अपनी बहनने मुझे पति मान कर खुद को चुदवाया | Apni Bahanne Mujhe Pati Maan kar Khud ko Chudvaya - SexKahani

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हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम नीलू है और में रायपुर के एक कॉलेज में पड़ती हूँ मेरे घर में मेरा छोटा भाई और मम्मी पापा है. दोस्तों में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ.. वैसे यह एक कहानी नहीं, यह मेरी एक सच्ची घटना है जिसने मेरे जीवन को एकदम बदल कर रख दिया और यह घटना उस समय की है जब मेरी और मेरे भाई की गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी..

मेरे मम्मी, पापा ने हमे मतलब मुझे और मेरे छोटे भाई को जो मुझसे 6 साल छोटा है घूमने की इजाजत दे दी कि तुम लोग अपनी बड़ी बहन काजल के यहाँ रहने जा सकते हो.. जिसकी शादी नागपुर में पिछले 5 साल पहले हुई थी और वो मेरे जीजाजी सुरेश के साथ एक छोटे से फ्लेट में रहती थी. तो मेरे जीजाजी मेरी कज़िन सिस्टर काजल को बहुत मारते थे और वो दारू भी बहुत पीते थे.. लेकिन फिर भी दीदी उनकी सब बात मानती थी और उन्हे बहुत प्यार करती थी और जब उन्हे पता चला कि हम दोनों आ रहे है तो वो बहुत खुश थी.

फिर हम दोनों नागपुर स्टेशन पहुंचे तो देखा कि जीजाजी हमे लेने आए हुए थे और उनकी नज़र मुझ पर अटक गयी.. क्योंकि वो हम से बड़े दिनों के बाद मिल रहे थे. तो अब तक में एक छोटी सी बच्ची से एक जवान, खुबसूरत लड़की हो चुकी थी.

फिर वो मेरे पास आए और उन्होंने मेरे माथे पर एक किस किया और मुझे गले लगाया और जैसे ही उन्होंने मुझे गले लगाया मेरे बूब्स एकदम उनके स्पर्श से टाईट हो गये और मेरे पूरे जिस्म में एक सनसनी दौड़ गयी और फिर उन्होंने सोनू को भी गले लगाया. फिर हम जैसे तैसे उनके घर पर पहुंचे.. जो बहुत दूर एक सुनसान इलाक़े में था.. लेकिन हमे काजल दीदी से मिलने पर बहुत ख़ुशी हुई. फिर हमने उन्हे बताया कि हम दो महीनों के लिए यहाँ पर आए है.. तो वो और भी खुश हो गयी. फिर जीजाजी ने कहा कि चलो तुम लोग फ्रेश हो जाओ थक गए होंगे.. अब वैसे सोनू को जैसे आज़ादी मिल गई हो वैसे ही उसने कहा कि में नहीं थका हूँ और में नीचे खेलने जा रहा हूँ और में सूटकेस से सामान निकालने लगी और जीजाजी काजल दीदी के साथ किचन की तरफ चले गये.. में कुछ उनके लिए सर्प्राइज़ लाई थी.. इसलिए चुपके से उनके पीछे गयी तो जीजाजी काजल दीदी को पकड़कर धीरे धीरे कह रहे थे कि यार नीलू तो बहुत मस्त माल बन गयी है और साली तो सही में आधी घरवाली होती है.. कहकर हंस रहे थे.

फिर में तो उनकी यह सब बातें सुनकर पानी पानी हो गयी और फिर वापस रूम में चली गयी. मेरे जीजाजी कहीं कपड़े की दुकान पर नौकरी करते थे और हर दिन दोपहर में 2-3 घंटे के लिए घर आ जाते थे और फिर शाम को दुकान पर चले जाते थे. तो धीरे धीरे रात हो गयी थी और हम सब जब खाना खाने एक साथ बैठे हुए थे तो जीजाजी मुझे घूर घूरकर देख रहे थे और दीदी को कह रहे थे कि दो दिन बाद होली है.. नीलू को बहुत रंग लगाएँगे और सोनू को भी.. तो सोनू यह बात सुनकर बोला कि फिर तो बहुत मज़ा आएगा और जीजाजी सोनू के साथ प्लॅनिंग कर रहे थे और में, दीदी रूम में जाकर बिस्तर लगा रहे थे.

मैंने दीदी से बोला कि दीदी यहाँ पर तो सिर्फ एक ही बेड है इस पर हम लोग कैसे सोएंगे? तो दीदी तपाक से बोली कि तू अपने जीजाजी के साथ बेड पर सो जाना और में, सोनू के साथ नीचे ज़मीन पर. तो में एकदम घबराकर बोली कि ना बाबा ना आप ही सोना जीजाजी के साथ और फिर हम सो गए.. लेकिन रात भर मुझे नींद नहीं आई एक तो बहुत मच्छर थे और उस पलंग की बहुत आवाज़ आ रही थी.

फिर दूसरे दिन जीजाजी ने कहा कि शॉप की 6 दिन के लिए छुट्टियाँ है तो हम सब बहुत मज़े करेंगे और मेरी तरफ देखने लगे. तो इतने में मैंने कहा कि आज इसी बात पर खाना में बनाउंगी और दीदी मान गयी. फिर जीजाजी और दीदी कुछ बहुत धीरे धीरे बात कर रहे थे और में चुपके से सुन रही थी.. क्योंकि रूम किचन के बिल्कुल पास में था.. जीजाजी, दीदी को कह रहे थे प्लीज कुछ ऐसा करो कि नीलू एक बार मान जाए बहुत मज़ा आएगा. तो दीदी बोली कि बिल्कुल नहीं.. किसी को पता चल जाएगा तो मुसीबत आ जाएगी और जीजाजी बहुत ज़ोर दे रहे थे.

दीदी बोली कि ठीक है में कोशिश करती हूँ और मैंने बस इतना ही सुना और में खाना बनाने लगी. तो दिन को हम सब खाना खाने बैठे तो जीजाजी मेरे खाने और मेरी तारीफों के पुल बांध रहे थे.. मैंने दीदी से बोला कि देखो जीजाजी मुझे छेड़ कर रहे है. तो दीदी हंसी और बोली कि साली के ऊपर तो जीजा का पूरा हक बनता है और में शरमा गयी और जैसे तैसे रात हुई.

फिर जब हम सोने जा रहे थे.. जीजाजी बोले क्यों नीलू कल नींद तो अच्छी तरह से आई थी ना? और मैंने भी उन्हे छेड़ते हुए कहा कि आपकी वजह से नहीं आई. तो जीजाजी बोले कि मुझे पता है छोटा सा रूम है और तुम कल नीचे सोई थी.. लेकिन कोई बात नहीं आज में नीचे सो जाता हूँ और यह बात सुनते ही सोनू बोला कि में अकेले नीचे सो जाता हूँ आप तीनों ऊपर पलंग पर सो जाओ. तो यह बात सुनते ही में मना करने लगी.

थोड़ी देर बाद काजल दीदी एक बहुत ही सेक्सी गहरे गले का बिना बांह वाला छोटा गाऊन पहन कर आई और मुझसे बोली कि तू ऊपर नहीं सोएगी तो में सोनू के साथ नीचे सो जाउंगी. तो यह बात सुनकर में मान गयी. मैंने भी एक ढीला ढाला आगे से खुला हुआ गाऊन पहना हुआ था. फिर पलंग के एक तरफ जीजाजी एक तरफ में और बीच में दीदी सोई हुई थी और सुबह जब में उठी तो सब सो रहे थे और में देखकर हेरान रह गयी.. मेरे गाऊन के सारे बटन खुले हुए थे और मेरी ब्रा पेंटी साफ साफ दिख रही थी और दीदी का भी गाऊन उतरा हुआ था और मेरी नजरें दीदी के बूब्स पर गई जो कि बहुत बड़े थे.. लेकिन मुझसे कम और उनके पेट पर एक आक्रति बनी हुई थी और चूत गीली थी. बिस्तर से भी कुछ महक आ रही थी. जीजाजी उस तरफ मुहं करके सोए हुए थे. तो में एकदम बहुत घबरा कर जल्दी से उठी अपना गाऊन ठीक तक किया और टॉयलेट में जाकर ज़ोर ज़ोर से फ्लश की आवाज़ करने लगी.. ताकि सब जाग जाए और फिर ऐसे ही हुआ.

फिर उस दिन जीजाजी घर पर ही थे क्योंकि कल होली थी.. तो दीदी बोली कि हम लोग आज कुछ स्पेशल बनाते है और उस दिन हम दोनों सुबह से किचन में थे. तो बातों ही बातों में दीदी ने मुझसे पूछा कि तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? तो मैंने साफ मना कर दिया और फिर मैंने भी दीदी को छेड़ते हुए बोल ही डाला कि कल रात को क्या क्या किया आपने और जीजाजी ने.. मैंने हंसते हुए कहा? और आपने पेट पर वो आक्रति कहाँ से बनवाई.. वो बहुत अच्छी लग रही थी.

दीदी हंसी और बोली कि क्या तूने कल वो सब कुछ देख लिया? तो मैंने कहा कि क्या? फिर दीदी बोली कि यह तो किसी भी रात मुझे नहीं छोड़ते है और आज तो यह कहकर गये है कि थोड़ा लेट हो जाएगा क्योंकि वो दारू पीकर आएँगे.. कल होली है ना इसलिए और वो आक्रति तेरे जीजाजी ने ही बनाई है.. उनके पास एक मशीन है और वो बोली कि क्या तुझे भी बनवानी है? तो में इनको बोल दूँगी और फिर मैंने मना कर दिया.

फिर मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए पूछा कि दीदी क्या आप रोज़ सेक्स करती हो? तो दीदी बोली कि इसमे इतनी शरमाने वाली क्या बात है? इनका लंड ही इतना बड़ा सुडोल और मस्त है कि मुझसे रहा नहीं जाता और दीदी ने चान्स मारते हुए कहा कि तुझे भी सेक्स करना है क्या? और दीदी बोली कि तेरे बूब्स तो मेरे से भी बड़े है.. उन्होंने चिकोटी काटते हुए कहा और में वहाँ से भाग गयी.. लेकिन दिन भर मुझे कुछ कुछ हो रहा था. एक अजीब सी खुजली हो रही थी और मेरी चूत भी दिन भर एकदम गीली थी और में दीदी की बात को सोचे जा रही थी. फिर ऐसे ही दिन गुज़र गया..

रात को दीदी ने बिस्तर लगा दिए और हमने अपने गाऊन भी पहन लिए और सोनू भी सो गया था. तो दीदी और में बात कर रहे थे.. दीदी बोल रही थी देखना यह पीकर आएँगे और इनका सब काम मुझे करना पड़ेगा और इतने में घंटी बजी और दीदी दरवाजा खोलने गई. तो जीजाजी थोड़ा लड़खड़ाते हुए अंदर आए और मुझसे बोले कि यार सॉरी वो कल होली है.. इसलिए दोस्तों ने ज़बरदस्ती पिला दी है. हम कल सुबह बात करते है और वो हैप्पी होली कहकर बिस्तर पर धम से गिर पड़े और में एकदम से डर गयी.

फिर दीदी बोली कि देखा ना ऐसा ही करते है और दीदी नीचे झुककर उनके जूते, मोजे उतार रही थी तो एकदम साफ दीदी के बूब्स लटकते हुए नज़र आ रहे थे और उन्होंने जीजाजी की शर्ट को भी उतार दिया.. फिर बेल्ट निकालने लगी तो वो बड़ी मुश्किल से हिला हिलाकर निकली. फिर पेंट के हुक खोले और उसे उतारने की कोशिश कर रही थी और मुझे बोली कि नीलू मेरी थोड़ी मदद कर इनकी पेंट मुझसे नहीं उतर रही है. तो मैंने उनकी मदद की और उनकी पेंट उतर गई और अब जीजाजी सिर्फ़ अंडरवियर में थे.. जिसे में बहुत ध्यान से देखे जा रही थी और सोच रही थी कि दीदी अब मुझसे अंडरवियर भी ना उतारने के लिए कहे और जीजाजी के बदन से मेरी आँखें नहीं हट रही थी. क्या मस्त बॉडी थी उनकी सीना चौड़ा और अंडरवियर के अंदर कोई बहुत बड़ी सी चीज़ जो बाहर आने के लिए बेताब हो एसी नजर आ रही थी. तो अचानक से दीदी ने मुझे देख लिया कि में जीजाजी के लंड की तरफ देख रही हूँ और उन्होंने मुझसे कहा कि यह वही सांप है जो रोज़ मुझे डसता है.. क्या तुझे देखना है तो बता?

तो में कुछ नहीं बोल पा रही थी और मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या जवाब दूँ? में बस देखे जा रही थी और इतने में देखते ही देखते दीदी ने अंडरवियर को एक झटका देकर खींच दिया और लंड को बाहर निकालकर सलहलाने लगी. तो में देखकर मुस्कुरा रही थी और मुझे डर लग रहा था कि कहीं जीजाजी उठ ना जाए? दीदी बोली देख इन्हे कितना मज़ा आ रहा है.. में तो बस देखे ही जा रही थी. उनका इतना बड़ा और मोटा था कि बस पूरी चूत गीली हो रही थी. फिर दीदी बोली कि तू भी एक बार इस सांप को पकड़कर देख कितना मज़ा आता है और उन्होंने मेरा हाथ खीचकर लंड पर रख दिया और बोली कि ऊपर नीचे करके देख कितना मज़ा आएगा. फिर मैंने जैसे ही हाथ रखा वो इतना गरम था और इतना मोटा, सख्त, लंबा कि मेरे पूरे बदन में सनसनी सी दौड़ रही थी. मेरे हाथ रखने के कुछ देर बाद जीजाजी ने मुहं से आवाज़ निकाली और मैंने एकदम हाथ हटा दिया और सो गयी.

दीदी ने लाईट बंद की और दीदी मेरे पास में लेटकर मेरे बूब्स को पकड़कर बोली कि क्यों नीलू सांप को देखने से इतनी घबरा रही हो कि ठंड के मारे तुम्हारी कंपकपी छूट रही है और अगर वो काट लेता तो क्या होता? वो हंस पड़ी और सो गयी.

में रात भर सो नहीं पाई और मेरे दिमाग़ में अजीब अजीब ख़याल आ रहे थे. में उस मोटे और तगड़े लंड के बारे में सोच रही थी और अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि जीजाजी पूरे नंगे मेरे पास में सोए थे और दीदी हमारे बीच में नहीं थी और मेरे गाऊन के बटन भी खुले हुए थे.. जीजाजी मु मु मु कर रहे थे और अचानक से उन्होंने मेरे बूब्स नींद में पकड़ लिए और दबा रहे थे. बहुत सख्त हाथ थे उनके.. उन्होंने मेरे बूब्स को मसल मसल कर लाल कर दिया और मुझे भी मज़ा आ रहा था. तो मैंने सोचा कि यह तो मेरे जीजाजी है में इनके साथ कैसे यह सब कर सकती हूँ और दीदी के आने की आहट से में घबराकर उनसे अपने आपको छुड़ाकर उठ गयी और बाहर हॉल में आ गयी.

दीदी हॉल में आई और बोली कि हैप्पी होली.. आज तो बहुत मज़ा आएगा और होली वाले दिन में बहुत घबराई हुई थी और जीजाजी उठ गये थे.. लेकिन में उनसे नज़रें चुरा रही थी और दीदी मंद मंद मुस्करा रही थी और सोनू तो सुबह से ही रंग के गुब्बारे और अपनी पिचकारी के साथ व्यस्त था. तो दीदी, जीजाजी कुछ धीरे धीरे कह रही थी.. शायद कल रात वाली बात के बारे में और फिर दीदी हॉल में आकर बोली कि जल्दी से पुराने कपड़े पहन ले वरना कोई भी रंग लगा देगा और फिर होली खेलकर हम सब खाना खाएगें.. आज मैंने चिकन लोलीपोप बनाया है और इतने में जीजाजी बोले लोलीपोप खाया नहीं चूसा जाता है.. तो सब हंसने लगे और में रूम में भाग गयी.. लेकिन पुराने कपड़े मेरे पास नहीं थे..

मैंने दीदी से बोला कि उनके पास पुराने कपड़े है क्या? तो दीदी बोली कि हाँ है और उन्होंने मुझे एक लाल कलर का टॉप दिया जो बहुत टाईट था और एक स्कर्ट दी जो कुछ छोटी सी थी.

फिर दीदी बोली कि यह मेरे हनिमून में इन्होने मुझे गिफ्ट दिया था.. तब में बहुत पतली दुबली थी और मैंने उसे पहन लिया और कांच में देखा तो मेरे बूब्स उसमे बहुत बड़े नज़र आ रहे थे और कमर एकदम पतली और गांड पीछे से निकली हुई थी और मुझे बहुत शरम आ रही थी.. क्योंकि वो टॉप इतना टाईट था कि मेरी निप्पल उसमे से एकदम साफ नज़र आ रही थी और बड़ी मोटी मोटी लग रही थी. तो जीजाजी ने जैसे ही मुझे देखा तो वो बोले कि नीलू क्या सेक्सी दिख रही हो? मुझे तुम्हे देखकर अपने हनिमून की याद आ गयी.

फिर दीदी बोली कि बस एक अंतर है मेरे बूब्स थोड़े छोटे थे.. इसके बहुत बड़े है और में नीचे मुहं करके किचन में चली गयी. तो जीजाजी, दीदी से कह रहे थे कि आज मेरा कैसे भी काम बनवा दो प्लीज और इतने में सोनू पूरा रंग डलवाकर आया और बोला कि बाहर उसे किसी ने रंग के ड्रम में डाल दिया और में उसे नहीं छोड़ूँगा. फिर उसने एक बाल्टी में बहुत गाढ़ा रंग बनाया और सब रंग डालकर बाहर जा रहा था. तभी जीजाजी ने कहा कि बस हो गयी होली.. तू अब कहीं नहीं जाएगा.. लेकिन वो सुनने वाला कहाँ था.

तो जीजाजी उसे डांटते हुए बोले कि जाकर नहा ले और नीलू रंग उतारने में उसकी मदद कर दो.. तो सोनू बोला कि में कर लूँगा. तो जीजाजी गुस्से में उससे बोले कि चल जल्दी से अपने कपड़े उतार. इतने में सोनू बाथरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतारकर खड़ा था और जीजाजी बोले कि नीलू साफ करने में मदद करो और मैंने उसका लंड कभी नहीं देखा था वो भी ठीक ठाक था और में मन ही मन में जीजाजी के लंड के साथ उसकी तुलना कर रही थी और फिर रंग उतारने में व्यस्त हो गयी और नीचे बैठकर उसके पेट पर साबुन लगा रही थी. तो सोनू का लंड मेरे मुहं से छू रहा था. तभी जीजाजी पीछे खड़े थे वो बोले कि अब सब जगह से रंग उतर गया है और उन्होंने कहा कि लंड पर भी साबुन लगाओ और ऊपर नीचे करके रगड़ो. तो सोनू बोला कि में खुद ही कर लूँगा.

फिर जीजाजी चिल्लाते हुए बोले कि चल लगवा साबुन और में साफ कर रही थी और ना जाने कब जीजाजी ने वो सोनू ने जो रंग भरी बाल्टी बनाई थी.. पीछे से मेरे ऊपर डाल दी और बोले हैप्पी होली. तो में ठंड में कांप रही थी और मेरी पूरी भीगी हुई थी स्कर्ट और टॉप चिपक गये और मेरे बूब्स तन गये थे.. गांड साफ नज़र आ रही थी और सोनू मज़े कर रहा था. तो वहाँ पर दीदी भी आ गयी और उन्होंने मुझे और भी रंग लगाया और जीजाजी को भी लगाया और रंग लगाते लगाते हम फ्लेट के बरामदे में आ गये और सोनू नीचे चला गया और जीजाजी, दीदी से बोले कि पकड़ो नीलू को.. आज में इसे अच्छी तरह रंग लगता हूँ और यह कहकर उन्होंने मुझे कमर पर और फिर अपना हाथ आगे बड़ाते हुए मेरे टॉप के अंदर बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाया में चिल्ला रही थी.. लेकिन वो दोनों हंस रहे थे और जीजाजी ने मेरी जांघो पर, गर्दन पर और सब जगह रंग लगाया. तो मैंने गुस्सा होकर अंदर रूम वाले टॉयलेट में अपने आपको बंद कर दिया.. फिर दीदी आई और बोली कि पगली क्या कोई ऐसे रोता है क्या रंग लगाने से? वो तेरे जीजाजी है चल अब खोल जीजाजी यहाँ पर नहीं है.

फिर मैंने डर के मारे थोड़ा सा दरवाज़ा खोला और में दीदी से बहुत नाराज़ हुई और बोली कि जीजाजी ने मेरे बूब्स पर इतने ज़ोर से नाख़ून लगाया है कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. क्या कोई ऐसे कोई करता है? तो काजल दीदी बोली कि चल में तेरा रंग उतार देती हूँ और यह कहकर वो मेरी स्कर्ट उतारने लगी तो में बोली कि में खुद ही कर लूँगी. तो वो बोली कि तू मेरा रंग उतार और में तेरा.. में बोली कि मुझे शरम आती है. तो वो बोली कि में तेरी बहन हूँ और तूने तो मेरा सब कुछ देख ही लिया है और मैंने भी देखा है फिर शरमाने की क्या बात है.

फिर में मान गयी और अपनी स्कर्ट, टॉप को उतार दिया और दीदी भी ब्रा, पेंटी में थी और बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था क्योंकि बाथरूम बहुत छोटा था. तभी अचानक से जीजाजी रूम में आ गये और बोले कि मेरा भी रंग उतारो भाई और यह कहकर उन्होंने रूम का दरवाजा बंद कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगे और बाथरूम में आ गए. तो में बहुत हैरान हो गयी और में दीदी से बोली कि यह सब ठीक नहीं है.. मुझे बाहर जाना है.

फिर दीदी ने कहा कि साली तू शरमाती बहुत है आज यह तेरी शरम उतारनी पड़ेगी और वो जीजाजी से बोली कि आप ही समझाओ इसे और दीदी बोली कि बाहर चल.. उन्होंने मेरी ब्रा उतार फेंकी और मेरे दोनों कपड़ो को जल्दी से खींचकर फाड़ दिया और जीजाजी ने अंदर आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया. में छटपटा रही थी, चिल्ला रही.. लेकिन मुझे बचाने वाला वहाँ पर कोई नहीं था.

फिर दीदी ने मेरे दोनों हाथ आगे से हाथ पकड़ लिए और जीजाजी पूरे नंगे हो गये थे और उनका लंड मेरी गांड को छू रहा था और वो मेरे बूब्स को दबाए जा रहे थे और दीदी साबुन को मेरे पैरों पर, जांघो पर, और मेरे पूरे बदन पर लगाए जा रही थी.

तो जीजाजी मेरे पूरे बदन को सहला रहे थे और मानो मेरे जिस्म में हजारों बिजलियाँ दौड़ रही थी.. लेकिन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और अब तक दीदी मेरी पेंटी को नीचे गिरा चुकी थी और अपनी एक ऊँगली को मेरी चूत पर बार बार रगड़ रही थी और साबुन लगा रही थी. फिर कुछ देर बाद वो बहुत तेज़ी से अंदर बाहर अपनी ऊँगली करने लगी और जीजाजी ने मुझे इतने ज़ोर से पकड़ा हुआ था कि में छटपटा रही थी और दीदी से कह रही थी और करो अह्ह्ह ह्म्‍म्म्मा ओहूऊऊऊः करे जा रही थी.

फिर जीजाजी मेरे सामने आए और उन्होंने मुझे ज़ोर से गले लगाया और मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाए जा रहे थे. निप्पल को चूसे जा रहे थे और वो एक हाथ से अपनी ऊँगली को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे. तो मैंने उनका लंड देखा और बोला कि जीजाजी यह कितना बड़ा हो गया है और उस सख्त लंड की नसे भी दिखाई दे रही थी.

फिर दीदी ने कहा कि नीचे बैठ जा और में नीचे बैठी.. तो वो बोली कि दोनों पैर को फैला और मैंने वैसे ही किया. फिर दीदी ने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में और एक चूत में डालना शुरू किया और में जीजाजी का लंड पकड़कर सहला रही थी और फिर उन्होंने मुझसे कहा कि चूसो इसे.. फिर में ज़ोर ज़ोर से लंड की टोपी मुहं में अंदर बाहर कर रही थी और दीदी उतनी ही तेज़ी से मेरी चूत, गांड में उंगली कर रही थी और जीजाजी ज़ोर ज़ोर के झटके से मुहं में लंड दबा दबाकर अंदर बाहर कर रहे थे और में आहह उह्ह्ह कर थी थी. फिर उन्होंने मुझे नीचे लेटा दिया और मैंने बोला कि जीजाजी यह बहुत मोटा है.. लेकिन दीदी ने ऊपर से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए थे और वो बोली कि सुरेश इस साली की चूत में लंड एक बार में अंदर जाना चाहिए. तो जीजाजी ने जोश ही जोश में मेरी चूत के अंदर लंड को इतनी ज़ोर से डाला कि मेरी बहुत ज़ोर से चीख निकल गयी और आखों से आंसू बाहर आ गये.. में जोर से चीखी.. फट गई मेरी चूत, प्लीज बाहर निकालो अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह बचाओ माँ.. मेरी चूत फट गयी.

दीदी मेरे बूब्स और निप्पल को नोंचे जा रही थी और जीजाजी अंदर बाहर लगातार करते रहे और में चिल्लाती रही.. फिर उसने मेरे पैर और फैला दिए और वो ज़ोर ज़ोर से झटके देकर लंड को अंदर डाले जा रहे थे. में उईई माँ उईईइइममाआ आवाज़ किए जा रही थी और ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी.. लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं सुन रहे थे. तो दीदी ने कुछ इशारा किया और जीजाजी ने मुझे पीछे पलटा. तो दीदी ने साबुन उनके लंड पर लगा दिया और थोड़ा मेरी गांड पर रख दिया.

तो में बोली कि दीदी पीछे नहीं जाएगा.. जितना करना है आगे ही कर लो प्लीज.. में आपका लंड और चूस देती हूँ.. लेकिन जीजाजी ने मेरी एक नहीं सुनी और बोले कि उठ कुछ नहीं होगा.. में बस धीरे धीरे धक्के दूंगा और कहने बाद दीदी ने मुझे झुकाया और जीजाजी को आँख मारी और जीजाजी ने ऐसा झटका मारा कि लंड मेरी गांड में घुसता चला गया और में बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी.. लेकिन मेरी कोई नहीं सुन रहा था और दीदी हँसे जा रही थी. वो झटके पर झटके मारते चले गये और 10 -15 झटके के बाद में मरे जा रही थी और में अधमरी सी हो गयी थी और फिर जीजाजी जब झड़ गये तो उनका पूरा वीर्य मेरी गांड के अंदर चला गया और मुझे मेरी गांड में इतनी जलन हो रही था कि में क्या बताऊँ. फिर पूरी चुदाई होने के बाद दीदी ने मुझे नहलाया और बेड पर लेटा दिया.. में चल भी नहीं पा रही थी. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. फिर अचानक से मेरी आखं लग गई और में करीब 4 घंटे बाद सोकर उठी तो मेरा दर्द ख़त्म हो चुका था. दीदी मेरे पास आई और पूछा कि मजा आया.. तो मैंने भी जवाब में एक स्माईल दे दी. दीदी ने खुश होकर मुझे गले से लगा लिया और बोली कि अब तो तेरी शर्म उतर चुकी है.. अब तू भी हमारे साथ चुदाई के मजे ले.. लेकिन ध्यान रखना कि यह बात किसी को पता नहीं लगनी चाहिए. में दीदी से बोली कि आप चिंता मत करो.. में किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी.

दोस्तों फिर उसके बाद तो में जीजाजी की दूसरी बीवी बन गई थी. दीदी और जीजाजी भी बहुत खुश थे. अब हम तीनों चुदाई के फुल मजे लेने लगे थे. सेक्स में ऐसा कोई काम नहीं था जो हमने नहीं किया हो. दीदी जीजाजी के लंड को पकड़कर मेरी चूत पर रखती और में अपनी चूत खोलकर उसे पूरी मस्ती के साथ स्वीकार करती थी. कभी दीदी मेरे सामने जीजाजी से चुदवाती तो कभी में उनके सामने जीजाजी के लंड पर कूदती. उन दो महीनों में मैंने अपनी चूत और गांड को जीजाजी से बहुत चुदवाया.. फिर दो महीने बाद हम अपने घर वापस लौट आये. आज मुझे मेरा जीवन बिना लंड के अधूरा लगता है.. क्योंकि दो महीने तक चुदवाने के बाद तो मेरी चूत को लंड का जोरदार चस्का लग चुका है. आज भी रोज जब मेरी चूत में आग लगती है तो मेरी दो उँगलियाँ चूत में जाती है और उसे ठंडी करके ही वापस बाहर आती है.

मेरी सुहागरात बड़ी गजब की दुर्घटना बनी | Meri Suhag Raat Badi Gajab ki Durghtna Bani

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हाय फ्रेंड्स, कैसे हैं आप सब ? मैं आशा करती हूँ कि आप सब अच्छे होंगे | मेरा नाम अनुपमा है और मैं बांधवगढ़ की रहने वाली हूँ | मेरी उम्र 29 साल है और मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ | मेरी शादी अभी अभी हुई इसलिए मेरे कोई भी बच्चे नहीं हैं | मैं दिखने में गोरी हूँ और मेरी हाईट five फुट five इंच है और मेरा बदन बहुत ही सेक्सी है | मेरे मम्मे बड़े हैं और मेरे चूतड भी बड़े और गोल हैं | दोस्तों मैं इस चुदाई की कहानियां कभी नहीं पढ़ी और न ही मैं पढना चाहती हूँ वो तो मेरी एक दोस्त ने बतया था कि इसमें बहुत ही मजेदार चुदाई की कहानियां पोस्ट होती हैं लेकिन फिर भी मैं नहीं पढ़ती | आज जो मैं आप लोगो के लिए कहानी लिखने जा रही हूँ ये मेरी पहली कहानी और मेरे सुहागरात की कहानी है | तो कृपया इसे मजे ले कर पढना और मैं आशा करती हूँ कि आप सब को मेरी कहानी जरुर उत्तेजित कर देगी | तो अपने लंड और चूत संभल लो क्यूंकि मैं अपनी कहानी शुरू करने जा रही हूँ |

ये घटना मेरे सुहागरात वाले दिन की है | मेरे घर में, मम्मी पापा, एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन, भाभी और उनका बेटा रहते हैं | पापा आर्मी में बहुत बड़े रैंक पर हैं और मम्मी हाउसवाइफ हैं | बड़ा भाई भी आर्मी में है और मेरी छोटी बहन जॉब करती है | मैं भी शादी के पहले जॉब करती थी लेकिन शादी के बाद मैंने जॉब छोड़ दी | कॉलेज पढ़ते समय से मैं जॉब करती थी और फिर एक दिन पापा ने कहा कि बेटा तुम्हारे लिए एक रिश्ता आया है | मैंने पुछा कि पापा आप लोगो ने मुझसे पुछा क्यूँ नहीं ? तो उन्होंने कहा बेटा हम तुम्हारी शादी नहीं कर रहे हैं बस तुम एक बार मना कर डौगी तो शादी नहीं करेंगे लेकिन एक बार रिश्ता देखने में तो कोई बुरे नहीं है | मैंने भी पापा की बात रख ली और जब लड़के वाले आये तो मैंने देख कर ही मना कर दिया क्यूंकि वो लड़का नाटा और भोंदू टाइप का था | उसके बाद तो आये दिन मेरे लिए रिश्ते आने लगे | मैं भी कब तक मना कर पाती | आज नहीं तो कल मुझे शादी तो करनी ही पड़ती | एक दिन हमारे घर फिर से लड़के वाले आये और जो लड़का मुझे देखने आया था वो बहुत ही हेंडसम था और उसकी कदकाठी सब बहुत सॉलिड थी | वो जिम भी जाता है और जॉब भी करता है | मैंने अपने घर वालो से कह दिया कि मैं इससे शादी करुँगी | उसके बाद हमारी सगाई हो गई और हम दोनों कि फिर फ़ोन पर बात होना और कभी कभी घुमने जाना होने लगा | सगाई के कुछ महीने बाद शुभ मुहूर्त में हमारी शादी भी हो गई | शादी के समय हम दोनों बहुत खुश थे क्यूंकि ये रिश्ता किसी दबाव में और बिना किसी दहेजप्रथा के हो रही थी | जब शादी का पूरा कार्यक्रम हो गया और फिर हम दोनों ने थोडा रेस्ट किया | उसके बाद मेरी सुहारात की बारी आई तो रूम तो पहले से ही एक आलिशान होटल में बुक था | मेरे पति और मैं उनकी कार में होटल पंहुचे और फिर सबसे पहले साथ दूध का आर्डर दिया उन्होंने | मैं शांति से बेड पर बैठी थी घूँघट ओड़ के फिर

वो मेरे पास आये तो मैंने उन्हें दूध उठा कर दिया | उन्होंने कहा कि जानेमन पहले तुम पियो | फिर मैंने एक घुट पिया और फिर उनको दिया फिर उन्होंने एक घुट पिया | ऐसा ही करते करते हम दोनों बारी बारी से दूध पी कर खत्म किया | उसके बाद उन्होंने मेरा घूंघट उठाया और मेरे चेहरे को अपनी तरफ कर के कहा तुम बहुत सुन्दर लग रही हो | मैंने ये सुन कर थोडा सा मुस्कुराया तो उसने मेरे घूंघट को पूरा हटा दिया | और मेरे गाल पर अपने हाँथ फेरने लगा | मुझे उनका छूना अच्छा लग रहा था तो मैं उन्हें मना नहीं कर रही थी | उसके बाद उनहोंने मेरे होंठ में अपने होंठ रख दिया और मेरे होंठ को चूसने लगे तो मैं भी उनका साथ देते हुए उनके होंठ को चूसने लगी | वो मेरे होंठ को चूसते हुए मेरे हाँथ को सहला रहा था और मैं उनके होंठ को चूसते हुए उनके गले पर अपने हाँथ रख दिया | वो काफी अच्छे से मेरे होंठ को चूस रहे थे और मैं भी | उसके बाद उन्होंने अपने कोर्ट को उतार दिया और मैंने उसी बीच में रोक दिया | फिर मैं खुद ही एक एक बटन को प्यार से खोलते हुए उतार दी कोर्ट और फिर शर्ट को भी उतार दिया | उनके चेस्ट पर अपने हाँथ फेरते हुए एक हाँथ से उनके बेल्ट को खोल कर पेंट भी उतार दी | अब वो मेरे सामने सिर्फ अंडरवियर में थे | फिर मैंने उनकी अंडरवियर को भी उतार दिया और उसके बाद उनके लंड से खलने लगी | उन्होंने मुझसे पूछा कि कैसा है मेरा लंड ? तो मैंने कहा कि आपका लंड बहुत ही मस्त है | फिर मैंने उनके लंड पर अपनी जीभ फेरने लगी तो उनके मुंह से आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिस्कारियां निकलने लगी | मैं उनके लंड को हर तरफ से चाट कर गीला कर रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मेरे कपड़े उतार रहे थे | फिर मैंने उनके लंड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां लेने लगे | मैं उनके लंड को जोर जोर से आगे पीछे करते हुए चूस रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मजे ले रहे थे | उसके बाद मैंने उनके दोनों अन्टोलो को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रहे थे | फिर उन्होंने मुझे उठाया और मेरे दोनों मम्मे दबाने लगे तो मैं भी आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां लेने लगी |
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उसके बाद उन्होंने मेरे मम्मे अपने मुंह में ले कर चूसने लगे और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए उनके सिर को सहलाने लगी | वो मेरे मम्मों को जोर जोर से मसल कर चूस रहे थे और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी | फिर उन्होंने मुझे लेटा दिया और मेरी टांगो को फैला दिए और मेरी चूत को चाटने लगे और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी | वो मेरी चूत को बड़े ही प्यार से धीरे धीरे जीभ से चाट रहे थे और चूत के दाने को भी चूस रहे थे और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मदहोश हो रही थी | उसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में रखा और सहलाते हुए अन्दर डाल दिया और धीरे धीरे धक्के मारते हुए चोदने लगे तो मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए चुदाई के मजे लेने लगी | कुछ देर बाद उन्होंने अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दिए और जोर जोर से धक्के मारते हुए चोदने लगे तो मैं भी आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए अपनी कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी | फिर उन्होंने मेरी एक टांग अपने कंधे में रख लिए और फिर अन्दर डाल दिए और चोदने लगे और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी | वो बहुत ही जोर जोर से मेरी चूत को चोद रहे थे और साथ में निप्पलस भी मसल रहे थे और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए आँख बंद कर के चुदवा रही थी | कुछ देर बाद उन्होंने मेरे मुंह के अन्दर अपना माल गिरा दिया जिसे मैं पूरा चाट गई | तो फ्रेंड्स, ये है मेरी कहानी | आशा करती हूँ कि आप लोगो को मेरी कहानी अच्छी लगी होगी |

जवान भाभी( सन्नी लियोन) की चूत का लगा चस्का Jawan Bhabhi(Sunny Leone) ki Chut ka Laga Chaska

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हेल्लों दोस्तों, कैसे हैं आप सभी उम्मीद करता हूँ कि आप सभी कुशल मंगल होंगे और अपना जीवन सुखी से जी रहे होंगे | मेरा नाम गुरप्रीत है और मैं अमृतसर पंजाब से हूँ | मेरी उम्र 18 साल है और मैं कॉलेज का छात्र हूँ पर मैं प्राइवेट पढाई कर रहा हूँ क्यूंकि मैं जॉब भी करता हूँ कंप्यूटर ऑपरेटर की | मेरी हाईट 6 फुट है और मेरी हैल्थ फिट है | मेरे घर में मैं, मम्मी-पापा और भाभी रहते हैं, मेरे भैया जो कि 30 साल के थे उनकी कैंसर से मौत हो चुकी थी और उनकी मौत को three बीत चुके हैं | ये कहानी मेरे और मेरी भाभी के बीच की है जिनका नाम सन्नी लियोन है | जो मैं आप लोगों को इस कहानी के माध्यम से बताने वाला हूँ |
तो अब मैं कहानी शुरू करता हूँ बिना आप लोगों को बोर करते हुए | ये बात जनवरी 2017 कि है जब मैं कुछ भी नहीं करता था और घर पर ही ज्यादा टाइम बिताता था और सरकारी नौकरी कि तैयारी करता था | मेरी भाभी एक सॉलिड आइटम हैं जिसका फिगर लाजवाब है कोई भी उसे देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाये और उसे चोदने का मन बना ले क्यूंकि मेरी भाभी का फिगर ही कुछ ऐसा है | बड़े बड़े परकी दूध हैं और कमर एक दम भरी हुई और गांड हाय गांड इतनी मस्त है मेरी भाभी कि की क्या बताऊ दोस्तों गदरायी हुई थी गांड और चौड़ी सी उठी और आज भी उसकी गांड वैसी ही है | मैं अपने कमरे में रह कर पढाई करता था और भाभी मेरे लिए कभी चाय तो कभी दूध ला कर देती रहती थी |
 भाभी मेरा मेरी मम्मी से ज्यादा ख्याल रखती थी और मैं भी का ध्यान रखता था | एक दिन हम लोग मार्किट गए थे सब्जी लेने और मेरी बाइक पर गए हुए थे | जब मैं गाड़ी चलाता और झटके से डिस्क ब्रेक मारता था तो भाभी के दूध मेरी पीठ पर टच होते थे और मुझे बहुत अच्छा लगता था, | मैं बार बार जानबूझ कर डिस्क ब्रेक मारता था ताकि भाभी के दूध मेरी पीठ से टच हों, और भाभी को भी इस चीज़ से एतराज़ नही हो रहा था कि मैं ऐसा कर रहा हूँ | फिर हम मार्किट पंहुचे और वहां से सामान ले कर लौट रहे थे तब भाभी ने सामान बीच में रख लिया था जिस वजह से मैं उनके दूध का मजा नही ले पा रहा था |
फिर हम घर आ गए थे और अपने अपने काम में लग गए थे | शाम को 6 बजे पापा घर आये तो उन्होंने कहा कि मेरे बहुत अच्छे दोस्त की बेटी की शादी है तो उन्होंने सभी को बुलाया है शादी पर | तो मैंने और भाभी ने मना कर दिया तो पापा और मम्मी का साथ जाने का प्लान बन गया था | फिर दो दिन बाद मम्मी और पापा बस से रवाना हो गए |
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एक दिन कि बात है मैं टीवी देख रहा था और भाभी सब्जी काट रही थी दोपहर के वक़्त | भाभी ने मुझसे पूछा कि क्यूँ रे गुरप्रीत तेरे कोई दोस्त नहीं हैं क्या जो तू सारा दिन घर में ही बैठा रहता है ? तो मैंने कहा भाभी दोस्त तो हैं पर वो मुझे कमा के नहीं देंगे और वैसे भी जब जरुरत होती है तब तो वो मेरा साथ देते हैं और मैं उनका तो फिर क्या जरुरत है बाहर बेकार घूमने की ? फिर भाभी ने कहा हाँ बात तो तू सही कह रहा है अच्छा चल ये बता तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या ? तो मैंने कहा क्या भाभी आप भी क्या पूछ रहे हो मेरी शक्ल देख के लगता है क्या कि कोई मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी |
तो भाभी बोली बता दे अगर तुझे कोई पसंद भी है तो मैं तेरा ब्याह करा दूंगी उसके साथ तो मैंने कहा भाभी ऐसी कोई लड़की नहीं है जिससे मैं प्यार करता हूँ और मेरा इन सब में मन भी नहीं लगता है | मैं फिलहाल अपने केरिअर में ध्यान देना चाहता हूँ बस बाकि और कुछ नहीं तो भाभी बोली चल ठीक है और फिर सब्जी काटने में लग गई | फिर मैं भी टीवी देखने के बाद अपने रूम में चला गया और पढाई करने लगा तभी कुछ देर बाद भाभी कि आवज़ आई गुरप्रीत चल नीचे आजा खाना बन गया है तो मैंने भी जवाब में कहा ठीक है भाभी मैं आता हूँ ओर फिर हाँथ धो कर मैं खाना खाने बैठ गया और हम दोनों साथ में खाना खाने लगे |
20 मिनट के बाद मैं खाना खा के अपने रूम में चला गया और थोडा सा आराम करने लगा तो मेरी नींद ही लग गयी थी और फिर मुझे नींद में ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरे लंड को सहला रहा है | फिर जैसे ही मैंने आँख खोला तो देखा कि भाभी मेरा लंड सहला रही थी तो मैंने भाभी से तपाक से बोला भाभी तुम ये क्या कर रही हो तो उन्होंने बोला गुरप्रीत मुझे माफ़ कर दे मैं थोडा बहक गयी थी मुझसे ये सब कैसे हो गया मुझे समझ नही आया ? तो मैंने कहा भाभी रहने दो जाने दो इस बात को मैं ये बात किसी को भी नहीं बताऊंगा | मैं समझ सकता हूँ कि भैया के जाने के बाद तुम्हारी वो इच्छा अधूरी रह गयी होगी जिस वजह से तुमसे ये गलती हो गयी |
तो फिर भाभी ने मुझसे कहा गुरप्रीत जब जब तू इतना समझ सकता है तो क्या तू मेरी एक मदद कर सकता है क्या ? तो मैंने कहा हाँ भाभी बोलिए न कैसी मदद चाहिये तुम्हे तो वो बोली | तू तो जानता ही है कि तेरे भैया के जाने के बाद मैं कभी एक औरत होने का सुख नहीं उठा पाई तो क्या तू मुझे एक औरत होने का सुख दे सकता है ? तो मैंने कहा भाभी मैं कुछ समझा नहीं तो फिर वो बोली कि क्या तू मुझे सेक्स का सुख दे सकता है ? तो मैं थोड़ी देर सोचता रहा कि क्या ये सही होगा या नहीं ?
कुछ देर सोचने के बाद मैंने अपने होंठ भाभी के होंठ में रख दिए और उन्हें किस करने लगा था और वो भी मेरा साथ देने लगी थी हम दोनों एक दूसरे को पागलो कि तरह चूम और चाट रहे थे फिर भाभी ने मेरा लोअर उतार दिया और मेरा झांटो वाला लंड चाटने लगी और मैं आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह करने लगा | जब भाभी मेरा लंड चाट रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और फिर मेरा लंड चाटने के बाद भाभी मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी और मैं आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह करने लगा | भाभी ने मेरा लंड दस मिनट तक गले तक लिया और मुझे बहुत मजा आया अपना लंड चुस्वाने में | फिर भाभी ने अपना सूट उतारा और फिर ब्रा और पेंटी दोनों उतार दी | मैंने भाभी को पहली बार नंगा देखा था भाभी का बदन सच में में बहुत मस्त था और उनकी चूत भी चिकनी थी | फिर भाभी के दूध मैं मुंह में ले कर चूसने लगा और भाभी आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह कर रही थी | मैं भाभी के दूध मुंह में भर कर जोर जोर से चूस रहा था |
मैंने भाभी के दूध को 15 मिनट तक जोर जोर से दबा दबा कर चूस रहा था और भाभी आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी | फिर मैंने भाभी को लेटा दिया अपने बेड पर और उनकी टाँगे चौड़ी करके उनकी चूत में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा | जब मै भाभी कि चूत चाट रहा था तब भाभी आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह करके पूरा कमरा भर रही थी | मैं भी जोश में आ गया था और भाभी ने मुझसे कहा कि अब और देर न करो बस डाल दो अपन लंड और बुझा दो अपनी भाभी की प्यास और मैं तुरंत अपना लंड भाभी की चूत में डाल कर जोर जोर से चोदने लगा |
भाभी आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह करने लगी |
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भाभी को भी हहुत मजा आ रहा था और मुझे भी हम दोनों चुदाई की दुनिया में खो गए | मैं जोर जोर से धक्के लगा लगा कर भाभी को चोद रहा था और भाभी आआहाआह ऊउन्न् आहाहाह ऊउम्म्म ऊनंह अआहा आअह्ह्हाअ अहहहः अहहाआअ ऊउन्न ऊउम्म्ह आआनाहा ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहाहाहा ऊनंह ऊउम्ह आहाहहा ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह अहहहः ऊनंह करते हुए झड़ गई | थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया था उनकी चूत में ही |

लाइट ऑफ थी बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला Light off thi biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

लाइट ऑफ थी बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला Light off thi biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala, Mast aur jabardast chudai ; chud gayi ; chudwa li ; chod di ; chod di ; choda chadi aur chudas ; antarvasna kamvasna kamukta ; chudwane aur chudne ke khel ; chut gand bur chudwaya ; lund land lauda chusne chuswane chusai chusa cudai coda cudi ; Hindi Sex Story ; Porn Stories ; Chudai ki kahani.

मेरी उम्र 23 वर्ष हो रही है। मेरे परिवार में मात्र तीन लोग रहते हैं, मैं, मेरी माँ और मेरी पत्नी ! और हाँ एक और सदस्य आज ही आया जो हमारे ही बीच का है पर आज से ठीक दो साल पहले ही उसकी शादी हो चुकी है, जो अपने ससुराल में रहती है, वह है मेरी दीदी ! जिसके पति तीन दिन पहले अरब देश जा चुके हैं, जिसके चलते वह हमारे यहाँ रहने आ गई है।

पर आते ही मेरे कमरे और मेरी बीवी पर पहला अधिकार जमा लिया। सबकी दुलारी होने से कोई कुछ नहीं मना करता और किसी काम को करने से नहीं रोकता है। माँ की दुलारी तथा मेरी भी बड़ी दीदी होकर भी साथ साथ पले बढ़े हैं क्योंकि मुझसे मात्र दो साल ही बड़ी है।

हम लोग उनकी सेवा में लगे हुए थे और देखते देखते शाम, फिर रात भी हो गई, परन्तु दीदी मेरे कमरे में जमी रही। अंत में मुझे दूसरे कमरे में यह सोच कर सोना पड़ा कि शायद आज ही आई है तो सो गई, कल से दूसरे कमरे में सोयेंगी। दूसरे कमरे में आकर मैंने सोने की कोशिश की मगर नींद नहीं आई तो टी.वी. चला लिया। शनिवार होने से चैनल बदलते हुए मेरा हाथ रैन टी.वी. पर रुक गया जहाँ गर्म फिल्म आ रही थी।

अब तो मेरी नींद भी जाती रही, एक तो बीवी से डेढ़ साल में पहली बार रात में अलग सोना, उस पर से रैन टी.वी. का कहर ! मुठ मारते पूरी रात काटनी पड़ी पर मन टी.वी. बिना देखे मान ही नहीं रहा था। किसी तरह मुठ मारते रात काट ली और सुबह काफी देर तक सोता रहा। जब उठा तब मेरी बीवी नाश्ता बना रही थी।

मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली- लगता है कि काफी निश्चिंत होकर रात में सोये हैं जनाब ! मेरा नाराजगी भरा चेहरा देख कर और कुछ न बोल कर चाय का प्याला मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैं भी कुछ कहे बिना चुपचाप से चाय पीने लगा। दिन भर सभी अपने अपने काम में लग गए, मैं भी अपने ब्रोकिंग एजेंसी को देखने चला।

दिन भर तो काम में लगा रहा, शाम को घर आने पर चाय और नाश्ता देकर बीवी फिर दीदी के पास जाकर बैठ गई जो मेरे ही सामने के कुर्सी पर बैठी नाश्ता ले रही थी। अब मैंने थोड़ा ध्यान दीदी की तरफ दिया, सोचने लगा- क्या दीदी आज भी मेरे ही कमरे में सोयेंगी? और बातों बातों में पता लगा कि वे आज भी नहीं जान छोड़ने वाली !

फिर वही कहानी पिछली रात वाली ! मुझे आज फिर अकेले दूसरे कमरे में सोना था ! पर आज मुझे दीदी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और बकबकाते हुएमैं बाहर आ गया। पिछली पूरी रात खराब कर के रख दी थी ! रात होते ही मेरा मुठ मारना शुरु हो गया और आज न जाने कैसे रात कट गई, पता नहीं कब नींद लग गई ! सुबह जगा तो पूरे सात बज रहे थे।

मैंने सोच रखा था चाहे कुछ भी हो आज रात आरती को (मेरी बीवी) नहीं छोड़ना है, या तो मेरे कमरे में या रसोई में, कहीं भी चुदाई होगी तो होगी ! जैसे ही दीदी ने नहाने के लिए स्नान घर में प्रवेश किया, मैं मौका देख कर रसोई में घुस गया और पीछे से आरती को पकड़ उसके बोबे मसलते हुए चूतड़ों की फांकों में अपने फनफनाये लंड का दबाब डालते हुए गालों को जोर से चूमलिया तो आरती बोली- कोई देख लेगा ! क्या करते हो?

दो रातों में ही अकडू महराज पायजा मे से बाहर हो रहे हैं, अगर दो रातें और बिता ली तो पायजा मे से निकल किसी बिल में ही घुस जायेंगे तो ढूंढना मुश्किल हो जायेगा ! मैंने कहा- देखो आरती, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा ! आज रात कुछ करो यार ! यह दीदी अपने तो अकेली रहने की सजा कट रही हैं, साथ में हमें भी मार रही हैं ! या तो तुम मेरे कमरे में आ जाना या रात को यहीं रसोई में ही चुदाई करेंगे !

आरती भी थोड़ी उत्तेजित हो चुकी थी, वह बोली- नहीं, रसोई में ठीक नहीं होगा ! मैं तुम्हारे कमरे में भी नहीं आ सकती क्योंकि दीदी सोचेगी कि दो रात में जवानी काबू में ना रही जो मराने चली गई। मैं बोला- तो मैं मुठ मार कर सोता रहूँ? “नहीं जी !

मैंने ऐसा कब कहा? अगर यह समस्या सदा के लिए टालनी है तो हम अपने कमरे में ही करेंगे। अगर दीदी जाग गई तो शरमा कर कल से नहीं सोयेंगी और ना जगी तो रोज ऐसे ही चलेगा !” आरती का जबाब सुन कर मैंने कहा- पर इसमें तो दीदी के जागने का ज्यादा चांस है, जागने पर क्या सोचेंगी? आरती ने कहा- मैं तो चाहती हूँ कि रात को दीदी जग जाये जिससे कल से यह समस्या ख़त्म हो जाये ! समझे बुद्धू ?

मैं समझने की कोशिश करता हुआ काम बनता देख ज्यादा ना पूछा पर जानना चाहा- पर रात में मैं तुझे पहचानूँगा कैसे? वह बोली- मैं बेड के इसी किनारे सोऊंगी और दरवाजा खुला रखूंगी ! तुम धीरे से आ जाना बस ! मैं कुछ और पूछता, इससे पहले दीदी नहाकर निकलने जा रही थी।

तो मैं धीरे से निकल चला और रात के इंतजार में जल्दी से तैयार हो कर अपने काम पर चल दिया। और आज तो तिसरी रात होने के कारण उसमें और खूबसूरती आ गई है। अब मुझे केवल रात का इन्तजार था। आखिर शाम हुई, फिर रात हुई और सबने खाना खाकर अपने अपने बिछावन को पकड़ लिया पर दीदी मेरे ही कमरे में डेरा जमाये हुए थी।
इन्तजार करते करते लगभग रात के ग्यारह बज चुके थे। सम्पूर्ण अंधेरा था क्योंकि बिजली भी नहीं थी, मकान में एकदम सन्नाटा छाया था, माँ के कमरे से खर्राटों की आवाज आ रही थी। सुनने में ऐसा लगा कि वह गहरी नींद में होगी। मैंने निश्चिन्त होने के लिये पांच मिनट का इन्तजार किया।

अब लगभग अपने कमरे के पास पहुँच मैंने अपना दायां हाथ इस प्रकार से दरवाजे के तरफ़ बढ़ाया कि कोई हलचल न होने पाये। और कमरे के अन्दर अपने बेड केपास आकर देखने की कोशिश करने लगा पर कुछ साफ न दिखने से अन्दाजा लगाया कि आरती ने कहा था कि वह बेड के इसी तरफ़ सोयेगी।

आज पहली बार मुझे अपने ही घर में अपने कमरे में चोरों की तरह घुसना पड़ रहा था। धड़कते दिल से मैं बिछावन के पास पहुँचा और मध्यम रौशनी के सहारे इस तरफ़ की आकृति को छुआ। मेरा हाथ उसके चूतड़ पर लगा। फिर कुछ देर रुक कर मैंने अपना हाथ आगे पेट की ओर बढ़ाते हुए आहिस्ता से उसके उन्नत-शिखरों की ओर खिसका दिया। मेरे हाथ का पंजा उसके स्तनों के पास पहुँच कर पूरे पंजे से उसके बोबे दबाने लगा।

अब मैंने उसके खुले गले के ब्लाऊज़ के गले के अंदर हाथ डाला तो मेरा पहला स्पर्श उसकी सिल्की ब्रा का हुआ, पर इससे तो मुझे सन्तुष्टि नहीं हुई। फिर मैंने आहिस्ता से अपना हाथ उसके स्तनों के बीच की घाटी में प्रविष्ट करा दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसके दोनों स्तनों पर अपने हाथ घुमाने लगा। मैं उसकी दूध की दोनों डोडियों से खेलने लगा।

अब मेरे दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया। मैं बिल्कुल कामातुर हो चुका था, मैं यह भूल चुका था कियदि दीदी ने जागकर देख लिया तो पता नहीं क्या सोचने लगेगी ! अब मैं आरती के स्तनों के साथ उसकी चूत को भी मसलना चाहता था। 

मैंने आहिस्ता से उसका साया खोल कर उसकी मखमली पैंटी पर हाथ रख दिया और कोई प्रतिक्रिया न देखकर फिर अंदर चूत को सहलाने के लिये हाथ बढ़ाया तो मेरा हाथ उसके दाने से टकराया। बिल्कुल छोटी मखमली झांटों को सहलाने का लुत्फ उठाने लगा। अब लगा मेरे दोनों हाथों में जन्नत है, मेरा बायां हाथ तो उसके वक्षों से खेल रहा था और दायां हाथ उसके वस्ति-क्षेत्र का भ्रमण कर रहा था।

अब मुझे यह तो सुनिश्चित हो चुका था कि वह नींद में नहीं है तो मैं हौले से उसके भग्नासा के दाने को सहालाकर उत्तेजित करने की कोशिश करने लगा। पर वह भी आँखें मींचकर पड़ी हुई थी। मैंने सोचा कि अब यह गर्म है तो समय भी तो तेजी खिसका जा रहा है, इसके लिये दूसरा उपाय करना होगा। इधर उसके सिर के तरफ़ मैंने लण्ड का रुख करके उसके मुँह के ऊपर रखा था तो मेरा लण्ड मुँह खोलकर चूसने लगी।

अब मैंने अपनी लुन्गी खोलकर कमर से हटाते हुए उसके मुँह से पूरा सटा दिया, उसमें से चिपचिपाहट भी निकल रही थी जो उसके होंठों को गीलाकर रही थी। अब दोबारा मैंने अपने दोनों हाथों को व्यस्त रखते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली प्रविष्ट कराई तो देखा वहाँ गीला-गीला सा था, मतलब वह गर्म हो चुकी थी।

स्तन मर्दन के साथ जैसे ही मैंने उंगली चूत में अंदर-बाहर करनी शुरु की तो आरती छटपटाने लगी और उसने अपनी नींद का नाटक छोड़ा और मेरी तरफ करवट बदलकर मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद उसे लण्ड अपने मुँह में तेजी से चूसना शुरु कर लिया। मैं तो अपने होशोहवास खो चुका था, वह भी पागलों की तरह लण्ड मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। उधर मैं भी उसे अपने दोनों हाथों से बराबर उसे उत्तेजित कर रहा था।

मैंने कमरे में अपने बगल की तरफ देखा, दीदी आराम से सोई हुई थी और सम्पूर्ण अंधेरा था, तो कोई डर नहीं थाकि देख लेंगी। हम दोनों किसी भी किस्म की आवाज नहीं निकाल रहे थे क्योंकि दीदी जाग सकती थी। अब आरती की लगातार मेहनत के कारण दस मिनट में ही मेरा लण्ड स्खलित होने की कगार पर पहुँच गया, तो मैंने उसे हाथ के इशारे से समझाने की कोशिश की पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

तो मैं भी क्या करता, मैंने भी वीर्य का फव्वारा उसके मुँह में छोड़ दिया। उसने भी हिम्मत दिखाते हुए पूरा का पूरा गटक लिया। अब मैं तो खाली हो गया किन्तु उसकी उत्तेजना शांत नहीं हुई थी, वह मेरे निर्जीव पड़े लण्ड को खड़ा करने की कोशिश करने लगी। मात्र पाँच मिनट में ही हम दोनों सफल हो गये।

मेरा लण्ड फिर कड़क होकर फुंफकारने लगा। फिर एक दूसरे के शरीर को चूमने-सहलाने लगे। अब हम दोनों पागलॉ की तरह लिपट गये और एक दूसरे के शरीर को टटोल कर आनंद लेने लग गये। अब मैंने उसकी चोली खोल दी और पैंटी भी उतार दी, उसके तन व मेरे बीच में कोई नहीं था। मैं अब बेड पर बैठ गया, वह मेरी गोद में दोनों टांगों को बीच में लेकर अपने टाँगों को मोड़ कर इस प्रकार बैठी कि उसकी चूत मेरे लण्ड को स्पर्श करने लगी।

वह मेरे सीने को हाथ से सहला रही थी, नीचे चुदाई चालू थी, वह भी हिलकर अपने शरीर को ऊपर नीचे होकर पूर्ण सहयोग कर रही थी। फिर मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों पर अपनी जीभ फिराने लगा। उसके बाद मैंने उसकी गर्दन की दोनों तरफ कामुकता बढ़ाने वाली नस के साथ उसके कान की लोम व आँखों की भोहों पर भी अपनी जीभ फिराई। वह मदमस्त होकर पागल हो उठी।

दोनों की सांसें एक दूसरे में विलीन हो रही थी। यदि हम किसी एकान्त कमरे में होते तो पागलपन में न जाने कितनी आवाजें निकालते। पर जगह और समय का ध्यान रखते हुए बिल्कुल खामोश रहने की कोशिश करते रहे। अब इस मदहोश करने वाली अनवरत चुदाई को लगभग आधा घण्टा हो चुका था।

अब एक ही आसन में चोदते हुए थकान होने लगी थी। तभी आरती ने मुझसे गति बढ़ाने का इशारा दिया और कुछ ही क्षण में हांफते हुए वह चरमसीमा पर पहुँच गई। फिर वह पस्त होकर ढीली पड़ कर लेट गई। मैं तो अभी तक भरा बैठा था, मैंने कुछ समय रुककर इशारा किया कि अब मैं भी पिचकारी छोड़ना चाहता हूँ तोउसने इशारे से कहा- रुको ! वह खड़ी हुई और बेड पर हाथ रख और सिर झुकाकर खड़ी हो गई।

मैंने भी पीछे से उसकी चूत में लण्ड पेल दिया और अपने दोनों हाथों से उसके उन्नत स्तनों को मसलते हुए उसे चोदने लगा। फिर जन्नत की यात्रा शुरु हुई। फिर मदमस्त होकर वह भी आगे पीछे होकर मुझे सहयोग देने लगी। हम दोनों ने अपनी गति और बढ़ा दी और लगभग दस मिनट बाद मेरी पिचकारी छुट गई, हम दोनों पस्त हो गये।

वह कुछ समय रुक कर सफाई करने बाथरुम मे जाकर वापिस अपनी बिछावन पर आ गई। भगवान का लाख-लाख शुक्र था कि दीदी अब तक सोई हुई थी और उनको इस चुदाई के बारे में शक भी नहीं हुआ।

अब मैं अपने कमरे मे आकर आराम से सो गया आज सुबह मेरा मन काफ़ी खुश था मैंने रसोई में बीवी को जब अकेले देखा तब उसके पास जाकर पीछे से बाहों मे भर चूमना शुरु कर दिया। आरती मुझे मनाने के लिये मेरे बालों मे उंगली फिराते बोली- सॉरी जी ! मैं रात में सो गई पर आप भी नहीं आए?

मेरे कान में इतना पड़ना था कि मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया। तो क्या मेरे साथ रात में दीदी थी, अब मैं समझ गया ! यह घटना मेरे मन-मस्तिष्क पर एक चलचित्र की तरह स्पष्ट चल रही थी। हालांकि मैं भ्रम में रह गया लेकिन जब जान ही गया तो दोनों की तुलना करने लगा तो पाया कि वाकई में आरती से ज्यादा मजा तो दीदी को चोदने में आया !

अब वह अलग कमरे में भी सो कर मुझसे हर दो दिन बाद चुदती है, नैहर (मेरे घर) अब अकसर आती है मेरे साथ चुदाई के लिये और फिर उसके पास मैं भी अक्सर जाने लगा हूँ। वह आज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। आरती आज तक न जान पाई और ना मैंने उसे बताया। वह भी एक अद्वितीय अनुभव था।

लंड का स्वागत चूत खोलकर Lund ka swagat chut kholkar

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हैल्लो दोस्तों मेरा नाम कुमार है, दोस्तों मेरा मन अपनी चाची की चूत को मार मारकर अब बहुत बोर चुका था, इसलिए में किसी दूसरी चूत की तलाश में हमेशा रहने लगा था। वैसे मेरी चाची की चूत भी बड़ी मस्त मजेदार थी, लेकिन में लगातार हर कभी चुदाई की वजह से वो अब चूत नहीं एक फटा हुआ भोसड़ा बनकर रह गई थी और में अपनी उस गाँव वाली बुआ की भी चूत को चोदकर में उसका भोसड़ा बना चुका था, लेकिन हाँ उनकी दोनों लड़कियों की प्यास अभी भी अधूरी ही थी और में जब कभी भी चाहता तो बड़े आराम से उन्हे भी चोद सकता था, बल्कि बुआ खुद ही मेरा लंड पकड़कर अपनी दोनों बेटी की चूत में मेरा लंड डाल देती, लेकिन मेरी उनकी बेटियों में इतनी कोई रूचि नहीं थी, लेकिन अब कोई और चूत भी मेरी नज़र में नहीं थी और मेरा लंड था कि उसमें जाने के लिए बहुत उतावला हो रहा था। दोस्तों वैसे उस दिन तो मैंने अपनी मम्मी को ही चोदा था, लेकिन फिर दूसरे दिन में बिना किसी इरादे के ऐसे ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक से कोई मुझसे टकरा गया।

फिर मैंने नज़र उठाकर देखा, तो वो करीब 45-46 साल की एक औरत थी, लेकिन उन्होंने अपने उस शरीर को बहुत अच्छी तरह से संभाल रखा हुआ था। में बिल्कुल बेसुध था और वो पता नहीं कैसे मुझसे आकर टकरा गयी और फिर मुझे अचानक से होश आ गया तब में हड़बड़ाकर उनसे माफ़ करने के लिए बोला और हमारे टकराने की वजह से उनके बेग से कुछ सामान भी नीचे गिर गया था। अब वो तुरंत नीचे बैठकर अपने सामान को उठा रही थी और उनका ब्लाउज बहुत टाईट था जिसके अंदर उनके बड़े बड़े आकार के बूब्स बाहर निकलने को बहुत बेताब थे और वैसे उन्होंने अपनी छाती पर साड़ी का पल्लू डाल रखा था, लेकिन गुलाबी रंग की जालीदार साड़ी से मुझे सब साफ नज़र आ रहा था और में खड़े खड़े उनके बूब्स का वो सेक्सी नज़ारा देख रहा था। 

फिर कुछ देर बाद जैसे ही में नींद से जागा तब में भी उनका वो नीचे गिरा हुआ सामान उठाने में उनकी मदद करने लगा। अब मैंने उनसे कहा कि आंटी आप मुझे प्लीज माफ़ करना। मेरी वजह से आपका यह सामान बिखर गया, तब वो मुझसे बोली कि कोई बात नहीं है बेटा, सब ठीक है और सारा सामान अपने बेग के अंदर रखने के बाद वो मुझसे बोली कि बेटा तुम नयी पीढ़ी के लड़के लड़कियों की बस यही एक सबसे बड़ी समस्या है। तुम हर कभी कहीं ना कहीं खोए हुए रहते हो। अब में उनकी वो बातें सुनकर थोड़ा सा शर्मिंदा होते हुए बोला कि नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, आप मेरे बारे में कुछ ग़लत सोच रही है और फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा क्या तुम मेरे साथ बैठकर एक कॉफी पीना पसंद करोगे? दोस्तों मैंने उनको अपनी तरफ से तुरंत ही बिना कुछ सोचे समझे हाँ में जवाब दे दिया और फिर हम लोग वहीं पास के एक कॉफी शॉप पर बैठ गये, वहाँ पर भी ज़्यादातर कुंवारे लड़के और लड़कियाँ ही थे जो एक दूसरे से चिपककर बातें हंसी मजाक कर रहे थे, वो आंटी उन सभी को बड़े ध्यान से देख रही थी।

फिर अचानक से मेरी तरफ देखकर उन्होंने मुझसे पूछा बेटा आप क्या करते हो? तब मैंने कहा कि आंटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा हूँ यह मेरा तीसरा साल है। फिर वो बोली वाह बहुत अच्छे, लेकिन उस समय तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब मनचले लड़को की तरह नयी हसीन तितलियों की ताक में थे? उन्होंने जिस अंदाज़ में यह बात मुझसे कही मुझे सुनकर बड़ा अज़ीब सा लगा और इसलिए मैंने हड़बड़ाते हुए कहा कि नहीं आंटी ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा आप मेरे बारे में सोच रही हो में वैसा बिल्कुल भी नहीं हूँ, खैर अब आप बताए आप कहाँ से आ रही थी? तब वो हंसते हुए बोली तुमने क्या बेवकूफी भरा सवाल किया है? अरे भाई में बाजार से आ ही रही थी कि तभी अचानक से तुमने सामने आकर मुझे धक्का मार दिया अच्छा अब यह बताओ बेटा तुम्हारे घर में और कौन कौन है? मैंने कहा कि मम्मी पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में कौन कौन रहता है? तब मुझे उनका एक छोटा सा जवाब मिला कि में और मेरी बेटी, तो मैंने उनसे पूछा और अंकल? तब वो बोली कि बेटा वो बाहर किसी कंपनी में है और मेरा बेटा भी वहीं पर ट्रेनिंग कर रहा है।

दोस्तों उनकी बातों में बहुत उदासी भरी थी तभी अचानक से मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी। हम लोग बहुत देर तक इधर उधर की बातें करते रहे और करीब दो घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तब आंटी कुछ परेशान हो गयी और मैंने उनसे पूछा कि क्या बात है आंटी आप कुछ परेशान सी नजर आ रही है? तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा कि बेटा अब आठ बज रहे है और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा और अब तो मुझे अपने घर जाने के लिए कोई साधन भी नहीं मिलेगा। फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी मेरा घर यहाँ से कुछ दूरी पर है और आप चाहे तो मेरे साथ वहां पर चल सकती है, तभी वो बोली कि बेटा असल में मेरे घर पर मेरी बेटी नेहा अकेली होगी और आजकल का माहोल तो तुम जानते ही हो जवान लड़की को बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।

फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी आप यहीं पर रुको में अभी मेरी कार लेकर आता हूँ, तब वो मुझसे बोली कि बेटा तुम पानी में भीग जाओगे और बारिश बहुत तेज है। तो मैंने उनसे कहा कि आंटी हम जवान लोगों पर बारिश का कोई असर नहीं होता और फिर में भागकर अपने घर पर पहुंच गया और मम्मी को मैंने बताया कि में अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूँ कोई ज़रूरी काम है, मम्मी मुझे रोकती ही रह गयी कि बेटा बारिश तेज हो रही कल चले जाना, लेकिन में नहीं रुका और में अपनी कार को लेकर वापस उस कॉफी शॉप पर पहुंच गया। 

पानी अभी भी बहुत तेज़ था और वो जैसे ही शॉप से बाहर मेरी गाड़ी तक आई बहुत हद तक वो भी भीग चुकी थी और में तो पहले से ही पानी में तर था, क्योंकि में अपने घर तक जाने में बहुत भीग चुका था और थोड़ी ही देर के बाद में एक बड़ी सी कोठी के सामने जाकर रुका। अब में उस कोठी को देखकर बिल्कुल हैरान रह गया और तभी वो कार से नीचे उतरते हुए मुझसे बोली कि बेटा कार को तुम पार्किंग में खड़ी करके घर के अंदर चले आओ, तुम पानी से बहुत भीग चुके हो कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हे सर्दी लग जाएगी। फिर मैंने कहा कि नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, मैंने आपको घर तक छोड़ दिया अब मेरा काम खत्म हुआ, में अब चलता हूँ आप मुझे जाने की इजाज़त दीजिए। फिर आंटी ने मुझे थोड़ा सा डांटकर कहा कि में तुमसे जितना कह रही हूँ तुम उतना ही करो, आख़िर में तुम्हारी माँ की तरह हूँ जाओ गाड़ी पार्क करके आओ और इतनी देर की बहस में आंटी अब बिल्कुल तर हो चुकी थी। फिर में गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं पर खड़ी हुई थी और उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी। गुलाबी रंग की साड़ी के नीचे उनकी काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा मुझे साफ साफ नज़र आ रही थी और वैसे मेरे मन में अभी तक उनके लिए ऐसे कोई भी ग़लत विचार नहीं थे, लेकिन आख़िर कब तक मेरे अंदर का वो शैतान सोया रहता। उनको उस हालत में देखकर मेरे पूरे बदन में एक सनसनी होने लगी और में कुछ देर तक उनको अपनी नजर से एकटक निहारता रहा, में बहुत चकित था। तभी वो मेरी आखों के आगे चुटकी बजाते हुए मुझसे बोली हैल्लो कहाँ खो गये? तुम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाओ, तुम्हारे शरीर में ऐसी कोई बीमारी लगती है जिसकी वजह से जाने तुम कहाँ खो जाते हो? और फिर इतना कहकर मेरा एक हाथ पकड़कर वो मुझे जबरदस्ती खीचकर अंदर ले जाने लगी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही सुंदर लड़की नज़र आई, जिसकी उम्र करीब 18-20 साल रही होगी और वो स्कर्ट पहने हुए थी और चेहरे से वो बहुत परेशान नज़र आ रही थी और आंटी को देखते ही वो उनसे लिपट गयी और पूछने लगी मम्मी आप कहाँ चली गयी थी में बहुत घबरा रही थी? आंटी ने उसको अपने से अलग करते हुए कहा कि मेरी रानी बेटी बाहर अचानक से पानी बरसने लगा था इसलिए मुझे इतनी देर हो गयी और में तुम्हे फोन लगा रही थी तो वो भी नहीं लग रहा था खैर कोई बात नहीं अब तो में आ गयी हूँ मेरी बहादुर बच्ची क्या तुमने खाना खाया? तो उसने कहा कि जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका मुझे खाना देकर अपने घर चले गये और अब मुझे बहुत नींद भी आ रही है यह बात कहकर अचानक से उसने थोड़ा संभलते हुए मेरी तरफ देखा और बोली मम्मी यह साहब कौन है? तो आंटी ने कहा कि बेटा आज में बाजार अपनी कार नहीं ले गयी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ्ट दी है इनका नाम राजेश है और तब वो मुझे नमस्ते करके अपने रूम में सोने चली गयी और अब उस रूम के अंदर में और आंटी ही रह गये थे तभी आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा कि लो तुम इसको पहन लो।

फिर मैंने उनके कहने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उस लूँगी को अपनी कमर पर बांध लिया मैंने अपनी अंडरवियर और बनियान नहीं उतारी। तभी आंटी मुझसे कहने लगी कि बेटा तुम अपने सभी गीले कपड़े उतार दो, यह अभी थोड़ी ही देर में सूख जाएँगे उसके बाद तुम इनको पहन लेना और इस बनियान को भी उतारकर निचोड़ लो देखो यह बहुत भीग चुका है। अब मैंने बहुत झिझकते शरमाते हुए अपने बनियान को उतारकर निचोड़कर खूंटी पर टाँग दिया और वहीं वॉशरूम में जाकर अपनी अंडरवियर को भी मैंने उतारकर सूखने के लिए डाल दिया और अब में सिर्फ़ लूँगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी, जब में वापस रूम में आया तब मैंने देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लू निचोड़ रही थी और उनका वो आँचल हटा होने की वजह से उनके गुलाबी रंग के ब्लाउज के अंदर से उनकी काले रंग की ब्रा साफ नज़र आ रही थी, जिसको में अपनी चकित नजर से लगातार निहार रहा था और मुझे एकटक इस तरह घूरकर देखते हुए आंटी ने कहा क्यों क्या देख रहे हो बेटे, तुमने अपने तो कपड़े उतार लिए अब में भी अपने कपड़े बदल लूँ। 

दोस्तों मेरा मन अब तक आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा था, लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। फिर तभी थोड़ी देर के बाद आंटी एक बहुत ही हल्की सी मेक्सी पहनकर आई और वो वहीं सोफे पर बैठ गयी और कॉफी बनाने लगी। वो मेरे सामने बैठकर कॉफी बना रही थी और में अपनी ललचाई नज़रों से उनके उभरे हुए बूब्स को लगातार देख रहा था और दिल ही दिल में सोच रहा था कि काश यह आंटी आज मुझसे अपनी चुदाई करवा ले तो कितना मज़ा आएगा। यही सब सोच सोचकर मेरा लंड अब अपनी असली औकात में आ चुका था और मुझे इस बात का बिल्कुल भी एहसास ही नहीं हुआ कि कब वो मेरी लूँगी को ऊँची करके बाहर निकलकर बीच से उसका टोपा अब बाहर झाँक रहा था और आंटी अपनी चोर नज़रों से उधर ही देख रही थी मेरा पूरा ध्यान आंटी के बूब्स की तरफ था और आंटी का ध्यान मेरे तनकर खड़े लंड की तरफ था।

अब मैंने आंटी की नज़रों की तरफ देखा तो उनकी नज़रे मेरे लंड पर टिकी हुई थी। वो मेरे लंड को देखकर अंदर ही अंदर वो बड़ी खुश हो गई और अब मैंने धीरे से अपने दोनों पैरों को और भी खोल दिया जिसकी वजह से आंटी और भी अच्छी तरह से मेरे लंड का दीदार कर सके उसके बाद हम दोनों ने कॉफी के मज़े लिए और उसके बाद में अपने कपड़े पहनने लगा और मन ही मन में सोच रहा था कि साली अगर आज रात मुझे अपने पास यहीं पर रोककर मुझसे अपनी चुदाई करवा ले तो इसका क्या हो जाएगा? वैसे चुदाई के मज़े लेने के लिए इसकी चूत भी बहुत तड़प रही है, लेकिन हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खाएगी दुनियाभर के, लेकिन चुदवाने से पहले शरमाएगी इतना कि पूछो ही मत और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा तब वो मेरे पास आई और बोली देखो बेटा अभी तुम्हारे कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं है तुम ऐसा करो कि आज रात यहीं पर रुक जाओ और घर पर अपनी मम्मी को कॉल करके बोल दो। तब मैंने नाटक करते हुए कहा कि नहीं आंटी मुझे जाना है।

फिर तभी मेरे हाथ से कपड़े छीनकर वो बोली कि बेटा में तेरी माँ जैसी हूँ और में तुझसे जैसा कह रही हूँ वैसा ही कर कहीं बीमार पड़ गया तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा? फिर मैंने घर पर कॉल करके कह दिया कि आज पानी बहुत बरस रहा है इसलिए में आज यहीं पर अपने दोस्त के घर पर रुक रहा हूँ और फिर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा कि बेटा तुम यहाँ बेड पर सो जाना में सोफे पर लेट जाउंगी वरना अगर तुम चाहो तो दूसरे रूम में भी सो सकते हो। फिर मैंने कहा कि आंटी में वहाँ पर अकेला बोर हो जाऊंगा, आप ऐसा कीजिए आप बेड पर सो जाइएगा में सोफे पर सो जाता हूँ और उनको यह बात कहकर में वहीं सोफे पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी। मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और में आंटी की उभरी हुई निप्पल और फूले हुए कूल्हों को अपनी आखों में बसाये कब गहरी नींद की गोद में चला गया मुझे पता ही नहीं चला। 

फिर रात को अचानक मुझे अपनी जाँघ पर कुछ सरकता हुआ महसूस हुआ, तो मेरी नींद खुल गयी फिर मुझे आभास हुआ कि यह किसी का हाथ है और घर में दो ही जने थे आंटी या फिर उसकी लड़की, तभी थोड़ी देर में उसी तरह से लेटा रहा तब तक वो हाथ अब नीचे सरसराता हुआ मेरी लूँगी को सरकाता हुआ ऊपर मेरी जांघो की जड़ तक पहुंच चुका था। में भी अब उस हाथ की गरमी का आनंद लेना चाहता था चाहे कोई हो भले ही उस वक़्त उसकी वो कुंवारी लड़की भी होती तब भी मैंने तय कर लिया था कि उसकी कुँवारी चूत को भी में चोद ही डालूँगा, लेकिन अब तक में जान गया था कि वो हाथ आंटी का है और अब में पूरी तरह से उसके सहलाने का मज़ा लेना चाहता था और में सोफे पर सीधा होकर लेट गया और वो मुझे करवट लेते हुए देखकर कुछ बड़बड़ा गयी, लेकिन फिर शांत हो गयी और मुझे नींद में देखकर उसने मेरी लूँगी के अंदर अपना हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया जो अभी तक शांत अवस्था में था, वो उसको बहुत प्यार से सहलाने लगी। 

अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा था और में भी उत्तेजित होने लगा था। मेरा मन कर रहा था कि अभी में उस साली को अपनी बाहों में भरकर इतनी ज़ोर से दबा दूँ कि इसकी हड्डी तक पिस जाय, लेकिन में ऐसा कर नहीं सकता था और में बस चुपचाप एकदम सीधा पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही को देखता महसूस करता रहा और फिर कुछ देर बाद आंटी का हाथ अचानक से थोड़ा कड़क हो गया था वो मुझे सोया हुआ जानकर पूरी तरह से निश्चित हो गयी थी, इसलिए वो मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठो से मेरी जांघों को चूमने लगी।

अब मेरे मुहं से सिसकियाँ निकलने को हुई, लेकिन मैंने अपने दांत भींचकर अपने मुहं से आवाज को निकलने नहीं दिया, लेकिन अब मुझसे ज्यादा देर बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था। तभी मैंने अपने लंड पर कुछ गरम गिला चिपचिपा सा महसूस किया, क्योंकि रूम में नाइट लेम्प जल रहा था तो मुझे कुछ साफ नज़र नहीं आ रहा था और में अपनी आँख भी बंद किए था, लेकिन मुझे अब इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि यह साली इसकी जीभ होगी जो मेरे लंड पर घूम रही है और अपनी जीभ को फिराते फिराते उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुहं में पूरा अंदर ले लिया और उसको चूसने लगी थी। दोस्तों अब तो में बिल्कुल भी बर्दास्त नहीं कर पाया और में एक झटके के साथ उठकर बैठ गया और उससे बोला कि कौन है यहाँ पर? तभी आंटी ने मेरे मुहं पर हाथ रखा और धीरे से बोली बेटा में हूँ उन्होंने झट से लाईट को भी जला दिया और में यह सब देखकर बिल्कुल हैरान रह गया, क्योंकि वो पहले से ही पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और उनके गोरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था।

फिर मैंने उनका वो गोरा नंगा बदन देखकर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा कि हाए आंटी आप तो पूरी नंगी है। तब उन्होंने मेरा लंड पकड़ते हुए मुझसे कहा कि बेटा तुम भी तो नंगे हो और मैंने यह बात सुनकर अपने दोनों हाथों को झट से अपने लंड पर रख लिया और में अपने लंड को हाथों के पीछे छुपाने का नाटक करने लगा, लेकिन में उसकी हरकतों उस काम को देखकर बहुत अच्छी तरह से जानता और समझ चुका था कि अब यह साली जरुर मुझसे अपनी चुदाई बिना किसी नाटक नखरे से करवाएगी, लेकिन फिर भी मैंने अपना नाटक शुरू रखा में कहने लगा कि आंटी आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।

यह बहुत गंदी बात है और आपको ऐसा काम करना बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। तभी आंटी मेरे लंड को मसलते हुए मुझसे बोली और तुम जो पिछले कुछ घंटो से लगातार मेरे बूब्स को अपनी प्यासी चकित नजरों से निहार रहे थे उसके बारे में तुम क्या कहना चाहते हो और तुम तो मेरे बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से ही इस तरह से देख रहे थे कि बस अभी तुम मेरे इस दोनों बूब्स को बाहर निकालकर खा ही जाओगे, वो क्या अच्छी बात थी? और जब में कॉफी बना रही थी, तब तुम्हारी नज़रे कहाँ थी मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है कि तुम मुझे चोदना सिखा रहे हो मेरे सामने अभी कल के बच्चे हो बेटा, में तुम्हारे जैसे ना जाने कितनो को अपनी चूत में समाकर बाहर कर चुकी हूँ। दोस्तों अब उसकी यह सभी बातें सुनकर तो मुझे बहुत ही जोश चड़ गया। मैंने उसको अपनी बाहों में पकड़ लिया और पकड़ते ही वो मुझसे बोली कि ओह्ह्ह में तुमसे प्यार करती हूँ। प्लीज तुम मुझे आज जमकर चुदाई का मज़ा दो और इस बरसात के मौसम में मेरी इस प्यासी चूत को भी अपनी चुदाई से तर कर दो इसको अपने वीर्य से ठंडा कर दो प्लीज, मुझे अब तुम्हारी चुदाई की बहुत जरूरत है आह्ह्ह प्लीज चोदो मुझे अपने लंड के वो मज़े दे दो।

फिर मैंने भी अब उसकी वो जोश भरी बातें सुनकर अपने होश बिल्कुल खोकर मैंने उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाना उनकी निप्पल को निचोड़ना शुरू किया और उनके एक एक बूब्स को चूसकर में उनका रस पीने लगा था। तब मैंने देखा कि रात के करीब तीन बज चुके थे और सभी तरफ बहुत सुनसान था और फिर में ऊपर से उसकी रसभरी चूत को अपने एक हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा, जिसकी वजह से अब वो और भी ज्यादा गरम हो चुकी थी और फिर वो दोबारा मेरे लंड को अपने मुहं में लेने को बड़ी बेताब नजर आ रही थी और उसने कुछ देर बाद ठीक वही किया, वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर बेसब्री की तरफ एकदम पागलों की तरह चूसने लगी और वो कभी लंड को पूरा अंदर डालती और कभी बाहर निकालकर उसके टोपे पर अपनी जीभ को घुमाने लगती।

उसके ऐसे करने से मुझे लग रहा था जैसे कि में अब स्वर्ग में हूँ। फिर कुछ देर उसके साथ ऐसे ही मज़े लेने के बाद मैंने अब उसको अपनी बाहों में लेकर नीचे लेटा दिया और उसको लेटाकर में उसके ऊपर सो गया। अब मुझे ऐसे लग रहा था कि कब में उसकी चूत में अपने लंड को डालकर उसकी चुदाई के मज़े लूँ। में यह बात अपने मन ही मन में कुछ देर सोचता रहा और फिर उसके बाद मैंने उसके दोनों पैरों को पूरा फैलाकर चूत के मुहं पर रख दिया। तब उसने मेरे तनकर खड़े पांच इंच लंबे लंड का अपनी रस से भरी मुलायम कामुक चूत में स्वागत किया और मैंने उसके स्वागत को स्वीकार करते हुए एक ही जोरदार धक्के के साथ अपने लंड को उसकी चूत की पूरी गहराइयों में पहुंचा दिया और में धक्के देने लगा मेरे जोरदार धक्का का उसने भी जोश में आकर अपनी गांड को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ दिया।

फिर करीब 15 मिनट की उस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अब हम दोनों ही चिल्ला चिल्लाकर धक्के देते हुए झड़ गये। हम दोनों का कामरस उसकी चूत से बहकर बाहर आकर उसकी जांघो पर बहने लगा था। अब में धक्के देकर थक जाने की वजह से उसके ऊपर ही लेटा रहा। दोस्तों उसने यक़ीन मुझे अपनी चुदाई के लिए भड़काने के लिए ही ऐसे शब्द प्रयोग किये थे और मेरे साथ वो हरकते की थी, लेकिन मुझे तो शुरू से ही चुदाई करना पसंद था और शुरुआत में आंटी मुझे इतनी सीधी-साधी नज़र आ रही थी कि उनके मुहं से इस तरह की वो बातें सुनना मेरे लिए एक बिल्कुल नया अनुभव था और उस पूरी रात मैंने उनकी चुदाई के बड़े मज़े लिए जिसमे हर बार उन्होंने मेरा पूरा पूरा साथ दिया, जिसकी वजह से हम दोनों का काम बन गया और मुझे एक चुदक्कड़ चुदाई के लिए प्यासी चूत और उनको मेरा मोटा लंबा दमदार लंड मिला जिसको उन्होंने अपना समझकर बहुत प्यार दिया ।।

पड़ोसन मारवाड़ी भाभी की चूत चुदाई कर दी Padosan marwadi bhabhi ki chut chudai kar di

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम ध्रुव हे; यह मेरी पहली सेक्स कहानी है; मैंने अभी तक काफी सेक्स कहानियां पढ़ी है इस साइट; पर और तभी से मुझे मेरी बाजू वाली भाभी को चोदने का मन हो गया, मेरी उम्र २१ साल है.

हुआ यूं कि हमारे घर के यहां एक छोटा सा मार्केट है, जहां सब्जी और कपड़ो की शॉप है; वहां पर शाम को काफी लेडीज आती है खरीदी करने के लिए, मैं भी वहां रोज जाया करता हूं खूबसूरत लड़कियों को देखने के लिए.

एक दिन मेरी नजर एक भाभी पर गई, वह भाभी ने पिंक साड़ी पहनी हुई थी, मार्केट में कुछ खरीद रही थी; वह काफी खूबसूरत थी उसने एक स्लीवलेस ब्लाउज पहना था; मैं जब उसे पहले टाइम देखा तो उसे देखता ही रह गया, उसका फिगर काफी मेंटेन था, उसके बाल भी काफी घने थे; और जो उसके चेहरे पर आते थे.

वह उसे हमेशा पीछे करती थी; और उसके बूब्स और गांड ओह माय गॉड; मेरी नजर उस पर ही थी; उसने उसकी काफी चीजें खरीदी और उसके घर की ओर जाने लगी, मैंने सोचा के घर का पता कर लूं; तो मैंने उस दिन उसका पीछा कर लिया, तो पता चला कि वह बाजू वाले मकान में रहती है और उनका सरनेम जैन था.

तो मैं रोज मार्केट में उनका इंतजार करने लगा, ऐसे ही एक दिन आया, मैं सोचा कि आज कुछ करते हैं; मार्केट में आने के बाद में उसे घुर रहा था वह जहां जाती उसके पीछे पीछे चला जाता, मुझे बस उसका अटेंशन चाहिए था; काफी देर बाद मैंने वह बना लिया और उसके बाद में उस जगह से चला गया, और दूर जा कर उस पर ध्यान दिया; वह कुछ आसपास देख रही थी मुझे समझ में आया कि मेरा काम अब हो गया है; मैंने अगले दिन ऐसा ही किया; उस दिन वह कुछ सब्जियां ले रही थी सब्जी लेने के बाद वह उसके घर की और निकली, मैंने उसका पीछा करना शुरू किया, कुछ टाइम बाद उस ने उसके हाथों में जो भी सामान की बैग थे वह नीचे रख दिया और इधर उधर देखने लगी.

मैंने उसकी तरफ देखा और पूछा क्या हुआ? उसने कहा कुछ नहीं; क्या आप मेरी मदद करोगी? मुझे यह बैग मेरे घर तक लेकर जानी है, मेरा घर यहीं पास में है; उसने ऐसा कहते ही मुझे पता चला कि इसे भी कुछ चाहिए, लेकिन कंफर्म नहीं था; मैंने भी एक रिस्पॉन्सिबल पर्सन की तरह बिहेव करते हुए उसे हां जरूर कहा, उसके घर छोड़ दिया उसने मुझे थैंक्यू कहा और मुझे पानी के लिए पूछा.

मैंने हां कहा काफी प्यास लगी है, उसने मुझे अंदर आने के लिए कहा; मैं काफी खुश हो गया, अंदर कोई और औरत आई और उसने मुझे पानी दिया; वह उनकी काम वाली थी; उसका टाइम हो गया था वह घर जा रही थी; तभी मैंने सोचा कि कुछ इधर उधर की बातें करनि पड़ेगी अगर कुछ करना है तो; अचानक वह सामने आकर पूछने लगी कि आप क्या करते हो? मैं उसे बताया कि मैं स्टडी करता हूं, यहां मेरे फ्रेंड के साथ रहता हूं; मैंने उसे उसकी फैमिली के बारे में पूछा, उसके पति का बिजनेस है पुणे में; और उसे एक लड़का है ४ साल का.

उसने मुझे चाय के लिए पूछा और मैंने तुरंत हां कर दिया, जब वह किचन की ओर जा रही थी तब पीछे से काफी सेक्सी लग रही थी; वह डीप कट ब्लाउज साड़ी और ब्लाउज के बीच में गैप और उसकी गांड मस्त उछलते चल रही थी; २ मिनट के बाद वह आई हमने चाय पी और इधर उधर की बातें की; थोड़ी देर हमने एक दूसरे के नंबर एक्सचेंज कर लिए, अपना नंबर दिया और कॉल करने के लिए कहा, उसने उसी टाइम मेरा नंबर डायल किया और कंफर्म कर लिया; मैं तो खुश हो गया क्योंकि उसका नंबर भी मेरे पास आ गया है.

कुछ हफ्ते बाद संडे के दिन मैंने सोचा कि आज कॉल करते हैं, मैंने उसे इधर-उधर की बातें करना शुरु किया और उसके साथ जोक करने लगा उसे हंसाने लगा, कई बार उसने मेरी तारीफ की; मैं समझ गया कि वह भी मुझे चाहती है, ऐसे ही हम कभी वॉइस कॉल पर बात करने लगे, यह सिलसिला दो महीने तक चला.

एक दिन जब मैं मार्केट में घूम रहा था, तो मुझे वह अचानक दिखाई दी, वह लाल कलर साड़ी में काफी सेक्सी लग रही थी, जी कर रहा था वही जाकर उसकी गांड जोर से दबा दूं; मैं उसे देख ही रहा था तो वह मेरे सामने आई, और मुझे देख कर स्माइल कर के बोली, कहां जा रहे हो? मैंने कहा कुछ नहीं यही जा रहा हूं.

वह उसके घर चली गई और मैं अपने घर उसे घर जाने के बाद मैंने उसे मैसेज किया कि आज आप क्या आप के घर पर कुछ इवेंट है क्या? उसने कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है ऐसा क्यों पूछ रहे हो? मैंने कहा आप काफी खूबसूरत लग रही थी आज; वह हंसने लगी और तुरंत उसकी कॉल आई; और हम बातें करने लगे; उसने मुझे कहा कि पति और मेरा बच्चा कल से गाँव गये हैं क्योंकि उसकी सास की तबीयत ठीक नहीं थी.

मुझे कुछ कुछ समझ आ रहा था, मैंने उस दिन रात के ९ बजे उसके घर जाने की सोची; मैंने उसकी डोर बेल बजाई, उसने दरवाजा खोला और मुझे देख के उसके आंख में देखने लायक था; उसने पूछा तुम इस टाइम पर यहां कैसे? मैंने कहा क्यों नहीं आना चाहिए था? सॉरी;; उसने कहा ऐसी बात नहीं, मैं उसके सोफ़ा सेट पर बैठ गया उसने मुझे पानी ला कर दिया.

और मुझे कहा कि जरा रुको मैं टेरेस पर जाकर आती हूं, सूखे हुए कपड़े लाने के लिए; जो मैं आज भूल गई; ५-१० मिनट हो गए वह नहीं आई, तो मैं टेरेस पर गया वहां कपड़े के टब में रख रही थी, टब वजन की वजह से काफी भारी हो गया था, तो मैंने वह उठाया और नीचे जाने लगा, तो अचानक लाइट चली गई; वह अह्ह्ह कर के हल्के से चिल्लाई, मैंने उसे कहा डोंट वरी मैं हूं. उसने मेरा हाथ पकड़ा और हम उसके होल में आए; अंधेरा होने की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था; वह टब मेरे हाथ में था तो नीचे रखते समय मैंने उसकी कमर को टच किया; पीछे मुड़ी बस इतना उसे एहसास हुआ; यह मुझे पता चला; वह फिर से बोली काफी डर लग रहा है, मैंने उसे कहा डरो मत ऐसे कहते मैंने उसे हग किया.

पहले उसकी टच की वजह से कुछ अजीब लगा; पर उसने मुझे जोर से पकड़ लिया मैंने उसे पूछा कि खाना खा लिया आपने? और उसने मुझे जोर से पकड़ लिया; उसने कहा नहीं मैंने उसे हग किया था; और मेरा लंड उसकी गांड पर जा रहा था; अभी तक मैं समझ गया था कि आज की रात मेरी रात है; वह टाइम काफी सही था; मैंने उसे उठाया और दरवाजे की और उसे लेकर गया; उसने कहा क्या कर रहे हो? मैंने कहा अंधेरे में आपके पैर को कुछ लगेगा इसलिए; और हमने वह हाल का दरवाजा बंद कर दिया, और लाइट आ गई; वह मेरी गोदी से नीचे उतरकर किचन की ओर चली गई; मैं उसके तुरंत पीछे गया और उसको पीछे से पकड़ लिया; उसने कहा सॉरी गलती हो गई; मैंने कहा क्या गलती? वह कुछ नहीं बोली; मैंने तुरंत कहा आई लव यू.

भाभी के चेहरे की स्माइल देख कर पता चल गया; मैं वही उसे किस करने लगा और भाभी के बूब्स दबाने लगा; वह मेरा साथ देने लगी, हम बेडरूम की ओर गए मैंने उसकी ब्रा और पेंटी उतारी; बाद में मैंने भाभी के बूब्स चूसने लगा; थोड़ी देर बाद उसके पूरे शरीर को चूमने लगा; और मैं धीरे धीरे भाभी की चूत के पास गया; भाभी ने क्लीन शेव किया था, भाभी की गुलाबी चूत मुझे बहुत अट्रेक्ट कर रही थी.

बाद में मैंने उसकी चूत को स्पर्श किया, वह मचल उठी; उसकी चूत थोड़ी टाइट थी, लगता था कि उसके पति ने कंप्लीट चोदा नहीं था उसको;; बाद में मैं उसकी चूत चूसने लगा, वह मछली की तरह फडफडाने लगी, उसको बहुत मजा आ रहा था; क्योंकि उसकी चूत उसके पति ने कभी चूसी नही थी; थोड़ी देर चूत चूसने के बाद वह पूरा अकड़ गई और सारा पानी निकाल दिया; बाद में मैंने उसे अपने लंड को मुंह में लेने के लिए बोला, वह मना कर रही थी; क्योंकि उसने पहले नहीं किया था, वह राजी हो गई पर मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था.

थोड़ी देर बाद मेरा निकलने वाला था तो भाभी के मुंह पर डाल दिया, एक दूसरे को साफ किया; वह लंड के लिए तड़प रही थी; वह बोल रही थी कि अब मुझे चोद डालो; मैंने उसकी चूत में एक दो उंगली डाली; तो उसकी चूत थोड़ी टाइट थी; उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसको घोड़ी बनाया; और लंड चूत पर सेट किया; हलके मैंने उसको धक्का दिया; आधा लंड जाने के बाद वह चिल्ला रही थी, पूरा लंड उसकी चूत में समा गया; और उसके बूब्स दबाने लगा; बाद में वह साथ देने लगी और चूदाई शुरू हो गई.

वह थोड़ी देर बाद जड़ गई, अब हमने पोजीशन चेंज की और मैं उसके ऊपर आ गया, थोड़ी देर चूदाई के बाद मेरा भी निकलने वाला था, तो उसे पूछा तो उसने बताया कि अंदर ही डाल दो, मैं अब फुल स्पीड में उसकी चूदाई कर रहा था, दो तीन मिनट के बाद मेंने उसकी गरम गरम चूत में अपना सारा माल छोड़ दिया, और उसके ऊपर ही लेट गया; बाद में उसके बूब्स चूसने लगा, फिर हमने एक और राउंड चूदाई कि, वह बहुत ही खुश थी; बाद में हमने शावर लेते हुए एक दूसरे को नहलाया, हमने बहुत चूदाई की, वह मुझे हद से ज्यादा प्यार करने लगी, मैंने उसके साथ हर पोजीशन में सेक्स किया.

माँ को पेशाब करते देखा और चुदाई का प्लान बनाया Maa ko peshab karte dekha or chudai ka plan banaya

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हैलो फ्रेंड्स मेरा नाम रोहन है, आज मैं आप को अपनी माँ के सेक्सी चूत से निकलते पेशाब की story सुनाने जा रहा हू। मेरी माँ का नाम प्रिया गुप्ता है, वो दिखने में बहोत हॉट और सेक्सी है। उसकी उम्र अभी ४३ है, जब मैं छोटा था तब मैंने माँ और पापा को सेक्स करते देखो था और उनकी चुदाई देख कर मैं ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया था उस समय मैं बहोत छोटा था, जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया मुझे सेक्स की फीलिंग आने लगी और मैं भी पापा की तरह माँ को चोदने का सपना देखने लगा।

वैसे मैं आप लोगों को बताना भूल गया मेरी फैमिली में मैं मेरी माँ और पापा सिर्फ तीन लोग है, पापा को काम की वजह से ज्यादातर बहार ही रहना पड़ता है और ऐसे में घर पर मैं और मेरी माँ ही होती है। अब मैं सुरु करता हु मेरे और माँ की सेक्स कहानी। पाप काम से कुछ दिनों के लिए बहार गए हुए थे। मुझे कुछ दिन पहले ही पापा ने नया स्मार्टफोन दिलाया था मैं इस पर सेक्स वीडियो देखता और मुट्ठे मरता था।

लेकिन मुट्ठ मार कर मुझे मजा नहीं आता था क्युकी मुझे तो वही पापा मम्मी जैसे चुदाई करनी थी वो मेरा सपना भी था। मैं दिन रात यही सोच कर निकल देता की माँ को कैसे चोदा जाये फिर मैं प्लान बनाया और सुरुवात की माँ को पेशाब करते देखने से, एक दिन माँ जैसे ही पेशाब करने बाथरूम गयी मैं डोर के निचे से देखने लगा माँ बाथरूम की फर्श पर बैठ कर मूत रही थी और उसका मुँह दूसरी तरफ था इसलिए मुझे सिर्फ उसकी गांड दिखी और निचे गिरता हुआ पेशाब का धार।

जिसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैं लन्ड को बहार निकल कर हिलने लगा, माँ की क्या मस्त मोटी और चिकनी गांड थी मन हो रहा था जा कर उसकी गांड चाट लू इतने में ही माँ उठी और मैं जल्दी से वह से भाग गया।
मेरी आँखों के सामने सिर्फ माँ की गांड का वो सीन ही बार बार नजर आ रहा था, मैं पहली बार किसी औरत की नंगी जिस्म को देखा था वो भी थोड़ा सा, मैं यही सोच रहा था कैसे भी कर के माँ की चूत और उस से निकलता मूत देख सकू। उसी दिन रात को खाना खान के बाद जैसे ही माँ सोने से पहले पेशाब करने गयी मैं फिर से बाथरूम के निचे डोर की छेद से देखने लगा दोस्तों मैं आप को बता नहीं सकता क्या नजारा था इस बार माँ मेरी तरफ ही मुँह कर के मूतने बैठी थी और मुझे उसकी चूत से निकलता पेशाब दिखाई दे रहा था।

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैं ऊपर से ही उसको सहलाने लगा इतने में माँ उठी और मैं अपने रूम में जा कर सो गया और माँ को कैसे चोदू यही सोच रहा था डर भी लग रहा था की कही कुछ गलत न हो जाये मैं कुछ ऐसा करना चाहता था की माँ अपनी मर्जी से मेरे साथ चुदाई करें और मुझ से वैसे ही चुदे जैसे वो पापा से चुदती है।

दूसरे दिन मैं उठा और उस दिन फिर से तीन बार माँ की चुत और उस से निकलता पेशाब देखा और चुदाई के लिए पागल होता गया रात हुई तब मैंने सोचा आज तो चुदाई करनी ही है।

रात को माँ और मैं खाना खाया कुछ देर टीवी देखने के बाद मैं उठा और बाथरूम की तरफ गया और अब टाइम था मेरे प्लान को पूरा करने की, मैंने बाथरूम को डोर लॉक नहीं किया और मैं जोर से चिल्लाया और बाथरूम में गिरने का नाटक किया और मैंने अपनी लोअर से अपना लन्ड बहार निकला हुआ था जिससे माँ को लगे मैं पेशाब करते हुए गिर गया हु, मैं ऐसे ही गिरा हुआ चिल्ला रहा जैसे मुझे बहोत दर्द हो रहा हो जैसे ही माँ आयी मैं उल्टा हो गया और अपने लण्ड को हाथ से छुपा कर दर्द का नाटक करने लगा और माँ को यही लगा की गिरने से मेरे लण्ड पर चोट लग गयी है

माँ ने मुझे हाथ दे कर उठाया और मैं जैसे ही उठा मेरा ६ इंच का लंड लटकने लगा जिसे देख कर पहले तो माँ थोड़ा शर्मा गयी क्यों की उस समय मैं १९ साल का था और माँ ने मुझे ऐसे देखा था।

फिर मैं दर्द का नाटक किया और माँ वैसे ही मुझे सहारा दे कर वह से अपने बैडरूम में ले गयी और मुझे बेड पर भैठा दिया और बोली क्या हुआ कहा चोट आयी है मैंने अपनी लण्ड की ओर इशारा किया और बोला मुझे यहाँ चोट लगी है।

माँ बोली अरे बीटा नुनु में चोट लग गयी है और वो बोली थोड़ा देर में ठीक हो जायेगा जा अपने रूम में सो जा कल तक ठीक हो जायेगा, मैं वह से उठा और ऐसे ही लटकते हुए लण्ड को ले कर वह से चला गया।

अपने रूम में मैं थोड़ा देर बैठा रहा और माँ कुछ देर बाद सो गयी होगी मैं उठा और माँ की रूम की तरफ गया और माँ को जगा कर बोला मम्मी दर्द बहोत हो रहा था डॉक्टर के पास चलो ना इतने में माँ बोली बेटा इतने रात में 

कोई डॉक्टर कहा मिलेगा और उसने मुझे अपने बेड पर बैठने को कहा।
मैं बैठा और माँ उठ गयी और बोली दिखा मैं देखु कही तेरा नुनु सूज तो नहीं गया। माँ अभी भी मुझे बच्चा समझती थी और मेरे लंड को नुनु पुकार रही थी।
माँ के बोलने पर मैंने लण्ड बहार निकला और माँ पहले लाइट चालू की फिर मेरे लंड को देखने लगी मेरा लण्ड बिलकुल नार्मल था क्यों की मैं तो ड्रामा कर रहा था , इतने में माँ बोली बेटा नुनु के ऊपर की चमड़ी को पीछे करो अंदर देख लेती हु कही वहां तो चोट नहीं लग गयी।

अभी तक माँ ने मेरे लण्ड को छुआ नहीं था वो सिर्फ दूर से ही देख रही थी , जैसे ही मैंने सुपाड़ा खोला माँ उसको पास से देखि और बोली ठीक तो दिख रहा है हो सकता है अंदरूनी चोट आयी होगी मैं तेल दे रही हु अपने रूम में जाओ और बैठ कर मालिश कर लो कुछ आराम मिलेगा।

मैं बोलै माँ मुझ से नहीं होगा बहोत दर्द हो रहा है आप डॉक्टर से पास चलो मुझे ले कर, माँ कुछ टाइम खड़े खड़े कुछ सोची और बोली चलो मैं ही मालिश कर देती हु।

अब मैं बेड पर लेट गया और अपनी लोअर पूरा उतार दिया निचे से पूरा नंगा हो चूका था मम्मी बेड पर बैठ कर हाथ में तेल लगा कर जैसे ही मेरे लंड को टच की मेरे पूरी बॉडी में करंट जैसा लगा , ये पहली बार था जब किसी औरत ने मुझे ऐसे देखा और छुआ था। अब माँ मेरे लण्ड में तेल डाल कर ऊपर निचे कर के मालिश करने लगी धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा होने लगा और टाइट हो कर पूरा खडा हो गया अब मेरा मोटा और लम्बा लंड माँ की हाथ में था वो अभी भी शर्मा रही थी।

मेरे लंड की मालिश करते करते अब माँ का सरमाना काम हो गया और वो जोर जोर से लंड हिला हिला कर ऊपर निचे करने लगी मुझे बहोत मजा आ रहा था मुझ से रुका नहीं गया और मेरे लंड का पानी जोर से निकला और माँ के मुँह और उसके बाल में जा कर गिरा मेरी पूरी बॉडी एक बार जोर से अकड़ ही गयी जैसे ही लुंड से वीर्य की धार निकली।

माँ उठी और कपडा ले कर वीर्य मेरे लंड और अपने मुँह से साफ़ की और बोली बेटा अब तू बड़ा हो गया है। मैं बोला माँ ये पानी जैसा क्या निकला तो वो बोली ये वीर्य है इस से बच्चा पैदा होता है मैं पूछा अब मेरा बच्चा पैदा हो जायेगा क्या ? मैं पूरा नाटक कर रहता था जब की मुझे तो सब पता था और माँ को चोदने का पूरा प्लान ठीक जा रहा था।

माँ बोली नहीं मेरे लाल बच्चा सेक्स करने से होता है, मैं बोला सेक्स कैसे होता है तो वो बोली तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या ? मैंने कहा नहीं है.

तब वो बोली जब तेरी गर्लफ्रेंड होगी तब तू सब समझ जायेगा और पूछने लगी अभी दर्द कम हुआ क्या ?
मैं बोला हा थोड़ा कम हुआ है, माँ मेरे लंड की मालिश करते हुए थोड़ी गर्म हो चुकी थी और मेरे लंड की तरफ बार बार देख रही थी, फिर बोली तेरा लंड तो तेरे पापा से बड़ा और मोटा है।

इस बार माँ ने नुनु नहीं बोला ये सुन कर मैं खुस हो गया और माँ को गले लगा कर आई लव यू बोला माँ ने मुझे आई लव यू टू बोल कर गाल पर किश दिया।

अभी माँ की साँसें तेज और गरम हो चुकी थी क्यों की एक जवान लड़का उनके सामने नंगे लंड लिए बैठा था। मेरा लंड ढीला पड़ चूका था इतने में माँ बोली एक बार और मालिश कर देती हु पूरा दर्द चला जायेगा और मैं हाँ बोल कर फिर से लेट गया और माँ फिर से लंड की मालिश करने लगी और बोली बेटा मैं तेरे लंड की और अच्छे से मालिश कर देती हु और वो जोर जोर से रगड़ कर मालिश करने लगी इतने में मेरा लुंड फिर से खड़ा हो गया।
दोस्तों आगे की स्टोरी स्टोरी पढ़ने के लिए इन्तजार करे मैं जल्दी ही आगे की स्टोरी ले कर आ रहा हूँ और प्लीज कमैंट्स कर के बताये आप को यहाँ तक की कहानी कैसे लगी ?
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