई रे ! कितना मोटा लण्ड है तेरा !

तो मैं कुछ देर के लिए रुक गया और फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उन्हें भी मजा आ रहा था, वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। तक़रीबन २५ मिनट की चुदाई के बाद मैं अब झड़ने वाला था। मैंने उन्हें बताया कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि बाहर मत गिराना ! सारा का सारा मेरे अन्दर ही गिरा दो ! मुझे गर्भवती बना दो ! मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बना दो !

मैंने वैसा ही किया, मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में गिरा दिया और उनके ऊपर सो गया। हाय क्या चूत थी उनकी ! एकदम आग थी उनकी चूत में जिससे मैं जल्दी झड़ गया। उनकी चूत मेरे वीर्य के कारण पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनसे एक बार फिर सेक्स करने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे एक बार फिर गरम किया और मेरा लण्ड तन गया।

इस बार मैंने उन्हें कुतिया स्टाइल में झुकने के लिए कहा। वो झुक गई और मैंने अपना लण्ड पीछे से उनकी चूत में डाल दिया। चूत गीली होने की वजह से जल्दी से घुस गया। अब मैं अपने धक्कों की रफ़्तार तेज करने लगा और जोर जोर से उनको चोदने लगा। वोह आः.........आह आह........करके चिल्ला रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं झड़ गया इस दरमियान वो तीन बार झड़ चुकी थी। फिर हम दोनों एक दूसरे में उलझ कर सो गए।

उस रात को हमने छः बार चुदाई की। अब जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई की खेल खेला करते थे।
मेरी चुदाई से वो गर्भवती हो गई और ९ महीने बाद उन्हें लड़का हुआ। अब भी हम चुदाई का खेल खेलते रहे और दो साल के बाद वो फिर गर्भवती हुई, इस बार उन्हें लड़की हुई। इस तरह मैंने पड़ोस वाली आंटी को गर्भवती बनाया।

दुकानदार की बेटी की चुदाई की कहानी Dukandar ki beti ki chudai

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मेरा नाम ईश है मैं पटना, बिहार का रहने वाला हूँ। मैं एक विद्यार्थी हूँ, बीसीए कर रहा हूँ। मेरा रंग गोरा है, उम्र 22 साल है, मेरा शरीर गठीला है क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ, मेरी लम्बाई 5'10" है। यह मेरी पहली कहानी है। घटना करीब 3 माह पहले की है, मैं अकेला रहता हूँ। मेरे कमरे के पास में एक दुकान है जहाँ मैं रोज सामान लेने जाता हूँ। उस दुकानदार की एक बेटी है जिसका नाम नीलू है।


क्या कमाल का जिस्म है उसका 34-28-36 ! दूध की तरह गोरी, शरीर पर एक भी दाग नहीं, सेब के आकार की चूचियाँ, बड़े-2 चूतड़, जैसे की कोई अप्सरा हो। मैं जब भी उसे देखता, उसे बस चोदने का जी करता। वो पढ़ती है। मेरी उस दुकानदार से काफ़ी अच्छी दोस्ती हो गई थी तो मैं रोज शाम को उसके दुकान में बैठता था क्योंकि नीलू रोज शाम को दुकान का काम भी देखती थी।

एक दिन मैंने अशोकजी (दुकानदार) से कहा- मुझे कोई ट्यूशन दिला दें ताकि मेरे कमरे का किराया ही निकल जाए।

वो बोले- आप मेरी बेटी को पढ़ाइए ! घर के बगल में रहेगी तो अच्छा रहेगा !
मैंने बोला- ठीक है।

मेरी तो जैसे मन माँगी मुराद पूरी हो गई। नीलू दूसरे दिन से मेरे यहाँ पढ़ने आने लगी। वो कमीज-सलवार में आई थी। हम दोनों कुर्सी पर बैठते थे और बीच में मेज रहता था, जब भी वो कुछ लिखती तो उसकी चूचियाँ मुझे दिख जाती थी मेरा तो लण्ड खड़ा हो जाता, वो ब्रा कभी भी नहीं पहन कर आती थी। 2-3 रोज पढ़ाने के बाद वो मुझसे खुलने लगी और अच्छे से बात करने लगी। मैं रोज उसके नाम पर मुठ मरता था।

एक दिन जब वो पढ़ने आई तो रोज की तरह मैं उसकी चूचियाँ घूर रहा था। वो सर नीचे करके पढ़ रही थी। मेरा लण्ड पूरा लोहे की तरह खड़ा था। अचानक उसका पेन नीचे गिर गया, वह मेज के नीचे से पेन उठाने लगी तो मेरा खड़ा लण्ड पैंट में उसे महसूस हुआ, उसने पूछा- सर, यह इतना लम्बा आपकी पैन्ट में क्या है?

मैंने बिना शर्माये बोला- यह मेरा लिंग है।
वो बोली- यह लिंग क्या होता है?
मैंने कहा- हर लड़की और लड़के का लिंग होता है।
वह बोली- मेरा कहाँ पर है मुझे नहीं पता ! आप मुझे दिखायें कि लिंग कैसा होता है।
मैंने कहा- नहीं, यह तुम्हें अपने आप पता चल जायेगा।
वो जिद करने लगी तो मैंने कहा- ठीक है, मैं बताता हूँ।

मैंने उसको अपनी आँखें बन्द करने को कहा और उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया। उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था, उसकी बुर मेरे सामने थी, उस पर हल्के-2 बाल थे। मैंने उसे आँखें खोलने को कहा। उसने अपनी आँखे खोली और हँसने लगी, बोली- यह लिंग होता है। इससे तो पेशाब किया जाता है।

मैंने कहा- यह सिर्फ़ पेशाब करने के लिये नही होता ! औरत बच्चे भी यहीं से पैदा करती है।
वो बोली- इतनी छोटी सी जगह में बच्चा कैसे हो सकता है।
मैं बोला- यह तुम्हें शादी के बाद पता चलेगा।

वो जिद पर अड़ गई कि उसे यह जानना है। उसकी मक्खन जैसी बुर देख कर मेरा भी ईमान डोल गया और मैंने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मस्ती में मेरे होंठों को चूस रही थी। हमारा चूमने का कार्यक्रम करीब 15 मिनट तक चला। फिर मैंने उसकी कमीज उतार दी, अब वो मेरे समने पूरी नंगी खड़ी थी, उसका चेहरा और चूचियाँ लाल थी।

फिर मैंने उसको गोद में उठाया और बेड पर ले गया, मैंने उसकी नंगी चूचियों को खूब मसला, वो मस्ती में सिसकारने लगी। उसके मुँह से आवाजें आने लगी- म्म्म्म्म्म्मम्... आह... ऊऊह ऊ ऊम्म्म ! मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा-चाटा फिर मैं उसकी बुर को चाटने लगा। उसका बुर पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई थी और हल्की गीली थी। मैं उसकी बुर चाटने लगा बहुत मजा आ रहा था। चाट-2 कर मैंने उसे एक बार झाड़ दिया।

फिर उसने बोला- मैंने आज तक किसी लड़के का लिंग नहीं देखा है, आप दिखा दो !

मैंने अपनी पैन्ट उतार दी। मेरा लण्ड देख कर वो बोली- आपका इतना लम्बा है और मेरा एक छोटा सा छेद? ऐसा क्यों?

मैंने कहा- यह लम्बा वाला उस छेद में जायेगा, तभी बच्चा पैदा होगा।
वो बोली- ऐसा नहीं हो सकता ! आप करके दिखा दो !
तो मैंने कहा- पहले तुम इसे चूसो, तभी मैं बताऊँगा !

उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया पर सिर्फ़ लण्ड का आधा हिस्सा ही मुँह में जा सका। वो उसे पूरा मजा ले-ले कर लॉलीपोप की तरह चूस रही थी। मेरा लण्ड पूरा 8" लम्बा हो गया। फिर थोड़ी देर चुसवाने के बाद मैं उसे चोदने की तैयारी करने लगा और उसकी टाँगों को फैला कर अपने लण्ड को बुर में घुसाने की कोशिश करने लगा। वो अभी तक कुंवारी थी और उसकी बुर एकदम बन्द थी। जब भी मैं लण्ड डालता वो फिसल जाता। मैंने फिर दबा कर लण्ड घुसाया इस बार लण्ड का टोपा घुस गया, उसे दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी- सर, मुझे दर्द हो रहा है, इसे बाहर निकालो !

मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और सरसों का तेल लाया और अपने लण्ड और थोड़ा सा उसकी बुर पर भी लगाया। फिर मैं अपना लण्ड को दुबारा उसकी बुर में डालने लगा। इस बार लण्ड का टोपा आराम से बुर में चला गया। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और हल्का-2 धक्का लगने लगा पर लण्ड अन्दर जा ही नहीं रहा था, उसकी बुर ही इतनी टाइट थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक जोरदार धक्का लगा दिया। वो चीख पड़ी- मम्म्म्म्मी...ईई...ईई... बहुत दर्द हो रहा है सर... निकालो अपना...

उसकी कुँवारी बुर फट चुकी थी, मैं उसके होंठों को चूसने लगा और थोड़ी देर तक वैसे ही लण्ड को शांत रखा।
वो चुप हो गई और अपने चूतड़ हिलाने लगी। मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर खींच कर एक और करारा धक्का मारा, इस बार मेरा आधा लण्ड बुर में चला गया। वो फिर चिल्लाई और मैं फिर उसके होंठ चूमने लगा। यही प्रक्रिया कई बार चली और मेरा लण्ड उसकी कुंवारी बुर को फाड़ता हुआ अन्दर जड़ तक समा गया और जोर-2 से धक्के लगाने लगा।

कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी चूतड़ हिला-2 कर मेरा साथ देने लगी। उसका चिल्लाना अब सिस्कारियों में बदल गया था। मैं उसे चोदता रहा, वो बोले जा रही थी- आ... आआ... आअह्ह... ऊ...ऊऊ...उईई मम्म्माआआअ... अन्दर तक डालो सर ! और जोर से धक्का लगाओ सर ! फाड़ दो मेरा लिंग ! मुझे बच्चा होना देखना हैऐऐऐअ... म्म्म्म्म ! पूरा कमरा सिस्कारियों और थप-2 चप-2 की आवाज से गूँज रहा था। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-2 से चोदने लगा। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी। मैं भी झड़ने वाला था, 10-15 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसकी बुर फ़ूल गई थी और मेरे रस से भर गई थी।

हम थोड़ी देर बेड पर अपनी साँस ठीक करते रहे, फिर वो उठ कर जाने लगी तो उसने देखा कि बेड की चादर और मेरा लण्ड उसके खून से लाल हो गया है। वो रोने लगी तो मैंने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा होता है।
वो मान गई और अपने घर चली गई। मैंने उसे दवाई लाकर दी और समझाया कि शादी के बाद ही माँ बनना।
उसके बाद मैं रोज उसे चोदने लगा और चुदाई की देवी बना डाला। 

कॉलोनी में गुपचुप बातें भी होने लगी थी - Chudai ka chakkar

कॉलोनी में गुपचुप बातें भी होने लगी थी - Chudai ka chakkar, Desi Doctor Ne Apne Patient Ko Choda, दीदी ने एक डॉक्टर से चुदवाया, डॉक्टर ने अपने हॉट खूबसूरत पेसेंट की चुदाई की, सेक्स का स्पेशल इलाज.

मेरा नामे सुषमा है, मैं शादीशुदा हूँ और मेरे तीन बच्चे हैं, मैं बहुत सुन्दर हूँ एकदम दूध सी गोरी ! मेरी कहानी एक डॉक्टर के साथ मेरे चक्कर की है, हम लोग गाज़ियाबाद की एक कॉलोनी में नये नये आए थे, मेरे पति ने वहाँ पर एक फ्लैट खरीदा था। मेरे पति एक कम्पनी में मैनेजर हैं।

मेरे छोटे वाले बच्चे की तबीयत कुछ खराब रहती थी तो उसको इन्जेक्शन लगवाने पड़ते थे, हम लोगों को अपने छोटे बेटे को इन्जेक्शन लगवाने के लिए काफी दूर डॉक्टर के पास जाना पड़ता था जिसमें काफ़ी परेशानी होती थी इसलिए हमारी गली के बाहर ही एक डॉक्टर से मेरे पति ने बात की- आप क्या मेरे बेटे को इन्जेक्शन लगा दिया करेंगे? आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।

डॉक्टर साहब राज़ी हो गये मेरे बेटे को इन्जेक्शन लगाने के लिए, मेरे पति ने मुझे घर पर आकर बताया- मैंने एक डॉक्टर को बोल दिया है, वो घर पर आकर ही बच्चे को इन्जेक्शन लगा दिया करेगा।
मैं बोली- चलो यह तो अच्छा हुआ, बड़ी परेशानी होती थी इन्जेक्शन के लिए !
फिर अगले दिन मेरे पति के ऑफ़िस जाते हुए बोले- सुनो सुषमा, डॉक्टर को बोलते हुए जाऊँगा कि वो बच्चे को इन्जेक्शन लगा दे, उसका नाम कुमार है।

मैं बोली- ठीक है !
फिर वो चले गये। करीब 11 बजे के आस पास किसी ने हमारा मुख्य दरवाजा खटखटाया।
मैं- कौन है?
आवाज़ आई- मैं डॉ कुमार हूँ, बच्चे को इन्जेक्शन लगाने आया हूँ।
मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि एक स्मार्ट गोरा सा आदमी है बिल्कुल क्लीन शेव्ड, उसने नजर का चश्मा लगाया हुआ था।
मैं बोली- आइए !
वो अंदर आ गया तो मैंने उसे बैठने के लिए कहा।
वो कुर्सी पर बैठ गया और बोला- आपके पति ने बच्चे को इन्जेक्शन लगाने के लिए बोला था, बच्चा कहाँ है?
मैं बोली- वो अंदर बिस्तर पर लेटा हुआ है, चलिए देख लीजिए और इन्जेक्शन भी लगा दीजिए।
वो मुझे देखते हुए अंदर बेडरूम में मेरे साथ आ गया और बच्चे को देखने लगा।
मैं बोली- आप बच्चे को देखिए, मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ।
वो मुझे देखते हुए बोला- ठीक है।

मैं रसोई में आ गई और चाय बनाते हुए सोचने लगी कि डॉक्टर तो स्मार्ट है, सुन्दर भी है। और मुझे ना जाने उसकी नज़रों में एक अज़ीब सी बात दिखाई दी। सोचते सोचते मेरे दिल की धड़कन बढ़ने सी लगी।
फिर मैं चाय ले कर बेडरूम में आ गई और एक शीशे के गिलास में चाय डॉक्टर को देते हुए उसकी उंगलियाँ मेरी उंगलियों से छू गई। मेरा दिल तो एकदम से धड़क उठा। फिर चाय पी कर और बच्चे की जांच करके वो बोला- चाय के लिए धन्यवाद।

मैं बोली- कितने पैसे दूँ?
वो बोला- रहने दीजिए।

फिर वो दूसरे–तीसरे दिन आकर हमारे बच्चे को देखने लगा, मेरे बच्चे को भी उसे इलाज़ से काफी आराम था, उसमें और मेरे पति में भी काफ़ी दोस्ती हो गई थी, पर वो पता नहीं मुझे कैसी नज़रों से देखता था, और वो तभी घर पर आता था जब मेरे पति नहीं होते थे, लगता था वो मुझसे कुछ कहना चाहता है।

और एक दिन उसने बोल ही दिया। वो हमारे घर पर आया और बच्चे को देखने लगा, मैं फिर चाय बना कर लाई तो बोला- रहने दो अभी मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।
फिर वो बाहर वाले कमरे में कुर्सी पर आ कर बैठ गया और बोला- तुम बहुत सुन्दर हो। पूरी कॉलोनी में आपसे सुन्दर कोई औरत नहीं है, मैं आपको प्यार करने लगा हूँ।
मैं बोली- पर मैं तो आपको प्यार नहीं करती, और मैं तो शादीशुदा भी हूँ।
वो बोला- वो तो मैं जानता हूँ, पर क्या करूँ, मुझे नहीं पता कब तुमसे प्यार हो गया।
मैं बोली- मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ।
और चाय बनाने चली गई।
वो मेरे पीछे रसोई में आ गया और बोला- प्लीज बुरा मत मानो, तुम सचमुच मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
मेरे दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, वैसे वो था तो स्मार्ट और बोलता भी बड़े प्यार से था।
मैं बोली- लो चाय लो !
चाय देते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला- क्या तुम मुझे नहीं चाहती? क्या मैं तुम्हें अच्छा नहीं लगता? मुझे तुम्हारी आँखों से पता चलता है कि तुम भी मुझे पसंद करती हो।
मैं बोली- छोड़ो ना, मेरा हाथ तो छोड़ो !
उसने कहा- नहीं, पहले बताओ, तुम मुझे पसंद करती हो ना?
मैं बोली- मुझे नहीं पता।
वो बोला- बोलो ना? प्लीज़ बताओ ना? तुम मुझे चाहती हो ना?
मैं बोली- मैं नहीं जानती ! अब जाओ ! कोई ना कोई मेरे यहाँ आता रहता है पड़ोस से।

वो जाने लगा तो मैं उसे दरवाजे तक छोड़ने आई। तभी उसने एकदम से मेरे गोरे गालों पर एक पप्पी कर दी।
मैं कुछ नहीं बोली और वो चला गया। अब वो रोज रोज यही बात करने लगा, कभी मेरा हाथ पकड़ लेता, कभी मुझे गले लगा लेता, कभी मेरे गालों पर पप्पी कर देता !

एक दिन तो हद हो गई उसने मेरे रस भरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं तो कुछ बोल ही नहीं पाई, बस आप लोग यह समझिए कि एक तरह से यह मेरी खामोश रज़ामंदी थी।

फिर वो और आगे की बात करने लगा, बोला- सुषमा बहुत मन कर रहा है।
मैं बोली- किसका?
वो बोला- सेक्स करने का !
मैं बोली- नहीं कोई आ गया तो?

और उठ कर झाड़ू लगाने लगी। वो मेरे पास आया, मुझे गोदी में उठा लिया और लेकर बेडरूम में आ गया और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे चेहरे को चूमने लगा।

मैं बोली- यह क्या कर रहे हो?
कुमार- प्यार कर रहा हूँ।

वो मेरे गोरे गालो को चूसने लगा और मेरे चूचों को हल्के हल्के दबाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था, मैंने भी उसको अपनी गोरी बाहों से पकड़ लिया और उसकी कमर को सहलाने लगी। तभी वो खड़ा हो गया और अपनी कमीज़ और पैंट उतारते हुए बोला- कपड़े उतार देता हूँ, सिलवटें आ जाएँगी तो कपड़े पहनने के लायक नहीं रहेंगे।

फिर उसने अपनी पैंट और शर्ट उतार दी और मेरे साथ लेट कर फिर मेरे गालों को चूसने लगा और बोला- तू बहुत सुन्दर है सुषमा ! तेरे गाल तो बिल्कुल सेब जैसे हैं।

मैं बोली- अच्छा जी?

फिर उसने अपने सीधे हाथ से मेरी साड़ी में हाथ डाल कर मेरी गोरी मांसल जाँघो और कूल्हों को सहलाने लगा।
आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मुझे अच्छा लग रहा था और मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया था।

फिर वो बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो ना?
मैं बोली- नहीं ! ऐसे ही कर लो ना ! कोई आ गया तो एकदम से साड़ी नहीं बाँध पाऊँगी। लो अपना ब्लाऊज़ ऊपर कर देती हूँ।

और मैंने अपना ब्लाऊज़ और ब्रा ऊपर करके अपने चूचों को बाहर निलाल लिया। वो मेरे चूचुक को पीने और चूसने लगा।

मैं- आह…आह…सस्सस्स…आह !

फिर उसने एकदम से मेरे चुचे के दाने पर अपने दांतों से काटा।

मैं- उउउइ…ईईई…..काटो मत !

कुमार- जानू बड़े प्यारे है तुम्हारे चुच्चे ! जानू मेरा लंड पकड़ो ना !

मैंने उसके अंडरवीयर में हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ लिया। उफ़्फ़… क्या बताऊँ, वो तो एकदम गर्म हो रहा था। मैं उसके लंड को अपने मुलायम गोरे हाथों से सहलाने लगी। वो भी धीरे धीरे अपनी उंगलियों से मेरी चूत को सहलाने लगा।

मैं- आह… उह…आह…
फिर वो बोला- जानू मुँह में लो ना !
मैं बोली- नहीं नहीं ! मैं मुँह में नहीं लूँगी।
कुमार- प्लीज लो ना एक बार !
मैं- नहीं ना ! मैं नहीं लेती मुँह में !
कुमार- प्लीज बस एक बार !
मैं- छी ! गंदा होता है ये ! मैं नहीं लूँगी मुँह में।
कुमार- बस एक बार प्लीज !

मैं उसकी बात मान गई और उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। आह ओ…आऊ….ववूऊओ….आअक्क….आओ !

मैं- ओफफो… कितने बाल बढ़ा रखे हैं तुमने !, मुँह में आ रहे है मेरे !
कुमार- चिंता मत करो जानू अगली बार साफ करके आऊँगा।

मैं फिर उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। उसका लंड बड़ा गोरा था और करीब 6 इंच लंबा और 1.5 इंच मोटा रहा होगा। मुझे प्यारा लगा उसका लंड और प्यार से उसे चूसने लगी ! भले ही मुझे उसके बड़े हुए बालों से बार बार परेशानी हो रही थी। फिर वो मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके, अपना अंडरवीयर घुटनों से नीचे करके मेरे ऊपर आ गया और गालों, होंठों, गले पर, और चुच्चों पर और…..और पेट पर प्यार करता हुआ मेरी गोरी मांसल जाँघों पर अपने होंठों से प्यार करने लगा। मैं आ…आह…उहह….उहह….ससस्स करने लगी।
उसने मेरी जाँघ पर एक तिल देखा और उस पर एक पप्पी लेते हुए बोला- जानू तिल भी एकदम सही जगह पर है।

वो मेरी चूत पर अपना हाथ फहराते हुए बोला- चूत भी तुम्हारी कितनी चिकनी है जानू !
मैं बोली- जल्दी कर लो ! कोई आ गया तो बड़ी परेशानी हो जाएगी।
फिर वो मेरे ऊपर आ गया और एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसने मेरी चूत में डाल दिया।
मैं- आईईइ…आह…तुमने तो एकदम से डाल दिया जान !
कुमार- आह… सुषमा मेरी जान !

फिर वो अपने लंड से मेरी चूत में धक्के लगाने लगा और मेरे गालों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा। मैं भी उसकी बनियान ऊपर करके अपने हाथों से उसकी कमर, चूतड़ सहलाने लगी। वो बड़े प्यार से मुझे चोद रहा था, मुझे भी मज़ा आ रहा था, मुझे उसका लंड अपनी चूत में अंदर–बाहर आता-जाता महसूस हो रहा था।मेरी सिसकारियाँ निकल रही थी, मैं आहह..आईईइ…आह.. ओउ उउई उहह…सस्स्स…..आह..कर रही थी और अपने चूतड़ों को भी उठाते हुए उसका बराबर साथ दे रही थी। मेरे माथे, गर्दन, कंधे, कमर, कूल्हों और जाँघों तक पर पसीना आ गया था।

मैं बोली- जानू, मैं तो पसीने में भीग गई हूँ।
कुमार- मज़ा आ रहा है मेरी रानी तुम्हें?

मैंने हाँ में अपना सर हिलाया तो वो और जोरदार तरीके से मेरी चूत अपने लंड को घुमा घुमा कर धक्के लगाने लगा। मैं उई… मा….आईई….ह…उफ्फ़…उईईईई आह…आह… करने लगी। क्या बताऊँ कि उसके लंड से मुझे भी मज़ा आ रहा था। उसने अपनी बाहों में मुझे ज़कड़ रखा था, मैं भी उसको अपनी बाहों से कस के पकड़े हुई थी। उसकी भी कमर, माथे पर पसीना आ गया था, उसके चूतड़ भी पसीने में भीग गये थे।

फिर वो बोला- सुषमा अब तुम पलट जाओ !
मैं बोली- क्यूँ?
वो बोला- पीछे से मतलब तेरी गाण्ड में डालूँगा !
मैं बोली- नहीं नहीं… पीछे से नहीं !
वो बोला- क्यों?
मैं बोली- नई बाबा ! पीछे से नहीं ! मेरे बहुत दर्द होता है !

और सचमुच में मुझे गाण्ड में लंड डलवाने में बहुत दर्द होता है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। मैं उसको मना करने लगी पर वो कहाँ मानने वाला था। आदमी को भी उस चीज़ में ज़्यादा मज़ा आता है जिसमें औरत को दर्द होता है। ऐसा मैं समजझती हूँ।

वो बोला- कुछ नहीं होगा जानू ! धीरे धीरे करूँगा, चलो अब पलटो !
मैं पलट गई तो वो मेरे चूतड़ों पर पप्पी लेता हुआ बोला- एकदम चिकनी है तू ! बड़ी गोरी है। पसीने में तो तेरा बदन लाइट मार रहा है।

फिर वो अपने लंड को मेरी गाण्ड में घुसाने लगा पर वाक़ई मेरी गाण्ड बड़ी टाइट है, मेरे पति ने भी बस दो या तीन बार ही मेरी गाण्ड ली होगी। उसका लंड मेरी गाण्ड में जा ही नहीं रहा था, वो बार बार कोशिश करता पर अपने लंड को मेरी गान्ड में नहीं घुसा पाया तो मैं बोली- तेल लगाना पड़ेगा, तभी जाएगा।

वो बोला- जाओ, ले आओ तेल !

मैं रसोई से सरसों का तेल ले आई।

वो बोला- अब लगाओ भी ना जानू तेल को मेरे लन्ड पर !

मैंने थोड़ा तेल लिया और उसके लंड पर मलने लगी। उसने भी थोड़ा तेल लेकर मेरी गाण्ड में मला। अरे यह क्या ! उसने एकदम से अपनी उंगली मेरी गाण्ड में तेल लगाते लगाते घुसा दी। मैं एकदम से चीख पड़ी- आईई ईई…उईईई ई ई ! उंगली मत डालो।

वो हंसने लगा और बोला- लेट जाओ !

फिर मैं उल्टी लेट गई तो वो मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने की तैयारी करने लगा।

मैं बोली- धीरे धीरे डालना जानू, बहुत दर्द होता है।
वो बोला- तू चिंता मत कर, धीरे से ही डालूँगा !

और उसने अपना लंड मेरी गाण्ड के छेद के ऊपर लगाया और एक धक्का मारा, उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ अंदर चला गया। मैं एकदम से चीख पड़ी और खड़ी हो गई। मैं दर्द से बिलबिला उठी और एक थप्पड़ उसको मार दिया। मेरी आखों से आँसू निकल गये थे।

मैं बोली- मैं कह रही हूँ कि धीरे से डालो और तुमने पूरा एकदम से डाल दिया।
वो बोला- सॉरी जानू ! अब ग़लती नहीं करूँगा, धीरे से ही डालूँगा ! सॉरी अगेन !

मैं फिर उल्टी लेट गई और वो धीरे धीरे मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने लगा। मैं कह रही थी- आई ईईई…उई ईईई मा…मां री ! आई ईइआ…उउ…सस्स… फिर वो अपने लंड को मेरी गुदा में घुसाते हुए धक्के लगाने लगा, मैं दर्द को सहन करने लगी। मुझसे दर्द सहन तो नहीं हो रहा था पर उसका मन रखने के लिए मैं अपनी गाण्ड में उसका लंड डलवा रही थी।

मैं बोली- बस जानू ! बस करो ! निकाल लो इसे ! बहुत दर्द हो रहा है।
वो बोला- बस जानू थोड़ा सा ! बड़ी टाइट है तेरी गाण्ड ! आ…एयेए….आह…

और यह कहता हुआ वो धक्के लगा रहा था। जब काफ़ी देर हो गई तो मुझसे सहन नहीं हुआ और बोली- बस अब नहीं ! आगे से कर लो ! मुझसे सहन नहीं हो रहा है। फिर उसने अपना लंड निकाल लिया। मैं बैठ गई पर मुझे अभी भी अपनी गाण्ड में उसका लंड महसूस हो रहा था। मैंने देख उसके लंड के ऊपरी सिरे पर थोड़ी सी टट्टी लग गई थी।

फिर उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी, मुझे उसके लंड से मज़ा आ रहा था, मेरी सिसकारियाँ, आहें, आवाज़ निकल रही थी- आहह… राजा… ह… उई ई…जानू ! वो भी मस्त हो रहा था और मैं भी !

फिर वो बोला- जानू, मैं झड़ने वाला हूँ…

और यह कहते हुए वो अपना पानी मेरी चूत में गिराने लगा। मैं भी तभी झरने लगी। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मैं भी उससे कस कर लिपट गई। हम दोनों पसीने में नहा चुके थे। मुझे उसके लंड का पानी अपनी चूत को अंदर तक भिगोता हुआ महसूस हो रहा था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर वो खड़ा हो गया, मैं भी खड़ी हो गई और उसको पीने के लिए पानी दिया। उसने अपने कपड़े पहन लिए।

मैं बोली- अब जाओ जानू ! ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है, कोई आ गया तो परेशानी होगी।
वो मुझे गले लगाते हुए और प्यार करते हुए बोला- मज़ा आया जानू?
मैं मुस्करा कर बोली- हाँ !

फिर वो चला गया। उसने मुझे थका डाला था और मैं सोने चली गई। हम दोनो में काफ़ी दिनों तक यही चक्कर चलता रहा। कॉलोनी में गुपचुप बातें भी होने लगी थी।

रूपाली की मदमस्त जवानी के झटके Rupali ki madmast jawani

रूपाली की मदमस्त जवानी के झटके Rupali ki madmast jawani, जवान लड़कियों के XXX सेक्स, गाँव की लड़की चुदाई, लड़की को कैसे चोदे चुदाई कैसे करे, 18 साल की भरी-पूरी जवान कुंवारी लड़की की चुदाई, चुदाई के लिए एक लंड काफी नहीं.

रूपाली की मदमस्त जवानी के झटके Rupali ki madmast jawani - बात 15 बरस पहले की है, मेरी एक रिश्तेदार रूपाली गाँव से अपनी पढ़ाई के लिए हम लोगों के पास रहने आ गई थी। मैं ग्रेजुएशन में था और उस समय वो इंटर में थी। मेरे पिताजी सरकारी नौकरी में थे, मैं घर में मंझला हूँ। मेरी रिश्तेदार मुझसे क़रीब 5 साल छोटी थी।

धीरे धीरे वो मेरी तरफ आकर्षित हो गई क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँ मेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। मैं उसकी तरफ़ आकर्षित होने लगा था। रूपाली बहुत ही खूबसूरत थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था, उसका कद लगभग 5 फ़ुट 2 इन्च होगा, आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आँखें कुछ कहना चाहती हों। जब वो आँखों में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी। शरीर 30-24-34 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसके गुलाबी उरोज संतरे जैसे थे, उनका आकर तो छोटा था पर एकदम कठोर और कसे हुए थे।

हमारा मकान काफी बड़ा था, हम दोनों अगल बगल के कमरे में सोते थे। वो आम तौर पर तंग सलवार-कमीज या चूड़ीदार पजामी और कुर्ती पहनती थी, जिसमें उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी, खास तौर पर तो उसके चूतड़ों के उभार तो मस्त नजर आते थे। कभी कभी वो मेरी बहन का स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उम्र का तो पता ही नहीं चलता था।

एक दिन घर के गलियारे में मैंने उसके स्तन को छुआ तो उसने थोड़ा विरोध किया मैंने तुरत अपना हाथ हटा लिया। रात को मैंने फिर मैंने एक बार फिर कोशिश की लेकिन फिर से उसने मेरा हाथ हटा दिया मगर कुछ बोली नहीं। अगले दिन दोपहर में उसके कमरे में मैंने फिर से कोशिश की, इस बार मैंने उसके दोनों स्तनों को थोड़ा ज़ोर से दबाया। किसी को आसपास ना देख इस बार उसकी थोड़ी सहमति थी। मैंने धीरे धीरे उसके उरोजों को कमीज और काली ब्रा से आजाद किया। शायद उसे भी आनन्द आ रहा था। फिर मैंने उसकी चूचियों को चूसना आरम्भ कर दिया। उसके गुलाबी उरोजों के निप्पल अब पूरी तरह से कड़क हो चुके थे। वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। 

मैंने उसको बोला- मेरे लण्ड को चूसो।
वो बोली- नहीं, वो गन्दा लगता है।

मेरे समझाने पर उसने लण्ड को थोड़ा सा चूसा, दो-तीन बार समझाने पर उसने लण्ड को मुँह में ले लिया, उसके चूसते चूसते कुछ मिनट में मैं झड़ गया। मेरा सारा माल उसके मुख मैं गिर गया था। उसने सब नीचे थूक दिया। मैं उसकी सलवार उतारने लगा तो वो डर गई, बोली- अभी घर में सब अपने कमरों में हैं, किसी को पता चल गया तो क्या होगा।

तब मैंने कहा- किसी को पता नहीं चलेगा। तुम साथ दो तो कुछ नहीं होगा।

फिर उसने हामी नहीं भरी तो उस दिन ज्यादा कुछ नहीं हुआ। अब हम लोग घर में किसी के नहीं रहने का इंतज़ार करने लगे और यह मौक़ा भी हमें जल्द ही मिल गया। छुट्टी का दिन था, मेरी माँ और बहन पड़ोसी की शादी की खरीदी करवाने उनके साथ बाज़ार गई थी, पापा अपने आफिस और हम दोनों घर में अकेले थे। तब मैंने सोचा कि क्यों ना आज अपनी मंजिल पा लें ! उनके जाते ही मैं उसके कमरे पहुँच गया, वो अपने कपड़े जमा रही थी। मैंने उसे बाहों में भरते हुए कहा- मैं तुम्हारा हुस्न देखना चाहता हूँ !

उसने पहले तो मना किया फिर थोड़ी देर में मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और फिर मैंने धीरे से से उसके कुर्ते को ऊपर किया और उसकी ब्रा खोलते ही दो गोल गोल संतरे मेरे सामने थे। मैंने अपने दोनों हाथों से उनको दबाना शुरू कर दिया। उसे भी अच्छा लग रहा था और वो ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी। मेरा मन उसको चोदने को करने लगा।

मैंने कहा- ये सब काफ़ी हो गया, क्यों ना अब चुदाई मज़ा लिया जाए, जो हर आदमी और औरत की ज़रूरत है।
तो उसने कहा- इसमें कोई खतरा तो नहीं है?
मैंने कहा- नहीं, कन्डोम के साथ चुदाई करेंगे।

मगर पता नहीं उसे काफ़ी डर लग रहा था और हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। काफ़ी समझाने के बाद उसे विश्वास हो गया तो उसने उसने दबी ज़ुबान में हाँ कही। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। फिर मैंने प्यार से उसकी सलवार को खोला, अब वो काली पैंटी में मेरे सामने थी, उसका बदन तो मानो अप्सरा का बदन लग रहा था और वो शरमा बहुत रही थी। उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था।

अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा, मैंने उसका पूरा बदन चाटना आरम्भ कर दिया, वो अपने चेहरे को अपने हाथों से ढके हुई थी। मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके संतरे अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। यह अहसास उसे अच्छा लग रहा था और वो उत्तेजित हो रही थी और मैं भी अब काफ़ी उत्तेजित हो गया था।

फिर मैंने उसके पैंटी को उतार दिया, अब मेरे सामने बिना बालों की छोटी सी चीज़ नज़र आ रही थी। अभी तक मैंने उसको ऐसे नहीं देखा था। फिर मैंने उसकी बिना बाल की योनि को चाटा और अपने लंड को उसके मुंह में दे दिया। उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया, मैं तो मानो सातवें आसमान में सैर कर रहा था। उस अहसास का बयान मैं नहीं कर सकता कि मैं कैसा महसूस कर रहा था।

उसके चूसने से मेरा लंड काफ़ी कड़ा हो गया, फ़िर मैंने उसे चूत पर धीरे धीरे रगड़ना शुरू किया। वो काफ़ी उत्तेजित हो रही थी। मेरा छः इन्च का लण्ड तैयार था उसे चोदने को ! लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा था, वो भी पूरी तरह से चुदने के लिये तैयार थी। वो भी बहुत गर्म हो रही थी, उसे भी मज़ा आने लगा था, मैंने अपने लण्ड का सुपारा धीरे धीरे अन्दर करना शुरू किया। पहली बार किसी मर्द का लंड उसकी चूत में जा रहा था। कुँवारी होने लंड उसके चूत अन्दर नहीं सरक रहा था !

उसने कहा- ऐसा करो, पहले अपनी उंगली उसमें डालो…

मैंने उसकी गर्म हो चुकी चूत को हाथ से मसला, फिर धीरे से अपनी एक अंगुली उसकी चूत में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा। वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और चिपचिपा रही थी। मैंने फिर अपना लंड उसके चूत में डाला और जोर से एक ही बार में अन्दर धकेल दिया…

वो जोर के दर्द से चिल्ला उठी- …आ आह आई आआ !
मैं घबरा गया… मैंने कहा- ऐसे क्यों चिल्ला रही हो? थोड़ा दर्द तो होगा ही !!

मैं उसके होंठों को अपने होंठों से दबाना भूल गया था तो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई। मैं 5-7 मिनट यूँ ही उसके ऊपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघों पर फेरता जिससे कि रूपाली को कुछ आराम मिल सके।

उसने कहा- प्लीज़ धीरे-धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है..

मैंने उसकी तकलीफ़ को समझते हुए धीरे धीरे लंड को बाहर निकाला फिर मैं पहले धीरे-धीरे, फिर जोर-जोर से झटके मारने लगा… अब तो उसे भी मज़ा आने लगा और थोड़ा ऊऊऊ आआआ ईईई के आवाज़ के साथ वो पूरा मज़ा लेना चाहती थी.. थोड़ी देर बाद रूपाली झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और पूरी गति से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा। लगभग दस मिनट तक धक्के मारने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ।

मैंने उसे बताया तो रूपाली एकदम बोली- अपना बाहर निकाल लो, इसे अन्दर नहीं करना है, वरना गड़बड़ हो सकती है।

मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया, रूपाली से कहा- हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे पीछे कर ! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है। तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर फेरने लगा।

रूपाली तेजी के साथ लण्ड को झटके देने लगी और मैं झड़ गया। हम लोगों ने उस दिन क़रीब दो घंटे तक जवानी का मज़ा लिया लेकिन इसके बाद हम दोनों की चाहत बढ़ती गई और हम लोग रात में भी यह काम सबसे बचते हुए करने लगे और घर में कोई ना हो तो फिर क्या कहना।
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