भाभी की छोटी बहन निशी को चोदा

Bhabhi Ki Chhoti Bahan Nishi Ko Choda

दोस्तों मैं एक जवान हट्टा-कट्टा युवक हूँ और अपने परिवार के साथ रहता हूँ। मैं बहुत दिनों से अपनी भाभी की छोटी बहन निशी को चोदने की ताक में था। निशी एमबीए की पढ़ाई के लिए शहर आई हुई थी और हमारे साथ ही रहती थी। मैं जानता था कि अपनी ही भाभी की छोटी कुंवारी बहन को चोदने की इच्छा करना ठीक नहीं है.. पर लौड़े की जिद के आगे मज़बूर था।

निशी के मादकपन ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। धीरे-धीरे मैं उसकी जवानी का रस लेने को बेताब हो गया.. पर मौका न मिलने से परेशान था। मुझे लगने लगा था कि मैं अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नहीं रख पाऊँगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े.. पर निशी को चोदने का मैं निश्चय कर चुका था।

मुझको डर था कि रेखा भाभी को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठें।

निशी को जब मैंने पहली बार देखा तो इतनी पसंद नहीं आई.. पर फिर बाद में पसंद आने लगी थी। निशी बड़ी सेक्सी थी.. उसका फिगर 30-24-32 था। उसके स्तन बड़े मस्त थे और उसकी गाण्ड भी मस्त थी। उसकी शार्ट ड्रेस के नीचे दिखतीं गोरी-गोरी चिकनी टांगें मुझे दीवाना बना देती थीं। निशी थी भी बड़ी शोख और चंचल.. उसकी हर अदा पर मैं मर मिटता था। उसकी ठोड़ी के तिल ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था।

शुरु मैं तो वो मुझे भाव ही नहीं देती थी। वो हमारे घर वालों से घुलमिल गई थी.. और अब मुझसे भी कभी-कभार बात कर लेती थी। फिर हमारी दोस्ती हो गई।

एक दिन मैंने अकेले में उसे रोते पाया.. मुझे अपने कमरे में घुसता देख उसने अपने आंसू पोंछ लिए। मैंने उससे कई बार जानना चाहा कि वो क्यों रो रही है.. पर उसने नहीं बताया।

इस बात को एक हफ्ता बीत गया था.. एक दिन मैंने उसे मोबाइल पर किसी से ये कहते सुना कि मैं गरीब घर की हूँ.. मैं तुम्हें इतना पैसा कहाँ से लाकर दूँगी.. प्लीज मुझे मेरा एमएमएस लौटा दो.. या डिलीट कर दो.. वर्ना मैं जान दे दूँगी।

अब माजरा मेरी समझ में आ गया था। निशी को कोई ब्लैकमेल कर रहा था।

दोपहर मैं जब कारखाने से घर लौटा तो घर में कोई नहीं था। तभी निशी उधर आ गई। वो अपने कमरे में चली गई। मैं उसके पीछे अन्दर चला गया.. वो कपड़े बदल रही थी। आहट पा कर टी-शर्ट पहनते हुए वो पलटी तो मुझे देख कर शर्मा गई।

मैंने उसको दोनों हाथों से पकड़ा.. तो वो एकदम से घबरा गई, मैंने कहा- प्लीज डरो मत.. मुझे एमएमएस का क्या माजरा है.. वो बता दो।

वो रो पड़ी.. उसे लगा उसका एमएमएस कहीं मेरे मोबाइल पर किसी ने भेज तो नहीं दिया।

वो अब मेरे सीने से लगी हुई थी.. फिर उसने रोते हुए बताया- एक दिन कॉलेज की लायब्रेरी में मुझे अकेला देख एक लड़के ने मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे होंठों पर ‘किस’ कर दिया, दूर खड़े उसके दूसरे साथी ने इसे मोबाइल पर एमएमएस के रूप में रिकार्ड कर लिया था। अब वो मुझे ब्लैकमेल कर रहा है और मुझसे दो लाख रुपए देने या उनके आधा दर्जन दोस्तों के साथ एक दिन के टूर पर चल कर उन्हें चोदने का मौका देने की माँग कर रहा है। वे लोग पिछले 15 दिन से मुझे धमका रहे हैं कि उसका एमएमएस पूरे कॉलेज में भेज देंगे।

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मैंने कहा- बस इतनी सी बात है.. पगली मैं तो कब से पूछ रहा हूँ.. तुम्हारी मुश्किल में अभी दूर करवा देता हूँ.. पर समय आने पर इसकी फीस जरूर वसूलूँगा।

उसने कहा- तुम जो माँगोगे.. दे दूँगी.. पर इन कुत्तों से मेरा पीछा छुड़ाओ.. वर्ना मैं बदनाम हो जाऊँगी।

मैंने तत्काल पुलिस की ‘केयर फॉर यू’ की हेल्प लाइन पर उससे फ़ोन लगवाया।

अगले दिन पुलिस ने उन दोनों लड़कों को उठा लिया। उनके मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया।

पुलिस ने उनकी काफी पिटाई कर दी थी.. निशी के फोन पर मैसेज आया तो बिना किसी को घर में बताए मैं उसे लेकर थाने में पहुँच गया।

उन दोनों के माता पिता भी वहाँ मौजूद थे.. उन दोनों के माता-पिता के कहने पर दोनों ने निशी से पैर छू कर माफ़ी माँगी। बाद में पुलिस ने अपनी जेब गरम करके उन्हें छोड़ दिया।

चुदाई का मौका मिल गया


निशी अब तनाव मुक्त थी.. इस घटना के बाद मेरा नसीब जाग गया था.. दो दिन बाद ही बड़ी मामी के अचानक निधन की खबर आ गई।

मामा जी की घर में काफी इज्जत थी, उन्होंने पापा को नौकरी छोड़ कर अपना कारोबार शुरू करने में काफी मदद की थी, पूरे परिवार घर को जाना पड़ा।

घर मैं और निशी रह गए थे.. मैं लंच करने घर आया तो वो कॉलेज से आ चुकी थी। वो बाथरूम से नह़ा कर वो बाहर निकली और मैं उसके कमरे में था।

मुझे देखकर वो हड़बड़ा गई… उसके बदन पर लपेटा हुआ तौलिया नीचे सरक गया।

मैंने उसे गोदी में उठा लिया सीधे कमरे में बिस्तर पर ले गया और जाते ही उसके जलते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसने मेरा हल्का सा विरोध किया.. पर उसके बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैं उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा। करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।

मेरा लण्ड अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा। मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए।

उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी। उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रही हों।

थोड़े ही समय में दोनों पूरे नंगे हो गए। थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो वह घुटने के बल बैठ गई और मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसके चूचियाँ दबा रहा था। फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी संगमरमारी चूत अपनी ऊँगलियों से चोदने लगा। उसकी अनचुदी चूत एकदम कसी थी। वह सिसकारियाँ भर रही थी और वह झड़ चुकी थी।

अब मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा.. पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी।

मैंने कर थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें।

मेरे लवड़े का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लण्ड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया।

अब वह सर को इधर-उधर मार रही थी.. पर लण्ड तो अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लण्ड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लण्ड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो। उसकी सील टूट गई। चूत से थोड़ा सा खून बहा।

मैंने कहा- निशी तुम्हारी सील तोड़ने में मज़ा आ गया।

मैंने एक और जोरदार झटका लगाया और लण्ड पूरी तरह निशी की चूत में घुस चुका था। निशी चीखना चाहती थी.. पर चीख नहीं सकती थी। निशी की आँखों से आंसू टपक रहे थे।

थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर ‘आह.. ह्ह्ह ईई और आआह्ह्ह्ह्ह..’ कर रही थी।

उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी।

उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। उसके ऐसा करने से लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनन्द ले रही थी।

अचानक उसकी साँसें तेज हो गई थीं और पूरे कमरे में उसकी ‘आह.. उह्ह..’ की आवाजें गूंजने लगीं और फिर ‘उफ्फ्फ्फ उफ्फ..’ की आवाजें करते-करते वो फिर से झड़ गई।

अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। उसकी जान निकल रही थी। ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया।

आधा घंटे बाद मैंने देखा बगल में लेटी निशी मेरा लण्ड सहलाने लग गई। उसकी छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और निशी भी गरमाने लगी थी।

हम फिर से एक-दूसरे को चूमने-चाटने लग गए। निशी बीच-बीच में मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। जल्दी ही हम 69 की अवस्था में आ गए और अब निशी मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं निशी की चूत को चाट रहा था।

थोड़ी देर बाद निशी बोली- मुझ पर चढ़ जाओ और मुझे एक बार और चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।

यह सुन कर मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई।

अब मैंने अपने लण्ड चूत के छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुँह से चीख निकल गई।

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।

वो बोली- इस बार दर्द कुछ कम हो रहा है।

अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब निशी ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया। अचानक वो तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।

अब निशी की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैंने भी उसको आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारने शुरू कर दिए।

जब मैं कुछ देर यूँ ही आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारता रहा तो निशी एकदम से उत्तेजित हो कर बोली- अब जोर-जोर से धक्के लगाओ।

यह सुन कर मैंने अपने धक्कों कि’ रफ़्तार बढ़ानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं निशी को तेजी के साथ चोदने लगा।

लगभग 20 -25 मिनट तक पूरी रफ्तार से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ.. निशी तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ‘ऊफ़्फ़फ़.. ऊफ़्फ़फ़्फ़.. आआआ..’ करता हुआ झड़ गया।

उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनन्द झलक रहा था। हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके।

मैंने उसको जल्दी-जल्दी कपड़े पहनाए क्योंकि डर था कहीं मामाजी की खबर सुन कोई रिश्तेदार घर न आ जाए।

उस रात हमने स्प्रे और शिलाजीत की कैपसूल खाकर तीन बार और चुदाई की। उन दो दिनों की चुदाई के बारे में सोचकर आज भी दिल रोमाँचित हो जाता है।

मेरी कहानी अच्छी लगी या बुरी, प्लीज मुझे अपनी प्रतिक्रिया जरूर मेल कीजिएगा।

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चौबीस घण्टे की प्रेमिका

Chaubis ghante ki premika

दोस्तो, मेरी पूर्व लिखी कथाओं पर आप सबकी तारीफ़ के लिए धन्यवाद। यहाँ पर आप इनका मज़ा ले सकते हैं।

जिस घटना का जिक्र आज यहाँ है वो करीब ढाई साल पुरानी है। मेरी उस वक़्त की गर्ल फ्रेंड की एक रूम मेट थी प्रियंका वाजपेयी, हल्के सांवले रंग की लेकिन तीखे नयन नख्श वाल, मस्त मम्मे उससे भी मस्त कूल्हों वाली, संक्षेप में कहूँ तो 100% चोदन माल।

उसके माँ पाप बंगलौर में रहते थे। मैं प्रियंका को कई बार चुदाई का परोक्ष निमंत्रण दे चुका था। लेकिन वो इसलिए हाँ नहीं बोलती क्योंकि मैं उसकी सहेली का बॉयफ्रेंड था।

पर कहते है ना किसी चीज़ को पाने की सच्ची चाहत हो तो क़ायनात भी साथ देती है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।

प्रियंका ने बंगलौर ट्रांसफर ले लिया। सब सामान भेजने के बाद उसने उद्यान एक्सप्रेस से टिकट कराया।

जिस दिन उसने ट्रेन पकड़नी थी उस दिन मुंबई में ऑटो टैक्सी वालों की हड़ताल थी। मेरी गर्लफ्रेंड ने आग्रह किया कि मैं प्रियंका को नजदीकी लोकल स्टेशन तक छोड़ दूँ।

मैं बाइक ले कर पहुँच गया।

हम निकले तो मैंने जान करके आगे के ब्रेक लगाये ताकि प्रियंका के भरे वक्ष मेरी पीठ में पिचकते रहें। सुबह का वक़्त और हड़ताल के कारण सड़क खाली थी हम जल्दी ही लोकल स्टेशन आ गए।

‘चाय पियोगी?’ मैंने सवाल किया।

‘चलो पी लेते हैं।’ उसने सहज उत्तर दिया।

चाय के लिए बोल कर मैंने सिगरेट निकाली- क्या मैं पी सकता हूँ? अगर तुम्हें ऐतराज़ ना हो तो?

‘ऐतराज़ है अगर अकेले पिओगे तो!’ कहते हुए वो मुस्कुरा दी।

मैंने सिगरेट जलाई और हम बारी बारी से पीने लगे।

चाय आई तो मैंने चांस मारा- आज तो मुंबई की सबसे सेक्सी लड़की बंगलौर जा रही है।

‘हाँ, और तुम जानबूझ कर ब्रेक मार कर उसकी सेक्स अपील को दुखा रहे हो।’ प्रियंका ने तपाक से उत्तर दिया।

‘यार, दुःख रहे हैं तो दबा दूँ? मेरा मतलब है मसाज कर दूँ?’ मैंने आँख मारते हुए कहा।

‘यहाँ? सब के सामने?’ मेरी प्रतिक्रिया सुनने के पहले ही फिर मायूसी से बोल पड़ी- यार, कुछ देर में वी टी से मेरी ट्रेन है।

मैं मन ही मन कोस रहा था कि प्रियंका चुदने को तैयार थी और मैंने परोक्ष इशारों में इतना टाइम गवां दिया।

मैं चाय वाले को पैसे दे रहा था कि तभी एक आईडिया आया।

‘अगर तुम ट्रेन छोड़ दो और हम आज का दिन साथ गुजारें तो?’ मैंने प्रियंका को टटोला।

‘कैसे यार, कल बंगलौर स्टेशन पर पापा आएंगे?’

‘तुम कल सवेरे की फ्लाइट ले लो यार, मैं टिकट निकालता हूँ। सवेरे 6 बजे की फ्लाइट लो 7:30 तक बंगलौर। वहाँ से टैक्सी लेकर स्टेशन?’ मैं मासूमियत से प्रियंका को देखने लगा।

एक पल सोचा फिर क़ातिल हंसी देते हुए बोली- कमीने, जल्दी एयरपोर्ट चल टिकट नहीं मिली तो मुझे वी टी स्टेशन छोड़ देना।

इस बार बाइक पर बैठी तो एकदम चिपक कर। हमने फ्लाइट का टिकट निकाला और मेरे फ्लैट की और चल पड़े।

इस बीच प्रियंका के पापा का और मेरी गर्ल फ्रेंड का फ़ोन उसके मोबाइल पर आया तो उसने बोल दिया कि ट्रेन में है।

फ्लैट पहुँच कर वहीं पर हम दोनों आलिंगनबद्ध हो गए, तन की आग दोनों के जिस्मों को सुलगा रही थी, हम ऐसे चूम रहे थे जैसे हमारा थूक इस आग को बुझा देगा।

उलटे वो तो आग में घी का काम कर रहा था।

प्रियंका ने मेरा हाथ पकड़ उसने अपने वक्ष पर रख दिया- इनका दर्द मिटा दे, जान।

मैंने उसके मम्मे दबा दिए।

20-25 मिनट तक चुम्मा चाटी के बाद हम अलग हुए, दोनों के कपड़े बेतरतीब हो गए थे, हम एक दूसरे को देख मुस्कुराये और सोफे पर गिर पड़े।

कुछ देर बाद मैं अन्दर गया और बीयर ले आया, प्रियंका ने सिगरेट जला दी थी, वो कश लेती और चूमती, धुआं मैं पी लेता।

बियर भी हम ऐसे ही पी रहे थे एक बार वो घूंट लेकर मेरे मुँह में डालती फिर मैं लेकर उसके मुँह में उलटता।

सिगरेट खत्म हुई तो प्रियंका को अपनी ओर खींचा और उसके शर्ट के बटन खोलने लगा। इशारा समझ कर वो उठी और पूरी नंगी हो गई। वो बाथरूम में मूतने गई तो मैंने भी कपड़े निकाल दिए।

प्रियंका बाहर आई तो देखा कि उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे।

प्रियंका ने घुटनों के बल बैठ मेरा लंड मुँह में ले लिया, वो थोड़ा मुँह खोलती तो मैं बियर डाल देता।

जब मेरा लौड़ा तन गया तो उठी और वहीं सोफे पर लेट गई मैंने उसके पैर उठा लंड चूत में घुसा दिया और ठोकने लगा।

चुदाई कर हम बाथरूम में गए उसने मेरे लंड को साफ़ किया और मैंने उसकी चूत। मैंने उसके चूत के बाल शेव करने का आईडिया दिया वो मान गई, फोम लगा के मैं उसकी शेविंग करने लगा।

उसके बाद दोनों चूम चूम कर नहाये।

लंच आर्डर किया और फिर बियर पी। लंच करके दोनों बैडरूम में आराम करने लगे, थोड़ी देर में प्रियंका लंड से खेलने लगी।

मेरे खड़े लौड़े को अपनी चिकनी चूत का रास्ता दिखाया, उसकी क्लीन शेवन चूत में मेरा लंड आसानी से घुस गया और मैं पूरे जोश के साथ चोद रहा था।

एक तो वो खूब मस्त माल थी, उस पर अब तक न चोद पाने का एहसास था।

प्रियंका ‘फ़क मी’ बोले जा रही थी और मैं धकाधक चोद रहा था।

थोड़ी देर बाद वो ऊपर से उचक उचक कर अपनी चिकनी चूत में मेरे लंड को ले रही थी। जब मेरी पिचकारी चल गई तो वो ऊपर से उठी, मेरे लंड पर से कंडोम निकाला और मेरे लौड़े को चाट कर साफ़ किया।

वो मेरा लंड पकड़े कर चिपट कर सो गई, थोड़ी देर में मेरी भी आँख लग गई।

शाम को हमने सिगरेट के धुएँ में पूर्ण नग्न हो वोदका पी और खाना खाना खाया, प्रेशर लगा तो मैं बाथरूम में गया, लंड हाथ में पकड़ मूतने लगा।

पेशाब कर मुड़ने ही वाला था कि प्रियंका पीछे से लिपट गई और एक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ लिया- जवान मर्द हो, अपना काम पूरा नहीं करोगे?’ कहते हुए एक और चुदाई का आमंत्रण दिया।

मैं वहीं कमोड पर बैठ कर प्रियंका की दोनों टाँगे चौड़ी कर चूत पर थूक दिया फिर चाटने लगा, मैं चाट चाट कर चूत चूस रहा था।

मेरा लंड भी गरम रॉड हो गया, जैसे जैसे मेरी जुबान चूत की गहराई में रसपान कर रही थी, चूत रस से मेरा चेहरा भीग गया।

प्रियंका की चूत मेरे लंड की प्यासी हो रही थी, वो वहीं घुटनों के बल बैठ मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, थूक थूक कर मस्त गीला करती, हाथों से मलती और फिर चूसने लग जाती।

मैं उसके मम्मों का मर्दन करता तथा झुक कर गांड में उंगली डाल देता।

प्रियंका से अब सहन नहीं हो रहा था तो उसने मेरी ओर पीठ कर मेरे लंड को अपनी चूत के हवाले कर कूद कूद कर चुदाई शुरू कर दी। प्रियंका की सीत्कार और हमारी जांघों की ‘फट-फट’ से पूरा बाथरूम गूँज रहा था, उसके मम्मे संभल ही नहीं रहे थे, प्रियंका की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।

प्रियंका मुड़ी और अपना मुँह मेरी ओर कर फिर लंड अपनी चूत में डाल दिया, मुझे चूमते हुए मेरा मुँह अपने थूक से भर दिया, फिर मेरी बाँहों में झूलते हुए कूदने लगी और चुदाने लगी।

मैंने बाथरूम में कई बार सेक्स किया पर आज कमोड पर उन्मुक्त सेक्स के मज़े ले रहा था। थोड़ी देर में मेरे गरम वीर्य से प्रियंका की चूत भर गई।

वो और मैं दोनों मुस्कुराये और एक दूसरे से लिपट कर कमोड पर ही बैठे रहे, मेरा लौड़ा अब भी प्रियंका की चूत में था और धीरे धीरे सिकुड़ रहा था।

तभी प्रियंका को सूसू आ गया और मेरा लंड बाहर आ गया तथा उसके मूत से नहा गया।

बाहर आकर प्रियंका ने अपने कपड़े जमाये, सुबह जल्दी उठने का अलार्म लगाया और आई-पिल ली।

हमने कुछ और सिगरेट पीने के बाद फिर एक बार उन्मुक्त सम्भोग किया।

सुबह किसी तरह उठे और उसको एयरपोर्ट छोड़ कर आया।

दोस्तो, प्रियंका वाजपेयी मेरी 24 घंटे से भी कम की प्रेमिका थी, लेकिन मेरे घंटे को पूरी तरह से बजा गई।

अपनी राय मेरी मेल पर भेजिए।

पूजा किया करो

प्रीतो अपने पति सन्ता से- भगवान की पूजा किया करो, इससे बड़ी बलाएं टल जाती हैं..

सन्ता जवाब में- तुम्हारे पिताजी तो खूब पूजा करते होंगे तभी तो उनकी बला टल कर मेरे ऊपर आ गई !

मेरी मतवाली कुंवारी गाण्ड मार ही ली-1

Meri Matvali Kunwari Gand Mar Hi Li-1

दोस्तो, मेरा नाम अनिल है.. मेरे यौवन जीवन की शुरूआत मेरी गाण्ड मरवाने से ही हुई।

यह किस्सा जब का है.. जब मेरी बहन सपना 18 साल की और में 19 साल का था। हम दोनों एक ही स्कूल में और एक ही क्लास में पढ़ते थे। हम दोनों पढ़ने-लिखने में ज्यादा होशियार नहीं थे.. बस औसत थे।

हमारे एक अध्यापक थे.. पाल सर.. उनके लिए मशहूर था कि वो जानबूझ कर अपने स्टूडेंट को फेल कर दिया करते थे.. ताकि वो उनके पास जाए और वो फिर उसका फायदा उठा सकें।

हमारे स्कूल में इस तरह के कई किस्से थे.. जिसमें पहले फेल हुए छात्र-छात्रा.. पाल सर से मिलने के बाद पास हो गए। इस बार हमें भी पता चला कि हम दोनों भाई-बहन भी फेल हो गए हैं और हमें अगर पास होना ही है तो पाल सर से मिलना पड़ेगा..

मैंने सपना से कहा- हम दोनों को शाम को पाल सर के पास चलना पड़ेगा.. ताकि हम पास हो सकें।

लेकिन पाल सर पास करने की क्या कीमत लेंगे.. ये हमें भी पता नहीं था।

शाम को हम दोनों पाल सर के घर गए.. तो वो कमरे में लुंगी पहने अकेले ही बैठे हुए थे। उन्होंने हम दोनों से आने का कारण पूछा.. तो हमने बताया। मैंने देखा कि बातचीत के दौरान पाल सर की निगाहें सपना पर ही लगी रहीं।

उन्होंने पूरी बात सुनने का नाटक किया और कहा- पास तो मैं करवा दूँगा.. पर इसके लिए तुम्हें कीमत देनी होगी।

हमने कहा- हमारे पास देने को कोई पैसा नहीं है।

तो उन्होंने कहा- उन्हें पैसे की नहीं.. बल्कि जो चाहिए है.. वो तुम्हारे पास है।

हम दोनों भाई-बहन ने एक-दूसरे की ओर देखा फिर सहमति में गर्दन हिला दी।

पाल सर ने मुझसे कहा- तुम कल अकेले आकर उनसे मिलो.. फिर मैं बताऊँगा कि तुम दोनों कैसे पास हो सकते हो।

अगले दिन मैं पाल सर के पास गया.. तो वो जैसे मेरा ही इंतजार कर रहे थे..

उन्होंने मुझसे कहा- मैं जो भी तेरे साथ करूँ.. तू उसका बुरा तो नहीं मानेगा?

मैंने ‘न’ में अपना सर हिला दिया।

पाल सर ने मुझे अपने पास बुलाया और वो मेरे निक्कर के ऊपर से ही मेरे चूतड़ों को सहलाने लगे.. मैं समझ गया कि आज पाल सर मेरे साथ क्या करेंगे..

उन्होंने मेरा निक्कर उतारा और मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरा लंड प्यार से पकड़ा और मुँह में ले लिया।

मैं तनिक उत्तेजित सा हुआ.. इसी बीच उन्होंने मेरा पूरा सामान अपने मुँह में अन्दर ले लिया और चूसने लगे। एक हाथ बढ़ाकर उन्होंने थोड़ा नारियल तेल अपनी ऊँगली पर लिया और मेरी गुदा पर चुपड़ा। फ़िर मेरा लंड चूसते हुए धीरे से अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में आधी डाल दी।

‘ओह… ओह..’ मेरे मुँह से निकला।

‘क्या हुआ बेटा.. दु:खता है?’ सर ने पूछा.

‘हाँ सर… दर्द भी होता है..’

‘इसका मतलब है कि दु:खने के साथ मजा भी आता है.. है ना? अब तुझे यही तो मैं सिखाना चाहता हूँ… गाण्ड का मजा लेना हो.. तो थोड़ा दर्द भी सहना सीख ले..’

यह कहकर सर ने पूरी ऊँगली मेरी गाण्ड में उतार दी और हौले-हौले घुमाने लगे.. पहले मुझे दर्द हुआ.. पर फ़िर मजा आने लगा.. मेरे लंड को भी अजीब सा जोश आ गया और वो खड़ा हो गया.. सर उसे फ़िर से बड़े प्यार से चूमने और चूसने लगे।

‘देखा? तू कुछ भी कहे या नखरे करे.. तेरे लंड ने तो कह दिया कि उसे क्या लुत्फ़ आ रहा है..’

पांच मिनट तक सर मेरी गाण्ड में ऊँगली करते रहे और मैं मस्त होकर आखिर उनके सिर को अपने पेट पर दबा कर उनका मुँह चोदने की कोशिश करने लगा।

अब सर मेरे बाजू में लेट गए, उनकी ऊँगली बराबर मेरी गाण्ड में चल रही थी।

वो मेरे बाल चूम कर बोले- अब बता अनिल बेटे.. जब औरत को प्यार करना हो.. तो उसकी चूत में लंड डालते हैं या उसे चूसते हैं.. है ना..? अब ये बता कि अगर एक पुरुष को दूसरे पुरुष से प्यार करना हो.. तो क्या करते हैं?’

‘सर… लंड चूसकर प्यार करते हैं?’ मैंने ज्ञान बघारते हुए कहा।

‘और अगर और कस कर प्यार करना हो तो? याने चोदने वाला प्यार?’

सर ने मेरे कान को दांत से पकड़कर पूछा।

मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था, ‘सर, गाण्ड में ऊँगली डालते हैं.. जैसा आप कर रहे हैं..’

‘अरे.. वो तो आधा प्यार हुआ.. इसमें तो सिर्फ ऊँगली करवाने वाले को मजा आता है.. पर लंड में होती गुदगुदी को कैसे शांत करेंगे?’

मैं समझ गया… बहुत ही छटा हुआ मादरचोद किस्म का मास्टर है.. यह साला बिना गाण्ड मारे नहीं मानेगा।

मैं हिचकता हुआ बोला- सर… गाण्ड में… लंड डाल कर सर?

‘बहुत अच्छे मेरी जान.. बहुत अच्छे मेरी जान.. तू वाकयी समझदार है.. अब देख.. तू मुझे इतना प्यारा लगता है कि मैं तुझे चोदना चाहता हूँ.. तू भी मुझे चोदने को लंड मुठिया रहा है.. अब अपने पास चूत तो है नहीं.. पर ये जो गाण्ड है.. वो चूत से ज्यादा सुख देती है और चोदने वाले को भी जो आनन्द आता है वो बयान करना मुश्किल है बेटे..’

मैं चुप था।

‘अब बोल.. अगला लेसन क्या है? तेरे सर अपने प्यारे स्टूडेंट को कैसे प्यार करेंगे?’

‘सर.. आप मेरी गाण्ड में अपना लंड डाल कर.. ओह सर..’

मेरा लंड मस्ती में उछला.. क्योंकि सर ने अपनी ऊँगली सहसा मेरी गाण्ड में गहराई तक उतार दी..

‘सर दर्द होगा.. सर.. प्लीज़ सर..’ मैं मिन्नत करते हुए बोला।

मेरी आंखों में देख कर सर मेरे मन की बात समझ गए- तुझे करवाना भी है ऐसा प्यार और डर भी लगता है.. है ना?

‘हाँ सर, आपका बहुत बड़ा है..’ मैंने झिझकते हुए कहा।

‘अरे उसकी फ़िकर मत कर.. ये तेल किस लिए है.. आधी शीशी अन्दर डाल दूँगा.. फ़िर देखना ऐसे जाएगा.. जैसे मक्खन में छुरी.. और तुझे मालूम नहीं है.. ये गाण्ड बहुत लचीली होती है.. बड़े आराम से ले लेती है.. और देख.. मैंने पहले एक बार अपना झड़ा लिया था.. नहीं तो और सख्त और बड़ा होता.. अभी तो बस प्यार से खड़ा है.. है ना? और चाहे तो तू भी पहले मेरी मार सकता है..’

मेरा मन ललचा गया..

सर हँस कर बोले- मारना है मेरी?.. वैसे मैं तो इसलिए पहले तेरी मारने की कह रहा था कि तेरा लंड इतना मस्त खड़ा है.. इस समय तुझे इस लेसन का असली मजा आएगा.. गाण्ड को प्यार करना हो तो अपने साथी को मस्त करना जरूरी होता है.. वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं.. अभी तेरा लंड खड़ा है.. तो तुझे मरवाने में बड़ा मजा आएगा..

‘हाँ सर..’

सर मुझे इतने प्यार से देख रहे थे कि मेरा मन डोलने लगा।

‘सर.. आप ही डाल दीजिये सर अन्दर.. मैं संभाल लूंगा..’

‘अभी ले मेरे राजा.. वैसे तुम्हें कायदे से कहना चाहिए कि सर.. मेरी गाण्ड मार लीजिए..’

‘हाँ सर.. मेरी गाण्ड मारिए सर.. मुझे .. मुझे चोदिए.. सर!’

सर मुस्कराए- अब हुई ना बात.. चल पलट जा.. पहले तेल डाल दूँ अन्दर.. तुझे मालूम है ना.. कि कार के इंजन में तेल से पिस्टन सटासट चलता है? बस वैसे ही तेरे सिलेंडर में मेरा पिस्टन ठीक से चले.. इसलिए तेल लगाना जरूरी है..

मैंने सहमति में अपने सिर को हिलाया।

‘अच्छा सुन.. पलटने के पहले मेरे पिस्टन में तेल तो लगा दे..’

मैंने हथेली में नारियल का तेल लिया और सर के लंड को तेल से चुपड़ने लगा.. उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में नाग जैसा मचल रहा था। तेल चुपड़ कर मैं पलट कर लेट गया.. मुझे डर भी लग रहा था। तेल लगाते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि सर का लंड फ़िर से कितना बड़ा हो गया है।

सर ने भले ही दिलासा देने को यह कहा था कि एक बार झड़कर उनका जरा नरम पड़ गया है पर असल में वो लोहे की सलाख जैसा ही टनटना गया था।

सर ने तेल में ऊँगली डुबो कर मेरी गुदा को चिकना किया और एक ऊँगली अन्दर-बाहर की.. फ़िर एक हाथ से मेरे चूतड़ फ़ैलाए और कुप्पी उठाकर उसकी नली धीरे से मेरी गाण्ड में अन्दर डाल दी।

मुझे सुरसुराहट सी हुई.. मैं पलट कर सर की ओर देखने लगा.. वे मुस्कराकर बोले- बेटे.. अन्दर तक तेल जाना जरूरी है.. मैं तो आधी शीशी तेल तेरे अन्दर भर ही देता हूँ.. जिससे तुझे कम से कम तकलीफ़ हो..

वे शीशी से तेल कुप्पी के अन्दर डालने लगे.. मुझे गाण्ड में तेल उतरता हुआ महसूस हुआ.. बड़ा अजीब सा.. पर मजेदार अनुभव था.. सर ने मेरी कमर पकड़कर मेरे बदन को हिलाया- बड़ी टाइट गाण्ड है रे तेरी.. तेल धीरे-धीरे अन्दर जा रहा है!

मेरी गाण्ड से कुप्पी निकालकर सर ने फ़िर एक ऊँगली डाली और घुमा-घुमा कर गहरे तक अन्दर-बाहर करने लगे।

मैंने दांतों तले होंठ दबा लिए कि सिसकारी न निकल जाए.. फ़िर सर ने दो ऊँगलियां डालीं.. आह.. इतना दर्द हुआ कि मैं चिहुंक पड़ा।

मेरे पीछे बैठते हुए सर बोले- अब तू आराम से पलट कर लेट जा… वैसे तो बहुत से आसन हैं और आज तुझे सब आसनों की प्रैक्टिस कराऊंगा.. पर पहली बार डालने वक्त ये सबसे अच्छा आसन है..

मैं औंधा लेटा था.. सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपने घुटने मेरे बदन के दोनों ओर टेक कर बैठ गए।

‘अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल.. तुझे भी आसानी होगी और मुझे भी.. और एक बात है बेटे.. गुदा को ढीला छोड़ना.. नहीं तो तुझे ही दर्द होगा.. समझ ले कि तू लड़की है और अपने सैंया के लिए चूत खोल रही है.. ठीक है ना?’

मैंने अपने हाथ से अपने चूतड़ पकड़ कर फ़ैलाए.. सर ने मेरी गुदा पर लंड जमाया और पेलने लगे, ‘ढीला छोड़.. अनिल बेटा जल्दी..’

मैंने अपनी गाण्ड का छेद ढीला किया और अगले ही पल सर का सुपाड़ा ‘पक्क’ से अन्दर हो गया.. मेरी चीख निकलते-निकलते रह गई।

मेरी इस कथा पर कमेन्ट देने के लिए मुझे सुदर्शन की ईमेल पर ही लिखें।

कहानी अभी जारी है।

मेरी सुहागरात एक कॉल गर्ल के साथ

Meri Suhagraat Ek Callgirl Ke Sath

दोस्तो, आज पेश है आपके लिए एक सच्ची कहानी!

मेरा नाम राजीव है, 20 साल का हूँ और लुधियाना, पंजाब में रहता हूँ।

बात दो साल पहले की है, जब मैं 18 साल का हुआ तो यार दोस्तों ने कहा- बर्थडे की पार्टी दे।

मैंने कहाँ मना करना था, मैंने पार्टी के लिए हामी भर दी।

हम 5 दोस्त थे। पार्टी की जगह आदिल के घर पर तय हुई क्योंकि उस दिन उसके घर में कोई नहीं था, यह हमारे लिए अच्छा था।

हम सब यार दोस्त घर वालों से चोरी चोरी सिगरेट और शराब का शौक फरमा लेते थे इसलिए प्रोग्राम यह बनाया कि आदिल के घर सारी रात पार्टी करेंगे और अगर किसी को ज़्यादा हो गई तो वहीं पर सो जाएँगे।

पार्टी के लिए हम सबने 1000/- प्रति मेम्बर डाले। मुझे हैरानी हुई क्योंकि तब से पहले तो हम सब 500/- प्रति मेम्बर डालते थे।

मैंने आदिल से पूछा तो वो बोला- तेरे लिए सर्प्राइज़ गिफ्ट है।

मुझे बड़ी हैरानी हुई, पर सोचा कि चलो देखते हैं, क्या सर्प्राइज़ गिफ्ट है।

तय तारीख पर हम सब आदिल के घर पहुँच गए, शाम को केक काटा, उसके बाद सबने बीयर शुरू कर दी, नाच गाना शुरु हुआ, हम पाँचों बहुत खुश थे, मगर गिफ्ट मुझे किसी ने नहीं दिया। मैं भी सोच रहा था कि यार ऐसा कौन सा गिफ्ट है, जो अभी तक नहीं दिया।

खैर 9 बजे तक हमने खाना भी खा लिया। उसके बाद सबने बैठ कर फिल्में देखनी शुरू कर दी, साथ-साथ बीयर भी चल रही थी।

सब के सब पूरे सुरूर में थे, तब आदिल बोला- देखो भाई लोग आज हमारे प्यारे दोस्त, चूतिया नंबर 1, श्री श्री राजीव कुमार जी का जन्मदिन है, आज से 18 साल पहले इसकी माँ ने जोरदार चीख मार कर सारी दुनिया को बताया था कि उसने हिंदुस्तान की आबादी में एक और इजाफा कर दिया। आज हम सब यहाँ पर इसका चूतियापा करने के लिए इक्कठे हुए हैं। मगर क्योंकि आज के दिन इसने धरती को ग्रहण लगाया था, इसी खुशी में आज हम इसको एक सर्प्राइज़ गिफ्ट देंगे, मगर बदले में इसे भी कुछ देना पड़ेगा। बोल बे घोंचू… तू क्या देगा।

मैं हैरान था कि यह क्या बात हुई, कि गिफ्ट लेने के लिए कुछ देना भी पड़ेगा, मैं बोला- मैं क्या दे सकता हूँ।

आदिल बोला- चल ऐसा कर, आज तू हमे अपनी इज्ज़त दे दे।

मैंने भी फिल्मी स्टाइल जोरदार चीख मारी- नहीं……….!!!!!!!!!

तो आदिल बोला- भोंसड़ी के, अभी तो तेरे अंदर घुसा भी नहीं और तू चीख भी पड़ा, पहले तेरी फटने तो दे!

सब हंस रहे थे।

मैंने कहा- तो बोलो, क्या चाहते हो?

मैंने भी ब्लाईंड खेली।

‘अबे तू तो सच में चूतिया है, साला एकदम से तैयार हो गया, चल ठीक है आज तेरी इज्ज़त ही उतारेंगे।’

मुझे थोड़ा डर भी लगा, साले हैं तो सब कमीने, कहीं सच में मेरी गाण्ड ही न मार लें।

आदिल बोला- चलो सब साथी लोग, आज सब मज़े करेंगे।

यह कह कर वो हमे अपने साथ पीछे वाले बेडरूम के पास ले गया- अब सब सुनो, सब अपने आप पर काबू रखें, बारी बारी सब एंजॉय करेंगे, इस बेडरूम में आज राजीव भाई की इज्ज़त लुटने वाली है।

यह सुन कर मेरी थोड़ी और फट गई मगर मैं फिर भी उनके बीच खड़ा मुसकुराता रहा।

जब आदिल ने कमरे का दरवाजा खोला तो हम सबकी तो बांछें खिल गई। कमरे में बेड पर एक 35-36 साल की औरत बैठी थी।

हम सब आपस में खुसर फुसर करते एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते हुये अंदर दाखिल हुए।

हमारे अंदर आते ही वो औरत उठ कर खड़ी हो गई, अच्छी ख़ासी हेल्दी औरत थी, पंजाबी चूड़ीदार सूट में वो सुंदर दिख रही थी, लो कट गले में से उसका छोटा सा क्लीवेज दिख रहा था।

आदिल बोला- क्यों भाई, बर्थडे बॉय, लुटवायेगा इज्ज़त अपनी?

मैंने भी खुशी से कह दिया- अगर ये लूटेंगी तो ज़रूर लुटवाऊँगा।

वो भी बड़े प्यार से बोली- मैं आपकी इज्ज़त नहीं लूटूंगी। हम सिर्फ प्यार करेंगे।

मुझे उसकी आवाज़ भी बड़ी प्यारी लगी। हम सब उसके आस पास बेड पर बैठ गए।

आदिल ने उससे कहा- सिमरन थोड़ा थोड़ा प्रसाद तो बाँट दो सबको।

मुझे बड़ी हैरानी हुई कि यह कौन सा प्रसाद बांटेगी सबको।

‘शुरुआत बर्थडे बॉय से करूँ?’ उसने पूछा, तो सबने ‘हाँ हाँ’ कह दिया।

जैसे हम सब उसको चारों तरफ से घेर कर बैठे थे, वो बस थोड़ा सा उठी और उठ कर मेरी गोद में आकर बैठ गई, उसने अपना दुपट्टा उतार के साइड पे रख दिया और मेरा एक हाथ पकड़ के अपने बूब पे रखा और खुद दबाया, बेशक उसने दबाया पर ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत का बूब दबाने का मज़ा मुझे बहुत आया।

उसके बाद उसने एक हाथ मेरे सर के पीछे से घुमाया और मेरे होंठों को अपने होंठों से लगा कर एक भरपूर चुम्बन दिया।

सच कहता हूँ, उसके बूब की नरमी और उसकी लिपस्टिक का टेस्ट और पहली बार किसी औरत के स्पर्श ने मेरे तो रोंगटे खड़े कर दिए, मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मेरे चेहरे और कानों से जैसे गर्मी बाहर निकलने लगी।

करीब 10 सेकंड तक उसने मेरे होंठ चूसे और फिर बोली- दोनों को पकड़ के दबाओ!

मैंने अपने दोनों हाथों में उसके दोनों बूब्स पकड़े और दबाये, वाह क्या एहसास था।

‘मज़ा आया?’ वो बोली।

‘बहुत, आप पहली औरत हो जिसके बदन को मैंने ऐसे टच किया है।’

वो मुस्कुराई, उठी और एक एक करके सबको वैसे ही चुम्बन का प्रसाद देती हुई आदिल तक पहुँची- तुझे भी प्रसाद दूँ क्या, तू तो पहले भी कई बार सारे का सारा भोग लगा चुका है।

आदिल हंस कर बोला- मेरी जान, मैं तो सबसे आखिर में अपनी गेम खेलता हूँ, इन बच्चों को मर्द बना दे आज, मेरे सिवा किसी ने औरत के साथ सेक्स नहीं किया है, सबके सब कुँवारे हैं।

वो बोली- कोई बात नहीं, मैं आज आप सब को ज़िंदगी का वो एहसास करवाऊँगी जिसे आप सारी उम्र नहीं भूल सकते।

फिर आदिल बोला- तो चलो भाई अपन सब बाहर चलते हैं, पहली बैटिंग राजीव की उसके बाद एक एक करके सब खेलेंगे।

सब बाहर चले गए और हम दोनों अंदर रह गए। मेरा दिल बड़ी ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था। वो दरवाजे की कुंडी लगा कर वापिस आई और मेरे सामने ही बेड पर बैठ गई, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इससे क्या बात करूँ।

वो खुद ही बोली- क्या पसंद करेंगे आप?

मैंने कहा- देखिये सच कहूँ, तो मुझे खुद नहीं पता कि मैं आपके साथ क्या करूँ?

‘ब्लू फिल्में तो देखते होंगे?’ उसने पूछा।

‘हाँ बहुत देखी हैं, पर फिल्म और ज़िंदगी में बहुत फर्क होता है।’ मैंने कहा।

‘ओके फिर मैं ही शुरू करूँ…’ उसने कहा।

मैंने हाँ की तो वो उठ कर अपनी शर्ट उतारने लगी।

मैंने कहा- एक मिनट, अभी कपड़े मत उतारो प्लीज।

वो रुक गई- आप यहाँ बेड पे लेट सकती हैं।

वो लेट गई।

‘थोड़ा साइड में…’ मैंने कहा तो वो करवट लेकर लेट गई, अब उसका एक बड़ा सा क्लीवेज बन रहा था।

मैंने उसके क्लीवेज पर हाथ फेर के देखा- मैं अक्सर अपने घर में रिश्तेदारी में औरतों और लड़कियों के क्लीवेज देखता था और छूना चाहता था, पर कभी छू नहीं पाया था, आज मेरी इच्छा पूरी हो गई।

वो मुझे देख कर मुस्कुराती रही और जैसे जैसे मैं उसको कहता गया, वो करती गई। फिर मैंने उसको उल्टा लिटाया और आगे से उसके क्लीवेज को छूकर सहला कर और चूमकर देखा। जब वो उल्टी लेटी थी तो उसके चूतड़ों को भी सहला कर देखा।

फिर मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया और अपने दोनों हाथों से उसकी पीठ सहलाई, पीठ तो पीठ औरत के ब्रा से स्ट्रैप सहला कर भी बड़ा मज़ा आता है बाई गोड।

‘किस मी…’ मैंने कहा तो उसने दोनों हाथों से मेरा चहरा पकड़ा और खुद मेरे होंठों पे किस किया।

‘इतना छोटा किस नहीं, लंबा किस, चूस जाओ मेरे होंठों को…’ मैंने कहा तो उसने मेरा नीचे वाला होंठ अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगी, उसने अपनी जीभ मेरे नीचे वाले होंठ पर फेरी, मैंने भी उसका ऊपर वाला होंठ वैसे ही चूसा और चाटा।

चूमते चूमते उसने अपनी जीभ ही मेरे मुँह में डाल दी। फिल्मों में तो मैंने देखा था, पर असल ज़िंदगी का एहसास वाकई बहुत कमाल का था।

मैंने उसकी और उसने मेरी जीभ चूसी। मैंने उसकी पीठ सहलाते सहलाते, उसकी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसके ब्रा को छूने का आनन्द लिया, उसके चूतड़ सहलाए, उसकी पाजामी के अंदर हाथ डाल कर उसकी पेंटी और उसके नग्न चूतड़ों को दबा दबा कर मज़ा लिया।

फिर मैंने उसे अपने ऊपर से उतार दिया- मैं तुम्हें बिलकुल नंगी देखना चाहता हूँ।

वो उठ कर कपड़े उतारने लगी तो मैंने रोक दिया- नहीं, तुम्हें नंगी भी मैं खुद ही करूँगा।

वो मुस्कुरा पड़ी। मैंने खुद उसकी शर्ट उतरी, फिर अंडरशर्ट भी उतार दी। पहली बार मेरे सामने एक औरत ब्रा में थी, मैंने उसके बूब्स पकड़ लिए, उन्हें चूमा, दाँतो से भी काटा, वो मेरे बाल सहलाती रही।

मैंने उसे घुमाया और पीछे से उसके ब्रा की हुक खोली, फिर मैंने उसकी चूड़ीदार पाजामी का नाड़ा खोला और उसकी पाजामी उतरवा दी।

मैंने उसे अपनी गोद में बैठाया और उसकी जांघों, पेट और टाँगों को भी प्यार से सहला कर छू कर चूमकर देखा।

‘बहुत मज़े ले रहे हो?’ वो बोली।

‘सिमरन, तुम मेरी ज़िंदगी की पहली औरत हो, तो मज़े लेने तो बनते हैं।’ मैंने कहा।

‘तो जी भर के लो, मेरा सारा बदन तुम्हारा है, जैसे चाहो जो मर्ज़ी कर लो।’ उसने मुझे खुली छूट दे दी।

‘तुम क्या क्या करती हो सिमरन?’ मैंने पूछा।

‘सब कुछ करती हूँ, तुम क्या करवाना चाहते हो?’ उसने जवाब में सवाल किया।

‘जो जो ब्लू फिल्मों की हीरोइन करती हैं, वो सब करती हो?’ मैंने बहुत जिज्ञासु होकर पूछा।

‘ हाँ, वो सब करती हूँ, आगे पीछे ऊपर नीचे, सब जगह करती हूँ।’

मुझे उसका जवाब सुन कर बड़ी खुशी हुई। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिये सिर्फ चड्डी छोड़ कर, मैंने सिमरन को बेड पे लिटाया और खुद उसके ऊपर लेट गया।

उसने भी मुझे बाहों में कस लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर के गिर्द लपेट ली, मैं चड्डी में से ही अपना पूरी तरह तना हुआ लण्ड उसकी चूत पे रगड़ने लगा।

उसने अपनी ब्रा उतारी और अपना एक बूब मेरे मुँह में दे दिया- चूसो इसे!

यह काम मुझे मनपसंद लगा, मैंने बारी बारी से उसके दोनों बूब्स खूब चूसे, दबाये, उन्हें जी भर के और पूरे ज़ोर से मसला कि सिमरन के मुँह से सी सी की आवाज़ें निकल पड़ी।

मैं बहुत खुश था। फिर मैं उठा और उठ कर सिमरन की पेंटी उतारी। पेंटी के नीचे एक साफ, शेव की हुई चूत दिखी। मैंने बड़े प्यार से उसकी दोनों टाँगों को चौड़ा किया और खोल कर उसकी चूत देखी, उसे सहला कर, उसके दोनों होंठ खोल कर उसके अंदर देखा, अंदर से गुलाबी फांकें दिख रही थी।

मैंने अपनी एक उंगली उसके अंदर डाल कर देखी, वो थोड़ा सा कसमसाई।

‘मैं इसे चाट सकता हूँ?’ मैंने पूछा।

‘हाँ’ वो बोली- पर पहले मैं इसे धो कर आती हूँ।

वो उठी और बाथरूम में चली गई, मैं उसके जाती हुई के गोल गोल मटकते चूतड़ देखता रहा।

एक मिनट में ही वो अपनी चूत धो कर तौलिये से साफ करती हुई बाहर आ गई और फिर से मेरे सामने बेड पे टाँगें चौड़ी करके लेट गई।

मैं भी उसकी टाँगों के बीच लेट गया, पहले मैंने उसकी चूत के आसपास, कमर पर चूमा, थोड़ी से जीभ फेरी, फिर उसकी चूत की दरार पे जीभ फेरी, फिर हल्के जीभ दबा कर फेरी तो जीभ दरार के अंदर चली गई, इस बार पहली बार मुझे चूत के स्वाद का पता चला। बेशक नया था, पर अच्छा लगा।

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मैं जीभ चलाता रहा और उसकी चूत के दाना, और नीचे उसकी चूत का सुराख तक सब चाट गया। मुझे सच में चूत चाटना अच्छा लगा। उसको भी शायद मज़ा आया तो उसने मेरा सर अपनी दोनों जांघों में भींच लिया और एक हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और दूसरे हाथ से अपने ही स्तन दबाने लगी।

मुझे लगा जैसे मैं उसे तड़पा रहा हूँ। मैंने और अंदर तक जीभ डाल कर उसकी चूत चाटी। उसकी चूत पानी से भीग गई, मैं उसकी चूत से छूटने वाला पानी भी चाट रहा था।

उसने दोनों हाथों से मेरे सर के बाल पकड़े और खींच कर ऊपर ले आई- अब मार ही डालोगे क्या, बस करो।

वो तड़प कर बोली।

‘क्यों क्या हुआ?’ मैंने पूछा।

‘बस अब और बर्दाश्त नहीं होता, मैं झड़ जाऊँगी, और अगर मैं झड़ गई तो बाकी जो बाहर बैठे हैं, उनको पूरा मज़ा नहीं दे पाऊँगी।’ यह कह कर उसने मेरी चड्डी उतारनी शुरू कर दी।

मैंने भी झट से चड्डी उतरवा दी, मैं बेड पे टाँगें फैला कर लेट गया। उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगी।

जब औरत के होंठ लण्ड को अपनी गिरफ्त में लेते हैं न, तो सच में बहुत ही कोमल सा एहसास होता है। वो ऊपर से नीचे तक मेरा लण्ड चूस रही थी, अपने मुँह में ही उसने मेरे लण्ड की चमड़ी पीछे हटा दी और लण्ड के टोपे को जीभ से चाट चाट कर चूसा। उसने मेरे आँड और गाँड सब चाट दिये।

मैंने उससे पूछा- मैंने सुना है तुम जो प्रॉफेश्नल होती हो वो सिर्फ 2 मिनट में ही मर्द का पानी छुटवा देती हो?

‘हाँ, बहुतों का तो 1-2 मिनट भी नहीं लगने देती।’

‘सच में? मगर मैं इतनी जल्दी झड़ना नहीं चाहता, मैं तुम्हें जी भर के चोदना चाहता हूँ, प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करना।’ मैंने कहा।

‘ठीक है फिर जैसे मैं कहूँगी, वैसे ही करना तुम्हें भरपूर मज़ा मिलेगा।’

मैं राज़ी हो गया।

‘चलो फिर ऐसा करो, ऊपर आ जाओ।’ उसने कहा तो मैं उसके ऊपर लेट गया।

उसने अपने पर्स से एक कोंडोम निकाला, मेरा लण्ड पकड़ा, और उस पे चढ़ा दिया, फिर लण्ड को अपनी चूत पे सेट किया और बोली- अब डालो अंदर!

मेरी पहली चूत पहली चुदाई


मैंने धक्का सा लगाया तो मेरा लण्ड धीरे से फिसलता हुआ उसकी चूत में समा गया।

मेरे मुँह से ‘आह…’ निकली।

‘मज़ा आया?’ उसने पूछा।

मैंने कहा- बेइंतेहा।

उसने मेरी कमर पकड़ ली और धीरे धीरे आगे पीछे हिलाने लगी। जैसे वो गाइड कर रही थी मैं वैसे ही आराम आराम से उसको चोद रहा था।

थोड़ी देर की चुदाई के बाद उसने पूछा- पेशाब तो नहीं आ रहा?

मैंने कहा- आ रहा है।

‘तो जाकर कर आओ।’ उसने कहा।

मैंने कोंडोम उतारा और जाकर मूत कर वापिस आ गया।

उसने एक नया कोंडोम मेरे लण्ड पे चढ़ाया और घोड़ी बन गई- लो, अब पीछे से चोदो।

मुझे उसके मुँह से ‘चोदो’ सुनना बड़ा अच्छा लगा।

मैंने पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड डाला और फिर से उसकी चुदाई करने लगा। मैंने उसकी कमर पकड़ रखी थी जिस पर मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था, बीच बीच में उसके गोल गोल मोटे मोटे चूतड़ों पर चपत भी मार देता था।

घोड़ी बना के चोदते हुए मैंने उसे वैसे ही पूछ लिया- सिमरन, क्या तुम गाँड भी मरवा लेती हो?

वो बोली- हाँ, तुमने मारनी है क्या?

मैंने कहा- हाँ।

वो बोली- थोड़ा तेल ले कर आओ।

मैंने आदिल से तेल मांगा और लेकर अंदर आया। सिमरन ने बहुत सारा तेल अपनी गाँड पे और मेरे कोंडोम पे भी लगाया।

जब मैंने डाला तो तेल लगा होने के बाद भी बड़ा टाईट टाईट अंदर गया, मगर मैंने सारा ही अंदर डाल दिया।

बेशक सिमरन को तकलीफ हो रही थी पर उसने मेरा साथ दिया, मैंने धीरे धीरे से उसकी गाण्ड मारी। सिमरन ने मुझे हर तरह की चुदाई का सुख दिया था। बीच बीच में वो खुद ही मुझे रोक देती और हम दोनों एक दूसरे को चूमते चाटते मगर चुदाई न करते।

इससे फायदा यह हुआ कि हमारी चुदाई बहुत लंबी चली मगर अब मेरे सब्र का अंत हो चुका था और मैं चाहता था कि अब मैं झड़ जाऊँ क्योंकि अब रोक के रखना मेरे लिए मुश्किल हो चला था, मैंने सिमरन से कहा- जानेमन, अब बहुत हो गया, अब तो मेरा पानी निकलवा दो, अब रोकना मुश्किल हो रहा है।

वो बोली- ठीक है, कहाँ छुड़वाओगे, चूत में या गाँड में?

मैंने कहा- नहीं, तुम्हारे मुँह में, ले लोगी तुम?

वो बोली- हाँ, क्यों नहीं।

‘क्या तुम मेरा वीर्य पी सकती हो?’ मैंने पूछा।

‘नहीं पी नहीं सकती, हाँ मुँह में ले लूँगी, मगर बाद में बाथरूम में थूक आऊँगी।’

उसने कहा तो मैंने अपना लण्ड उसकी गाँड से बाहर निकाल लिया। उसने खुद ही मेरा कोंडोम उतारा और मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

बस फिर तो एक मिनट भी नहीं लगा और मेरी जवानी का रस पहली बार किसी औरत के जिस्म के अंदर छूटा।

मैं निढाल हो गया। कुछ देर वैसे ही लेटा रहा, और सिमरन मेरे बदन पे यहाँ वहाँ चूमती चाटती रही। मुझे इस में भी बड़ा मज़ा आया- सिमरन, थोड़ी देर बाद मैं तुम्हें दोबारा चोदना चाहता हूँ।’

मैंने कहा तो वो बोली- चिंता मत करो, आज सारी रात मैं तुम लोगों के पास, 1 बार 2 बार 3 बार जितना तुम लोगो के लण्ड में दम है उतनी बार चोदो, मैं सारी रात चुदने के लिए तैयार हूँ।

‘अब तक एक रात में ज़्यादा से ज़्यादा कितनी बार चुदी हो?’ मैंने पूछा।

‘एक रात में मैक्सिमम 18 बार चुदी हूँ, 18 लोगों ने एक ही बेडरूम में इकट्ठा ही मुझे चोदा था, उसके बाद तो मैं दो दिन बेड से नहीं उठ पाई थी।’

उसने कहा तो मुझे उस पर बहुत तरस आया और मैंने उसके होंठों को किस किया और कपड़े पहन के बाहर आ गया।

मेरे बाद बाकी सब भी अंदर गए, मगर कोई भी 15-20 मिनट या आधे घंटे से ज़्यादा नहीं रुका, जब सब बाहर आ गए तो मैं फिर से अंदर गया।

अंदर सिमरन पहले ही बिल्कुल नंगी बेड पे लेटी थी, मैंने पूछा- ये सब बड़ी जल्दी फारिग कर दिये?

‘अरे ये सब सिर्फ मुझे चोदने आए थे, प्यार तो किसी ने किया ही नहीं तुम्हारे सिवा, सो मैंने भी जल्दी जल्दी इन का पानी निकाला और चलता किया।’ उसने जवाब दिया।

‘और मेरे बारे में क्या खयाल है?’ मैंने पूछा।

‘अरे तुम तो बहुत बढ़िया हो, खुल के बात करते हो, तुमने मुझे सम्मान दिया, बदले में मैंने तुम्हें सुख दिया, मज़ा दिया, वो तो यह सोच के आए थे कि साली गश्ती है, गाण्ड मारो इसकी और चलते बनो, तो अपन भी उनसे वैसा ही बर्ताव किया, हिसाब बराबर!’ उसने बड़ी बेबाकी से साफ जवाब दिया।

मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा हो कर उसके साथ लेट गया।

बाहर तो सब एक एक बार पानी निकाल कर सो गए थे, मगर मैं और सिमरन सारी रात बातें करते रहे और सारी रात में मैंने उसे 3 बार और चोदा, और हर बार मुझे पहले से ज़्यादा मज़ा आया।

उसके बाद तो हमने यह पक्का कर लिया के जिसका भी बर्थडे होगा, चाहे 2-4 दिन आगे पीछे मना ले मगर मनाएंगे ऐसे ही।

उसके बाद सिमरन से कभी भी मुलाकात नहीं हो सकी, हर बार कोई नई लड़की या औरत ही आती। मगर आज भी मैं उसको नहीं भूल पाया हूँ। वो मेरी सच में सेक्स गुरु थी, जिसने मुझे सिखाया कि औरत से सेक्स नहीं करो, प्यार करो, चाहे तुम उसे पैसे से खरीद के ही क्यों न लाएँ हो।

ममेरी दीदी की शादी में मेरी सुहागरात-2

Mameri didi ki shadi me meri suhagrat

कुछ देर में वो झर गया और सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया और मैं सारा वीर्य पी गई।

मैं उठने ही वाली थी की बस वाला आगे से बोला- पीछे वाले भैया, आप लोगों का स्टॉप कुछ देर में आने वाला है, आप लोग उठ जाओ।

तो हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े ठीक किए और अपने स्टॉप पर उतर गए।

लेकिन वहाँ कोई नहीं था तो उसने मेरे चूतड़ दबाते हुए बोला- यहीं पास में एक होटल ले लेते हैं और सुबह तक मजा करते हैं।

तो मैं बोली- नहीं, घर चलते हैं।

तो उसने एक टैक्सी को बुलाया और हम घर पहुँच गये।

मुझे वहाँ देख कर सब बहुत खुश हुए और बोले- तुम लोग थक गये होंगे, थोड़ी देर आराम कर लो, कल से बहुत काम है।

सुबह सब लोग तैयार होकर एक होटल में चले गये क्योंकि शादी होटल में ही होने वाली थी, जब सब को रूम मिल रहा था तो भैया ने मेरे रूम के बगल में अपना रूम लिया और सब लोग अपने-अपने काम में लग गये।

काम करते-करते कब शाम हो गई, पता ही नहीं चला। मैं अपने रूम में आई और अपने कपड़े बदल रही थी तो मुझे लगा पीछे कोई है, फिर सोचा रूम तो बंद है कोई कैसे होगा और कपड़े बदलने लगी।

जब सिर्फ़ ब्रा-पैंटी में थी तो किसी ने मेरे चूतड़ों पर चुम्बन किया तो मैं पीछे मुड़ी और देख कर बोली- भैया आप?

तो उसने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और बोला- धीरे बोलो, कोई सुन लेगा।

तो मैंने पूछा- आप अंदर कैसे आए?

तो उसने एक दरवाजा दिखाया जो दोनों रूम को जोड़ता था, और बोला- तुम्हारे लिए ही ये दो रूम मैंने ही लिएँ है।

और मेरे चूची पर चूमते हुए अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को दबाते हुए बोला- अभी एक राउंड हो जाए?

तो मैं बोली- मुझे मामी ने नीचे बुलाया है ड्रेस चेंज करके!

तो बोला- एक राउंड होने दो ना, फिर जाना…

तो मैं बोली- रात को !

तो वो मान गया, मैं बोली- मैं कौन सी ड्रेस पहनूँ?

तो उसने मेरे बैग से एक गुलाबी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज निकाल कर दिया और बोला- इसमें आना तो आज हम सुहागरात मनाएँगे।

तो मैं मुस्कुरा दी…

फिर वो बैठा रहा, मैंने लाल ब्रा और पैंटी पहनी, फिर ब्लाऊज, फिर पेटीकोट पहना और उसका नाड़ा बाँध ही रही थी कि वो बोला- थोड़ा और नीचे कर लो।

तो मैंने पटिकोट नीचे कर लिया जिससे कमर से 4 उंगली नीचे साड़ी पहन कर नीचे गई।

जब मैं नीचे का काम ख़त्म करके आई और अपना रूम लॉक करके रूम के अंदर के रास्ते से उसके रूम में गई तब मैं गुलाबी साड़ी और गुलाबी ब्लाऊज में थी और वो नंगा अपने बेड पर बैठा हुआ था, मुझे देखते ही वो उठा, मेरे पास आया, मेरे गले लग गया और मेरे कमर पर हाथ फेरने लगा, मुझे चुम्बन करने लगा।

फिर वो मेरी कमर को पकड़े हुए और चुम्बन करते हुए अपने बेड के पास लाया और ब्लाऊज के ऊपर से मेरी चूची को चूमने लगा, नीचे से हाथ से मेरी चूची को दबा रहा था।

फिर कुछ देर ऐसे करने के बाद वो मुझे किस करने लगा और उसका हाथ मेरे कमर पर ही था।

तब वो बोला- रूचि कमरे की लाइट जला दूँ?

मैं बोली- जला दो!

उसने लाइट जला दी और आते ही अपनी एक उंगली को मेरी ब्लाऊज के नीचे से डालने की कोशिश करने लगा, फिर अपने लंड को मेरी नाभि में रगड़ने लगा, फिर मेरे चूची को थोड़ा दबाया और फिर मेरे पेट पर किस किया और अपने हाथ को मेरी दोनों टाँगों के बीच से होते हुए मेरी चूत तक पहुँच गया और मेरी चूत को ऊपर से ही हल्का दबाया, एक हाथ से मेरे बालों को हटाया और मेरी गर्दन पर किस किया, दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचा, मैं उससे पूरी चिपक गई जिससे उसका लंड ठीक मेरी चूत के सामने था और अगर बीच में साड़ी की दीवार नहीं होती तो अब तक उसका लौड़ा मेरी चूत के अंदर जा चुका होता।

वह दोनों हाथों से मुझे अपनी ओर चिपका कर चुम्बन करने लगा। फिर वो बेड पर बैठ गया जिससे उसका सर मेरी चूचियों के पास था, वो एक हाथ से मेरी कमर को और एक हाथ से मेरी चूची को दबा रहा था और दूसरी चूची को मुँह से दबा रहा था।

कुछ देर ऐसा करने के बाद वो मेरी पेट को ज़ोर ज़ोर से चाटने-काटने लगा, वो मेरे पेट को इतनी जोर से काट रहा था कि मैं आआ… आआआहह की आवाज निकाल रही थी।

फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद वो अपनी जीभ को मेरी ब्लाऊज में डालने की कोशिश करने लगा। फिर मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया तो मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया। उसका लंड एकदम गरम लोहे के तरह कड़ा और गर्म था, मैं उसके लंड को अपने कोमल हाथों से सहलाने लगी।

फिर वो मेरे साड़ी को हटाने के कोशिश करने लगा लेकिन हटा नहीं पा रहा था तब मैंने साड़ी की पिन को खोल दी, उसने मेरे पल्लू को नीचे गिरा दिया, उसने मुझे चूमते हुए घुमाया जिससे मेरी पीठ उसके सामने हो गई और वो मेरी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा, उसका लंड मेरे चूतड़ों से रगड़ खा रहा था, मैं अपना हाथ पीछे कर के उसके लंड को पकड़ कर मसलने लगी।

कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद मेरी गर्दन को चूमते हुए वो अपना हाथ नीचे लाया और मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी नाभि में अपनी उंगली डाल कर घुमाने लगा, फिर हाथ को थोड़ा और नीचे लाया और मेरी पेटीकोट के अंदर डालने के कोशिश करने लगा लेकिन नाड़ा इतना टाइट था कि हाथ जा नहीं पाया तो मैंने अपनी साड़ी खोल कर हटा दी और उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर मेरे पेटीकोट को नीचे कर दिया।

फिर उसने बेड पर बैठ कर मुझे अपनी जाँघों पर ऐसे बैठाया कि मेरे चूची उसके मुँह के पास थी। मैं अपने ब्लाऊज का हुक खोल रही थी और वो अंगूठे से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा, तब तक मैं ब्लाऊज खोल चुकी थी।

उसने मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींच कर थोड़ा उठाया जिससे उसका लंड मेरी दोनों टांगों के बीच में आ गया। उसने मेरे चूतड़ों के बीच अपनी उंगली डाल कर मेरी पैंटी को गाण्ड के बीच में घुसा दिया और चूत को हल्का सा दबाया तो मैं थोड़ा पीछे हो गई और उसको बेड पर धकेल कर गिरा दिया और मैं नीचे बैठ कर उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

वो मेरी चूची को ब्रा के ऊपर से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन ब्रा इतनी टाइट थी कि निकाल नहीं पा रहा था तो उसने मेरी ब्रा को खोल दिया। ब्रा खुलते ही मेरी चूचियाँ आज़ाद हो गई, वो मेरी चूची को सहलाने लगा, मेरी निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच दबाने लगा, फिर वो मेरी चूची को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।

फिर मैं लेट गई और वो मेरी टाँगों के बीच में आकर मेरी पैंटी को हल्का साइड कर के मेरी चूत को चाटने लगा, कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया, मैं बिल्कुल नंगी हो गई और वो मेरी चूत को चाटे जा रहा था।

उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाली तो मेरे मुँह से आआहहा आआ की आवाज निकल रही थी, मैं अपनी चूचियाँ पकड़ कर दबाने लगी और वो अपनी मस्ती में मेरी चूत में अपनी जीभ के साथ खिलवाड़ किए जा रहा था।

कुछ देर ऐसा करने के बाद वो नीचे पीठ के बल लेट गया और मैं उसके लंड के ऊपर आ कर बैठ गई और लेकिन उसका लंड फिसल कर मेरे दोनों चूतड़ों के बीच चला गया, एक दो बार ऐसा होने के बाद उसने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर टिकाया और मैं उस पर बैठ गई जिससे उसका लंड मेरी चूत में चला गया, तो फिर वो मेरी कमर को पकड़ कर आगे-पीछे करने लगा तो मैं भी ऊपर नीचे होने लगी। वो नीचे से अपनी कमर उठा-उठा कर मुझे चोद रहा था।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं पीठ के बल लेट गई और वो मेरी टाँगो के बीच में आ गया और अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर चोदने लगा और मैं भी अपनी टाँगों से उसको लपेट कर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा और धीरे-धीरे उसके झटके तेज होने लगे और मेरे मुंह से आआअहहा आअ आहह की आवाज आने लगी।

जब वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल कर मेरी चूचियों पर अपना माल गिरा दिया। तब तक मैं भी झड़ चुकी थी। वो बगल में लेट गया।

कहानी जारी रहेगी।

शौहर ने बीवी को चुदवाया

Shauhar Ne Bivi Ko Chudvaya

मेरा नाम रजनीश है, 21 साल का हूँ, मैं अपना एक अनुभव बता रहा हूँ यह बात पिछले साल की है जब मैं 20 साल का था।

मित्रो, सच कहूँ तो जो कुछ पति ऐसे होते हैं, अपनी बीवी को चुदते हुए देखने से उनको एक अलग ही मज़ा आता है।

मैं पुणे के एक ऐसे ही जोड़े के साथ सेक्स कर चुका हूँ, उनसे मेरा संपर्क अन्तर्वासना की कहानियों पर कमेन्ट वाले सेक्शन से हुआ था।

जोश में आकर उन आदमी ने मुझे अपने घर बुला लिया चार पांच दिन का प्रोग्राम बना कर..

जब मैं उनके घर पहुँचा तो देखा कि उसकी बीवी एकदम सेक्सी थी, फिगर बहुत अच्छा था पर उनका यह पहली बार था और मेरा भी… तो हम सब ज़रा डरे घबराये हुए से थे।

तो हमारा कुछ कम्यूनिकेशन गड़बड़ हो गया क्योंकि कौन क्या बोले यह किसी को सूझ ही नहीं रहा था।

पर धीरे धीरे हम सब नॉर्मल हो गये पर उसकी बीवी नगमा मुझसे ऐसे शर्मा रही थी जैसे कि नई नवेली दुल्हन दूल्हे से शरमाती है।

पर फिर मैंने हिम्मत से अप्रोच किया और बातें की, उससे दोस्ती की, उसके साथ एक देवर का रिश्ता सा कायम कर लिया।

दोस्तों यकीन करना कि मैं उनके घर जाकर भी उसकी बीवी की शर्म की वजह से दो दिन कुछ नहीं कर पाया लेकिन आखिर तीसरे दिन मैंने उसका चुम्बन लिया, वो भी उसकी रजामंदी से पर उस वक्त उसका शौहर अकरम किसी काम से, शायद खाने पीने का सामान लेने बाज़ार गया हुआ था।

वो मेरा पहला चुम्बन था.. पर मैं फ़िल्मों में काफ़ी देख चुका था।

मेरी हाइट भी नगमा से कम थी, मैं सिर्फ़ 5’1″ का हूँ और वो 5’4″ की थी और वो मुझसे दस साल बड़ी थी उम्र में…

हम दोनों आपने सामने खड़े थे, मैंने उसकी 30″ की कमर को आराम से हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया, उसने आँखें बंद कर ली और मेरी हरकत का इंतज़ार करने लगी.

मैंने उसके चेहरे को अपने चेहरे पर झुकाया उसके बालों की एक लत उसके चहरे पर ढलक आई, मैंने उसकी लटी को हटाया और उसके लबों को अपने लबों पर झुका लिया, चूमना शुरू किया… क्या मुलायम होंठ थे, वो भी थोड़ा रेस्पोन्स कर रही थी, हमारी ज़ुबान एक दूसरे से टकरा रही थी, कुछ ही देर में चूमा चाटी की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी थी, वो मुझमें खो गई तो और मैं उसमें !

मुझे काफी अजीब सी फीलिंग आ रही थी कि मैं एक शादीशुदा औरत को जो मुझसे दस साल बड़ी है और हाइट में भी ज़्यादा है, वो मेरी बाहों में है और उसका शौहर भी इस बात की इजाज़त देता है.

पर वो शायद ऐसा कुछ नहीं सोच रही जोगी क्योंकि वो तो सिर्फ़ मुझमें खोई हुई थी आँखें बंद किए मेरे मुँह में ज़ुबान डाले हुए थी.

हमारी चूमा चाटी… नहीं… यह सिर्फ चुम्बन नहीं था, हमारा प्यार 10 मिनट तक चला. जैसे जैसे हम चुम्बन कर रहे थे, वैसे वैसे वो मुझसे लिपटती जा रही थी और हम एक दूसरे में खोते जा रहे थे.

लेकिन अचानक घंटी बजी, वो बजने के बाद भी हम एक दूसरे को चुम्बन करते रहे 2-3 मिनट तक…

लेकिन दरवाज़ा तो खोलना ही था, दरवाजा खोला तो उसका शौहर अकरम हमारे गीले होंठ देख कर समझ गया कि क्या हो रहा था.

उसने कहा कि उसने एक शानदार नजारा देख पाने का मौक़ा खो दिया।

यह सुनने के बाद उसकी बीवी नगमा शर्म से चूर हो गई।

उसके बाद जब अकरम ने कहा कि उसे वो नज़ारा देखना है और हमें दोबारा वही सब करने को कहा जो हम कुछ देर पहले कर रहे थे तो नगमा इतनी शरमा गई कि वो कमरे से निकल कर छत पर ही भाग कर चली गई…

उसके बाद अकरम अपनी बीवी को जाकर लाया और मेरे सामने खड़ी कर दिया और मुझे कुछ भी करने को कहा।

संकोचवश जब मैंने कुछ नहीं किया तो अकरम ने खुद नगमा के कपड़े उतारने शुरु कर दिये और जब मुझे नगमा की चूत में लौड़ा घुसाने में दिक्कत हुई तो अकरम ने खुद मेरा लौड़ा पकड़ कर नगमा की चूत के छेद पे टिकाया था।

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