बुर को होठो से चूसने का मजा bur ko hotho se chusne ka maja

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मैंने एक कुंवारी बूर को दो साल पहले चोदा था, वो बूर पड़ोस की एक कमसिन जवान जन्नत की परी की थी।
दोस्तो, मेरा नाम रौनित है। मेरी उम्र 23 साल है। मैं एक आकर्षक लड़का हूँ। मैं इस वक्त अपनी ग्रेजुएशन फाइनल कर के UPSC की तैयारी कर रहा हूँ। 2 साल पहले मैं पहली बार गोरखपुर आया था। उस समय मैं दसवीं पास करके इंटर की तैयारी करने के लिए आया था। तो मैंने अपने लिए एक छोटा सा फ्लैट लिया। मैं जिस मकान में रहता था उसके बगल वाले फ्लैट में एक गोरी सी लड़की रहती थी। वो एक बहुत मस्त माल थी।
उसकी फिगर का साइज़ 33-28-34 का था। वो बहुत कामुक लड़की थी। उसे देख कर मेरा जी करता था कि उसे अभी जाकर चोद डालूँ, पर ऐसा कर नहीं सकता था।
उसकी 34 इंच की चूचियों को देख कर मेरा जी करता कि इनको इतना मसलूँ कि चूचियों में से दूध निकल कर मेरे लंड को भिगो दे। उसकी उठी हुई गांड का तो कोई जबाव ही नहीं था। वो कोई जन्नत की परी लगती थी।
वो हमेशा मुझको देखती रहती थी। मुझे उससे प्यार होने लगा था। कुछ समय बाद मुझसे रहा नहीं गया और एक दिन मैंने इशारे से उसे छत पर आने को कहा। उसने भी इशारे में ‘हाँ’ कह दी।
उसकी हामी मिलते ही मेरा दिल तो गार्डन-गार्डन हो गया।
मैं तुरंत छत पर गया। कुछ समय बाद वो भी छत पर आ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.. तो वो शरमा गई।
फिर मैंने उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम मीरा बताया।
मैंने कहा- बहुत सुन्दर नाम है।
वो ‘थैंक्स’ बोल कर मेरा नाम पूछने लगी.. तो मैंने अपना नाम बताया।
उसके बाद मैंने उससे कहा- आई लव यू..
इस पर वो मुस्कुराने लगी तो मुझे समझ में आ गया कि हरी झंडी हो गई है।
मैंने तुरन्त उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठों पर लम्बा सा किस कर दिया।
वो शर्मा गई और मेरा हाथ छुड़ा कर नीचे भाग गई।
इस प्यार की शुरूआती अगन से मेरी तो हालत पतली हो गई।
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जब उस रात मैं स्टडी कर रहा था तो उस वक्त मैं सिर्फ मीरा के बारे में ही सोचता रहा। तभी अचानक उसने छत के रास्ते से आकर मेरे कमरे का दरवाजा खड़काया.. मैंने खोला तो वो तुरंत अन्दर आ गई। उस समय मैं सिर्फ़ चड्डी पहने हुए था। वो मुझे देखकर शर्मा गई।
मैंने सबसे पहले दरवाज़ा लॉक किया और उसका हाथ पकड़ कर अपने बिस्तर बैठा लिया। इसके बाद मैं खुद भी उससे सट कर बैठ गया। मैं उसके साथ यूं ही बात करने लगा फिर उसके साथ माहौल को हल्का बनाने के नजरिए से उसकी फैमिली के बारे में पूछा।
वो बोली- पापा हर 6 महीने में केवल एक हफ्ते के लिए आ पाते हैं। उनके बिना अच्छा तो नहीं लगता है पर क्या करें.. हम लोग यहाँ सिर्फ स्टडी के लिए रह रहे हैं।
मैंने जानबूझ कर उसके बालों को सहलाने लगा। मैंने पूछा- हम लोग से मतलब?
वो बोली- हम सब से मतलब.. मैं और मेरा भाई.. वो अभी 6वीं में है.. मेरी मम्मी के साथ ही यहाँ रहते हैं।
मैंने कहा- अच्छा.. तो आज मम्मी कहाँ गई हैं।
वो बोली- मेरे मामा जी की तबीयत खराब हो गई है.. तो मम्मी उन्हें देखने गई हैं.. और मेरा भाई सो रहा है।
ये सुनकर मैं समझ गया कि मीरा की बूर में खुजली हो रही होगी, सो ये अपने आप इधर मेरे पास आ गई है। ये सोच कर मेरा लंड 90 डिग्री का कोण बनाने लगा। मैंने बिना देर किए उसके होंठों को पीना शुरू कर दिया, वो भी मचलते हुए मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया.. तो वो मेरे लंड को ऊपर से ही दबाने लगी।
मैंने उसके होंठों को चूस-चूस कर एकदम लाल कर दिया। वो भी अकड़ कर एकदम हॉट हो चुकी थी। उसने मेरी चड्डी में अपना हाथ डालकर लंड को बाहर निकाल लिया।
‘ओह्ह ये बहुत बड़ा है।’
वो जोर-जोर से मेरे लंड को मसलने और दबाने लगी। मैंने भी उसका टॉप उतार दिया फिर स्कर्ट को भी खोल दिया।
अब वो मेरे सामने सिर्फ पिंक ब्रा और ब्लैक चड्डी में थी। उसकी चूचियां एकदम तने हुए संतरे जैसी लग रही थीं। उसकी चूचियां बिल्कुल ठोस थीं। मैंने उसकी ब्रा को भी अलग कर दिया। फिर मैंने उसकी पेंटी को भी खींच कर उतार दिया।
आह्ह.. वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी।
मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा और उसकी जाँघों को सहलाते हुए उसकी बूर तक हाथ ले गया। वो अजीब-अजीब तरह की आवाज निकाल रही थी ‘प्लीज़.. ऐसा मत करो.. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता.. ऊओईईई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… कुछ करो..’
उसकी ऐसी कामुक आवाजों से पूरा कमरा गूँज रहा था। वो पूरी तरह से बूर चुदवाने के लिए तैयार हो चुकी थी।
मैंने उसकी बूर को अपने होंठों से चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। उसका पूरा मुँह मेरे लंड से भर चुका था। वो पूरी तरह से मेरे बस में आ चुकी थी।
पूरा कमरा चुदास से भरी सीत्कारों से गूँज रहा था। मैं उसके ऊपर 69 के पोज़ में था।
अब वो झड़ने वाली थी। मैं उसकी बूर की खुशबू में पागल सा हो रहा था। मैं उसकी बूर में अपनी जीभ को अन्दर-बाहर कर रहा था। वो अब सिर्फ़ अपनी सीत्कारों में खुद को चोदने के लिए कहे जा रही थी।
‘फक मी फक मी.. रौनित अब और मत तड़ापाओ.. फक मी.. चोद डालो मुझे.. बनो दो मुझे औरत.. अपनी पत्नी बना कर चोद दो फाड़ डालो मेरी बूर को.. प्लीज़ मत तड़पाओ..’
तभी वो एकदम से अकड़ गई और झड़ने लगी। मैं उसकी बूर के पूरे पानी को पी गया।
हम दोनों को ऐसा करते हुआ काफी देर हो चुकी थी। वो झड़ने के बाद अब थोड़ी शांत हो गई थी और मेरे लंड को चूस रही थी। अब मैं भी झड़ने वाला था।
वो मेरे लंड को बड़ी बेरहमी से चूस रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि आज ये लंड खा जाएगी।
तभी मैंने उसके मुँह में ही अपना पूरा रस छोड़ दिया। वो झड़ते हुए लंड को चूस कर पूरा वीर्य पी गई।
अब वो फिर से गर्म हो चुकी थी। उसने खुद से मेरा लंड अपने चूचों के बीच में फंसा कर रगड़वाने लगी। इससे मेरा भी जोश फिर से चढ़ने लगा।
मैं तुरंत उसके चूचों को दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी चूचियों को चोदने लगा।
वो एकदम पागल हो चुकी थी।
‘आह्ह.. रौनित प्लीज़ मुझे चोद दो.. अब मत तड़फाओ।’
अब मुझको भी लगने लगा था कि ये चोदने का सही समय है।
मैंने उसकी बूर को फिर से एक बार देखा। बूर पूरी तरह से खुशबूदार पानी से लबरेज लग थी। ऐसा लग रहा था कि गुलाब की पंखुरियां खिल चुकी हों।
मैंने तुरंत अपने लंड में क्रीम लगाई और थोड़ी सी क्रीम उसकी बूर पर भी मल दी। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी बूर पर रखा.. वो सिहर गई।
अब मैंने देर न करते हुए उसकी बूर में एक झटका दे डाला। वो चिल्लाने लगी मैंने तुरंत उसके मुँह पर हाथ रख दिया वो थोड़ी देर के दर्द के बाद वो कुछ शांत हुई तो मैं उसकी बूर में लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। लंड अभी पूरा बूर के अन्दर नहीं घुसा था।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और कसके एक झटका और दे दिया। अब वो एकदम अकड़ने लगी।
वो बोल रही थी- आह्ह.. छोड़ दो.. बहुत दर्द हो रहा है।
शायद इसी लिए वो हमेशा लंड पकड़ कर कह रही थी कि ये बहुत बड़ा है। आखिर लंड था भी लम्बा।
वो लंड से हुए दर्द से तड़फ रही थी। लेकिन अब कोई उपाय नहीं था।
वो रोने लगी.. मैंने फिर एक बार धक्का दे दिया.. वो बुरी तरह से रोने लगी थी और छटपटाए जा रही थी।
लेकिन मुझको तो ज्यादा मजा इसी समय आ रहा था। मैं लगातार उसकी बूर में धक्का मार रहा था। वो रो रही थी.. उसकी छूट से खून की धार छूट गई थी। मेरा पूरा चादर पर खून के छींटे आ गए थे।
अब वो भी कुछ शांत हो रही थी। मैं भी उसे और तेजी से चोदने लगा। कुछ पल बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं उसे लगातार चोदता रहा। वो भी मेरा साथ देती रही। अब तक वो दो बार झड़ चुकी थी।
मैं भी दो बार झड़ चुका था। तब हम दोनों उसी तरह मेरा लंड उसकी बूर में ही घुसा रहा। हम लोग कुछ देर बाद फिर से चुदाई में लग गए। लेकिन अब वो उठने की हालत में नहीं थी।
मैं तुरंत जाकर फ्रेश हुआ और अपनी फर्स्ट एड बॉक्स से उसको कुछ दर्द की गोली दी।
फिर मैंने एक घाव सूखने वाली क्रीम अपने लंड पर लगा कर उसकी बूर में लंड डाल कर लगा दी।
अब वो कुछ ठीक महसूस कर रही थी। मैंने उसके लिए चाय बनाई और उसे सुला दिया।

अपने भाई के इलाज के लिये मैंने डॉक्टर से चुदवाया apne bhai ke ilaj ke liye mene doctor se chudvaya

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हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम पल्लवी पाण्डे है, मै अहमदाबाद कि रहने वाली हूँ। मेरी उम्र लगभग 19 साल है। आज मै आप सभी को ऐसी कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरी जिंदगी में घटती हुआ है। इस देश में जिस डॉक्टर को भगवान कहते है, लेकिन बहुत से डॉक्टर भगवान नही हैवान होते है। आज मै एक कहानी सुनाने जा रही हूँ जो मेरी कहानी है और मेरे भाई के इजाक के बहाने डॉक्टर ने मेरी चूत बजाई और अपने लौड़े को मेरी मुह डाल कर मुझको खूब चूसाया।
मै एक गरीब घर की लड़की हूँ, मेरे घर में मै, मेरी माँ और मेरा छोटा भाई रहते है। मेरा एक बड़ा भाई भी लेकिन वो बाहर कमाता है और हमारे लिये पैसे भेजता है। मेरे पीता जी बचपन में गुजर गये थे, मै गरीब घर से जरुर हुईं लेकिन किसी आमिर घर के लडकियो से कम सुंदर नही हूँ। मेरे पीछे गावं के सारे लड़के लगे रहते है लेकिन मै किसी को भाव नही देती हूँ। वैसे तो मै बहुत ही सुंदर हूँ, मेरी आंखे, मेरे लाल गाल और पतले से होठ मेरे छोटे से चहरे पर बहुत सुंदर लगते है। मेरी आंखे तो बहुत ही कटीली है, और आँखों की पलके तोर काफी बड़ी बड़ी है, जिससे आँखों की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। मेरे काले काले बाल जो की मेरे कमर से होती हूँ मेरी गांड को छूती है। मेरे कमसिन और मुलायम चूची की बात करे तो बहुत ही मस्त और काफी आकर्षक है। मेरे मम्मे अभी बहुत ही टाइट और काफी सुडोल क्योकि मैंने अपने मम्मे किसे से भी नही दबवाया है। केवल जब मेरा मन करता था तब मै ही खुद दबा लेती थी। और मेरी चूत तो अभी खुली तक नही है। मेरी चूत का ताला मै किसी को खोलने नही दिया है। मेरी चूत में तो ठीक से मेरी उंगली भी नही जाती है। मैंने बहुत बार अपनी चूत में उंगली की है, लेकिन जैसे है थोड़ी सी उंगली जाती वैसे ही दर्द होने लगता था इसलिए मै ज्यादा अंदर तक उंगली नही करती थी। मेरे घर के बगल में लड़का रहता था, जोकि बहुत स्मार्ट था,मै उसको चाहने लगी थी और वो भी मुझे देख कर हस्त था, एक दूसरे को चाहते चाहते हम दोनों करीब आ गये। और मै एक रात उसके साथ बिताया, उसने पूरी रात मेरी खूब चुदाई की और मेरी चूत का ताला खोल दिया। पूरी रात चुदाई करने के बाद दूसरे दिन से उसने मुझे देखा तक नही। बाद में पता चला कि वो मेरा नही बल्कि मेरी चूत का दीवाना था और उसने मेरी चूदाई करे मेरी तरफ देखा नही। उस चुदाई के बाद मैंने फिर किसी लड़के से नही चुदवाया। मै जान गयी थी कि लड़के केवल चूत के पीछे ही भागते है। सारे लड़के प्यार के नाम पर अपनी हवस को मिटाते है बस।
कुछ दिन पहले कि बात है, मेरे गावं में एक काफी पढ़ा लिखा नया डॉक्टर आया। सब लोग उसकी बहुत तारीफ करते थे, कि वो बहुत अच्छा डॉक्टर है, और बहुत ढंग से बात करता है। ऐसी बहुत सी बातें उस डॉक्टर के बारे में सुना था। एक बार मेरी थोड़ी तबियत खराब थी मै भी उसी डॉक्टर से दवाई लेने गई। जब मै वह पहुंची तो उस दिन उसके केबिन में कोई मरीज नही था। केवल मै अकेली थी, उसने मुझे बैठाया और मेरी सारी परेशानियो के बारे में पूछा। कुछ देर बाद मैंने देखा उसकी नजर मेरे ऊपर थी वो मेरे मम्मो को ताड़ रहा था, मैंने अपने दुपट्टे से अपनी चीची को ठीक से ढक लिया, डॉक्टर मुझे बहुत बुरी नजर से देख रहा था, मै समझ गई कि ये डॉक्टर बहुत ही हरामी है। आप ये कहानी नॉन वेज डॉट कॉम पर पड़ रहें है। मै जल्दी से वहा से दवाई ले कर चली आई। मेरी तबियत उस दिन ठीक नही हुई तो माँ ने कहा – “जाओ एक दिन की दवाई और ले आओ ठीक हो जाओगी.
मेरा मन दवाई लाने को नही कर रहा था, लेकिन मज़बूरी में जाना ही पड़ा। जब मै वहां पहुची तो, डॉक्टर साहब एक मरीज को देख रहे थे , कुछ देर बाद मेरा नम्बर आया। उसने मेरे हाथ को पकड लिया और मेरी नाडी चेक करने लगे, नाडी चेक करने के बहने वो मेरे हाथो को सहलाने लगा। और मुझसे कहा – “तुम्हारे हाथ बहुत मुलायम है”, दवाई देते हुए डॉक्टर मुझे लाइन मार रहा था। कुछ देर बाद जब डॉक्टर ने मुझे दवाई दे दी, तो उसने मुझसे कहा – “तुम बहुत ही अच्छी हो और काफी सुंदर भी हो। मै तुम से एक सौदा करना चाहता हूँ, मै तुमसे दवाई के कभी भी पैसे नही लूँगा, बस तुम एक रात मेरे साथ सो लो, और मै तुम्हे अलग से पैसे भी दूँगा”। मैंने उससे कहा – तुम्हारे घर में माँ बहन नही क्या ?? जो किसी की बहन को ऐसे रात बिताने के लिये कह रहें हो।
मैंने उससे कहा – “अपना ये सौदा अपने पास रखो, और मै को रंडी नही हूँ कि कुछ पैसो के लिये अपने जिस्म को बेच दूँ”। मै वह से चली आई।
कुछ महोनो बाद मेरे छोटे भाई कि अचानक से तबियत खराब हो गयी, मेरे घर में मुश्किल से कुछ ही पैसे थे भैया ने कहा था कुछ दिनों में पैसे भेज देंगे, लेकिन उन्होंने भी पैसे नही भेजे थे। मै अपने छोटे भाई को लेकर जल्दी से डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर ने बताया इससे निमानिया हो गया है और आप जल्दी से पैसे लाइये, मै इसका इलाज शुरू करता हूँ। मैने डॉक्टर से कहा – “अभी ह्मारे पास ज्यादा पैसे नही आप बाद में ले लेना”।
तो डॉक्टर ने कहा – “मैंने तुम को उस दिन कहा था कि मै तुमसे कभी पैसे नही लूँगा। लेकिन तुम नही मानी थी मै आज भी तुमको वो ऑफर फिर दे रहा हूँ। तुम मुझे पैसे मत देना ,मै तुम्हारे भाई का इलाज कर दूँगा लेकिन मेरी बात नही मानोगी तो मै इलाज नही करूँगा”। मुझे डॉक्टर की बात मजबूरन माननी पड़ी मैंने उससे कहा – “आप इलाज करो मै वही करुँगी जो आप कहेगे”। डॉक्टर ने मेरे भाई को ठीक कर दिया, और मुझसे कहा – आज शाम को घर आ जाना। मैंने कहा – ठीक है मै आ जाउंगी।
जब शाम हुई तो मै डॉक्टर के घर आई, मैंने देखा उसकी और उसके पत्नी की तास्वीर दीवार पर टंगी थी, डॉक्टर साहब मुझे अपने बेडरूम में ले गये, और अपने कपड़े उतारने लगे, अपने कपडे उतारने के बाद उन्होंने मेरे सूट को निकाल दिया और मेरी सलवार के नारे को भी खोल दिया और उसको भी निकाल दिया। मै अब केवल पैंटी और ब्रा में बची थी। डॉक्टर ने मेरे कपडे निकलने के बाद उन्होंने मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरे पैरों को चुमते हुए मेरी चिकनी जांघ को चुमते हुए मेरी चूत को भी चूमा और फिर मेरी कमर को चुमते हुए मेरे मम्मो को दबाते हुए और चुमते हुए मेरे गाल को चूमने लगे और कुछ ही देर में उन्होंने मेरे होठो को चुमते हुए चूसने लगे। वो मेरे होठो को किसी लामचूस की तरह से बार बार चूस रहे थे और मै धीरे धीरे उनसे चिपकने लगी थी। आप ये कहानी नॉन वेज डॉट कॉम पर पड़ रहें है। कुछ ही देर में वो बहुत ही उतावले होने लगे और मेरे होठो को काटने लगे और साथ ही मेरे मम्मो को भी दबाने लगे थे। मै धीरे धीरे सिससकने लगी थी। पहले तो मै शर्मा रही थी लेकिन जब मेरे अंदर जोश भडक गया तो भी डॉक्टर साहब को अपने बाहों में जकड लिया और उनके होठो को चूसने लगी। मैं भी उनके बदन को सहलाते हुए उनको किस कर रही थी। हम दोनों बहुत ही कामातुर होने लगे थे। वो लगातार 40 मिनट तक मेरे होठो को काट काट कर पी रहें थे और मै भी उनसे लिपटी हुई उनके होठो को लगातार पी रही थी।
बहुत देर तक किस कारने के बाद डॉक्टर साहब ने मेरी चुचियो को देखने के लिये मेरे ब्रा को निकाल दिया और मेरे मम्मो को बहुत ही उत्तेजना से दबाने लगे, कुछ देर तक मेरे मम्मो को दबाने के बाद उन्होने मेरे मम्मो को पीना शुरू किया। वो मेरे मम्मो को किसी बच्चे की तरह पी रहें थे, ऐसा लग रहा था की मै उसकी माँ हूँ और वो मेरे चुचियो से दूध पी रहा हो। धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा था। जब डॉक्टर साहब मेरे मम्मो को दबा दबा कर पी रहें थे और मै सिसकते हुए ..आह अहह अहह ओह्ह्ह ओह करके धीरे धीरे मचल रही थी। वो मेरे मम्मो के निप्पल को अपने धारदार दांतों से कटे और मेरे मम्मो को पीने लगते। कभी कभी तो वो मेरे पूरे मम्मो को अपने मुह में भर लेते जिससे उनके दांत मेरी चुचियो में लगने लगते और जोर जोर से अह्हह्ह….अहह … ओह्ह्ह, ओह ओह … करके चीखने लगती।
बहुत देर तक मेरी चुचियो को पीने के बाद डॉक्टर साहब ने अपने लंड को मेरे हाथो में पकड़ा दिया और मुझसे कहा – “चूसो मेरे लंड को मैंने उनके लंड को चुसने से मना कर दिया”, तो उन्होंने जबरदस्ती मुझसे अपना लंड चुसवाने लगे। कुछ देर उनके लंड को चुसने के बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा था। आप ये कहानी नॉन वेज डॉट कॉम पर पड़ रहें है। मै उनके लंड को मस्ती से चूसने लगी थी, मेरे लंड चूसने से उनके लंड की ताकत और भी बढ़ रही थी, जिससे लंड और भी टाइट होता जा रहा था। बहुत देर तक अपने लंड को चूसने के बाद डॉक्टर ने मेरे मम्मो को दबाते हुए मेरी चूत को सहलाने लगे।
मेरे मुह से लंड निकलने के बाद वो मेरी चूत को सहलाते हुए मेरी पैंटी को निकाल दिया औ मेरी चूत की खुशबू लेते हुए वो मेरी चूत की पीने लगा। वो मेरे आधी कुवारी और रसीली चूत की अपने जीभ से चाटने लगा था। डॉक्टर साहब बार बार मेरी चूत की मुलायम और लाल दाने को अपने खुरदरी जीभ से चाट रहें थे जिससे मै मचल कर तडप रही थी और अपने कमर को उठाते हुए अपने मम्मो को दबा रही थी। वो मेरी चूत को मुह में भर के अपने मुह के अंदर की ओर खीचते जिससे मेरे चूत के एक अजीब सी लहर उठी और मेरे पूरे शरीर में फ़ैल जाती जिससे मै तड़प के चीखने लगती। ऐसे ही बहुत देर वो मेरे चूत को पीते रहें जब तक मेरी बुर का पानी नही निकला।
मेरी चूत के पानी को पीने के बाद उन्होंने मेरी चूत को चोदने के लिये मेरी चूत को फैलाते हुए अपने लंड को मेरी चूत के बीच में रख दिया और धीरे धीरे मेरी चूत में रगडने लगे, और कुछ ही देर बाद उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगाकर किसी जानवर की तरह से मेरी चूत में अपने लंड को डालने लगे, उनका लौड़ा काफी मोटा था और मेरी चूत का छेद थोडा छोटा था, इसलिए जब उनका लंड मेरी चूत गया तो मै बड़ी तेज से चीखने लगी, और अपने चूत को मसलने लगी। आप ये कहानी नॉन वेज डॉट कॉम पर पड़ रहें है। डॉक्टर साहब मेरी चूत को तेजी से बजाने लगे और मै बेड के चादर को अपने हाथो से पकडे हुए अपने बदन को ऐठते हुए चीख रही थी। डॉक्टर का लंड मेरी के अंदर जाता तो ऐसा लगता जैसे कोई छोटी लौकी मेरी चूत में जा रहो हो। मेरे दिमाग में बड़ी जोर की यौन उत्तेजना होनी लगी। मेरे जिस्म की रग रग में, एक एक नश में खून फुल रफ्तार से दौड़ने लगा। और मै अपनी चुचियो को मसलते हुए बड़ी तेज तेज से आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…….मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ….ही ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ..”प्लीसससससस……..प्लीसससससस, उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…” माँ माँ….ओह… आराम से चोदो मेरी फाड़ दोगे क्या ,… उनहू उनहू ..करके मै चीखने रही थी और मेरी चूत कुछ ही देर में दर्द से गीली हो गयी।
डॉक्टर साहब ने मुझे अपने ऊपर बिठा लिया और खुद नीचे लेट गये और मेरी चूत में अपने लंड को डाल दिया और मेरी कमर को पकड कर ऊपर नीचे करने लगे। ये वाला तो पहले से भी ज्यादा दर्द दे रहा था, कुछ देर बाद में खुद ही ऊपर नीचे होने लगी और अपने चूत को दर्द से जल्दी जल्दी मसलने लगी थी। और जोर जोर से चीख भी रही थी। बहुत देर तक वो मेरी चूत को इस तरह से चोदा।
फिर उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया, और मेरे पैरों को उठा दिया जिससे ,मेरी चूत बिल्कुल खुल गई और वो मेरी चूत को चोदने लगे। कुछ देर में वो अपनी पूरी ताकत लगा कर चोदने लगे ऐसा लग रहा था की मेरी बुर आज ही फट जायेगी, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथो से मुठ मारने लगे। कुछ देर लगातार मुठ मारने पर उनका वार्य निकलने वाला था , उन्होंने अपने लंड को मेरे मुह के तरफ कर दिया और जल्दी जल्दी मुठ मारने लगे। उनके लंड से वार्य निकलने लगा और मेरे मुह को पूरा सफ़ेद कर दिया।

मैंने अपने मुह को साफ किया और अपने कपडे पहन लिया, लेकिन डॉक्टर साहब का मन नही भरा था, इसलिए उन्होंने मुझे जबरदस्ती एक राउंड और चोदा। और उसके बदले में मुझे कुछ पैसे भी दिए।

मै सेक्स का भूखा me sex ka bhukha

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जब मैं कोलज में था। मैंने कुछ सब्जेक्ट्स की कोचिंग लेनी थी सो मैंने एक कोचिंग सेंटर में प्रवेश ले लिया और पढ़ने लगा। वहाँ काफी लड़के और लड़कियाँ पढ़ने आते थे और मेरी आदत थी लोगों से दोस्ती करने की, तो जल्द ही सभी लोगों से मेरी दोस्ती हो गई।

मैं ठहरा सेक्स का भूखा, तो जाहिर है मेरी रुचि लड़कियों में ही ज्यादा थी। धीरे-धीरे मेरी दोस्ती लड़िकयों से बढ़ गई। उनमें से एक लड़की थी जो मेरे ज्यादा नजदीक आने लगी थी। मैं उसके घर भी जाने लगा था, उसके घर वाले मुझको अच्छी तरह से जानते थे। मेरा उसके घर आना जाना बढ़ने लगा और अब मैं रोज क्लास के बाद उसके साथ उसके घर जाता और घंटों हम लोग बातें करते रहते। बहुत सेक्सी लड़की थी वो, जब टी-शर्ट पहन कर आती थी तो उसके उभारों का क्या कहना ! ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड़ हों। और नितम्ब बहुत मस्त लगते थे। शुरुआत में हमारी बातें सामान्य थी पर धीरे धीरे हम लोगों में नजदीकियाँ बढ़ने लगी। अब जब भी मैं उसके घर जाता हम लोग उसके कमरे में जाकर बैठ जाते, वहाँ कोई नहीं आता था तो हमको कोई चिंता नहीं थी। अब जब भी मैं वहाँ जाता वो मेरे घुटनों पर सर रख कर लेट जाती और हम बात करते। पर जब वो ऐसे लेटती थी तो मेरी नज़रें उसके कुरते के ऊपर और अंदर से उसके उभारों को ढूँढती रहती। मैं उसके सर को सहलाता रहता। इस अवस्था में कई बार मेरी नज़रें उसके उभारों के बीच की दरार के बीच अटक जाती। क्या मस्त स्तन थे उसके, बिल्कुल सीधे और बड़े बड़े।

एक दिन मैंने उससे कहा- तुम ऐसे मत लेटा करो, मेरी नियत ख़राब होती है।
तो वो बोली- कैसे?
तो मैंने उसके कुरते के गले की ओर इशारा करते हुए कहा- वहाँ से कुछ अंदर का दीखता है।
तो वो शरमा गई।
फिर जब मैं अगली बार उसके घर गया तो वो फिर वैसे ही लेट गई तो मैंने उससे वही बात कही तो वो बोली अगर नियत ख़राब होती है तो कर लो।
मुझको उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी पर उसके मुँह से यह बात सुन कर मेरी तो जैसे निकल पड़ी।
मैंने कहा- सोच लो !
तो उसने सहमति में सर हिला दिया और वैसे ही आँखें बंद कर के लेटी रही। मेरा तो मेरी ख़ुशी पर काबू ही नहीं था। आज ऐसा मस्त माल मिला था चोदने को कि पूछो मत।
मैंने धीरे से अपने हाथ उसके कुरते के ऊपर से उसके उन्नत उभारों पर रखे और उनका जायजा लेने लगा। मेरे हाथों में उसके स्तन पूरे नहीं आ रहे थे। पर मैं धीरे-धीरे उनको ऊपर से दबाने लगा और वो कसमसाने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- क्या मैं अन्दर हाथ डाल लूँ?
तो उसने फिर सहमति में सर हिला दिया। मैंने उसके गले पर हाथ फेरते हुए अपना सीधा हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से दबाने लगा। क्या मस्त कोमल चूचियाँ थी उसकी। मुझे उनको दबाने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उसको बैठाया और उसके लाल होंठों पर हाथ फेरे। फिर धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अब हम लोग एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। हमारी जीभ एक दूसरे के मुँह में घूम रही थी और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर और दूसरा उसके स्तन दबा रहा था। इसी मस्ती में मैंने अपना हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। मेरा हाथ बार बार उसके ब्रा के हूक पर जा रहा था।
मैंने उससे कहा- प्लीज, अपना कुरता उतार दो !
तो उसने मना कर दिया पर थोड़ा और बोलने पर वो तैयार हो गई। मैंने धीरे से उसका कुरता उतार दिया। उसके ऊपर के शरीर पर सिर्फ एक ब्रा थी। मैंने उसको बिस्तर पर लेटा दिया और उस पर चढ़ गया। उसके उन्नत उरोज़ मेरे सीने पर लग कर बहुत अच्छा अनुभव दे रहे थे। हम लोग लगातार एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं उसके पूरे शरीर पर हाथ फेर रहा था। कभी मैं उसके ऊपर कभी वो मेरे ऊपर।
करीब एक घंटे तक हम यही करते रहे। मेरा मन तो उसको चोदने का था पर उसका मूड इससे आगे जाने का नहीं था सो मैंने जोर नहीं दिया और यही खूबसूरत एहसास ले कर आ गया।
उससे मना तो कर दिया था पर मैंने उसको चोदने का मन बना किया था और इस काम के लिए मुझको क्या करना था मैं जानता था। अब रोज ही हम लोगो में ऐसी मस्ती होने लगी। 3-4 दिन बाद मैंने उसको कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के यानि नंगा देखना चाहता हूँ !
तो वो शरमा गई और अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया।
मैंने उसके हाथों को हटा कर उसके चहरे को चूम लिया। रोज की तरह मैं उसका कुरता पहले ही उतार चुका था। मैंने धीरे से उसके ब्रा का हूक खोल दिया और उसके ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया। उसके मोटे मोटे वक्ष मेरे सामने थे। मैंने फुर्ती से उनको पकड़ लिया और दबाने लगा। मैंने एक चुचूक अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मुझको बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी मस्ती में खोने लगी थी। मेरे हाथ उसके पूरे शरीर को टटोल रहे थे। उसकी जांघों, उसके नितम्बों और उसकी चूत को भी मैं सहला रहा था। वो मस्ती से चूर हो रही थी और अब उसके चूतड़ भी उछल रहे थे। मुझको इतना अनुभव तो था हो अगर लड़की अपने चूतड़ उछालने लगे तो समझो लड़की चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है।
मैं उसके वक्ष को चूसते हुए उसके पेट को चूमने लगा और इसी बीच धीरे से मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और धीरे धीरे उसके पजामे को नीचे सरकाना शुरु कर दिया। उसकी जांघें बिल्कुल संगमरमर की तरह चिकनी थी बिना बालों के। उसकी गुलाबी रंग की पैंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। उसमें उसकी फुद्दी बिल्कुल पाव की तरह फूली थी और उसकी पैंटी थोड़ी गीली भी हो गई थी।
मैंने पजामा उतारना शुरु कर दिया वो पहले मना करती रही पर मैं नहीं रुका तो उसने विरोध करना बंद कर दिया। मैंने उसका पजामा उसके शरीर से उतार कर एक तरफ़ फेंक दिया। अब वो सिर्फ पैंटी में थी और उसकी पाव जैसी फुद्दी मुझको अपनी और आकर्षित कर रही थी। मैंने बिना वक्त गंवाए उसकी चूत पर मुँह लगा दिया और पैंटी ले ऊपर से ही उसको चूसने लगा। वो मेरे सर को जोर जोर से दबाने लगी और मैं भी जोश में आकर उसकी चूत को चूसने लगा।
अब मैं अपने आपे से बाहर हो रहा था। मैंने अब मौका गंवाए बिना उसकी पैंटी भी उतार फेंकी। अब वो बिल्कुल नंगी थी बिना कपड़ो के, बिना बालों के, बिल्कुल चिकनी। मैं उसके पूरे शरीर पर हाथ फेर रहा था और उसकी फुद्दी को मसल रहा था। वो मस्ती में चूर थी और मेरा भी वही हाल था। मैंने उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था और उसमें अपनी उंगली डाल रहा था।
फिर मैं अपना मुँह उसकी चूत के पास लेकर गया और उस पर चूम लिया। उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी। मैं अब उसकी चूत को अच्छी तरह देख सकता था। मस्त, गुलबी, बिना बालों की एकदम फूली हुई चूत थी उसकी जिसमें से अजीब सी खुशबू आ रही थी। उसकी चूत को देख कर साफ़ पता लग रहा था कि उसने अपने बाल आज ही साफ़ किये थे मतलब आज वो इसके लिए तैयार थी।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसको चाटने और चूमने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसका रस पी रहा था।
मेरा लंड पैंट के अन्दर नहीं समा रहा था सो मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया। मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया और उसके होंठों पर रगड़ने लगा। उसने मेरे लंड को प्यार से देखा और उसे चूमने लगी।
मैंने उसको कहा- जान, इसको अपने मुँह में लेकर इस पर एहसान कर दो।
उसने बिना वक़्त गंवाए मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में रख लिया। मुझको ऐसा लगा मानो मैं जन्नत में हूँ। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसके मुँह के अन्दर था और मैं उसके मुँह को झटके मार मार कर चोद रहा था। फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गये। मेरा मुँह उसकी चूत को चाट रहा था और उसका मुँह मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रहा था।
अब हम लोग अपने बस में नहीं थे और अब रुक भी नहीं सकते थे सो मैंने अपना लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया। उसकी चूत पानी निकलने के कारण चिकनी हो चुकी थी सो मेरे एक ही झटके से मेरा लंड उसकी चूत में उतर गया। मैं भी पुराना खिलाडी था सो लंड डालते ही मुझको पता चल गया कि यह लड़की पहले भी लंड खा चुकी है पर अभी मुझको अपने मज़े से मतलब था। अगर किसी ने पहले इससे मज़े लिए हैं तो मुझको क्या। मुझे जो चाहिए थे वो मिल रहा थे और चूत से खेलने का हक तो सबको है।
अब मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में था। मेरा लंड उत्तेजित हो कर मोटा हो गया था और उसकी चूत में रगड़ खा रहा था। हम लोगों को बहुत ही मज़ा आ रहा था। मैं अपने लंड से उसकी चूत में धक्के मार रहा था और वो भी चूतड़ उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम लोग झड़ने लगे। उसने मेरे लंड को अपनी चूत दबा के अन्दर ही फंसा रखा था और वो अपनी चूत से मेरे लंड को दबा रही थी।
थोड़ी ही देर में पहले उसने अपनी धार छोड दी और अब मेरा नंबर था। जैसे ही मेरा रस निकलने को हुआ मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। मेरा सारा रस उसके मुँह में निकलने लगा। जितना वो पी सकती थी उसने पिया बाकी उसके चहरे पर बह गया। उसने एक कपड़े से अपना मुँह साफ किया और हम लोग वैसे ही लेट गए। हम लोगों को इस काम में बहुत मज़ा आया था। हम दोनों अब एक दूसरे से चिपक कर लेटे थे।
उसके शरीर क़ी गर्मी से थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा। अब मेरा लंड उसके चूतड़ों क़ी दरार के बीच था। उसने फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूस-चूस कर खड़ा कर दिया। अब मैंने उसको घोड़ी की अवस्था में आने को कहा तो वो अपने घुटनों पर बैठ कर घोड़ी बन गई। मैंने उसकी गांड के छेद पर क्रीम लगाई और अपना लंड उस पर रख कर जोर लगाने लगा। थोड़ी देर क़ी मेहनत के बाद मेरा लंड उसकी गांड में था। मैंने फिर उसकी गांड क़ी चुदाई शुरु कर दी और अपने हाथ उसके वक्ष पर रख के उनको दबाने लगा। हम लोग बिलकुल कुत्तों की तरह एक दूसरे को चोद रहे थे। थोड़ी देर क़ी चुदाई के बाद हम लोग दुबारा झड़ गए।
फिर कुछ देर वैसे ही लेट कर सो गए। थोड़ी देर बाद मैं उठा और कपड़े पहन कर तैयार हो गया। वो अभी भी बिना कपड़ों के लेटे मुझको देख रही थी।
उसने मेरा हाथ पकड़ के कहा- मन अभी भरा नहीं ! अभी मत जाओ !
तो मैंने उसके होंठों को चूम कर कहा- जान, चिंता मत करो, अब तो मैं तुमको रोज खुश किया करूँगा।
फिर मैंने उसके चुचूक मुँह में लेकर उनको बहुत देर तक चूसा और फिर घर आ गया।
उसके बाद हमको जब भी मौका मिलता हम सेक्स करते और सिलसिला लगभग रोज ही चलता। जब तक वो मेरे साथ रही हम लोगों ने हर आसन का मज़ा लिया। जितने तरीके हो सकते थे हमने आजमाए।
आज मेरी वो दोस्त मेरे साथ नहीं है पर आज भी वो मुझको बहुत याद आती है। मैं चाहता हूँ कि अगर वो इस कहानी को पढ़ रही है तो वापस मेरे पास आ जाये। मैंने अब उसको पहले से भी ज्यादा मज़ा दूँगा। मेरा लंड आज भी उसकी याद में खड़ा हो जाता है।

गर्ल फ्रेंड से की गंदी चुदाई Girl Friend se ki gandi chudai

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एक सवेरे दरवाजे की घण्टी बजी, खोला तो सामने शाहीन को खड़ा पाया। वैसे शाहीन बिना फोन किये आती नहीं थी। साथ में एक और लड़की थी। दरवाजा खुलते ही शाहीन मुझे किनारे कर उस लड़की को मेरे घर में ले आई, मैं भी अन्दर आया तो ध्यान से देखा कि उस लड़की की आँखें सूजी हुई थी शायद रात को सोई नहीं थी और रोई भी होगी।
“यह पूजा मल्होत्रा है, मेरी दोस्त है और ऑफिस में साथ में काम करती है।” शाहीन ने शुरू किया। फिर कुछ सोच कर मुझे हाथ पकड़ बेडरूम की बालकनी में ले गई, मेरी सिगरेट निकाल कर जलाई, सुट्टा मारा और बोली, “पूजा, अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहती थी, हरामी इमरान की तरह शादी का वादा कर इसके बदन से खेल कर मज़े लूटता रहा। शादी को लेकर कल दोनों में झगड़ा हो गया तो रात को 4 बजे घर से निकल जाने को बोला। पूजा के पापा कनाडा में रहते हैं, 2-3 दिन में उसके लिए टिकट भेज रहे हैं। तब तक तुम्हारे यहाँ रहेगी, चलेगा ना?”
ऐशट्रे में रखी सिगरेट के धुएँ में शाहीन दोनों हाथों से मेरी बाहें पकड़े मेरे से उस फैसले पर मोहर लगवा रही थी जो वो ले चुकी थी। उसकी बड़ी बड़ी सुन्दर आँखें एक आशा भरा प्रश्न चिह्न लिए हुए थी।
“मैं कौन सा शरीफ़ इंसान हूँ? कई लड़कियों के साथ सो चुका हूँ।” मैंने सवाल दागा।
“पर तुम झूठे वादे करके नहीं खेलते हो और ज़बरदस्ती नहीं करते हो, जैसे हो वैसा बिंदास बोल देते हो !” शाहीन मेरे मुँह पर मेरी तारीफ़ कर रही थी या पूजा को रखने के लिए पटाने की कोशिश !
“ठीक है, पर दो शर्तें हैं !” मैंने कहा, “एक मैं उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लूँगा, जैसे खाना खाया या नहीं, और उसकी मौजूदगी में अपने तौर तरीके नहीं बदलूँगा।” शाहीन को दो टूक बोल दिया।
शाहीन ने कुछ नहीं कहा, बस मेरे से कस कर चिपट गई, “तुम्हारे कुर्ते की एमरॉइडरी चुभ रही है !”
मैंने चुटकी लेते हुए कहा, “निकाल दो।”
“बिल्कुल कुत्ते हो !” मुस्कुराते हुए शाहीन बोली और होंटों पर होंठ रख चूमने लगी।
चूमते हुए मैंने उसके कुर्ते के कुछ हुक खोल दिए और अन्दर हाथ डाल ब्रा के हुक भी। शाहीन भी मेरे बरमूडा में हाथ डाल मेरे लंड को उत्तेजित कर रही थी।
तभी हमें पूजा का ख्याल आया। उसी अवस्था में शाहीन ने पूजा को आवाज़ दे अन्दर बुलाया। पूजा के आने पर शाहीन ने मेरी बरमूडा से हाथ निकल लिए लेकिन कंधे पर से सरके कुर्ते को ठीक नहीं किया। मेरे बाहुपाश में ही बोली, “पूजा, जब तक तुम चाहो, यहाँ रह सकती हो।”
“यह रवीश है, जिसके बारे में मैंने बताया था।” शाहीन ने औपचारिक रूप से मिलाया तो पूजा और मैंने हाथ मिलाया।
“तुम थक गई होगी, थोड़ा आराम कर लो, तब तक मैं नाश्ते का ऑर्डर करता हूँ !” मैंने बात पूरी की।
“थैंक्स रवीश, क्या एक सिगरेट ले सकती हूँ?” पूजा पहली बार बोली।
मेरी हामी के साथ सिगरेट जलाई और टॉयलेट में चली गई।
मैंने शाहीन को वहीं बिस्तर पर लिटाया और चूमने लगा। फिर 69 की पोजीशन में वो मेरा लौड़ा चूसने लगी और मैं उसके सलवार में सर घुसा चूत चाटने लगा। हम पूर्ण नग्न नहीं हुए थे क्यूँकि पूजा कभी भी टॉयलेट से बाहर आ सकती थी और नाश्ता वाला भी आने को था।
पूजा निकली और हमारी अवस्था देख जल्दी से बाहर हॉल में चली गई। शाहीन की चूत ने कामरस छोड़ दिया जिसे मैंने पी लिया और उसके सुगंध में मेरी पिचकारी भी चल गई उसके मुँह में ! मैं उसके ऊपर से उठा और एक गहरे चुम्बन में दोनों के कामरस और थूक का मिलन हुआ।
बाहर आये तो पूजा निवृत हो और चेहरा धोकर कुछ शान्त लग रही थी, उसने कपड़े भी बदल लिए, टी-शर्ट और छोटे शॉर्ट्स में सेक्सी लग रही थी।
मैंने तीन गिलास में वाइन डाली और नाश्ता करने लगे। शाहीन क्यूँकि अपने घर पर कह कर नहीं आई थी ऑफिस खत्म होने के समय तक हम साथ ही थे।
थोड़ी देर बातें की फिर मैं बोला, “यार, नाश्ता तो कर लिया पर दांत तो ब्रश किये ही नहीं?”
“गन्दा बच्चा, चलो मैं ब्रश कराती हूँ !” शाहीन प्यार से बोली, ” पूजा, तुम भी थोड़ा सो लो, फिर लंच के लिए चलेंगे !”
पूजा को हॉल में छोड़ हम कमरे में आ गये। आते ही शाहीन ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ ब्रा पेंटी में आ गई।
“शाम को यही पहन घर जाना है, बहुत सलवटें पड़ जायेंगी तो अम्मी को शक हो जायेगा !” उसने सफाई दी।
“इसे भी निकाल दो !” उसकी ब्रा में कैद मम्मे को मसलते हुए मैंने कहा, “इसमें सिलवटें पड़ गई तो? अम्मी को क्या जवाब दोगी?”
“गन्दा बच्चा, चलो ब्रश करा देती हूँ। वैसे भी तुम कितनी देर रहने दोगे इन्हें !”
शाहीन ने मेरे टूथ ब्रश पर पेस्ट लगाया और एक माँ की तरह ठुड्डी पकड़ मेरे दांतों पर रगड़ने लगी और झाग बनाने लगी।
मैं झाग भरे मुँह से ही बोला, “तुमने भी तो इसको चूमा था? तुम्हें भी ब्रश करना चाहिए !” बोलते हुए बहुत सा झाग शाहीन के मम्मों पर गिर गया जिसे देख हम हंस दिए और ब्रश साइड में फेंक वैसे ही चुम्बनरत हो गए।
ब्रश करते-कराते हम पर वासना हावी हो चुकी थी। दोनों आनन फानन कुल्ला कर फिर चुम्बनरत हो गये, कामाग्नि में जलते हमारे बदन पूर्ण नंगे हो गए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चूमते चाटते आधे गीले आधे सूखे एक दूसरे के अंगों को छेड़ते हुए कमरे में आये। शाहीन ने मुझे लिटा मेरी छाती पर उलटी बैठ गई और झुक कर लंड चूसने लगी। मैं उसकी गांड चाट रहा था और चूतड़ों पर काट रहा था। शाहीन पलटी और मेरे लंड को ऊपर से ही अपनी चूत के हवाले किया फिर धीरे धीरे नीचे सरक मेरा पूरा लौड़ा समा लिया। जब पूरी मोटाई लम्बाई समां गई तो उचक उचक कर चुदने लगी।
शाहीन के बोबे उछल उछल कर मेरी उत्तेजना को बढ़ा रहे थे। थोड़ी थक कर शाहीन स्खलित हो गई और झुक कर लिपट गई। पर मेरा लंड अभी भी कसाव लिए था इसलिए बिना चूत से निकाले लेट कर शाहीन के ऊपर आ गया, उसकी टांगें अपने कंधों पर रख लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया।
शाहीन फिर गर्म हो गई और साथ देने लगी। एन वक़्त पर बाहर निकाल वीर्य शाहीन की नाभि और मम्मों पर निकाल दिया।
थोड़ी देर लेटे रहने के बाद शाहीन बाथरूम में सू सू करने गई। मैं भी उठा, देखा बाहर पूजा सो रही है, सिगरेट जलाई और बाथरूम में घुस गया। शाहीन कमोड पर बैठी थी मैं गया और उसे अपने मूत से गीला कर दिया। मैं शाहीन की गोद में बैठ चूमने लगा और साथ साथ सुट्टा मारने लगे।
“तुम बहुत उन्मुक्त सेक्स करते हो, बिल्कुल जानवर हो, बिना शर्म के। चलो अब मुझे नहलाओ !” शाहीन ने आदेश दिया।

शाम को शाहीन अपने घर चली गई। पूजा को एक हफ्ते बाद का टिकट मिला।

विवाहित महिला का यौवन vivahit mahila ka yovan

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मुझे शुरू से ही शादीशुदा औरतो में दिलचस्पी ज़्यादा है। उसका कारण ये 
है कि शादीशुदा औरतों का यौवन और उनके चेहरे पर शादी के बाद जो चमक नहोती है 
उसे देखकर मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ जाती है तब मुझसे अपने लिंग पर 
काबू ही नहीं किया जाता और मुझे हस्तमैथुन करके इसे शांत करना पड़ता है। 
हालाँकि कॉलेज में टॉपर होने की वजह से कई लड़कियाँ मुझसे बड़ी इंप्रेस्ड हैं 
पर उनके यौवन में मुझे वो बात नज़र नहीं आती जो एक विवाहित महिला के यौवन में 
होती है। शादी के बाद नया नया संभोग के बाद उनके शरीर में एक अलग ही बदलाव आ 
जाता है। उनके नितंबो में जो कसाव और शरीर में जो भराव आता है
उसकी बात कुछ 
अलग ही होती है अभी कुछ ही समय की बात है उस समय मेरे घर में नये किरायेदार 
आए। उनकी शादी को अभी दो ही साल हुए थे और वो पति पत्नी दोनो वर्किंग थे। 
राजेश एक मल्टिनॅशनल कंपनी में जॉब करते थे और रीता मेरे ही कॉलेज में 
प्रोफेसर थी। दोनो कुछ ही समय पहले दिल्ली में आए थे इसलिए उन्हें नये घर की 
तलाश थी। चूँकि क्लास में हमेशा टॉप करता था तो अक्सर मेरी रीता से 
सब्जेक्ट्स को लेकर बात होती थी। 
एक दिन उन्होने मुझसे किराए का घर ढूँदने के 
बारे में पूछा तो मैंने उन्हें अपने घर को किराए पर लेने के लिए कहा, उन्हें 
घर पसंद आ गया, और वो कॉलेज के पास भी था इसलिए उन्होंने घर किराए पर ले 
लिया। मैंने उनसे घर पर पढ़ना शुरू किया और जब उनको करीब बैठ कर देखा तो मैं 
पागल हो गया। रीता के शरीर में जो बात थी क्या कहने, एक दम गोरा रंग, बिल्कुल 
स्लिम बॉडी और खड़ी हुई चुचियाँ, कद करीब पाँच फुट सात इंच और खूबसूरती इतनी 
कि किसी का भी जी ललचा जाए। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। अब पढ़ाई में तो दिमाग़ 
ही नहीं लगता था। 
मैंने अक्सर उनके करीब जाने के मौके तलाशने शुरू कर दिए। एक बार उनके पति 
किसी काम से कुछ से कुछ दिनों के लिए बाहर गये तब मैंने रीता के करीब जाने के 
और मौके तलाशने शुरू कर दिए। उनके बेडरूम की एक खिड़की उस रात को खुली थी। 
मैंने करीब आधी रात के समय उसमें झाँक कर देखना शुरू किया क्योंकि तब तक मेरे 
सब घर वाले सो चुके थे। रीता के कमरे में जो नज़ारा था उसे देखकर मैं पागल हो 
गया। रीता अपने बेड पर नग्न अवस्था में लेती हुई थी और अपनी योनि को मसल कर 
कर सिसकियाँ ले रही थी। मानो ऐसा लग रहा था कि कितने दिनों संभोग न किया हो। 
मेरे हाथ मेरे लिंग का कड़ापन महसूस कर रहे थे और मैंने तभी वहीं हस्तमैथुन 
किया। रात भर मुझे नींद नहीं आई। अगले दिन कॉलेज से जब मैं वापिस आया तो देखा 
मेरे सब घर वाले कहीं बाहर गये हुए थे मैंने घर की चाबी के लिये रीता से पूछा 
तो रीता अपने कमरे से बाहर आई और मुझे बोली कि चाबी तो नहीं है पर तब तक के 
लिए तुम मेरे कमरे मे बैठ जाओ। उस समय उन्होंने भी कॉलेज से आकर चेंज ही किया 
था तो उन्होंने शॉर्ट नाइटी डाली हुई थी। वो मेरे सामने ही सोफे पर बैठ गयी 
और मुझसे बातें करनी लगी। बातें करते हुए मुझे ध्यान आया कि जिस तरह टांगे 
खोल कर वो बैठी थी उनकी जांघें दिखाई दे रही थी। और ध्यान देने पर मैंने पाया 
कि उन्होंने अंदर कुछ नहीं डाला हुआ था। मेरे लिंग पर मेरा काबू न रहा और वो 
टन कर खड़ा हो गया। तभी उन्होंने मुझसे कहा कि रात को चोरों की खिड़की में 
देखना ठीक नहीं। मैं घबरा गया कि इन्हें कैसे पता चला कल रात के बारे में। 
रीता - ये ठीक नहीं है कोई और रात को तुम्हें हस्तमैथुन करते हुए देख लेता 
तो, मैं जो भी कर रही थी अपने कमरे में कर रही थी, आगे से ध्यान रखना। 
मैने थोड़ा झुक कर उनकी टांगों के बीच में देखना शुरू कर दिया। 
रीता - ये क्या कर रहे हो। कहाँ देख रहे हो? 
मैंने कहा अब तो मैं कमरे के अंदर हूँ। 
रीता - बड़े समझदार बनते हो। वो मेरे मंसूबे जान गयी थी। 
मैंने हिम्मत कर के उनकी टाँगो पर हाथ रख दिया। 
रीता - बस टाँगो से ही प्यार है या आगे भी बढ़ना है। 
वो बोली - अक्सर राजेश तो बाहर रहते हैं और मुझे अकेले रहना पड़ता है। उन्हें 
मेरे यौवन की प्यास की कोई कदर नहीं है। इसलिए मुझे अकेलेपन में यूं सिसकना 
पड़ता है। पर तुम्हें कल रात देख कर मुझे भी कुछ हो गया। कितना बड़ा लिंग है 
तुम्हारा। लगता है बड़ी ब्लू फ़िल्में देखते हो और हस्तमैथुन कर कर के ऐसा 
लंबा कर लिया है। मैं इसका स्वाद चखना चाहती हूं अब तो मेरे दिल की बात 
उन्होंने कह दी। मैंने अपने दोनो हाथों से उनकी जाँघो को सहलाना शुरू कर 
दिया। साथ ही उनके होंठो की ओर अपने होंठ बढ़ा दिए, हम एक दूसरे को काफ़ी देर 
तक किस करते रहे और फिर मैं उनके साथ उनके बेडरूम में चला गया। 
रीता - मेरा यौवन देखना चाहोगे और ये कहते ही उन्होंने अपनी नाइटी उतार दी। 
सच में शादीशुदा औरत के नग्न जिस्म को मैं पहली बार देख रहा था और बेकाबू 
होकर मैंने उनके बूब्स चूसने शुरू कर दिए। और वो और कसते चले हो गये और पूरी 
तरह खड़े हो गये। 
रीता - पहले कभी संभोग किया है। 
मैंने कहा - नहीं। 
तो फिर तो तुम अभी कच्चे हो,,, ये कहते हुए उन्होंने मेरी पैंट उतार दी मैंने 
अंडरवेर नहीं पहना था और मेरा एक बार स्खलित भी हो गया था। गीली पैंट देख कर 
रीता बोली। रीता - बस इतने में ही झड़ गया। तो तुम क्या करोगे। 
मैंने कहा - पहली बार किसी शादीशुदा को नग्न देखकर ये झड़ गया। अभी दस बार और 
झड़ सकता है। 
तब मैंने कहा - मुझे आपकी योनि देखनी है। वो बेड पर लेट गयी और अपनी टांगे 
खोल दी। मैंने पहली बार किसी चूत को देखा था मैंने सीधा उसे चाटना शुरू कर 
दिया । 
रीता - अरे बड़े बेकाबू हो। चलो कोई बात नहीं। पहली बार तो ऐसा ही होता है। 
मैंने अपनी जीभ उनकी योनि में फिरानी शुरू कर दी। वो सिसकने लगी। 
मैंने जीभ को और अंदर डालना शुरू कर दिया। 
रीता - अरे ऐसे चूसोगे तो मैं झड़ जाउंगी। मैंने स्पीड थोड़ी कम कर दी और 
उनके ऊपर आकर उनके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। 
रीता - मुझे तुम्हारे लिंग का टेस्ट करना है। मैंने कहा तो आ जाओ सिक्स नाइन 
की पोज़िशन में 
रीता - वो क्या है। 
मैंने कहा - ब्लू फिल्म्स नहीं देखी क्या कभी। 
रीता - वो तो तुम किड्स देखते हो। हम तो वो सब असली में करते हैं। 
और मैंने उनको सिक्स नाइन की पोज़िशन में लाकर अपना लिंग उनके मुँह में डाल 
दिया और उनकी योनि चाटने लगा। 
हम दोनो ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैंने देखा कि उनकी टाँगे कसती जा रही हैं 
और एक दम उनकी योनि ने इतनी ज़ोर 
से मेरे मुँह पर अपना पानी झाड़ दिया कि मेरा पूरा मुँह गीला हो गया। मैंने 
ऐसा पहले कभी ब्लू फिल्म्स में भी नहीं देखा था। 
रीता - देखा लड़के इतना तुम्हारा दस बार में भी नहीं झड़ सकता जितना हम एक 
बार में निकाल देते हैं। 
मैं बोला - इसके स्वाद में तो मज़ा आ गया और कहा कि मेरा वीर्य भी तो चख कर 
देखो लो 
उन्होंने कहा - तो आ जाओ - पहले उन्होंने मेरा लिंग अपने बूब्स में दबा कर 
ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया, मुझे मज़ा आने लगा। मेरा लिंग और कड़ा हो गया। 
तब उन्होने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। धीरे धीरे वो उसे पूरा 
निगलने लगी। 
मेरी उत्तेजना चरम पर जाने लगी और बंदूक की तरह मैंने उनके मुँह के अंदर 
वीर्य की धार मार दी। 
रीता - ये तो अमृत से भी ज़्यादा स्वाद है। मज़ा आ गया। पर अब मेरी प्यास कौन 
शांत करेगा। तुम तो दो बार झड़ चुके हो। 
अब तो तुम्हारा खड़ा नहीं रहेगा ज़्यादा देर। 
मैंने कहा - मैं तो अभी पहले की तरह ही हूं और कई बार और मूठ की धार छोड़ 
सकता हूं। पर आपका नहीं पता, इतना ज़्यादा झाड़ा है आपने, अब भी है उत्तेजना 
आपमें बाकी? 
रीता - औरत की प्यास को मर्द कभी समझे ही नहीं। मेरा शरीर जल्दी हुई मशाल की 
तरह है। तुम जैसे लड़को के तो कई लंड ‍जला सकता है। 
मैंने कहा - ऐसी बात तो आ जाओ एक बार और मेरे लंड की गिरफ़्त में। 
रीता - काफ़ी जल्दी काफ़ी कुछ सीख रहे हो 
मैंने कहा - आपका स्टूडेंट हूं ना 
रीता - आओ कितने दिनों से ये सील टूटी नहीं है आओ इसे तार - तार कर दो। 
मैने अपना सूपाड़ा उनकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उस पर फेरने लगा। 
रीता - तुम तो मुझे जला दोगे। प्लीज़ अब अंदर डाल दो। 
मैंने ज़ोर लगाना शुरू किया पर मेरा इतना मोटा और कड़ा था कि अंदर नहीं जा 
रहा था आसानी से। मैंने ज़ोर लगाया तो उनकी चीख निकल गयी। पर लंड अंदर नहीं 
गया और चूत से खून निकालने लगा। 
रीता - सही में तुम तो मर्द से कुछ ज़्यादा ही हो। खून निकाल दिया मेरी चूत 
से पर अंदर नहीं गया। थोड़ी सा झाग लगा कर साबुन का फिर कोशिश करो। 
मैं बाथरूम से साबुन का झाग ले कर आया और उसे लॅंड पर मसल लिया। अब मैंने 
ज़ोर लगाना शुरू किया। रीता दर्द से चिल्लाने लगी और मैंने फिर पूरी ताक़त 
लगा कर एक ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड चूत से खून के छींटे मेरे मुँह पर 
मारते हुए अंदर चला गया। रीता की साँस गले में ही अटक गयी। 
रीता - बड़ा दर्द हो रहा है पर ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया। अब तो मेरी चूत को 
जला दो एक दम। 
मैंने झटके बढ़ने शुरू कर दिए। उनके मुँह से उउऊहह आअहह आआआअहह की आवाज़ें 
तेज आ गयी। 
रीता - और ज़ोर से, और ज़ोर से, फाड़ दो मुझे और मेरी चूत को 
मैने झटके बढ़ाने शुरू कर दिए और उनकी चूची चूसनी शुरु कर दी। 
उनकी उत्तेजना और बढ़ने लगी और तब मैंने ध्यान दिया उनके बूब्स और कड़े हो 
गये तब मुझे लगने लगा कि अब ये झड़ने वाली है मैने झटके तेज कर दिए और तभी 
मेरा झड़ गया पर मैंने झटके देने चालू रखे और वो इतनी गरम हो गयी कि उनका भी 
झड़ गया मैंने उनके पानी को अपने मुँह पर मसल लिया और हम दोनो ठंडे पड़ गये। 
मैं उनके साथ ही उनके बिस्तर पर लेटा रहा कुछ देर तक उनके साथ चिपक कर। अभी 
भी हम दोनो अपने जिस्म की सिरहन महसूस कर रहे थे। 
रीता - तुम्हारा वीर्य तो मेरी चूत मे अंदर चला गया, अगर मैं प्रेग्नेंट हो 
गयी तो, मैंने कहा चिंता मत करो बाज़ार में कई गोलियाँ आती है जो ऐसा होने पर 
भी प्रेग्नेन्सी रोक देती है। 
वो ले लेना और मैं फिर अपने कपड़े पहन कर बाज़ार चला गया गोलियाँ लाने। अब ये 
सिलसिला कई दिनों तक चला। फिर उनके पति का ट्रान्स्फर हो गया और मैं अकेला हो 
गया।
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