इक़रार करूँ तो कैसे करूँ

अपने प्यार का इज़हार कैसे करूँ

दूर भी इतना उनसे कैसे रहूँ

हमने सब कुछ कब का उनके नाम कर दिया

उनके आगे जा कर इक़रार करूँ तो कैसे करूँ..?

जिस्म की जरूरत-19

Jism Ki Jarurat-19

जिस्म की जरूरत-18

मैंने भी उसकी इच्छा का पूरा सम्मान किया और जितना हो सके उसकी चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और मज़े से चूसने लगा।

अब मैंने अपने एक हाथ को आज़ाद कराया और नीचे ले जा कर अपने लंड को पकड़ कर वंदना की चूत पर हल्के से रखा।

‘उह्ह हह्हह्ह… स्स्स्समीर, मुझे डर लग रहा है…’ वंदना ने अचानक से अपनी चूत पर मेरे गरम लंड के सुपारे को महसूस करती ही अपने हाथ से मेरे बालों को पकड़ लिया और कांपते हुए शब्दों में अपनी घबराहट का इज़हार किया।

यह स्वाभाविक था और मैंने भी वही किया जो इस समय एक कुशल खिलाड़ी को करना चाहिए। झुक कर उसके होठों को अपने होठों में भरा और अपने लंड को उसकी रसीले चूत पे रगड़ने लगा मैं। इस तरह से सुपारे को उसकी चूत के दरवाज़े पे ऊपर से नीचे तक रगड़ते हुए मैंने उसके बदन में और भी सिहरन भर दी…

उसके होठों को प्रेम से चूस रहा था मैं कि उसने अपने होठों को छुड़ाया और एक लम्बी सांस ली- अआह्हह… स्स्स्समीर… कक्क कुछ कीजिये… मम्म मैं..मर जाऊँगी वरना… प्लीईईईईज…

अपने संयम का बाँध संभाल नहीं पा रही थी वंदना!

मैंने उसके कान के पास अपना मुँह लेजा कर उसके कान में धीरे से बोला- बस थोड़ा सा सब्र रखना ‘वंदु’… यकीन करो मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा… बस अपने बदन को बिल्कुल ढीला रखना!

मैंने इतना कहकर मैंने अब मोर्चा संभाला और अब अच्छी तरह से अपे लंड को चूत के मुँहाने पर सेट किया और एक बार फिर से झुक कर उसके होठों को अपने होठों में क़ैद किया… साथ ही अपने हाथ से उसके उस हाथ को भी पकड़ लिया जिसे मैंने आज़ाद किया था.

ऐसा करना बहुत जरूरी था ताकि वंदना मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए दर्द की वजह से बिदक न जाए… अगर ऐसा होता तो फिर उसे अपने वश में करना थोड़ा कठिन हो जाता… लड़की चाहे कितनी भी उन्माद से भरी हो लेकिन थोड़ी देर के लिए दर्द तो होता ही है… और अगर पहली बार हो तो फिर तो पूछो ही मत।

मेरा अनुमान तो यही था कि यह वंदना के लिए अपने कौमार्य को भंग करवाने का वक़्त था… यानी वो अभी तक बन्द कलि थी जिसे मुझे प्यार से फूल बनाना था।

और इस फूल को खिलाने में थोड़ी सावधानियाँ तो बरतनी ही पड़ती हैं वरना बेचारी कलि फूल तो बन जाती है लेकिन कुचल भी जाती है।

कम से कम मेरा तो यही मानना है दोस्तो… बाकी हर इंसान को अपना-अपना तरीका ही सही लगता है।

अब आई वो बारी जिसका हर लंड और चूत को इंतज़ार होता है… मैंने अपने लंड को चूत के मुँहाने पर रगड़ते हुए उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूसते हुए धीरे से अन्दर ठेला।

चूत इतना रस छोड़ चुकी थी कि मेरे सुपारे का आधा भाग उसकी चूत के मुँह में घुस गया।

वंदना के मुँह से दबी दबी सी आवाज़ निकालनी शुरू हुई… जो मेरे मुँह में आकर ख़त्म हो गईं। मैंने अब लंड को हौले-हौले से अन्दर की तरफ सरकाना शुरू किया।

लगभग एक चौथाई लंड चूत में जा चुका था लेकिन जिस लंड को खाने में वंदना की माँ को भी तकलीफ हुई थी उस लंड को वंदना के लिए झेलना इतना आसान नहीं था। एक चौथाई लंड के घुसते ही वंदना को दर्द की अनुभूति होनी शुरू हो गई और उसके मुँह से गों..गों.. की आवाजें निकलने लगी, उसने अपने बदन को अकड़ाना शुरू किया।

मैं जानता था कि ऐसा ही होगा… आप लड़की को जितना भी समझा दो लेकिन इस वक़्त वो सारी नसीहत भूल कर अपनी आखिरी कोशिश में लग जाती हैं ताकि वो उस दर्द से निजात पा सके… वो तो बाद में पता चलता है उन्हें कि इस दर्द का इलाज़ तो बस लंड ही कर सकता है।

मैंने अपने हाथों से उसके हाथों को पकड़ कर कुछ यूँ इशारा किया मानो मैं उसे सामान्य रहने के लिए कह रहा हूँ… मैंने उसके होठों को लगातार चूसते हुए उसका ध्यान बंटाने की कोशिश की और जैसे ही वो थोड़ी सी सामान्य हुई मैंने एक तेज़ धक्का दिया और लंड उस चूत की सारी दीवारें तोड़ते हुए सीधा उसकी बच्चेदानी से टकरा गया।

‘आआआईईईई… ..आआआह्ह्ह्ह्हह… ..ह्म्म्मम्म्म्म… माँऽऽऽऽऽऽऽ..’ वंदना ने एक झटके में अपने मुँह को मेरे मुँह से आज़ाद करवाया और जोर से चीखी।

अगर इस वक़्त हम किसी कमरे में होते तो पूरा मोहल्ला उसकी चीख सुनकर दौड़ पड़ा होता… शुक्र है भगवान् का कि स्थिति और वातावरण मेरे पक्ष में था, बारिश की बूंदों का शोर वंदना की उस चीख को निगल गया।

‘ऊऊह्हह्हह्हह्हह्हह… समीर… प्लीज… निकालिए इसे… मर जाऊँगी मैं !!’ वंदना के मुँह से बस यही आवाज़ बार बार निकल रही थी और वो अपनी गर्दन इधर-उधर करके छटपटा रही थी.. उसके पैर मेरे पैरों से लड़ाई कर रहे थे जिन्हें मैंने दबा रखा था… वो जी तोड़ कोशिश कर रही थी कि किसी तरह आज़ाद हो जाए और अपनी चूत से वो लंड निकाल फेंके।

मेरे लंड को चूत के अन्दर से कोई गरम तरल पदार्थ अपने सुपारे पे गिरता और वहाँ से बाहर रिसता सा महसूस हुआ।

मेरी आँखें बड़ी हो गईं और चेहरे पर एक विजयी मुस्कान उभर गई।

जी हाँ… मुझे समझते देर न लगी कि वो कुछ और नहीं बल्कि उसके कौमार्य भेदन की वजह से निकलने वाला रक्त था… यानि मेरा अनुमान बिल्कुल सही निकला, वो अभी तक कुंवारी थी और उसे कलि से फूल बनाने का सौभाग्य मुझे मिला था!!

वंदना अब भी दर्द से तड़प रही थी, मैंने स्थिति को सँभालते हुए झट से अपने होठों से उसकी चूची को थामा और उन्हें अपनी जीभ से चुभलाने लगा। इस हरकत ने वंदना को ध्यान बंटाया और उसके मुँह से आ रही आवाज़ थोड़ी धीमी हुई।

मैं वैसे ही लगातार उसकी चूचियों को चूसता रहा और अपने लंड को चूत की गहराइयों में दबाये रखा। मैंने अपने एक हाथ को वंदना के हाथों से छुड़वा कर उसकी दूसरी चूची पे रख दिया और एक को चूसने तथा दूसरे को मसलने लगा।

वंदना का जो हाथ मैंने छोड़ा था उस हाथ से उसने मेरे सर के बालों को सहलाना शुरू किया और सहसा ही नीचे से उसकी कमर भी हौले-हौले हिलने लगी।

यह प्रमाण था इस बात का कि अब वो झटके खाने को तैयार थी। मैंने इस इशारे को समझते हुए अपनी कमर को हौले-हौले हिलाना शुरू किया और लंड को अन्दर रख कर ही रगड़ना चालू किया।

उसकी चूत ने थोड़ा सा रस छोड़ा और अन्दर चिकनाई बढ़ गई, अब धीरे-धीरे धक्के लगाने का वक़्त आ गया था, मैंने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर उठाया और अपने लंड को आधा बाहर खींच कर एक ज़ोरदार सा धक्का दिया।

‘आआह्ह्ह्ह… उईईईईइ माँ…’ एक और सिसकारी निकली उसके मुँह से!

मैंने यह धक्का इसलिए दिया था ताकि उसकी चूत की झिल्ली फटने का बाकी बचा दर्द भी वो झेल सके और अब मेरी बारी थी कि मैं इस दर्द को सँभालते हुए उसे ज़न्नत की सैर करवाऊँ।

मैंने उस धक्के के साथ ही अपने लंड के आगे-पीछे होने की गति बढ़ाई और लगभग अपने आधे लंड को बाहर निकलने और फिर उतना ही अन्दर डाल कर चुदाई चालू की।

मंद-मंद गति से चोदते हुए मैंने वंदना को अपने बाहुपाश में भर लिया और उसके होठों को चूसते हुए उसे चुदाई का परम सुख देने लगा।

जगह पर्याप्त नहीं थी… वहाँ कुछ ज्यादा करने की गुंजाइश नहीं थी। मैंने अपनी गति बढ़ाई और अब अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठा आकर तेज़ी से झटके लगाने शुरू किया।

‘आःहह्ह… स्स्स्समीर.. मुझे ऐसे ही प्यार करो… .बस ऐसे ही… उफ्फ्फ… हम्म्म्म… आह!’ उन्माद से भरे वंदना के बोल मेरा हौसला बढ़ा रहे थे…

‘ओओह… वंदु… मेरी प्यारी वंदु… ह्म्म्म…’ बस ऐसे ही प्यार और मनुहार के छोटे छोटे शब्दों और हम दोनों की सिसकारियों ने एक बड़ा ही मदहोश समां बना दिया था उस वक़्त…

मैंने अपनी स्थिति और वंदना की स्थिति को बदलने के बारे में सोचा… मुश्किल लग रहा था… लेकिन जहाँ चाह वहाँ राह!

मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींचा…

‘फक्क…’ एक मस्त धीमे सी आवाज़ के साथ मेरे नवाब साब बाहर आये…

बाहर आकर मेरा लंड ऐसे ठनकने लगा मानो मुझपे अपना गुस्सा निकाल रहा हो… और ये तो सही भी था, मैंने उसे एक रसदार गरम और तंग भट्टी से निकाल दिया था जहाँ वो मज़े से मौज कर रहा था।

खैर मैंने अब धीरे से अपने हाथों को संतुलित करते हुए वंदना की टांगों में नीचे से फंसाया और ऊपर उठा दिया। वंदना का बदन इतना लचीला था और वो छरहरी भी थी इसलिए उसके पैरों को उठाते ही उसका शरीर कमर से मुड़ कर एकाकार हो गए। मैंने आहिस्ते से उसके पैरों को अपने कंधे पे रखा और एक बार फिर से अपने नवाब को उसकी मुनिया के मुँह पर रख कर ज़ोरदार धक्का दिया।

‘आआआईईईईईई… मर गई… समीर… थोड़ा धीरे…’ यूँ अचानक लंड जाने से वंदना एक पल को कराह उठी।

इसमें उसका कोई दोष नहीं था… इस आसन में लंड सीधा चूत की गहराई में उतारते हुए आखिरी छोर तक पहुँच जाता है, और अगर लंड की लम्बाई अच्छी हो तो फिर तो क्या कहने…

ऊपर वाले ने मुझे इस नेमत से अच्छी तरह बक्शा है… मैंने कभी लंड को नापा तो नहीं लेकिन इतना जानता था कि मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई इतनी थी कि कोई भी स्त्री इसे अपनी चूत में लेकर असंतुष्ट नहीं हुई थी आज तक।

मैंने अपनी कमर को मशीन की तरह चलाना शुरू किया और अब लगभग पूरे लंड को बाहर निकाल कर एक ही झटके में अन्दर डाल-डाल कर वंदना की चूत की चुदाई चालू कर दी।

‘आह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ्फ़… ह्म्म्म… समीर… मेरे समीर… और प्यार करो मुझे… करते रहो…’ बस ऐसी ही मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं वंदना के मुँह से…

मैं बड़े ही मगन भाव से उसकी चूचियों को चूमता चूसता पेलने में लगा हुआ था और वंदना अपने हाथों से मेरे सर के बालों को आहिस्ते-आहिस्ते खींच कर अपनी बेकरारी का एहसास करवा रही थी।

अचानक से वंदना का बदन अकड़ने लगा और मेरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी…

‘आआआआ… .ह्म्म्मम्म्म्म… ..म्म्म्मै… .म्म्मम्म्मै गई… ह्म्म्मम्म…’ यूँ लड़खड़ाते शब्दों के साथ वंदना ने अपने बदन को पूरी तरह से सख्त करते हुए कामरस छोड़ दिया।

अब तो चूत की वो दीवारें जिन्होंने मेरे लंड को जकड़ रखा था वो और भी गीली हो गईं और मेरा लंड बड़ी आसानी से आने-जाने लगा।

चिकनाई और रस से भर जाने की वजह से वही मधुर ध्वनि निकलने लगी जिस ध्वनि को सुनने के बाद लंड महाराज और भी मस्त हो जाते हैं और पूरे तन-बदन में सिहरन सी दौड़ जाती है।

‘फच..फच… फच..फच..फच… फच… ‘ निरंतर इस आवाज़ ने उस माहौल को बिल्कुल गरम बना दिया था।

मैं बिना रुके अपनी पूरी ताक़त से लंड को चूत की गहराइयों में उतारता रहा और वंदना के ऊपर पूरी तरह से छा कर धका-धक पेलता रहा।

अब शायद मेरा भी वक़्त आ गया था…

उधर वंदना अपने चरमोत्कर्ष पे पहुँच कर अपने काम रस को विसर्जित करके पूरी तरह से निढाल हो चुकी थी और मेरे धक्कों का मज़ा ले रही थी।

चमकती बिजलियों ने इतना तो दिखा ही दिया था कि उसके चेहरे पर सातवें आसमान पे पहुँचने वाले भाव उभर गए थे… अब मैंने भी देरी करना उचित नहीं समझा और तेज़ी से धक्के लगाते हुए अपने लंड को जितना अन्दर हो सके उतना अन्दर ठेलने लगा।

‘फच… फच… फच…’ चूत और लंड के मिलन से निकलने वाली ध्वनि !!

‘आःहह्ह… आःह… अआह्हह…’ अब यह मेरी आवाज़ थी जो यह प्रमाण दे रही थी कि अब मैं झड़ने वाला हूँ।

‘वंदुऽऽऽऽऽऽऽऽऽ… आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्… उम्म्मम्म…’ एक जोरदार झटका और मैंने चूत में अपने लंड को गाड़ दिया।

मेरे नवाब साब ने पता नहीं कितनी पिचकारियाँ मारी होंगी और अपने रस से वंदना की चूत को भर दिया।

एकदम से खामोशी छा गई… कोई शोर था तो बस हमारी बिखरी हुई लम्बी-लम्बी साँसों का!

और इस तरह दो बदन एकाकार हो गए !! चूत और लंड के रस का मिलन हो गया !!

मैं निढाल होकर वंदना के ऊपर गिर गया और उसके पैरों को अपने हाथों से आज़ाद कर दिया… वंदना ने अपने पैरों को मेरे कमर से लपेट दिया और अपनी कमर से झटके दे कर यूँ किया मानो मेरे लंड से टपकती हर एक बूँद को अपने अन्दर समा लेना चाहती हो!!

करीब 10 मिनट तक हम ऐसे ही निढाल पड़े रहे… हमारी तन्द्रा टूटी तो हमे ध्यान दिया कि बारिश भी हमारी तरह ही थम गई थी।

ये सब बिल्कुल फिल्म की तरह लग रहा था मुझे… मानो बस हमारी चुदाई के लिए ही इन बादलों ने अपना समय तय कर रखा था। इधर चुदाई ख़तम और उधर बारिश ख़त्म !

हम दोनों ने एक दूसरे को देखा… वंदना ने शर्मा कर अपनी आँखें झुका लीं और मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लिपट गई।

‘I love you…..I love you so much Sameer…’ बस इतना ही कहा उसने और चुप हो गई।

मैंने उसका चेहरे अपनी तरफ किया और उसके होठों पे एक प्यारी सी पप्पी दे दी और उसे अपनी बाहों में भर लिया।

हमने इशारों-इशारों में ही एक दूसरे को वक़्त का एहसास दिलाया और बिना कुछ बोले एक दूसरे से अलग होकर अपने-अपने कपड़े समेटे और पहन कर घर जाने को तैयार हो गए।

कपड़े पहन लेने के बाद वंदना ने अपनी सीट ठीक की और हम दोनों अपने-अपने सीट पर बैठ गए… एक बार फिर से हमारी नज़रें मिलीं और हमने आगे बढ़ कर एक दूसरे को चूमा..

और अब हम कार स्टार्ट कर घर की तरफ चल दिए…!!

तो यह थी मेरी और वंदना के प्रेम, प्यार, इश्क या यूँ कहें कि चुदाई की पहली दास्ताँ…

घर पहुँचने के बाद भी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना नहीं की थी मैंने… वो दास्ताँ अगली बार सुनाऊँगा और हाँ, अगर आप लोगों को मेरी यह लम्बी सी कहानी पसंद ना आये तो बता दीजियेगा… मैं आगे से नहीं लिखूँगा !!

आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा मुझे… आपका अपना समीर !!

सोचा ना था मैंने कभी

Socha Na Tha Maine Kabhi

प्रिय पाठको, आपको मेरा नमस्कार.. आज पहली बार मैं अपनी वो कहानी आपसे साझा कर रहा हूँ जिसने मुझे झंझोड़ कर रख दिया था।

यह राज आज से 5 साल पहले का है जब मैं 20 साल का था। मध्यप्रदेश के एक शहर से में भी अपना भविष्य बनाने भोपाल राजधानी पहुँचा… और फिर एक न थमने वाला वो सिलसिला शुरू हुआ जो… आज भी जारी है!

आँखों में कुछ कर दिखाने के सपने लिए में भोपाल पहुँचा.. नई जगह पर नए लोग, कई बातें, कई हसरतें मेरी आँखों में साफ़ झलकती थी।

इसी बीच मेरी मुलाकात मेरे कॉलेज के एक सीनियर अर्जुन से हुई.. अर्जुन एक बड़े घर का था.. और जितना शौकीन उतना ही पढ़ाई में होशियार.. इसलिए मैंने अर्जुन के साथ बतौर रूममेट रहना पसंद किया.. उसने भी हामी भर दी।

अब अर्जुन के साथ रहते मुझे 15 दिन हो गए थे.. अर्जुन की भोपाल की ही तीन गर्लफ्रेंड थी.. जिनमें एक उसकी उम्र से बड़ी करीब 30 साल की थी.. वो उससे कभी कभार ही मिलता था वो भी सिर्फ रूम पर.. दो कमरे होने की वजह से उसकी पूरी बात और मदहोश कर देने वाली सिसकारियाँ मेरे कानो में गूँजती थी।

और एक रविवार को जब अर्जुन अपनी शादीशुदा मेघा को रूम पर लाया। मैं अपने शर्मीले स्वभाव के कारण दूसरे कमरे में चला गया।

मैं पढ़ाई शुरू कर ही रहा था कि अचानक कुछ बातें सुनाई दी..

अर्जुन मेघा से कह रहा था कि आज हम कुछ अलग करेंगे.. मेघा ने भी हामी भर दी और यह सुनकर मैंने अपनी आँखें दरवाजे की दरार पर लगा दी।

वो नजारा मैंने पहली बार देखा था.. अर्जुन लाल साड़ी में लिपटी मेघा को अपनी छाती में दबोचा जा रहा था, अर्जुन के होंट मेघा के गुलाबी लबों को कसे जा रहे थे, मेघा अब अर्जुन की पकड़ को सहन नहीं कर पा रही थी, दर्द से हल्की हल्की कराह रही थी..

धीरे से अर्जुन ने मेघा का पल्लू नीचे कर साड़ी को उतार फेंका.. अब मेघा सिर्फ चटक लाल रंग के ब्लाऊज़ पेटीकोट में थी.. जो नजारा गजब का था.. सुर्ख लाल होंट, कमर तक आने वाले वाले सिल्की काले बाल, बड़ी बड़ी आँखें, ब्लाऊज के हुक को तोड़ कर बाहर से निकलते भरे हुए बड़े बड़े स्तन, गोरे गोरे हाथों में लाल हरी चूड़ियाँ, पतली पर भरी हुई कमर, पैरों में मोटी लच्छेदार पायल.. कुछ पागल सा कर देना वाला नज़ारा था वो…

अब अर्जुन ने मेघा को अपने ऊपर लिटा लिया, मेघा का भरा हुआ बदन, अर्जुन के पूरे जिस्म को ढके हुए था। अर्जुन मेघा के होंठ के दूसरे से अलग न थे, बस दोनों एक दूसरे के लबों को चूसे जा रहे थे.. इतने में मेघा ने शरारत करते हुए अर्जुन के एक नीचे वाले होंट को काट दिया, अर्जुन की हल्की चीख निकल गई।

अर्जुन इस शरारत का सम्मान रखते हुए… मेघा को लेकर पलट गया और मेघा के ऊपर अपने शरीर को फ़ैला दिया।

अब अर्जुन ने मेघा को एक गहरी नजर से देखा और मेघा के दोनों होंटों पर अपनी जुबान फेर दी।

इस हरकत से मेघा कुछ मचल गई फिर देखते ही देखते अर्जुन ने अपनी जीभ मेघा के रसीली जीभ के मिला दी, दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे… अब अर्जुन ने मेघा के स्तनों को मसलना शुरू किया उसने इतनी जोर से मेघा की छाती मसली कि दोनों उभार हुक को तोड़ते हुए बाहर आ गए..

यह देख अर्जुन ने ब्रा मे से झांक रहे रसीले दूधों को ब्रा से आजाद कर दिया.. मैंने देखा कि वो गोरे, गुलाबी निप्पल वाले उरोज कसे हुए थे जो अर्जुन के हाथो में ही नहीं आ रहे थे.. अर्जुन बार बार मसलता जाता और मेघा पागल होती जाती..

अब अर्जुन का हाथ मेघा के पेटीकोट पर था जो धीरे धीरे ऊपर सरकाया जा रहा था… मेघा की खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी भूरी जांघ में से हरी नसों को देखा जा सकता था… बस पल भर में अर्जुन का हाथ पैंटी के ऊपर पहुँच गया और नीचे के उभार को लाल पेंटी में से महसूस करने लगा..

पेंटी मसलते मसलते अर्जुन ने मेघा को पूरा नंगा कर दिया…

अर्जुन अब मेघा की योनि को रगड़ रहा था और मेघा बंद आँख कर जन्नत की सैर कर रही थी। धीरे धीरे मेघा के द्वार को सहलाते हुए एक ऊँगली की अंदर कर दिया मेघा आहे भरने लगी कि अचानक अर्जुन ने 2 उंगलियों को अंदर कर दिया और मेघा चहक उठी ‘हाह्ह् हाह्ह् उह्ह्ह्ह नाआअ’ की लंबी लंबी आवाजें मेरे कानो में साफ़ सुनाई दे रही थी और में भी काम के इस सूत्र का आनन्द उठा रहा था।

दोनों काम के इस ज्वर में बहते जा रहे थे, अब जो वाला था वो नायाब था.. अर्जुन ने शहद की बोतल उठाकर मेघा की योनि पर डालना शुरू किया.. हर गिरती हुई बूँद की आवाज मेघा के मुख से सिसकी की तरह निकल रही थी.. पल भर में साफ़, गोरी उभरी हुई योनि शहद में सन गई.. फिर अर्जुन ने अपने कपड़े उतार कर योनि को चाटना शुरू किया… वो इस तरह चाटता जा रहा था कि मेघा का शरीर काँप उठा….

शरीर की इस हर कँपन को अर्जुन महसूस कर रहा था… और फिर उसने मेघा की योनि को ऐसे अपने मुँह में भरकर चूसना शुरू किया जैसे कोई रसीले आम को चूस रहा हो!

मेघा पागल होती जा रही थी, उसके हाथ अर्जुन के बालों को खींच रहे थे.. कभी हाथ अर्जुन को दूर करते कभी अंदर की ओर दबाते.. यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक चलता रहा, फिर मेघा जोर से दांतों को पीस कर पूरा जोर से अर्जुन के सिर को योनि में घुसाने लगी…

अर्जुन का भी पूरा मुँह योनि से जा मिला, अर्जुन छटपटाने लगा और एक जोरदार चीख के बाद मेघा का पूरा रस अर्जुन के मुख में तर हो गया..

मेघा फिर निढाल हो गई पर अर्जुन अब पूरे जोर पर था।

अर्जुन ने पसीने में भीगी मेघा के पैरों की उंगलियों को चूसना शुरू किया.. धीरे धीरे मेघा की जांघों को चाटकर पेट पर आया फिर जीभ से चाटते हुए मेघा की कमसिन गर्दन पर धीरे से काट दिया, मेघा को पीछे पलट कर उसने पीठ को सहलाया.. मोर पंख की तरह अर्जुन अपनी उंगलियाँ मेघा की चिकनी पीठ पर चला रहा था और मेघा अपनी थकान को उतार कर फिर हरी सी होने लगी थी।

अर्जुन ने मेघा के सुडोल उठे पुश्तों को सहला कर चूमा..

बिस्तर पर उल्टी लेटी मेघा की जांघों को चाटते हुए उसके पुश्तों को जैसे ही दबाया, वैसे ही मेघा की आआह्ह्ह्ह् निकल गई…

मेघा का यह रूप देख कर मेरे सोये हुए अरमानों को हवा मिली.. मेघा उस वक्त किसी कमसिन दूध में नहाई हसीना की तरह दिख रही थी.. अब वासना की लहर तूफ़ान में तब्दील होने वाली थी…

अब अर्जुन ने मेघा को गोदी में उठा कर मेज पर बिठा दिया और अपना बड़ा लिंग मेघा के हाथों में थमा दिया.. मेघा का मुँह खुलवा कर उसने अपने लिंग पर पर शहद गिराना शुरू किया.. मेघा लिंग पर गिरते शहद को नीचे मुँह कर सीधे अपनी जीभ पर ले रही थी…

अब मेघा ने पूरे लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, कभी मेघा चाटती कभी चूसती तो कभी अंडकोष को पूरा मुख में भर लेती…

अर्जुन भी अब आहें भर रहा था.. मुखमैथुन की चरम सीमा पर पहुँच अर्जुन में लिंग निकाल कर मेघा के दोनों दूधों के बीच की दरार में घुसा दिया.. सुर्ख गुलाबी निप्पल और गोर गोर उभारों के बीच उसका भारी-भरकम काला लिंग अब और भी बड़ा कड़क हो चुका था..

अब अर्जुन ने मेघा के दूधों के बीच अपना लिंग रगड़ना शुरू कर दिया.. धीरे धीरे दोंनो मदहोश होने लगे और रफ़्तार तेज़ होने लगी.. मेघा के दूधों को रौंद रहा अर्जुन का लिंग मेघा के होंटों को छूता जा रहा था… मेघा भी अर्जुन के इस प्रहार का अभिनन्दन कर मुँह के अंदर लिंग को लेने की सफल कोशिश भी कर रही थी…

तेज़ रगड़ कारण गोरे गोर दूध लाल होने लगे.. सांसें तेज़ होने लगी और ‘आह्ह्ह आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह’ की आवाज से कमरा गूंज उठा।

फिर कुछ देर के बाद अर्जुन का बहुत सारा वीर्य मेघा के दूधों को चीरता हुआ सीधे चेहरे पर जा गिरा… अब अर्जुन निढाल हो गया पर मेघा की आग नहीं बुझी थी, मेघा ने एक बार फिर लिंग को चूसना शुरु कर दिया और लिंग फिर जंग के लिए तैयार हो गया।

अब मेघा ने अर्जुन के लिंग को अपनी योनि के द्वार पर सटा दिया और फिर रफ़्तार के साथ मेघा कसमसाने लगी, कभी दर्द से चीखती तो कभी चादर को उमेठती।

फिर अर्जुन ने मेघा की जीभ को अंदर भींच कर जोरदार रफ़्तार कर दी… रफ़्तार में इतना दम था कि मेघा का सिर हर झटके के साथ पलंग के सिरहाने से टकरा रहा था…

अचानक मेघा की तेज़ चीख निकली और मेघा की योनि में से वीर्य बह निकला।

अपनी आँखों के सामने पहली सम्भोग क्रिया को देखने के बाद मेरा वीर्य भी बह निकला था।

इसके बाद मैं कुछ समय और अर्जुन के साथ रहा फ़िर मैंने भोपाल की अरेरा कॉलोनी में एक सिंगल रूम किराये पर ले लिया।

फिर कुछ ख़ास हुआ वो आप मेरी अगली कहानी में पढ़ेंगे।

पाठको, मेरी सच्ची दास्ताँ पसंद आई या नहीं, मुझे मेल करें!

लव स्टोरी का सीन

मैं रियलिटी शो में एंटर कर चुकी हूँ एज़ अ पार्टिसिपेंट। मैं नार्मल प्लेयर नहीं हूँ जो शो विन करने आई है। मुझे बस शो को एक्साइटिंग करने के पैसे मिल रहे थे और शो में ग्लैमर लाने के लिए मुझे क्या करना पड़ा, मैं तुम्हें बताती हूँ।

तो शो एक्साइटिंग कैसे करना है, इसके बारे में मुझे डायरेक्टर ने बताया। मेरे अलावा एक और फेक पार्टिसिपेंट है मोहित जिसके साथ मुझे एक फेक लव स्टोरी निभानी थी जिसे शो के ऑडियंस रियल समझें और उनमें यह शो देखने का इंटरेस्ट बढ़े।

शो इंडिया के एक डेजर्ट में शूट हुआ जहाँ हमने कैंप बनाया था। कुछ एपिसोड्स नॉर्मली शूट हुए जिसमें मेरे और मोहित की बढ़ती नज़दीकियाँ दर्शायी गई।

फिर एक दिन डायरेक्टर ने हमें एक दूसरे को एक स्विफ्ट किस करने को कहा जो कैमरे पर ऑलमोस्ट कैप्चर किया जाएगा लेकिन पूरी तरह ऑडियंस को नहीं दिखाया जाएगा। और इसलिए, एक टास्क सक्सेस्फ़ुली कम्पलीट करने के बाद हम दोनों, एक कार्नर में गए और पहली बार हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया। यह किस एक सेकंड का था और मैं एक्साइटेड होकर चली गई।

उसके बाद हमें रात में एक शॉट करना था। डायरेक्टर ने कहा कि ऑडियंस को यह बताना है कि मैं और मोहित रात में छुप-छुप के मिलते हैं। और अगले एपिसोड में जज हमारा वीडियो दिखाकर हमें डाँट कर वार्न करेगा।

तो यह शॉट देर रात को शूट हुआ जिसमें मुझे आधी रात को कैंप में मोहित के बेड पर जाते हुए दिखाया गया। वहाँ वो मेरा इंतज़ार कर रहा था। मैंने मोहित को प्लान के मुताबिक़ टाइट हग किया और हमने रोमांटिक बातें करने का नाटक किया और प्रेटेन्ड किया कि हमें पता नहीं कि कैमरा हमें कैप्चर कर रहा था।

डायरेक्टर ने हमें इन्स्ट्रक्ट किया था कि कुछ देर बात करने के बाद हमें किस करने का नाटक करना होगा। वेल असली किस करना कंपलसरी नहीं था क्यूँकि कैमरा दूर था और कोई फरक नहीं पड़ता। बस ऐसा लगना था कि हमारे होंठ काफी करीब हैं और ऑडियंस यह समझेगी कि हम आधी रात को किसिंग कर रहे हैं।

लव स्टोरी का सीन

मैं मोहित की बाहों में थी और वह बेड पर लेटा हुआ था। हमारा चेहरा काफी करीब था और उसकी नज़रें मेरे होंठों पर थी। मैंने याद किया कि कैसे हमने सुबह में किस किया था। वो किस याद करके मैं भी एक्साइटेड हो गयी थी। इतने में मोहित का एक हाथ मेरे नेक पर आया और उसने मुझे अपनी ओर किया।

हमारे लिप्स बिल्कुल करीब थे और बस इस से ही लग जाता कि हम किस कर रहे हैं, इसलिए मैं रुक गई। मोहित ने मुझे किस करने की कोशिश की लेकिन मैंने रोका और व्हिस्पर करके कहा कि किस करना ज़रूरी नहीं है। तो जवाब में उसने कहा कि सुबह का किस वह भुला नहीं पा रहा और अब मुझे इतना करीब पाकर उससे कंट्रोल नहीं होता।

मैंने कहा- नहीं, लेकिन वह प्लीज-प्लीज बोलता रहा और कहा कि बस एक बार कर दो ना। मैंने आखिर कार उसकी बात मान ली और स्लोली बेंड होकर अपने होंठ उसके गीले होंठों पर रख दिए। मेरे तन में एक लहर दौड़ पड़ी और मेरी आँखें ऑटोमेटिकली बंद हो गयी। मैंने उसे टेन सेकण्ड्स के लिए किस किया और अपने होंठों को हटा दिया।

उसने पूछा कि क्या हुआ? तो मैंने कहा कि एक किस हो गया। तो वह फिर से रिक्वेस्ट करने लगा यह कह कर कि एक किस इतना छोटा नहीं होता। शायद मैं भी उसे किस करना चाहती थी इसलिए मैं फिर से झुकी और उसे किस करने लगी।

मोहित अपने हाथ मेरे बैक पर फेरने लगा और उसके फिंगर्स मेरे बैक को टिकल करने लगे। हम दोनों भूल गए कि हम ओन स्क्रीन कपल है जो कैमरा के सामने शूट कर रहे थे। बस हम दोनों के होंठ एक दूसरे का मज़ा ले रहे थे।

अचानक मोहित ने पोजिशंस बदल दी और अब मैं उसके अंडर थी और वह मुझे पैशनटली किस करने लगा। कुछ देर में डायरेक्टर ने बस करने को कहा और हमें बताया कि हम इतने ओवर-दी-टॉप चले गए कि उसे वीडियो एडिट करके स्ट्रीम करना होगा।

मैंने सोचा कि अगर हम सच में ओवर दी टॉप हो गए थे तो डायरेक्टर को हमें रोकना चाहिए था। लेकिन वह बस एन्जॉय कर रहा था। एनी वे, हमने शूट खत्म किया और मैं सोने चली गयी।

तो इस तरह मैंने आधी रात को ओन स्क्रीन किसिंग की।

आगे क्या हुआ जानने के लिए मेरे अगले कन्फेशन का इंतज़ार करना।

बाय… मुआअह!

लव स्टोरी का सीन

मेरे ऑडियो कन्फेशन्स को MP3 में डाउनलोड करने के लिए मेरी वेबसाइट www.HiSheela.com पर आइए !

माँ-बेटी को चोदने की इच्छा-28

Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha-28

आप सभी पाठकों को मेरा नमस्कार, दोस्तो, इतने दिनों तक मैंने कहानी को रोके रखा इसके लिए माफ़ी चाहता हूँ.. क्योंकि पिछले कुछ दिनों से काम के चलते मैं अपनी कहानी को नहीं बढ़ा सका। अब आप सभी का मनोरंजन करने के लिए मैं फिर से हाज़िर हूँ..

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था..

जब मुझे मालूम हुआ कि माया आंटी की लड़की रूचि और लड़का विनोद को ट्रेन से आने में अभी देर है तो मैं माया को चोदने में जुट गया पर मेरे अनुमान के पहले ही वे दोनों घर आ गए और दरवाजा खटखटाया.. हड़बड़ा कर हम दोनों उठे और जब मैं माया को आधा-अधूरा चोद कर मुठ मार कर रह गया था.. और बाथरूम में चला गया था।

खैर.. मैं धीरे से अपना मुँह धोते हुए बाहर निकला.. तो मैं हक्का-बक्का सा रह गया क्योंकि रूचि के हाथों मेरी और माया की चड्डियाँ थीं.. उसके दाए हाँथ में मेरी और बाएं हाथ में माया की.. और वो बड़े ही गौर से मेरी चड्डी को बिस्तर पर रखकर माया की चड्डी के गीले भाग को बड़े ही गौर से देखते हुए सूंघने लगी और अपनी ऊँगली से छूकर शायद यह देख रही थी कि ये चिपचिपा-चिपचिपा सा क्या है?

इतने में मैंने अपनी मौजूदगी को जाहिर करते हुए तेज़ी से बाथरूम का गेट बंद किया.. जिससे रूचि भी हड़बड़ा गई और उस चड्डी को बिस्तर पर फेंकते हुए मुझसे बोली- तुम यहाँ क्या कर रहे थे?

तो मैंने बाथरूम की ओर इशारा करते हुए बोला- यहाँ क्या करते हैं?

तो मैंने सोचा.. इसको तो अब कुछ तो बताना ही होगा.. मैं बहुत असमंजस में पड़ते हुए बोला- यहाँ सोता था!

मेरी और माया की चड्डी उठाते हुए बोली- ये सब क्या है?

तो मैंने पूछा- किसकी बात कर रही हो?

वो बिस्तर को दिखाते हुए बोली- यहाँ की..

तो मैंने सोचा यार इसको तो अब कुछ तो बताना ही होगा। मैं बहुत असमंजस में पड़ते हुए बोला- मैं यहाँ सोता था।

वो मेरी और माया की चड्डी उठाते हुए बोली- ये सब क्या है?

फिर उसने गीला तकिया जो कि माया के गीले बालों से भीगा सा लग रहा था।

तो मैंने मन ही मन सोचा.. विनोद के यहाँ आने के पहले.. इसका कुछ तो करना ही पड़ेगा।

अब आगे बढ़ कर मैंने उससे बोला- तुम्हें क्या लग रहा है?

तो वो मुझसे बोली- वही तो समझने की कोशिश कर रही हूँ कि मुझे क्यों सब कुछ गड़बड़ लग रहा है या फिर बात कुछ और है?

तो मैंने उसे बोला- जो तुम्हें लग रहा है पहले वो बोलो.. फिर अगर सही होगा तो मैं ‘हाँ’ या ‘न’ में जवाब दूँगा और तुम गलत हुई.. तो मैं बता दूँगा.. पर ये बात मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगी।

मैं उस दिन बहुत डर गया था.. घबराहट के मारे मेरे माथे से पसीना बहने लगा था। पर जैसे ही उसकी बात सुनी तो मेरी जान में जान आई और मैंने सोचा इसे अपनी बात पूरी कर लेने दो फिर तो मैं इसे हैंडल कर लूँगा।

मैं दरवाजा बंद करने लगा तो उसने कहा- ये क्यों किया तुमने?

मैंने बोला- ताकि कोई यहाँ न आए.. फिर मैं उसी बिस्तर पर जाकर बैठ गया.. और उससे बोला- मेरे पास न सही.. पर चाहो तो सामने वाले बिस्तर पर बैठ जाओ.. नहीं तो थक जाओगी.. अभी तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं है।

तो उसने मुँह बनाते हुए बोला- ज्यादा हमदर्दी दिखाने की कोशिश मत करो..

वो यह कहते हुए बैठ गई।

फिर मैंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- अच्छा अब बोलो.. तुम क्या सोच रही थी?

मैंने उसके हाथ की ओर इशारा करते हुए पूछा.. जिसमें वो माया के रस से सनी चड्डी को पकड़े हुए थी।

तो वो बोली- आप कितने गंदे हो.. मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि आप माँ के अंदरूनी कपड़ों को लेकर सोओगे और ये सब करोगे..

तो मैं समझ गया कि ये अभी नादान है.. इसे ज्यादा कुछ नहीं पता लगा।

मैंने भी थोड़ी बेशर्मी दिखाते हुए बोला- क्या.. इस सबसे तुम्हारा क्या मतलब है?

तो वो चड्डी में लगे हुए रस को छूते हुए बोली- ये..

तो मैंने पूछा- तुम्हें नहीं पता कि ये क्या है.. तो तुम मुझे गन्दा कैसे कह सकती हो?

मुझे पता चल गया था कि वो क्या कहना चाह रही थी.. पर उसके मुँह से सुनने के लिए मैंने उसे उकसाया.. तो वो बोली- बेवकूफ मत समझो मुझे.. आपको नहीं मालूम.. ये आपका स्पर्म है। मैंने अपनी सहेलियों से सुना है कि लड़कों का स्पर्म चिकना होता है.. और आपको मैं पहले दिन से नोटिस कर रही हूँ कि आप मेरी माँ को मौका पाकर छेड़ते रहते हैं और…

तो मैंने बोला- और क्या?

बोली- और.. अब तो हद ही हो गई.. आपने हम लोगों की गैरहाज़िरी का फायदा उठाते हुए मेरी माँ पर गन्दी नज़र रखते हुए.. उनके अंडरगार्मेंट्स को अपने साथ लेकर सोने लगे और न जाने मन में क्या क्या करते होंगे.. जिससे आपका स्पर्म निकल जाता होगा..

तो मैंने उससे बोला- तुम्हें पता है.. स्पर्म कैसे निकलता है?

बोली- हाँ.. गन्दा सोचने पर..

मैंने हंस कर बोला- उतनी देर से तुम भी तो मेरे बारे मैं गन्दा सोच रही हो.. तो क्या तुम्हारा भी ‘स्पर्म’ निकल रहा है?

वो तुनक कर बोली- अरे मेरे कहने का मतलब ऐसा नहीं है..

तो मैंने बोला- फिर कैसा है?

बोली- मैं अभी जाती हूँ.. और बाहर जाकर सबको बताती हूँ.. फिर वही तुम्हें समझा देंगे..

ये कह उठने सी लगी तो मैंने उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे बैठने को कहा और बोला- पहले ठीक से हम समझ तो लें.. फिर जो मन में आए.. वो करना।

तो बोली- नहीं.. अब मुझे कुछ नहीं समझना.. मैं आपको बहुत अच्छा समझती थी.. पर आप बिलकुल भी ठीक इंसान नहीं हो..

मैंने बोला- अभी सब समझा दूँगा.. पर पहले ये बताओ.. तुम मेरी किस सोच को गन्दा बोल रही थी.. जिससे स्पर्म निकल आया।

तो वो कुछ हकलाते हुए सी बोली- मैं सब सब समझती हूँ.. अब मैं छोटी नहीं रही.. जो आप मुझे बेवकूफ बना लोगे.. आपसे सिर्फ दो ही साल छोटी हूँ।

तो मैंने बोला- तुम्हें कुछ पता होता.. तो अब तक बता चुकी होतीं.. और ये क्या है मुझे भी नहीं मालूम।

तो बोली- ज्यादा होशियारी मत दिखाओ.. जब मन में सेक्स करने के ख़याल आते हैं तो स्पर्म निकलता है और वही तुम करते थे।

मैंने बोला- ऐसा नहीं है।

तो वो बोली- इस उम्र में ये सब होना बड़ी बात नहीं है.. पर मेरी माँ को लेकर तुम्हारी नियत खराब हो गई.. ये बहुत गलत बात है.. मैं अभी भैया और माँ को बताती हूँ।

तो मैंने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे बैठाया और उसी के बगल में बैठ गया और उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया।

तो बोली- ये आप क्या कर रहे हैं?

तो मैंने बोला- अभी कहाँ कुछ किया.. और जब तक तुम ‘हाँ’ नहीं कहती.. मैं कुछ भी नहीं करूँगा।

तो बोली- मैं समझी नहीं.. आप कहना क्या चाहते हो?

तो मैंने उसे बुद्धू बनाते हुए बोला- प्लीज़ तुम किसी को भी ये बात मत बोलना.. मगर मेरी अब एक बात सुन लो.. फिर तुम अगर चाहोगी तो मैं यहाँ दोबारा आऊँगा.. वर्ना कभी भी अपनी शक्ल तक नहीं दिखाऊँगा।

तो वो बोली- आप पहले मेरे ऊपर से अपने गंदे हाथ हटाएं.. और यहाँ से जल्दी अपनी बात खत्म करके निकल जाएं।

फिर मैं उसे उल्लू बनाते हुए बोला- जो ये तुम्हारे हाथ में चड्डी है..

वो बोली- हाँ तो?

तो मैंने बोला- यह मैं नहीं जानता था कि ये तुम्हारी है या आंटी की.. क्योंकि ये मुझे यहीं मिली थी।

तो वो हैरानी से बोली- मतलब क्या है तुम्हारा? किसी की भी चड्डी में अपना रस गिरा देते हो?

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तो मैंने बोला- नहीं.. ऐसा नहीं है..

वो बोली- फिर कैसा है?

मैंने उससे बोला- मैंने जबसे तुमको देखा है.. मैं बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूँ और तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. और मुझे सच में यह नहीं मालूम कि यह किसकी थी.. मैंने तो तुम्हारी समझ कर ही अपने पास रख ली थी और आंटी को लेकर मेरा कोई गलत इरादा नहीं था। मैं तो सोते जागते बस तुम्हारे बारे में ही सोचता था.. इसीलिए मैंने सोने के लिए बिस्तर भी तुम्हारा ही पसंद किया था.. जिसमें मुझे तुम्हारे बदन की मदहोश कर महक अपना स्पर्म निकालने के लिए मजबूर कर देती थी.. और अगर तुम्हें ये गलत लगता है.. तो आज के बाद मैं तुम्हें कभी मुँह नहीं दिखाऊँगा.. पर मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ.. आगे तुम्हारी मर्ज़ी…

यह कहते हुए मैं शांत होकर उसके चेहरे के भावों को पढ़ने लगा।

उसका चेहरा साफ़ बता रहा था कि अब वो कोई हंगामा नहीं खड़ा करेगी.. तो मैंने फिर से उससे बोला- क्या तुम भी मुझे अपना सकती हो?

तो वो उलझन में आ गई… जो कि उसके चेहरे पर दिख रही थी..

मैं उठा और उससे बोला- कोई जल्दी नहीं है.. आराम से सोच कर जवाब देना.. पर हाँ.. तब तक के लिए मैं तुम्हारे घर जरूर आऊँगा.. पर बाहर ही बाहर तक.. मुझे तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा।

मेरी बात समाप्त होते ही दरवाज़े पर विनोद आ गया और खटखटाने लगा तो रूचि ने मुझे फिर से इशारे से बाथरूम का रास्ता दिखा दिया और मैं अपनी चड्डी की जगह जल्दबाज़ी में माया की ले आया और बाथरूम अन्दर से बंद करके बाहर की आवाज़ सुनने लगा।

विनोद ने घुसते ही पूछा- राहुल किधर है.. माँ ने बोला है कि वो यहीं होगा?

तो रूचि बोली- भैया.. वो तो नहा रहे हैं मैंने भी जब बाथरूम खोलना चाहा तो वो अन्दर से लॉक था.. फिर अन्दर से उनकी आवाज़ आई कि मैं नहा रहा हूँ.. तब मैंने सोचा कि चलो तब तक कपड़ों को ही अलमारी में एक सा जमा दूँ।

भैया बोले- तू बहुत पागल है.. इस तरह से पूरे बिस्तर में कपड़े फ़ैलाने की क्या जरुरत थी? चल जल्दी से निपटा ले।

तभी मैं अन्दर से निकला और मैंने शो करने के लिए शावर से थोड़ा नहा भी लिया था।

मैंने निकलते ही पूछा- अरे रूचि तुम्हारा एग्जाम कैसा रहा?

तो बोली- अच्छा रहा..

वो मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा दी.. फिर मैंने विनोद से पूछा- यार नींद पूरी नहीं हुई क्या.. जो आते ही सो गए।

तो बोला- हाँ यार.. ट्रेन में सही से सो नहीं पाया।

तब तक आंटी ने आवाज़ देते हुए बोला- अरे सुनो सब.. तुम लोग आ जाओ.. नाश्ता रेडी है।

विनोद बोला- रूचि पहले तू फ्रेश होने जाएगी या मैं जाऊँ?

वो बोली- आप हो आइए.. मैं कपड़े रखकर आती हूँ।

मैं मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- तब तक आप चलिए.. हम दोनों आते हैं।

अब मुझे यकीन हो गया था कि ये चिड़िया भले ही मेरे जाल में न फंसी हो.. पर यह बात ये किसी को भी नहीं बोलेगी..

यह सोचता हुआ बाहर आ गया।

माया ने जैसे ही मुझे देखा कि मैं अकेला ही आ रहा हूँ.. तो वो जोर से बोलते हुए बोली- वो लोग कहाँ हैं?

फिर मेरे पास आई और बोली- कुछ अन्दर गड़बड़ तो नहीं हुई न?

तो मैंने उनके गालों को चूमते हुए कहा- आप परेशान न हों.. किसी को कुछ भी शक नहीं हुआ है।

ये कहते हुए मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया।

आप सभी का पुनः धन्यवाद। आप अपने सुझावों को इसी तरह मेरे मेल पर साझा करते रहें.. और आप इसी मेल आईडी के माध्यम से फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। अगले भाग तक के लिए सभी चूत वालियों और सभी लौड़े वालों को मेरा चिपचिपा नमस्कार।

मेरी चुदाई की अभीप्सा की यह मदमस्त कहानी जारी रहेगी।

एक के बदले तीन से चुदी

Ek ke badle teen se chude
रुचि चूची
एक चूत तीन लौड़े बहुत नाइंसाफी है रे !
 पिछली कहानी ‘अधूरे अरमान अधूरी चुदाई’ में आपने पढ़ा कि मैं अपने भैया के एक दोस्त अरमान से चुदना चाहती थी और हम लोग की आधी चुदाई ही हो पाई थी, जब वो अपना लंड मेरी फ़ुद्दी में डालने वाला ही था, तभी भैया आ गये थे और एक एक मस्त लवड़ा मेरी चूत को छू कर निकल गया। और मैं देखती ही रह गई, कुछ नहीं कर पाई। हाँ, लेकिन अरमान के रूप में एक ऐसा बंदा मिल गया था जिससे मैं चुद सकती थी। और उस दिन के बाद तो अरमान तो रोज मेरे घर आने लगा लेकिन भैया कभी बाहर जाते ही नहीं थे। लेकिन भैया के रहते हुए भी ऊपर से सब कुछ हो जाता था। जब भी वो घर आता किसी ना किसी बहाने मेरे पास आ जाता था और मेरे गुदाज बदन के साथ खेल कर चला जाता था। तब से मैं सिर्फ़ स्कर्ट और टॉप पहनती थी, वो भी बिना ब्रा और पैंटी के बिना जिससे जब भी वो आता था तो मेरा टॉप उठा कर चूचे तो कभी स्कर्ट उठा कर चूतड़ दबा देता था। एक दिन वो मेरे घर आया और मैं रसोई में कुछ काम कर रही थी। तभी मैंने उसकी आवाज सुनी, वो भैया को बोल रहा था कि पानी पीना है। भैया बोल ही रहे थे कि ‘रूचि पानी ला दो’ तभी वो बोला कि मैं खुद जाकर ले लेता हूँ। और वो रसोई में आ गया और बोला- पानी! तो मैंने अपनी टॉप को उठा दी और अपनी निप्पल को दोनों उंगलियों से दबाते हुआ बोली- पानी तो नहीं है, दूध पीना है तो बोलो? तो वो बोला- तुम्हारा भाई आ रहा है। मैं अपनी टॉप गिराने ही वाली थी कि वो अंदर आ गया और और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे साथ लिप-किस करने लगा और उसके हाथ मेरी नंगी चूचियों पर थे, और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे चूचों को मसल रहे थे। और मेरे हाथ उसके लंड को दबा रहे थे। कुछ देर ऐसे ही मजा लेने के बाद मैं बोली- अब जाओ, नहीं तो भैया को शक हो जाएगा। और वो चला गया पर कुछ देर में फिर आया और मेरे स्कर्ट को उठा कर मेरे चूतड़ के ऊपर अपना लंड निकाल के रगड़ने लगा तो मैं बोली- सिर्फ़ ऊपर से ही मजा लोगे या कभी जनन्त का भी मजा दोगे? तो वो मेरे दोनों चूतड़ के बीच में अपना लंड फंसा कर बोला- कैसे दूँ? तेरा भाई तो कभी घर से जाता ही नहीं है। तो मैं बोली- भाई नहीं जाता है लेकिन मैं तो जा सकती हूँ ना? तो वो बोला- ठीक है। मैं बोली- आज कुछ देर में मैं निकलती हूँ। तुम मुझे लेने आ जाना ओके? तो वो बोला- ठीक है। वो चाय लेकर चला गया, मैं पीछे से आई और अपने भैया को बोली- भैया, मेरी एक सहेली के यहाँ पार्टी है, उसने मुझे बुलाया है। तो भैया बोले- जाओ लेकिन जल्दी आ जाना ! तभी अरमान बोला- तुम लक्ष्मीनगर जाओगी ना अपनी सहेली के यहाँ? मैं भी उधर ही जा रहा हूँ, चलो, छोड़ दूँगा। तो भैया बोले- हाँ अच्छा रहेगा, यह तुमको लक्ष्मीनगर छोड़ देगा, तुम वहाँ से निकल जाना अपनी सहेली के घर ! तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और सोचा कि चलो भैया खुद बोल रहा है कि ‘जाओ इसके साथ और खूब चुदवा कर आना’ मैं यह सोच कर खुश ही हो रही थी कि तभी भैया बोला- जल्दी से जाओ और रेडी हो जाओ, अरमान को जाना है। तब मैं दौड़ कर अपने कमरे में गई और सबसे पहले अपने सारे कपड़े उतार दिए फिर अपने नीचे का बाल साफ किए, अपनी चूत में लोशन लगा कर रगड़ रगड़ के साफ़ की और चिकनी की फिर अपनी गाण्ड की छेद को भी रगड़-2 कर चिकना किया। फिर ब्रा और पैंटी पहन कर बाथरूम से बाहर आई और अपना मेकअप करने लगी। तभी मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है, मुझे लगा कि अरमान होगा सो मैं दरवाजे की ओर जाने लगी तो वो चला गया। मैंने सोचा कौन होगा, फिर सोचा कि चलो कोई होगा, बाद में सोचूँगी। फिर मैंने मेकअप की और सफ़ेद टाइट जींस और पिंक टॉप पहन कर मैं उन कपड़ों में इतनी हॉट लग रही थी कि जब मैं नीचे आई तो मेरा भाई भी मुझे आँखें फाड़-2 कर देख रहा था। जब मेरी नज़र मिली तो भैया घबराता हुआ बोला- अरमान, तुमको लक्ष्मीनगर तक छोड़ देगा, उसके बाद तुम अपनी सहेली के घर चली जाना ! तभी अरमान बोला- नहीं, मैं इसको इसकी सहेली के घर छोड़ दूँगा। क्यूँ रूचि? तो मैं बोली- अगर आप को कोई प्राब्लम ना हो तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। फिर मैं दोनों पैर एक साइड करके बाइक पर बैठ गई और वो चलने लगा कुछ दूर जाकर उसने बाईक रोक दी और मैं अपने पैर दोनों ओर करके बैठ गई। अरमान बोला- रूचि, बोलो किस दोस्त के घर जाना है? तो मैं बोली- तुम जिस दोस्त के घर ले जाना चाहते हो, ले चलो ! और हम दोनों हंसने लगे। फिर कुछ देर मार्केट में घूमने के बाद वो एक घर के पास जाकर रुका और बोला- यही है मेरा घर ! उस घर को देख कर मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा क्यूंकि इसी घर में राज मुझे लाया था। मैं यह बात सोच ही रही थी कि वो बोला- उतरोगी या वहीं रहोगी? तो मैं उतर गई और उसने मेरी कमर में हाथ डाला और बोला- चलो ऊपर चलते हैं। मैं उसके साथ ऊपर जाने लगी और मुझे राज के साथ किया हुआ सब कुछ याद आने लगा। और यह सब सोच-2 कर मुझे चुदने की और भी जल्दी हो रही थी। तभी हम दोनों रूम के दरवाजे के पास पहुँच गये। वह मेरे चूतड़ पर चपत लगा कर बोला- डार्लिंग, यही रूम मेरा है। मैं बोली- मुझे रूम दिखाने लाए हो? तो वो मुझे अपनी बाहों में भरते हुए बोला- नहीं डार्लिंग, आज तो मैं तुम्हारा सब कुछ देखूँगा और उसके साथ खेलूँगा भी ! उसने दरवाजा खोला और हम अंदर गये। अंदर जाते ही वो मेरे ऊपर टूट पड़ा, वो मेरे होंठ अपने होंठों के बीच दबा कर चूमने लगा और कुछ देर तक चूमता रहा, जैसे पहली बार चूस रहा हो। कुछ देर होंठ चूमने के बाद वो मेरे गले को चूमने लगा और उसकी हाथ मेरे चूतड़ पर पहुँच चुके थे। और मैं चुदने को तैयार थी। वो हौले-हौले मेरे टॉप को ऊपर उठाने लगा और मेरे नंगी पीठ को सहलाते हुए अपने हाथ को मेरी टॉप में डाल दिया। और मुझे अपने से चिपका लिया और मेरी टॉप को उतारने लगा तो मैं बोली- शायद कोई यहाँ है और हमें देख रहा है? तो वो बोला- नहीं यार, यहाँ कोई नहीं है, सिर्फ़ हम दोनों ही हैं। मैं बोली- हो सकता है मुझे कोई ग़लतफहमी हुई होगी। वो बोला- हाँ। और उसने मेरा टॉप को उतार दिया, मैं ऊपर सिर्फ़ ब्रा में थी। वो अपने हाथों से मेरे चूचियाँ ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा और मैं भी उसके शर्ट के बटन को खोलने लगी, उसको भी ऊपर से नंगा कर दिया। फिर वो मेरी चूचियाँ अपने मुँह से दबाने लगा और मेरी कमर पर अपनी हाथ से सहलाने लगा और मेरी जीन्स के अंदर हाथ डालने की कोशिश करने लगा लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि उसका हाथ अंदर नहीं जा पा रहा था। मैंने खुद अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स में डाल दिया और मेरे चूतड़ दबाने लगा। तब तक मेरा हाथ भी उसके लंड पर चला गया और उसकी जीन्स के ऊपर से ही उसके लंड को दबाने लगी, फिर मैंने भी उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और उसको थोड़ा नीचे करके उसके लंड को अन्डरवीयर के ऊपर से सहलाने लगी। ऊपर वो मेरी चूचियाँ अपने दांतों से काट रहा था और नीचे मेरे चूतड़ दबा रहा था। मैं इन सब का मजा ले रही थी। कुछ देर मजा लेने के बाद हम दोनों ने अपनी-अपनी जीन्स उतारी, अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी और वो सिर्फ़ अन्डरवीयर में था। मैं उसके लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगी रही और उसने मेरे ब्रा के हुक को बिना खोले ही मेरी चूचियाँ बाहर निकाल ली। हम एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे कि तभी मुझे लगा कि पीछे कोई है। मुझे लगा कोई ग़लतफहमी होगी, फिर भी मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो पीछे दो लड़के खड़े थे, मैं दोनों को पहचानती थे, ये दोनों भी मेरे भैया के दोस्त थे, एक सैम और एक प्रिन्स था। ये दोनों भी मेरे घर आते रहते थे। उस दोनों को देख कर मैं अरमान से अलग हुए और पास बेड से एक चादर खींच कर लपेट ली। तभी सैम बोला- तुम दोनों कर क्या रहे हो? और यह तो रूचि है ना राहुल की बहन? मेरे भाई का नाम राहुल है। तभी अरमान बोला- प्लीज़्ज़्ज़, राहुल को कुछ मत बताना ! तो दोनों बोले- नहीं बताएँगे लेकिन उससे हम दोनों को क्या मिलेगा? अरमान बोला- क्या चाहिए? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! दोनों बोले- रूचि ! और तीनों मेरी तरफ देखने लगे और मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे। मैं तो एक लंड सोच कर आई थी, यहाँ तो 3 लंड मिल रहे हैं एक साथ! मुझे क्या दिक्कत हो सकती है। लेकिन फिर भी मैंने अपना मायूस चेहरा बनाया। तो अरमान बोला- प्लीज़ रूचि मान जाओ ना! तो मैं बोली- ठीक है, लेकिन सिर्फ़ एक बार! फिर कभी नहीं? इस बात पर वो तीनों राज़ी हो गये। मेरी हाँ सुनते ही दोनों ने अपने अपने कपड़े उतारे और तीनों सिर्फ़ अंडरवीयर में मेरे सामने आकर खड़े हो गये। और प्रिन्स ने आगे आकर मेरे बदन से चादर हटा दी। और एक बार फिर मैं उसके सामने ब्रा और पैंटी में थी। और वो तीनों मुझे हवस भरी नज़रों से देख रहे थे। तभी सैम आगे बढ़ा और मेरे सर को पकड़ के मेरे होंठ से अपने होंठ को मिला कर मेरे साथ चुम्बन करने लगा और तब तक प्रिन्स पीछे से आकर मेरी गर्दन पर किस करने लगा, अपने हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा ब्रा के ऊपर से ही। उन दोनों को देख कर अरमान कैसे पीछे रहता, वो भी मेरी कमर पर चुम्बन करने लगा और मेरे चूतड़ को दबाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। तीनों अपने अपने हिसाब मेरा मजा ले रहे थे। कुछ देर तक मजा लेने के बाद तीनों ने अपना-अपना स्थान बदल लिया और मजा लेने लगे। अब प्रिन्स मेरे सामने आकर मुझे लिप-किस करने लगा और बाकी दोनों पीछे से मजे ले रहे थे। तब मेरा हाथ भी प्रिन्स के लौड़े पर गया और उसे पकड़ लिया। वो एकदम खड़ा हो गया था और मैं उसको बाहर निकाल कर दबाने लगी लेकिन मैं लंड देख नहीं पा रही थी पर महसूस कर पा रही थी कि वो काफ़ी मोटा और लंबा था, मैं उसको हिलाने लगी। और तब तक सैम थोड़ा नीचे बैठ कर मेरे चूतड़ों को पैंटी के ऊपर से चूमने लगा और चाटने लगा और अरमान मेरे चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूमने और चाटने लगा। तभी प्रिन्स भी चुम्बन से थोड़ा नीचे आकर मेरी चूचियाँ दबाने लगा, मैं उसका लंड मसल ही रही थी, वो मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को ब्रा के बाहर निकाल लिया और उसको चूसने लगा। तब तक सैम और अरमान ने मेरी पैंटी को चाट-चाट कर गीला कर दिया फिर उस सैम ने मेरी पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया जिससे सैम के सामने मेरे नंगे चूतड़ और अरमान के सामने मेरी नंगी चूत ! तीनों मेरी नंगे अंगों को देख कर उन पर टूट पड़े। प्रिन्स मेरी निप्पल को अपने होंठ से दबाने लगा और सैम मेरी गाण्ड की छेद में अपना जीभ को अंदर बाहर करने लगा और यही काम अरमान मेरी चूत के साथ करने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम चारों अलग हुए और तीनों ने अपने अंडरवीयर उतार कर अपने-अपने लंड पकड़ कर मेरे सामने खड़े कर दिये। मैं तीनों के लंड को देख कर रोमांचित हो रही थी लेकिन उन तीनों में सबसे मस्त लंड प्रिन्स का था। सैम बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो। मैंने अपनी ब्रा की हुक खोल दी, मेरी ब्रा मेरी चूचियों पर टिकी हुई थी, तो मैं अपना हाथ ऊपर करके अपनी चूचियाँ हिला दी, जिससे मेरी ब्रा नीचे गिर गई और उनके सामने मेरी नंगी चूचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी जिन्हें देख कर तीनों मेरी तरफ आने लगे। मेरे पास पहुँच कर कुछ करते, उससे पहले मैंने नीचे बैठ कर प्रिन्स के लवड़े को पकड़ लिया और उसको अपने मुख में लेकर चूसने लगी और बाकी दोनों के लंड को दोनों हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी। फिर बारी-बारी मैंने तीनों के लौड़ों को चूसा, फिर प्रिन्स बोला- रूचि, अब खड़ी हो जाओ। मैं खड़ी हो गई तो प्रिन्स मेरी चूत में अपनी उंगली करने लगा और मैं आआह…हाअ… ऊहहाआ… कर रही थी कि तभी प्रिन्स अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा और फिर एक झटका मारा, जिससे उसका आधा लंड मेरी चूत में चला गया और मैं आआआहहह… आआआ… करके रह गई। तब तक बाकी दोनों मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे फिर प्रिन्स ने एक और झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। फिर कुछ देर अंदर-बाहर करने के बाद प्रिन्स उठा, बेड पर लेट गया, मुझे बोला कि मैं उसके ऊपर आ जाऊँ तो मैं भी बिना देर किए उसके ऊपर आ गई। वो कमर के बल बेड पर लेटा था और मैं उसके ऊपर जा के इस तरह लेटी कि उसका लंड मेरी चूत में और मेरी चूचियाँ उसके होंठ के पास थी। फिर मैं सैम के लंड की बनावट देखते ही सोचने लगी कि यह तो मेरी गांड के लिए बिल्कुल फिट रहेगा और मैं उसके लंड को पकड़ के पीछे की ओर ले आई और उसको अपने गाण्ड की छेद दिखाई तो वो मेरा इशारा समझ कर मेरी गाण्ड के छेद में डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन घुस नहीं पा रहा था तो वह मेरी गाण्ड के छेद पर अपना थूक डाल कर उस में उंगली करने लगा फिर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गाण्ड में डालने लगा और एक झटके के साथ उसका लंड मेरी गाण्ड में चला गया। मैं चीखने ही वाली थी कि तभी अरमान ने अपना लंड मेरी मुँह में डाल दिया और मेरी चीख बंद हो गई। फिर कुछ देर तक तीनों मुझे चोदते रहे, फिर जब वो झरने वाले थे तो तीनों ने अपना सारा माल मेरी मुँह में डाल दिया और मैंने सबके लौड़े चाट कर साफ कर दिए। फिर हम चारों एक साथ बाथरूम में गये और साथ नहाए। वहाँ भी मैं एक बार चुदी। फिर जब मैं नहा कर निकली तब तक मेरी चूत और गाण्ड सूज चुकी थी। प्रिन्स ने बर्फ को मेरी दोनों छेद कर रख कर कुछ देर छोड़ दिया तब जाकर मुझे आराम मिला। इस सबमें मुझे पता ही नहीं चला कि कब रात के 10 बज गये। तो मैं बोली- अब मैं घर कैसे जाऊँगी? तो तीनों बोले- आज रात यहीं रुक जाओ। तो मैं बोली- भैया? तो बोले- कोई बहाना बना दो। तो मैंने भैया को फोन किया, बोली- भैया पार्टी में थोड़ी लेट हो गई। अब मेरी सहेली के पापा मुझे जाने से मना कर रहे हैं। क्या मैं आज रात भर यहीं रुक जाऊँ? तो भैया बोले- रुक जाओ, कल सुबह आ जाना ! इतना सुनते ही हम चारों बहुत खुश हुए और उसके बाद सारी रात में हमने हर सम्भव पोज़ में चोदम चोद की। सुबह को 10 बजे जब मैं घर पहुँची तो शायद मेरा भाई मेरी चाल देख कर समझ गया कि मैं सारी रात क्या करके आई हूँ, फिर भी उसने मुझे कुछ नहीं बोला।

अधूरे अरमान अधूरी चुदाई

Adhure armano ki adhuri chudai
रुचि चूची
दोस्तो, मेरा नाम रुचि है, मेरी उम्र 22 साल है, मैं एक बहुत सुंदर और जवान लड़की हूँ, मेरा कद 5 फुट 6 इंच है और मेरा रंग बहुत साफ़ है। मेरे मोम्मे उम्र के हिसाब से बहुत बड़े हैं। कारण तो आप जानते ही हैं कि मैं अपने घर से कॉलेज लोकल बस में जाती हूँ और बस में सब लोग मेरे चूचियाँ का पूरा मज़ा लेते है। आपने मेरे कहानी ‘भाई के दोस्त ने बस में- पढ़ी और मुझे ढेर सारे मेल किए, मुझे बहुत मज़ा आया आपके मेल पढ़ कर लेकिन सॉरी… मैं सबका जबाब नहीं दे पाई। लेकिन मेल में बहुत लोगों ने मुझको चोदने की बात कही, कुछ ने मेरी नंगी फोटो देखने की इच्छा दिखाई तो किसी ने सिर्फ़ मेरे चुच्चे तो किसी ने गाण्ड तो किसी ने चूत दिखाने को बोला। उनमें से कुछ की तो मांग पूरी करने की कोशिश भी की है। अब मैं अपनी दूसरी चुदाई के बारे में आपको बताने आई हूँ। जैसा आप जानते हैं कि मैं पहली बार अपने भाई के एक दोस्त राज से चुदी हूँ। उसने मुझे इतना चोदा कि मेरे बदन में बहुत कुछ बदल चुका है। मैं एक बार फिर अपने बारे में बता दूँ। मेरी ख़ूबसूरती देखते ही बनती है, अपने मुँह से खुद की तारीफ तो नहीं करनी चाहिए, मगर मुझे ऐसा ही जिस्म मिला है। गोल मासूम चेहरे पर रेशमी बाल, खूब उभरी हुई कश्मीरी सेबों सी लाल लाल गालें, मोटी मोटी गीली नशीली और बिल्ली सी हल्की भूरी बिल्लौरी आँखें, रस भरे लाल उचके हुऐ मोटे होंट जैसे लॉलीपोप को चूस्सा मारने को लालयित हों। मलाई सी त्वचा, मक्खन में सिन्दूर मिला रंग, लम्बी पतली गर्दन, खड़े खड़े तराशे चुच्चे, पतली सी बलखाती कमर है मेरी, पिचका पेट, हीरे सी चमकती खूब गहरी नाभि, दायें बायें फैले कूल्हे, दिलों को हिला के रख देने वाले मस्त गोल गोल उभरे हुए चूतड़ ! जी हाँ पूरे गोल-गोल, मानो किसी ने दो खरबूजे रख कर उस पर पैंटी डाल दी हो। और लम्बी सुडौल मरमरी टांगें। चलो अब कहानी पर आती हूँ। मेरे भाई के एक दोस्त राज ने मुझे पहली बार चोदा और जब भी मुझे चुदने का मन होता तब मैं राज से चुदवा लेती थी। लेकिन राज को अमेरीका में जॉब मिल गया और वो चला गया। लेकिन उसके बाद से मुझे जब भी चुदने का मन होता, मैं उंगली या मोमबत्ती से काम चला लेती थी। लेकिन उससे मेरा मन नहीं भरता था। मैं एक नये लंड को ढूँढने लगी लेकिन मेरा कॉलेज बंद था तो मैं बस से भी नहीं ढूंढ सकती थी कि एक दिन भैया से मिलने उनका एक और दोस्त आया। उसका नाम अरमान था मैं उसको देख कर देखती ही रह गई। तब मेरे घर वाले, भैया को छोड़ कर, सब कुछ दिन के लिए एक शादी में गए थे। क्या हैंडसम, स्मार्ट और सेक्सी लड़का था ! उसको देख कर मेरी चूत में खुजली होने लगी। मैंने सोचा कि इससे चुद सकती हूँ तो मैं उसके सामने चली गई। तब मैंने एक टाइट टॉप खुले गले का और टाइट शॉर्ट स्कर्ट पहने हुई थी। वो मुझे देख कर देखता ही रहा। तभी भैया ने कॉफी बनाने को कहा तो मैं जाने के लिए मुड़ी तो वो मुझे पीछे से देख सकता था। तब मेरी स्कर्ट घुटनों से उपर थी जिस से मेरे मादक चूतड़ और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतड़ों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वो मेरे चूतड़ ध्यान से देख रहा था। मैं कुछ सामान उठाने के बहाने झुक गई जिससे उसको मेरे चूतड़ों के निचले भाग के दर्शन हो गए और मैं मन में सोच रही थी कि बंदा लाइन पर आ रहा है, इसको कुछ और दिखाती हूँ। मैंने सबसे पहले अपनी ब्रा उतार दी और कॉफी देने के लिए उसके सामने झुकी जिससे उसको मेरी चूचियाँ दिख गई और वो बड़े ध्यान से मुझे घूर रहा था। तभी मैंने ठीक उसके लंड के पास कॉफी उसके पैंट पर गिरा दी और सॉरी बोल कर बगल से एक कपड़ा उठा कर कॉफी को पोंछने लगी। और पोछने के बहाने मैंने उसके लंड को दबा दिया। तब भैया बोले- चलो, मैं बाथरूम दिखा देता हूँ। तभी भैया के फोन पर एक फोन आया और वो बोले- रूचि इसको बाथरूम दिखा दो। मुझे एक ज़रूरी काम से जाना है। और वो चले गये। तब मैंने मन में सोचा कि भैया के आने से पहले इसको पटा सकती हूँ। और मैं उसको बाथरूम ले गई पौंछने और वो खुद से पौंछने लगा तो मैंने उसको बोला- हटो, मैं साफ़ करती हूँ। और झुक कर हल्का पानी लेकर पौंछने लगी। मेरी चूचियाँ हिल रही थी वो उनको देख रहा था। मेरे पौंछने के कारण उसका लंड टाइट हो गया था और वो बाहर निकलने के लिए तड़पने लगा। वो भी गर्म हो चुका था, उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया तो मैं कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी। तो उसका हौंसला और बढ़ गया और वह मेरे कंधे को हल्का हल्का सहलाने लगा। मैं फिर भी कुछ नहीं बोली तो वो मेरे नंगे गले को सहलाने लगा, मैं फिर भी कुछ नहीं बोली तो उसका हिम्मत और बढ़ गई। और उसने मेरी टॉप को खींच दिया जिससे मेरी आधी चूचियाँ दिखने लगी। उसके लंड को छूने के कारण मैं भी गर्म हो गई थी जिससे मेरे चुचूक खड़े हो गए। और वो टॉप पर ऊपर उभरे हुए दिख रहे थे। तब तक उसका दाग साफ हो चुका था और मैं उठने लगी और वो मेरी चूचियों को ही देख रहा था, तो जैसे ही मैं उठी, मेरी चूचियाँ उसके चेहरे से टकरा गई। और मुझे करेंट लगा, मैं फ़िसल गई और गिरने लगी। तभी उसने मुझे बचाने के लिए मेरे कमर को पकड़ना चाहा लेकिन उससे मेरी दोनों चूतड़ पकड़े गए। और मेरी चूची उसके होंठ के पास थी उसके तो दोनों हाथों में लड्डू था, मतलब दोनों हाथों में मेरे चूतड़ और मुँह में मेरी चूचियाँ ! उसने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए मेरे गाण्ड के गोलों पर अपना हाथ फ़ेर दिया। जिससे मेरे बदन में सनसनी सी फ़ैल गई। जब उसने मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो फिर से नीचे हाथ ले जा कर मेरे एक चूतड़ के गोले को स्कर्ट के ऊपर से दबा दिया। फिर उसने मेरे स्कर्ट को उठा कर अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रख दिया और चूतड़ के नंगे भाग को सहलाने लगा और ऊपर अपने होंठ से मेरे तने हुए निप्पल को टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा। फिर वह मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरी चूचियाँ निकालने की कोशिश करने लगा और इसमें टॉप थोड़ी फट गई और मेरी एक चूची बाहर निकल गई। चूचियाँ देखते ही वो एक छोटे बच्चे की तरह टूट पड़ा और मेरे गुलाबी निप्पल को अपने होंठ से दबाने लगा, उसको जीभ से चाटने लगा, फिर मेरे चूचियाँ पूरी अपने मुँह के अंदर लेने की नाकाम कोशिश करने लगा, अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को मसलने लगा। मैंने भी अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया। उसका लंड बहुत लंबा और मोटा लग रहा था, मैं जीन्स के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी। मुझे साथ देता देख कर वह मेरी दूसरी चूची को भी निकालने की कोशिश करने लगा। तो मैं बोली- सब यहीं कर लोगे या बेड पर भी चलोगे? तो उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरी चूतड़ को पकड़ कर मुझे उठा लिया और दोनों हाथ से चूतड़ को दबाता और होंठों से मेरे होंठ चूसता रहा। फिर मुझे बेड पर लिटा कर मेरी चूचियों पर टूट पड़ा और टॉप के ऊपर से ही मसलने लगा और बारी-2 दोनों चूचे भी मुँह से चूसने लगा, उसके चूसने से मेरी टॉप भीग गई। फिर उसने मेरी टॉप उतारने की कोशिश की तो मैंने अपने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो टॉप को आसानी से निकाल सके। टॉप के निकलते ही मेरे दोनों कबूतर आज़ाद हो गये और मैं ऊपर से एकदम नंगी हो गई जिसे देख कर वो टूट पड़ा जैसे बहुत दिन से भूखे इंसान के सामने लज़ीज़ खाना रख दिया हो। और दोनों हाथों से मेरे उरोजों को मसलने लगा और अपने होंठों से दबाने लगा और जीभ से चाटने लगा और चाटते-चाटते बोला- रूचि तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत मजेदार और रसीली हैं ! जी करता है कि पूरी ही खा जाऊँ… तो मैं बोली- खा जाओ, रोका किसने है? इतना सुनते ही अब उसने मेरे बोबे ही क्या मेरे पूरे शरीर को दबाना, चाटना और मसलना आरम्भ कर दिया। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल पड़ी, मेरी चूत में से पानी चू पड़ा। उसने मेरे स्कर्ट में नीचे से हाथ डाल दिया और जांघें सहलाता हुआ चूत तक पहुँचने लगा। जैसे ही उसके हाथ ने मेरी चूत को छुआ, मुझे एक झटका सा लगा, मेरा बदन पिघलने लगा, मेरी टांगें स्वत: ही खुलने लगी, हाथ को चूत तक पहुँचने का रास्ता देने लगी। जैसे ही उसके हाथ ने मेरी चूत को सहलाया, उसकी अंगुली मेरी चूत के रस से गीली हो गई। अंगुली का जोर लगते ही मेरी चूत का दाना छू गया और अंगुली चूत के द्वार तक पहुंच गई। दाना छूते ही मेरे बदन में जैसे बिजलियाँ कौंध गई और मेरे मन में हुआ कि अब इसके लंड से भी कुछ देर खेला जाए तो मैं जीन्स के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने और दबाने लगी। उसका लंड बहुत टाइट था लग रहा था कि अब जीन्स फाड़ कर निकल जाएगा। मैंने उसके जीन्स की जिप खींच दी, उसने ऊपर का बटन खोल दिया, अब मेरे हाथ और लंड के बीच में सिर्फ़ अंडरवीयर थी, मैंने उसको भी अपने अंगुली से नीचे खींच दिया। उसका लंड भी राज की तरह काफी लंबा और मोटा था, इतना ही नहीं, वो आग की तरह जल भी रहा था। जब मैंने आँखें खोल कर अपने हाथ की तरफ देखा तो मैं चौंक पड़ी- उफ क्या है यह? मैंने उसका लंड हाथ से छोड़ दिया तो वो सांप के फन की तरह फुंफकार उठा, मेरा रोयाँ-रोयाँ खड़ा हो गया था उस समय। …बेहद तन्नाया हुआ, नीचे लटकती दो गोलियाँ… साफ़ शेव की हुई… मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया… हाय रे… ऊपर से नरम मसल्स थी… लण्ड में बहुत कड़कपन था। मैंने उसके सुपाड़े पर से चमड़ी ऊपर सरका दी और उसके लाल चमकदार सुपाड़े को मलने लगी… थोड़ा सा थूक लगा कर चिकना किया और हाथ में कस लिया। एक बार और थूक कर उसके लण्ड को मुठ मारने लगी और उसका लण्ड जोर से फ़ड़फ़ड़ाया और पिचकारी छूट पड़ी। मैं स्तब्ध रह गई। मेरा हाथ थूक से पहले ही गीला था, अब वीर्य से नहा गया था। फिर मैंने सोचा कि इतने मस्त रस को बेकार ही छोड़ दूँ तो मैं उसके लंड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! उसने मेरे बालों को पकड़ा और जोर से लण्ड धकेला जिससे उसका लंड मेरे मुँह में घुस गया और अपना सिर ऊपर नीचे करने लगी। उसके मुँह से आह निकली। मुझे उनका बड़ा लंड चूसने में मज़ा आ रहा था। मैंने लंड के गुलाबी सिरे को चूमा और मशरूम जैसे मोटे सिरे को अपने दातों से हल्का सा काट लिया, फिर लंड को ऊपर से नीचे तक चाटती हुई उनके बड़े बड़े टट्टे चूसने लगी। और वो मेरे सिर को दबाते हुए मेरे बालों को सहला रहा था। मैं लंड को पूरा अपने मुँह में लेती फिर मादक आवाजें करती हुई बाहर निकाल कर हिलाती। उसका लंड मेरे गले के अंदर तक जा रहा था। वो आँखें बंद करके मज़ा ले रहा था, मैंने लंड चूसने की गति बढ़ा दी और अब लंड अपने मुँह में डाल कर अपने सिर को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी। और एक बार जब उनके लंड से वीर्य की अंतिम बूँद भी निकल गई तो मैंने उसके लंड को छोड़ दिया। तो वो बोला- यार, तुमने तो पूरा निचोड़ लिया? तो मैं मुस्कुरा दी और मन में सोचा कि बहुत दिनो बाद कोई लंड मिला था चूसने को पूरा चूसे बिना कैसे छोड़ देती। फिर वो बोला- रुचि, मुझको तुम्हारी चूत चाटनी है। तो मैं बोली- रोका किसने है? इतना सुनते ही उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ कर बेड पर टिकाया और मेरे दोनों पैर को सहलाने लगा, चूमने लगा। चूमते-चूमते वो मेरी जाँघों तक पहुँचा और मैं अपने नीचे वाले होंठ को अपने दाँतों से दबा कर उसके सहलाने को महसूस कर रही थी। जाँघों के बाद जैसे ही उसका हाथ मेरे चूतड़ों तक पहुँचा, मुझे मजा आने लगा और मैं बोली- सिर्फ़ हाथ से ही काम चलाओगे? तो उसने अपना सर मेरे स्कर्ट के अंदर डाल दिया और मेरी चूत के आसपास अपनी जीभ से चाटने लगा, वो अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ दबा रहा था। फिर उसने मेरी चूत के पास से मेरी पैंटी हटाया और अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा और मेरे मुँह से ‘उम्मआआह… आआ… आआउउ… उउउ…उउह’ की आवाज आने लगी। इस आवाज को सुन कर वह अपनी जीभ और अंदर की ओर डालने लगा और बोला- रूचि, मैं तुम्हारी पैंटी उतार देता हूँ। तो मैंने अपने कूल्हे थोड़े उठा लिए और उसने मेरी पैंटी को उतार दिया तो मैं फ्री महसूस करने लगी और मन में कह रहा था कि कब यह अपना बड़ा सा लंड मेरी चूत में डालेगा। सोच कर मेरे मन में खलबली मची हुई थी। फिर उसने मेरी स्कर्ट को थोड़ी ऊपर उठा दिया तब मेरी गाण्ड में थोड़ी हवा लगी और मेरा मन चुदने को बेकरार हो गई और वो अपने जीभ से मेरी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा और उसकी जीभ का खुरदरा भाग मेरी चूत की खुजली और बढ़ा रहा था। वो चाटता जा रहा था और मैं मजा लेकर चटवा रही थी। फिर वो ऊपर की ओर सर करके लेट गया और मैं उसके मुँह के पास अपनी चूत लेकर पहुँच गई, तब वो जीभ से मेरी चूत चाट रहा था और अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ दबा और सहला रहा था। और फिर सहलाते-2 उसकी उंगली मेरी गाण्ड की छेद के पास पहुँच गई, उसने अपनी उंगली मेरी गाण्ड में डाल दी। तभी मैं चीख उठी ‘उउउउआआह’ तो उसने अपने उंगली को थूक से भिगोया और मेरे गाण्ड में पेलने लगा। फिर वह मेरी गाण्ड में अपनी दूसरी उंगली भी घुसाने लगा और फिर कुछ देर में तेज़ी-2 से अन्दर बाहर करने लगा और मुझे मजा आने लगा, मैं अपने हाथों से अपनी ही चूचियों को दबाने लगी। फिर कुछ देर हम 69 पोजीसन में आ गये और कुछ देर एक दूसरे के चूत और लंड को चाटते रहे। फिर मैं बोली- अब अपने इस नागराज को मेरी प्यारी गुलाबी गुफा में जाने दो ! तो वो बोला- हाँ सच में ! उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को फैला कर अपने लंड को मेरी चूत के पास ले आया, लंड को मेरी चूत पर लगा और मैं मन ही मन यह सोच कर खुश हो रही थी कि आज बहुत दिनों के बाद मेरी चूत को फिर से लंड मिलेगा, मेरी चूत की खुजली मिट जाएगी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी और मैं बोली- शायद भैया आ गये हैं। मैं अपनी किस्मत को कोसने लगी और जल्दी से अपने कपड़े ठीक करके दरवाजा खोला तो सच में भैया ही थे। उन्होंने पूछा- अरमान कहाँ है? तो मैं बोली- बेडरूम में टीवी देख रहे हैं, आपका इंतजार कर रहे हैं। वो उसके पास गये, तब तक वो भी अपने कपड़े ठीक कर चुका था। उन दोनों ने कुछ देर बात की और फिर अरमान चला गया। और मुझे आज फिर अपनी चूत में उंगली से काम चलना पड़ा। तो दोस्तो, यह थी मेरी अधूरी चुदाई ! उसके बाद क्या हुआ जानने के लिए मेरी अगली कहानी का इंतजार करो। दोस्तो और मेरे भाईयो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी? मुझे जरूर मेल करना और मुझसे कुछ पूछना हो तो भी मेल करना ! मैं जवाब दूँगी ! मुझे आपकी मेल का इन्तजार है । आपकी बड़ी चूचियों और गुलाबी चूत वाली रूचि या चुदक्कड़ या जो भी समझें !
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